अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र, 19 जुलाई | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चल रहे वैश्विक खाद्य संकट का समाधान करने के लिए साहसिक और समन्वित प्रतिक्रिया का आह्वान किया है। गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक उच्च-स्तरीय विशेष कार्यक्रम के लिए अपनी वीडियो टिप्पणी में चेतावनी दी, जिसका शीर्षक है 'टाइम टू एक्ट टुगेदर : कोऑर्डिनेटिंग पॉलिसी रिस्पांस टू द ग्लोबल फूड क्राइसिस'।
उन्होंने कहा, "हम इस साल कई अकालों के वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं। और अगले साल और भी बुरा हो सकता है।"
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "हम इस तबाही से बच सकते हैं, यदि हम अभी एक कार्य शुरू करते हैं तो हम साहसिक और समन्वित नीति प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि यूक्रेन के खाद्य उत्पादन, रूस के खाद्य और उर्वरक को तुरंत विश्व बाजारों में फिर से शामिल करना और वैश्विक व्यापार को खुला रखना है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, गुटेरेस ने विकासशील देशों में वित्तीय संकट से निपटने और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए सभी संभावित संसाधनों को तत्काल खोलने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए छोटे किसानों का समर्थन करने की जरूरत पर जोर दिया।
(आईएएनएस)
डेनवर (अमेरिका), 19 जुलाई। अमेरिका के कोलोराडो के बोल्डर में एक छोटे विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से चार लोगों की मौत हो गई। संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने सोमवार को यह जानकारी दी।
एफएए की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वन क्षेत्र में आग लग गई थी, जिस पर तुरंत काबू पा लिया गया। हादसे के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है।
एफएए के प्रवक्ता स्टीव कुल्म ने घटना के संबंध में अधिक जानकारी मुहैया नहीं कराई। हादसा रविवार सुबह नौ बजकर 41 मिनट पर हुआ।
बोल्डर काउंटी शेरिफ कार्यालय की प्रवक्ता कैरी हैवरफिल्ड ने बताया कि दो इंजन वाले विमान टी-337 जी में तीन यात्री और एक पायलट सवार था। (एपी)
लंदन, 19 जुलाई (भाषा)। पूर्व चांसलर ऋषि सुनक ने सोमवार को संसद के कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों के बीच मतदान में शीर्ष स्थान हासिल किया, वहीं, उनके प्रतिद्वंदी टॉम तुगेंदत सबसे कम मत प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री बनने की दौड़ से बाहर हो गए।
ब्रिटिश भारतीय पूर्व वित्त मंत्री को तीसरे दौर के मतदान में 115 मत प्राप्त हुए, जिसमें व्यापार मंत्री पेनी मोर्डंट 82 मतों, विदेश सचिव लिज़ ट्रस 71 मतों के साथ और केमी बैडेनोच 58 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
मंगलवार को होने वाले अगले दौर के मतदान में इस सूची के और घटने की उम्मीद है। बृहस्पतिवार तक केवल दो उम्मीदवार मैदान में बचे रहेंगे।
पांच सितंबर तक विजयी उम्मीदवार तत्कालीन प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की जगह नए प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ लेंगे।
ब्रिटेन का प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता की रेस में ऋषि सुनक सबसे आगे चल रहे हैं. सोमवार को कंज़र्वेटिव पार्टी का नया नेता चुनने के लिए सांसदों के बीच हुई तीसरे दौर की वोटिंग में भी वो पहले स्थान पर बने रहे.
वहीं सांसद टॉम टुगेंडहट इस रेस से बाहर हो गए हैं. पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक के अलावा दूसरे नंबर पर व्यापार मंत्री पेनी मोर्डेंट, तीसरे पर विदेश मंत्री लिज़ ट्रस और चौथे नंबर पर केमी बडेनोच हैं.
