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गोड्डा पावर प्लांट के जरिए पहुंचा विकास, गांवों का रोशनी का सपना हुआ साकार
रायपुर, 7 अप्रैल। 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों ने वहां के ग्रामीण क्षेत्रों की बदहाली की तस्वीर साफ कर दी। करीब 55 प्रतिशत ग्रामीण घरों में स्नानघर नहीं है। लोग खुले में नहाने को मजबूर है। बिना चाहर दीवारी के स्नान करना जैसे वहां नियती बन गया हो, सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है।
लेकिन इन सभी दुश्वारियों के बावजूद गोड्डा जिले में आशा की एक किरण दिखाई दी है जहां महिलाओं के हक और मूल अधिकारों के सशक्तीकरण पर जोर दिया जा रहा है। गोड्डा के कुछ गांवों में बने स्नानघर, कुंओं और आधुनिक चापाकल को देखकर विकसित गांव का सपना पूरा होता नजर आ रहा है। पूछने पर पता चलता है कि ये सब बदलाव अदाणी फाउंडेशन की मदद से संभव हुआ है।
आज डुमरिया, मोतिया, पटवा, बक्सरा, पेटवी, रंगनियां, बलियाकित्ता, बिरनियां आदि गांवों के अलावा महगामा प्रखंड के दो दर्जन गांवों में सडक़ किनारे बने कुएं और नलकूपों के साथ चाहर दिवारी से घिरे स्नानघर बदलते गांवों की एक अलग तस्वीर पेश करते है।
दरअसल, इन गांवों से सटा है अदाणी का गोड्डा पावर प्लांट, जिसके जरिए क्षेत्र में रोशनी के सपने को साकार करने के साथ यहां गांवों के विकास के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं। अदाणी फाउंडेशन ने गांव के हालात और महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए साल 2016 से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत क्षेत्र में 150 से ज्यादा सार्वजनिक स्नानघर का निर्माण कराया है जिससे लगभग पच्चीस हजार की आबादी को लाभ मिल रहा है।