राष्ट्रीय
मनोज पाठक
पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में शहरों से लेकर कस्बों और गांवों में भी चुनावी रंग अब धीरे-धीरे चढ़ने लग गया है। शहर के चौराहों से लेकर गांवों के चौपालों तक में चुनावी चर्चा का दौर जारी है। लोग चौपालों में बैठकर सरकार बना रहे और गिरा रहे हैं। इस बीच, राजनीतिक शॉपिंग भी जोरों पर है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी 'नेता जी' बनने की शौक पाले इस चुनावी मौसम में पायजामा और कुर्ता, बंडी की खरीदारी कर रहे हैं।
ऐसे में राजधानी से कस्बों तक में खादी की दुकानों और टेलरों के दुकानों में नेताओं की खूब भीड़ लग रही है। सभी राजनीतिक दल के नेता अब ना केवल खादी के कुर्ता और पायजामा के कपड़े खरीद रहे हैं बल्कि ये फैशनेबल नेता कपड़ों के रंगों का भी बारीकी से चयन कर रहे हैं।
क्षेत्रीय नेता अपने-अपने दल के प्रमुख नेताओं की स्टाइल का ना केवल वस्त्र पहनने की चाहत रखते हैं बल्कि वो ऐसे स्टाइल के कपड़े भी खरीद रहे हैं। भाजपा के कार्यकर्ता जहां नरेन्द्र मोदी के स्टाइल में कुर्ता बनवा या खरीद रहे हैं जबकि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता की पसंद राहुल गांधी के स्टाइल के पायजामा और कुर्ता बना हुआ है।
पटना के वीरचंद पटेल पथ के पास खादी कपड़ा दुकानों ने टेलरों की संख्या बढ़ा दी है। कोरोना काल की मंदी के बाद इसे उबरने के लिए दुकानदार और टेलर भी किसी ग्राहक को वापस नहीं लौटने दे रहे हैं। इन दुकानों पर दिन के प्रारंभ होते ही ग्राहकों की भीड़ लग रही है। इन दुकानों में देर रात तक सिलाई का कार्य चल रहा है।
एक आम कारीगर भी प्रतिदिन 7 से 8 जोड़ा कुर्ता-पायजामा बना रहे हैं।
करीब 10 वर्षो से दर्जी का काम कर रहे मकसूद आलम कहते हैं कि चुनाव की घोषणा के बाद से ही कुर्ता-पायजामा सिलवाने वालों की संख्या बढ़ गई है। वे कहते हैं कि नेता अपने-अपने खास स्टाइल के कुर्ता-पायजामा सिलवा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कई नेता तो दो से तीन घंटे में कुर्ता और पायजामा सिलवाने की गुहार लगा रहे है। हमलोग भी इन्हें निराश नहीं कर रहे हैं। साधारण कुर्ता-पायजामा के लिए 400 से 500 रुपए में तैयार हो रहा है।"
वे कहते हैं कि कई दुकानदारों के यहां चौबीस घंटे कार्य हो रहा है। टेलरों के लिए तो यह चुनाव वारदान साबित हुआ है।
हाईकोर्ट के पास टेलर दुकान चलाने वाले मोहम्मद खालिद कहते है, "यह चुनाव तो वरदान साबित हुआ है। कोरोना काल में तो भूखमरी की स्थिति बन गई थी। इस चुनाव से बाहर से भी ग्राहक आ रहे हैं।"
इधर, महिला राजनीति कार्यकर्ता भी सूती साड़ी खरीद रही हैं। इस चुनाव में महिलाओं की पसंद कॉटन, कोटा चेक, तांत की साड़ियां पहली पसंद बनी हुई हैं।
एक खादी कपड़ों के दुकानदार बताते हैं कि खादी के कई प्रकार बाजार में उपलब्ध हैं लोग चरखा खादी, मटका खादी, हैंडलूम खादी, अकबरपुरी खादी और मसलीन खादी काफी पसंद कर रहे हैं। आजकल लोग सफेद खादी के बजाय गहरे रंग के खादी ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में ऐतिहासिक अटल टनल को देश को समर्पित किया।
अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग टनल है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी है। इस टनल से पूरे साल मनाली कोलाहौल-स्पीति घाटी जुड़ी रहेगी। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी।
यह टनल हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3,000 मीटर यानी 10,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सडक़ की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सुगांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सडक़ मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है।
अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है।
हाथरस में हुए कथित गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने फ़ोरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि दलित लड़की से बलात्कार नहीं हुआ था.
यूपी पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "एफ़एसएल (फ़ोरेंसिक साइंस लेबॉरेटरी) रिपोर्ट के अनुसार, विसरा के सैंपल में कोई वीर्य/सीमन या उसका गिरना नहीं पाया गया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है कि हमले के बाद जो ट्रॉमा हुआ उसके कारण मौत हुई है. अधिकारियों के बयान के बावजूद कुछ ग़लत ख़बरें फैलाई जा रही हैं."
उन्होंने कहा, "इससे स्पष्ट होता है कि ग़लत तरीक़े से जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीज़ें कराई गईं. पुलिस ने शुरू से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है और आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी."
यूपी पुलिस के इस बयान के बाद उसकी आलोचना हो रही है.
पीड़िता की विसरा रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है लेकिन यूपी पुलिस ने बयान में साफ़ कह दिया है कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ था.
क्या सिर्फ़ सीमन या वीर्य के निशान पाए जाने से ही भारतीय दंड संहिता में बलात्कार का मामला बनता है? इस रिपोर्ट में हम यही जानने का प्रयास करेंगे.
रेप पर क्या कहता है भारतीय क़ानून?
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में साल 1860 में ही बलात्कार को अपराध मानते हुए इससे जुड़ी धाराओं को शामिल किया गया था. आईपीसी की धारा 375 (1) 'बलात्कार' शब्द को क़ानूनी रूप से परिभाषित करती है.
आईपीसी के तहत अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी सहमति या जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह बलात्कार की श्रेणी में आता है. यहां पर सहमति को भी परिभाषित किया गया है. महिला अगर किसी इच्छा के कारण, मौत या चोट पहुँचाने के डर से भी सहमति दे रही है तो वह भी बलात्कार की श्रेणी में आएगा.
धारा 375 में ही साफ़ किया गया है कि संभोग के दौरान सिर्फ़ पेनिट्रेशन होना ही बलात्कार के लिए काफ़ी माना जाएगा.
अनुच्छेद 376 के तहत बलात्कार मामलों में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है.
2012 में निर्भया गैंगरेप की घटना के बाद भारत के बलात्कार और यौन हिंसा से जुड़े क़ानूनों में बड़े बदलाव हुए, जिसमें बलात्कार और यौन हिंसा की परिभाषा के दायरे को बढ़ाया गया.
जस्टिस जे.एस. वर्मा की सिफ़ारिशों के बाद संसद से 2013 में आपराधिक क़ानून (संशोधन) अधिनियम पारित किया गया. इसके तहत बलात्कार मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया.
बलात्कार के मामले में अगर पीड़िता की मौत हो जाती है या वह किसी अचेतन अवस्था में चली जाती है तो उसमें अधिकतम मौत की सज़ा का प्रावधान है.
साथ ही इसी क़ानून के बाद किसी महिला का पीछा करने और उसको लगातार घूरने को भी आपराधिक श्रेणी में डाला गया था.
