कारोबार
बालकोनगर, 15 दिसंबर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने तकनीकी वाहनों में बायोडीजल के उपयोग की शुरुआत की है। यह पहल 2050 या उससे पहले कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक कम करने की कंपनी की प्रतिबद्धता के अनुरूप अपने संयंत्र को डीकार्बोनाइज करने के लिए संगठन की यात्रा को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
बायोडीजल जैविक पदार्थ से प्राप्त ईंधन का एक रूप है, जिसे जलाने पर पारंपरिक गैर-नवीकरणीय ईंधन की तुलना में कार्बन फुटप्रिंट काफी कम होता है। डीकार्बोनाइजेशन की यात्रा में ऊर्जा संरक्षण और हरित ईंधन में वृद्धि बालको के दो महत्वपूर्ण पहल हैं।
इस दिशा में बालको हरित ईंधन के विभिन्न स्रोतों, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, बायोमास, बायोडीजल आदि के माध्यम से अपने ऊर्जा मिश्रण में हरित ऊर्जा की मात्रा को बढ़ा रहा है। कंपनी वर्तमान में अपने बिजली संयंत्रों में प्रतिदिन 40-50 टन बायोमास ब्रिकेट का उपयोग कर रही है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए बायोमास खपत की मात्रा को और बढ़ाने की योजना है।
वित्त वर्ष 2022 में बालको ने विभिन्न उर्जा संरक्षण के माध्यम से लगभग 22000 गीगा जूल ऊर्जा की बचत की है। कंपनी ने पिघले हुए गर्म धातु (एल्यूमिनियम) को लेकर जाने वाले लैडल्स को गर्म करने के लिए बायोडीजल का इस्तेमाल किया।
गर्म धातु को उच्च ताप पर ही पॉटलाइन से कास्ट हाउस तक लेकर जाने के लिए लैडल्स की जरूरत पड़ती है। एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए पॉटलाइन में एल्यूमिना पाउडर को इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के द्वारा पिघले एल्यूमिनियम में परिवर्तित किया जाता है। लैडल के भीतर की नमी को खत्म करने के लिए प्रीहीटिंग प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे पिघले हुए एल्यूमिनियम को विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए कास्ट हाउस भेजते हैं।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री अभिजीत पति ने कहा कि बालको बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ और भारत के सतत विकास में सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कई पहल कर रहे हैं।