राष्ट्रीय
इंदौर, 9 सितंबर। सांवेर विधानसभा क्षेत्र में निकल रही कलश यात्रा के मामले में मंगलवार रात पुलिस ने भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर व पूर्व जनपद अध्यक्ष भगवान परमार, सुभाषष चौधरी, पूर्व सरपंच विनोद चंदानी, अंतरदयाल कतौला, सतीश मालवीय के खिलाफ धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया है। सांवेर, धरमपुरी और चंद्रावती गंज में निकली यात्राओं को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। अब तक 50 से ज्यादा स्थानों पर कलश यात्राएं निकल चुकी हैं और उनमें कोडिव-19 के प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है।
240 गांवों से निकलने वाली यात्रा शुरु
बीते रविवार को निकले ताजिये और उसके बाद शुरू हुआ आयोजकों की गिरफ्तारियां का दौर अभी थमा भी नहीं था कि पिवड़ाय से नर्मदा कलश यात्रा का भव्य श्रीगणेश हो गया। सांवेर उप चुनाव की तैयारियों के तहत प्लान की गई इस कलश यात्रा में पिवड़ाय व आसपास के अन्य गांवों की 700 से महिलाओं ने भाग लिया। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कोविड-19 गाइडलाइन कुछ ही लोगों तक सीमित नजर आई।
सांवेर में अपना सिंहासन कायम रखने के लिए मंत्री तुलसीराम सिलावट और मप्र सरकार ने जो रणनीति बनाई है उसका हिस्सा है नर्मदा कलश यात्रा। जो पोलिंग बुथों के आधार पर बनाए गए 31 सेक्टरों के 240 गांवो में निकलेगी। इस यात्रा को निकलकर सरकार गांव-गांव तक 2423 करोड़ की लागत से प्रस्तावित नर्मदा-शिप्रा मल्टीपरपस प्रोजेक्ट की जानकारी पहुंचाना है जिसके तहत विधानसभा के 183 गांवों तक पानी पहुंचना है।
नर्मदा कलश यात्रा अभियान की शुरुआत पिवड़ाय से हुई है जो मंडल अध्यक्ष सुधीर भजनी के नेतृत्व में निकाली गई। दो दिन पहले उज्जैनी पहुंचे मंत्री और उनके
समर्थकों ने नर्मदा कलश भरकर दिए थे। शनिवार को जब यात्रा निकली तो इसमें 700 से अधिक महिलाएं शामिली थी। जिनके माथे पर कलश सजा हुआ था। बैंड बाजे के साथ निकी यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण भी शामिल थे। यात्रा में शामिल पंचायत पदाधिकारियों के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया था।
#Indore| Amid rising cases of #COVID19, MP Cabinet Minister Tulsi Silawat organises religious procession as elections inch closer, violating all social distancing norms. pic.twitter.com/7ZNmqFDwc2
— Mojo Story (@themojo_in) September 8, 2020
आज कम्पेल में यात्रा...
पिवड़ाय के बाद अगला सेक्टर कम्पेल है जो भी बड़ा गांव है। 12 पोलिंग बुथ है। यहां रविवार की सुबह 9 बजे कलश यात्रा निकाली जाना है।
लगातार पॉजिटव हो रहे हैं नेता...
उपुचनाव के लिए कलश यात्रा की तैयारियों में लगे लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं। जबकि उपचुनाव के दोनों ही दावेदारों के साथ इंदौर जिले के एक दर्जन बड़े नेता अब तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। बीते दिनों विधायक महेंद्र हार्डिया और प्रवक्ता उमेश शर्मा भी पॉजिटिव निकले।
कांग्रेस भी सक्रिय...
बीते दिनों तेजादशमी निकली। इस दिन मन्नत पूरी होने वाले परिवार तेजाजी के निशान निकालते हैं। पिवड़ाय में ही ऐसे 50 परिवार थे। जिन्हें उस दिन कांग्रेस उम्मीद्वार प्रेमचंद गुड्?डू की बेटी रश्मी बोरासी ने पिवड़ाय पहुंचकर शॉल और श्रीफल दिया था। ऐसे अन्य गांवों में भी जाकर शॉल-श्रीफल दिए गए।
मुंबई, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित ऑफिस को कथित रूप से कई अनधिकृत संशोधनों / एक्सटेंशन के कारण तोड़ना शुरू कर दिया। बीएमसी एच-वेस्ट वार्ड के अधिकारियों की एक टीम पुलिस के साथ बुलडोजर, जेसीबी और अन्य भारी मशीन लेकर कंगना के ऑफिस पहुंची और बाहर से ढहाना शुरू कर दिया।
इससे पहले, बीएमसी ने ऑफिस के बाहर एक नोटिस चिपकाया, जिसमें कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी द्वारा मंगलवार के नोटिस के मद्देनजर दायर जवाब को खारिज कर दिया गया था, जिसमें बीएमसी ने उनके कार्यालय में चल रहे निर्माण में कई उल्लंघनों का जिक्र किया था। इसके कुछ ही घंटो बाद ऑफिस तोड़ना शुरू कर दिया गया।
यह कदम सोशल मीडिया पर कंगना और महाराष्ट्र के कुछ राजनेताओं के बीच साझा किए गए छिड़ी जुबानी जंग के बाद सामने आया है।
बीएमसी के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट थे कि (अवैध) निर्माण किए जा रहे थे और अभिनेत्री बीएमसी कानूनों के अनुसार इसके लिए अनुमति /अनुमोदन / स्वीकृति प्रदान करने में विफल रही थी।
नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई कि अभिनेत्री को जुर्माना के अलावा, न्यूनतम एक महीने की कैद और एक साल की जेल की सजा तक हो सकती है।
नोटिस के अनुसार, ऑफिस निर्माण में किए गए उल्लंघनों में दो बंगलों का विलय, ग्राउंड-फ्लोर के टॉयलेट को एक ऑफिस केबिन बना लेना, स्टोररूम को किचन बनवा लेना, ग्राउंड फ्लोर पर एक अनधिकृत पेंट्री बनाना, स्टोररूम और पार्किं ग एरिया के पास टॉयलेट बनाना, पहली मंजिल के लिविंग रूम में अवैध तरीके से पार्टिशन करना, पूजा कमरे में एक अवैध मीटिंग रूप बनाना, एक बालकनी को हैबिटेबल एरिया बनाना और फ्लोर एक्सटेंशन आदि हैं।
गौरतलब है कि बीएमसी की टीम ने कंगना के ऑफिस का औचक निरीक्षण किया था जिसके दो दिन बाद अब यह कदम उठाया गया है।
गोरखपुर, 9 सितंबर (आईएएनएस)| करणी सेना बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के समर्थन में उतर आई है। करणी सेना ने शिवसेना नेता संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। करणी सेना के सदस्यों ने अभिनेत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत के खिलाफ मंगलवार को गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन किया।
शिवसेना के सदस्यों ने गोरखपुर के शास्त्री चौक पर संजय राउत का पुतला भी जलाया और उनके माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि कंगना के लिए शिवसेना के नेता ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है वह सभी महिलाओं का अपमान है।
श्री राजपूत करणी सेना, 'करणी सेना' के रूप में लोकप्रिय है।
करणी सेना के जिला अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने कहा, "जब भी महिलाओं का तिरस्कार और अपमान किया गया है, राजपूतों ने हमेशा महिलाओं का समर्थन किया है। संजय राउत ने कंगना रनौत के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, जो बहुत आपत्तिजनक है। हम मांग करते हैं कि महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना संजय राउत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें अन्यथा करणी सेना महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ने के लिए सड़कों पर आएगी।"
संजय राउत पार्टी के समाचार पत्र 'सामना' के कार्यकारी संपादक हैं और मंगलवार को उन्हें पार्टी का मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया गया।
करणी सेना ने यह भी घोषणा की है कि वह मुंबई में कंगना रनौत की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी। अभिनेत्री बुधवार को मुंबई वापसी कर रही हैं।
करणी सेना ने कहा कि उसके सदस्य कंगना रनौत की रक्षा करेंगे और उसे हवाई अड्डे से उसके घर तक सुरक्षा देंगे।
गौरतलब है कि जनवरी 2018 में करणी सेना ने देशभर में फिल्म 'पद्मावत' की रिलीज का विरोध किया था, फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली को फिल्म का शीर्षक 'पद्मावती' से 'पद्मावत' में बदलने के लिए मजबूर किया था।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)| नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के बैरक में सेना के एक जवान ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। यह जानकारी बुधवार को पुलिस अधिकारियों ने दी। पुलिस को बुधवार सुबह करीब 4 बजे फोन आया कि 38 वर्षीय तेज बहादुर थापा ने खुद को बैरक के अंदर सीलिंग फैन से लटका लिया है। साउथ एवेन्यू पुलिस स्टेशन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और जवान को अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
