महासमुन्द
सूर्य की लुकाछिपी के बीच बुधवार को मना जीरो शैडो दिवस
महासमुंद, 27 मई। सूर्य की लुकाछिपी के बीच बुधवार को जीरो शैडो दिवस मनाया गया। किसी वस्तु के प्रतिबिंब को एक पल के लिए गायब होते हुए दोपहर कुछ मिनटों के लिए देखा गया। यह कोई चमत्कार नहीं एक खगोलीय घटना है। बुधवार को इस खगोलीय घटना के कई गवाह बने। बड़ों के साथ बच्चों ने भी इस घटना का अवलोकन किया। कल ठीक 12 बजे सूर्य सिर के सीध में आ गया। इसकी वजह से धूप में खड़े किसी भी व्यक्ति या अन्य चीजों की अगल बगल परछाई नहीं बनी। ऐसा केवल चंद मिनटों के लिए हुआ।
जानकारों की मानें तो यह तब होता है, जब आकाश में सूर्य अपने चरम पर होता है। इस दौरान किसी भी प्राणी या वस्तु की छाया नहीं बनती है। विज्ञान परिषद के जिला संयोजक जगदीश सिन्हा एवं व्याख्याता शा उ मा वि गढफ़ुलझर अजय कुमार भोई ने बताया कि पृथ्वी की कर्क और मकर रेखाओं के बीच 21 मार्च से 21 जून के बीच सूर्य की स्थिति एक समय ऐसी होती है कि जब कोई भी वस्तु गुजरती है, तब वस्तु का प्रतिबिंब बेलनाकार अवस्था में होता है। ऐसी स्थिति में छाया शून्य हो जाती है। जिसे हम वस्तु का छाया गायब होना कहते हैं।
उन्होंने बताया कि बसना अंचल में यह घटना 26 मई को 11.55 मिनट पर हुई तथा महासमुंद में 11.58 मिनट पर परछाई ने साथ छोड़ दिया। यह घटना तब होती है, जब पृथ्वी सूर्य का चक्कर काटते हुए 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी होती है। इस समय सूर्य का स्थान पृथ्वी के भूमध्य रेखा के 23.5 उत्तर से 23.5 दक्षिण तक जाता है। इस दौरान वे सभी स्थान जिनका अक्षांश सूर्य और भूमध्य रेखा के बीच के कोण के बराबर होता है, वहां शून्य छाया दिनों का अनुभव किया जाएगा। हर साल 21 दिसंबर से 21 जून के बीच उत्तरायण में कर्क रेखा और दक्षिण में मकर रेखा दक्षिणायन की ओर से सूर्य की गति के दौरान शून्य छाया दिवस पड़ता है। दो दिनों के बीच कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के स्थान विशिष्ट दिनों में शून्य छाया दिवस देखते हैं।
विज्ञान परिषद के जिला संयोजक ने बताया कि अटल टिकरिंग लैब व घरों के बाहर बच्चों ने बेलनाकर वस्तुओं को धूप में रखकर इसे देखा। उन्होंने बोतल, बाइप, पेन व गिलास अपने घर के बार रखा था। उन्होंने देखा कि किसी भी वस्तु की छाया नहीं बनी। यह स्थिति कुछ मिनटों के लिए थी। बाकी दिनों में इसी वस्तुओं को इसी समय रखकर देखने पर इनकी परछाई दिखाई देगी।