खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 19 सितंबर। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव व अपर कलेक्टर प्रेम कुमार पटेल उपस्थित रहे। वहीं अध्यक्षता कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो.डॉ. मृदुला शुक्ल ने की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.डॉ. राजन यादव, अधिष्ठाता दृश्य कला संकाय, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. देवमाईत मिंज व सहायक प्राध्यापक संस्कृत डॉ. पूर्णिमा केलकर उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पूजन-वंदन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई। जिसके बाद इन्दु यादव, पलक कन्नौजे, पायल कन्नौजे व रीता कुंजाम के द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
मुख्य अतिथि प्रेम कुमार पटेल का स्वागत हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता दृश्यकला संकाय प्रो.डॉ. राजन यादव के द्वारा शॉल व श्रीफल भेंट कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्य अतिथि प्रेम कुमार पटेल ने कहा कि किसी भी भाषा के प्रचार-प्रसार में राजनैतिक प्रभुत्व, व्यापार, सांस्कृतिक गतिविधि एवं तकनीकी विकास का विशेष योगदान होता है। हिन्दी के विस्तार की अनंत सभावनाएं है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति हमारी भाषा को सीखने में रूचि ले तो उनका सहयोग करना चाहिये जिससे हमारी भाषा का विस्तार होगा। प्रो. मृदुला शुक्ल ने हिंदी के विविध रूपों की चर्चा करते हुये कहा कि संस्कृति एक विशाल व्यापार है और उसका आधार भाषा है। हम अपनी भाषा से ही अपना पहचान बना पाते हैं। हमारी भाषा ही हमारा परिचय दे देती है कि हम कितने पानी में हैं।
प्रो. डॉ. राजन यादव ने बताया कि महात्मा गांधी कहते थे कि जो देश गुलाम है वे आजादी के लिए अपनी भाषा को बचाये रखे और जो देश आजाद है वे अपनी आजादी को बचाये रखने के लिये अपनी भाषा को संवर्धित करें।
डॉ. देवमाईत मिंज ने हिंदी की दशा और दिशा पर वक्तव्य देने हुये कहा कि भाषा जीवन का एक अनिवार्य अंग है। पत्र-पत्रिकाओं का हिन्दी के प्रचार प्रसार में विशेष महत्व है। अलग-अलग भाषाओं के आने के बाद भी हिंदी कमजोर नहीं हुई। इस दौरान छात्रों ने निराला व बच्चन जी की कविताओं का गीत-संगीत के माध्यम से पाठ किया। कार्यक्रम में शिक्षाको सहित शोधार्थीगण व छात्रगण उपस्थित रहे।