14 जुलाई को हुई दूसरे दौर की वोटिंग में भी पहले चार उम्मीदवार यही थे. तब ऋषि सुनक 101 वोट के साथ सबसे आगे चल रहे थे और अब तीसरे दौर की वोटिंग में वे 115 वोट से आगे हैं.
मंगलवार को बचे हुए चार उम्मीदवारों के लिए फिर से वोटिंग होगी. पार्टी सांसदों के वोटों का सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक सिर्फ़ दो उम्मीदवार प्रधानमंत्री की रेस में नहीं रह जाते हैं. 21 जुलाई तक ऐसा होने की संभावना है.
आख़िर में कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य पोस्टल वोट से पार्टी के नेता का चुनाव करेंगे. ब्रिटेन में विजयी उम्मीदवार पार्टी नेता के साथ साथ प्रधानमंत्री का पद भी संभालता है. नए पीएम की घोषणा 5 सितंबर को की जाएगी. (bbc.com)
इथियोपिया के संघर्षरत इलाक़े टिग्रे की ब्यूटी क्वीन सेलमावित टिकले की कहानी
एक ब्यूटी क्वीन जिन्हें अपना देश छोड़कर जाना पड़ा और अवैध तरीक़े से दूसरे देश की सीमाएं लांघनी पड़ी.
इस दौरान उन्होंने उम्मीद की तलाश में भागते लोग और बेहद भावनात्मक पलों को देखा.
इथियोपिया के संघर्षरत इलाक़े टिग्रे की ब्यूटी क्वीन सेलमावित टिकले ने खुद अपने ख़तरों भरे इस सफ़र की कहानी बीबीसी को बताई.
सेलमावित टेकले पिछले साल फ्रांस पहुंची थीं. जहां से उन्हें ब्रिटेन में शरण लेने के लिए इंग्लिश चैनल को पार करना था.
उन्होंने कई और प्रवासी लोगों से भरी हुई एक नाव में इस यात्रा की शुरुआत की. इथियोपिया का उत्तरी प्रांत टिग्रे में गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है.
इस इलाक़े में संघर्ष की शुरुआत साल 2020 के नवंबर में हुई जब प्रधानमंत्री अबी अहमद ने इस प्रांत की सत्तारूढ़ पार्टी टीपीएलएफ़ को हटाने के लिए एक आक्रामक अभियान छेड़ दिया.
टीपीएलएफ़ के लड़ाकों ने संघीय सैन्य ठिकानों पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इस दौरान नरसंहार हुआ और गैंगरेप की घटनाएं हुईं.
सेलमावित टेकले ने बीबीसी को बताया कि वो क्यों दूसरे प्रवासियों को इस तरह इंग्लिश चैनल पार न करने की सलाह देती हैं.
सेलमावित टिकले की कहानी
मुझे ब्रिटेन पहुंचने के लिए बेहद मुश्किल और डरावने सफ़र से गुजरना पड़ा. मैंने टिग्रे के अपने लोगों को समंदर में डूबते हुए देखा.
मैं इंग्लिश चैनल से बचने वालों में से हूं. नवबंर, 2021 का वो महीना मैं ज़िंदगी में कभी नहीं भूल सकती हूं.
हमने पहले फ्रांस में कई रातें गुज़ारीं. हम कैली शहर में झाड़ियों में रहे.
वहां बहुत ज़्यादा ठंड थी और खाने-पीने का कोई सामान नहीं था. उस तकलीफ़ का कोई अंत नहीं था.
हम मानव तस्करों के आने का इंतज़ार कर रहे थे. जब अलग-अलग तस्कर आए तो उनके साथ पैसों को लेकर बातचीत हुई.
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'हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था'
ये तस्कर पुलिस से बचकर प्रवासियों को इंग्लिश चैनल पार कराते हैं. पहले जत्थे में जब मेरे कुछ साथी इंग्लिश चैनल पार करने गए तो उनकी नाव डूब गई.