नई दिल्ली के एडिशनल डीसीपी दीपक यादव ने कहा "आत्महत्या के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।"
सूत्रों ने बताया कि थापा का बेस अस्पताल में उच्च रक्तचाप का इलाज चल रहा था।
थापा गोरखा राइफल्स में तैनात थे और वह नेपाल के मूल निवासी थे। पुलिस के अनुसार, उसने यह कदम तब उठाया जब कमरे में उसके साथी सो रहे थे। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है।
संदीप पौराणिक
बैतूल, 9 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक मजदूर दंपत्ति ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। इस दंपत्ति ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगातार 49 दिन तक मेहनत की और दो मंजिला मकान बना लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दंपत्ति से संवाद भी करने वाले हैं।
बैतूल जिले के उड़दन गांव का रहने वाला है मजदूर दंपत्ति सुशीला देवी और सुभाष। इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डेढ लाख रूपये की राशि मिली। वे इस राशि से बड़ा मकान बनाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने खुद ही मजदूरी कर आवास बनाने का फैसला लिया, ताकि मजदूरी के पैसे को बचाया जा सके। फि र क्या था दोनों अपने मिशन में जुट गए।
वैसे तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली राशि से दो कमरे और शौचालय आदि ही बना पा रहे हैं, मगर इस दंपत्ति का मकान दो मंजिला तो है ही साथ में लुभावना भी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के पीएम आवास हितग्राहियों के साथ वर्चुअल संवाद कर रहे हैं। प्रधनमंत्री 12 सितंबर को उन हितग्राहियों से बात करेंगे जो गृह प्रवेश करेंगे। इस दौरान वे बैतूल के मजदूर दंपति सुशीला देवी और सुभाष से भी बात करेंगे, क्योंकि दोनों ने पीएम आवास योजना के तहत अपना घर खुद ही बनाया है।
सुशीला देवी ने बताया कि वे पीएम मोदी से संवाद करने को लेकर वो काफी उत्साहित हैं। उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत दो मंजिला घर बना दिया, जिसमें तीन बड़े कमरे, दलान, किचन और उसके साथ छोटा सा बगीचा शामिल है।
पुराने दिनों को याद करते हुए सुशीला बताती हैं कि पहले वे कच्चे घरों में रहते थे। इस दौरान जब बारिश होती थी तो छप्पर से पानी गिरता था। इसकी वजह से घर में पानी भर जाता था और पूरा परिवार परेशान होता था। इतना ही नहीं कमान कमजोर होने के कारण गिरने का भी डर सताता था। लेकिन पीएम आवास योजना के तहत घर बनने से उनकी ये कठिनाई दूर हो गई है, अब उन्हें सिर्फ बच्चों का भविष्य संवारना है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम एल त्यागी ने बताया कि हितग्राही ने जिस तरह खुद मेहनत कर आवास तैयार किया वह काबिले तारीफ है। उनकी मेहनत की वजह से उन्हें 13 अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। दंपत्ति के इस कार्य के लिए प्रधानमंत्री से उनका संवाद होने वाला है।
प्रशांत रुपेरा, वडोदरा
गुजरात में एक ऐसी डेयरी बनने जा रही है जहां गधी का दूध मिला करेगा। इसकी कीमत सुनकर होश उड़ जाएंगे, एक लीटर गधी का दूध सात हजार रुपये तक का हो सकता है। इस हिसाब से यह दुनिया का सबसे महंगा दूध साबित होगा।
जो लोग गधी के दूध का नाम सुनकर नाक-भौं सिकोड़ रहे हों उनके लिए बता दें कि इसके दूध में बहुत औषधीय गुण होते हैं। प्राचीन मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की सुंदरता के बड़े चर्चे थे, बताया जाता है कि वह गधी के दूध से स्नान करती थी। इसमें ऐंटी एजिंग, ऐंटी ऑक्सिडेंट और दूसरे तत्व होते हैं जो इसे दुलर्भ बनाते हैं।
सरकार इन्हें दुधारू पशु का दर्जा देगी
फिलहाल, गुजरात की स्थानीय हलारी नस्ल के गधे इसके लिए मुफीद माने गए हैं। ये गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में पाए जाते हैं। अब गुजरात सरकार सोच रही है कि इन्हें बोझा ढोने वाले पशुओं की जगह दुधारू पशु की श्रेणी में रखा जाए और उससे कमाई भी की जाए।
नई नस्ल के रूप में पहचान मिली है
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) ने हरियाणा के हिसार में गधी के दूध पर एक प्रॉजेक्ट की शुरुआत भी कर दी है। दो साल पहले ही नैशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज ने हलारी नस्ल को नई नस्ल का दर्जा दिया है। गधों की किसी दूसरी नस्ल को यह दर्जा मिला है, गुजरात की यह पहली गधों की नस्ल है।
पिछले 200 साल से सौराष्ट्र में हैं
गुजरात के आणंद स्थित, आणंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट के डॉ. डीएन रंक ने बताया, 'हलारी गधे घोड़ों से तो कद में छोटे होते हैं लेकिन बाकी गधों से बड़े होते हैं। देखने में ये घोड़ों जैसे ही लगते हैं। गधों की यह नस्ल पिछले 200 साल से हलारा क्षेत्र में रह रही है। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से इस नस्ल के संरक्षण और इनके जींन्स के संवर्धन के लिए रास्ता खुल जाएगा।'
विदेशों में है भारी डिमांड
जामनगर और देवभूमि द्वारका जिलों को पहले हलार क्षेत्र कहा जाता था। यहां के 18,176 वर्ग किलोमीटर में लगभग 1,112 गधे हैं। विदेशों में दूध की बड़ी डिमांड है। यह साबुन बनाने, स्किन जेल और फेस वॉश में इस्तेमाल किया जाता है।(navbharattimes)
कर्नाटक में चंदन की लकड़ी ड्रग्स रैकेट के परिणामस्वरूप पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। की खेती के साथ ही ड्रग्स बेचने वालों के खिलाफ ऐक्शन लिया जा रहा है। हालांकि कई लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उत्तरी कर्नाटक के मंदिरों में गांजे ganja को पवित्र समझकर उपभोग किया जाता है।
सरना, अवधूत, शप्थ, अरुणा परंपरा में श्रद्धालु मारिजुआना या gaaja को विभिन्न रूपों में लेते हैं। वे इसे आध्यात्मिक बोध का साधन मानते हैं। यादगीर जिले में तिनथिनि स्थित मौनेश्वर मंदिर में जनवरी में होने वाले वार्षिक मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर गांजे का पैकेट दिया जाता है, जिसे मौनेश्वर या मनप्पा की प्रार्थना के बाद उपभोग कर लिया जाता है।
‘आध्यात्मिक रास्ते पर ले जाता है गांजा’
मंदिर समिति के सदस्य गंगाधर नायक ने बताया कि गांजे का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘मौनेश्वर ने लोगों को गांजा प्रदान किया था। इसलिए यहां परंपरा है। संतों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यह पवित्र घास आध्यात्मिक ज्ञान के रास्ते पर ले जाती है।’ हालांकि उन्होंने मंदिर के बाहर गांजे की बिक्री किए जाने से स्पष्ट तौर पर इनकार किया।
नायक ने बताया कि कुछ श्रद्धालु यहां आकर गांजे का सेवन करते हैं। वहीं कुछ लोग उबालकर गांजा खाते हैं। जबकि कुछ लोग तंबाकू पाउडर की तरह इसका सेवन करते हैं। सरना समुदाय पर रिसर्च करने वाली प्रफेसर मीनाक्षी बाले ने बताया कि मंदिर में गांजे का सेवन करने वाले लोगों में इसकी लत नहीं होती है।
चिकित्सकीय फायदा भी, शरीर रहता है स्वस्थ’
इसी तरह सरना परंपरा को मानने वाले महंतेश के. ने बताया कि रायचूर जिले की सिंधानौर तालुक स्थित अम्भा मठ में भी यह परंपरा देखने को मिलती है। उन्होंने कहा, ‘गांजा सेवन कोई लत नहीं, बल्कि अनंत खुशी का साधन है। कई लोग दिन में या सप्ताह में एक बार गांजा सेवन कर ध्यान लगाते हैं। इसका चिकित्सकीय गुण भी होता है, जिस वजह से
ध्यान साधना के दौरान करते हैं सेवन
यादगीर के शोरापुर तालुक स्थित सिद्धवट दामा शिवयोगी आश्रम के पुजारी सिद्धारामेश्वर शिवयोगी ने बताया, ‘मैं खुद दिन में एक बार गांजे का सेवन करता हूं। यह पवित्र चीज है। ध्यान के दौरान आसपास की आवाजों को शांत करने के लिए इसका सेवन करते हैं।’
पुलिस भी बना लेती है इन मठों से दूरी!
