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राजपथ-जनपथ : पड़ोसी से लेनदारी का झगड़ा
30-Jun-2024 5:24 PM
राजपथ-जनपथ : पड़ोसी से लेनदारी का झगड़ा

पड़ोसी से लेनदारी का झगड़ा 
पड़ोसी राज्य तेलंगाना में इन दिनों छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदी को लेकर बीआरएस (टीआरएस) और कांग्रेस के बीच खूब जूतमपैजार मचा हुआ है । रेवंत सरकार ने पिछली केसीआर सरकार के पीपीए(पॉवर परचेज एग्रीमेंट) पर न केवल श्वेत पत्र जारी कर दिया है। बल्कि जस्टिस नरसिंहलु की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर दिया है। आयोग ने केसीआर, उनके तत्कालीन उर्जा मंत्री, बिजली कंपनियों के अध्यक्ष एमडी समेत 21-22 लोगों को नोटिस भी जारी कर रखा है। इस नोटिस को केसीआर ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखा है। हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है, संभवत: कल सोमवार को फैसला आ भी जाए। 

तेलंगाना के पूर्व ऊर्जा मंत्री का कहना है कि इस पीपीए में केसीआर अकेले ही दोषी कैसे हो सकते हैं। आयोग बिजली बेचने वाले छत्तीसगढ़ के तत्कालीन सीएम व ऊर्जा मंत्री को भी नोटिस देकर तलब करे। नोटिस जारी होने पर छत्तीसगढ़ में भी राजनीति गर्माएगी। क्योंकि छत्तीसगढ़ को बिजली का पैसा लेने में पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। 36 सौ करोड़ का बकाया बिल था जिसे 21 सौ करोड़ देने के लिए सेटलमेंट हुआ है।  तेलंगाना ने बकाया बिल 40-40 करोड़ के किश्तों में देने की मंजूरी दी है। अब कोर्ट के फैसले पर निगाहें टिकी है। 

कका अभी जिंदा हे !!
लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा करने आई वीरप्पा मोइली कमेटी के दौरे के ठीक पहले पूर्व सीएम भूपेश बघेल के सिविल लाइन स्थित सरकारी निवास के बाहर लगाए गए होर्डिंग्स की काफी चर्चा है। होर्डिंग्स में लिखा है-कोन बात के चिंता हे। जब कका अभी जिंदा हे। यह होर्डिंग्स भूपेश के दो करीबी नेता गिरीश देवांगन, और सन्नी अग्रवाल द्वारा लगवाया गया है। इसमें भूपेश के साथ-साथ दोनों की तस्वीर भी है। 

भूपेश के विरोधी इस होर्डिंग्स को लेकर काफी चटकारे ले रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि भूपेश के सीएम रहते कांग्रेस विधानसभा चुनाव में राज्य बनने के बाद सबसे बुरी हार हुई है। लोकसभा चुनाव में भी प्रदर्शन निचले स्तर में रहा। पार्टी की खराब दशा के लिए भूपेश ही दोषी हैं। भाजपा के लोग दोनों हार के बाद कांग्रेस को लूजर पार्टी के उपनाम से भी पुकार रहे हैं। ऐसे में इतनी बड़ी हार के बाद भी पार्टी के लोग चिंतित न हो, ऐसे कैसे हो सकता है। ये अलग बात है कि भूपेश के करीबी लोग भविष्य को लेकर आश्वस्त जरूर कर रहे हैं। 

एआईसीसी को रिपोर्ट मिलने के बाद
लोकसभा चुनाव में हार के कारणों की तलाश करने पहुंची फैक्ट फाइंडिंग कमेटी दो संभाग रायपुर और बिलासपुर में हार के कारणों की पड़ताल कर चुकी, अब दुर्ग और बस्तर की बारी है। बिलासपुर में कमेटी के प्रवास के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की सक्रियता को लेकर लोगों में चर्चा हो रही थी। वे बिलासपुर के अलावा  जांजगीर, कोरबा, रायगढ़ और सरगुजा से पहुंचे जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों से वे छत्तीसगढ़ भवन के बाहर बारी-बारी बात करने और मुलाकात करने में लगे हुए थे। भवन के भीतर कमेटी से मिलकर निकलने वाले पदाधिकारियों से भी वे मिल रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना था कि दरअसल, बैज टोह ले रहे थे कि कमेटी के सामने उनकी भूमिका के बारे में क्या कहा जा रहा है। कोई गंभीर शिकायत तो नहीं की गई है? किसी ने तारीफ की हो तो उसका भी पता चल जाए। ये कार्यकर्ता यह भी कह रहे थे कि इसी तरह का मेल-मिलाप वे अध्यक्ष पद संभालने के बाद दिखाते तो तस्वीर कुछ दूसरी होती। जैसा कि कमेटी के सदस्यों ने बताया है कि वे प्रत्याशियों, पदाधिकारियों और दूसरे नेताओं की बातचीत से जो निकला है, उसका सार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे देंगे। उसके बाद वे जरूरी कदम उठाएंगे। कुछ कार्यकर्ता कह रहे थे कि बैज की चिंता इसी बात को लेकर थी कि वे इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे या छीन लिया जाएगा।  

जीत का कोरबा मॉडल
कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के चेयरमैन वीरप्पा मोइली और अन्य सदस्य बिलासपुर में प्रदेश के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे तो उनके सामने एक बात यह भी कही गई कि कोरबा सीट में मिली जीत को लेकर भी उनको रिपोर्ट बनानी चाहिए। कोरबा में न केवल ज्योत्सना महंत की लगातार दो बार जीत हुई है, बल्कि लीड भी बढ़ी है। मोइली ने बाद में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि कोरबा में जीत के लिए क्या रणनीति बनाई गई थी, इसकी जानकारी उन्होंने एकत्र की है। इस सफलता का भी उनकी रिपोर्ट में अलग से जिक्र होगा, जिसे हाईकमान के सामने रखा जाएगा। ([email protected])

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