महासमुन्द
बाजार में अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 21 मार्च। होली को महज 10 ही दिन शेष हैं और राज्य में कोरोना की स्थिति भयावह है। ऐसे में नगाड़ा बनाने वाले काफी चिंतित हैं। वे लॉकडाउन लगने की अनिश्चितता के बीच नगाड़े को बाजार में लाने की तैयारी कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय के नजदीकी गांव भलेसर में परंपरागत तरीके से नगाड़ा बनाने के कार्य में अहिरवार समुदाय के लोग लगे हुए हैं। भलेसर नयापार के नगाड़ा बनाने वाले नकुल तांडेकर कल शुक्रवार को बलौदाबाजार में नगाड़ा बेचने के लिए एक ट्रक नगाड़े के साथ रवाना हुआ। नकुल कहते हैं कि इस बार मटकी और यातायात भाड़े ने हमारी लागत बढ़ा दी है। फिर भी होली पारंपरिक त्योहार है और नगाड़े का अपना महत्व है, इसलिए नगाड़ों की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है
यहां रहने वाले महेश चौरे बताते हैं कि फाल्गुन आने से 2 महीने पहले हम नगाड़ा बनाना शुरू कर देते हैं। इसके लिए चमड़ा तैयार करना, मटकी खरीदना पड़ताहै। इन दोनों ही चीजों से नगाड़ा तैयार करते हैं। इसमें समय बहुत लगता है। इसलिए बड़ी तादाद में बनाने के लिए पूरा परिवार मिलकर नगाड़ा तैयार करते हैं। हर साइज के 150 नगाड़े महेश ने तिल्दा व भाठापारा के बाजार में बेचने के लिए भेजा है। उन्होंने बताया कि हर साल 5 साइज में नगाड़ा तैयार करते हैं। इस बार भी किया है, लेकिन कोरोना के भय और बढ़ते कोरोना के कारण वापस लॉकडाउन के संदेह में इस बार कम संख्या में नगाड़ा तैयार किया है। इसे पहले हम 300 से 400 की संख्या में तैयार करते थे।
नकुल टांडेकर कहते हैं कि कोरोना को देखते हुए इस बार हमने भी कम नगाड़ा तैयार किया है। वे बताते हैं कि हर साल लगभग 5 साइज के नागड़े तैयार करते हैं।
पहले हर साइज के 300 नग नगाड़ा बनाते थे। लेकिन इस बार प्रत्येक साइज के 150 से 200 नगाड़ा ही हमने तैयार किया है। इस बार मटकी और पेट्रोल.डीजल के दाम ने हमारा लागत बढ़ाया है। भलेसर में कई परिवार के लोग नगाड़ा तैयार करते हैं। सभी अपनी सुविधा और बाजार के हिसाब से शहरों का चयन करते हैं। इसमें रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, सरायपाली, तिल्दा, भाठापारा, बिलासपुर व अन्य शहर शामिल हैं। नगाड़ा बनाने वालों ने इस बार 100 रुपए जोड़ी से लेकर 2000 तक के नगाड़े तैयार किए हैं।