इन परंपराओं का सम्मान करते हुए पुलिस ऐसे मंदिरों से दूर रहती है और शिकायत मिलने पर आंखें मूंद लेती है। हालांकि रायचूर के एसपी प्रकाश नित्यम ने बताया, ‘जहां कहीं भी गांजे की सप्लाई होती है, हम वहां छापेमारी कर रहे हैं। मुझे किसी मंदिर या मठ के बारे में ऐसी जानकारी नहीं है। अगर हमें सूचना मिलेगी तो हम वहां छापेमारी करेंगे।’(newsinc)
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आगाह किया है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप दुनियाभर में बाल श्रम, बाल तस्करी और दासता या गुलामी (स्लैवरी) में सबसे निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी।
सत्यार्थी ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि कुछ राज्यों में भारत के श्रम कानून कमजोर पड़ने से बाल श्रम में इजाफा देखने को मिलेगा। इसके अलावा देश में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से कई बच्चों की तस्करी होने का खतरा है।
पेश है कैलाश सत्यार्थी से बातचीत के कुछ प्रमुख अंश :
प्रश्न : राष्ट्रव्यापी बंद शुरू होने के बाद से चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन को घरेलू हिंसा और हिंसा से सुरक्षा के लिए लगभग 4,60,000 कॉल प्राप्त हुई हैं। इस संदर्भ में भारत के लिए कितनी गंभीर चिंता है?
उत्तर : कोविड-19 महामारी से पहले, हम धीरे-धीरे ही सही, लेकिन निश्चित रूप से दुनिया के अधिकांश हिस्सों में बच्चों की रक्षा करने की दिशा में आगे की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन कोविड-प्रेरित राष्ट्रव्यापी बंद से पहले बच्चों से संबंधित एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) में स्थिरता आ गई थी और असमानता बढ़ रही थी। भारत कोई अपवाद नहीं रहा। महामारी के कारण मौजूदा सामाजिक असमानताओं और सामाजिक सुरक्षा का अभाव उजागर हो गया है।
कोविड-19 के आगमन ने न केवल प्रगति रोकी है, बल्कि वैश्विक नेताओं की बेहद असमान कोविड-19 प्रतिक्रिया के साथ अब हमें पिछले कुछ दशकों की प्रगति पर वापस पहुंचने में बहुत जोखिम भी है। किसी भी आपदा में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, लेकिन कोविड-19 के साथ प्रभाव एक अभूतपूर्व प्रकृति का रहा है। दुनिया भर में बाल श्रम, बाल तस्करी और गुलामी में निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी। आज हम जो देख रहे हैं, वह हमारे समय में बच्चों के लिए एक सबसे गंभीर संकट है और अगर हम अब कार्य करने में विफल होते हैं, तो हम एक पूरी पीढ़ी को खोने का जोखिम उठाएंगे।
प्रश्न : आप 'लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट' के जरिए वैश्विक नेताओं को क्या संदेश देना चाहते हैं, जिसमें डब्ल्यूएचओ प्रमुख और दलाई लामा की उपस्थिति भी होगी?
उत्तर : महामारी प्रकृति की देन है, लेकिन अगर लाखों बच्चे भूखे रहें और लाखों बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाएगा और वह बाल श्रमिक बन जाते हैं तो यह करुणा रहित और असमान प्रतिक्रिया होगी।
इस वर्ष मई में मैं 88 नोबेल प्रतिष्ठितों के साथ एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने में शामिल रहा, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 की 20 प्रतिशत प्रतिक्रिया को सबसे अधिक 20 प्रतिशत बच्चों और उनके परिवारों को आवंटित किया जाना चाहिए।
यह बच्चों के लिए न्यूनतम उचित हिस्सा है। यहां तक कि अगर आप महामारी के पहले कुछ हफ्तों में केवल पांच खरब डॉलर के पैकेज की घोषणा करते हैं, तो उसमें से 20 प्रतिशत यानी एक खरब डॉलर सभी कोविड-19 यूएन अपील को निधि देने के लिए पर्याप्त धन होगा।
प्रश्न : क्या भारत ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कार्य किया है?
उत्तर : इस दिशा में प्रयास किए गए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। और मैं आपसे कहता हूं कि इस पर आप मेरी प्रतिक्रिया (शब्द) न लें। मैं केवल सबसे पीछे के बच्चों के लिए एक आवाज हूं। मैं आपसे देश में बच्चों द्वारा सामना की जा रही वास्तविकता पर सरकारों की प्रतिक्रियाओं का आकलन करने के लिए कहता हूं।
भुखमरी से मरने वाले व सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले बच्चे या अपने माता-पिता के रोजगार के नुकसान के कारण बाल श्रम या फिर यौन शोषण के लिए तस्करी होने वाले बच्चे किसी भी राष्ट्र की महामारी के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया के एकमात्र सच्चे जानकार हैं।
प्रश्न: कुछ राज्यों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए श्रम कानूनों को कमजोर करने से आपको ऐसा कोई डर है कि भारत में बाल श्रम बढ़ेगा?
उत्तर : चल रहे संकट के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया ने श्रम कानूनों और उनके अनुपालन को मजबूत किया होगा, विशेष रूप से वे जो श्रम अधिकारों, कल्याण और सुरक्षा की रक्षा करते हैं। हम एक महामारी के बहाने श्रमिक अधिकारों और संरक्षण के साथ-साथ बाल श्रम के उन्मूलन में दशकों से की गई प्रगति को उलट (रिवर्स) नहीं सकते हैं।
वास्तव में, भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा भारत में बाल श्रम को रोकने वाले विधानों को लाने के लिए इस अवसर का फायदा उठाना चाहिए। यह वास्तव में वयस्कों के लिए नौकरियों के निर्माण के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
प्रश्न : भारत के किस राज्य ने बंद के दौरान और बाद में बच्चों की सुरक्षा के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन किया है?
उत्तर : हमें संकट के इस समय राष्ट्र के लिए एक खंडित दृष्टिकोण रखने से बचना चाहिए। हमें एक देश के रूप में एकजुट होने और एक दूसरे का समर्थन करने की आवश्यकता है, तभी हम इस परीक्षा की घड़ी से उभर सकते हैं। पूरे देश को सबसे पहले हाशिए पर पड़े समुदायों की जरूरतों और चुनौतियों के लिए उचित और पर्याप्त संसाधनों का आवंटन करना होगा। कोविड-19 के परिणामस्वरूप भारत में बाल श्रम और तस्करी में निश्चित रूप से पर्याप्त वृद्धि होगी। कोविड से प्रेरित स्वास्थ्य, आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक चुनौतियां इन जोखिमों को बढ़ाने वाली हैं।
अगर हम बच्चों को उचित हिस्सा आवंटित कर सकते हैं और दुनिया की कोविड-19 प्रतिक्रिया में असमानता को कम कर सकते हैं, तभी हम वर्तमान में बच्चों पर कोविड-19 के पहले से ही विनाशकारी प्रभाव को काबू में कर सकते हैं।
प्रश्न : पश्चिमी देश स्कूलों को फिर से खोल रहे हैं, क्या आपको लगता है कि भारत में भी स्कूलों को फिर से खोलने का समय आ गया है?
