कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 2 फरवरी। जिला सहकारी समिति संघ कोण्डागांव के माध्यम से 2 फरवरी को जिले के धान उपार्जन केन्द्रों से धान का परिवहन (उठाव) कराने व समितियों को होने वाले आर्थिक हानि व परेशानियों से निदान के लिए जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा को ज्ञापन सौंपा हैं।
इस संबंध में जिले के समस्त लैम्पस कर्मचारी ने बताया कि, शासन की धान उपार्जन नीति (कंडिका 15.8) अनुसार समितियों के उपार्जन केंद्रों में फरवरी अंत तक उपार्जित समस्त धान का उठाव करने के निर्देश हैं, किंतु विपणन संघ द्वारा उठाओ की कार्रवाही मई-जून तक जारी रहती हैं। इतनी लंबी अवधि में उपार्जित धान को तेज धूप, भीषण गर्मी की पतंगा, असामायिक वर्षा, आंधी एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से प्राय: नुकसान होता हैं, जो कि अब उपार्जन केंद्रों से किसी प्रकार की सुखत कमी मान्य नहीं हैं। उपार्जित धान में किसी प्रकार की भी कमी आने पर समिति कर्मचारियों को दोषी माना जाता है। जबकि उपार्जित धान का विपणन संघ द्वारा बीमा भी कराया जाता है। उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा भी उपार्जित धान में कमी आने पर बिना किसी जांच के एक मात्र समितियों को दोषी मानने की कार्यवाही को गलत ठहराया है। जिले में आज तक 143. 46 टन तक कुल खरीदी का मात्र 17. 57 प्रतिशत उठा हुआ हैं। उपार्जित धान में कमी आने पर समितियों के कर्मचारी को दोषी मानकर शासन द्वारा एफआइआर की कार्रवाही की जाती हैं। शार्टेज राशि की वसूली कर्मचारियों से वसूला जाता हैं। साथ ही अधिकांश केंद्रों में 100 से 500 प्रतिशत धान शेष है। यदि 72 घंटे के अंदर विपणन संघ द्वारा धान का उठाव नहीं किया जाता है तो विपणन संघ को सुखत के नाम पर मिलने वाला 1 प्रतिशत उपार्जन केंद्रों को भी सुखत दिया जाने आदि मांग समस्त लैम्पस कर्मचारी ने की। जिला सहकारी समिति संघ कोण्डागांव ने ज्ञापन सौंपते हुए कलेक्टर से निवेदन किया है कि, उपार्जित धान का समयावधि में विपणन संघ से उठाव कराने व आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों धान खरीदी प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को जल्द निदान कराने की बात कही।