अंतरराष्ट्रीय
कोलंबो, 11 जुलाई | श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को सूचित किया है कि वह पहले की घोषणा के अनुसार 13 जुलाई को अपना इस्तीफा जारी करेंगे। समाचार एजेंसी शिान्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राजपक्षे ने शनिवार को संसद अध्यक्ष को सूचित किया था कि वह गंभीर आर्थिक संकट के बीच बुधवार को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे देंगे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शिन्हुआ को बताया कि विक्रमसिंघे सोमवार को अपने मंत्रिमंडल के साथ एक तत्काल बैठक बुलाएंगे और बाद में आगे के रास्ते पर चर्चा करने के लिए सभी राजनीतिक दल के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
पार्टी नेताओं द्वारा उनसे और राष्ट्रपति से इस्तीफा देने का आग्रह करने के बाद प्रधानमंत्री भी इस्तीफा देने के लिए सहमत हो गए, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राष्ट्रपति के आवास और कार्यालय पर धावा बोल दिया।
(आईएएनएस)
सुमी खान
ढाका, 11 जुलाई। बांग्लादेश के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के हैंगर पर रविवार शाम बिमान बांग्लादेश एयरलाइंस के दो विमान आपस में टकरा गए।
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दाहिने पंख ने बोइंग 737 के बाएं पंख को टक्कर मारी, जबकि इसे रात 9.20 बजे रखरखाव के लिए हैंगर में ले जाया जा रहा था।
हवाईअड्डा सूत्रों ने बताया कि हवाईअड्डा अधिकारी और इंजीनियरिंग टीम नुकसान का आकलन कर रही है।
सिंगापुर से आ रहा बोइंग 787 शाम 7.10 बजे ढाका हवाईअड्डे पर उतरा। यात्रियों के उतरने के बाद उसे हैंगर में ले जाया जा रहा था।
(आईएएनएस)
सुसिता फर्नाडो
कोलंबो, 11 जुलाई| श्रीलंका के गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारियों को इसके स्विमिंग पूल में डुबकी लगाते देखा गया, जबकि अन्य लोगों ने पीएम के आधिकारिक आवास टेंपल ट्रीज पर कब्जा कर लिया। वायरल वीडियो और तस्वीरों के अनुसार प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के बेड पर डब्ल्यूडब्ल्यूई की लड़ाई करते दिखे।
सैकड़ों लोगों ने राष्ट्रपति और पीएम के घरों पर कब्जा कर लिया है और खाना बनाते और वहां की सुविधाओं का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
शनिवार की रात से ही दूर-दूर से लोग राष्ट्रपति भवन और टेंपल ट्री को देखने आ रहे हैं। राष्ट्रपति भवन से कई लाख (श्रीलंका) रुपये बरामद करने वाले प्रदर्शनकारियों ने नकदी पुलिस को सौंप दी है।
प्रदर्शनकारियों ने रविवार को जोर देकर कहा कि जब तक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तुरंत इस्तीफा नहीं देते, तब तक वे उनके कब्जे वाले घरों को खाली नहीं करेंगे।
जबकि राष्ट्रपति गोटोबया राजपक्षे ने घोषणा की है कि वह बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप देंगे, वहीं पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि जब एक सर्वदलीय सरकार बनती है और संसद में अपना बहुमत साबित करती है तो वह पद छोड़ देंगे।
(आईएएनएस)
जापान में पिछले सप्ताह एक हमलावर के हाथों मारे गए पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की पार्टी ने रविवार को हुए अपर हाउस के चुनावों में ज़बरदस्त जीत हासिल की है.
सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके सहयोगियों को चुनाव में दो तिहाई से ज़्यादा बहुमत मिला है जिससे पार्टी संवैधानिक सुधारों को आगे बढ़ा सकती है.
शिंज़ो आबे की शुक्रवार (8 जुलाई) को चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हालांकि, सरकार ने चुनाव प्रक्रिया नहीं रोकने का फ़ैसला किया और रविवार को मतदान किया गया.
शिंज़ो आबे विश्व युद्ध के बाद के संविधान में बदलाव करना चाहते थे. वो उस हिस्से को हटाना चाहते थे जो कहता है कि जापान एक शांतिवादी राष्ट्र है. लेकिन, वो इस बदलाव में सफ़ल नहीं हो पाए.
अब शिंज़ो आबे की मौत के बाद उनकी पार्टी इतनी मज़बूत स्थिति में है कि वो संविधान में बदलाव ला सकती है.
वहीं, शिंज़ो आबे की हत्या को लेकर जापान की पुलिस ने माना है कि उनकी सुरक्षा में चूक हुई थी. इसके बाद चुनाव प्रचार के दौरान अन्य नेताओं की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी.
शिंज़ो आबे को एक शख़्स ने चुनाव प्रचार के दौरान गोली मार दी थी. संदिग्ध का कहना है कि वो शिंज़ो आबे से असंतुष्ट था. (bbc.com)
लॉस एंजेलिस, 11 जुलाई| दक्षिणी कैलिफोर्निया में एक हाउस पार्टी के दौरान हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने केएबीसी-टीवी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि घटना दक्षिणपूर्व लॉस एंजिल्स काउंटी में स्थित डाउनी शहर की है। गोलीबारी में चार पुरुषों और एक महिला को गोली लगी। तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गोलीबारी करने वाले आरोपी का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। मामले की जांच जारी है।
(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 11 जुलाई। प्रौद्योगिकी मंच के जरिए टैक्सी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी उबर ने दुनिया भर के बाजारों में आक्रामक रूप से प्रवेश करने के लिए कई अनैतिक साधनों का इस्तेमाल किया। रविवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
रिपोर्ट के मुताबिक उबर ने श्रम और टैक्सी कानूनों में ढील पाने के लिए राजनीतिक हस्तियों की लॉबिंग की, नियामकों और कानूनी जांच को विफल करने के लिए स्टेल्थ (तथ्यों को छिपाने वाली) तकनीक का इस्तेमाल किया, बरमुडा और अन्य टैक्स हेवन से धन भेजा तथा अपने ड्राइवरों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं का इस्तेमाल जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए किया।
खोजी पत्रकारों के एक गैर-लाभकारी नेटवर्क- इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ने उबर के आंतरिक दस्तावेज, ईमेल, इनवॉइस और अन्य दस्तावेजों की छानबीन की।
इस रिपोर्ट और ऊबर से संबंधित दस्तावेजों को सबसे पहले ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में लीक किया गया, जिसने उसे एक समूह के साथ साझा किया।
उबर के प्रवक्ता जिल हेजलबेकर ने अतीत में हुई ‘‘गलतियों’’ को स्वीकार किया और कहा कि 2017 में नियुक्त सीईओ दारा खोस्रोशाही को ‘‘उबर के संचालन से जुड़े हर पहलू को बदलने का काम सौंपा गया था... जब हम कहते हैं कि उबर आज एक अलग कंपनी है, तो हमारा मतलब यह है कि कंपनी के 90 प्रतिशत वर्तमान कर्मचारी दारा के सीईओ बनने के बाद उबर में शामिल हुए हैं।’’
रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में स्थापित उबर ने टैक्सी नियमों को दरकिनार करने और राइड-शेयरिंग ऐप के माध्यम से सस्ती परिवहन की पेशकश की। उबर ने लगभग 30 देशों में खुद को स्थापित करने असाधारण रणनीति अपनाई।
कंपनी के लिए लॉबिंग करने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पूर्व सहयोगियों सहित कई वरिष्ठ राजनेता शामिल थे। दस्तावेजों के मुताबिक इन्होंने सरकारी अधिकारियों पर जांच को प्रभावित करने, श्रम और टैक्सी कानूनों को बदलने और ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की जांच के नियमों में ढील देने के लिए दबाव डाला।
जांच में पाया गया कि उबर ने सरकारी जांच को रोकने के लिए ‘स्टेल्थ’ तकनीक का किया इस्तेमाल। उदाहरण के लिए, कंपनी ने ‘किल स्विच’ का इस्तेमाल किया, जिसने उबर सर्वर तक पहुंच को कम कर दिया। इस तरह कम से कम छह देशों में छापे के दौरान अधिकारियों को सबूत हासिल करने से रोका गया।
उबर फाइल्स ने बताया कि एम्स्टर्डम में एक पुलिस छापे के दौरान उबर के पूर्व सीईओ ट्रैविस कलानिक ने व्यक्तिगत रूप से एक आदेश जारी किया, ‘‘कृपया जल्द से जल्द किल स्विच को हिट करें ... एएमएस (एम्स्टर्डम) में एक्सेस बंद होना चाहिए।’’
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कलानिक ने फ्रांस में उबर ड्राइवरों के खिलाफ हुई हिंसा का इस्तेमाल सहानुभूति पाने के लिए किया। उन्होंने सहयोगियों को संदेश भेजा, ‘‘हिंसा सफलता की गारंटी है।’’
इसके जवाब में कलानिक के प्रवक्ता डेवोन स्पर्जन ने कहा कि पूर्व सीईओ ने ‘‘कभी यह सुझाव नहीं दिया कि उबर को ड्राइवरों की सुरक्षा की कीमत पर हिंसा का लाभ उठाना चाहिए।’’
उबर फाइल्स का कहना है कि कंपनी ने अपने मुनाफे को बरमुडा और अन्य टैक्स हेवन के जरिए भेजकर लाखों डॉलर की कर चोरी भी की। (एपी)
कोलंबो, 11 जुलाई। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बताया कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि वह बुधवार को इस्तीफा दे देंगे।
राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस्तीफे की घोषणा ऐसे समय में कि जब प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया था और देश के गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने पर उनसे पद छोड़ने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बताया कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे।’’
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में व्यापक स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे ने नौ मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। (भाषा)
-जेमी बार्टलेट और रॉब बार्न
क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार में मची उथलपुथल के साथ ही बीबीसी की देखी गई फ़ाइलों के मुताबिक ये संभावना भी है कि एक अप्रत्याशित बिटकॉइन निवेशक, लापता क्रिप्टोक्वीन, डॉ. रुजा इग्नातोवा की किस्मत भी डूब गई होगी.
ये ठग 2017 में तब गायब हो गई थीं जब उनका क्रिप्टोकरेंसी वनकॉइन अपने चरम पर था और निवेशकों ने उसमें अरबों लगाए थे.
धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की वजह से वे अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़बीआई के 10 सबसे वांछित भगोड़ों में से एक बन गईं.
ऑक्सफर्ड में पढ़ी इस उद्यमी ने अपने निवेशकों से कहा कि उन्होंने बिटकॉइन किलर बनाया है लेकिन फ़ाइलों से पता चलता है कि गायब होने से पहले उन्होंने गुप्त रूप से अपनी प्रतिद्वंद्वी करेंसी में अरबों जमा किए थे.
इसकी विस्तृत जानकारी पहली बार 2021 में सामने आई जब दुबई के एक कोर्ट के दस्तावेज़ को एक वकील ने ऑनलाइन पोस्ट किया, इसमें डॉ. रुजा को 'इतिहास का सबसे सफल अपराधी' बताया गया था.
एक नई किताब और बीबीसी पॉडकास्ट के आने वाले एपिसोड 'द मिसिंग क्रिप्टोक्वीन' में इस बात की पड़ताल की गई है कि डॉ. रुजा कैसे छिपी रहीं और कैसे उन्होंने क्रिप्टो जमा कीं.
द दुबई फ़ाइल
बीबीसी ने दुबई फ़ाइल में से कुछ जानकारियों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने में सफलता हासिल की है.
कम से कम, यह लीक यह संकेत देता है कि दुबई डॉ. रुजा के लिए एक अहम वित्तीय रूट था. यहां तक कि एफ़बीआई ने जिन पांच देशों का नाम डॉ. रुजा से जोड़ा है उनमें संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है.
फ़ाइलों को ऑनलाइन पोस्ट करने वाले वकील डॉ. जोनाथन लेवी कहते हैं, "यहां सैकड़ों मिलियन डॉलर दांव पर लगे हैं."
डॉ. लेवी वनकॉइन के पीड़ितों के मुआवजे के दावे में उनसे मिली जानकारी पर भरोसा कर रहे हैं.
ये दावा ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of the British Indian Ocean Territory) में ये दावा रखा गया. इसे यहां रखने के पीछे तर्क यह दिया गया कि ये कथित रूप से वनकॉइन के उपयोग किए जाने वाले वेब डोमेन को होस्ट करता है.