उत्तर : यह सरकार को तय करना है। स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय कोई आसान नहीं है, खासकर जब हमारे पास एक तरफ बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन का जोखिम है और दूसरी तरफ उनके शिक्षा से वंचित होने का भी जोखिम है।
बहरहाल, स्कूल बंद होने से बच्चों की तस्करी का खतरा बढ़ गया है और साथ ही इससे मध्यान्ह भोजन भी बंद हो गया है, जिससे उनके स्वास्थ्य और पोषण पर असर पड़ा है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत स्कूलों को फिर से खोलने के लिए एक निश्चित रोडमैप विकसित करे। ऑनलाइन शिक्षा के लिए डिजिटल विभाजन को कम करे और यह सुनिश्चित करे कि सभी बच्चों को जल्द से जल्द स्कूलों में पुन: प्रवेश दिया जाए।
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली के नजफगढ़ के छावला इलाके से एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां सोमवार को एक 33 साल के शख्स ने 90 साल की महिला के साथ दुष्कर्म किया। महिला के विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई है। पुलिस ने कई धाराओं मे मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। वहीं बुजुर्ग महिला से आज दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने मुलाकात की। उन्होंने इस पूरी घटना पर अपना दुख जताया।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "6 महीने की बच्ची से लेकर 90 वर्ष की बुजुर्ग महिला तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। इस उम्र में इन महिला को इस प्रकार की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। ये साफ दिखाता है ये कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग इंसान नहीं जानवर हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं बुजुर्ग महिला से मिली हूं, इनको न्याय दिलवाने की जंग में हम इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलेंगे। हर हाल में इस केस में 6 महीने में फांसी होनी ही चाहिए।"
नयी दिल्ली 09 सितंबर (वार्ता) देश में मंगलवार देर रात तक कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के 80 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से संक्रमितों का आंकड़ा 43.58 लाख के पार पहुंच गया लेकिन राहत की बात यह रही कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 78 फीसदी के करीब पहुंच गयी है।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक आज 80,814 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढकर 43,58,398 हो गयी है। राहत की बात यह है कि इस दौरान स्वस्थ लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ। देश में 69,344 कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त लोगों की संख्या बढकर 33,90,764 हो गयी है। इसी अवधि में 1,066 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 73,882 हो गयी है।
संक्रमण के मामले में अब भारत कोरोना से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है। वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 63 लाख को पार कर 63.04 लाख के पार पहुंच गयी है और अब तक 1,89,236 लोगों की इससे जान जा चुकी है।
कोरोना वायरस से प्रभावित देशों में अब तीसरे नंबर पर स्थित ब्राजील में अब तक 41.48 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1.26 लाख के लोगों की मौत हो चुकी है। मौत के मामले में ब्राजील अब भी दूसरे स्थान पर है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार चिंता की बात यह है कि स्वस्थ होने वाले मरीजों की तुलना में नये संक्रमितों में वृद्धि होने के कारण सक्रिय मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। आज 9,453 मरीजों की बढोतरी होने से सक्रिय मामलों की संख्या 8,93,150 हो गयी।
देश में सक्रिय मामले 20.49 प्रतिशत और रोगमुक्त होने वालों की दर 77.79 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.70 फीसदी है। स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 77.59 प्रतिशत से बढकर आज 77.79 फीसदी पर पहुंच गयी।
महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 20,131 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या आज रात बढ़कर 9,43,772 पहुंच गयी। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गयी तथा इस दौरान 13,234 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 6,72,556 हो गयी है। इस दौरान 380 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 27,407 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज घटकर 71.26 प्रतिशत पर आ गयी जो सोमवार को 71.38 फीसदी थी जबकि मरीजों की मृत्यु दर 2.90 फीसदी रह गयी।
राज्य में आज 6,512 मरीजों की बढ़ोतरी दर्ज किये जाने के बाद चिंता बढ़ गयी है। राज्य में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या आज 2,43,446 पहुंच गयी जो सोमवार को 2,36,934 रही थी
यूपी में तीन दिनों में लिंचिंग की 4 घटनाएं हुई, लेकिन योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी-खड़ी देखती रही। कहीं झूठी अफवाह पर बेकसूर को मार डाला, तो कहीं पुलिस की कस्टडी से खींच कर आरोपी को पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में भले ही कानून-व्यवस्था के बेहतर होने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। राज्य में पिछले कई दिनों से लगातार हो रही लिंचिंग की वारदात से यही लगता है कि बदमाशों को ना पुलिस का डर है ना कानून की फिक्र।
उत्तर प्रदेश के चार अलग-अलग जगहों पर तीन दिनों में लिंचिंग की चार वारदातें हुई है। यह वारदात बरेली, कुशीनगर,नोयडा और मैनपुरी में हुई है। पहली वारदात 4 सितंबर को राजधानी लखनऊ से 250 किमी की दूरी पर बरेली के आंवला कस्बे में हुई हैं। जहां लोहे के तार की कथित चोरी के आरोप में 34 साल के शख्स को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया है। आरोप है कि बासित को पेड़ से बांधकर पीटा गया और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
सरी वारदात बीते रविवार 6 सितंबर को नोएडा के बादलपुर थाना क्षेत्र में हुई। जहां आफ़ताब आलम नाम के शख्स को पीट पीट कर मार दिया गया। आरोप है कि पीटने वालों ने आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा। मृतक के बेटे मोहम्मद साबिर के पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है जिसमें कुछ लोग आफ़ताब आलम से 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए कह रहे हैं।
तीसरी वारदात 7 सितंबर को कुशीनगर के तरयासुजान थाने के रामनगर बंगरा गांव में हुई। जहां एक शिक्षक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके बाद हत्यारे ने सरेंडर किया, लेकिन भीड़ ने आरोपी को पुलिस से छीन लिया और उसे भी पीट पीट कर मार दिया गया। इस दौरान योगी सरकार की असहाय पुलिस खड़ी देखती रही। मामले में फिलहाल डीआईजी राजेश मोदक ने थाना प्रभारी हरेंद्र मिश्र को निलंबित कर दिया है।
वहीं चौथी वारदात भी 7 सितंबर की ही है। ये घटना मैनपुरी के खरागजीत नगर में हुई। जहां झूठी खबर पर विश्वास करते हुए कुछ लोगों ने दलित सर्वेश दिवाकर की छत में सरेआम पीट पीटकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि वारदात को अंजाम देने वाले बजरंग दल के हैं। दरअसल, ये हत्या एक अफ़वाह के बाद की गई। सर्वेश के बारे में अफ़वाह फैलाई गई थी कि उसने अपनी बेटी को बेच दिया है। हालांकि यह झूठी पाई गई और खुद उसकी बेटी ने इसका खंडन किया।(navjivan)
गोंडा (यूपी), 8 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में महाराजगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत मंगलवार को कुएं में उतरे पांच लोगों की जहरीली गैस से मौत हो गई। वे एक बछड़े को बचाने के लिए कुएं में उतरे थे। रिपोर्ट के अनुसार, तीनों मृतक एक ही परिवार से थे, ये तीनों गाय के बच्चे (बछड़ा) को बचाने के लिए कुएं में उतरे थे। इस तीनों को बचाने के लिए और दो लोग कुएं में उतरे। वे भी बेहोश होने के बाद डूब गए।