हालांकि, भगवान का शुक्र है कि उन्हें लाइफ़गार्ड्स ने बचा लिया.
जिन लोगों ने अभी चैनल पार नहीं किया था उन्हें भी ये बुरी ख़बर मिली. हमें झटका लगा. हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था. हमें वहां से जाना ही था.
कुछ दिनों बाद हमने भी जाने का फ़ैसला किया. मौसम बहुत ठंडा था और समुद्र बेहद डरावना लग रहा था.
हम सभी एक छोटी सी नाव में चढ़े. हमें वही करना था, जो तस्कर बोल रहे थे. अपनी ज़िंदगी बचाने की कोशिश में हमने ब्रिटेन के लिए सफ़र की शुरुआत की.
मौत का ख़तरा
लेकिन, हमारा ये सफ़र रात के किसी सामान्य सफ़र की तरह नहीं था. इस यात्रा पर मौत का ख़तरा मंडरा रहा था.
अचानक नाव का इंजन समुद्र में गिर गया. हमारे साथ बैठे अरब के एक शख़्स ने इंजन निकालने के लिए समुद्र में छलांग लगा दी लेकिन वो इंजन नहीं ला सके.
तब टिग्रे के हमारे एक भाई भी पानी में गए पर वो वापस नहीं लौटे. हमने उनके चिल्लाने की आवाज़ सुनी. हमने मदद के लिए कई आवाज़ें दीं.
लेकिन, हम उन्हें नहीं खोज सके. करीब तीन घंटों बाद लाइफ़गार्ड्स वहां पहुंचे. मेरे सामने टिग्रे के हमारे भाई पानी में डूब गए.
मैंने अपनी आंखों के सामने उन्हें मरते देखा. अरब के वो शख़्स किस्मत वाले थे. उनकी जान बच गई. वो किसी तरह नाव पर वापस आ गए.
बुरी ख़बर आई...
उस नाव पर मुझे लगा कि जैसे मैंने गलत फ़ैसला ले लिया है. मैंने और नाव पर मौजूद दूसरे लोगों ने तटरक्षकों के सामने समर्पण कर दिया.
उन्होंने कई घटों की तलाश के बाद हमें समुद्र में बहते हुए खोज लिया था. तीन या चार दिनों बाद हम ब्रिटेन पहुंचे.
यात्रियों का तीसरा जत्था इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन, वहां से बुरी ख़बर आई, सभी यात्री डूब गए थे.
उनमें मेरे साथ टिग्रे से आए दो लोग भी थे और एक मेरे शहर के ही रहने वाले थे.
मुझे अपनी हालत पर, अपने लोगों और माता-पिता के लिए बहुत रोना आया. मेरे माता-पिता को नहीं पता था कि मैं इस तरह से ब्रिटेन आ रही हूं.
जब मैंने ब्रिटेन के लिए अपने सफ़र की शुरुआत की थी तो मैंने खुद को कहा था कि टिग्रे से ज़्यादा बुरे हालात और कहीं नहीं हो सकते.
'ऐसा नहीं करना चाहिए...'
हमने वहां बहुत भयानक स्थितियां देखी हैं. लेकिन, इस समुद्र को पार करना बेहद ख़तरनाक है और ऐसा नहीं करना चाहिए.
मैंने अपना देश छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोचा था. मेरी ऐसी कोई इच्छा भी नहीं थी.
जब भी मैं सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए या किसी अन्य काम से विदेश जाती थी तो हमेशा अपने घर लौटकर आती थी.
मैकेले में मेरा अपना खुद का कारोबार था जहां मैं पारंपरिक और आधुनिक कपड़े डिज़ाइन करती थी.
गृह युद्ध से पहले मैकेले में मेरा कारोबार बहुत अच्छा चल रहा था. लेकिन, नवंबर 2020 से शुरू हुए गृह युद्ध में हज़ारों ज़िंदगियां तबाह हो गईं.
'मेरे साथ रेप नहीं हुआ...'
