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बालको मेडिकल सेंटर में आधुनिक एवं उन्नत सर्जरी, कीमोथेरेपी, टरगेटेड थेरपी, इम्युनोथेरपी और रेडीएशन ट्रीटमेंट
08-Feb-2022 4:03 PM
बालको मेडिकल सेंटर में आधुनिक एवं उन्नत सर्जरी, कीमोथेरेपी, टरगेटेड थेरपी, इम्युनोथेरपी और रेडीएशन ट्रीटमेंट

रायपुर, 8 फरवरी। बालको मेडिकल सेंटर में एक़ ही छत के नीचे आधुनिक एवम उन्नत सर्जरी, कीमोथेरेपी, टरगेटेड थेरपी, इम्युनोथेरपी और रेडीएशन ट्रीटमेंट (आईएमआरटी/ आईजीआरटी/ स्टेरेओटकटिक ट्रीटमेंट) एवं ब्रेक़ीथेरपी उपलब्ध है। यदि आप या आपके किसी करीबी में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तुरंत किसी कैंसर विशेषज्ञ से मिलें। याद रखें, 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों में एचपीवी टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों को रोका जा सकता है। यह जरूरी है कि सभी माता-पिता अपनी बालिकाओं को भविष्य में होने वाले गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से रक्षा के लिए यह टीकाकरण करायें। महिलाओं को 30 साल के बाद से पैप स्मीयर कराना चाहिए, जो कि गर्भाशय ग्रीवा के के प्रीकैन्सरस घावों की पहचान करने के लिए एक बहुत ही कम लागत का प्रभावी और सरल स्क्रीनिंग टेस्ट है।

सर्वाइकल कैंसर में विकिरण चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका

जनवरी सर्वाइकल कैंसर का जागरूकता माह है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय मुख की कोशिकाओं में विकसित होता है, जिसे आम भाषा में गर्भाशय के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है। ग्लोबाकॉन 2020 के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है, लेकिन, भारतीय महिलाओं में, यह स्तन कैंसर के बाद कैंसर का दूसरा सबसे आम रूप है। लगभग 160 मिलियन महिलाओं जिनकी उम्र 30-59 वर्ष हे उन महिलाओं में इसका अधिक ख़तरा हे। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाइकल कैन्सर शहरी क्षेत्रों के तुलना में अधिक हैं।

गर्भाशय ग्रीवा के 90 प्रतिशत से अधिक कैंसर यौन संपर्क के माध्यम से प्रसारित ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी 16 और एचपीवी 18) के संक्रमण के कारण होते हैं। एचपीवी के अधिकांश संक्रमण अपने आप ठीक हो जाते हैं, हालांकि, लगातार संक्रमण से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। जिन कारणो से एचपीवी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है वे हैं , पहले संभोग की कम उम्र, कई लोगों से यौन संपर्क, कई यौन साझेदारों वाला पुरुष साथी, अत्यधिक बार गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (एसटीडी) का इतिहास।

सर्वाइकल कैंसर यदि प्रारंभिक अवस्था में इसका पता लगाया जाए और इसका प्रभावी ढंग से इलाज़ किया जाए। प्रारंभिक अवस्था में ठीक होने की दर लगभग 90 प्रतिशत है। कैन्सर जब आसपास फैल जाता है ( लोकली एडवांस ) तब यही दर 60 प्रतिशत हो जाती है। मेटास्टेटिक अवस्था ( जब कैन्सर शरीर के अन्य अंगो में फैल जाता है) में 5 साल की जीवित रहने की दर लगभग 17 प्रतिशत है। मतलब जल्दी कैन्सर का पता लगाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि जितने जल्दी पता लगेगा ठीक होने की दर उतनी अच्छी रहेगी।

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