सीमन नहीं पाया गया तो रेप नहीं?
दिल्ली हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों के वकील जयंत भट्ट कहते हैं कि बलात्कार साबित करने के लिए महिला के शरीर पर सीमन या वीर्य का होना ज़रूरी नहीं है.
वो कहते हैं, "सीमन या वीर्य शरीर पर पाए जाने को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फ़ैसले भी हैं, जहां पर न्यायालय ने सीमन होने या न होने को ज़रूरी नहीं माना है. निर्भया गैंगरेप मामले के बाद जो क़ानून में बदलाव हुए उसके बाद रेप की परिभाषा बहुत व्यापक हो चुकी है. अब सिर्फ़ वेजाइनल पेनिट्रेशन (महिला-पुरुष के बीच प्राकृतिक संबंध) को ही रेप नहीं माना जाएगा बल्कि किसी भी तरह के पेनिट्रेशन को धारा 375 और 376 में शामिल कर दिया गया है. इसमें एक उंगली के ज़रिए किया गया पेनिट्रेशन भी शामिल है."
परमिंदर उर्फ़ लड़का पोला बनाम दिल्ली सरकार (2014) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को सही माना था जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि सीमन का शरीर पर होना बलात्कार साबित करने के लिए आवश्यक नहीं है.
द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने हाथरस के एसपी विक्रांत वीर के हवाले से लिखा था कि पीड़िता ने 22 सितंबर को होश में आने के बाद मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था और उसने आरोप लगाया था कि उसका गैंगरेप हुआ है.
हाथरस मामले में बलात्कार हुआ है या नहीं हुआ है, इस पर पोस्टमॉर्टम, एफ़एसएल या विसरा रिपोर्ट को एक बार अलग रख दें और सिर्फ़ पीड़िता के बयान को देखें तो वो कितना मायने रखता है?
इस सवाल पर वकील जयंत भट्ट कहते हैं, "कोई पीड़िता अगर मौत से पहले मैजिस्ट्रेट के सामने आख़िरी बयान देती है तो उसे 'डाइंग डिक्लेरेशन' माना जाता है और ऐसे मामलों में मैंने जितने भी केस लड़े हैं उनमें अधिकतर कोर्ट अंतिम बयान को पीड़िता का सच बयान मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि इंसान अपने आख़िरी वक़्त में झूठ नहीं बोलता है और यह बयान इस मामले में सबसे अहम कड़ी साबित होने वाला है."
जयंत भट्ट कहते हैं कि इस मामले को सिर्फ़ गैंगरेप के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें हत्या का मामला भी शामिल है और इसमें मौत की सज़ा का प्रावधान है.
एफ़एसएल रिपोर्ट के हवाले से यूपी पुलिस ने यह बयान ज़रूर दिया है लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है जिससे यह साबित हो कि उसमें रेप की पुष्टि हुई है या नहीं. हालांकि, बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक से यह पुष्टि हुई है कि बलात्कार के मामले के लिए शरीर पर सीमन या वीर्य पाया जाना ज़रूरी नहीं है.(bbc)
पणजी, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| पणजी में पांच सितारा होटल के बाहर विरोध प्रदर्शन करने को लेकर पुलिस ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष संकल्प अमोनकर सहित करीब एक दर्जन पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। गौरतलब है कि इसी होटल के बाहर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावडेकर रात के दौरान ठहरे हुए थे। कार्यकर्ता केंद्रीय मंत्री से मिलने की मांग कर रहे थे।
यह घटना शुक्रवार मध्यरात्रि के ठीक बाद की है। जावडेकर हाल ही में संसद द्वारा पारित किए गए विवादास्पद कृषि बिलों को लेकर किसान समूहों के साथ बैठक करने के लिए गोवा आए हुए हैं।
कांग्रेस वेता गिरीश चोडानकर ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा घेरे जाने और पणजी पुलिस स्टेशन में हिरासत में लेने के बाद ट्वीट किया, "गोवा में जंगल राज। गोवा डीजीपी ने गोवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष संकल्प अमोनकर, जाना भंडारी, वरद मडरेल्कर, एडवोकेट अर्चित नाइक, मेघश्याम राउत, सुदीन नाइक और अन्य 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। ये सभी प्रकाश जावडेकर से मिलने की मांग कर रहे थे और पणजी के होटल के लॉबी में इंतजार कर रहे थे।"
विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस स्टेशन में ले जाने के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए अमोनकर ने कहा कि जावडेकर से मिलने और महादेई अंतर्राज्यीय नदी जल बंटवारे मुद्दे पर चर्चा करने के लिए औपचारिक अपॉइंमेंट के लिए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल यहां होटल में पहुंचा था।
अमोनकर ने कहा, "हमें सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया जा रहा है, क्योंकि हम केंद्रीय मंत्री से मिलना चाहते हैं।"
गौरतलब है कि कांग्रेस ने अतीत में आरोप लगाया था कि जावड़ेकर महादेई नदी जल बंटवारे मामले में कर्नाटक का पक्ष ले रहे हैं।
हालांकि पुलिस ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने मध्यरात्रि के बाद जावडेकर से मिलने की जिद की। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "यह सिर्फ कानून और व्यवस्था की स्थिति से बचने के लिए एक एहतियातन गिरफ्तारी थी।"
नई दिल्ली। देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पड़पोते राजरतन अंबेडकर ने एक वीडियो पोस्ट के जरिए हाथरस कांड की पोल खोलकर रख दी है। राजरतन ने वीडियो में हाथरस के जिला प्रशासन और मेडिकल स्टाफ की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। राजरत्न अंबेडकर ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज है और हाथरस के पीडि़त परिवार की लड़ाई अंबेडकर परिवार लड़ेगा।
अपने वीडियो पोस्ट में वह यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 'आज सुबह पांच बजे हम हाथरस के लिए निकले। हाथरस के एसपी ने हमें गांव तक जाने से रोका। फिर भी हम वहां सपा-बसपा के प्रदर्शन में शामिल हुए। फिर मेरी यहां पर जिलाधिकारी से एक घंटे तक चर्चा हुई। एफआईआर और मेडिकल की कॉपी हम लोगों ने देखी है। इसलिए मैं यह सच देश और दुनिया के लोगों को बताना चाहता हूं।'