टिग्रे के बैंक अकाउंट फ्रीज़ कर दिए गए जिससे कोई भी अपना पैसा नहीं निकाल सकता था.
टिग्रे के हर व्यक्ति को अपना घर से बिछड़ने की भयानक पीड़ा से गुज़रना पड़ा. मेरे परिवार और मेरे साथ भी यही हुआ.
हालांकि, मैं ख़ुशकिस्मत हूं कि टिग्रे की हमारी बहनों की तरह मेरे साथ रेप नहीं हुआ लेकिन मैंने मानसिक पीड़ा झेली है.
युद्ध शुरू होने के बाद मैकेल में भारी बमबारी हुई. हमें अपना घर छोड़कर गांव जाना पड़ा. अक्सम शहर में मेरे अंकल की मौत हो गई थी.
इसके बाद मैंने देश छोड़ने का फ़ैसला किया. मैं बस शांति चाहती हूं. मुझे अच्छा नहीं लगा रहा है. मेरे अंदर की शांति ख़त्म हो गई है.
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मॉडल बनने की इच्छा
अगर शांति हो तो सब मिल जाता है, सब सुलझ जाता है. मैं अपने माता-पिता की इकलौती बेटी हूं.
मुझे याद है कि कैसे बचपन में मैं अपने कपड़े खुद चुनकर उन्हें डिज़ाइन करती थी. मैं अपनी मां के कपड़े भी पहना करती थी.
जब मैंने मॉडल बनने की इच्छा जताई थी तो मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाई पर ध्यान के लिए कहा. लेकिन, मेरी ये इच्छा ख़त्म नहीं हुई.
जब मैं 16 साल की थी तो मैंने पहले ब्यूटी पीजेंट 'मिस वर्जिन मैकेले' में हिस्सा लिया था. वो एक बेहतरीन प्रतियोगिता थी.
बड़े होकर साल 2015 में मैंने देश के सबसे बड़े ब्यूटी पीजेंट 'मिस वर्ल्ड इथियोपिया' में हिस्सा लिया.
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अवसरों के नए रास्ते...
मैं यहीं नहीं रुकी. साल 2017 में मैंने 'मिस ग्रैंड इंटरनेशनल' में भाग लिया जिसमें दुनिया भर से 77 और प्रतियोगी थे.
वियतनाम में हुआ ये मेरा पहली अंतरराष्ट्रीय ब्यूटी प्रतियोगिता थी जिसमें मैंने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया.
इस कॉन्टेस्ट में मुझे कुछ शीर्ष स्तर की ट्रॉफियां मिलीं जिसने मेरे लिए अवसरों के नए रास्ते खोल दिए.
इसके बाद मैंने दक्षिण कोरिया में एक ब्यूटी पीजेंट 'मिस ब्यूटी एंड टैलेंट' में साल 2018 में हिस्सा लिया.
इसके बाद 2019 में मैं चीन में ब्यूटी एंड स्पेशल स्किल्स कॉन्टेस्ट का हिस्सा बनी. लेकिन, हमारे सारे सपने बिखर गए. मैं अब ब्रिटेन में पनाह लेना चाहती हूं.
नई ज़िंदगी की शुरुआत
उन्होंने पहले हमारा होटल में स्वागत किया और इसके बाद उन्होंने हमे एक घर में शेयर करके रहने के लिए दिया है. साथ में खाने के लिए पैसे भी दिए गए हैं.
मेरा मामला सुलझ जाने तक मुझे बाहर जाने या काम करने की इजाज़त नहीं है. मैंने एक नई ज़िंदगी की शुरुआत की है.
कुछ ऐसा नहीं हुआ जो सोचा था. सबकुछ किसी नाटक की तरह है.
मौजूदा समय में ब्रिटेन की सरकार शरण चाहने वाले कुछ पुरुषों को रवांडा भेजने की योजना बना रही है. ये दुख भरा फ़ैसला है.
