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![डीपी विप्र कॉलेज को यूजीसी से मिली स्वायत्ता पर अटल विवि ने नहीं दिया अपने प्रतिनिधि का नाम डीपी विप्र कॉलेज को यूजीसी से मिली स्वायत्ता पर अटल विवि ने नहीं दिया अपने प्रतिनिधि का नाम](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1719735570P_Vipra_College_Bilaspur.jpeg)
शासी समिति ने लगाया कुलपति पर बाधा डालने व यूजीसी के निर्देश के उल्लंघन का आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 30 जून। डीपी विप्र महाविद्यालय को स्वायत्त घोषित करने के बाद अटल बिहारी विश्वविद्यालय के कुलपति इसके विरोध में आ गए हैं। कॉलेज प्रबंधन ने आरोप लगाया है कि नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड पाने वाले छत्तीसगढ़ के इस एकमात्र निजी महाविद्यालय की उपलब्धि पर कुलपति ने हर्ष व्यक्त करने बजाय इस आदेश का विरोध कर रहे हैं।
महाविद्यालय शासी समिति की बैठक के बाद इसके सदस्य राजकुमार अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दस शैक्षणिक सत्र 2024 से लेकर 2033-34 तक के लिए कॉलेज क स्वायत्त महाविद्यालय का दर्जा दे दिया है। इससे बिलासपुर के शैक्षिक वातावरण में उपलब्धि के रूप मे देखा जा रहा है लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी गरिमामय पद पर रहते हुए उक्त आदेश की उपेक्षा, विरोध तथा महाविद्यालय के उन्नयन में रोड़े डालकर बाधा बनने का प्रयास कर रहे हैं।
अग्रवाल ने कहा कि कुलपति द्वारा महाविद्यालय के स्वायत्त शासी को रोकने हेतु नियमों के विरुद्ध कदम उठाए गए। इनमें से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का स्वायत्त दर्जा देने निर्णय अंतिम है। यूजीसी के अधीन होते हुए भी आदेश के पालन न कर वे अनुशासनहीनता दिखा रहे हैं। स्वायत्तता का पत्र मिलते ही प्रो. बाजपेयी ने विश्वविद्यालय के कार्य परिषद की बैठक बुलाना तथा सदस्यों को मिथ्या तथा भ्रमित करने वाला जानकारी दी। कुलपति ने महाविद्यालय को पत्र लिखकर यूजीसी के निर्देशों का पालन न करने का अवैधानिक निर्देश दिया है जो स्वयं में अनुशासन हीनता और अवैधानिक है। अग्रवाल ने कहा कि यूजीसी ने तो विश्वविद्यालय के कुलपति से अभिमत मांगा है न ही प्रस्ताव दिया है, बल्कि अपने निर्णय से कुलपति और विश्वविद्यालय को अवगत कराया है। भारत सरकार के राज पत्र में प्रकाशित स्वायत्त महाविद्यालय संबंधी नियमों को नियम 4.2 में यह स्पष्ट है कि मूल विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा महाविद्यालय को स्वायत्त दर्जा प्रदान करने के 30 दिनों के भीतर अधिसूचना जारी करना है, जबकि कुलपति ऐसा नहीं कर अनुशासनहीनता दिखा रहे हैं। डीपी विप्र महाविद्यालय की प्रशासन समिति में राज्य सरकार ने डॉ. तपेश चंद्र गुप्ता को प्रतिनिधि भी नियुक्त कर दिया है। सभी संविधिक निकायों ने अपने प्रतिनिधि नामित कर दिए हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से सदस्य नामित नहीं कर महाविद्यालय की स्वायत्ता में बाधा डाली जा रही है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1954 का नियम क्र. 14 का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आदेशों का पालन न करने एवं निर्देशों का अवहेलना करने पर अनुदान आयोग अनुशासनहीनता मानकर विश्वविद्यालय का अनुदान बंद कर सकता है जिसके अंतर्गत आपके इन प्रयासों से विश्वविद्यालय का अनुदान पर रोक लगाई जा सकती है जो बिलासपुर जैसे शिक्षा जगत में विकासशील क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति होगी।
अग्रवाल ने कहा कि स्वायत्ता की उपलब्धि डीपी विप्र कॉलेज ने प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए हासिल की है। दूसरी ओर कुलपति यूजीसी के आदेश का उल्लंघन कर बिलासपुर के छात्रों को शिक्षा से विमुख करने के षड़यंत्र में लगे हैं।