स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद अग्निशमन दल मौके पर पहुंचा। सभी को बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
जिलाधिकारी नितिन बंसल ने पत्रकारों से कहा कि बछड़ा को जिंदा बाहर निकाला गया है।
ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), 8 सितम्बर (आईएएनएस)| अरुणाचल प्रदेश से लापता हुए पांच युवक चीन के क्षेत्र में मिले हैं। इसकी पुष्टि खुद चीनी सेना ने की है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। केंद्रीय युवा मामलों एवं खेल मंत्री रिजिजू ने एक ट्वीट में कहा, "भारतीय सेना की तरफ से भेजे गए हॉटलाइन संदेश पर चीन की पीएलए ने जवाब दिया है। उन्होंने पुष्टि की है अरुणाचल प्रदेश से लापता युवा उनकी तरफ पाए गए हैं। उन्हें अधिकारियों को सौंपे जाने की आगे की आपौचारिकताओं पर काम किया जा रहा है।"
जब इस संबंध में आईएएनएस ने संपर्क किया तो ऊपरी सुबनसिरी जिले के पुलिस अधीक्षक तारू गुसार ने कहा कि वह घटनाक्रम को लेकर बहुत व्यस्त हैं और फिलहाल मीडिया से बात नहीं कर सकते।
इससे पहले मंगलवार सुबह गुसर ने कहा था कि पांच लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों, जिन्हें कई संदिग्ध चीनी पीएलए सैनिकों द्वारा अपहरण कर लिया गया था, ने पुलिस को सूचित नहीं किया है।
गुसर ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "इस क्षेत्र के लोग शिकार के लिए जंगल में जाते हैं, जो इस क्षेत्र के आदिवासियों के बीच एक पारंपरिक प्रथा है। मैं तब तक कुछ भी नहीं कह सकता, जब तक कि मुझे वह जानकारी नहीं मिल जाती कि असल में क्या हुआ था।"
इससे पहले दिन में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अरुणाचल प्रदेश के पांच युवाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
गौरव गोगोई ने राजनाथ सिंह को लिखा, "मैं आपको अरुणाचल प्रदेश के उन पांच युवकों की स्थिति के बारे में अपनी गंभीर चिंता दर्ज करने के लिए लिख रहा हूं, जो एक शिकार अभ्यास के दौरान ऊपरी सुबनसिरी जिले से लापता हो गए हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने बयान दिया है कि उनका अपहरण कर लिया गया है और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस घटना के लिए जिम्मेदार है।"
रिजिजू ने पहले कहा था कि भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के पांच व्यक्तियों के कथित अपहरण के बारे में पीएलए को एक हॉटलाइन संदेश भेजा है।
राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय ने पहले ट्वीट किया था, "अरुणाचल सरकार ऊपरी सुबनसिरी जिले के नाचो गांव में पांच लापता लड़कों के मामले की बारीकी से निगरानी कर रही है। जिला प्रशासन को सभी संबंधित एजेंसियों को लापता लड़कों का पता लगाने में सहायता करने का निर्देश दिया गया है।"
अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय मीडिया ने यह भी बताया है कि अपहरण ऊपरी सुबासिरी जिले के नाचो के पास एक वन क्षेत्र में हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगवा किए गए व्यक्तियों में टोच सिंगकम, प्रसाद रिंगलिंग, डोंगटू इबिया, तनु बेकर और नार्गु डिरी शामिल हैं। ये सभी तागिन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यह लोग जंगल में गए थे। दो अन्य ग्रामीण, जो अपहरित व्यक्तियों के साथ गए थे और किसी तरह भागने में कामयाब रहे, उन्होंने लोगों को घटना के बारे में बताया।
भारत-चीन सीमा ऊपरी सुबासिरी जिले के मुख्यालय दापोरिजो से लगभग 170 किलोमीटर दूर है, जो राज्य की राजधानी ईटानगर से 280 किलोमीटर दूर है।
अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण हमेशा पैदल ही जाने पर मजबूर होते हैं, क्योंकि वहां कोई उचित सड़क नहीं है। अरुणाचल प्रदेश की चीन के साथ 1,080 किलोमीटर की सीमा लगती है। प्रदेश की म्यांमार के साथ 520 किलोमीटर और भूटान के साथ 217 किलोमीटर की सीमा लगती है।
भोपाल, 8 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने से काम-धंधा बंद होने पर अपने गांव लौटे कामगार परिवार लगभग छह महीने बाद फिर उन महानगरों की तरफ लौटने लगे हैं, जहां उन्हें रोजी-रोटी मिला करती थी।
देश में कोरोना की दस्तक के चलते मार्च माह में पूर्णबंदी की गई थी और यह पूर्णबंदी लगभग तीन माह रही, इसके चलते बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड के कामगार परिवार अपने घरों को लौट आए थे। लौटने के लिए उन्हें जो साधन मिला था, उसी के सहारे वे अपने घरों तक पहुंचे थे, मगर अब एक बार फिर उन्हें रोटी-रोटी का संकट सताने लगा है और भी वापस फिर उन महानगरों की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां वे अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
झारखंड और बिहार के अलावा मध्यप्रदेश के कई हिस्सों से मुंबई और गुजरात का रास्ता भोपाल से होकर गुजरता है। यहां के बाइपास से गुजरते वाहनों में उन परिवारों की बहुतायत है जो एक बार फिर रोजी-रोटी की तलाश में महानगर जा रहे हैं। कोई ऑटो पर सवार है तो कोई माल ढोने वाले वाहन पर। सभी की मंजिल वही है, जहां से वे अपने गांव लौटे थे।
इलाहाबाद के कुछ लोग ऑटो से ही मुंबई की तरफ चल पड़े हैं। ऑटो में कुल पांच लोग सवार हैं और उनकी मंजिल मुंबई है। मुंबई ऑटो से जा रहे लोगों में से सुनील पांडे बताते हैं कि वे अपने दोस्त के साथ मिलकर मुंबई में ऑटो चलाते हैं और इसी ऑटो से पूर्णबंदी के दौरान गांव लौटे थे। अब अन्य साथियों के साथ मुंबई जा रहे हैं, क्योंकि इन लोगों को फैक्ट्री मालिक का बुलावा आया है, परिवार को गांव में ही छोड़ आए हैं।
इसी तरह झारखंड के चतरा के रामेश्वर साहू भी अपने साथियों के साथ मुंबई जा रहे हैं। भोपाल तक पहुंचने में ही वे 12 सौ किलोमीटर का रास्ता तय कर चुके थे। वे लोग दिन में तो अपने ऑटो से चलते हैं, मगर अंधेरा होते ही किसी स्थान पर रुक जाते हैं। कोरोना के कारण वे अपने गांव में थे, मगर अब आर्थिक संकट आया है तो उन्हें मुंबई की तरफ जाना पड़ रहा है।
इसी तरह कई सामान ढोने वाले वाहनों में भी लोग यात्रा कर रहे हैं और मुंबई व गुजरात जा रहे हैं। कुछ बस संचालकों ने तो बसों से भी मजदूरों को भेजना शुरू कर दिया है। एक बस संचालक का कहना है कि किराया तो मजदूरों से ले रहे हैं और जिस फैक्ट्री में इन मजदूरों को लेकर जाना है, उसका मालिक उन्हें कमीशन भी अलग से देगा। गुजरात और महाराष्ट्र के लिए हर रोज कई बसें भोपाल से होकर गुजर रही हैं।
मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा मंगलवार को व्यवसायी दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में 11 दिनों के लिए भेजा। दीपक को सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। दीपक कोचर, आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति हैं, जिन्हें वीडियोकॉन ऋण मामले में गिरफ्तार किया गया है।
उन्हें मंगलवार दोपहर को स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें 19 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
वीडियोकॉन के निदेशक वेणुगोपाल धूत, उनकी कंपनियों (वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर पिछले साल ईडी द्वारा धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही ईडी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की थी। उस कार्रवाई के लगभग एक साल बाद अब ईडी ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है।
इस साल की शुरुआत में ईडी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ, उनके पति और उनके द्वारा नियंत्रित/स्वामित्व वाली कंपनियों की 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां कुर्क की थी।
यह मामला वीडियोकॉन समूह को बैंक ऋण देने में कथित अनियमितताओं और मनी लांड्रिंग की जांच से जुड़ा है।
