महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 21 मार्च। होलिका दहन में इस बार भद्रा बाधा नहीं बनेगी। होलिका दहन 28 को होगा और रंगोत्सव 29 को मनाया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6.30 से रात 8.30 बजे तक रहेगा। इसके बाद चौघडिया में शुभ, लाभ व अमृत के दौरान भी होलिका दहन हो सकेगा।
पंडित हेमंत तिवारी ने बताया कि शनिवार रात 3.26 बजे भद्रा प्रारंभ होगी और रविवार दोपहर 1.34 बजे तक रहेगी। जबकि होलिका दहन शाम को गोधुली बेला से शुरू होगी। इसलिए इस बार भद्रा का प्रभाव होलिका दहन पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि दोपहर बाद मध्य रात्रि तक होलिका दहन के लिए शुभ है। पर्व के लिए बाजार में नगाड़े व रंग गुलाल और पिचकारी की दुकानें सजने लगी है। बता दें कि आज 21 मार्च से होलाष्टक लगा है।
गांवों मेंं होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होती है कि अगला साल कैसा रहेगा। आग की लौ-धुंआ देखकर भविष्य के बारे में अनुमान लगाया जाता है। लौ ऊपर उठे तो परिणाम सकारात्मक होगा। यदि आसमान की ओर उठती है तो अगली होली तक देश में कोई हलचल नहीं होगी। स्थिति बेहतर बनी रहेगी। किसी तरह की प्राकृतिक आपदा की संभावना कम रहती है। दहन के समय पूर्व दिशा की ओर हवा चले तो लौ पूर्व की ओर हो उठेगी। इससे आने वाले समय में धर्म अध्यात्म शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में उन्नति के अवसर बढ़ते हैं। लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
पश्चिम को ओर होलिका दहन की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति धीरे धीरे होती है। थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहती है। पर कोई बड़ी हानि नहीं होती है। कृषि क्षेत्र में लाभ.हानि बराबर रहता है। होलिका दहन के समय हवा का रूख दक्षिण की ओर हो तो अशांति और क्लेश बना रहता है। झगड़े विवाद होते हैं। पशुधन की हानि होती है। आपराधिक मामलों में वृद्धि होती हैए लेकिन न्यायालयीन मामलों में निपटारा भी तेजी से होता है। उत्तर की ओर हवा का रुख रहने पर देश और समाज में सुख शांति बनी रहती है। इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रति होती है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान होता है। कृषि-व्यापार में उन्नति होती है।