डॉ. लेवी को एक व्हिसलब्लोअर से हज़ारों दस्तावेज़ मिले, जिनमें से अधिकतर अरबी में थे. इस व्हिसलब्लोअर का ये कहना था कि दुबई में लोगों को "ग़लत तरीक़े से समृद्ध" बनाया जा रहा है.
डॉ. लेवी के क़ानूनी केस में सबसे बड़ा दावा ये है कि एक अमीर बिजनेस टाइकून के बेटे अमीरात के शाही शेख सऊद बिन फ़ैसल अल क़ास्सिमी के साथ एक बड़ा बिटकॉइन सौदा हुआ है.
फ़ाइल में ये भी बताया गया है कि 2015 में शेख सऊद ने डॉ. रुजा को चार यूएसबी वाली मेमरी स्टिक दी थी जिसमें उस वक़्त के 48.3 मिलियन यूरो के बराबर 230,000 बिटकॉइन थे.
इसके बदले में डॉ. रुजा ने मशरेक़ बैंक में शेख सऊद को तीन चेक सौंपे, जो कि 210 मिलियन अमीराती दिरहम या क़रीब 50 मिलियन यूरो के बराबर थे.
इस कथित डील से पहले दुबई के मशरेक़ बैंक ने डॉ. रुजा के खातों को मनीलॉन्ड्रिंग को लेकर बंद करना शुरू कर दिया था इसलिए उस चेक को वो भुना नहीं सकीं.
इस तथ्य के बावजूद कि एक साल से भी अधिक समय पहले से अमेरिकी न्याय विभाग ने डॉ. रुजा पर आरोप लगाया था. साथ ही वनकॉइन को धोखाधड़ी वाली क्रिप्टोकरेंसी कहा गया था, 2020 में दुबई के अधिकारियों ने डॉ. रुजा के फंड से रोक हटा ली.
इस फ़ैसले के महीनों पहले डॉ. रुजा के पूर्व फंड मैनेजर मार्क स्कॉट को भी न्यूयॉर्क में वनकॉइन की 400 मिलियन डॉलर की लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया गया था.
इस फ़ैसले के बारे में पूछे गए बीबीसी के सवाल का दुबई के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.
दुबई कोर्ट ऑफ़ अपील के रिकॉर्ड्स के मुताबिक 28 अप्रैल 2022 को शेख सऊद ने मांग की कि डॉ. रुजा के फंड उन्हें सौंप दिए जाएं, वो ख़ुद के साथ डॉ. रुजा के किसी डील की बात का हवाला दे रहे थे.
इस मामले में डॉ. रुजा प्रतिवादी हैं जबकि क़रीब पांच वर्षों से उन्हें कहीं नहीं देखा गया है.
डॉ. रुजा और शेख
शेख सऊद के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कम लंबाई के गठीले बदन वाले शेख बॉडी बिल्डिंग का शौक रखते हैं और सार्वजनिक रूप से बहुत कम देखे जाते हैं.
वे द इंटरगवर्नमेंटल कोलैबोरेटिव एक्शन फंड फॉर एक्सीलेंस (आईसीएएफ़ई) नामक एक संस्था जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का दावा करती है उसके 2017 के एक यूट्यूब वीडियों में दिखे लेकिन जब दुबई फ़ाइलें जारी की गईं, उसमें शेख अल कास्सिमी का बतौर आईसीएएफ़ई सेकेट्री ज़िक्र इसकी वेबसाइट से गायब हो गया.
हाल में लॉन्च की गई एक क्रिप्टोकरेंसी में भी शेख को बतौर अध्यक्ष बताया गया है. लीक हुईं दुबई फाइलें बताती हैं कि कभी अल कास्सिमी के परिवार और डॉ. रुजा के बीच घनिष्ठ संबंध थे.
3 सितंबर 2015 को दुबई के मशरेक़ बैंक ने डॉ रुजा को लिखित सूचना दी कि वो उनके निजी खातों को बंद कर देगा.
11 दिन बाद, एक अमेरिकी अदालत को एक ईमेल मिला जिसमें डॉ. रुजा ने वनकॉइन के अपने एक सहयोगी को मशरेक़ बैंक से 50 मिलियन यूरो ट्रांसफर करने को लिखा था. उन्होंने उसमें अगले हफ़्ते दुबई में एक शेख से मुलाक़ात का ज़िक्र भी किया था. उन्होंने लिखा कि वो कोशिश करेंगी कि 'वहां कुछ हमारे लिए हो सके.'
डॉ. रुजा किससे मिलने वालीं थीं या बैठक हुई भी या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है लेकिन फ़ाइलें एक और कहानी की ओर इशारा करती हैं.
फ़ाइलों से तस्वीर मिली है जिस पर 8 अक्तूबर 2015 की तारीख़ तो है लेकिन वो कहां ली गई है इसका पता नहीं है, इस तस्वीर में डॉ. रुजा, शेख सऊद के पिता शेख फ़ैसल के ठीक बगल में खड़ी हैं.
अल क़ास्सिमी परिवार शारजाह पर शासन करता है, जो दुबई और रास अल खैमाह (आरएके) की सीमा से सटा है.
बीबीसी ने शेख फ़ैसल से उनके परिवार और डॉ. रुजा के रिश्ते के बारे में जानना चाहा लेकिन हमारे सवालों का जवाब उनकी ओर से अब तक नहीं आया है.
राजनयिक आईडी का राज?
इस फ़ाइल में एक राजनयिक आईडी भी मिली है, जिसे रुजा के नाम से आईसीएएफ़ई के विशेष सलाहकार के रुप में जारी किया गया था. ये वो ही संस्था है जिसके वरिष्ठ के रूप में कभी शेख सऊद का नाता था.
यह संस्था संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी मालूम पड़ती है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता को इसके संयुक्त राष्ट्र से जुड़े होने के कोई रिकॉर्ड नहीं मिले.
हालांकि इसके सह संस्थापक शहरियार रहीमी ने कहा कि आईसीएएफ़ई यूएन से रजिस्टर्ड है लेकिन इसे लेकर कोई सबूत देने में वो नाकाम रहे.
डॉ. रुजा के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें (रुजा को) दिया गया आईसीएएफ़ई का दस्तावेज़ शेख सऊद से आया था.
डॉ. रुजा के बिटकॉइन डील के कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. लीक फ़ाइल में मिले एक ख़त के मुताबिक शेख सऊद ने डॉ. रुजा को आईसीएएफ़ई के राजदूत की भूमिका से बर्खास्त कर दिया था ये उनकी (डॉ. रुजा की) संपत्ति के क़ानूनी विवाद में शामिल होने से पहले की बात है.
दोनों के बीच इस मामले का अंत दुबई की कोर्ट ऑफ़ अपील में 28 जून को हुआ.
डॉ. रुजा के पास अब कितनी रकम?
कथित बिटकॉइन डील, डॉ. रुजा के साथ उनके संबंध और आईसीएएफ़ई में उनकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर शेख सऊद के वकील ने सीधे जवाब नहीं दिया लेकिन लिखा कि, "आपके पास जो भी जानकारियां हैं, वो आधारहीन हैं."
बताया जाता है कि कथित बिटकॉइन डील 'कोल्ड स्टोरेज वॉलेट' का उपयोग कर किया गया था जिससे ये पता लगाना मुश्किल हो गया कि वास्तव में हुआ क्या था.
बिटकॉइन लेनदेन का अक्सर पता लगाया जा सकता है क्योंकि वॉलेट के बीच वर्चुअल करेंसी के सभी ट्रांसफर एक सार्वजनिक रूप से देखे जा सकने वाले डेटाबेस पर रिकॉर्ड किए जाते हैं.
हालांकि अदालती दस्तावेज़ों में इसका कोई विवरण नहीं है कि ये बिटकॉइन किस या कितने वॉलेट में जमा किए गए थे.
अगर ये अब भी उनके (डॉ. रुजा) पास हैं तो डॉ. रुजा के लिए इतनी बड़ी मात्रा में बिटकॉइन को ट्रांसफ़र करना मुश्किल हो सकता है.
क्रिप्टो के लेखक डेविड बर्च को लगता है कि बिटकॉइन की बतौर गुमनाम करेंसी साख ग़लत है क्योंकि सरकारी एजेंसियां इन कॉइन के बहाव को ट्रैक करने के लिए बेहतर एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर रही हैं.
वे कहते हैं कि कुछ बिलियन डॉलर से छुटकारा पाना आपकी सोच से कहीं अधिक मुश्किल है.
अगर डॉ. रुजा के पास अब भी 230,000 बिटकॉइन हैं तो वो इस करेंसी की सबसे बड़ी मालिक हैं. नवंबर 2021 में, उनकी हिस्सेदारी 15 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई होगी. लेकिन जब इस लेख को लिखा जा रहा है तब ये लुढ़क कर पांच बिलियन डॉलर पर आ गिरा है. अब भी ये उनके छिपे रहने के लिए कहीं अधिक है. (bbc.com)
श्रीलंका में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के घरों में दाखिल प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो तब तक वहां बने रहेंगे जब तक दोनों नेता आधिकारिक रूप से इस्तीफ़ा नहीं दे देते.
संसद के स्पीकर के शनिवार को दिए गए बयान के मुताबिक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वो 13 जुलाई इस्तीफ़ा देंगे, लेकिन राष्ट्रपति ने अब तक इस बारे में ख़ुद कोई बयान नहीं दिया है.
वहीं प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को विरोध के बाद कहा कि वो अपना पद छोड़ देंगे. उन्होंने इस बारे में ट्वीट भी किया.
छात्र प्रदर्शनकारियों के नेता लाहिरु वीरासेकरा ने न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी से कहा, "हमारा संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है. हम तब तक इस संघर्ष को ख़त्म नहीं करेंगे जब तक वो (राष्ट्रपति राजपक्षे) जाते नहीं हैं."
राजनीतिक समीक्षक और मानवाधिकार वकील भवानी फोन्सेका ने रॉयटर्स से कहा, "अगले कुछ दिन बहुत अहम हैं क्योंकि इस दौरान ये देखने को मिलेगा कि यहां कि राजनीति में क्या होता है."
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये दोनों नेता वास्तव में इस्तीफ़ा दे देंगे.
बीते कई महीनों के विरोध प्रदर्शन और दोनों नेताओं से इस्तीफ़े की मांग के बाद श्रीलंका में शनिवार को बड़ी संख्या में लोग ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के घरों में घुस गए.
राष्ट्रपति को देश के आर्थिक दुर्व्यवस्था के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसकी वजह से देश में महीनों से खाद्य पदार्थों, ईंधन और दवाओं की कमी हो रही है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मीडिया में पूछे जा रहे सवालों के जवाब में बताया है कि नकदी की समस्या से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने इस साल 3.8 बिलियन डॉलर की मदद पहुंचाई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, हम उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिसका सामना श्रीलंका और वहां के लोग कर रहे हैं. इस कठिन दौर से उबरने की कोशिश में हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं.
अरिंदम बागची ने कहा, "नेबरहुड फर्स्ट नीति की केंद्र में श्रीलंका है और इसे देखते हुए भारत ने इस साल श्रीलंका में गंभीर आर्थिक स्थिति को सुधारने को लेकर 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का अभूतपूर्व समर्थन दिया है."
अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका अपनी मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने में संघर्ष कर रहा है. वो पहले से ही कर्ज़ में डूबा हुआ है. वो कर्ज़ की किस्तों को भी नहीं चुका पा रहा है. वो अपने पड़ोसी देशों भारत, चीन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी आर्थिक मदद मांग रहा है.
श्रीलंकाई सेना के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल शवेंद्रा सिल्वा ने रविवार को लोगों से अपील की कि वो देश के सामने मौजूद संकट के शांतिपूर्ण समाधान में मदद करें.
प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास में घुस गए थे. बाद में कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी थी. इन घटनाओं के बाद से राजधानी कोलंबो में तनाव बना हुआ है. राष्ट्रपति राजपक्षे अभी कहां हैं, इस बारे में कोई पुष्ट जानकारी सामने नहीं आई है.
इस बीच, श्रीलंका पुलिस के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि रनिल विक्रमसिंघे के घर में आग लगाने के मामले में रविवार को तीन संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया है. गिरफ़्तार किए गए लोगों की पहचान जाहिर नहीं की गई है.
श्रीलंका में सरकार के ख़िलाफ़ जारी विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे कई लोगों ने सोशल मीडिया पर हिंसा की निंदा की है. इनमें कई पूर्व क्रिकेटर भी शामिल हैं.
इस बीच कोलंबो की सड़कों पर तैनात पुलिस और सेना के जवाब अपने कैंप और स्टेशनों में लौट गए हैं. शनिवार के प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया था. रविवार को बहुत कम पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर नज़र आए.