राजरतन आगे कहते हैं कि 'किसी की साइकिल भी गुम हो जाती है तो दो पन्नों की एफआईआर है। पहली बात तो यह बात को अजीब लगती होगी कि जब ब्राह्मणों की बच्ची से बलात्कार होता है तो उसकी पहचान छिपा कर रखते हैं, उसका नाम भी नहीं पता होता है। निर्भया का नाम बताइए मुझे क्या है? लेकिन हमारी बच्ची का पहले दिन से उसकी पहचान बतायी गई कि वह मनीषा वाल्मिकी है, यानि वह वाल्मिकी समुदाय से है बाकि किसी को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है।'
'एफआईआर हम लोगों ने देखा सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर है, गैंगरेप केस का सिर्फ चार वाक्यों का एफआईआर लिखा गया है। चार वाक्यों में क्या है मां का नाम, भाई का नाम और मनीषा का नाम लिखा है। ये तीनों रात की साढ़े नौ बजे खेत पर बाजरा काटने गये थे। भाई घर में घास रखने जाता है, फिर जो ठाकुर लड़का है वह मनीषा का गला दबाता है और उतने में मां चिल्लाती है और भाई दौड़ कर आ जाता है और ये ठाकुर लड़का भाग जाता है। बस इतना ही वाकिया एफआईआर में बताया गया है। अब पुलिस की थ्येरी क्या है ये देखिए। पुलिस की थ्येरी है कि उसने सिर्फ गला दबाया था और भाई आ गया तो वह भाग गया, फिर लड़की गिर गई और गिरने के बाद एक ईंट पर गले के पीछे का भाग टकरा गया और जबान बाहर आई और जबान बाहर आने के बाद दांतों के नीचे वह कट गयी।'
'14 सितंबर को यह गैंगरेप होता है, 22 सितंबर को मेडिकल होता है। आठ दिनों के बाद मेडिकल रिपोर्ट की जाती है। मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि कहीं भी शरीर पर चोट नहीं है। इसलिए मैने कहा कि लड़की को कुछ हुआ ही नहीं वो अपने आप मर गई। क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट कहता है न तो बलात्कार की कोशिश की गई है, खरोंच तक नहीं मेडिकल रिपोर्ट में। जितने भी मेडिकल डॉक्टर्स हैं सारे ठाकुर हैं, खुद डीएम ठाकुर हैं, गुनहगार ठाकुर हैं, सभी लोग यहां पर ठाकुर हैं। इसलिए इनपर कोई बात न आये, इन्होंने मेडिकल रिपोर्ट दूसरे जिले से बनवाई है।'
'आज मैं सुप्रीम कोर्ट के वकील साथ में लेकर गया था। उनकी सारी थ्येरी हमने सुनी और देखिए मेरे पर किस तरह का प्रेशर था। मुझे डीएम कहता है कि आप यहां से घोषणा करो कि रेप हुआ ही नहीं था। इस तरह का दबाव मेरे ऊपर आ सकता है, तो सोचिए पीड़ित परिवार पर कितना होगा। हमको परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है। गांव को बंद करके रखा हुआ है और कह रहे हैं कि गांव में तनाव है। तो यह तनाव किसने पैदा किया? पूरी पुलिस और मेडिकल स्टाफ इसमें शामिल है।'
'पुलिस प्रशासन इतने निचले स्तर पर गिरी हुई है उत्तर प्रदेश की कि सही में जंगलराज क्या होता है वहां पर जाकर देखलो। यह नैचुरल है कि पीड़ित परिवार यह केस नहीं लड़ेंगे। क्योंकि एक बच्ची को वह गंवा चुके हैं, वह अपने बेटे और बीवी को नहीं गंवाना चाहते हैं। इसलिए उनके ऊपर बहुत प्रेशर है। जब हमने उनसे पूछा कि आपने रात के ढाई बजे उस बच्ची के शव को क्यों जलाया तो कहते हैं कि ये परिवार उस शव को लेकर बार्गेनिंग कर रही थी कि एक लाख दो, दो लाख दो, दस लाख दो और जब फिर जब इनका पच्चीस लाख पर डन हो गया तब शव को जला दिया। ये पुलिस की थ्येरी है।'(sabrangindia)
बेंगलुरु, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| संसद में विवादास्पद कृषि विधेयकों को पारित करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता एम. मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कहा कि मोदी देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के दिए नारे 'जय जवान, जय किसान' के बजाय 'मारो जवान, मारो किसान' में विश्वास करते हैं।
यहां कर्नाटक कांग्रेस भवन में महात्मा गांधी और दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के उपलक्ष्य में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद अपने संबोधन में खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी की नीतियां- चाहे वह नोटबंदी हो, जल्दबाजी में जीएसटी लागू करना हो, या तीनों कृषि विधेयकों को पारित कराना हो--ये तीनों बिल कुछ और नहीं, बल्कि यह भविष्य में 'मारो जवान, मारो किसान' की प्रतिध्वनि हैं।
उन्होंने कहा, "मोदी को हमारे देश का इतिहास पढ़ना चाहिए। कम से कम उन्हें चंपारण सत्याग्रह के बारे में पढ़ना चाहिए। इस सत्याग्रह में, वे किसान थे जो महात्मा गांधी के पीछे खड़े थे और इसने पूरे स्वतंत्रता संग्राम का चेहरा बदल दिया।"
उत्तर प्रदेश सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए खड़गे ने कहा कि देश में दलितों को उनकी राजनीतिक आजादी मिली है, लेकिन वे सामाजिक स्वतंत्रता हासिल करने से बहुत दूर हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों के साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा है, इसे देखने के लिए हर कोई मौजूद था।
खड़गे ने यह भी सवाल किया कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांग्रेस नेताओं के साथ बदसलूकी कैसे कर सकती है? हमारे नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सबसे शांतिपूर्ण तरीके से हाथरस जा रहे थे। वे बार-बार कह रहे थे कि वे अकेले चले जाएंगे, लेकिन पुलिस ने उनकी बात सुनने के बजाय उनके साथ हाथापाई की। यह सत्ता में होने के दंभ का मामला है।
मध्यप्रदेश के नरसिंह पुर में एक महिला गाँधी जयंती के दिन फांसी पर लटकी मिली जिसका आरोप था कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है. पुलिस ने इस मामले में बताया-"वह 28 सितम्बर को शिकायत दर्ज़ कराने थाने आयी थी लेकिन उसकी शिकायत दर्ज़ नहीं हुई थी. हमने अब शिकायत दर्ज़ की है और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है."
