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कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन, थाने व तहसील में शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 मार्च। सक्ती जिला कलेक्ट्रेट से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित सकरेली पंचायत के ग्राम आमादहरा में आदिवासी समुदाय के 80 परिवार पिछले तीन साल से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं। बहिष्कार खत्म करने के लिए उन्हें प्रति परिवार 30 हजार रुपये यानि करीब 24 लाख रुपये जुर्माना भरने कहा गया है। इन गरीब परिवारों को समझ नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी रकम कैसे चुकाएं। प्रशासन और पुलिस में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बहिष्कार खत्म करने की मांग को लेकर उन्होंने एक माह के भीतर दूसरी बार कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया है।
ये सभी परिवार कंवर समुदाय से आते हैं। उनका कहना है कि गांव में कई लोग सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके अवैध निर्माण करा रहे हैं। तीन साल पहले इन्हीं में एक उनके ही समाज के एक प्रोफेसर भुवनेश्वर कंवर के अवैध निर्माण की इन ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत की थी। इसकी प्रशासन से जांच कराई। शिकायत सही पाये जाने पर उसका अवैध कब्जा तोड़ दिया गया। इस पर प्रोफेसर तिलमिला गया और उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए समाज के पदाधिकारियों से मिलकर सभी 80 परिवारों का एक साथ बहिष्कार कर दिया। समाज में वापस लेने के लिए 30 हजार रुपये प्रति परिवार दंड का प्रावधान किया गया है। इस तरह से यदि वे समाज में वापस आना चाहते हैं तो उनको 24 लाख रुपये दंड की व्यवस्था करनी पड़ेगी। सामाजिक बहिष्कार के उनका जीना मुश्किल हो गया है। जब से बहिष्कृत हैं तबसे कोई नाते रिश्तेदार उनके संबंध नहीं रखते। उन्हें किसी सामाजिक कार्यक्रम में बुलाया नहीं जाता। बहिष्कार में यह भी शर्त जोड़ी गई है कि यदि कोई सगा संबंधी हम लोगों से संपर्क रखेगा तो उनका भी बहिष्कार किया जाएगा और बराबर 30 हजार अर्थदंड देने पर वापस लिया जाएगा। बहिष्कार के कारण बेटे-बेटियों की शादी रुक गई है। उनके परिवारों में पिछले 3 साल से कोई समारोह नहीं हुआ है। दुकानों में उन्हें सामान नहीं मिलता, यहां तक की दूध सब्जी खरीदना भी संभव नहीं है।
पीड़ितों ने बताया कि इस सामाजिक बहिष्कार के विरोध में उन्होंने कई बार अलग-अलग स्तर पर शिकायत की लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की। वे पहले कलेक्टर, तहसीलदार और बाराद्वार थाने में शिकायत कर चुके हैं। न तो प्रशासन ने शिकायत की जांच कराई न ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। सभी ने केवल आश्वासन दिया है। पिछले महीने पीड़ित परिवारों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया था और बहिष्कार से मुक्ति नहीं मिलने पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी थी, इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस स्थिति की जानकारी मिलने पर गुरु घासीदास सेवादार संघ और सामाजिक बहिष्कार उन्मूलन मोर्चा के संयोजक लखन सुबोध कुर्रे के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एक बार फिर लंबी रैली निकालकर कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा। इस प्रदर्शन में उनके साथ संगठन की विधिक सलाहकार प्रियंका शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक मिश्रा, संतोष बंजारे, ललित बघेल, मिथिलेश बघेल आदि भी शामिल हुए।