जांच के दौरान यह पता चला कि वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) और उसकी समूह की कंपनियों को मंजूर किए गए 1,730 करोड़ रुपये के ऋण को पुनर्वित्त और नया ऋण दिया गया था और ये ऋण 30 मार्च, 2017 को आईसीआईसीआई बैंक के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गए।
जांच में पता चला कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को स्वीकृत किए गए 300 करोड़ रुपये के कर्ज में से 64 करोड़ रुपये आठ सितंबर, 2009 को दीपक कोचर के स्वामित्व वाली नूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में नूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड) में स्थानांतरित किए गए थे। वीडियोकॉन ने यह रकम कर्ज मंजूर होने के एक दिन बाद स्थानांतरित की थी। इसके बाद इस रकम से दीपक कोचर की कंपनी ने 10.65 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था।
लखनऊ, 8 सितंबर (आईएएनएस)| मुंबई के रहने वाले यश अवधेश गांधी ने सेरेब्रल पल्सी, डिस्लेक्सिया, डिसर्थिया से जूझते हुए 92.5 प्रतिशत अंकों के साथ कैट-2019 परीक्षा पास कर नजीर पेश की है। अब आईएआईएम-लखनऊ के छात्र 21 वर्षीय यश पिछले एक महीने से मुंबई स्थित अपने घर से ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं।
एक स्थानीय समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मैं नंबरों को लेकर समस्याओं का सामना करता हूं। इसलिए, मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, विशेष रूप से क्वांटिटेटिव एबिलिटी सेलेक्शन में। यह कठिन था, लेकिन असंभव नहीं था।"
यश को लिखित परीक्षा देने के लिए एक राइटर की जरूरत पड़ी, क्योंकि उन्हें चलने में कठिनाई होती है, लेकिन फिर भी वह मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करते हैं, वह ठीक से बोल नहीं पाते हैं, लेकिन अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्टता के साथ जाहिर करते हैं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है।
यश ने कैट के लिए जुलाई 2018 में तैयारी शुरू कर दी थी, जब वह अपने स्नातक के दूसरे वर्ष में थे।
उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और कैट पास करने के बाद, उन्हें कोझिकोड और इंदौर सहित कई आईआईएम से इंटरव्यू कॉल आए, लेकिन उन्होंने लखनऊ को चुना, क्योंकि इसकी रैंकिंग ज्यादा बेहतर है।
उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2020-22 के लिए विकलांग कोटा के तहत आईआईएम-लखनऊ में दाखिला लिया।
यश को सेरेब्रल पाल्सी, डिस्लेक्सिया और डिसर्थिया है, एक ऐसी स्थिति जो बोलने के लिए आवश्यक मांसपेशियों को कमजोर करती है।
यश के माता-पिता हमेशा उनका साथ देते आए हैं।
एक निजी कंपनी में काम करने वाले यश के पिता अवधेश गांधी ने कहा, "जब उसने स्कूल जाना शुरू किया, तो उसे सीखने में दिक्क त हुई और वह अपने सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा था। उसे आम बच्चों की अपेक्षा हमेशा ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।"
उन्होंने कहा कि कैट के लिए तैयारी करते समय, एक पड़ाव ऐसा भी आया जब यश इतना उदास था कि उसने इसे छोड़ देने का फैसला किया।
यश की मां जिग्नाशा ने कहा, "मैंने उसे बताया कि उसमें कुछ भी करने की क्षमता है और उसे प्रयास करना बंद नहीं करना चाहिए। इसके बाद, यश ने फिर से शुरू किया।"
अपने गुरु और हर्षित हिंदोचा के लिए यश के दिल में एक खास स्थान है।
हर्षित ने कहा कि यश की सफलता धैर्य और प्रतिबद्धता की एक आदर्श कहानी है। वह शांत रहता है। वह कभी हार नहीं मानता है।
यश ने अपना ग्रेजुएशन मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से अकाउंटिंग और फाइनेंस से किया और शीर्ष पांच में जगह बनाई।
चंडीगढ़, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी को 29 वर्ष पुराने अपहरण और हत्या के मामले में एक बड़ा झटका लगा, जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मामले के संबंध में सैनी ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की है। वहीं अन्य याचिका में सैनी ने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की है।
न्यायमूर्ति फतेह दीप सिंह ने एक दिन पहले ही अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
सैनी, जो राज्य पुलिस के अनुसार फरार हैं, उन्हें दिसंबर 1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी के अवैध अपहरण, हिरासत और हिरासत में मौत के मामले में अदालत से कोई संरक्षण नहीं मिल सका है।
हाईकोर्ट की ओर से उनकी अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद सैनी के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने या पुलिस के समक्ष समर्पण करने का ही विकल्प बचा है।
पिछले हफ्ते एसएएस नगर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पूर्व पुलिस महानिदेशक ने तब अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पंजाब पुलिस ने सैनी के सुरक्षा विस्तार को वापस लेने से इनकार कर दिया था, जिसने कहा था कि वह अपने सुरक्षाकर्मियों को पीछे छोड़कर फरार हो गए।
विशेष जांच दल (एसआईटी) के एक प्रवक्ता ने, जो हत्या के एक मामले में बदले गए अतिरिक्त न्यायिक हत्या के मामले की जांच कर रहे हैं, उन्होंने सैनी की पत्नी के इस आरोप से इनकार किया कि पूर्व डीजीपी की सुरक्षा वापस ले ली गई थी, जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ गया।
प्रवक्ता ने कहा कि डीजीपी दिनकर गुप्ता को लिखे पत्र में सैनी की पत्नी ने जो दावा किया था, उसके विपरीत, सुरक्षा विस्तार में कोई बदलाव नहीं किया गया और सुरक्षा बॉक्स और जैमर वाहन सहित सभी आवश्यक उपकरण पूर्व पुलिस प्रमुख को प्रदान किए गए थे। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें 'जेड' प्लस श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में तथ्य यह है कि सैनी ने अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हुए पंजाब पुलिस के सुरक्षाकर्मियों और सुरक्षा वाहनों के बिना ही अपने चंडीगढ़ आवास को छोड़ दिया था, जिसमें जैमर वाहन भी शामिल है।
अपहरण का मामला 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकवादियों द्वारा सैनी पर एक बम हमले से संबंधित है। उस समय, वह चंडीगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे। उन्हें उस समय कुछ चोटें आई थी, मगर वह बच गए थे। हालांकि उस हमले में तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए।
मुल्तानी के लापता होने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच 2007 में सैनी के खिलाफ शुरू हुई, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई और जांच रोक दी गई।
चंडीगढ़ से सटे एसएएस में सैनी के खिलाफ 7 मई को एक ताजा शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई, जिसमें हत्या के लिए अपहरण, साक्ष्य मिटाने, गलत तरीके से कारावास और आपराधिक साजिश जैसी कई बड़ी धाराएं जोड़ी गई हैं।
मेरठ, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोनावायरस के कारण मरने वाले मरीजों के शवों की अदला-बदली उत्तर प्रदेश में एक अपवाद के बजाय अब आम बात होती जा रही है। सोमवार को इसी तरह की एक और घटना में, एक परिवार के कोरोना से मरे 84 वर्षीय बुजुर्ग का अंतिम संस्कार तब रुक गया जब एक सदस्य ने अंतिम दर्शन के लिए उनके चेहरे से कफन हटाया। तब तक शव को चिता पर रखा जा चुका था।
र्पिोटों के अनुसार, परिवार किसी दूसरे व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार करने वाला था, जिसकी उम्र 50-55 के असपास थी।
जब तक मेरठ के परिवार ने उस परिवार से संपर्क किया, जिनके घर के सदस्य का वह शव था, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वे दाह संस्कार करने के बाद घर लौट रहे थे और एक कलश में राख ले जा रहे थे और उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके परिवार के सदस्य का शव अभी भी दूसरे परिवार के पास पड़ा था।