प्रवासियों ने इस देश में अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए कई बड़े त्याग किए हैं. मुझे पता है कि रात के अंधेरे में वो सफ़र कैसा होता है.
(ये लेख बीबीसीके साथ सेलमावित टेकले के साक्षात्कार पर आधारित है.)
श्रीलंका के बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने श्रीलंका को भारत से मिली मदद की सराहना की है.
उन्होंने कहा है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने श्रीलंका को वित्तीय सहायता दी है, ताकि वो मूलभूत चीज़ें जैसे ईंधन की ख़रीद कर सके.
शनिवार को दिए अपने एक बयान में भारत की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीलंका की सरकार ने बहुत से देशों से ईंधन भेजने की गुज़ारिश की थी. जैसा कि श्रीलंका राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है और साथ ही इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट की चपेट में है.
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि -'लेकिन भारत वो एकमात्र ऐसा देश है जो श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया है और जिसने आगे आकर उसे सहायता दी है.'
उन्होंने आगे कहा, "हमने कई अलग-अलग देशों से अनुरोध किया था ताकि कोई देश हमारी मदद के लिए आगे आए...फ़िलहाल, भारत सरकार एकमात्र वो देश है जिसने हमें मदद मुहैया कराई है."
रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है. श्रीलंका ने अपनी मदद के लिए रूस से भी अनुरोध किया है.
विजयसेकेरा ने बताया, 'रूस में शुरुआती बैठकें हो रही हैं. हमने उन्हें अपनी ज़रूरतों के बारे में बताया है और हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. हम इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि उनकी ओर से हमें किस तरह की मदद या फिर सहायता मिल सकती है.'
भारत ने श्रीलंका में संकट की स्थिति शुरू होने से लेकर अभी तक कई मौक़ों पर मदद भेजी है. इससे पहले भारत ने श्रीलंका को तीन अरब डॉलर से अधिक की दवाएं, ईंधन और दूसरी ज़रूरत की चीज़ें मदद के तौर पर भेजी थीं.
इस सप्ताह श्रीलंका के विदेश मंत्री ने भी भारत के बिना शर्त मदद करने की सराहना की थी. (bbc.com)
-सिकंदर किरमानी
श्रीलंका में गाड़ियों में पेट्रोल डलवाने के लिए कई-कई घंटे लाइन में लगना अब आम बात हो गई है. देश गंभीर आर्थिक संकट से ग़ुज़र रहा है और आयात करने की क्षमता उसके पास कम ही बची है.
राजधानी कोलंबो जो कि आर्थिक गतिविधियों का गढ़ भी है, वहां ऐसी लाइनें 5 किलोमीटर से भी ज़्यादा लंबी हैं. 43 साल के मिनीबस ड्राइवर प्रथम पेट्रोल लेने के बहुत नज़दीक पहुंच गए थे जब हमारी उनसे मुलाक़ात हुई. वो दस दिनों से लाइन में खड़े थे.
वो कहते हैं, "मैं पिछले गुरुवार से अपनी गाड़ी में सो रहा हूं. ये बहुत मुश्किल है, लेकिन क्या करूं...मुझे पूरा टैंक तेल भी नहीं मिलेगा."
प्रथम सैलानियों को घुमाने का काम करते थे. पहले वो उन्हें कई जगहों पर ले जाते थे, लेकिन अब लंबी यात्राएं नहीं हो सकतीं, अब वो सिर्फ़ एयरपोर्ट से लाने और ले जाने तक ही सीमित हो गए हैं.
इतने दिनों तक लाइन में लगने के बावजूद उन्हें सिर्फ़ तीन बार एयरपोर्ट आने-जाने जितना पेट्रोल मिल पाया. उसके बाद उन्हें फिर से लाइन में लगना पड़ेगा.