इस बीच श्रीलंका सरकार के मंत्री धम्मिका परेरा ने इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्हें हाल में निवेश संवर्धन मंत्री बनाया गया था. रविवार को राष्ट्रपति के नाम लिखे पत्र में परेरा ने कहा कि उन्होंने ये पद मौजूदा संकट को देखते हुए और देश के प्रति अपने प्यार की वजह से स्वीकार किया था.
परेरा को मिलाकर अब तक चार मंत्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं. इनमें हैरिन फर्नांडो, मनुषा नानायकारा और बंधुला गुणावर्धने शामिल हैं.
इस बीच राष्ट्रपति सचिवालय ने जानकारी दी कि देश में लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आ रही है. श्रीलंका में बीते काफी समय से गैस और दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों की कमी है.
सचिवालय ने बताया कि 37सौ मीट्रिक टन गैस लेकर कार्गो शिप रविवार को पहुंचेगा. पत्र में जानकारी दी गई है कि गैस पहुंचते ही सिलेंडर की डिलेवरी शुरू हो जाएगी. दूसरी खेप 11 जुलाई यानी सोमवार को पहुंचेगी.
श्रीलंका में चल रहे वर्तमान संकट के दरम्यान कांग्रेस पार्टी ने रविवार को श्रीलंकाई लोगों के साथ अपनी एकजुटता ज़ाहिर की है और उम्मीद जताई है कि वो इस संकट से उबरने में सक्षम होंगे.
साथ ही कांग्रेस ने ये उम्मीद भी जताई कि भारत मौजूदा हालात से निपटने में अपने पड़ोसी देश की मदद करता रहेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक संदेश में कहा कि कांग्रेस पार्टी श्रीलंका में उभरती राजनीतिक स्थिति पर चिंता ज़ाहिर करती है और लगातार वहां की स्थिति पर नज़र बनाए है.
उन्होंने कहा कि आर्थिक चुनौती, बढ़ती कीमतें और खाद्य पदार्थों, इंधन और आवश्यक वस्तुओं की कमी ने वहां लोगों के बीच कठिनाई और भारी संकट पैदा किया है.
सोनिया गांधी ने अपने बयान में कहा, "कांग्रेस पार्टी संकट की घड़ी में श्रीलंका और उसके लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती है और उम्मीद करती है कि वो इससे उबरने में सक्षम होंगे."
उन्होंने ये भी कहा कि, "हमें उम्मीद है कि वर्तमान मुश्किल के दौर में भारत, श्रीलंका की सरकार और वहां के लोगों की सहायता करना जारी रखेगा."
श्रीलंका संकट पर यूरोपीय यूनियन का बयान
यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने कहा है कि श्रीलंका संकट पर उसकी नज़र है और वो श्रीलंका के लोगों को और मदद मुहैया कराने के लिए उपलब्ध विकल्पों का जायजा ले रहा है.
ईयू प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के घटनाक्रम पर उनकी क़रीबी नज़र है.
ईयू ने श्रीलंका के सभी दलों से अपील की है कि वो लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ने का रास्ता तलाशें.
बयान में कहा गया है, " हम सभी पार्टियों से अपील करते हैं कि वो आपस में सहयोग करें और शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और व्यवस्थित हस्तांतरण पर ध्यान लगाएं. "
श्रीलंका संकट पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर
उधर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा है कि भारत आर्थिक संकट से ग़ुजर रहे श्रीलंका की मदद कर रहा है.
रविवार को केरल पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा श्रीलंका का समर्थन करता रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल अभी कोई शरणार्थी संकट नहीं है.
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम पहुंचे एस जयशंकर ने हवाई अड्डे के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हम श्रीलंका का समर्थन करते रहे हैं. हम इस वक़्त भी उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं."
श्रीलंका में ताज़ा आर्थिक संकट पर पूछे गए एक सवाल पर जयशंकर ने कहा, "फिलहाल वो अभी अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रहे हैं, लिहाजा हमें इंतज़ार करना होगा और ये देखना होगा कि वो क्या करते हैं."
इस दौरान शरणार्थी संकट पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, "फिलहाल कोई शरणार्थी संकट नहीं है."
अभूतपूर्व आर्थिक संकट के जूझ रहे श्रीलंका में लोग प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के इस्तीफ़े की मांग को लेकर बीते कुछ महीनों से सड़कों पर ज़ोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार को यह प्रदर्शन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास तक पहुंच गया जिसके बाद देर शाम तक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए.
पीएम के घर में आग लगाने के मामले में तीन गिरफ़्तार
श्रीलंका पुलिस के मुताबिक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर में आग लगाने के मामले में तीन संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
श्रीलंका में शनिवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के घर में आग लगा दी गई थी. रिपोर्टों के मुताबिक उस समय विक्रमसिंघे अपने घर में मौजूद नहीं थे.
श्रीलंका पुलिस के प्रवक्ता ने गिरफ़्तारी की जानकारी दी है.
शनिवार को प्रदर्शनकारी पहले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर में घुसे. रिपोर्टों के मुताबिक राष्ट्रपति उसके पहले सुरक्षित जगह चले गए थे. बाद में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों की ओर से बताया गया कि वो इस्तीफ़ा देने को तैयार हैं.
प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति भवन से लाखों रुपये मिलने का दावा
श्रीलंका में शनिवार को बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुस गए और तोड़फोड़ की. मीडिया रिपोर्टों में ये दावा किया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति भवन से लाखों रुपये मिले हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सोशल मीडिया पर एक वीडियो चल रहा है जिसमें राष्ट्रपति आवास में घुसे लोग नोटों की गिनती कर रहे हैं. श्रीलंका के मीडिया आउटलेट डेली मिरर की रिपोर्ट कहती है कि इस पैसे को सिक्योरिटी यूनिट्स को सौंप दिया गया है.
प्रशासन का कहना है कि वो मामले की जांच के बाद मौजूदा स्थिति की जानकारी देंगे.
शनिवार को कोलंबो में हज़ारों लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग करते हुए राजधानी कोलंबो में इक्ट्ठा हुए थे. देश के ख़राब आर्थिक हालात से जूझ रहे लोगों का प्रदर्शन हिंसक हो उठा और वो राष्ट्रपति आवास में घुस गए. सामने आ रहे वीडियो और तस्वीरों में लोग राष्ट्रपति आवास की रसोई, बिस्तर और टॉयलेट का इस्तेमाल भी करते दिख रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के निज़ी आवास को भी आग लगा दी. हालांकि, प्रदर्शनकारियों के हल्लाबोल के दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ही अपने आवासों में मौजूद नहीं थे.
शनिवार रात को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ने ही इस्तीफ़े की घोषणा कर दी और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
सेना ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने के लिए की अपील
श्रीलंका में शनिवार को हुए बेहद हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सेना ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने के लिए सुरक्ष बलों के साथ सहयोग करने की अपील की है.
श्रीलंका के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ ने कहा है कि राजनीतिक संकट के शांतिपूर्ण तरीक़े से समाधान के लिए एक मौका आया है.
शनिवार को गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के सरकारी आवास पर हमला बोल दिया था. वहीं, हज़ारों की भीड़ ने प्रधानमंत्री के निजी आवास पर आग लगी दी थी.
लोगों को हिंसा से रोकने के लिए सेना और पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें भी छोड़ीं लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
श्रीलंका में लोग खाने के समाने, पेट्रोल और दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं. सरकार के पास इन आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है. वहीं, देश में महंगाई आसमान छू रही है.
देश के खराब आर्थिक हालात से नाराज लोग महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.
शनिवार को विरोध प्रदर्शन के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है.
प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की कार्रवाई बना मानवाधिकार हनन का मुद्दा
शनिवार को लगे कर्फ़्यू और पिछले कुछ दिनों से श्रीलंका में आ रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आई है. श्रीलंका की मानवाधिकार परिषद ने भी शनिवार रात एक बयान जारी कर कहा है कि इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस का शनिवार को कर्फ़्यू लगाना अवैध था.
इस बयान को शीर्षक दिया गया है, "जो आप प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कर सकते उसे अप्रत्यक्ष तौर पर ना करें. किसी मार्च को रोकने के लिए कोर्ट का आदेश ना मिलने पर सरकार अवैध तरीक़े से मार्च रोकने की कोशिश कर रही है."
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने भी सरकार और लोगों के बीच चल रहे टकराव को लेकर एक बयान जारी कर भीड़ को नियंत्रण करने के लिए संयम बरतने की सलाह दी थी.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, "हम शनिवार को कोलंबो में बड़े स्तर पर हुए प्रदर्शनों को देखते हुए प्रशासन से जनसभाओं को संभालने और हिंसा रोकने के लिए संयम बरतने की अपील करते हैं."
इसके अलावा मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी एक वीडियो जारी कर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों और पुलिस के हमले की निंदा की है. एमनेस्टी ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन एक मानवाधिकार है.
श्रीलंका में शनिवार को राजधानी कोलंबो में जनसैलाब उमड़ आया और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास पर हमला बोल दिया. इसके बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को इस्तीफ़े की घोषणा करनी पड़ी.
लेकिन, इससे पहले हिंसक विरोध प्रदर्शन को ख़त्म करने और हज़ारों की संख्या पहुंचे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने इलाक़े में कर्फ़्यू लगा दिया लेकिन उसका खास फ़ायदा नहीं हुआ. पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें भी छोड़ीं.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ही प्रदर्शनकारियों के हल्लाबोल के समय अपने घर से थे नदारद
श्रीलंका में शनिवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस्तीफ़ा देने की घोषणा कर दी. वो 13 जुलाई को इस्तीफ़ा देने वाले हैं.
इससे पहले शनिवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के सरकारी आवास के अंदर घुस गए थे. उन्होंने प्रधानमंत्री के निजी आवास में भी आग लगा दी थी.लेकिन, उस समय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ही अपने आवास पर मौजूद नहीं थे.श्रीलंका में खराब आर्थिक हालात के चलते लंबे समय से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. प्रदर्शनकारी लगातार राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.फिलहाल राष्ट्रपति के साथ-साथ प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने भी इस्तीफ़ा देने की घोषणा कर दी है.शनिवार को संसद के स्पीकर ने कहा कि राष्ट्रपति ने ''सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करने'' के लिए अपने पद से हटने का फ़ैसला किया है. साथ ही उन्होंने लोगों से ''क़ानून का सम्मान'' करने की अपील की है.इस घोषण के बाद शहर में जश्न का माहौल बन गया और लोग आतिशबाजियां करने लगे.
श्रीलंका के राजनीतिक संकट के समाधान पर आईएमएफ़ ने क्या कहा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि वो श्रीलंका के राजनीतिक संकट के समाधान की उम्मीद कर रहा है जिससे बेल आउट पैकेज को लेकर बातचीत फिर से शुरू की जा सके.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शनिवार को इस्तीफ़े की घोषणा कर दी है. वो 13 जुलाई को इस्तीफ़ा देने वाले हैं.
इससे पहले शनिवार को श्रीलंका में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुस आए.
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के निजी आवास में भी आग लगा दी.
आईएमएफ़ ने एक बयान जारी कर कहा, "हम मौजूदा स्थिति के समाधान की उम्मीद करते हैं जिससे आईएमएफ से सहयोग वाले कार्यक्रम को लेकर बातचीत शुरू हो सके."
श्रीलंका के हालात पर अमेरिका ने दी चेतावनी
अमेरिका ने रविवार को श्रीलंका के नेताओं से संकट के दीर्घकालीन हल के लिए जल्द कदम उठाने की अपील की है. शनिवार को राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को अपना सरकारी आवास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था और उसके बाद उन्होंने इस्तीफ़े का एलान कर दिया है. अमेरिका का ये संदेश श्रीलंका में शनिवार को हुए घटनाक्रम के बाद आया है. समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन इस समय थाईलैंड के दौरे पर हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "श्रीलंका की संसद को इन हालात में देश की बेहतरी के लिए, न कि किसी राजनीतिक दल के लिए प्रतिबद्धता लेकर कदम उठाना चाहिए. हम इस सरकार या संवैधानिक रूप से चुनी गई किसी नई सरकार से तेज़ी से काम करने की अपील करते हैं ताकि संकट का हल तलाशा जा सके और उस पर अमल हो. इससे श्रीलंका में लंबे समय के लिए आर्थिक स्थिरता आएगी और बिगड़ती आर्थिक स्थिति, भोजन और ईंधन की कमी को लेकर श्रीलंका के लोगों का जो असंतोष है, उसका हल निकाला जा सकेगा."
