कारोबार
रायपुर, 4 अप्रैल। हमारी संस्था छत्तीसगढ़ स्टील रि-रोलर्स एसोसिएषन 41 वर्ष पुरानी संस्था है। संस्था के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 150 सदस्य ईकाईयां पंजीक्रत है, जिसमें लगभग 106 ईकाईयां स्टेनअलोन (केवल रोलिंग मिल) डैडम् के अंतर्गत आती है, जो लाखों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराती है। उल्लेखनीय है कि हमारी यह ईकाईयां सबसे ज्यादा रोजगार देती है एवं रोलिंग मिलों द्वारा किये जा रहे वेल्युएडिषन से शासन को ळैज् के रूप में अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेष में 106 स्टैनअलोन रोलिंग मिलों के अस्तित्व पर खतरा विद्युत मंडल की दोहरी दर की नीति से प्रदेष के लघु ईकाईयां विगत दो वर्षों से धीरे धीरे बंद होने के कगार पर पहुंच गई है जिसका प्रमुख कारण बड़े स्टील उद्योगों द्वारा जो फिनीष प्रोडक्ट बनाया जाता है वहीं फिनीष प्रोडक्ट स्टेनअलोन रोलिंग मिलों द्वारा भी बनाया जाता है।
बड़े स्टील उद्योगों एवं स्टेनअलोन रोलिंग मिलों के विद्युत दरों में 03 से 04 रूपये प्रतियुनिट का अन्तर (फर्क) होने से स्टेनअलोन रोलिंग मिल ईकाईयां बंद होने के कगार पर ले जा रही है एवं कुछ ईकाईयां बंद भी हो चुकि है। ऐसा लगता है कि विद्युत मंडल द्वारा बड़े स्टील उद्योगों को ही चलता देखना चाहता है।
विद्युत मंडल द्वारा बड़े स्टील उद्योगों को लोड़ फैक्टर पर 25: की रियायत दी जाती है क्योकि विद्युत मंडल के एक नियमानुसार जिन स्टील उद्योगों का लोड़ फैक्टर 74: से उपर होता है उन बड़े स्टील उद्योगों को लोड़ फैक्टर पर 25: की रियायत दिया जाता है। जबकि स्टैनअलोन रोलिंग मिलों का लोड़ फैक्टर 50: से कम होता है अत: 50: से कम लोड़ फैक्टर वाले स्टेनअलोन रोलिंग मिल ईकाईयों को लोड़ फैक्टर पर 25: का लाभ नहीं मिल पा रहा है।