नयी दिल्ली 03 अक्टूबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण संक्रमितों की संख्या शुक्रवार देर रात 64 लाख को पार गई जबकि इसके संक्रमण से देश में एक लाख अधिक लोगों की मौत हो गई हैं।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक आज देर रात तक 53,496 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 64,26,789 हो गयी है और इस दौरान 568 और मरीजों की मौत होने से मृतकाें की संख्या एक लाख को पार कर करीब 1,00,148 पर पहुंच गयी है।
राहत की बात यह है कि देश में नये मामलों की तुलना में कोरोना वायरस से निजात पाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस दौरान 60,181 और लोगों के स्वस्थ होने से रोग मुक्त लोगों की संख्या 53,82,979 हो गयी है। देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले आज 7253 कम होने के साथ 9,42,744 रह गये हैं।
महाराष्ट्र 2,59,006 सक्रिय मामलों के साथ शीर्ष पर है। कर्नाटक एक लाख से अधिक 1,10,412 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है जबकि इस बीच केरल 72,339 सक्रिय मामलों के साथ तीसरे स्थान पर आ गया है।
कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण के 16,476 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या शुक्रवार रात बढ़कर 14 लाख के पार 14,00,922 पहुंच गयी।
राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में मामूली कमी दर्ज की गयी लेकिन फिर भी सक्रिय मामलों में कमी आयी है। सक्रिय मामलों की संख्या 27 और घट कर 2,59,006 रह गयी।
इस दौरान 16,104 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 11,04,426 हो गयी है तथा 394 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 37,056 हो गयी है। राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 78.83 फीसदी पहुंच गयी है वहीं मृत्यु दर महज 2.64 प्रतिशत है।
जयपुर, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाथरस दुष्कर्म और हत्या मामले की गरमी जयपुर तक पहुंच गई है। यहां शुक्रवार को गुस्साए लोगों ने हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के घर के आगे कूड़ा फेंककर अपनी नाराजगी जाहिर की। दरअसल, एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कुमार पीड़िता के परिजनों को धमकाते नजर आ रहे हैं। इसी से गुस्साए लोगों ने वैशाली नगर स्थित उनके आवास पर जाकर कूड़ा डाल दिया।
पुलिस ने सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर लोगों को वहां से हटा दिया।
साथ ही सफाईवालों को बुलाकर कूड़ा भी हटा लिया गया।
एसएचओ अनिल जैमान ने कहा है कि कुमार के घर में सिर्फ किराएदार रहते हैं।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| चालू खरीफ विपणन सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रगति में है। सरकारी एजेंसियों ने एक अक्टूबर तक करीब दो लाख टन धान सीधे किसानों से खरीद लिया था। नये कृषि कानून पर किसानों के विरोध की एक मुख्य वजह एमएसपी पर फसलों की खरीद को लेकर उनके मन में बनी आशंका है जिसे दूर करने के लिए इस साल सरकार ने एक खरीफ विपणन सीजन एक अक्टूबर से शुरू होने के पांच दिन पहले ही पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू करने की इजाजत दे दी थी।
धान के साथ-साथ अन्य फसलों की भी सरकारी खरीद जगह-जगह शुरू हो चुकी है। हरियाणा में एक अक्टूबर से कपास की खरीद एमएसपी पर शुरू हो चुकी है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से शुक्रवार को मिली जानकारी के अनुसारख् एक अक्टूबर तक 1,97,136 लाख टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी थी।
मंत्रालय ने कहा कि 373.194 करोड़ मूल्य का धान खरीदा जा चुका है जिसका लाभ 15,705 किसानों को मिला है।
मंत्रालय के मुताबिक अगले एक सप्ताह में धान की सरकारी खरीद जोर पकड़ेगी।
सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए सामान्य वेरायटी के धान का एमएसपी 1,868 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया है जिस पर सरकारी एजेंसियां धान की खरीद कर रही हैं।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक युवती के साथ कथित तौर पर हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में यहां जंतर-मंतर पर शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में शामिल हुए। केजरीवाल ने दुष्कर्म मामले में आरोपियों को सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने मांग की कि कथित दोषियों को फांसी की सजा दी जाए ताकि देश में ऐसी घटना कभी न दोहराई जाए।
केजरीवाल के साथ आम आदमी पार्टी (आप) के कई वरिष्ठ नेताओं और स्वयंसेवकों ने 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की हालिया घटना में न्याय की मांग करते हुए भाग लिया।
घटना के दिन से पीड़िता के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में आप नेता भी सबसे आगे रहे हैं। कई राज्यों के पार्टी नेता इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा, मैं यहां भाषण देने के लिए नहीं हूं, हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारी बेटी की आत्मा को शांति प्रदान करें।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, उन्हें (दोषियों को) कठोरतम सजा दी जानी चाहिए, ताकि दुनिया में कोई भी इस तरह की घटना दोहराने की कोशिश न करे।
उन्होंने कहा, कुछ लोगों को लग रहा है कि दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है और पूरी घटना को कवर किया जा रहा है, जोकि गलत है। जो हुआ वह बहुत दर्दनाक है और पीड़िता के खिलाफ एक वीभत्स कार्य किया गया है, जिससे उसने अपनी जान गंवा दी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथरस सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के साथ हुए व्यवहार एवं हिंदू धार्मिक रीति रिवाजों के खिलाफ रात में उसका दाह संस्कार करने के लिए उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की।
केजरीवाल ने कहा कि पीड़िता से न केवल आरोपियों ने अमानवीय व्यवहार किया बल्कि उत्तरप्रदेश की सरकार ने भी उससे गलत व्यवहार किया। केजरीवाल ने कहा, हिंदुओं में रात के समय दाह संस्कार नहीं किया जाता है, लेकिन हमारे धार्मिक रिवाजों के खिलाफ उसका अंतिम संस्कार रात में किया गया।
कासगंज (यूपी), 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने हाथरस में दरिंदगी की शिकार बिटिया के परिवार वालों को सुरक्षा देने की मांग उठाई है। विहिप ने कहा है कि घटना की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर हत्यारों को शीघ्र फांसी पर लटकाया जाए। कासगंज में शुक्रवार को हुई विहिप के बृज प्रांत की बैठक में बोलते हुए विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि बेटियों की सुरक्षा और मजबूत करने के लिए हम समाज को जागरूक कर उनके आत्म रक्षार्थ प्रशिक्षण कार्यक्रमों में और तेजी लाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी बेटियों को दरिंदे उठा ले जाते हैं और समाज मूकदर्शक बना रहता है। हम इन सब स्थितियों को ठीक करेंगे।
बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि देश में विभिन्न स्थानों पर हो रहीं महिला उत्पीड़न व दुष्कर्म की घटनाएं चिंताजनक हैं। हाल ही में हाथरस जिले में हुई घटना ने तो सम्पूर्ण देश को हिला कर रख दिया है। विश्व हिन्दू परिषद बृज प्रांत की प्रांत बैठक में बहन- बेटियों की सुरक्षा के लिए लोगों से आगे आने की अपील की गई। इस दौरान दुर्गा वाहिनी की ओर से बेटियों के आत्म रक्षार्थ संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम में तेजी लाने का निर्णय हुआ।
इस दौरान विहिप ने चार सूत्रीय मांगपत्र राज्य सरकार के सामने रखा। विहिप ने पीड़ित परिवार को सुरक्षा और उचित मुआवजा, घटना की जांच शीघ्र पूरी कर, मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करने की मांग उठाई। हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी की सजा देने के साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की मांग की।
