महासमुन्द

छह साल में हाथियों तले 23 मौतें
30-May-2021 7:15 PM
छह साल में हाथियों तले 23 मौतें

हाथी कॉरिडोर बनाने की उठ रही मांग उत्तरी विदानी

महासमुंद, 30 मई  (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुंद जिले में पिछले 15 दिनों के भीतर दंतैल ने तीन लोगों को मार डाला। शनिवार तडक़े एक महिला को दंतैल ने कुचलकर मार डाला, इसे मिलाकर छह सालों में कुल 23 लोगों की मौत हाथी के हमले से हुई है। हालांकि एक साल से सिरपुर के 21 हाथी अन्य जिले में हैं, लेकिन तीन दंतैल अभी भी महासमुंद जिले में हैं और इंसानों को बुरी तरह से मार रहे हैं। 

बेकसूर लोगों को भयानक मौत देने वाले दंतैलों को पागल घोषित कर बेडिय़ों में जकडऩे की मांग अब तेज होने लगी है। भयभीत ग्रामीणों का कहना है कि इन हाथियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो या फिर इसे मार दिया जाए। ग्रामीण कहते हैं कि इंसान अगर किसी हाथी को मार दे तो उसके खिलाफ न्यायालय से सजा का प्रावधान है, लेकिन हाथी हर रोज भोले भाले ग्रामीणों को भयानक मौत दे रहा है, इस पर कोई तो कानून बने। इनका कहना है कि हाथियों से मौत के बाद शरीर के एक-एक हिस्से को टुकड़े-टुकड़े समेटकर परिजन मृतक का अंतिम क्रियाकर्म करते हैं। यह मौत डरावना तो है ही साथ ही भावनाओं को भी बहुत आहत करता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति को हाथी पटक-पटक कर मार रहा होता है और दहाड़ मारकर रोते रिश्तेदार उसे देख रहे होते हैं। 

जिले के ग्राम अरंड के किसान भरत चंद्राकर कहते हैं कि खेत तो खेत, अब ग्रामीण घर और सडक़ में भी हाथियों से सुरक्षित नहीं हैं। वन विभाग को भी पता नहीं रहता कि हाथी कब कहां पहुंच जाए। राजनीति करने वाले कोई भी इस मौत पर मुंह नहीं खोलते। कम से कम इस इलाके में हाथी कोरिडोर बनाकर लोगों की जान बचा लेते? समझ में नहीं आता कि खेती किसानी कैसे करें और परिवार की जिंदगी कैसे बचाएं।

ग्राम कोसरंगी निवासी डोमन उर्फ लाला राम साहू कहते हैं कि अभी लॉकडाउन में लोगों के हाथ में कोई काम नहीं था। कुछ पैसे हाथ आ जाएंगे सोचकर ग्रामीण मनरेगा में जाते हैं लेकिन बीच रास्ते में हाथी मार देता है। वन विभाग कुछ पैसे लाकर परिवार को दे देता है। बस हो गयी खानापूर्ति। उस इंसान के बारे में कोई नहीं सोचता जो बिना मौत बिना कसूर वीभत्स मौत को प्राप्त हुआ। वन विभाग की सुस्ती साफ दिखाई देती है। 

ग्राम लभराखुर्द निवासी 15 एकड़  खेत का मालिक विमल ध्रुव कहते हैं कि पांच साल तक 21 हाथी हमारे खेतों को नुकसान पहुंचाते रहे, हमारे परिवार के लोगों की जिंदगी छीनते रहे। अब वे चले भी गए तो न जाने कहां से तीन दंतैल आ धमके। अब तक दो दर्जन लोगों को हाथी मौत के घाट उतार चुका है। राज्य के वन मंत्री, क्षेत्र के विधायक या अन्य किसी को भी हमारी चिंता नहीं है। 