अमेरिका ने प्रदर्शनकारियों या पत्रकारों पर किसी हमले को लेकर चेतावनी भी दी है. हालांकि शनिवार को हुई हिंसा को लेकर अमेरिका ने उसकी आलोचना भी की है. शनिवार को नाराज़ प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे का घर जला दिया था.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "श्रीलंका के लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज़ उठाने का पूरा हक है. हम प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की किसी भी घटना की पूरी जांच और जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी और उनपर कार्रवाई की मांग करते हैं."
अमेरिका श्रीलंका के गृह युद्ध को लेकर राजपक्षे सरकार की नीतियों और चीन के साथ उसकी नजदीकी का कटु आलोचक रहा है. (bbc.com)
-अनबरासन एथिराजन
श्रीलंका की रश्मि कविंध्या कहती हैं कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कभी भी कोलंबो स्थित राष्ट्रपति आवास में क़दम रखने का ख़्वाब नहीं देखा था.
देश के सबसे सुरक्षित इमारतों में शामिल इस विशाल परिसर में भारी भीड़ के घुस जाने के एक दिन बाद कविंध्या जैसे हज़ारों लोग राष्ट्रपति भवन देखने के लिए उमड़ पड़े हैं.
उपनिवेश काल की वास्तुकला वाली इस इमारत में कई बरामदे, मीटिंग रूम, रिहायशी जगह के साथ एक स्विमिंग पूल और एक विशाल लॉन भी हैं. शनिवार की हुई नाटकीय घटनाओं के कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को यहां से भागने को मजबूर होना पड़ा है.
अपने चार बच्चों के साथ राष्ट्रपति भवन देखने पहुंची कविंध्या कहती हैं, "जरा इस जगह की विशालता और समृद्धि देखिए. हम अपने गांव के एक छोटे से घर में रहते हैं. यह महल लोगों का है और लोगों के पैसे से बनाया गया है."
राष्ट्रपति भवन में रविवार को भी हज़ारों मर्द, औरतें और बच्चे प्रवेश कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन करने वाले कुछ लोग वहां आ रही भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे, जबकि पुलिस और ख़ास सैनिक दस्ते के लोग कोने में केवल खड़े होकर चुपचाप यह सब होता देख रहे थे.
राष्ट्रपति भवन में सेल्फ़ी लेने की होड़
वहां लोग एक कमरे से दूसरे कमरे में घूम रहे थे. वे सागवान से बने फर्नीचरों और वहां लगी तस्वीरों के सामने और रिहायशी कमरों में घूम घूमकर सेल्फ़ी लेकर इस पल को क़ैद कर रहे थे.
वहीं इस महल के कई हिस्सों में टूटी हुई कुर्सियां, खिड़कियों के शीशे और गमले चारों ओर बिखरे हुए थे. ये नज़ारे इस परिसर में भीड़ के घुसने के बाद वहां फैली अराजकता और अफरा तफरी की कहानी बयां कर रहे थे.
एएल प्रेमवर्धने वहां के गनेमुल्ला शहर में बच्चों के एक मनोरंजन पार्क में काम करते हैं. उन्होंने बताया, "ऐसे महल को देखना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है. हम केरोसिन तेल, गैस और भोजन के लिए लंबी क़तारों में खड़े होकर इंतज़ार करते रहे, जबकि राजपक्षे दूसरे तरह की ही ज़िंदगी जी रहे थे."
देश में विरोध प्रदर्शन करने वाले नेता पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सरकारी आवासों को वे तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक वे दोनों अपने अपने पद नहीं छोड़ देते.
भगदड़ होने के ख़तरे के बाद भी भीड़ जब इस भवन को देखने के लिए वहां पहुंच रही है तो भारी हथियारों से लैस सैनिक और विशेष पुलिस अधिकारी उन्हें रोकने के बजाय कहीं पीछे खड़े थे, जबकि इस आंदोलन के वॉलेंटियर वहां की भीड़ को संभाल रहे थे.
स्वीमिंग पूल पर अटकी लोगों की निगाहें
राष्ट्रपति भवन पहुंची भीड़ को सबसे ज़्यादा वहां के स्वीमिंग पूल ध्यान खींच रहे हैं. लोग वहां खड़े होकर पानी से भरे इस पूल को निहार रहे हैं. शनिवार को स्वीमिंग पूल में नहाते प्रदर्शनकारियों के वीडियो हर जगह वायरल हुए थे. इस बीच जब एक युवक ने इस पूल में तैरने के लिए छलांग लगाई, तो वहां खड़े लोगों ने ताली बजाकर शोर मचाया.
अपनी दो किशोर बेटियों के साथ यह परिसर देखने पहुंची निरोशा सुदर्शनी हचिंसन ने कहा, "मैं दुखी हूं कि लोकतांत्रिक तरीक़े से राष्ट्रपति चुने गए किसी शख़्स को इतने शर्मनाक तरीक़े से परिसर छोड़ना पड़ा. अब हमें शर्म आ रही है कि हमने इन जैसों को वोट दिया. अब लोग चाहते हैं कि वे सभी देश के चुराए हुए पैसों को देश को लौटा दें."
इस परिसर में चार बड़े बिस्तरों पर युवकों के झुंडों को आराम फरमाते देखा गया. श्रीलंका में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली तीनों भाषाओं- सिंहल, तमिल और अंग्रेज़ी, को वहां के गलियारों में आसानी से सुना जा रहा था. वहां पहुंचने वाले लोगों में मौजूद उत्साह साफ तौर पर झलक रहा था.
राष्ट्रपति भवन में क़रीने से तैयार विशाल लॉन में बौद्ध, हिंदू और ईसाई धर्मों के सैकड़ों लोग एक-दूसरे से मिल रहे थे. वहीं वहां पहुंचा एक परिवार लॉन की घास पर लापरवाही से पिकनिक मना रहा था. हालांकि केवल 24 घंटे पहले उन्हें वहां घुसने तक की इजाज़त नहीं मिलती थी.
अब लोगों को लग रहा है कि महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते देश के सत्ताधीशों को आख़िरकार उनके पदों से हटने को मजबूर होना पड़ा. लोगों की नज़र में ये नेता ही देश की मौजूदा आर्थिक समस्या के ज़िम्मेदार हैं. अपने नेताओं की आलीशान ज़िंदगी को देखने से तो उन्हें और भी ग़ुस्सा आ रहा है. (bbc.com)
कोलंबो, 10 जुलाई। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोलने वाले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के घर के अंदर से 1.78 करोड़ रुपये बरामद करने का दावा किया है।
सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में प्रदर्शनकारी बरामद मुद्रा नोट की गिनती करते हुए दिखाई देते हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें रविवार को राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में 1,78,50,000 श्रीलंकाई रुपये मिले।
प्रदर्शनकारियों ने बरामद रकम पुलिस को सौंप दी।
सरकार विरोधी सैकड़ों प्रदर्शनकारी अवरोधकों को तोड़ने के बाद शनिवार को मध्य कोलंबो के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में स्थित राजपक्षे के आवास में घुस गए थे। प्रदर्शनकारी देश में गंभीर आर्थिक संकट के मद्देनजर राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का एक और समूह प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में घुस गया और उसमें आग लगा दी थी।
इस बारे में ज्ञात नहीं है कि राष्ट्रपति अभी कहां हैं। प्रदर्शनकारियों के शहर में घुसने के बाद से उनका एकमात्र संवाद संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने के साथ हुआ, जिन्होंने शनिवार देर रात घोषणा की कि राष्ट्रपति बुधवार को इस्तीफा दे देंगे।
राष्ट्रपति राजपक्षे ने अध्यक्ष को इस्तीफा देने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया। अभयवर्धने ने शनिवार शाम को नेताओं की सर्वदलीय बैठक के बाद इस्तीफा मांगने के लिए उन्हें पत्र लिखा था। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों की अनुपस्थिति में संसद के अध्यक्ष कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे। बाद में, सांसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे।
मई में, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई और तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण पद छोड़ना पड़ा था। राजपक्षे बंधुओं- महिंदा और गोटबाया को श्रीलंका में कई लोग लिट्टे के खिलाफ गृहयुद्ध जीतने के लिए नायक के रूप में देखते थे, लेकिन अब उन्हें देश के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।
करीब 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश पिछले सात दशकों में एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। विदेशी मुद्रा घटने तथा ईंधन समेत जरूरी सामान की किल्लत से देश में संकट और गहरा गया है।(भाषा)
कीव, 10 जुलाई । यू्क्रेन के पूर्वी शहर चासिव यार में रूस द्वारा दागा गया एक रॉकेट अपार्टमेंट इमारत पर गिरने से उसमें रह रहे कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से अधिक लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शनिवार रात को राकेट से किया गया हमला नवीनतम घटना है, जिसमें आम नागरिकों की अधिक मौत हुई है।
इससे पहले जून के आखिर में क्रेमेनचुक शहर स्थित मॉल पर रूसी मिसाइल गिरने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी जबकि इसी महीने दक्षिणी ओडेसा क्षेत्र में एक रॉकेट की चपेट में अपार्टमेंट इमारत और मनोरंजन स्थल आने से 21 लोग मारे गए थे।
चासिव या शहर में हुई घटना पर रूस के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
दोनेत्स्क क्षेत्र के गवर्नर पावलो किरिलेंको जिनके अंतर्गत चासिव यार आता है, ने कहा कि करीब 12 हजार आबादी वाले इस शहर पर उरगान रॉकेट गिरे, जिन्हें ट्रक पर लगी प्रणाली से दागा जाता है।
यूक्रेन की आपात सेवा ने बाद में बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है और करीब दो दर्जन लोगों के मलबे में अब भी फंसे होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि मलबे में दबे कम से कम तीन लोगों से संपर्क किया गया है।
चासिव या शहर यूक्रेन के दक्षिण पूर्वी शहर क्रामतोरस्क से करीब 20 किलोमीटर दूर है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह रूस का प्रमुख लक्ष्य है।
दोनेत्स्क, लुहांस्क के साथ डोनबास इलाके के दो राज्य हैं जहां पर रूस समर्थक विद्रोही वर्ष 2014 से ही यूक्रेन की सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। पिछले सप्ताह रूस ने लुहांस्क में यूक्रेनी सेना के सबसे मजबूत गढ़ लिसिचांस्क शहर पर कब्जा कर लिया था। (एपी)
कोलंबो, 10 जुलाई। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की लोकप्रियता केवल 30 महीनों की अल्प अवधि के भीतर कम होकर घृणा के प्रतीक के रूप में बदल गई और आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोग उनके इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आये।
श्रीलंका में राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने मध्य कोलंबो के कड़ी सुरक्षा वाले फोर्ट इलाके में राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में धावा बोल दिया और उन्हें राष्ट्रपति भवन छोड़कर जाना पड़ा और वह फिलहाल कहां पर हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आ सकी है।
सिंहला बौद्ध बहुसंख्यकों के 60 प्रतिशत बहुमत के साथ निर्वाचित व्यक्ति को छिपने को मजबूर होना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के भाई गोटबाया राजपक्षे ने नवंबर 2019 में चुने जाने के बाद 20वें संशोधन के माध्यम से पद ग्रहण किया था।
एक राजनीतिक टिप्पणीकार और कोलंबो के लेखक कुसल परेरा ने कहा, ‘‘लोकप्रिय समर्थन और राष्ट्रपति के रूप में उनकी संवैधानिक क्षमता के मामले में गोटबाया राजपक्षे अपने भाइयों में सबसे शक्तिशाली हो सकते हैं, लेकिन उनकी अपनी पार्टी, श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) में कभी भी मजबूत पकड़ नहीं थी।’’
उन्होंने कहा कि इसका कारण गोटबाया थे, जो कभी राजनेता नहीं रहे थे लेकिन अपने भाई महिंदा के करिश्मे और राजनीतिक कौशल के कारण उनका आधार बना रहा।
परेरा ने कहा, ‘‘उनकी राजनीतिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है। यहां तक कि उनके अपने कर्मचारी भी अब उनके साथ खड़े नहीं होंगे। राष्ट्रपति पद का कार्यभार फिर से शुरू करने के लिए उनके पास वापसी करने का कोई मौका नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महिंदा अब एक कारक नहीं होंगे, वह उम्र के साथ शारीरिक रूप से कमजोर हो गये हैं और ऐसी कोई संभावना नहीं है कि उनके पास राजनीतिक रूप से वही शक्तिशाली करिश्माई बल होगा जैसा पहले होता था।’’
एक अन्य स्तंभकार/विश्लेषक एमएसएम अयूब ने 2025 के चुनावों में वर्तमान स्थिति को देखते हुए किसी भी राजपक्षे के उभरने से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के असर का मतलब है कि युवा पीढ़ी की उम्मीदें धराशायी हो गई हैं।
गोटबाया राजपक्षे ने घोषणा की थी कि 13 जुलाई को वह इस्तीफा दे देंगे। (भाषा)
-रंजन अरुण प्रसाद
श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुज़र रहा है लेकिन शनिवार को श्रीलंका में जो कुछ हुआ, उसे आने वाले कल में लंबे समय तक याद रखा जाएगा.
