महासमुन्द
बामनसरा स्थित चार सौ साल पुराने वट वृक्ष के संरक्षण व पर्यटन से जोडऩे के लिए मुहिम जारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 मई। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ग्रीन केयर सोसाइटी इंडिया बागबाहरा ने कोमाखान क्षेत्र के ग्राम बामनसरा स्थित चार सौ साल पुराने वट वृक्ष के संरक्षण व पर्यटन से जोडऩे के लिए मुहिम शुरू की है। जिसके अंतर्गत संस्था के अध्यक्ष विश्वनाथ पाणिग्रही ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, छत्तीसगढ़ बायोडाईवर्सिटी चेयरमैन पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी को पत्र लिखकर इसे संरक्षित करने तथा छत्तीसगढ़ पर्यटन से जोडऩे का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि लोक गणना अनुसार यह वट वृक्ष पूरे छत्तीसगढ़ में उम्रदराज है। इसकी उम्र चार सौ वर्ष से अधिक माना जाता है। कभी एक एकड़ में फैला यह एक मात्र वृक्ष क्षरित होते होते आज भी आधा एकड़ में फैला है। मूल तना नष्ट होने के बाद भी अनेक शाखा प्रशाखाओं के सहारे मिथकों को तोड़ते हुए अनेक प्रजाति के वृक्षों को अपनी छाया में आश्रय दिए हुए हैं। अनेक प्रजाति के पक्षियों, कीट,ए सर्प व मधुमक्खी के अनेक छत्ते का आश्रय स्थल है। यदाकदा भालू व अन्य वन्य प्राणी भी इसकी छाया में विश्राम करते हैं। इस तरह यह बरगद जैव विविधता का उत्कृष्ट उदाहरण है। साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश का गौरव है।
कोमाखान के राजपरिवार के सदस्य थियेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार उनके पूर्वज 1660 के पूर्व से इस वृक्ष के नीचे बस्तरीन माता की पूजा करते आ रहे हैं। यह बरगद देव वृक्ष की मान्यता के साथ अंचल की आस्था का केंद्र है।
विश्वनाथ पाणिग्रही ने बताया कि ग्रीन केयर सोसाइटी द्वारा 2012 से निरंतर संरक्षण व शासन की योजना अंतर्गत संरक्षण व पर्यटन में शामिल करने प्रयास किए जा रहे हंै । वन विभाग द्वारा इसे केंपा योजना में शामिल भी किया गया है। बामनसरा में बरगद वृक्ष रक्षा समिति बनाई गई है। निजी भूमि होने के कारण भूमि स्वामी मिर्गिन बाई ने भूमि शासन को दान दिया है। संपूर्ण कार्यवाहियां भी हुईं। वन विभाग द्वारा तीन बार अलग-अलग पद्धति से नाप भी किया गया. लेकिन अभी तक सकारात्मक कार्य नहीं हो रहा है। इतिहासकार विजय शर्मा, ग्रीन केयर के वरिष्ठ सदस्य विष्णु महानंद, डायरेक्टर ग्रीन केयर अमूजूरी बिश्वनाथ दंतेवाड़ा, पंडित भागीरथी दुबे, छत्तीसगढ़ी कवि व साहित्यकार गोवर्धनलाल बघेल, योगेश बढ़ाई मोहगांव सहित ग्रीन केयर के सभी सदस्यों और ग्रामवासियों ने शासन से मांग की है कि शीघ्र ही इस वट वृक्ष को शासन संरक्षित कर पर्यटन में शामिल करें।