राजनांदगांव
15 साल तक सत्ता में रहकर नांदगांव में कितने उद्योग खुलवाए?
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 मई। महापौर एवं प्रदेश महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष हेमा देशमुख ने कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री रहते मनरेगा के कामकाज को लेकर केन्द्र की मनमोहन सरकार से पुरस्कार पाने वाले डॉ. रमन सिंह आज किस मुंह से मनरेगा के श्रमिकों का मखौल उड़ा रहे हैं? प्रदेश में 15 सालों तक राज करने वाले डॉ. रमन सिंह लोगों को बताए कि राजनांदगांव के विधायक और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने राजनांदगांव और जिले के पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कितने उद्योग-धंधे, कारखाने खुलवाएं हैं?
श्रीमती देशमुख ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा भूपेश सरकार में पढ़े-लिखे बेरोजगार मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं दिए गए बयान पर पलटवार करते कहा कि पंद्रह सालों तक ऐसे ही पढ़े-लिखे बेरोजगारों से मनरेगा में मजदूरी कराने वाले डॉ. रमन सिंह आज उन्हीं लोगों का मजाक उड़ा रहे हैं। वैसे भी मनरेगा को लेकर भाजपा और उनके नेताओं का नजरिया शुरू से सकारात्मक नहीं रहा है। मोदी ने तो संसद में यह कहकर मनरेगा का मजाक उड़ाया था कि 21वीं सदी में गांवों के लोग गड्ढे खोदें, यह मैं होने नहीं दूंगा। मेरे विचार से मनरेगा को बंद कर देना चाहिए और अब उसी क्रम को आगे बढ़ाते डॉ. रमन सिंह मनरेगा में काम करने वाले लोगों की मजाक उड़ा रहे हैं।
हेमा देशमुख ने कहा कि डॉ. रमन सिंह को याद होना चाहिए कि वे जब मुख्यमंत्री थे, तब छत्तीसगढ़ में मनरेगा के कामकाज को लेकर केन्द्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने राज्य को कई बार पुरस्कृत किया था। पिछले साल और इस वर्ष लॉकडाउन के कारण कोरोना संकट की घड़ी में जब ग्रामीणों की रोजी रोटी छीन चुकी थी। लोग काम और पैसे की तलाश में बेरोजगार बैठे थे, तब रोजगार गारंटी योजना के तहत मनरेगा से आर्थिक स्थिति मेंं सुधार आया, मनरेगा ही ग्रामीणों का सहारा बनी और कोरोना काल में भी लोगों को रोजगार मिला और आर्थिक संबल मिला।
महापौर ने कहा कि वर्ष 2013 के मई माह में डॉ. रमन सिंह ने विकास यात्रा के माध्यम से राजनांदगांव जिले का भ्रमण कर स्वयं अपनी पीठ थपथपाई थी और उस दौरान मीडिया से बात बरते कहा था कि जिले में बहुत जल्द दो बड़े उद्योग खोले जाएंगे। जिससे हजारों बेरोजगारों को काम करने का अवसर मिलेगा। डॉ.रमन सिंह उस विकास यात्रा के बाद पांच साल तक और मुख्यमंत्री बने रहे, किंतु जिलेवासियों को कोई बड़ा उद्योग-धंधा या कारखाने खोलकर लोगों को रोजगार देने में नाकाम रहे और अब जबकि सत्ता उनके हाथ से चली गई है, तब वे लोगों को भ्रमित करने और अखबारों की सुर्खियों में बने रहने के लिए उलजुलूल बयानबाजी करते आ रहे हैं।