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![अचानकमार में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मानवीय दबाव कम करना जरूरी- मूर्ति अचानकमार में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मानवीय दबाव कम करना जरूरी- मूर्ति](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1719811650TR_workshop.jpg)
पन्ना टाइगर रिजर्व के रिटायर्ड फील्ड डायरेक्टर की मौजूदगी में हुई कार्यशाला
बिलासपुर, 1 जुलाई। अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्यशाला रखी गई। इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व के सेवानिवृत्त फील्ड डायरेक्टर आर. श्रीनिवास मूर्ति ने वन अमले को महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल की पहल पर टाइगर की वंश वृद्धि में एक्सपर्ट माने जाने वाले मूर्ति ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न अभयारण्यों में दौरा किया और टाइगर की वृद्धि के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बार नवापारा अभयारण्य में विचरण कर रहे टाइगर के संरक्षण पर वन अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशाला पिछले दिनों ली थी। मूर्ति के प्रयासों से पन्ना टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो चुके टाइगर आज लगभग 90 तक पहुंच चुकी है। मूर्ति ने अचानकमार में वर्तमान में मौजूद बाघों के संरक्षण और उनकी सतत मानिटरिंग के अलावा बायोटिक प्रेशर को कम करने की जरूरत बताई। टाइगर यहां विचरण की आदत बनाएं इसके लिए मानवीय दबाव कम करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि टाइगर की उपस्थिति से बेहतर जंगल की पहचान होती है।
कार्यशाला में अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर मनोज पांडेय, डिप्टी डायरेक्टर यूआर गणेश, सहायक संचालक के अलावा कोर व बफर के सभी परिक्षेत्र अधिकारी उपस्थित थे।
इस कार्यशाला में वन विभाग के वाइल्ड लाइफ एपीसीसीएफ प्रेम कुमार भी उपस्थित थे। उन्होंने टाइगर के संरक्षण और री-इंट्रोडक्शन के लिए सभी अधिकारी व कर्मचारियों को समझाइश दी और पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुरूप समुदाय से बाघों की संरक्षण की दिशा में बढ़ने प्रेरित किया गया। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर हर तरह की मदद भी दी जाएगी।