शनिवार को श्रीलंका में कुछ ऐसा हुआ जिसकी पृष्ठभूमि तो महीनों से तैयार हो रही थी लेकिन शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि नाराज़ लोग राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री के निजी आवास में घुस जाएंगे.
राष्ट्रपति भवन के अंदर दाख़िल होकर तोड़फोड़ करेंगे और पीएम के निजी आवास को आग लगा देंगे.
लेकिन ये सब कुछ कल श्रीलंका में हुआ. शनिवार को आम लोगों ने संभवत: पहली बार यह भी अनुभव किया कि राष्ट्रपति कैसे रहते हैं. उनके 'महल' में किस-किस तरह की सुविधा होती है.
बीबीसी के संवाददाता रंजन अरुण प्रसाद ने राष्ट्रपति भवन का दौरा किया. आप भी पढ़ें उन्होंने वहां क्या-क्या देखा.
आंखों देखा हाल
श्रीलंका के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब सरकार और उसकी नीतियों से नाराज़ चल रहे लोग राष्ट्रपति भवन में दाखिल हो गए.
सिर्फ़ राष्ट्रपति भवन में नहीं, उन्होंने वहां के चप्पे-चप्पे को देखा. लगभग हर कमरे में दाख़िल हुए.
ये वो ही भवन था, जो कुछ घंटों पहले तक सुरक्षाकर्मियों और अंगरक्षकों की कड़ी निगरानी में था.
राष्ट्रपति भवन में दाख़िल हुए प्रदर्शनकारी आज भी यानी रविवार, 10 जून को भी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सरकारी आवास के अंदर मौजूद हैं. लेकिन सबसे पहले इस राजभवन में किसने प्रवेश किया?
बताया जा रहा है कि भवन के विशाल मुख्यद्वार को पार करने का काम एक युवा ने किया था. एक तमिल युवक सबसे पहले ऊपर चढ़ा और मुख्य द्वार को कूदकर पार कर लिया. उसके बाद तो भवन में दाखिल होने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा.
जब आम लोगों ने राष्ट्रपति भवन की विलासिता को ख़ुद अनुभव किया
जिस भवन की हर एक चीज़ पर पहरा रहता था वो शनिवार की दोपहर आम लोगों के हाथों में थी. लोगों ने भवन के अंदर की कई चीज़ों को छूआ-देखा.
शुरू में तो जब गुस्साई हुई भीड़ अंदर दाख़िल हुई तो उसने चीज़ों को तोड़ना शुरू कर दिया.
लेकिन भीड़ में हर तरह के लोग थे. कुछ प्रदर्शनकारी जहां बिना किसी नेतृत्व के रोष जताने आए थे, वहीं कुछ संगठित तौर पर, किसी नेतृत्व के तहत आए थे. लेकिन इसमें भी विविधता थी.
प्रदर्शनकारियों का एक समूह जहां बौद्ध भिक्षुओं के नेतृत्व में आया था, वहीं ईसाई मिशनरियां भी नेतृत्व कर रही थीं. कुछ इस्लामी बुज़ुर्ग नेता थे तो कुछ छात्र भी थे, जो अपने-अपने दल का नेतृत्व कर रहे थे.
प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश
इनमें से कुछ लोगों ने तोड़फोड़ मचाने वाले प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश भी की और उनके इस कृत्य की निंदा भी की.
उन्हें 'हिंसक' हो गए प्रदर्शनकारियों को यह समझाते हुए देखा गया. वे उनसे अपील कर रहे थे कि राजभवन के अंदर मौजूद चीज़ें सार्वजनिक संपत्ति ही हैं, और उन्हें नुकसान ना पहुंचाएं.
धार्मिक बुज़ुर्गों और नेता प्रदर्शनकारियों को सलाह दे रहे थे कि वे राष्ट्रपति भवन की चीज़ों को देखें, उनका मज़ा लें.
इसके बाद वो राजभवन से बाहर चलें जाएं ताकि दूसरों को अंदर आने और राष्ट्रपति भवन को देखने और यहां की सुविधाओं का आनंद लेने का मौक़ा मिल सके.
इसके बाद कई प्रदर्शनकारी एक कमरे से दूसरे कमरे में गए. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के किचन में भी पहुंचे और वहां जो कुछ भी खाने को था, वो खाया.
राष्ट्रपति भवन की सुविधाएं
संभव है कि ये वही खाना था जो एक दिन पहले राष्ट्रति भवन में बना होगा. किचन में जो कुछ खाने या पीने लायक था, लोगों ने उसे उठा लिया.
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने उन रेस्टरूम का भी इस्तेमाल किया जो राष्ट्रपति और उनका परिवार इस्तेमाल करता था.
वहां मौजूद कई लोगों को यह देखकर आश्चर्य भी हुआ कि टॉयलेट्स में भी एसी लगा हुआ है. वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों के लिए वहां बाथरूम देखना किसी सपने जैसा था, जो किसी बड़े कमरे जितना बड़ा और सुविधाओं से भरपूर था.
'भीड़ नरम गद्दे का अनुभव ले रही थी'
कुछ प्रदर्शनकारी उस कमरे में भी दाख़िल हुए जो संभवत: राष्ट्रपति का कक्ष रहा होगा. लोगों ने वहां मौजूद अलमारियां खोलीं, उनमें से राष्ट्रपति के कपड़े निकाले और पहनकर भी देखे.
वहां मौजूद लोगों के लिए यह बिल्कुल नए तरह का अनुभव था और वे वहां की हर चीज़ को आज़मा लेना चाहते थे. लोगों को बिस्तर के गद्दों पर कूदते हुए देखा गया.
जिस बिस्तर पर कुछ देर पहले राष्ट्रपति सोए होंगे, कुछ घंटों बाद वहां उस समय लोगों की भीड़ नरम गद्दे का अनुभव ले रही थी.
सबसे ज़्यादा वायरल जो वीडियो हुआ, वो स्वीमिंग पूल का था.
राष्ट्रपति भवन के अंदर मौजूद स्वीमिंग पूल में लोगों को नहाते-कूदते देखा गया. जो तस्वीरें देखने को मिलीं, उन्हें देखकर लग रहा था कि वहां मौजूद प्रदर्शनकारी पूल का मज़ा ले रहे हैं.
प्रदर्शनकारी छोटे छोटे समूहों में अंदर आ रहे थे और राष्ट्रपति भवन, वहां की आलीशान चीज़ें, और विलासितापूर्ण जीवन को देखकर बाहर निकल रहे थे. एक समूह के जाने के बाद, दूसरा समूह अंदर आ रहा था.
कुछ घंटों पहले तक जिस भवन के भीतर किसी आम नागरिक को जाने की इजाज़त नहीं होती थी, जिस इमारत के चारों ओर के कुछ किलोमीटर के दायरे में भी सुरक्षाकर्मी तैनात होते थे, वहां शनिवार को सड़क पर तिलभर की भी जगह नहीं थी.
भीड़ की सघनता इतनी अधिक थी कि पुलिस और सेना राष्ट्रपति भवन से हटा ली गई. उनके लिए भी ऐसा कुछ होगा, यह यक़ीन कर पाना मुश्किल हो रहा था.
प्रधानमंत्री के निजी आवास को लगा दी गई आग
बीबीसी टीम ने श्रीलंका में प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के घर का भी दौरा किया.
उन्होंने बताया कि शनिवार देर रात प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के निजी आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी.
पीएम का यह निजी आवास कोलंबो 7 इलाक़े में है. यह शहर के सबसे हाई प्रोफ़ाइल रिहाइशी इलाक़ों में से एक है.
बताया गया कि रनिल विक्रमसिंघे, उनकी पत्नी और बच्चे शुक्रवार शाम तक इसी घर में मौजूद थे.
लेकिन शाम के बाद उनके परिवार और स्टाफ़ के सदस्यों को एक सुरक्षित जगह ले जाया गया. घर के अंदर कोई भी नहीं था. कोई भी सुरक्षाकर्मी या अंगरक्षक भी वहाँ मौजूद नहीं मिला.
माना जा रहा है कि रनिल, उनके परिवार और स्टाफ़ को किसी गुप्त और सुरक्षित जगह ले जाया गया है.
क़रीब जाकर देखने पर घर के अंदर एक बीएमडब्ल्यू कार और कुछ अन्य वाहन दिखाई दे रहे थे. इन वाहनों को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. घर पूरी तरह से जलकर ख़ाक हो चुका है और अंदर का सामान भी राख हो गया है.
कई प्रदर्शनकारी जो अंदर नहीं जा पाए थे, वे अंदर से बाहर आए लोगों के अनुभव जानने के लिए उत्सुक थे.
शनिवार को कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पटाखे फोड़े और खुशियां मनाईं.
बीबीसी संवाददाता अनबरासन इथिराजन शनिवार को गाल शहर में थे. उन्होंने बताया कि देर रात वहां जश्न मनाया गया. लोगों ने पटाखे फोडे और उसके बाद बहुत से लोग अपने घरों को लौट गए.
वक्त बदल गया
श्रीलंका में प्रदर्शन में शामिल बहुत से लोगों का कहना है कि जो शनिवार को हुआ, वो श्रीलंका में नए युग की शुरुआत है.
इस घटना से क़रीब एक सप्ताह पहले ही राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पीएम रनिल विक्रमसिंघे की एक तस्वीर वायरल हुई थी. इस तस्वीर में दोनों नेता संसद में मुस्कुराते हुए नज़र आ रहे थे.
लोगों ने उस तस्वीर का ज़िक्र करते हुए बहुत से लोगों ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि वो दोनों कैसे मुस्कुराते हुए नज़र आ रहे थे जबकि लाकों लोग एक-एक समय के खाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
लेकिन राजनीति में एक सप्ताह बहुत कुछ बदल देने वाला होता है.
शनिवार को जो हुआ वो भले ऐतिहासिक है लेकिन लोगों में नाराज़गी पिछले कई महीनों से है. इससे पहले अप्रैल में भी प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और फिर आपातकाल लगा दिया गया था.
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग रही है कि राष्ट्रपति इस्तीफ़ा दें. हालांकि अप्रैल महीने में तब के पीएम ने महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया था और उनके बाद रनिल विक्रमसिंघे पीएम पद पर आए थे.
लेकिन कल के घटनाक्रम के बाद देर शाम उन्होंने भी घोषणा कर दी कि वे इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने ट्वीट करके बताया कि सर्वदलीय पार्टी बन सके, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, इसके लिए यह फ़ैसला लिया गया है. (bbc.com)
दक्षिण अफ़्रीका के जोहानिसबर्ग के पास सवेटो शहर के एक बार में हुई फायरिंग में 14 लोगों की जान चली गई है.
पुलिस ने कहा जोहानिसबर्ग के पास सवेटो में कई बंदूकधारियों ने बार में घुसकर लोगों पर गोलियां चला दीं.
पुलिस ने जानकारी दी कि कई हमलावर बंदूक लेकर सवेटो के ओरलेंडो ईस्ट में स्थित बार में घुस आये और लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे.
हमलावर पकड़ में नहीं आए हैं. हमले के बाद वो एक मिनीबस में भाग गए. फिलहाल हमले के वजह की जानकारी नहीं मिली है.
ये बार पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के पुराने घर से ज़्यादा दूर नहीं है. वह घर अब एक संग्रहालय बन गया है.
दक्षिण अफ़्रीका में फायरिंग की घटनाएं पहले भी होती रही हैं जिसके तार गैंग या नशे से जोड़े जाते हैं.
लेकिन, इस मामले में मरने वाले लोगों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है. इससे पहले दक्षिण अफ़्रीका के ईस्ट लंदन शहर के एक बार में 21 किशोरों को गैस या जहर से मार दिया गया था. (bbc.com)
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में शनिवार को प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर विरोध जता रहे थे. नारेबाज़ी कर रहे थे.
