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नई दिल्ली, 9 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को ज़मानत दे दी है.
ये ज़मानत कुछ शर्तों के साथ दी गई है.
कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस समय गिरफ़्तार किया था, जब वो हाथरस में एक दलित लड़की के कथित बलात्कार और हत्या को कवर करने के लिए जा रहे थे.
उत्तर प्रदेश पुलिस का आरोप है कि सिद्दीक़ कप्पन को पाँच अक्तूबर, 2020 को पॉपुलर फ़्रंट ऑफ इंडिया (पीएफ़आई) के तीन सदस्यों के साथ गिरफ़्तार किया गया था, जो उनके साथ यात्रा कर रहे थे.
हालाँकि कप्पन ने पीएफ़आई से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है.
ज़मानत की शर्तें
अदालत ने कहा है कि कप्पन को तीन दिन के भीतर ट्रायल कोर्ट में ले जाया जाएगा और उसके बाद ज़मानत पर रिहा किया जाएगा.
अदालत ने ज़मानत में ये शर्त लगाई है कि सिद्दीक़ कप्पन दिल्ली के जंगपुरा इलाक़े में ही रहेंगे. और वे बिना ट्रायल कोर्ट की अनुमति के दिल्ली नहीं छोड़ेंगे.
उन्हें हर हफ्ते सोमवार को स्थानीय थाने में पेश होना होगा. कप्पन को ये सारी शर्तें पहले पहले छह हफ्तों तक माननी होंगी.
उसके बाद वे केरल में अपने परिवार के पास जा सकते हैं.
लेकिन वहाँ भी उन्हें पुलिस स्टेशन में हर सोमवार को हाज़िरी लगानी होगी. इसके अलावा उन्हें अपना पासपोर्ट भी जांच एजेसियों के हवाले करना होगा.
पुलिस ने इन्हें 'प्रिवेंटिव पावर' के तहत हिरासत में लिया था. सीआरपीसी की धारा 151 के तहत पुलिस किसी अपराध की आशंका के कारण किसी को हिरासत में ले सकती है.
इन चारों को छह अक्तूबर 2020 के दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
सात अक्तूबर को पुलिस ने इस मामले में पहली एफ़आईआर दर्ज की. इस एफ़आईआर में यूएपीए के सेक्शन 17 और 18, भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 124A (राजद्रोह), 153A (दो समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाने), 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करने) और आईटी एक्ट के सेक्शन 62, 72, 76 लगाए गए थे. (bbc.com/hindi)