कासगंज के विक्रम गेट स्थित राव महेंद्र सिंह सरस्वती शिशु मंदिर में हुई इस बैठक में विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री राघवल्लू, क्षेत्रीय संगठन मंत्री मनोज वर्मा, प्रांत मंत्री राजीव सिंह सहित प्रांत की टोली, जिलों के अध्यक्ष, मंत्री, बजरंगदल व दुर्गा वाहिनी पदाधिकारी उपस्थित रहे।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने उत्तर प्रदेश के हाथरस में दरिंदगी की शिकार लड़की की मौत के मामले में शासन-प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर वो कोरोना पॉजिटिव न होतीं तो खुद हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मिलतीं। एम्स ऋषिकेश के कोरोना वार्ड में भर्ती उमा भारती ने शुक्रवार को इस घटना पर बयान जारी कर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए कहा, "आपको जानकारी होगी ही कि मैं कोरोना पॉजि़टिव होने से एम्स ऋषिकेश में कोरोना वार्ड में भर्ती हूं। मैंने हाथरस का समाचार सुना। पहले तो मुझे लगा की मै न बोलूं क्योंकि आप इस संबंध में ठीक ही कार्रवाई कर रहे होंगे। किन्तु जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेराबंदी की है, उसके कितने भी तर्क हों, लेकिन इससे विभिन्न आशंकाएं जन्म लेती हैं।"
उमा भारती ने कहा, "वह एक दलित परिवार की बिटिया थी। बड़ी जल्दबाजी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्ठि की और अब परिवार एवं गांव की पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर दी गयी है। मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं है की एसआइटी जांच में परिवार किसी से मिल भी न पाए। इससे तो एसाईटी की जांच ही संदेह के दायरे में आ जाएगी।" उमा भारती ने कहा कि इस घटना से सरकार और पार्टी की छवि पर आंच आई है।
उमा भारती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साफ-सुथरी छवि का शासक बताते हुए अनुरोध किया कि पीड़ित परिवार से मीडियाकर्मियों और नेताओं को मिलने की अनुमति दें। उमा भारती ने खुद को बड़ी बहन बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि आग्रह है कि वे सुझावों को अमान्य न करें।
मनाली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रोहतांग र्दे के पास रणनीतिक तौर पर अहम अटल सुरंग (टनल) के उद्घाटन से एक दिन पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए सुरंग का निरीक्षण किया। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां पास के एसएएसई हेलीपैड पहुंचने पर रक्षा मंत्री का स्वागत किया।
राजनाथ के साथ ही केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री सिंह ने अटल सुरंग का दौरा किया।
उन्होंने सुरंग के उत्तर और दक्षिण पोर्टल्स का भी दौरा किया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने रक्षा मंत्री को अटल सुरंग की मुख्य विशेषताओं और रणनीतिक महत्व की इस परियोजना के उद्घाटन से जुड़ी तैयारियों के बारे में जानकारी दी।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने मोदी द्वारा संबोधित किए जाने वाले कुल्लू जिले के सोलांग और लाहौल-स्पीति जिले के सिसु में रैली स्थलों का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया।
मोदी शनिवार को रोहतांग में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सभी-मौसम के लिए खोली जाने वाली अटल सुरंग का उद्घाटन करेंगे। यह दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया है कि समारोह सुबह 10 बजे आयोजित किया जाएगा।
अटल सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम करती है और यात्रा के समय को भी चार से पांच घंटे कम कर देती है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इससे पहले घाटी हर साल लगभग छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी। सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है।
इस टनल में हर रोज तीन हजार कार और डेढ़ हजार ट्रक गुजर सकेंगे। टनल के भीतर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तय की गई है। टनल के भीतर सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम होगा। यहां किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तमाम व्यवस्था भी की गई है।
टनल के भीतर सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। दोनों ओर एंट्री बैरियर रहेंगे। हर डेढ़ सौ मीटर पर आपात स्थिति में संपर्क करने की व्यवस्था होगी। हर 60 मीटर पर आग बुझाने का संयंत्र होगा। इसके अलावा हर ढाई सौ मीटर पर दुर्घटना का स्वयं पता लगाने के लिए सीसीटीवी का इंतजाम भी किया गया हैं। यहां हर एक किलोमीटर पर हवा की क्वालिटी जांचने का भी इंतजाम है।
इस टनल को बनाने का एतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखने का फैसला किया था।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| वरिष्ठ वकील और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सत्यपाल जैन ने कहा है कि लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट, जिसने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दोषी ठहराया था, वह निराधार और गलत तथ्यों पर आधारित थी।
जैन ने लिब्रहान आयोग से पहले आरोपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं का प्रतिनिधित्व किया था।
जैन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी हैं। उन्होंने बाबरी विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत के फैसले के बाद आईएएनएस से एक विशेष साक्षात्कार में खुलकर बातचीत की।
लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 30 सितंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कई अन्य लोग शामिल हैं। साक्ष्यों के अभाव और अदालत के सामने घटना पूर्व नियोजित होने के संबंध में पर्याप्त तथ्य नहीं होने के चलते सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
बाबरी ढांचे से संबंधित विवाद करीब 500 साल पुराना रहा है। जिस स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ था, उसे हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। मस्जिद को छह दिसंबर, 1992 को कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह की ओर से ध्वस्त कर दिया गया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री पी. वी. आर. नरसिम्हा राव थे।
संयोग से सत्यपाल जैन भी विध्वंस के दिन अयोध्या में अन्य भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेताओं के साथ मौजूद थे।
विवादित ढांचे के विध्वंस और इसके बाद अयोध्या में हुए दंगों की जांच के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 1992 में लिब्रहान आयोग का गठन किया था। लिब्रहान आयोग का नेतृत्व हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम. एस. लिब्रहान ने किया।
आयोग को हालांकि तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन रिपोर्ट पेश करने में हर बार देरी होती चली गई और आयोग को रिपोर्ट पेश करने के लिए 48 बार समयसीमा दी गई।
अंत में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद एकल व्यक्ति आयोग ने जून 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रिपोर्ट सौंपी। नवंबर 2009 में संसद में पेश की गई रिपोर्ट में 68 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से ज्यादातर भाजपा के शीर्ष नेता थे, जिन पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने मस्जिद के विध्वंस की सुनियोजित योजना बनाई।
जैन ने तर्क देते हुए कहा, "पहली बात यह कि भाजपा और आरएसएस का पूरा शीर्ष नेतृत्व आयोग के समक्ष उपस्थित हुआ था, मगर तब किसी ने भी सवाल नहीं उठाया।"
वरिष्ठ अधिवक्ता ने आयोग के समक्ष आडवाणी, उमा भारती और अन्य का प्रतिनिधित्व किया था।
जैन ने कहा, "दूसरी बात यह है कि आयोग द्वारा 17 साल की जांच के दौरान गैर-भाजपा दलों (कांग्रेस, संयुक्त मोर्चा और कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग) 11 साल तक सत्ता में रहे। 2009 में लिब्रहान की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस पांच साल तक सत्ता में रही।"
