कोण्डागांव

4 साल में 30 से अधिक आवेदन, फिर भी समाधान नहीं
05-Feb-2021 8:57 PM
4 साल में 30 से अधिक आवेदन, फिर भी समाधान नहीं

  कलेक्टर से मांगी आत्महत्या की अनुमति'  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 5 फरवरी। समस्याओं के समाधान के लिए 4 वर्षों में 30 से अधिक आवेदन देने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आवेदक द्वारा 3 फरवरी को आत्महत्या करने की अनुमति देने के लिए कलेक्टर को आवेदन सौंपे जाने का मामला सामने आया है।

ग्राम कोसागांव तहसील फरसगांव जिला कोण्डागांव के आवेदक रामकुमार नेताम द्वारा कलेक्टर कोण्डागांव को आवेदन देकर उसकी प्रतिलिपि राज्यपाल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम, केशकाल विधायक संतराम नेताम, पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी पुलिस थाना को भी सूचनार्थ प्रेषित किया गया है। आवेदक द्वारा अपने 5 पेज के हस्तलिखित आवेदन में उल्लेख किया गया हैं कि, समस्याओं के समाधान के लिए विगत 4 वर्षों से लगातार संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया जा रहा है, जिस पर न्यायोचित कार्रवाई नहीं होने के कारण वह सपरिवार यानि स्वयं अपनी पत्नी व डेढ़ वर्षीय पुत्री के साथ 13 फरवरी को आत्महत्या करेगा, जिसकी अनुमति प्रदान की मांग की है।

रामकुमार ने अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत आवेदनों के संबंध में बताया कि, वनाधिकार प्रपत्र, आवास दिलवाने सहित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए 4 साल में 30 से अधिक आवेदन, शिकायत पत्र, आरटीआई आवेदन उसके द्वारा प्रस्तुत किया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं होने से ही वह वर्तमान में मानसिक रूप से अत्यधिक परेशान होने के कारण, परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ही यह आवेदन कलेक्टर को सौंपने के लिए बाध्य हो रहा है।

आवेदक ने अपने आपको अनुसूचित जन जाति वर्ग के अंतर्गत आने वाली गोंड़ जाति का बताया है। उसका कहना है कि वह वर्ष 2016-17 से ही संबंधित विभाग के अधिकारियों सहित केशकाल विधायक व मुख्यमंत्री छ.ग शासन तक को 30 से अधिक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है। उसके द्वारा ग्राम स्तर की स्थानीय नेतागिरी से परेशान होने के बाद  संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे मुझे यह स्पष्ट समझ में आ गया है कि, मेरी समस्या का समाधान करने की ओर किसी को कोई रुचि नहीं है। उक्त सभी कारणों से ही बहुत अधिक परेशान और दुखी होकर ही मैं अपना यह अंतिम आवेदन पत्र प्रस्तुत कर यह मांग करने को बाध्य हो रहा हूं, कि मुझे अपने परिवार (पत्नी व डेढ़ वर्षीय पुत्री) के साथ आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान किया जाए। मेरे द्वारा प्रस्तुत आवेदन में लिखी गई बातों को ही मेरा बयान माना जाए कि मैं अपनी खुशी या मर्जी से आत्महत्या करने को बाध्य नहीं हो रहा हूं, बल्कि ग्राम स्तर के स्थानीय कुछ लोगों की नेतागिरी जो मुझे वनाधिकार पट्टा नहीं मिलने के लिए गलत बयानबाजी कर रहे हैं और मेरे द्वारा लगातार शिकायत करने को गलत तरीके से लेते हुए, मेरा सामाजिक बहिष्कार करने के लिए बैठक रखकर मुझसे ही 5051 रुपए वसूले जाने के कारण और उससे बड़ी बात यह कि, ग्राम स्तर पर समस्या का समाधान नहीं होने पर जिन अधिकारियों को आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न पदों पर बिठाया गया है, उनके द्वारा अपने कर्तव्य का पालन ईमानदारी से नहीं करने के कारण ही कर रहा हूं।

आवेदक ने अंत में उल्लेख किया हैं कि, आखिरी निवेदन है कि, मेरे द्वारा दिए जा रहे आवेदन पत्र को स्वीकारते हुए मुझे अपने परिवार यानि पत्नी व डेढ़ वर्षीय पुत्री के साथ आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान किया जाए और साथ ही मेरी मौत के बाद यदि शासन-प्रशासन को परेशानी न हो तो मेरी बूढ़ी मां व बहन के जीवनयापन की व्यवस्था करने की कृपा की जाए।

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