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रायपुर, 7 मई। बालको मेडिकल सेंटर समाज की बेहतरी के लिए लगातार काम कर रहा है और लोगों को रक्त विकारों और उसके इलाज के बारे में जागरूक कर रहा है।
डॉक्टरों की बीएमसी टीम ने पिछले 3 वर्षों में 36+ बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरा किया है। हर साल 8 मई को दुनिया भर में लोग इस बीमारी से मरने वालों को याद करने और इससे जूझ रहे लोगों को प्रेरित करने के लिए विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाते हैं।
थैलेसीमिया एक वंशानुगत (आनुवंशिक रूप से संचरित) ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर है जो माता-पिता में से एक या दोनों से प्राप्त होता है। आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण, यह लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है और हीमोग्लोबिन की अल्फा और/या बीटा ग्लोबिन श्रृंखलाओं में कमी का कारण बनता है। नतीजतन, लाल रक्त कोशिकाओं का अपर्याप्त संश्लेषण होता है और शरीर के अंगों में अपर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह होता है, जिससे एनीमिया होता है।
भारत में, 40 लाख वाहक हैं और एक लाख से अधिक थैलेसीमिया पीडि़त हैं। वैश्विक स्तर पर 56,000 गर्भधारण थैलेसीमिया से प्रभावित हैं, जिनमें से 30,000 में थैलेसीमिया प्रमुख है, और इनमें से अधिकांश व्यक्ति विकासशील या अविकसित देशों में पैदा हुए थे। थैलेसीमिया के प्रबंधन में रक्त आधान चिकित्सा और आयरन केलेशन आधारशिला हैं। प्रारंभिक और नियमित रक्त आधान गंभीर रक्ताल्पता की जटिलताओं को कम करता है।