राजनांदगांव
35 साल की बंदिश से कई दावेदार दौड़ से बाहर, आलोक-भावेश और मोनू के बीच जंग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी के जिला युवा मोर्चा अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी में एक अनार सौ बीमार के हालात बन गए हैं। राजनीतिक रूप से जिला युवा मोर्चा का अध्यक्ष का पद बेहद महत्वपूर्ण है। सत्ता से बाहर होने के दो साल बाद भाजपा में सांगठनिक स्तर पर अलग-अलग प्रकोष्ठों की नियुक्ति का सिलसिला चल रहा है। मुख्य विंग में मनोनयन होने के बाद जिलेवार युवा मोर्चा के गठन को लेकर तैयारी चल रही है।
राजनांदगांव जिले का प्रदेश में काफी दबदबा है। सत्ता में रहते हुए नांदगांव को हाईप्रोफाईल जिले का दर्जा था। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का निर्वाचन जिला होने की वजह से अध्यक्ष पद का पूरा दारोमदार उनके रजामंदी पर टिका हुआ है। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम डॉ. सिंह के अलावा जिलाध्यक्ष मधुसूदन यादव और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह की राय के आधार पर ही जिले की कमान नए अध्यक्ष को सौंपी जाएगी।
बताया जा रहा है कि जल्द ही जिला और शहर भाजयुमो अध्यक्ष के नाम की घोषणा होगी। इससे पहले भाजयुमो नेताओं में अध्यक्ष बनने के लिए जोर आजमाईश चल रही है। आपसी द्वंद के बीच नए अध्यक्ष में आलोक श्रोती, भावेश बैद और मोनू बहादुर का नाम सुर्खियों में है। आलोक श्रोती शहर अध्यक्ष भी रहे हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने युवाओं को संगठित किया था। नतीजतन शहर में बनी टीम आज भी सक्रिय है।
आलोक का सभी वरिष्ठ नेताओं से बेहतर रिश्ता है। राजनीतिक रूप से उनकी गिनती निर्विवाद होने से उनका दावा काफी मजबूत है। भाजपा की गुटीय राजनीति में वह सर्वमान्य दावेदार माने जाते हैं। लिहाजा आलोक श्रोती के नाम पर विरोध होने की संभावना कम है। आलोक के पूर्व सीएम डॉ. सिंह से लेकर तमाम शीर्ष नेताओं से बेहतर ताल्लुकात हैं। बताया जा रहा है कि आलोक की टीम द्वारा रक्तदान कर कई मरीजों को जीवनदान भी दिया गया। जिसकी शहर में काफी चर्चा रही।
उधर लंबे समय से भाजयुमो की राजनीति के चर्चित चेहरे भावेश बैद भी जिलाध्यक्ष की कमान सम्हालने के लिए आतुर हैं। वह सक्रिय होकर सांगठनिक कामकाज को बखूबी अंजाम देते रहे हैं। उनके साथ भी युवाओं की अच्छी टीम है। पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ उनके मौजूदा आला नेताओं से मधुर संबंध हैं। भावेश ने कई मौकों पर सांगठनिक गतिविधियों को बेहतर तरीके से संचालित किया है। प्रदेश के युवा नेताओं में भावेश को भी गिना जाता है।
इधर मोनू बहादुर भी एक सक्षम दावेदार माने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मोनू बहादुर के साथ भी युवा जुड़े हुए हैं। कोरोना काल में मोनू बहादुर की टीम ने कई असहाय और जरूरतमंदों के हित में काम किया। हालांकि मोनू का नाम सामने आते ही उनके विरोधी सक्रिय हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मोनू ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह के समक्ष अपना दावा पेश कर दिया है। यह बात सुनते ही विरोधी खेमे में उनके नाम को लेकर विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं।
उधर पार्टी द्वारा 35 साल से अधिक के युवाओं को अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के नीति से कई दावेदार मायूस हो गए हैं। वैसे नांदगांव जिले में दर्जनभर से अधिक दावेदार अध्यक्ष बनने के लिए जोर लगा रहे थे। एकाएक पार्टी के नए फैसले के बाद दावेदारों ने दूसरे पदों को हासिल करने का रूख कर लिया। फिलहाल तीनों दावेदारों में पद के लिए जबर्दस्त उठापटक चल रही है।