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पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामला: आंसुओं से धुलते सपनों के साथ धरने पर बैठे नौकरी गंवाने वाले
25-Apr-2024 10:56 AM
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामला: आंसुओं से धुलते सपनों के साथ धरने पर बैठे नौकरी गंवाने वाले

SANJAY DAS

-प्रभाकर मणि तिवारी

"हमने तो कोई ग़लती नहीं की थी. मुझे तो लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में मिले अंकों के आधार पर चुना गया था. जब मैंने नौकरी के लिए कोई ग़ैर-क़ानूनी तरीका नहीं अपनाया था तो आख़िर मुझे क्यों सज़ा मिली? हम तो गेहूं के साथ घुन की तरह पिस गए"- यह कहना है सागर मंडल का जिन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के फै़सले के बाद शिक्षक की अपनी नौकरी गंवा दी है.

कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सोमवार को शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के बाद साल 2016 में स्कूल सेवा आयोग की ओर से चुने गए क़रीब 25 हज़ार से अधिक शिक्षकों और गै़र-शिक्षण कर्मचारियों को नौकरियों से हटा दिया.

अदालत ने उस साल की पूरी भर्ती प्रक्रिया ही रद्द कर दी है. इससे अपनी मेरिट के बल पर नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों में भारी हताशा और नाराज़गी है.

कोर्ट ने ये भी कहा है कि 2016 के नियुक्ति पैनल की मियाद ख़त्म होने के बाद जिन लोगों को नौकरी मिली उन्हें 12 फ़ीसदी सूद के साथ पैसे सरकार को लौटाने होंगे.

इसके बाद राज्य के विभिन्न ज़िलों से आए कुछ शिक्षकों और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों ने इस फै़सले के ख़िलाफ़ मंगलवार से कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में धरना शुरू किया है. इन लोगों ने कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की भी बात की है.

धरने पर बैठे शिक्षक
शहीद मीनार के पास धरने पर बैठे कई लोगों की आंखें बात पूरी होने से पहले ही डबडबाने लगती हैं. ज़्यादातर लोगों की आंखें इस बात की चुगली कर रही हैं कि उन्होंने सोमवार की रात करवटें बदलते हुए काटी हैं. उन्हें अपने भविष्य के सपने आंसुओं में धुलते नज़र आ रहे हैं.

धरने पर बैठी शुभ्रा घोष का कहना था कि कई साल की मेहनत के बाद उन्होंने परीक्षा पास कर मेरिट लिस्ट में जगह बनाई थी.

वो बताती हैं, "हमने फरवरी 2019 में नौकरी ज्वाइन की थी. लेकिन अब जब जीवन में कुछ स्थिरता आने लगी तो हमारे पैरों तले की ज़मीन ही खिसक गई."

उनका सवाल है कि कुछ लोगों की ग़लती या अपराध की सज़ा उन्हें क्यों मिल रही है?

धरने में शामिल लोगों में हाई स्कूल में पढ़ाने वाले अज़हरुद्दीन भी हैं. मीडिया के सामने वो अपनी ओएमआर शीट (उत्तर पुस्तिका) और मेरिट लिस्ट में अपना नाम दिखाते हैं.

वो कहते हैं, "मैंने तो ग़ैर-क़ानूनी तरीके से नौकरी नहीं हासिल की थी. तो फिर मुझे क्यों सज़ा भुगतनी पड़ रही है."

मामला ये है कि पश्चिम बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में 25,753 लोगों में से चार-पांच हज़ार पर अवैध तरीके से नौकरी हासिल करने का आरोप है. ये कहा जा रहा है कि उन्होंने बिना कुछ लिखे (ब्लैंक) उत्तर पुस्तिकाएं जमा की थीं.

धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि 2016 के घोटाले की जांच कर रही सीबीआई और ईडी इतने दिनों से किस बात की जांच कर रही थी.

विरोध प्रदर्शन के लिए पहुंचे सैकत घोष कहते हैं कि अचानक नौकरी चले जाने से उनके परिवार का जीना दूभर हो जाएगा.

वहीं धरने पर बैठी एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर सवाल किया, "अगर किसी कक्षा में कुछ लोग फेल हो जाएं तो क्या सबको फेल कर देना चाहिए?"

बर्दवान से यहां पहुंचे प्रदीप मंडल अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं. वो कहते हैं कि उनके कंधों पर बीमार और बुजु़र्ग माता-पिता के अलावा दो बहनों की भी ज़िम्मेदारी है.

वह कहते हैं, "मेरी ज़िंदगी तो रातों-रात बदल गई. अब समझ नहीं आ रहा है कि मैं घरवालों और पड़ोसियों को क्या मुंह दिखाऊंगा? इस फै़सले ने मुझे भी संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है."

उनका सवाल है कि नौकरी के दौरान जो वेतन मिला वह तो घर-परिवार चलाने में खर्च हो गया. अब कोर्ट के आदेश के अनुसार वो चार सप्ताह के भीतर इतनी बड़ी रकम का जुगाड़ कहां से करेंगे?

मोहम्मद इलियास को भी 2016 की एसएससी परीक्षा के आधार पर ही उत्तर बंगाल में अलीपुरदुआर के एक स्कूल में नौकरी मिली थी.

स्कूल में गर्मी की छुट्टियां होने के कारण उन्होंने सोमवार शाम को घर आने के लिए ट्रेन पकड़ी थी. रास्ते में उनको अदालत के फै़सले की जानकारी मिली.