प्रथम के भाई और उनका बेटा बारी-बारी से आते रहते हैं ताकि प्रीतम थोड़ी देर के लिए घर जाकर आराम कर सकें.
उनके पीछे दो प्राइवेट बसें लगी हुई हैं. कंडक्टर गुना और ड्राइवर निशांत बहुत दूर रहते हैं, इसलिए वो सार्वजनिक शौचालयों पर ही निर्भर हैं.
वो कहते हैं, "मैं तीन दिन में एक बार नहाता हूं. पेशाब करने के 20 रुपये लगते हैं, नहाने के 80."
दयनीय स्थिति
बढ़ती कीमतों के कारण भी ये लोग परेशान हैं, देश में महंगाई की दर 50 प्रतिशत पहुंच गई है. आर्थिक ही नहीं यहां राजनीतिक संकट भी है, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा, विरोध के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दिया.
कई लोगों का मानना है कि देश की ऐसी हालत कोरोना महामारी के कारण हुई, क्योंकि पर्यटन उद्योग पर बुरी तरह असर पड़ा है. लेकिन कई जानकारों का मानना है कि इसके लिए सरकार की आर्थिक नीतियां ज़िम्मेदार हैं जिनमें टैक्स कटौती और रासायनिक खाद पर बैन लगाना शामिल है.
श्रीलंका में अब विदेशी मुद्रा की बहुत कमी हो गई है और उन्हें आयात, तेल, दवाओं और ख़ानी की ज़रूरतें पूरी करनी है. गुना, जो कि एक बस कंडक्टर हैं, कि वो भी विद्रोह का हिस्सा थे और पीएम के सरकार में आवास में घुस गए थे.
वो कहते हैं, "उनके रहन-सहने के तरीके देख मैं दंग रह गया."
इसी लाइन में थोड़ा और पीछे दो भाई खड़े मिले. एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और दूसरे बैंकर. इनके परिवार के कुछ लोग रात में लाइन में लगते हैं और कुछ दिन में. कुछ गाड़ी मे ही सोते हैं ताकि चोरों से बचा जा सके.
इवांथा कहते हैं, "बहुत दयनीय हालत है. मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता." वो पास के कैफ़े से या अपनी गाड़ी में बैठकर काम करने की कोशिश करते हैं. वो लाइन में लगे लोगों के भाईचारे के व्यवहार की तारीफ़ करते हैं.
कुछ लोगों ने गर्मी में लाइन में लगे लोगों के बीच लड़ाइयों और बहस की भी बात कही है लेकिन इवांथा लोगों के बीच आपसी समझ की तारीफ़ करते हैं. उदाहरण देते हुए वो बताते हैं कि पास के व्यापारियों ने उन्हें अपना टॉयलेट इस्तेमाल करने की इजाज़त दी है.
वो मुस्कुराते हुए कहते हैं कि संवेदना उनमें भी है जो जुर्म कर रहे हैं. वो कहते हैं, "एक बार मैं गाड़ी के अंदर सोया था, कोई मेरा चप्पल लेकर भाग गया. लेकिन उसने अपना पुराना, फटा चप्पल वहीं छोड़ दिया."
लेकिन इवांथा, श्रीलंका के कई दूसरे लोगों की तरह प्रधानमंत्री पद पर कौन आएगा और कार्यवाहक राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे के नए नेता की तरह उभरने की संभावना से चिंतित हैं. उन्हीं के दोस्त यूनुस कहते हैं, "वो दूसरे राजपक्षे हैं,"
श्रीलंका में आंदोलन के दौरान फैले तरह-तरह के दावों का सच जानिए
'समय की बर्बादी'
माना जा रहे है विक्रमसिंघे इस हफ़्ते संसद द्वारा राष्ट्रपति चुने जा सकते हैं. हालांकि विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि वो उन्हें स्वीकार्य नहीं करेंगे. दूसरे नेता भी अपना नाम आगे करने की कोशिश में हैं.
