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रायपुर, 5 जनवरी। महिला चेंबर प्रदेश महामंत्री पिंकी अग्रवाल जी ने बताया कि छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज महिला चेम्बर द्वारा सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. अरुण केडिया जी के सानिध्य में आज दिनांक 04-01-2024 को चेंबर भवन में हर्पिस (शिन्गल्स) जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
श्रीमती अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम में सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. अरुण केडिया जी ने हर्पिस (शिन्गल्स) पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। श्रीमती पिंकी अग्रवाल जी ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आगे कहा कि हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस संक्रमण के कारण त्वचा, मुंह, होंठ (मुंह के छाले), आँखों या जननांगों पर छोटे, दर्दनाक, तरल पदार्थ से भरे फफोले के बार-बार होने की घटना होती है।
श्रीमती अग्रवाल ने बताया कि सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. अरुण केडिया जी ने हर्पिस (शिन्गल्स) की जानकारी साझा करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित व्यपरिगणों को प्रोजेक्टर (चलचित्र) के माध्यम से बताया कि दुनिया भर में लाखों लोग हर्पीस वायरस से संक्रमित हैं। यह एक संक्रामक संक्रमण है और संक्रमित व्यक्ति की त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली या शारीरिक तरल पदार्थ के सीधे संपर्क से फैल सकता है।
डॉ. केडिया ने बताया कि इस बीमारी में प्रभावित क्षेत्र में दर्दनाक घाव या छाले, खुजली और जलन होती है। वायरस शरीर में निष्क्रिय रह सकता है और पुन: सक्रिय हो सकता है, जिससे लक्षण बार-बार उभर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी), जैसा कि पहले उल्लेख किया गया था, हर्पीस का कारण बनता है। एचएसवी दो अलग-अलग रूपों में आता है, एचएसवी-1 और एचएसवी-2। एचएसवी-1 आमतौर पर मौखिक दाद के लिए जिम्मेदार होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जिसे कभी-कभी कोल्ड सोर के रूप में भी जाना जाता है, जबकि एचएसवी-2 मुख्य रूप से जननांग दाद का कारण बनता है। हरपीज के लक्षण वायरस कहां स्थित है।