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रायपुर, 15 नवंबर। राजधानी रायपुर की समता कॉलोनी में स्थित लाईफवर्थ हॉस्पिटल में आज सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक मधुमेह का फ्री जांच शिविर लगाया गया. जिसमें राजधानी के अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 350 से अधिक मरीजों ने फ्री जांच करवाई। इसमें ब्लड शुगर जांच, पैरों की नसों की जांच, एचबीए1सी जांच, आंखों की नसों की जांच, बोन मेरो डेंसिटी जांच साथ ही डायबिटीज बीमारी पर लोगों को जागरूक भी किया गया।
डॉ. जवाहर अग्रवाल बताते हैं कि पूरे देश में 2021 के आंकलन के वक्त 8 करोड़ से अधिक मधुमेह मरीज मिले। इनमें से करीब 30 लाख मरीज छत्तीसगढ़ में हैं। टाइप वन मरीजों की संख्या भी अब 12 हजार से अधिक हो चुकी है।
इनमें भी 200 से ज्यादा मरीज बच्चे हैं। दरअसल, देश और प्रदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संस्था आरएसएसडीआई पूरे देश में डायबिटीज और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर व्यापक रूप से रिसर्च और स्टडी करती है। छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में की गई रिसर्च और स्टडी में ये बात उभरकर सामने आई हैं।
कोविड के बाद नई तरह की डायबिटीज के मामले भी डॉ. जवाहर अग्रवाल बताते हैं कि डायबिटीज की बीमारी अलग-अलग लोगों में अलग -अलग तरह से हो सकती है। डायबिटीज स्थायी और अस्थायी दोनों तरह की हो सकती है। इसलिए कोविड के बाद डायबिटीज के स्वरूप में भी अब बदलाव देखा जा रहा है। जिसकी फिलहाल गहराई से स्टडी की जा रही है।
ऐसे पोस्ट कोविड मरीज जिन्हें कोरोना के ट्रीटमेंट में स्टरायड वगैरह दिया गया, उनमें अधिकांश में मधुमेह के अस्थायी तरह के लक्षण देखे गए हैं जो समय पर इलाज की वजह से धीरे धीरे ठीक भी हो गए हैं। वहीं स्ट्रेस यानी तनाव की वजह से कोविड में डायबिटीज की जद में आने वाले 25 से अधिक मरीज स्थायी तौर पर मधुमेह रोगी बन गए हैं।