राजनांदगांव

सदग्रंथों का पठन-पाठन सामयिक आवश्यकता : द्विवेदी
02-May-2021 10:48 PM
सदग्रंथों का पठन-पाठन सामयिक आवश्यकता : द्विवेदी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 मई।
विश्व पुस्तक दिवस के महत्तम परिप्रेक्ष्य में प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने सामयिक चिंतन टीप में बताया कि सद्गं्रथों का नियमित पठन-पाठन ही व्यक्ति को श्रेष्ठ, समर्थ बनाता है। विशेष रूप से अखिल विश्व में अद्वितीय ज्ञान के अनुपम भंडार हमारे वेद-पुराण, गीता-रामायण, मानस, महाभारत एवं अद्भुत दर्शन ग्रंथ, टीका, संहिताएं, वाणी, कथा-गाथाएं इत्यादि इतनी अधिक सात्विक परम-पावन है, इनका सहज-सतत वाचन-मनन, मानव मात्र को ज्ञान-सम्मान-विवेकमान-गुणवान बनाने के साथ-साथ कठिन से कठिन परिस्थितियों में संघर्षशील बनाकर सक्षम-सृदृढ़ व्यक्तित्व का धनी और श्रेयस्कर अर्थो में कर्मवीर बनने की अभिप्रेरणा भी देते हैं। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय जब चतुर्दिक आपाधापी का दौर है, असत्य-अन्याय-अत्याचार की मनोवृत्ति बढ़ रही है, ऐसे में समसामयिक आवश्यकता है कि हमारी युवा-किशोर-प्रबुद्ध पीढ़ी राष्ट्रबोध के साथ सद-शिक्षा, सुसंस्कारों से मंडित होकर देश-धरती की सेवा उत्थान में सहभागी हो। इसके लिए प्राध्यापक द्विवेदी ने नित्य जीवनचर्या में सद्ग्रन्थों के वाचन-पठन-गायन को प्राथमिकता से सम्मिलित करने को प्राथमिक आवश्यकता बताया।
 

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