उन्होंने कहा, "लेकिन वे ट्रायल के दौरान भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ अपने आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सके।"
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह नरसिम्हा राव, देवगौड़ा, आई. के. गुजराल और मनमोहन सिंह की सरकार की जिम्मेदारी थी कि वे नेताओं के खिलाफ सबूत इकट्ठा करते, मगर वे किसी भी तरह के झूठे सबूत भी पेश करने में बुरी तरह विफल रहे।
जैन ने कहा कि लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट जारी होने के बाद भी, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 2014 तक कोई सबूत नहीं जुटा सकी।
जैन ने कहा कि जब युवा कार्यकर्ताओं के समूह ने विध्वंस किया, तब भाजपा के सभी शीर्ष नेता बाबरी मस्जिद के गुंबदों से 1000 मीटर की दूरी पर धरने थे। उन्होंने कहा, "28 वर्षों में कोई भी संरचनाओं को ध्वस्त करने वाले किसी भी नेता की एक भी तस्वीर तक पेश नहीं कर सका है।"
उन्होंने कहा कि सभी नेताओं ने हिंसक भीड़ को कानून का पालन करने के लिए कई अपील की थी। जैन ने कहा, "लिब्रहान रिपोर्ट निराधार है और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने पर आधारित है।"
चंडीगढ़ के पूर्व सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता जैन को 30 जून, 2023 तक एक और कार्यकाल के लिए केंद्र द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में फिर से नियुक्त किया गया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) ने उन अफसरों पर सख्ती बरती है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है। अब नई व्यवस्था के तहत सभी मंत्रालयों को रिटायरमेंट से कम से कम 30 दिन पहले मुकदमे में फंसे अफसरों की फाइल सीवीसी की टेबल पर पेश करनी होगी। ताकि रिटायरमेंट से पहले ऐसे अफसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो सके।
आईएएनएस के पास सीवीसी के डायरेक्टर जे विनोद कुमार का एक अक्टूबर को जारी वह पत्र है, जिसे उन्होंने सभी मंत्रालयों के सचिवों और सतर्कता आयुक्तों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। पत्र में सेवानिवृत्त होने के करीब पहुंचे सरकारी अफसरों के खिलाफ चल रहे अनुशासनात्मक कार्रवाई के जल्द से जल्द निपटारे पर जोर दिया गया है। इस पत्र में कहा गया है कि बीते 12 मई 2020 को सीवीसी की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया था कि रिटायरमेंट से जुड़े मामले हर महीने की दस तारीख को शाम पांच बजे तक केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) में उपलब्ध कराए जाएं। लेकिन, अब नई व्यवस्था के तहत रिटायरमेंट की तिथि से 30 दिन पहले अफसरों के मामले को सीवीसी के सामने पेश करना अनिवार्य होगा।
आयोग ने पत्र में उदाहरण देते हुए कहा है, "अगर कोई अफसर 30 नवंबर को रिटायर हो रहा है तो फिर उसके खिलाफ हुई, जांच आदि कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट कम से कम 30 दिन पहले यानी 31 अक्टूबर तक उपलब्ध हो जानी चाहिए। ताकि केंद्रीय सतर्कता आयोग संबंधित अफसर के मामले में समय से अपना सुझाव दे सके।"
केंद्रीय सतर्कता आयोग ने यह पत्र सभी मंत्रालयों के सचिवों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग(पीएसयू) सहित सभी सरकारी विभागों और संस्थानों को भेजा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सभी मंत्रालयों के विजिलेंस अफसरों को भी इसको लेकर सख्त निर्देश दिए हैं।
सूत्रों का कहना है कि निर्देश के बावजूद कई बार मंत्रालयों से संबंधित अफसरों के केस की फाइल देरी से सीवीसी को मिलती थी। रिटायरमेंट वाले तमाम अफसरों की फाइल हर महीने की दस तारीख की निर्धारित तिथि के बाद मिलती थी। जिसके कारण संबंधित अफसर के मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग की सलाह शामिल नहीं हो पाती थी। जिससे अफसर रिटायर हो जाते थे और उनके खिलाफ मामलों का सही से निस्तारण नहीं हो पाता था।
दरअसल, अफसरों को सेवानिवृत्त के तुरंत बाद पेंशन आदि लाभ मिलते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ मामलों का निस्तारण होना जरूरी होता है। लिहाजा आयोग ने अब एक महीने पहले ऐसी फाइल तलब करने का निर्णय लिया है।
--आईएएनएस
पटना, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मामला भले ही सुलझने की खबर आ रही है, लेकिन अभी भी पसंदीदा सीट को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसा हुआ है।
कांग्रेस अपनी जीती हुई सीटों के अलावा अधिकांश उन सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही है, जिस पर पिछले चुनाव में जनता दल (युनाइटेड) जीता हुआ था या दूसरे नंबर पर था।
कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि कांग्रेस अपनी मनपसंद सीटें सुल्तानगंज, हिसुआ, मटिहानी, लखीसराय, सासाराम, भभुआ सहित कुछ अन्य सीटों पर लड़ना तय कर चुकी है। इधर, सूत्रों का दावा है कि राजद ऐसी सीटों को कांग्रेस को देना नहीं चाह रही है।
सूत्रों का दावा है कि राजद ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार तक तय कर दिए हैं। सूूत्र कहते हैं कि राजद ने हिसुआ से एक अति पिछड़े और सुल्तानगंज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े एक वैश्य जाति के नेता को राजद ने प्रत्याशी तक चुन लिया है, जिसका विरोध कांग्रेस कर रही है।
इसी तरह मटिहानी जैसी कांग्रेस की कई पसंदीदा सीटें वामपंथी दलों के हिस्से चली गई हैं। सूत्र यह भी कहते हैं कि कांग्रेस को कई ऐसी शहरी सीटें भी दिए जाने की सूचना है, जहां भाजपा काफी मजबूत है। ऐसे में एकबार फिर राजद और कांग्रेस में ठन गई है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में तीन चरणों में होने वाले मतदान के लिए प्रथम चरण के नामांकन की प्रक्रिया जारी है। प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होना है। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं।
-आईएएनएस
भोपाल 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस की असंतुष्टों ने नींद उड़ाकर रखी दी है। दोनों ही दल अपने असंतुष्टों को मनाने में लगे हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा अपने असंतुष्टों को मनाने के मामले में ज्यादा सफल होती नजर आ रही है। राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उप-चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है, तीन नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। दोनों ही दल उम्मीदवारों के ऐलान के अंतिम चरण में है, कांग्रेस 24 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है, भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जल्दी आने की बात कही जा रही है।
भाजपा में 22 तत्कालीन विधायकों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए थे। बाद में तीन और कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा ने इन सभी 25 दल-बदल करने वाले पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाने का फैसला ले लिया है। इससे पार्टी में असंतोष है। बमौरी से के एल अग्रवाल, ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार और सुरखी से पारुल साहू पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इन तीनों को कांग्रेस ने उम्मीदवार भी बनाया है। वहीं कई अन्य नेताओं में भी नाराजगी है।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता देवास के हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को लेकर थी। जोशी से कांग्रेस लगातार संपर्क बनाए हुए थी और जोशी का भी मन डांवाडोल था। बीती रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनकी मुलाकाता हुई, उनके क्षेत्र के कार्यकर्ता भी थे। चौहान ने सभी को भरोसा दिलाया कि उनके मान-सम्मान का ख्याल रखा जाएगा।
इस मुलाकात के बाद जोशी ने भी कहा कि वे कहीं नहीं जाने वाले हैं, यह बात सही है कि उनके मन में पिछले कुछ दिनों से कई विचार आ रहे थे।