जिला मुख्यालय महासमुंद निवासी तोषन चंद्राकर कहते हैं कि साल में दो बार धान की फसल लेते हैं। चौबीसों घंटे यही चिंता रहती है कि हाथी न आ जाए। लगता है अब यह हाथी पागल हो गया है। अब यही अच्छा होगा कि इसे बेडिय़ां पहना दिया जाए या फिर मार दिया जाए। जानवरों को बचाने इंसानों की बलि देना उचित नहीं है। अवध राम साहू ग्राम तमोरा कहते हैं कि अब हाथियों से मौत रोका जाए। बहुत हुआ। हम इंसान हैं, और कितना दर्द सहेंगे? जिन रात भय के माहौल में जी रहें हैं। या तो सरकार इस क्षेत्र में हाथी कॉरिडोर बना कर हाथियों के लिए व्यवस्था कर दे या फिर हाथियों को मार दे। 

गौरतलब है कि कल सुबह हुई महिला की मौत समय उसके पति व भांजी ने मौके से भागकर जान बचाई। घटना बागबाहरा वन परिक्षेत्र के ग्राम धरमपुर व बिजराभाठा के बीच की है। तीनों पहट के तीन बजे बाइक से ग्राम बिजराभांठा जा रहे थे। वन विभाग कहता है कि मुनादी के बाद भी ग्रामीण अंधेरे में काम करने निकल रहे हैं और ग्रामीण कहते हैं कि वन अमला सिर्फ बातें करता है। वह गांवों में ईमानदारी से न तो मुनादी कराता है और न हीं कोई अमला भेजता है। उसे तो हाथियों का लोकेशन तक नहीं मालूम। 

वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत कहते हैं कि बागबाहरा वन परिक्षेत्र में दो दंतैल ने ग्राम धरमपुर निवासी बिसाहिन बाई लोहार 40 की जान ले ली। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम घटना स्थल पहुंची थी और परिजनों को 25 हजार रुपए आर्थिक सहायता राशि दी गई है। 

वन मंडलाधिकारी के इस बयान पर हाथी भगाओ दल के संयोजक राधे लाल सिन्हा का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही सामने है। सरकारी अमले और सरकार को आम लोगों के जान की परवाह नहीं है। हमारे ग्रामीण रोज बेमौत मर रहे हैं। वन विभाग के 20-25 हजार रुपए फेंकने से कोई मुर्दा इंसान जी नहीं जाता।  

 डिप्टी रेंजर कमल नामदेव कहते हैं-दो दंतैल शुक्रवार की रात जिवतरा पहाड़ी कंपार्टमेंट नंबर 79 में थे। इसकी सूचना पहले से ही मिल गई थी। हाथियों के मूवमेंट को देखते हुए धरमपुर, बिजराभांठा सहित आसपास के गांवों में मुनादी कराते हुए ग्रामीणों को दंतैल की सूचना दी गई थी। ग्रामीणों को बताया गया था कि दंतैल गांव के आसपास है। इसके अलावा दंतैलों के आवागमन पिछले सप्ताह भर से था। इसे देखते हुए लगातार गांवों में मुनादी कराई जा रही थी। इसके बावजूद ग्रामीण काम के लिए अंधेरे में निकल गए।

डीएफ ओ पंकज राजपूत का कहना है कि लोकेशन के आधार पर लगातार गांवों में विभाग की ओर से मुनादी कराई जा रही है। ग्रामीण मान नहीं रहे हैं और रात में मजदूरी के लिए निकल रहे हैं। दंतैल के खाने व पीने की व्यवस्था जंगल में है, लेकिन जंगल में लोग पहुंच रहे हैं इसलिए हाथी जंगल से बाहर आ रहे हैं। विभाग की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है कि दंतैल से जनहानि न हो।

विधायक विनोद चंंद्राकर का कहना है कि हां ग्रामीणों का इस तरह मार दिया जाना बेहद दुखद है। मिल-बैठकर इसका हल निकालेंगे। 
 

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news