रायपुर

सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में अनियमितता, न्यायिक जांच की मांग
03-Feb-2021 5:35 PM
सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में अनियमितता, न्यायिक जांच की मांग

भाजयुमो ने पीएससी की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 3 फरवरी। भाजयुमो ने सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा की न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि परीक्षा केन्द्र में वीडियोग्राफी नहीं कराया जाना आयोग की कार्यप्रणाली और विश्वनीयता पर सवाल खड़ा करता है।

भाजयुमो अध्यक्ष अमित साहू, प्रदेश भाजपा मंत्री ओपी चौधरी और विजय शर्मा ने संयुक्त प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि पीएससी द्वारा आयोजित सहायक प्रध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में शुरू से बड़ी अनियमितता सामने आ रही हैं। चंद दिनों पहले एक अभ्यर्थी ने आरोप लगाया है कि परीक्षा केंद्र में एक रोल नंबर वाला अभ्यार्थी उसके पीछे अनुपस्थित था, लेकिन साक्षात्कार के लिए उसका चयन हो गया है जो अनेक आशंकाओं को जन्म दे रही है। राज्य लोक सेवा आयोग में भारी अनियमितताओं व भ्रष्टाचार की आशंकाओं को इस बात से और बल मिलता हैं जब छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग उक्त विषय पर स्वयं को क्लीन चिट दे रहा हो।

भाजयुमो नेताओं ने कहा कि सहायक प्रध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में अनुपस्थित अभ्यर्थी का नाम आना, परीक्षा केंद्र में वीडियो ग्राफी नहीं कराया जाना राज्य लोकसेवा आयोग की कार्यप्रणाली व विश्वशनियता पर सवाल खड़ा करता हैं। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा हैं की जिस संस्था पर अनियमितता और गड़बड़ी के आरोप लग रहे हों वही संस्था बिना देर करे अपने आपको क्लीन चिट दे रही हैं यह कैसे संभव हैं।

भाजयुमो नेताओं ने कहा कि विभिन्न स्रोतों के अनुसार सहायक प्राध्यापक की भर्ती परीक्षा में अलग-अलग विषयों से कुल 105 प्रश्नों को विलोपित करने की बात आई है। अनेक अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि दर्जन भर प्रामाणिक स्रोतों के रिफरेंस को भी नजरअंदाज किया गया है, नहीं तो विलोपित प्रश्नों की संख्या 200 से भी अधिक हो सकती थी। इस तरह की कार्यप्रणाली न्यायालय में याचिकाओं की स्थिति निर्मित कर सकती है और भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक विलम्ब हो सकता हैं जो प्रदेश के युवाओं के हित में नहीं होगा।

भाजयुमो नेताओं ने कहा कि पीएससी में जारी विसंगतियों की न्यायिक जांच समिति गठित करके एक माह के भीतर जांच सुनिश्चित की जाये। सबसे पहले किसी भी हालत में 2014 से चले आ रहे इस श्रेष्ठ परिपाटी को बरकरार रखा जाये कि प्रत्येक संविधान दिवस अर्थात् 26 नवम्बर को पीएससी का विज्ञापन जारी हो जाये। और अगले प्रीलिम्स से पूर्व किसी भी स्थिति में पहले साल की परीक्षा पूर्ण कर ली जाये।

उन्होंने कहा कि किसी भी भर्ती परीक्षा के पूर्व, स्तरीय प्रश्न तैयार कराके उनके विकल्पों को परीक्षा पूर्व ही विशेषज्ञों से जांच करा लिया जाये। ताकि गलतियों की आशंकायें और मानवीय भूल न्यूनतम हो जायें। देश और दुनिया में चल रहे उच्चतम श्रेणी के विशेषज्ञता युक्त कौशल को पीएससी के साथ जोड़ा जाये। ताकि ‘तातापानी’ जैसी हास्यास्पद स्थितियाँ उत्पन्न न हों। अभी प्रदेश में 16 परीक्षा केन्द्र हैं। प्रत्येक जिले में एक अर्थात् 28 परीक्षा केंद्रों की तत्काल घोषणा की जाये। कम से कम प्रीलिम्स परीक्षा की दृष्टि से तो 28 केन्द्र होने ही चाहिये।

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