जब बुजुर्ग के परिवार ने इस मामले में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया, तो उन्हें कोविड-19 रोगी के शव को अनपैक कर देखने के लिए अधिकारियों द्वारा 'डांटा' गया।
बुर्जुग के भतीजे ने पत्रकारों से कहा, "हमने कफन को हटा दिया क्योंकि परिवार के कुछ सदस्यों ने आखिरी बार देखने पर जोर दिया। हमें यह देखकर हैरानी हुई कि वह हमारे चाचा का पार्थिव शरीर नहीं था। जब हमने एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया तो अधिकारियों ने अपनी गलती को स्वीकार करने के बजाय, शव को अनपैक करने के लिए हम पर चिल्लाना शुरू कर दिया।"
इस बीच, दूसरा परिवार भी हैरान था।
50 वर्षीय व्यक्ति के बेटे ने कहा, "मुझे रविवार सुबह फोन आया कि मेरे पिता के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। और हमने किसी और का अंतिम संस्कार किया है।"
बाद में, रविवार को अधेड़ व्यक्ति का शव मोदीनगर के परिवार को सौंप दिया गया और, बदले में मेरठ के परिवार को अस्थि कलश दिया गया।
जिला अधिकारी अनिल ढींगरा ने जांच के आदेश दिए हैं।
ढींगरा ने कहा, "अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (शहर) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की एक टीम इस घटना की जांच करेगी।"
लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एलएलआरएम) के प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा, "ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर, नर्स और वार्ड ब्वॉय को मामले पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। जो भी गलत पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
कोविड संक्रमित लोगों के शवों की अदला-बदली होने के मामले उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहले भी आ चुके हैं।
हैदराबाद, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| तेलंगाना विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान-भारत रत्न प्रदान करने की मांग की। प्रस्ताव को लाने वाले मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने केंद्र से संसद में नरसिम्हा राव की प्रतिमा और चित्र लगाने का आग्रह किया।
प्रस्ताव में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद का नाम बदलकर पी.वी. नरसिम्हा राव सेंट्रल यूनिवर्सिटी करने की भी मांग की गई।
प्रस्ताव में केंद्र से तेलंगाना के बेटे नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का आग्रह किया गया, जो दक्षिण भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इसने उन्हें नए आर्थिक सुधारों के वास्तुकार, एक बिड़ले राजनयिक, एक बहुभाषी, एक उत्कृष्ट दार्शनिक के रूप में बताया गया, जिन्होंने देश को विकास के पथ पर अग्रसर किया।
केसीआर ने कहा कि नरसिम्हा राव एक सुधारक थे जिन्होंने देश में कई सुधारों की शुरुआत की। उन्हें दुनिया भर में एक महान बुद्धिजीवी के रूप में जाना जाता है।
पटना, 8 सितंबर (आईएएनएस)| पटना के चर्चित फि जियोथेरेपी के चिकित्सक डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि फि जियोथेरेपी के जरिए अस्टिओअर्थराइटिस, स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का तो इलाज संभव है। साथ ही कोरोना संक्रमण से उबरे मरीजों को फि जियोथेरेपी जरूर करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फि जियोथेरेपी का कोई साइड एफेक्ट भी नहीं होता है। प्रत्येक साल आठ सितंबर को 'विश्व फि जियोथेरेपी दिवस' मनाया जाता है। उन्होंने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि फि जियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है, जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज आसानी से किया जाता है।
डॉ. राजीव बताते हैं कि आज पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में फि जियोथेरेपी का महत्व और बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, फ जियोथेरेपी कोरोना के संक्रमण को झेल चुके लोगों के लिए बेहद जरूरी है। कोरोना संक्रमण के कारण मरीजों के सीने और फेफ ड़ों में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में लोगों में सांस फूलने की शिकायत दिखे तो चेस्ट फि जियोथेरेपी बहुत कारगर साबित हो सकता है। चेस्ट फि जियोथेरेपी का लाभ लेकर खुद को मरीज पूरी तरह से ठीक और तंदुरुस्त कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि आज भाग दौड़ की जिंदगी में फि जियोथेरेपी आम जीवन में अति महत्वपूर्ण हो गया है, जहां बिना दवा के ज्यादातर बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
उन्होंने हालांकि, यह भी माना कि भारत में बहुत कम ही लोग इसके प्रति जागरूक हैं, जिस कारण इसका लाभ कम लोग ही उठा पा रहे हैं।
पटना के चर्चित फि जियोथेरेपी के डॉ सिंह बताते हैं कि फि जियोथेरेपी एक मॉर्डन चिकित्सा पद्घति है, जिसमें घुटनों, पीठ, कमर दर्द आदि कई शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए बिना दवा और सर्जरी किए इलाज किया जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि फि जियोथेरेपी किसी प्रशिक्षित फि जियोथेरेपिस्ट द्वारा ही करवाना चाहिए।
इसमें कई तरह के एक्सरसाइज के जरिए शरीर की मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने की कोशिश की जाती है।
उन्होंने कहा, अक्सर लोग बीच में ही फि जियोथेरेपी करवाना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से आपको पूरा लाभ नहीं होगा। इसमें कई सेशन होते हैं, जिसे पूरा करना जरूरी है।"
उन्होंने कहा कि फि जियोथेरेपी किसी भी उम्र में ली जा सकती है। बच्चे, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बूढ़े सभी उम्र के लोग फि जियोथेरेपी ले सकते हैं।
उधर, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईजीआईएमएस) के फि जियोथेरेपी चिकित्सक डॉ़ रत्नेश चौधरी भी कहते हैं कि ऐसा नहीं कि जो लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं, वो फि जियोथेरेपी का सेशन नहीं ले सकते हैं। उनके लिए भी यह लाभदायक है। इससे आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से उबरने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह फोयदेमंद है।
लखनऊ, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य में लागू साप्ताहिक लॉकडाउन को खत्म कर दिया है। प्रत्येक रविवार को बाजारों की प्रदेश व्यापी साप्ताहिक बन्दी के स्थान पर अब बाजारों की साप्ताहिक बन्दी पूर्व निर्धारित व्यवस्था के अनुरूप रहेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अनलॉक व्यवस्था की समीक्षा बैठक में कहा कि कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अन्य स्थानों पर सभी होटल व रेस्टोरेंट का संचालन कराया जाए। इस गतिविधि में संक्रमण से सुरक्षा के सभी मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। अब सरकार ने रविवार की बंदी की बाध्यता भी खत्म कर दी है। यानी अब बाजारों में पुरानी व्यवस्था लागू की जा सकेगी।
इससे पहले दो दिनों का सप्ताहांत लॉकडाउन शनिवार और रविवार का होता था। बीते दिनों सरकार ने शनिवार का लॉकडाउन खत्म किया था और अब रविवार का लॉकडाउन भी खत्म कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि 'दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी' के प्रति लोगों को विशेष रूप से जागरूक करते हुए आर्थिक गतिविधियां संचालित कराई जाएं।
योगी ने कहा कि एसजीपीजीआई, केजीएमयू तथा डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा 1,000 आईसीयू बेड्स तैयार किए जाएं। उन्होंने कन्टेनमेंट जोन में सभी लोगों का कोविड-19 टेस्ट सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।
