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तजुर्बे की कमी
विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को निपट गया। वैसे तो सत्र मात्र पांच दिनों का था, लेकिन तमाम प्रमुख मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। सदन में नए मंत्रियों का प्रदर्शन कमजोर दिखा, और उनकी कुछ हद तक अनुभवहीनता भी सामने आ गई। नए मंत्रियों में ओपी चौधरी ही अकेले ऐसे थे, जिन्होंने सत्ता और विपक्षी सदस्यों को संतुष्ट करने में कामयाब रहे।
स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने तो दिवंगत विधायक विजय सिंह के निधन की सूचना में देरी पर हुई प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने यह कह दिया कि इससे प्रदेश की स्थिति का पता चलता है। अब आगे क्या? भाजपा के अंदरखाने में कैबिनेट विस्तार में अनुभवी पूर्व मंत्रियों को जगह देने की चर्चा हो रही है।
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और लता उसेंडी जैसे सीनियर विधायक कैबिनेट का हिस्सा नहीं है। कौशिक भले ही मंत्री नहीं रहे, लेकिन स्पीकर के रूप में अपनी कार्यक्षमता साबित की है। बाकी तीनों भी मंत्री के रूप में कुछ हद तक बेहतर कार्यशैली का परिचय दिया है। कम से कम सदन में ये तीनों विपक्षी सदस्यों को अपने जवाब से संतुष्ट कर जाते थे। मगर नए मंत्रियों के साथ समस्याएं दिख रही है। अब मंत्री कामकाज में सुधार के लिए क्या कुछ करते हैं, यह देखना है।
बैज का लीज-नवीनीकरण
बलौदाबाजार आगजनी, और अन्य घटनाओं को लेकर सरकार के खिलाफ कांग्रेस का विधानसभा घेराव कार्यक्रम काफी हद तक सफल रहा। खुद प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट कार्यक्रम से काफी संतुष्ट नजर आए। कई नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को बधाई भी दी। विधानसभा, और लोकसभा चुनाव में हार के बाद बैज को हटाने के लिए शीर्ष स्तर पर लाबिंग हो रही है। इन सबके बीच एक के बाद एक घटनाओं ने कांग्रेस को आक्रामक रहने पर मजबूर किया। दीपक ने इसका फायदा उठाया, और विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई। उन्हें नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत का भरपूर सहयोग मिला। प्रदर्शन ऐसा रहा कि प्रदर्शनकारी कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस को वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। कांग्रेसजनों में काफी समय बाद उत्साह देखने को मिला। इससे फिलहाल बैज की कुर्सी नगरीय निकाय चुनाव तक सुरक्षित दिख रही है। देखना है आगे क्या होता है।
दक्षिण के दावेदार शार्ट लिस्ट
रायपुर दक्षिण पर कब्जा बरकरार रखने भाजपा ने पहली जंग जीत ली है। सरकार बनने के बाद जीत सुनिश्चित मानकर इलाके का हर सक्रिय नेता दावा कर रहा था। ऐसे एक एक कर 45-47 दावेदारों की लिस्ट बन गई थी। इनमें से हरेक को बिठाना, मनाना काफी कठिन था। फिर भी भाजपा में सब सध जाते हैं। एक तरफ से सांसद ने मोर्चा सम्हाला तो दूसरी तरफ से संगठन ने। और इन चार दर्जन दावेदारों की लिस्ट शार्ट कर ली गई। और यह खुशखबरी विधानसभा की लॉबी तक पहुंच गई। बताया जा रहा है कि करीब 43 लोगों के नाम कट गए हैं। और तीन ही शेष रह गए हैं। और पार्टी के सर्वे में भी इनके नाम जीतने वाले के रूप में सामने आए हैं। इनमें एक पार्षद, एक प्रवक्ता और एक पंडित जी। सबसे अहम यह है कि सांसद के परिवार से एक भी नहीं हैं।
अब देखना यह है कि बी-फॉर्म किसके हाथ लगता है। नाम तय करने से अधिक दावेदारों को बिठाने का उपक्रम इससे भी अधिक दिलचस्प है। किसी को महापौर की टिकट, किसी को सभापति और किसी को पार्षद के साथ एमआईसी मेंबर, किसी को निगम-मंडल की कुर्सी के ऑफर दिए गए। एक दो ने तो वीडियो रिकार्डिंग कर गारंटी भी सेव कर लिया है। कुछ तो यह कहते हुए मान गए कि किसी को भी दे देना, इस एक को भर मत देना। इस अक काम नाम सुनकर भाई साहब भी परेशान कि साफ सुथरी छवि से बाद भी आखिर इस एक से इतनी नाराजगी क्यों?
टैक्स घटाकर बोझ बढ़ाया
केंद्रीय बजट का अध्ययन करने के बाद धीरे-धीरे इसके नफे-नुकसान सामने आ रहे हैं। केंद्रीय बजट में लॉन्ग टर्म प्रॉपर्टी गेन पर लगने वाले टैक्स को 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया है। मगर, सरकार का इस पर फायदा गिनाना, किसी सुपर मार्केट में लगे सेल की तरह भ्रामक है।
पहले अगर किसी ने 10 साल पहले 20 लाख की प्रॉपर्टी खरीदी और आज उसे 30 लाख में बेचा, तो वह 10 लाख के मुनाफे पर नहीं बल्कि 4-5 लाख के वास्तविक मुनाफे पर टैक्स देता था, क्योंकि महंगाई का इंडेक्सेशन लागू था। अब ये नया फॉर्मूला ऐसा है कि आपको पूरी कमाई पर ही टैक्स चुकाना पड़ेगा। सरकार कह रही है कि यह कर प्रणाली का सरलीकरण है।
छत्तीसगढ़ का उदाहरण भी है। यहां जमीन रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क की 30 प्रतिशत छूट को खत्म कर दिया गया, यह कहकर कि इससे किसानों को नुकसान हो रहा था। यह किसी के समझ में नहीं आया कि छूट खत्म कर किसी को फायदा कैसे पहुंच सकता है। जानकार बताते हैं कि प्रॉपर्टी के सौदे में अब ब्लैक मनी बढऩे वाला है। लोग असली कीमत छिपाएंगे।
अकेलापन दूर करने के लिए..
माइक्रोसॉफ्ट का जर्सी पहनकर ऑटो रिक्शा चला रहे इस शख्स की तस्वीर बेंगलूरु की बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर जैसा दावा किया जा रहा है वह लाखों की पैकेज में काम करने वाला इंजीनियर है, मगर छुट्टी के दिन खाली होने के कारण ऑटो रिक्शा चलाता है। अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए। अलग-अलग तरह के लोगों से इस बहाने मुलाकात हो जाती है। ([email protected])