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पतंजलि विज्ञापन मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक टली, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
17-Apr-2024 9:03 AM
पतंजलि विज्ञापन मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक टली, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

 

पतंजलि विज्ञापन मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल तक टाल दी है.

मंगलवार को सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रामदेव सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने के लिए तैयार हैं.

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि अदालत जानना चाहती है कि रामदेव और बालकृष्ण को क्या कहना है. उन्होंने दोनों को आगे आने के लिए कहा.

इस बीच कुछ देर के लिए ऑडियो में दिक्कत आ गई. कोर्ट ने ऑडियो में आई दिक्कत के बारे में कहा कि यह न समझा जाए कि हमने कोई बात सेंसर की है.

इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को 23 अप्रैल के लिए टाल दिया. अगली सुनवाई में भी योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को कोर्ट में मौजूद रहना होगा.

बीबीसी के क़ानूनी मामलों के संवाददाता उमंग पोद्दार ने बताया कि मंगलवार को अदालत ने कहा कि चूंकि पिछली सुनवाई के दौरान राज्य की लाइसेंसिंग अथॉरिटी को अपना पक्ष रखने दिया गया था, ऐसे में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भी ऐसा मौक़ा दिया जाएगा.

बेंच ने कहा, "आपकी बहुत गरिमा है. आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है पर क्या वो काफ़ी है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आपने जो किया, उसके लिए हम आपको माफ़ कर दें? आपने क्या सोचा कि अगले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और अख़बारों में विज्ञापन देंगे?"

इसके बाद रामदेव ने कहा, “हमारी मंशा किसी के अपमान की नहीं थी. हमने आयुर्वेद में पहली बार 5000 से ज़्यादा रीसर्च किए हैं, आयुर्वेद को साक्ष्य आधारित दवा बनाने का सबसे बड़ा प्रयास किया है.”

इसके बाद कोर्ट ने रामदेव से पूछा कि उन्हें एलोपैथिक दवाइयों की निंदा करने की क्यों ज़रूरत पड़ी.

कोर्ट ने कहा, "अगर आपकी दवाएं काम करती हैं तो आपको उनके लिए मंज़ूरी लेने के लिए संबंधित अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था. प्रेस में जाना ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरकत है."

योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम इसका ध्यान रखेंगे. रामदेव ने कहा, “मैं आज से जागरूक रहूंगा. इस तरह की बातें हों, ये मेरे लिए अशोभनीय है. उत्साह में ऐसा हो गया.”

आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “आयुर्वेद को सैकड़ों सालों से अवैज्ञानिक कहा जाता है, इसलिए हमने उत्साह में ऐसा कर दिया.”

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा, “आप अपना काम कीजिए लेकिन आप एलोपैथी का अनादर नहीं कर सकते.”

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वे ऐसा नहीं कह रहे कि पतंजलि को ऐसे ही छोड़ देंगे मगर इस मामले में बाद में कोई फ़ैसला लिया जाएगा.

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, “इतनी मासूमियत कोर्ट में नहीं चलती. हमने ये नहीं कहा कि आपको माफ़ी देंगे. आपके इतिहास को हम अनदेखा नहीं कर सकते."

उन्होंने कहा कि पतंजलि ये सब तभी कर रहा है, जब कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण की बिना शर्त माफ़ी वाले हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि इन दोनों ने 'ग़लती पकड़े जाने के बाद' माफ़ी मांगी है.

रामदेव और बालकृष्ण ने ये माफ़ीनामा पतंजलि की ओर से 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों को जारी करने के मामले पर दायर किया था. (bbc.com/hindi)

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