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पिछले साढ़े तीन साल से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर रहे चिराग पासवान ने गुरुवार को उनसे मुलाक़ात की.
इस मुलाक़ात के दौरान बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय झा भी मौजूद थे.
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के वक़्त से ही इन दोनों नेताओं के रिश्ते काफ़ी ख़राब हो गए थे.
लेकिन दो महीने पहले नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में लौटने और चिराग पासवान की पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में पांच सीटें मिलने के बाद इन दोनों की मुलाक़ात को अहम माना जा रहा है.
चिराग पासवान गुरुवार को अपनी पार्टी लोक जनशक्ति (रामविलास) से जमुई के उम्मीदवार और अपने बहनोई अरुण भारती के नामांकन में भी उपस्थित रहे.
वे गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के नामांकन में भी मौजूद रहे.
क्यों हुए थे दोनों के रिश्ते ख़राब
पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार को सत्ता से हटाने की कसम खाई थी. इसके लिए उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ राज्य भर में अपने उम्मीदवार उतारे थे.
उस चुनाव के बाद नीतीश कुमार भले मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन उनके कई प्रत्याशी चिराग पासवान के फ़ैसले के कारण हार गए थे.
बाद में लोक जनशक्ति पार्टी में जब चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में टूट हुई, तो दावा किया था कि उसके पीछे नीतीश कुमार की भूमिका थी.
इन वजहों से इन दोनों नेताओं के रिश्ते काफ़ी ख़राब हो गए थे. (bbc.com/hindi)