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प्रशासन सुलह करने में असफल, शिविर निरस्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बतौली,10 अप्रैल। सरगुजा जिला प्रशासन द्वारा विकासखंड बतौली के ग्राम मांजा में जिला स्तरीय समस्या निवारण शिविर का आयोजन सोमवार को आयोजित किया गया था। मांजा ग्रामवासियों तथा अगल-बगल के 11 ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने इस शिविर का विरोध किया और प्रशासनिक टीम को खदेड़ दिया। जिसके कारण प्रशासन को मांजा शिविर निरस्त करना पड़ा।
इसके बाद जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत मांजा के आश्रित ग्राम कालीपुर में शिविर लगाने का प्रयास किया, परंतु वहां भी ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण शिविर को निरस्त करना पड़ा।
गौरतलब है कि पिछले एक माह से प्रशासन समस्या निवारण शिविर आयोजित करने के बहाने 11 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों को मां कुदरगढ़ी एल्युमीनियम फैक्ट्री के विषय में सकारात्मक जानकारी देना चाह रही है और लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि कुदरगढ़ी फैक्ट्री लगने से क्षेत्र का विकास होगा, परंतु 11 ग्राम पंचायतों के सभी ग्रामीण एकजुट होकर इन शिविरों का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीण प्रशासन के किसी भी बातों को विश्वास करने के लिए राजी नहीं है।
ग्राम पंचायत करदना में खंड स्तरीय समस्या निवारण शिविर का आयोजन पिछले दिनों किया गया था। जिसे हजारों ग्रामीणों के विरोध के कारण निरस्त कर दिया गया था। ग्रामीणों ने प्रशासन के दल को घंटों बंधक बना कर रखा था। प्रशासन ने उन्हीं 11 ग्राम पंचायतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जिला स्तरीय शिविर आयोजित करना चाह रही हैं, परंतु प्रशासन को सफलता नहीं प्राप्त हो रही है।
ग्राम पंचायत मांझा और आश्रित ग्राम कालीपुर में जब प्रशासन की टीम और टेंट सामग्री लेकर पहुंची, तब ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और टेंट लगाने से मना किया। प्रशासन को लगा कि माहौल खराब हो जाएगा, इसलिए दोनों स्थानों पर शिविर को निरस्त करने की घोषणा की गई ।
इस शिविर में श्रम विभाग, कृषि विभाग, महिला एवं बाल विकास, पंचायत विभाग और जनपद के द्वारा रोजगारोन्मुखी और हितग्राही मुखी सामग्रियों का वितरण किया जाना था। शासन ने अगल बगल के ग्रामो के 10 हजार व्यक्तियों की बैठक व्यवस्था इस शिविर के लिए की थी और बृहद तैयारी की थी।
मां कुदरगढ़ी एल्युमीनियम फैक्ट्री की स्थापना के लिए ग्राम चिरगा का 227 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया है। और चिरंगा सहित 11ग्रामों के महिला, पुरुष, ग्रामीण एल्युमीनियम फैक्ट्री का विरोध 2 वर्षों से कर रहे हैं।
जिला प्रशासन इन ग्रामीणों से बात करने के लिए कई प्रकार के उपाय कर रहा है, परंतु ग्रामवासी अपने आंदोलन को निरस्त करने को तैयार नहीं है।
ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें न तो सडक़ चाहिए, न बिजली चाहिए,न स्कूल चाहिए, न अस्पताल चाहिए, और न ही किसी प्रकार का विकास कार्य चाहिए। वे अपनी जल, जंगल, जमीन में ही खुश हैं। वे और उनके पुरखे वर्षों से इस भूमि पर खेती करते आ रहे हैं। इन सब को दरकिनार करते हुए हम फैक्ट्री का विरोध करते हैं और उसके लिए हम इस आंदोलन को लंबे समय तक जारी रखने के लिए तैयार हैं।
पिछले 2 वर्ष से चल रहे इस आंदोलन को ग्रामवासी शांतिपूर्वक रूप से संचालित कर रहे हैं।
प्रशासन पखवाड़े पूर्व हजारों पुलिसकर्मियों और दर्जनों राजस्व अधिकारियों के सहयोग से 227 एकड़ जमीन का सीमांकन करने का प्रयास किया, परंतु ग्रामीणों के विरोध के कारण सफल नहीं हो सके, और प्रशासन को खाली हाथ वापस आना पड़ा।