बिलासपुर
बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और जीपीएम जिले से एक-एक मरीज कोरोना से स्वस्थ होने के बाद पीड़ित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर 17 मई। सिम्स चिकित्सालय में ब्लैक फंगस, म्यूकर माइकोसिस के एक साथ तीन मामले सामने आने से हड़कम्प मच गया है। इनमें 35 और 40 दो महिलायें हैं, जो रतनपुर व जीपीएम जिले से हैं तथा एक जांजगीर जिले का पुरुष है। तीनों का इलाज आईसीयू में भर्ती कर शुरू किया गया है।
इसके पहले तखतपुर के भी एक युवक को बीते अप्रैल माह से ब्लैक फंगस की शिकायत आई थी। परिजन उसे सीधे रायपुर ले लगे थे। वहां से लौटने के बाद दुबार उसे फिर रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां भी उसका आईसीयू में उसका इलाज चल रहा है। उल्लेखनीय है कि ब्लैक फंगस की छत्तीसगढ़ में इस समय दर्जनों मरीज सामने आ चुके हैं। इसके इलाज के लिये प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्था करने का निर्देश राज्य सरकार की ओर से दिया गया गया है। कोरोना संक्रमित कुछ मरीजों में यह रोग उनके ठीक होने के बाद दिखाई दे रहा है। इस बीमारी से सिर, दांत व नाक में तेज दर्ज होता है तथा आंखों पर बुरा असर पड़ता है। कुछ मरीजों की एक आंख को ऑपरेशन कर निकाला भी गया है।
इस बीमारी में पोसाकोनाजोल और एंप्रो टेरिसिन बी की जरूरत पड़ती है जिसकी अभी सप्लाई नहीं है। इसके 50 से अधिक डोज मरीजों को लगाने की स्थिति बन सकती है। एक इंजेक्शन की कीमत 3500 रुपये से 5000 रुपये के बीच आती है। यहां के निजी मेडिकल स्टोर्स में भी यह उपलब्ध नहीं है क्योंकि पहले इसकी मांग नहीं रही है। औषधि निरीक्षक डॉ रवि गेंदले ने बताया कि दवा आने पर इसकी सप्लाई सिर्फ अस्पतालों में होगी यह मेडिकल स्टोर में सीधे खरीदी के लिए उपलब्ध नहीं होगा। सिम्स चिकित्सालय में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिये अलग वार्ड बनाया जा रहा है जिसे तीन दिन में तैयार कर लेने की बात कही गई है। सिम्स चिकित्सालय में एक अलग वार्ड तैयार किया जा रहा है जिसमें ब्लैक फंगस के मरीजों ही ही का ही उपचार होगा। इसके दो तीन में तैयार हो जाने की बात कही जा रही है।