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नयी दिल्ली, 27 जुलाई। दिल्ली पुलिस ने ‘फिंगर प्रिंट’ ब्यूरो की मदद से इस वर्ष 15 जुलाई तक राष्ट्रीय राजधानी में हुए विभिन्न अपराधों में से 150 मामलों को सुलझाया जिनमें सबसे ज्यादा सेंधमारी के 61 मामले शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस के आंकड़ों में सामने आया है कि ‘फिंगर प्रिंट’ ब्यूरो ने इस वर्ष अब तक 60 अज्ञात या लावारिस शवों की पहचान करने और चोरी के 18 मामलों को सुलझाने में मदद की।
ब्यूरो ने हत्या के छह, धोखाधड़ी के दो और दुष्कर्म, डकैती व लूट के एक-एक मामले को भी सुलझाने में मदद की।
ब्यूरो ने इसके अलावा संपत्ति विवाद और जालसाजी करने से जुड़े 27 मामलों को सुलझाने में दिल्ली पुलिस की मदद की।
पुलिस ने वर्ष 2023 में ‘फिंगर प्रिंट’ ब्यूरो की मदद से 173 मामले सुलझाए थे जबकि 2022 में विभाग को 89 मामलों को सुलझाने में सफलता हासिल हुई।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ब्यूरो किसी भी अपराध स्थल की फोरेंसिक जांच में सबसे महत्वपूर्ण घटक है।
दिल्ली के सभी 15 पुलिस जिलों में फोरेंसिक वैन हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक ‘फिंगर प्रिंट’ विशेषज्ञ मौजूद है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटनास्थल से एकत्र किए गए ‘फिंगर प्रिंट’ के आरोपियों से मिलान होने के बाद पुलिस को न सिर्फ अपराध को सुलझाने में मदद मिलती है बल्कि मामले में आरोपपत्र में साक्ष्य के रूप में यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी बन जाता है।
अधिकारी ने बताया कि ‘फिंगर प्रिंट’ ब्यूरो दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के अंतर्गत आता है। अपराध शाखा के पास राष्ट्रीय राजधानी में पांच लाख अपराधियों का डेटाबेस है।
उन्होंने बताया कि सेंधमारी, डकैती जैसे मामलों को इस डेटाबेस की मदद से सुलझाया जाता है।
‘फिंगर प्रिंट’ ब्यूरो इकाई की स्थापना 1983 में हुई थी।
ब्यूरो के तीन केंद्र हैं, जिनमें मुख्य शाखा मध्य दिल्ली के कमला मार्केट में और दो अन्य कार्यालय दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर व पुष्प विहार में हैं। (भाषा)