योगी ने तहसील दिवस तथा थाना दिवस कोविड-19 की गाइड लाइन के अनुसार संचालित करने के निर्देश दिए हैं। 'ईज ऑफ डुइंग बिजनेस' रैंकिंग में उत्तर प्रदेश द्वारा द्वितीय स्थान प्राप्त किए जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए योगी ने कहा कि इसी प्रकार 'ईज ऑफ लिविंग' की दिशा में भी कार्ययोजना बनाकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)| कोविड-19 का संक्रमण झेल चुके अमिताभ बच्चन ने इस घातक वायरस को मात दी और अब 'कौन बनेगा करोड़पति' के सीजन 12 की शूटिंग के लिए सेट पर वापसी की है। उन्होंने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर केबीसी 12 के सेट से अपनी तस्वीरें साझा की हैं। इन फोटो में से एक में बिग बी को ताली बजाते देखा जा सकता है। दूसरी फोटो में वह लोकप्रिय टीवी क्विज शो के मेजबान के रूप में अपनी कुर्सी पर बैठे हैं।
उन्होंने सोमवार की रात पोस्ट किया, "टी 3652-20 वर्ष, 12वां सीजन, केबीसी : कौन बनेगा करोड़पति, शुरू।"
उनकी इस पोस्ट पर कई सेलिब्रिटीज ने कमेंट करते हुए शुभकामनाएं दीं। अभिनेता मनीष पॉल ने टिप्पणी की, "सर, जबरदस्त।"
एक्ट्रेस मौनी रॉय ने दिल और ताली बजाने के इमोजी बनाए।
अभिनेत्री अहाना कुमरा ने लिखा, "ऑल द बेस्ट सर! यह शानदार होगा।"
वहीं शो में उनकी वापसी को लेकर फैंस भी खासे रोमांचित नजर आए।
महानायक के एक प्रशंसक ने लिखा, "खुशखबरी, आपको और केबीसी 12 की पूरी टीम को शुभकामनाएं। सेटबैक का जवाब वापसी से ..!!! हर हफ्ते आपके आने का बेसब्री से इंतजार है।"
एक अन्य ने लिखा, "आपके साथ केबीसी की एक और रोमांचक यात्रा की प्रतीक्षा है।"
यहां तक कि बिग बी ने सेट पर वापसी के अनुभव पर ब्लॉग भी लिखा।
बच्चन ने लिखा, "इसके साथ ही हॉट सीट की परीक्षा और प्रतियोगियों की उम्मीदों और एक शानदार बदलाव लाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।"
उन्होंने आगे लिखा, "वातावरण मौजूदा परिस्थितियों को लेकर एक शांत स्वीकृति से भरा है। निरंतरता लाने, खोए हुए लाभ को वापस पाने और विजयी शुरुआत करने के प्रयास को लेकर आगे बढ़ने की भावना कायम है।"
लखनऊ, 8 सितम्बर (वार्ता)। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कारोबार में सुगमता के लिये हाल ही जारी राज्यों की वरीयता सूची में उत्तर प्रदेश के दस पायदान की छलांग पर व्यंग करते हुये कहा कि ईज आफ डुइंग बिजनेस पर योगी सरकार वैसे ही अपनी पीठ थपथपा रही है जैसे वह लापता एमओयू के बल पर निवेश कराने का दावा करती है।
श्रीमती वाड्रा ने सोमवार को ट््वीट किया ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर यूपी सरकार का खुद की पीठ थपथपाना वैसा ही है जैसे लापता एमओयू के बल पर निवेश कराना। प्रदेश में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। फैक्ट्रियों में ताला है, बुनकर करघा बेंच रहे हैं।’
उन्होने तंज कसने के अंदाज में लिखा‘वास्तव में यहाँ केवल ईज ऑफ डूइंग क्राइम और ईज ऑफ डूइंग घोटाला है।’
गौरतलब है कि उद्यमियों और निवेशकों के फीडबैक के आधार पर उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने पांच सितम्बर को ईज आफ डुइंग बिजनेस की रैकिंग जारी की थी जिसमें उत्तर प्रदेश ने 10 पायदान का सुधार करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया। प्रदेश ने गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि अनेक अग्रणी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। ईज आफ डुइंग बिजनेस की वर्तमान रैंकिंग की गई है।
जयपुर, 8 सिंतबर (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के उत्पाद एवं उसकी आवाज को ग्लोबल बताते हुए कहा है कि आज लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति नजर आ रही है।
श्री मोदी वर्चुअल समारोह में जयपुर में स्थित पत्रिका गेट का ऑनलाइन लोकार्पण के समय आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत के उत्पाद तो ग्लोबल हो ही रहे हैं, भारत की आवाज भी ग्लोबल हो रही है। दुनिया भारत को अब और ज्यादा ध्यान से सुनती है। आज लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरुरत है। यही वजह है कि लोकतंत्र मजबूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, वोकल फोर लोकल की बात कर रहे है तो हमारा मीडिया इस संकल्प को एक बड़े अभियान की शक्ल दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमे अपने इस विजन को और व्यापक करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि आज हम अपनी विरासत और सामथ्र्य को लेकर आगे बढ़ रहे है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज टेक्स्ट और ट््वीट के इस दौर में यह और ज्यादा जरुरी है कि हमारी नई पीढ़ी गंभीर ज्ञान से दूर न हो जाये। उपनिषदों का ज्ञान एवं वेदों का ङ्क्षचतन केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक आकर्षण का ही क्षेत्र नहीं है, वेद और वेदांत में सृष्टि एवं विज्ञान का भी दर्शन है। हमारे देश में लेखन का निरंतर विकास भारतीयता एवं राष्ट्रीयता के साथ हुआ है। स्वंत्रता संग्राम के दौरान लगभग हर बड़ा नाम कहीं न कहीं लेख से भी जुड़ा है।
श्री मोदी ने कहा कि किसी भी समाज में समाज का प्रबुद्ध वर्ग, समाज के लेखक या साहित्यकार पथ प्रदर्शक की तरह एवं समाज के शिक्षक होते है। स्कूल शिक्षा तो खत्म हो जाती है लेकिन हमारे सीखने की प्रक्रिया पूरी उम्र चलती है। इसमें बड़ी अह्म भूमिका पुस्तकों और लेखकों की भी है। उन्होंने कहा कि सकारात्मकता देने की सोच सिर्फ पत्रकारिता से नहीं, व्यक्तित्व के लिए भी होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि पत्रिका गेट राजस्थान में आने वालों के लिए आर्कषण का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद कुलिश ने भारतीयता के संकल्प के साथ पत्रिका को शुरु किया था। श्री कुलिश ने वेदों के ज्ञान को सरल तरीके से समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया है जो अछ्वुत एवं प्रेरक है। उन्होंने कहा कि श्री कुलिश की सोच को प्रत्रिका समूह और श्री गुलाब कोठारी निरंतर आगे बढ़ा रहे है, कोरोना के संबंध में मीडिया से जब बात की थी तब भी श्री कोठारी के शब्द ने श्री कुलिश की याद दिला दी थी। श्री कोठारी की पुस्तक में उपनिषद् का ज्ञान मिलता है।
चीन से सारे नाते तोडऩे की तैयारी में कंपनी
नई दिल्ली, 8 सितंबर। भारत सरकार ने पिछले हफ्ते देश में 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, जिसमें पॉपुलर बैटल रोयल गेम भी शामिल है। बैन को लेकर गेमिंग कम्युनिटी परेशान है, लेकिन हमारे पास कुछ अच्छी खबर है। दरअसल ब्लूहोल के तहत ओरिजिनल इंटरनल गेमिंग पबजी कॉर्पोरेशन ने ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी किया है। पबजी कॉर्प के मुताबिक ये पूरी स्थिति से अवगत है और प्रतिबंध के पूरे मुद्दे पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है।
साथ ही ये भी कंफर्म हुआ है कि भारत में पबजी मोबाइल पर टेनसेंट गेम्स के कंट्रोल को खत्म कर दिया जाएगा, और इसकी सभी पब्लिशिंग जिम्मेदारियां पबजी कॉर्प के पास आ जाएगी। अनिवार्य रूप से इसका मतलब ये है कि ओरिजिनल साउथ कोरिया बेस्ड गेमिंग कंपनी इसकी जिम्मेदारियों को संभालने वाली है, और ऐसा होने पर जल्द ही देश में पबजी पर से बैन को हटाया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध के एक दिन बाद ही टेनसेंट के बाजार मूल्य के मामले में $34 बिलियन का नुकसान हुआ था। पबजी कॉर्र्र्पाेरेशन ने अपने स्टेटमेंट में कहा, ‘पबजी कॉर्पोरेशन सरकार द्वारा किए गए उपायों को पूरी तरह से समझता है और उसका सम्मान करता है क्योंकि प्लेयर डेटा की प्राइवेसी और सिक्योरिटी कंपनी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
पबजी कॉर्पोरेशन देश के सभी पब्लिशिंग जिम्मेदारियों को लेगा. जैसा कि कंपनी निकट भविष्य में भारत के लिए अपने स्वयं के पबजी अनुभव प्रदान करने के तरीकों की खोज करती है, यह अपने फैंस के लिए स्थानीय और स्वस्थ गेम प्ले वातावरण को बनाए रखने के लिए ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध है।