वो कहते हैं, "अदालत के फ़ैसले के बारे में जानने के बाद से उनकी आंखों से नींद गायब हो गई. पूरी रात बेचैनी में गुज़ारने के बाद वो कोलकाता में सुबह ट्रेन से उतरे और सीधे शहीद मीनार पहुंचे."

उनका सवाल था कि "मैंने ग़ैर-क़ानूनी रास्ते नहीं अपनाए हैं, तो क्या नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने पर मुझे सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा."

इमेज कैप्शन,सागर मंडल
लेकिन सबसे मुश्किल स्थिति में वो लोग हैं जिनकी नौकरी भी चली गई और जिन्हें चार सप्ताह के भीतर वेतन के तौर पर मिले लाखों की रक़म लौटानी होगी.

उनको समझ में नहीं आ रहा है कि वो अब करें तो क्या करें. हाईकोर्ट ने अपने फै़सले में कहा है कि जिन लोगों ने 2016 के नियुक्ति पैनल की मियाद ख़त्म होने के बाद नौकरी हासिल की उनको 12 फ़ीसदी सालाना सूद समेत पूरे पैसे लौटाने होंगे.

ऐसे एक उम्मीदवार कहते हैं, "मुझे तो 2022 में अदालत के निर्देश पर ही नौकरी मिली थी. अब समझ में नहीं आ रहा है कि अपना दुख किससे कहूं."

जिन 25,753 लोगों की नौकरियां गई हैं उनमें से कितनों को पैसे लौटाने होंगे, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन मोटे अनुमान के मुताबिक़ यह तादाद चार से पांच हज़ार तक हो सकती है.

इनमें से हाईस्कूल यानी नौवीं-दसवीं के शिक्षकों को औसतन 22 लाख और हायर सेकेंडरी (11-12) के शिक्षकों को औसतन 28 से 30 लाख तक की रकम लौटानी पड़ सकती है.

सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में 25 हज़ार से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि उसके पास इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं था.

ये फ़ैसला 2016 के शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित मामलों की सुनवाई के बाद सुनाया गया है. अदालत ने कहा है कि स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) लोकसभा चुनाव के बाद नए सिरे से इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.

2016 के पैनल में 25,754 लोगों ने नौकरियां हासिल की थीं. आरोप है कि इनमें से कई लोगों ने अवैध तरीके से नियुक्ति हासिल की थी. यह तमाम लोग स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से आयोजित परीक्षा के ज़रिए भर्ती हुए थे.

हाईकोर्ट ने मानवता के आधार पर सिर्फ सोमा दास नामक एक महिला की नौकरी बहाल रखने का निर्देश दिया है. वो कैंसर से पीड़ित हैं.

अदालत ने 282 पन्ने के अपने फै़सले में सीबीआई को राज्य सरकार से जुड़े उन लोगों से पूछताछ करने और ज़रूरी होने पर हिरासत में लेने का निर्देश दिया है जिन्होंने स्कूल सेवा आयोग के तहत अतिरिक्त पदों को मंजूरी दी थी और इससे संबंधित फै़सले लिए थे.

सीबीआई का आरोप है कि अवैध नियुक्तियों के तहत लोगों को खपाने के लिए कई अतिरिक्त पद बनाए गए थे. अदालत ने सीबीआई से इस घोटाले की जांच जारी रखने को कहा है.

इमेज कैप्शन,कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ धरना देते शिक्षक
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन लोगों के समर्थन में खड़े रहने और इस फै़सले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भरोसा दिया है. उनका सवाल है कि आख़िर यह लोग चार सप्ताह के भीतर इतना पैसा कहां से चुकाएंगे. स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की बात कही है.

ममता अपनी चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठा रही हैं और इसके लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं.

सोमवार को रायगंज की रैली के बाद उन्होंने मंगलवार को बीरभूम की एक सभा में कहा कि हम नौकरियां दे रहे हैं और वो (बीजेपी) एक झटके में हज़ारों नौकरियां छीन रहे हैं. मुख्यमंत्री का कहना था कि अगर पहले बताया गया होता कि कुछ ग़लती हुई है तो उसे सुधार लिया गया होता.

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने माना कि कुछ ग़लतियां हुई हैं. वहीं ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की निगाह में यह मामला आने के बाद कार्रवाई की गई है.

घोष का कहना था कि अदालत के फै़सले ने हज़ारों लोगों के जीवन में उथल-पुथल पैदा कर दी है और कुछ लोगों की वजह से सभी को मुश्किल झेलनी पड़ रही है.

विपक्षी दलों ने इस फै़सले के बाद तृणमूल कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है. बीजेपी सांसद शमीक भट्टाचार्य ने कहा है कि यह बंगाल का सबसे बड़ा घोटाला है. लोग चुनाव में इसका जवाब देंगे.

धरने  पर बैठे शिक्षक
बीजेपी ने ममता बनर्जी से इस्तीफे़ की भी मांग की है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की ग़लती के कारण एक झटके में इन 25 हज़ार के अधिक लोगों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.

उनका कहना था कि अदालत के फै़सले से साबित हो गया है कि तृणमूल ने शिक्षक जैसे सम्मानित पेशे को गाय, बकरी और मुर्गियों की तरह बाज़ार में बेच दिया है.

सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती भी इसे अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताते हैं. वह कहते हैं कि इस घोटाले में तृणमूल के नीचे से ऊपर तक के तमाम नेता शामिल हैं.

वह कहते हैं, "इसका प्रतिकूल असर पूरे समाज पर पड़ रहा है. अदालत ने जिनको पैसे लौटाने का निर्देश दिया है वो यह रकम कहां से ले आएंगे? ये पैसा तृणमूल कांग्रेस को ही लौटाना चाहिए." (bbc.com/hindi)

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