वहीं भाजपा के अंदर खाने कई और नेताओं में भी असंतोष है, उन्हें भी पार्टी एक-एक कर मनाने में लगी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में बगावत का दौर जारी है। पहले 25 विधायकों ने पार्टी छोड़ी और उसके बाद भी कांग्रेस छोड़ने वालों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्घ और ग्वालियर के वरिष्ठ नेता अशोक शर्मा ने भी पार्टी छोड़ी है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्र ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार और कारोबार में सुगमता के लिए उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को 7,106 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार की अनुमति दी है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश 'एक देश, एक राशन कार्ड प्रणाली' का कार्यान्वयन कर पीडीएस में सुधार प्रक्रिया को लागू करने वाला छठा राज्य बन गया है। इससे राज्य मुक्त बाजार ऋण (ओएमबी) के जरिए 4,851 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का पात्र हो गया है।
कोविड-19 से लड़ने के लिए आवश्यक अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में यह राज्य की मदद करेगा।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा ने सिस्टम के तहत पीडीएस सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया है।
इसके साथ ही आंध्र प्रदेश कारोबार सुगमता सुधारों को सफलतापूर्वक लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। इससे वह 2,525 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज जुटाने का पात्र हो गया है।
इससे पहले राज्य ने 'एक देश, एक राशन कार्ड प्रणाली' के अनुसार पीडीएस सुधारों को भी पूरा किया था।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने मई 2020 में राज्यों को 2020-21 के लिए राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के दो प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त कर्ज सीमा की अनुमति दी थी। इससे राज्यों के पास 4,27,302 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी।
इसका एक प्रतिशत चार विशिष्ट राज्य-स्तरीय सुधारों के कार्यान्वयन के अधीन है, जहां प्रत्येक सुधार का भार जीएसडीपी का 0.25 प्रतिशत है।
इन सुधारों में 'एक देश, एक राशन कार्ड प्रणाली' का कार्यान्वयन, व्यापार सुधार करने में आसानी, शहरी स्थानीय निकाय सुधार और बिजली क्षेत्र में सुधार शामिल हैं।
इससे पहले पिछले हफ्ते मंत्रालय ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा को 'एक देश, एक राशन कार्ड प्रणाली' के तहत कार्यान्वयन की सुधार शर्तों को सफलतापूर्वक पूरा करने पर ओपन मार्केट उधार के माध्यम से 9,913 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की अनुमति दी थी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| महात्मा गांधी की शुक्रवार को 151वीं वर्षगांठ पर ओटीटी प्लेटफार्मों ने राष्ट्रपिता पर आधारित फिल्मों के विकल्पों को साझा किया है। आईएएनएस ने गांधी जी पर बनी कुछ कम प्रसिद्ध फिल्मों को सूचीबद्ध किया है।
'हमने गांधी को मार दिया': नईम ए सिद्दीकी द्वारा निर्देशित साल 2018 में आई फिल्म में दो अजनबियों की कहानी बताई गई है, जो कैलाश और दिवाकर हैं। वे दोनों एक ट्रेन यात्रा के दौरान मिलते हैं। फिल्म ब्रिटिश राज के अंत के बाद विभाजन की अशांत पृष्ठभूमि पर आधारित है। कहानी उन दो पात्रों की बातचीत पर है, जो महात्मा गांधी की हत्या के साथ उनके दर्शन के बारे में परस्पर विरोधी विचार रखते हैं। इस फिल्म को शेमारूमी पर देखा जा सकता है।
'रोड टू संगम' : अमित राय द्वारा निर्देशित 2009 की फिल्म में उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक कट्टर मुस्लिम हसमत की कहानी को दिखाया गया है। वह मैकेनिक रहता है हसमत को एक पुरानी लॉरी की मरम्मत करने के लिए कहा जाता है, इस बात से अनजान है कि यह वही वाहन था जो गांधी के राख के साथ जा रही है। वह अपना काम पूरा करता है, लेकिन स्थिति तब जटिल हो जाती है जब उसे कलश के पीछे की सच्चाई का पता लगाता है और गांधी के अंतिम अवशेषों को ले जाने का फैसला करता है। फिल्म में परेश रावल के साथ दिवंगत ओम पुरी और पवन मल्होत्रा हैं। यह शेमारूमी पर उपलब्ध है।"
'गांधीगिरी' : फिल्म में स्वर्गीय ओम पुरी एनआरआई राय साहब की भूमिका निभाते हैं, जो महात्मा गांधी के सिद्धांतों में ²ढ़ता से विश्वास करते हैं। भारत लौटने पर वह चार उन लोगों में खुद को पाता है जिन्होंने जीवन में गलत चुनाव किए हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि वह कैसे गांधी के उदाहरण का अनुसरण कर उन्हें सुधारने का प्रयास करते हैं। फिल्म एमेजॉन प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है।
'नन्नू गांधी' : एनआर नानजुंदे गौड़ा की साल 2008 में आई कन्नड़ फिल्म बच्चों के एक समूह के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गांधी के सिद्धांतों और विचारों का पालन करते हुए अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करते हैं। यह डिज्नी हॉटस्टार पर उपलब्ध है।
'रीबूटिंग महात्मा': साल 2019 में रिलीज होने वाली गुजराती फिल्म महात्मा गांधी के एक मानवीय संस्करण की अवधारणा पर आधारित है। उन्हें 21वीं शताब्दी में लाया गया है और बापू विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं जो आज की दुनिया को प्रभावित करते हैं, जैसे कि राजनीतिक प्रणाली, बॉलीवुड, सोशल मीडिया और युवा। फिल्म शेमारूमी पर देखी जा सकती है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली के वाल्मीकि मंदिर में हाथरस में 19 साल की युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में प्रार्थना सभा रखी गई, जो कि वाल्मीकि समाज के अलग-अलग संगठनों द्वारा आयोजित हुई। वहीं इस सभा में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पीड़िता को श्रंद्धाजलि दी, इस सभा में कांग्रेस के सैंकड़ों कार्यकर्ता भी शामिल हुए। प्रियंका गांधी ने मंदिर में पहुंच कर आशीर्वाद लिया। उसके बाद पीड़िता की फोटो पर फूल चढ़ा कर श्रंद्धाजलि अर्पित की।
प्रियंका गांधी ने इस प्रार्थना सभा में कहा कि, "इस देश में हर एक महिला की आवाज उठनी चाहिए, पीड़िता के साथ पहले जो हुआ और उसके बाद जो हुआ, सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की गई। परिवार इस वक्त अकेला महसूस कर रहा है। मैं यहां इसलिए आई हूं कि परिवार को ये न लगे कि वो अकेले हैं।"
"आप सभी आवाज उठाइये, सरकार पर नैतिक दबाब डालें। हमारे देश की परंपरा नहीं कि परिवार के बिना अंतिम संस्कार कर दिया जाए। सूरज डूबने के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता। हम सब चुप रहें, ऐसा नहीं हो सकता। हम यहां इसलिए आए कि पीड़िता को न्याय दिलवा पाएं। जब तक न्याय नहीं होगा, हम रुकेंगे नहीं।"
-- आईएएनएस
आगरा, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| आगरा में भले ही पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 48 नए मामले आए हैं लेकिन ताजनगरी में कुल रिकवरी दर 84.81 प्रतिशत हो गई है। आगरा में कोरोना मामलों की कुल संख्या अब 5,808 है, जिनमें से 4,875 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं 128 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण के लिए 1,92,007 नमूने एकत्र किए गए। शुक्रवार को सक्रिय मामलों की संख्या 755 थी।
आगरा जिला प्रशासन ने कहा कि मल्टीप्लेक्स के साथ ही धार्मिक स्थलों को भी 15 अक्टूबर से फिर से खोलने की अनुमति दी जाएगी। विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधकर्ताओं को शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश करने की अनुमति होगी, लेकिन स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय एक सप्ताह के बाद लिया जाएगा। बच्चों के माता-पिता आम तौर पर आशंकित हैं और उनमें इतनी उत्सुकता नहीं हैं कि उनके बच्चे स्कूल में जाएं क्योंकि अभी भी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।
आगरा का एकलव्य स्टेडियम गुरुवार को लगभग 193 दिनों के बाद फिर से खुल गया, लेकिन खिलाड़ियों को अभी भी अभ्यास के लिए रिपोर्ट करना है। राज्य संक्रामक रोग नियंत्रण विभाग ने सावधानी और सुरक्षा उपायों के बारे में परिवारों के संवेदनशील सदस्यों तक पहुंचने के लिए बड़े पैमाने पर कवायद शुरू कर दी है।