उनमें से कुछ लोग अचानक ठहरे. मोबाइल निकाला और सेल्फ़ी लेने लगे. वो पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या को देखकर उत्साहित थे.
श्रीलंका के हालात को लेकर लगातार दुख, तकलीफ और गुस्सा ज़ाहिर करते रहे जयसूर्या ने ऐसे फ़ैन्स को निराश नहीं किया.
उन्होंने इस तस्वीर को ट्वीट भी किया और ट्विटर पर लिखा, "मैं हमेशा श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा हूं और जल्दी ही जीत का जश्न मनाएंगे. ये बिना किसी हिंसा के जारी रहना चाहिए."
1990 के दशक में श्रीलंका टीम की पहचान बदलने और उसे 1996 का वर्ल्ड कप दिलाने वाली टीम में रहे जयसूर्या किस 'जीत' की बात कर रहे थे, ये समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं था.
श्रीलंका संकट
जयसूर्या ने लिखा, "अपनी पूरी ज़िंदगी में मैंने देश को इस तरह एकजुट होते नहीं देखा जहां एक मकसद है नाकाम नेताओं को हटा देना. अब इबारत आपके सरकारी घर की दीवार पर लिखी है. कृपया शांति से चले जाइए."
सनथ जयसूर्या अकेले पूर्व क्रिकेटर नहीं हैं. जो प्रदर्शनकारियों को समर्थन दे रहे हैं और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के प्रति नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं.
पूर्व कप्तान कुमार संगकारा और पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने समेत कई दूसरे क्रिकेटर भी श्रीलंका संकट पर अपनी बात रख रहे हैं और प्रदर्शनकारियों के साथ समर्थन जाहिर कर रहे हैं.
श्रीलंका में ये सब तब हो रहा है, जब ऑस्ट्रेलिया के टीम दौरे पर है और मेजबान टीम के ख़िलाफ़ गॉल में दूसरा टेस्ट मैच खेल रही है.
शनिवार को टेस्ट मैच के दूसरे दिन हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी स्टेडियम के बाहर भी जमा हो गए थे.
इस बीच शनिवार को ही ऑस्ट्रेलिया की टीम के कप्तान पैट कमिंस ने दुनिया से श्रीलंका की मदद की अपील की है ताकि वो संकट की स्थितियों से बाहर आ सके.
शांति की अपील
सनथ जयसूर्या ने शनिवार को किए ट्वीट में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को सलाह दी कि वो इस्तीफ़ा दे दें.
हालांकि, जब प्रदर्शन हिंसक हुआ तो उन्होंने लोगों से सतर्क और सावधान रहने की अपील भी की.
पत्रकार अज़्ज़ाम अमीन ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगाए जाने का वीडियो ट्वीट किया था.
जयसूर्या ने इसे रीट्वीट किया और लिखा, "हमें याद रखना चाहिए कि यहां कुछ ऐसे तत्व हैं जो इस महान अभियान को ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, हम राजनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री से सहमत नहीं हैं लेकिन उनका घर रॉयल कॉलेज को दान दिया गया था. ये ग़लत है. कृपया शांत रहिए. "
जयसूर्या ने शनिवार को अंग्रेजी चैनल एनडीटीवी से भी बात की.
विरोध प्रदर्शन को लेकर जयसूर्या ने कहा, "ये कोई राजनीतिक दल नहीं है. हम किसी पार्टी में नहीं हैं. हम चाहते हैं कि इस देश के लोगों का ख्याल रखा जाए. ऐसा हो नहीं रहा है. बीते एक साल से लोग दिक्कतें झेल रहे हैं. मुझे नहीं पता कि इसे कैसे बयान किया जाए. मेरे देश में ये हो रहा है, इसे देखना बहुत दुखद है. मैंने पेट्रोल के लिए वाहनों की ऐसी लंबी कतार नहीं देखी है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. ये स्वाभाविक है. लोगों के पास विरोध करने का अधिकार है. लोग ही थे जो इन्हें सत्ता में लाए थे. लोगों की ताक़त ही उन्हें हटा सकती है. "
उन्होंने प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा, "ये हमारे भविष्य के लिए है."
इसके पहले कर्फ़्यू हटाने की मांग को लेकर बार एसोसिएशन ऑफ़ श्रीलंका के एक पत्र को रिट्वीट करते हुए संगकारा ने लिखा, "लोगों की आवाज़ कोई नहीं दबा सकता है."
उन्होंने कई पत्रकारों और सनथ जयसूर्या के ट्वीट को रिट्वीट किया है
संगकारा पहले भी श्रीलंका की दिक्कत की बात उठा चुके हैं. उन्होंने अप्रैल में इंस्टाग्राम पर इसे लेकर एक बड़ी पोस्ट लिखी थी.
तब उन्होंने देश के लोगों की मुश्किलों को लेकर दुख जताया था.
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वीडियो कैप्शन,
कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे के सरकारी आवास में दाखिल हो गए.
उन्होंने लिखा था, ''श्रीलंका के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. ये देखकर दुख होता है कि लोग अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. हर दिन मुश्किल होता जा रहा है. लोग अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और एक समाधान की मांग कर रहे हैं. कुछ लोग उस आवाज़ के ख़िलाफ़ नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ उसका दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. लोग क्या कह रहे हैं, सुनना चाहिए. अपने विनाशकारी निजी और राजनीतिक एजेंडे को दूर रखते हुए श्रीलंका के हित में काम करना चाहिए. श्रीलंका के लोग दुश्मन नहीं है, वो अपने ही लोग हैं. उन्हें और उनके भविष्य को किसी भी तरह बचाना चाहिए.''
श्रीलंका के एक और पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने ने भी सोशल मीडिया के जरिए प्रदर्शनकारियों को समर्थन दिया.
लेकिन जब हिंसा की ख़बरें आने लगीं तब महेला जयवर्धने ने एक ट्वीट किया और शांति की अपील की.
उन्होंने लिखा, "ये अभियान इसके लिए नहीं है. शांति पूर्ण प्रदर्शन. हिंसा कभी भी समाधान नहीं हो सकती है. इस कदम की दिल से निंदा करता हूं."
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान की अपील
इस बीच, श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया टीम की कप्तान कर रहे पैट कमिंस ने श्रीलंका की स्थिति पर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने दुनिया से अपील की है कि वो श्रीलंका की मदद करें. कमिंस ऑस्ट्रेलिया में यूनिसेफ के एंबेसडर हैं.
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने एक वीडियो भी ट्वीट किया है. इसमें वो श्रीलंका के कुछ बच्चों से बात कर रहे हैं.
वीडियो में वो कहते हैं, "मैं फिलहाल क्रिकेट खेलने के लिए श्रीलंका में हूं. मैं कहना चाहता हूं कि ये अतुलनीय देश है. यहां के लोग बेहतरीन हैं. लेकिन इन दिनों यहां का रोज़मर्रा का जीवन कठिन हो गया है. बच्चों के लिए ये बहुत मुश्किल दौर है. "
"मैंने हाल में कौसाला और सथुजा से बात की. वो श्रीलंका में रहती हैं. दोनों ने मौजूदा संकट के बारे में बात की. "
इन बच्चों ने कमिंस को बताया कि मौजूदा संकट की वजह से उनके परिवार को सिर्फ़ एक वक्त का भोजन मिल पाता है.
वीडियो के आखिर में कमिंस कहते हैं, " श्रीलंका के बच्चों को मदद की ज़रूरत है." (bbc.com)
श्रीलंकाई संसद के स्पीकर अब श्रीलंका के अस्थायी राष्ट्रपति होंगे. स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्द्धना ने बीबीसी से कहा कि वह राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को ये जानकारी देने जा रहे हैं कि पार्टी नेताओं ने उन्हें संविधान के प्रावधानों के मुताबिक राष्ट्रपति का कार्यभार संभाालने को कहा है.
स्पीकर ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अब अपना पद छोड़ देना चाहिए. श्रीलंका के संविधान के मुताबिक वो अब राष्ट्रपति का पद कुछ दिनों तक संभालेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं के अनुरोध और श्रीलंका के लोगों की सुरक्षा के लिए वह राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने जा रहे हैं. (bbc.com)
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने महीनों के विरोध प्रदर्शनों के चरम पर पहुंचने के बाद वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर अपने विचार रखे हैं.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपने आधिकारिक निवास से भाग गए हैं और राम मणिक्कलिंगम के मुताबिक उनकी वापसी को कोई रास्ता नहीं बचा है.
राम मणिक्कलिंगम, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा के सलाहकार थे. चंद्रिका कुमारतुंगा ने 1994 से 2005 तक राष्ट्रपति के पद पर रहे थे.
राम मणिक्कलिंगम ने बीबीसी को बताया कि राष्ट्रपति राजपक्षे का भाग्य तय हो गया है. राष्ट्रपति को जाना ही होगा.
उन्होंने कहा, "एक तरफ से राष्ट्रपति पहले ही जा चुके हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या कहते हैं. वे अब अप्रासंगिक हो गए हैं."
"हमने सुना है कि वे कोलंबो के उपनगरीय इलाके में कहीं एक सेना शिविर में छिपे हुए हैं और इसलिए मुझे लगता है कि यह एक निर्णायक मोड़ है और अब कोई वापसी नहीं है."
उन्होंने कहा कि राजपक्षे हमेशा के लिए खत्म हो गए हैं और ये आशा की जाती है कि देश की सत्ता चलाने वाले राजनेताओं का एक भ्रष्ट वर्ग भी खत्म हो जाएगा. (bbc.com)
श्रीलंकाई पार्टी के नेताओं की एक मुश्किल भरी बैठक अभी खत्म हुई है. विपक्ष के सांसद हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि बैठक में बहुमत के साथ लोगों ने सहमति दी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस बात पर भी सहमति बनी है कि अधिकतम 30 दिनों के लिए स्पीकर संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे.
उनका कहना है कि एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार की स्थापना की जानी चाहिए और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाना चाहिए.
हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि संसद को गुप्त मतदान के जरिए 24 नवंबर तक राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए किसी का चुनाव करना चाहिए. (bbc.com)
लाहौर, 10 जुलाई। पाकिस्तान के एक प्रमुख टेलीविजन चैनल में प्रस्तोता को शनिवार को रिहा कर दिया गया जिसे इस्लामाबाद के पास इस सप्ताह की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने उसे एक मामले में जमानत दे दी और उसके खिलाफ अन्य मामलों को खारिज कर दिया। यह जानकारी एक सरकारी अधिवक्ता ने दी।
इमरान रियाज खान को मंगलवार को हिरासत में लिया गया था, हालांकि कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की एक अदालत ने पुलिस को उन्हें और कई अन्य पत्रकारों को देश की सेना के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाने वाली शिकायतों पर गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया था।
पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब के अलग-अलग शहरों में खान के खिलाफ कुल 17 मामले दर्ज किए गए।
पंजाब के महाधिवक्ता परवेज शौकत के अनुसार, खान को 10 दिनों की अवधि के लिए यानी लोगों को आंदोलन के लिए उकसाने और अराजकता उत्पन्न करने के आरोपों को लेकर अगली सुनवाई तक जमानत दी गई। वहीं 16 अन्य मामलों को खारिज कर दिया गया।
खान एक टेलीविजन चैनल में प्रस्तोता हैं जिन्होंने हाल ही में समा टीवी पर एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी। वह सोशल मीडिया पर अपने ब्लॉग और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री खान ने टीवी प्रस्तोता की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठायी थी।
शौकत ने शनिवार की सुनवाई में लाहौर उच्च न्यायालय को बताया कि टेलीविजन के प्रस्तोता को जमानत दिए जाने पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। सरकार ने उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाने की असफल कोशिश की थी।
शौकत ने कहा कि अदालत ने खान से यह आश्वासन भी मांगा कि वह अगली सुनवाई तक कोई विवादास्पद बयान नहीं देंगे। (एपी)
कोलंबो, 10 जुलाई। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने शनिवार रात को यह जानकारी दी।
अभयवर्धने ने शनिवार शाम को हुई सर्वदलीय नेताओं की बैठक के बाद उनके इस्तीफे के लिए पत्र लिखा था, जिसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस फैसले के बारे में संसद अध्यक्ष को सूचित किया। अभयवर्धने ने बैठक में लिए गए निर्णयों पर राजपक्षे को पत्र लिखा।
पार्टी के नेताओं ने राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के तत्काल इस्तीफे की मांग की थी जिससे कि संसद का उत्तराधिकारी नियुक्त किए जाने तक अभयवर्धने के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
विक्रमसिंघे पहले ही इस्तीफा देने की इच्छा जता चुके हैं। राजपक्षे ने अभयवर्धने के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे।
शनिवार के विरोध प्रदर्शनों से पहले शुक्रवार को अपने आवास से निकलने के बाद राजपक्षे के ठिकाने का पता नहीं चला है। प्रदर्शन के दौरान हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया था।
राजपक्षे मार्च से इस्तीफे के दबाव का सामना कर रहे थे। वह राष्ट्रपति भवन को अपने आवास और कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, क्योंकि प्रदर्शनकारी अप्रैल की शुरुआत में उनके कार्यालय के प्रवेश द्वार पर कब्जा करने पहुंच गए थे।
श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी है, जिससे देश ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के जरूरी आयात के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो गया है। (भाषा)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 10 जुलाई। ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता और देश का अगला प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए अपना अभियान औपचारिक रूप से शुरू करने वाले भारतीय मूल के ऋषि सुनक नेतृत्व संभालने की दौड़ में शनिवार को सबसे आगे नजर आए। बहरहाल, इस दौड़ में कई अन्य नेता शामिल हो गए हैं।
42 वर्षीय सुनक इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स में सत्ता पक्ष के नेता मार्क स्पेंसर, कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ओलिवर डाउडेन और पूर्व कैबिनेट मंत्री लियाम फॉक्स सहित कई वरिष्ठ टोरी सांसदों ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन किया है।
सुनक के बाद ब्रिटेन के चांसलर बने इराकी मूल के नाधिम जहावी और परिवहन मंत्री ग्रांट शाप्स ने भी शनिवार को अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की।
कंजर्वेटिव पार्टी के एक बड़े समूह का मानना है कि सुनक विभाजित सत्तारूढ़ दल को एकजुट करने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं और वह पूर्व चांसलर के रूप में ब्रिटेन के सामने खड़ी बड़ी आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सबसे अधिक सक्षम हैं।
सुनक की स्थिति इसलिए और मजबूत हो गई है, क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदारों में शामिल ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने खुद को इस दौड़ से आधिकारिक तौर पर बाहर कर लिया है।
अपने सोशल मीडिया अभियान ‘रेडी4ऋषि’ के उद्धाटन वीडियो में सुनक ने कहा, “मैंने सबसे कठिन समय में, जब हम कोविड-19 के प्रकोप से जूझ रहे थे, सरकार में सबसे कठिन विभाग का संचालन किया।”
‘रेडी4ऋषि’ अभियान की वेबसाइट पर प्रकाशित सुनक के संदेश में कहा गया है, “हमारा देश बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो किसी पीढ़ी के लिए सबसे गंभीर हैं। किसी को इस संवेदनशील पल में मजबूत स्थिति में आगे आना है और सही निर्णय लेने हैं।”
इस बीच, बोरिस जॉनसन के समर्थकों ने सुनक पर निवर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके अभियान से जुड़ा वीडियो दर्शाता है कि वह लंबे समय से इस दिशा में काम कर रहे थे।
हालांकि, सुनक का खेमा दावा कर रहा है कि यह वीडियो जॉनसन का इस्तीफा सार्वजनिक होने के कुछ घंटे बाद तैयार किया गया था। इसमें सुनक भारतीय मूल की अपनी पारिवारिक विरासत और अपनी नानी के पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन आने की भावुक कहानी भी बयां करते नजर आ रहे हैं।
वेबसाइट ‘ऑड्सचेकर यूके’ के मुताबिक, सुनक सट्टेबाजों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं और विदेश मंत्री लिज ट्रूस व रक्षा मंत्री बेल वॉलेस जैसे अन्य संभावित दावेवारों पर भी खूब दांव लग रहे हैं। हालांकि, वॉलेस अब इस दौड़ से बाहर होने की घोषणा कर चुके हैं।
नाइजीरियाई मूल की पूर्व समानता मंत्री केमी बडेनोच (42) अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाली नवीनतम उम्मीदवार बनीं।
वहीं, टोरी नेता स्टीव बेकर ने गोवा मूल की अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन के प्रति समर्थन जताते हुए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। ब्रेवरमैन प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का अपना इरादा जाहिर करने वाली शुरुआती नेताओं में से एक हैं।
वरिष्ठ कंजर्वेटिव नेता टॉम तुगेंदत भी प्रधानमंत्री बनने की होड़ में शामिल हैं। यानी फिलहाल इस पद के छह दावेदार हैं और आने वाले दिनों में कुछ अन्य नेताओं के सामने आने से यह संख्या और बढ़ सकती है।
जॉनसन का उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया काफी लंबी है और 10 डाउनिंग स्ट्रीट में उनकी जगह कब तक भरेगी, इसकी स्थिति अगले हफ्ते तक स्पष्ट होने की संभावना है।
‘द डेली टेलीग्राफ’ के अनुसार, कंजेर्वेटिव पार्टी के नेता के चुनाव से जुड़े नियम और समयसीमा निर्धारित करने को लेकर 1922 की समिति के भीतर चिंताएं हैं, क्योंकि 16 उम्मीदवार दौड़ में शामिल होने पर विचार कर सकते हैं।
अखबार के मुताबिक, ऐसे में कम गंभीर उम्मीदवारों को शुरुआती चरण में ही नेतृत्व की दौड़ से बाहर निकालने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी के वास्ते 20 सांसदों का समर्थन जुटाने की प्रारंभिक सीमा तय की जा सकती है, जिसमें एक प्रस्तावक, एक समर्थक और 18 अन्य टोरी सांसद शामिल हैं।
अखबार के अनुसार, पहले प्रत्येक दावेदार के लिए एक प्रस्तावक, एक समर्थक और आठ सांसदों सहित 10 सहयोगियों का समर्थन हासिल करने की सीमा तय किए जाने की संभावना थी।
मसौदा योजना, जिस पर सोमवार को सहमति बन सकती है, उसके तहत नेतृत्व की दौड़ में शामिल उम्मीदवारों के लिए नामांकन दाखिल करने के वास्ते मंगलवार शाम तक की समयसीमा तय किए जाने की संभावना है। वहीं, सप्ताह के अंत में दूसरे दौर का मतदान कराने की योजना है, जिसमें अंतिम स्थान पर रहने वाला सांसद दौड़ से बाहर हो जाएगा।
इसके बाद 18 जुलाई के आसपास 1922 की एक प्रमुख समिति की बैठक होगी, जिसमें बाकी उम्मीदवारों से पार्टी के सभी सांसद निजी तौर पर सवाल-जवाब करेंगे।
अंतिम दो उम्मीदवारों के चयन के लिए उस सप्ताह कई और दौर के मतदान हो सकते हैं। 21 जुलाई के आसपास दोनों उम्मीदवारों को लेकर तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। इसके बाद दोनों उम्मीदवारों को चुनाव से गुजरना होगा, जिसमें कंजर्वेटिव पार्टी के लगभग दो लाख सदस्य मतदान करेंगे।
हर दौर के मतदान में आगे बढ़ने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी के लिए कम से कम 15 फीसदी टोरी सदस्यों का समर्थन हासिल करना अनिवार्य होगा। पांच सितंबर तक पार्टी के नए नेता के चयन की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। (भाषा)
श्रीलंका का संकट भयानक रूप ले सकता है. देश की एक प्रमुख मानवाधिकार रक्षा वकील भवानी फोनेस्का ने बीबीसी से कहा कि श्रीलंका में हालात भयावह शक्ल ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस बात का डर है कि मांगें न पूरी होने पर लोग हिंसा पर उतर सकते हैं. आर्थिक हालात और खराब हुए तो भयानक हिंसा भड़क सकती है. .
भवानी ने कहा, '' श्रीलंका के लिए बेहद संकट का वक्त है. ऐसा यहां कभी नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि देश में मेडिकल संकट भी बेहद गहरा गया है. उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं कि हिंसा भड़क सकती है और जवाबी हिंसा भी हो सकती है.इसलिए बेहद भारी संकट आ सकता है.
उनकी टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब श्रीलंका में पहले नाराज लोग राष्ट्रपति के घर में घुस गए और फिर बाद में पीएम रानिल विक्रमसिंघे का घर जला दिया. (bbc.com)
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी है. इससे कुछ घंटे पहले प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोग पीएम आवास में दाख़िल हो गए थे.
यह घटना ऐसे वक़्त में हुई है जब अब से कुछ घंटे पहले ही विक्रमसिंघे अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए हैं. प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने ख़ुद ट्वीट कर इसकी पुष्टि की.
इससे पहले पीएमओ की ओर से भी बताया गया कि विक्रमसिंघे इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए हैं ताकि सर्वदलीय सरकार का गठन किया जा सके.
प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने अपनी पार्टी के नेताओं को सूचित किया है कि सर्वदलीय सरकार बन सके, इसके लिए वह अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हैं.
बीबीसी सिंहला के संवाददाता रंगा सिरीलाल के अनुसार, पीएमओ की ओर से दावा किया गया है कि 'नागरिकों की सुरक्षा' सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री विपक्ष के प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं.
वहीं विपक्ष के सांसद हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि बैठक में बहुमत के साथ लोगों ने सहमति दी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस बात पर भी सहमति बनी है कि अधिकतम 30 दिनों के लिए स्पीकर संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे.
उनका कहना है कि एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार की स्थापना की जानी चाहिए और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाना चाहिए.
हर्ष डी सिल्वा ने कहा कि संसद को गुप्त मतदान के जरिए 24 नवंबर तक राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए किसी का चुनाव करना चाहिए.
दोपहर में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सरकारी आवास में दाखिल हो गए थे और शाम होते-होते प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में भी दाखिल हो गए.
उधर, प्रदर्शनकारियों के बीच श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी पहुंचे. उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी कुछ तस्वीरें भी ट्विटर पर शेयर कीं.
उन्होंने लिखा, "वे श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं और जल्द ही जीत का जश्न मनाएंगे और इसे बिना किसी रुकावट के जारी रखा जाना चाहिए."
शनिवार दोपहर को जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास में दाख़िल हुए तो, राजपक्षे वहां मौजूद नहीं थे.
रिपोर्टों के मुताबिक, राष्ट्रपति राजपक्षे को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है. हालांकि, राष्ट्रपति कहां हैं इस बारे में अभी कोई पुष्ट जानकारी सामने नहीं आई है.
इस बीच ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं कि राजपक्षे श्रीलंका से बाहर निकलने की कोशिश में हैं.
हालांकि अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
वहीं कोलंबो में अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है.
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और हवा में गोलियां भी चलाईं.
रिपोर्टों के मुताबिक, पुलिस की कार्रवाई में कई लोग घायल भी हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जो वीडियो फ़ुटेज सामने आए हैं उनमें प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में लगी कुर्सियों पर बैठे हुए दिख रहैं और कुछ स्वीमिंग पूल में नहाते दिखाई दे रहे हैं.
श्रीलंका में बढ़ती कीमतों और ज़रूरी सामान की कमी के विरोध में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन जारी हैं. प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए देश के कई हिस्सों से लोग कोलंबो पहुंचे हैं.
प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे से इस्तीफ़ा देने की मांग कर रहे हैं.
श्रीलंका बीते कई दशकों की सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में पेट्रोल, खाने पीने के सामान और दवाओं की कमी हो गई है.
कई लोग घायल
श्रीलंका पुलिस ने राष्ट्रपति आवास को घेरने की कोशिश करने वाले लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार भी की. जिसमें कई लोगों के घायल होने की ख़बर है.
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की. वहां से आए वीडियो फुटेज में आंसू गैस के गोले से घायल लोगों को अस्पताल ले जाते हुए देखा जा सकता है.
कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल ने जानकारी दी है कि एक सुरक्षा गार्ड समेत 33 लोग घायल हुए हैं.
एक ओर श्रीलंका में राजनीतिक अशांति फैली हुई है वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच भी खेला जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच क्रिकेट मैच शनिवार को भी जारी रहा. यह मैच गाले शहर में खेला जा रहा है. यह जगह राजधानी कोलंबो से लगभग 124 किमी दूर है. हालांकि लोगों का एक समूह स्टेडियम के बाहर भी जमा हो गया था.
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पाकिस्तान क्रिकेट टीम भी अपनी आगामी सिरीज़ के लिए श्रीलंका में मौजूद है. श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि खेल कार्यक्रम में बदलाव की कोई योजना नहीं है.
उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि खेल, देश में मचे राजनीतिक उथल-पुथल से अप्रभावित है. क्रिकेट बोर्ड के एक अधिकारी ने एएफ़पी को बताया, "ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट मैच ख़त्म हो रहा है और पाकिस्तान के साथ सिरीज़ शुरू होने वाली है."
श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता: क्या है पूरा मामला
- श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहा है.
- श्रीलंका के पास ईंधन ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं जिसकी वजह से वहां बिजली का संकट तक पैदा हो गया है.
- देश में पेट्रोल-डीज़ल की भारी किल्लत है. दवाइयों की कमी से भी जूझ रहा है देश.
- श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत खस्ता है.
- श्रीलंका के लोगों के बीच सरकार को लेकर नाराज़गी इस साल के शुरू से ही दिख रही है.
- अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से गद्दी छोड़ने की माँग कर रहे हैं.
- अप्रैल में लोग अपनी मांगों को लेकर लोग श्रीलंका की सड़कों पर उतर आए थे. उस दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गए थे.
- हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद एक महीने के भीतर दो बार आपातकाल लागू किया गया.
- अप्रैल में पहली बार आपातकाल लागू होने के अगले दिन देश के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
- पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े के बाद रनिल विक्रमसिंघे पीएम बने. वह छठी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं.
- रनिल विक्रमसिंघे ने पीएम बनने के साथ ही कह दिया था- "ये संकट और बुरा होगा."
- संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा है- "श्रीलंका मानवीय संकट के कगार पर है."
रैली का आयोजन
श्रीलंका में बेतहाशा बढ़ी महंगाई के साथ खाने पीने के सामान, ईंधन और दवाओं की क़िल्लत के विरोध में शनिवार को सरकार के ख़िलाफ़ रैली का आयोजन किया गया. विरोध प्रदर्शन को विपक्षी दलों, ट्रेड यूनियनों, छात्र और किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया.
इससे पहले सरकार ने राजधानी कोलंबो और इसके पास के इलाक़ों में होने वाली इस रैली के पहले शुक्रवार रात नौ बजे से कर्फ़्यू लगा दिया था.
अधिकारियों का कहना है कि यह कर्फ़्यू शुक्रवार की रात नौ बजे से लेकर अगले आदेश तक लगाया गया है. प्रशासन ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे अपने घरों में ही रहें और बाहर न जाएं.
विरोध रैली के दौरान हिंसा से बचाव के लिए प्रशासन ने सेना और पुलिस के हज़ारों जवानों को तैनात किया गया.
देश के मौजूदा आर्थिक संकट के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को ज़िम्मेदार बताते हुए प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.
पिछले कई महीनों से आर्थिक बदहाली और महंगाई से परेशान लोग सड़कों पर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
श्रीलंका का आर्थिक संकट वहाँ के विदेशी मुद्रा भंडार के तेज़ी से घटने से पैदा हुआ है. कई लोगों का आरोप है कि ऐसा वहां की सरकार की आर्थिक बद-इंतज़ामी और कोरोना महामारी के प्रभाव की वजह से हुआ है.
विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की वजह से श्रीलंका ज़रूरी सामानों का आयात नहीं कर पा रहा जिनमें तेल, खाने-पीने के सामान और दवाएं जैसी चीज़ें शामिल हैं. इस साल मई में वो इतिहास में पहली बार अपने कर्ज़ की किस्त चुकाने में नाकाम रहा था. तब उसे सात करोड़ 80 लाख डॉलर की अदायगी करनी थी मगर 30 दिनों का अतिरिक्त समय दिए जाने के बावजूद वो इसे नहीं चुका सका.
श्रीलंका अभी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से लगभग 3.5 अरब डॉलर की बेल-आउट राशि चाह रहा है जिसके लिए उसकी बातचीत चल रही है.
श्रीलंका सरकार का कहना है कि उसे इस साल आईएमएफ़ समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पांच अरब डॉलर की मदद चाहिए. (bbc.com)
-रूपर्ट विंगफ़ील्ड-हाएस
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे पर शुक्रवार को देश के पश्चिमी हिस्से नारा में तब हमला हुआ जब वह एक सड़क पर भाषण दे रहे थे. उसके बाद अस्पताल में उनका निधन हो गया.
उनके ऊपर हमले से लेकर उनके निधन की ख़बर आने तक और अभी भी दोस्तों और मुझे जानने वालों के लगातार फ़ोन कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं. उन सभी के सवाल एक जैसे हैं. किसी को ये यक़ीन नहीं हो पा रहा कि जापान में भी ऐसा कुछ हो सकता है. उन सभी के सवाल एक ही जैसे हैं... सभी पूछ रहे हैं... आख़िर जापान में ऐसा कैसे हो सकता है?
मुझे ख़ुद भी बहुत हद तक ऐसा ही लगा. जापान में रहते हुए आप हिंसक हमलों या अपराध के बारे में नहीं सोचते हैं. या फिर यूं कहना चाहिए कि ऐसा कुछ नहीं सोचने की आदत हो जाती है.
हमला किस पर हुआ है, ये भी अपने आप में चौंकाने वाली बात है. देश के पूर्व प्रधानमंत्री पर बीच सड़क, दर्जनों लोगों की मौजूदगी में पीछे से गोली चलाई गई.
शिंज़ो आबे अभी जापान के प्रधानमंत्री नहीं थे लेकिन जापान के लोगों के बीच और जापान की पब्लिक लाइफ़ में उनकी ख़ास पकड़ और पहचान थी. इसके अलावा बीते तीन दशक में वह जापान के सबसे लोकप्रिय और चर्चित नेता रहे.
आबे को कौन मारना चाहेगा? और क्यों?
मैं ख़ुद भी कुछ ऐसा ही सोचने की कोशिश कर रहा हूं... राजनीतिक हिंसा का एक और वाकया. एक ऐसा वाकया जो जापान में शुक्रवार को हुए हमले के जैसा ही था. जिसने स्थानीय लोगों को चौंका दिया था. याद करने पर ज़हन में साल 1986 में स्वीडन के प्रधानमंत्री ओलोफ़ पाल्मे पर गोली चलाए जाने का वाक़या याद आता है.
जब मैं लोगों को कहता हूं कि वे जापान में हिंसक अपराधों के बारे में न सोचें तो मैं वाकई इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहता हूं.
जापान में क्रिमिनल रिकॉर्ड
हां, ये बात बिल्कुल सही है कि यहां पर याकूज़ा हैं... जापान का मशहूर और संगठित क्राइम गैंग लेकिन इस बात से और सच्चाई से इनक़ार नहीं किया जा सकता है कि ज़्यादातर लोगों का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. इसके अलावा याकूज़ा बंदूकों से कतराते हैं क्योंकि इसके बदले जो सज़ा है, वो काफ़ी सख़्त है.
जापान में बंदूक रखना काफी मुश्किल है. अगर आपको बंदूक रखना है तो इसके लिए आपका कोई क्रीमिनल रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए, आपके पास पूरी ट्रेनिंग होनी चाहिए, आपको मनोवैज्ञानिक स्तर पर बेहतर होना चाहिए और इसके साथ ही आपका पूरा बैकग्राउंड भी चेक किया जाता है. पुलिस आपके पड़ोसियों से आपके बारे में पूरी तफ़्तीश करती है.
इसका नतीजा यह है कि जापान में मूल तौर पर गन-क्राइम नहीं है. अगर आंकड़ों के आधार पर बात करें तो जापान में हर साल औसतन 10 से भी कम मौतें बंदूक हमले के कारण हुईं. साल 2017 में तो यह संख्या सिर्फ़ तीन थी.
ऐसे में इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि शिंज़ो आबे की हत्या के बाद अब पूरा ध्यान उस बंदूकधारी हमलावर और उसके इस्तेमाल किए गए हथियार पर केंद्रित हो गया है.
कौन है हमलावर
वह कौन शख़्स है? उसे कहां से हथियार मिला? जापान की स्थानीय मीडिया का कहना है कि हमलावर की पहचान 41 साल के तेत्सुया यामागामी के रूप में हुई है.
उन्होंने पुलिस से कहा है कि वो आबे से असंतुष्ट थे और उनकी हत्या करना चाहते थे. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से एनएचके ने बताया है, "संदिग्ध सेल्फ डिफेंस फ़ोर्स का पूर्व मेंबर है और इसने हैंडमेड गन से गोली मारी है. 2005 तक इसने तीन साल सेल्फ डिफेंस फ़ोर्स में काम किया था."
लेकिन शुरुआती जांच में पता चला है कि उन्होंने सिर्फ़ तीन साल ही नेवी में बिताए थे. जो बंदूक उन्होंने इस्तेमाल की थी वो ही अजीबोगरीब थी. हमले के बाद की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें साफ़ पता चल रहा है कि यह एक होम-मेड हथियार था. यानी घरेलू-स्तर पर बना हुआ हथियार था. स्टील पाइप की दो बिट्स एक टेप की मदद से चिपकाई गई थीं. और गन देखकर लग रहा था कि किसी तरह हाथ से ही ट्रिगर भी बनाया गया होगा.
हमले में इस्तेमाल बंदूक को देखने पर लग रहा है कि उसे इंटरनेट पर देख-देखकर तैयार किया गया होगा.
तो क्या यह जानबूझकर किया गया राजनीतिक हमला था? या फिर किसी लोकप्रिय और मशहूर शख़्स को गोली मारकर ख़ुद मशहूर हो जाने की कोशिश? ये जानलेवा हमला क्यों किया गया, हम नहीं जानते हैं.
ऐसा नहीं है कि जापान में होने वाली यह पहली राजनीतिक हत्या है. जापान के एक नेता की पहले भी बर्बर तरीक़े से हत्या हो चुकी है. वो साल 1960 का दौर था.
साल 1960 में जापान के सोशलिस्ट पार्टी के नेता इनेजिरो असानुमा की एक कट्टर दक्षिणपंथी ने तलवार घोंपकर उनकी हत्या कर दी थी. यह शख़्स समुराई तलवार चलाता था. हालांकि राइट-विंग चरमपंथी अभी भी जापान में मौजूद हैं, आबे खुद भी राइट-विंग नेशनलिस्ट थे.
हाल के सालों में, हमने यहां कुछ अलग ही किस्म के अपराधों को सामान्य होते देखा है. जापान में शांत, अकेले रहने वाले लोग बहुत हैं जिनका शायद किसी ना किसी से द्वेष है. जो शायद किसी ना किसी से खुश नहीं हैं.
साल 2019 में, एक सख़्स ने क्योटो स्थित एक लोकप्रिय एनिमेशन स्टूडियो की ब्लिडिंग में आग लगा दी थी. इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई थी.
बाद में जब पुलिस ने उस शख़्स को गिरफ़्तार किया तो उसने बताया कि वो उस स्टूडियो से नाराज़ था क्योंकि उस स्टूडियो की वजह से उसका काम छिन गया था.
ऐसा ही एक और भी मामला सामने आया था. यह साल 2008 की घटना थी जब, टोक्यो के अकिहाबारा ज़िले में एक असंतष्ट युवक ने दुकानदारों के एक समूह पर ट्रक चढ़ा दिया था. इसके बाद वो ट्रक से बाहर निकला और वहां खड़े लोगों को चाकू घोंपने लगा. इस हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी.
इस हमले को अंजाम देने से पहले उसने ऑनलाइन एक संदेश पोस्ट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था, "मैं अकिहाबारा में लोगों की हत्या करूंगा. मेरा कोई दोस्त नहीं है. मुझे लोगों ने दरकिनार कर दिया, क्योंकि मैं बदसूरत हूं. मेरी क़ीमत कूड़ेदान से भी कम है."
हालांकि आबे की हत्या को लेकर अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये हत्या फ़र्स्ट कैटेगरी की है या फिर सेकंड कैटेगरी की. लेकिन ऐसा लगता है कि इस राजनीतिक हत्या के बाद से जापान बदल जाएगा.
जापान इतना सुरक्षित है कि यहां सुरक्षा काफी रीलैक्स्ड है. चुनावी अभियानों के दौरान नेता खुले में जाकर, सड़कों पर चुनाव प्रचार करते हैं, भाषण देते हैं, लोगों से हाथ मिलाते हैं.
ऐसे में यह समझना भी आसान हो जाता है कि आबे का हमलावर कैसे उनके इतने क़रीब आ गया और हथियार निकालकर उसने ठीक पीछे खड़े होकर हमला भी कर दिया.
इस हमले के बाद से यह निश्चित तौर पर तय माना जा रहा है कि आज के बाद यह बदल जाएगा. (bbc.com)