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वेदांता बालको के योगदान से शिक्षा के क्षेत्र में हो रही उत्तरोत्तर प्रगति
11-Nov-2022 2:43 PM
वेदांता बालको के योगदान से शिक्षा के क्षेत्र में हो रही उत्तरोत्तर प्रगति

बालको नगर, 11 नवंबर। शिक्षा सतत विकास लक्ष्यों के वैश्विक एकीकृत ढांचे की कुंजी है। तेजी से बदलती दुनिया में जीवन भर सीखने के लिए एक गुणवत्तायुक्त बुनियादी शिक्षा आवश्यक है। वर्ष 2030 तक &प्त39;समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सतत विकास के लक्ष्य-4 की ओर अग्रसर होते हुए बालको शिक्षा के प्रसार के लिए अपने विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में कंपनी का प्रयास, नंदघर के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तथा वेदांता स्किल स्कूल और प्रोजेक्ट कनेक्ट के माध्यम से तकनीकी शिक्षा, डिजिटल शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।
नंदघर प्रारंभिक अवस्था में बच्चों के समग्र विकास की सुविधा प्रदान करता है। नंदघर भारत में ग्रामीण बच्चों और महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए परिवर्तनकारी पहल है। वेदांता समूह और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से संचालित परियोजना का उद्देश्य भारत के ग्रामीण पिछड़े इलाकों को देश के विकास की मुख्यधारा से जोडऩा है।

नंद घरों के जरिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद मिल रही है। यह परियोजना बाल कुपोषण के उन्मूलन, शिक्षा और स्वास्थ्य की उपलब्धता, महिलाओं के कौशल उन्नयन और सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। नंदघर परियोजना के माध्यम से वेदांता बालको यह सुनिश्चित कर रहा कि हर बच्चे की पूर्ण क्षमता का विकास हो सके। वर्तमान में 262 नंदघर छत्तीसगढ़ राज्य में 18000 से अधिक बच्चों के जीवन को बदल रही है उन्हें कक्षा में सर्वश्रेष्ठ पाठ्यक्रम बाला (बिल्डिंग एज़ लर्निंग एड) पेंटिंग और डिजिटल लर्निंग के माध्यम से इंटरैक्टिव लर्निंग प्रदान कर रहे हैं।

नंद घरों में ई-लर्निंग के माध्यम से तीन से छह वर्ष के बच्चों को स्कूल-पूर्व की शिक्षा दी जाती है। अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नंदघर में महिलाओं को पौष्टिक भोजन पकाने के तरीकों, साधनों और कुपोषण को रोकने के लिए पोषण के महत्व के बारे में भी शिक्षित कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में अब तक 3100 से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शिक्षित किया जा चुका है। शासकीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं की मदद से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जा रही है।  परियोजना का उद्देश्य भारत के ग्रामीण पिछड़े इलाकों को देश के विकास की मुख्यधारा से जोडऩा है।---
 

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