जहां तक कोविड-19 के प्रसार का संबंध है, सितंबर संख्या के लिहाज से अब तक का सबसे खराब महीना साबित हुआ। 20 मौतों के साथ 2,800 से अधिक मामले सामने आए।
वार्षिक राम लीला 4 अक्टूबर से शुरू होगी, लेकिन लोगों को ऐतिहासिक रामलीला मैदान में एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी। आयोजन समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो और स्थानीय केबल नेटवतर्क के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की है।
इस बीच, आगरा के महापौर नवीन जैन ने शुक्रवार सुबह एक स्वच्छता अभियान लॉन्च किया, जिसे शहर का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान बताया जा रहा है। अभियान 2 अक्टूबर से 30 जनवरी तक जारी रहेगा।
भाजपा के स्थानीय नेता और कॉर्पोरेटर स्वैच्छिक समूहों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करेंगे कि शहर स्वच्छता का उच्च स्तर बनाए रखे। हालांकि, सफारी कर्मचारियों द्वारा हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले के विरोध में हड़ताल करने के कराण अभियान पहले ही दिन रफ्तार नहीं पकड़ सकी।
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नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| वेतन नहीं मिलने से नाराज उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के सदस्यों ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उनके तीन महीने के बकाए को नहीं दिया गया तो वे अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करेंगे।
लगभग 109 दिनों से (जून से) अस्पतालों के डॉक्टरों और स्टाफ के सदस्यों को भुगतान नहीं किया गया है। रेजिडेंट्स वर्तमान में एक सप्ताह के लिए सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक 'पेन डाउन स्ट्राइक' (अस्पताल आकर काम नहीं करना) पर हैं। नॉर्थ एमसीडी में कम से कम 1,000 सीनियर डॉक्टर, 500 रेजिडेंट डॉक्टर और 1,500 नर्सिग ऑफिसर कार्यरत हैं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त को लिखे पत्र में, रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा, "हम वेतन के समय पर वितरण के लिए लगातार मांग करते रहे हैं, लेकिन पिछले 6 महीनों से कोई कदम नहीं उठाया गया है। वर्तमान में, 3 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।"
इसमें कहा गया है, "हम आपसे 3 महीने का वेतन जारी करने और हमें तत्काल स्थायी समाधान देने के लिए दृढ़ता से आग्रह करते हैं। हम घोषणा करने के माफी चाहते हैं कि यदि उल्लेखित मुद्दों को हल नहीं किया तो हम 'कोई वेतन नहीं, कोई काम नहीं' के आधार पर अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।"
एसोसिएशन ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश और अतीत में दोहराए गए मुद्दों के बावजूद, नॉर्थ एमसीडी के डॉक्टरों और कर्मचारियों का वेतन तीन महीने से अधर में लटका हुआ है और अब यह चौथा महीना चल रहा है। आरडीए अध्यक्ष अभिमन्यु सरदाना द्वारा लिखे गए पत्र में आगे कहा गया है कि यह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मानवाधिकारों, मानदंडों के साथ-साथ अदालत की अवमानना का बुनियादी उल्लंघन है।
डॉक्टरों के निकाय ने कहा कि एनडीएमसी अस्पतालों में समय-समय पर यह एक ट्रेंड बन गया है कि वेतन को नियमित नहीं किया जाता है, और स्वास्थ्यकर्मी महामारी के समय में काफी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
हिंदू राव अस्पताल के अलावा, महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल, कस्तूरबा अस्पताल, गिरधारी लाल मैटरनिटी हॉस्पिटल और राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मनेरी मेडिसिन एंड ट्यबरकुलोसिस जैसे अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सो भी बकाया भुगतान न करने का विरोध किया है।
इस बीच, इमरजेंसी को छोड़कर रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ दिल्ली गवर्नमेंट के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल ने मंगलवार सुबह से अस्पताल में सभी आवश्यक और गैर-आवश्यक सेवाएं वापस ले ली हैं।
यह तब हुआ जब अस्पताल ने एक मरीज और उसके परिचारक पर ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के लिए एफआईआर दर्ज नहीं कराई।
--आईएएनएस
बेंगलुरु, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| राज्य सरकार द्वारा संचालित कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के 370 मेगावाट के गैस संयंत्र में शुक्रवार को हुए एक विस्फोट के बाद 15 लोग घायल हो गए। इनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
आईएएनएस से बातचीत में जिला अग्निशमन अधिकारी, किशोर ने कहा कि उन्हें तड़के 3.30 बजे प्लांट (संयंत्र) से फोन आया और दमकलकर्मी फौरन घटनास्थल के लिए रवाना हो गए।
उन्होंने कहा, "चार फायर टेंडर, दो वाटर पंप और दो फोम टेंडर को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। रेल व्हील फैक्ट्री ने तुरंत अपनी तरफ से एक फोम टेंडर भेजा, लेकिन हमने इसका इस्तेमाल नहीं किया।"
किशोर ने कहा कि विभाग ने आग बुझाने के लिए फोम टेंडर का इस्तेमाल किया। यह एक मीडियम रेंज की आग की घटना थी, लेकिन इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया होता तो बड़ा नुकसान होने की आशंका थी।
उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्ट्या आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप मामूली विस्फोट हुआ था जहां तेल जमा हुआ था।
स्थानीय निवासियों ने कहा कि उन्होंने एक जोरदार धमाके जैसी आवाज सुनी और फिर दमकलकर्मियों और कई एंबुलेंस को अपने फ्लैट के सामने लाइन में खड़ा देखा, जिससे दहशत पैदा हो गई।
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लखनऊ 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना में चल रहे बवाल के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उप्र में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड दिया जाएगा, जो उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
मुख्यमंत्री योगी ने शुक्रवार को ट्वीटर के माध्यम से लिखा कि, "उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। आपकी यूपी सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्घ है। यह हमारा संकल्प है-वचन है।"
यूपी में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध और हाथरस कांड में पुलिस और प्रशासन के रवैये पर उठ रहे सवालों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यह बयान दिया है।
ज्ञात हो कि 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में गांव चंदपा की दलित युवती अपनी मां के साथ खेत पर गई थी और आरोप के मुताबिक सासनी निवासी एक युवक ने उस पर जानलेवा हमला किया था। युवती ने सीओ सादाबाद को दिए बयान में तीन और युवक के नाम बताए थे, जिसके बाद पुलिस ने केस में गैंगरेप की धारा बढ़ा दी थी। इस मामले में पुलिस चारों आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। युवती के साथ हुई हैवानियत के बाद वह कई दिनों तक बेहोश रही। तबीयत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के एक अस्पताल में लाया गया। यहां पर इलाज के दौरान ही युवती की मंगलवार को मौत हो गई। पुलिस की मौजूदगी में युवती का शव लेकर परिजन हाथरस अपने गांव पहुंचे। आरोप है कि गांव में प्रशासन ने परिजनों को सूचित किए बगैर ही पुलिस की पहरेदारी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। इसको लेकर पुलिस और प्रशासन सवालों के घेरे में है।
हाथरस जिला प्रशासन ने गांव को छावनी में बदल दिया है। इसी दौरान शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के साथ गांव में जाने का प्रयास किया। उनको रोकने के दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की भी हुई। जिसमें वह जमीन पर गिर गए।
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