बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 1 अक्टूबर। बालोद नावेल टीचर्स क्रिएटिव फाउंडेशन के तत्वावधान में काव्योत्सव कार्यक्रम हिन्दी हैं हम वतन है का आयोजन निषाद भवन दल्लीराजहरा में किया गया। कार्यक्रम में एनटीसीएफ के शिक्षक साहित्यकारों का सम्मान समारोह व पोस्टर कविता प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
साहित्यिक गोष्ठी समकालीन कविता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. शिरोमणि माथुर ने कहा कि समकालीन कविता में मनुष्यता के प्रति सूक्ष्म संवेदना ही उसे विशिष्ट बनाती है। कविताओं में एक ओर जहां जीवन का पाठ, प्रेम, खुशी, अच्छाई का सौंदर्य है, वहीं दूसरी ओर जीवन के अनुभव, छलाव, भटकाव, चोट के निशान भी सच्चाई बयान करते हैं।
घनश्याम पारकर ने कहा- हिन्दी और अंग्रेजी के बीच बच्चों की स्थिति को खिचड़ी की तरह माना और वर्तमान समय में पालकों की अंग्रेजी के प्रति लगाव का दुष्परिणाम बाद में दिखाई देने की बात कही।
लतीफ खान ने छत्तीसगढ़ी दोहे का पाठ किया- जस बिन बाति के दिया न देय उजियार, तस बिन गुरू के जग में न होत उजियार। बेटियाँ पढ़ेगी और शिखर पर चढ़ेगी का पाठ किया। कार्यक्रम में एनटीसीएफ अध्यक्ष अरुण साहू ने कहा कि समकालीन कविता यथार्थ के विराट दायरे में दाखिल होकर प्रकृति से कटती दुनिया और अपने ही जड़ों से कटे हुए लोगों का साक्षात्कार कराती हैं। हम खुद को मनुष्यता और सभ्यता के संकट के मुहाने पर खड़ा पाते हैं। पोस्टर कविता में कवियों की उत्कृष्ट रचना पर मुझे गर्व है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि सरिता गौतम, अमित सिन्हा, घनश्याम पारकर, डॉ. इकबाल, लतीफ खान, पीआर महिलांगे ने शिक्षकों के काव्योत्सव कार्यक्रम की सराहना की।
कार्यक्रम में शिक्षक साहित्यकारों में गायत्री साहू, सुनीता लहरे गुंडरदेही से प्रतिभा त्रिपाठी, द्रोण सार्वा, डॉ बुशरा परवीन, डौंडी से शोभा बेंजामिन, अजीत शिवकुमार तिवारी, तामसिंग पारकर, शिल्पी राय, डौंडीलोहारा से हर्षा देवांगन, गुरूर से बिंदियारानी गंगबेर को एनटीसीएफ शिक्षक सृजन साहित्य सम्मान, स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
एनटीसीएफ साहित्यकार धर्मेंद्र श्रवण, मोना रावत, सुमा मंडल, मंजू कोसरिया, सुधारानी शर्मा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।