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दही, बिस्कुट में जैंथम, ग्वार गम से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है : अध्ययन
24-Apr-2024 4:08 PM
दही, बिस्कुट में जैंथम, ग्वार गम से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है : अध्ययन

नई दिल्ली, 24 अप्रैल । क्या आप केक, बिस्कुट, ब्रेड, दही और आइसक्रीम जैसे अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन करना पसंद करते हैं? तो सावधान हो जाएं। एक अध्ययन खुलासा हुआ है कि जैंथम और ग्वार गम जैसे इमल्सीफायर्स से भरपूर ये खाद्य पदार्थ आपके डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

इमल्सीफायर, सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला योजक, अक्सर प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है, ताकि वे अधिक आकर्षक दिखें, उनके स्वाद और बनावट को बढ़ावा दें और साथ ही शेल्फ लाइफ को भी बढ़ाएं।

द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में छपे अध्ययन में फैटी एसिड, कैरेजेनन, संशोधित स्टार्च, लेसिथिन, फॉस्फेट, सेल्युलोज, मसूड़ों और पेक्टिन के मोनो- और डाइग्लिसराइड्स समेत इमल्सीफायर्स को टाइप 2 डायबिटीज के विकास के जोखिम से जोड़ा गया है। पहले इमल्सीफायर्स को स्तन और प्रोस्टेट के कैंसर से जोड़ा गया है।

फ्रांस के आईएनआरएई - नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर, फूड एंड एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं ने इमल्सीफायर के आहार सेवन के बीच संबंधों का अध्ययन किया, जिसका मूल्यांकन 14 वर्षों की फॉलो-अप अवधि में किया गया। 2009 और 2023 के बीच 104,139 वयस्कों समेत एक बड़े अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम बताया गया।

उन्होंने कुछ इमल्सीफायरों के लगातार संपर्क के परिणामस्वरूप डायबिटीज के लगभग 1,056 मामलों का निदान किया।

ये कररागीनन थे (प्रति दिन 100 मिलीग्राम की वृद्धि पर 3 प्रतिशत जोखिम बढ़ा); ट्रिपोटेशियम फॉस्फेट (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 15 प्रतिशत जोखिम बढ़ा); मोनो- और डायएसिटाइल टार्टरिक एसिड एस्टर मोनो- और फैटी एसिड के डाइग्लिसराइड्स (प्रति दिन 100 मिलीग्राम की वृद्धि पर 4 प्रतिशत जोखिम बढ़ा); सोडियम साइट्रेट (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 4 प्रतिशत जोखिम बढ़ा); ग्वार गम (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 11 प्रतिशत जोखिम बढ़ा); अरबी गम (प्रति दिन 1,000 मिलीग्राम की वृद्धि पर 3 प्रतिशत जोखिम बढ़ा) और जैंथन गम (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 8 प्रतिशत जोखिम बढ़ा)।

इंसर्म में मैथिल्डे टौवियर अनुसंधान निदेशक और आईएनआरएई में जूनियर प्रोफेसर बर्नार्ड सॉउर ने अध्ययन के प्रमुख लेखकों को समझाया, "ये निष्कर्ष फिलहाल सिंगल ऑब्जर्वेशनल अध्ययन से जारी किए गए हैं, और इनका उपयोग किसी कारणात्मक संबंध स्थापित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्हें दुनिया भर में अन्य महामारी विज्ञान अध्ययनों में दोहराया जाना चाहिए और विषविज्ञान और पारंपरिक प्रयोगात्मक अध्ययनों के साथ पूरक किया जाना चाहिए, ताकि इन खाद्य योजक इमल्सीफायर और टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत को जोड़ने वाले तंत्र को और अधिक जानकारी दी जा सके।

उन्होंने कहा कि हमारे परिणाम उपभोक्ताओं की बेहतर सुरक्षा के लिए खाद्य उद्योग में एडिटिव्स के उपयोग के आसपास के नियमों के पुनर्मूल्यांकन पर बहस को समृद्ध करने के लिए प्रमुख तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

(आईएएनएस)

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