कमान किसी के हाथ भी जाए, इस आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालना बहुत मुश्किल होगा. सबसे बड़ी चुनौती आइएमएफ़ के साथ एक बेलआउट डील कायम करना होगी. इसके अलावा देश में ईंधन लाना बहुत ज़रूरी है.
एक नई स्कीम के तहत लोग पेट्रोल लेने के लिए डिजिटल माध्यम से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. लेकिन इस देश की हालात बदलने के लिए कई कड़े फ़ैसले लेने होंगे और इसमें कई साल लग सकते हैं.
लाइन में सबसे पीछे खड़े चंद्रा अगले एक हफ़्ते तक गाड़ी में ही रहने की तैयारी कर रह रहे हैं. उनकी गाड़ी में पेट्रोल बहुत कम बचा है, उन्हें गाड़ी को धक्का देकर ही आगे बढ़ाना होगा.
इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तान की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए पंजाब प्रांत में सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं.
पंजाब विधानसभा के उप-चुनावों में पीटीआई ने 20 में से 15 सीटों पर जीत हासिल की है. चार सीटें पीएमएल-क्यू को मिली हैं. और एक सीट पर निर्दलीय विधायक की जीत हुई है.
इसके बाद पंजाब विधानसभा में पीटीआई के विधायकों की संख्या बढ़कर 188 हो गई है जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 186 विधायकों की ज़रूरत होती है.
ऐसे में पंजाब में पीटीआई की सरकार बनना तय हो गया है और आगामी 22 जुलाई को चौधरी परवेज़ इलाही पंजाब के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
इमरान ख़ान ने इस जीत के बाद ट्विटर पर लिखा है कि अब निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की ज़रूरत है, निष्पक्ष चुनावों के अलावा कोई अन्य कदम राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक अफ़रा-तफ़री लेकर आएगी.
इससे पहले नेशनल असेंबली में विश्वास मत हारने के बाद इमरान ख़ान सत्ता से बेदखल हो गए थे. और पंजाब प्रांत में भी मौजूदा पीएम शहबाज़ शरीफ़ के बेटे ने पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
लेकिन इस जीत के साथ इमरान ख़ान पाकिस्तान की राजनीति में काफ़ी मजबूत हो गए हैं.
आने वाले दिनों में पाकिस्तान के प्रभावशाली प्रांत पंजाब में सरकार बनाकर उनकी राजनीतिक हैसियत काफ़ी बढ़ जाएगी. (bbc.com)
दाऊद कारिजादेह
"अफ़ग़ानिस्तान आज दुनिया के लिए 2001 से भी कहीं बड़ा ख़तरा है."
ये गंभीर चेतावनी दी है तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ने वाले चर्चित नेता के बेटे ने. अहमद मसूद सिर्फ़ 33 साल के हैं और अपने पिता के नक़्शे क़दम पर चल रहे हैं.
उनके पिता 'पंजशीर के शेर' के नाम से मशहूर रहे चर्चित तालिबान विरोधी विद्रोही कमांडर अहमद शाह मसूद थे. मसूद परिवार का काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर प्रांत में ख़ासा प्रभाव रहा है.
अहमद शाह मसूद की साल 2011 में अमेरिका पर हुए अल क़ायदा के हमलों से दो दिन पहले अल क़ायदा लड़ाकों ने हत्या कर दी थी. ये अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के पहले शासन के अंतिम दिनों की बात है. उन दिनों तालिबान ने दूसरे इस्लामी समूहों को अफ़ग़ानिस्तान में पनाह दी थी.
अब अहमद मसूद को डर है कि इतिहास फिर से ख़ुद को दोहरा रहा है.
'आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना'
अहमद मसूद का कहना है कि उनका इस्लामिक स्टेट और अल क़ायदा समेत दर्जनों चरमपंथी समूहों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया है. ये संगठन अपनी चरमपंथी विचारधारा को दुनिया में फैलाना चाहते हैं.
अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैन्यबलों के जाने के बाद पश्चिम समर्थक अफ़ग़ानिस्तान सरकार बीते साल अगस्त में गिर गई थी. तालिबान ने बीस साल तक सरकार से हिंसक संघर्ष करने के बाद दोबारा सत्ता हासिल कर ली है.
बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में अहमद मसूद दुनिया को अफ़ग़ानिस्तान को नज़रअंदाज़ न करने की चेतावनी देते हैं. मसूद कहते हैं कि उनके देश को तुरंत ध्यान दिए जाने और राजनीतिक स्थिरता की ज़रूरत है.
अहमद मसूद ने कहा कि चरमपंथी समूह अफ़ग़ानिस्तान के हालात का फ़ायदा उठाकर विदेशी हितों पर हमला कर सकते हैं. उनके दिवंगत पिता अहमद शाह मसूद ने भी 9/11 हमलों से कुछ दिन पहले ही ऐसी ही चेतावनी जारी की थी.
अहमद मसूद कहते हैं कि उनके पिता की चेतवानी पर ध्यान नहीं दिया गया था और दुनिया अब तक उसके अंजाम भुगत रही है. मसूद कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात उनके पिता के दौर के हालात से भी कहीं अधिक ख़तरनाक़ और ख़राब हैं.
वो कहते हैं, "मैं ये उम्मीद करता हूं कि दुनिया और ख़ासतौर पर यूरोप अफ़ग़ानिस्तान से पैदा हो रहे ख़तरे की गंभीरता को समझेगा और अफ़ग़ानिस्तान में एक ज़िम्मेदार और वैध सरकार स्थापित करने के लिए सार्थक तरीक़े से दख़ल देगा."
"लड़ने के लिए मजबूर"
अहमद मसूद ने ब्रिटेन के सैंडहर्स्ट स्थित रॉयल सैन्य अकादमी में एक साल प्रशिक्षण लिया है. ब्रिटेन अपने सैन्य अधिकारियों को यहीं प्रशिक्षित करता है. इसके बाद उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से वॉर स्टडीज़ में डिग्री हासिल की है.
युवा नेता अहमद मसूद का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात का समाधान युद्ध के बजाए राजनीतिक तरीक़े से होना चाहिए. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि तालिबान ने उनके सामने प्रतिरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. वो कहते हैं कि 'तालिबान मानवता के ख़िलाफ़ जो अपराध कर रहे हैं' वो उनके ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं.
बीते साल अगस्त में अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद अहमद मसूद अपने गृह प्रांत पंजशीर वापस लौट आए थे और यहां उन्होंने तालिबान के ख़िलाफ़ नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट स्थापित किया.
मसूद अब तीन हज़ार से अधिक हथियारबंद लड़ाकों के कमांडर हैं. पिछले 11 महीनों से उनके लड़ाके तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं. ये लड़ाई पंजशीर की घाटियों और पहाड़ियों और रणनीतिक रूप से अहम बग़लान प्रांत के अंदरबा ज़िले में चल रही है.
अहमद मसूद ने तालिबान के इस दावे को चुनौती दी है कि वो अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता लेकर आए हैं. 1990 के दशक के अंत में तालिबान के खिलाफ उनके पिता के सशस्त्र संघर्ष के विपरीत, किसी भी देश ने अब तक तालिबान के ख़िलाफ़ अहमद मसूद के सशस्त्र प्रतिरोध का सार्वजनिक रूप से समर्थन नहीं किया है.
पिछले महीने ब्रितानी सरकार ने एक बयान जारी कर कहा था, "वह किसी का समर्थन नहीं करती है, इसमें वो अफ़ग़ान नागरिक भी शामिल हैं जो हिंसा के ज़रिए राजनीतिक बदलाव लाना चाहते हैं, या किसी ऐसी गतिविधि का समर्थन नहीं करती है जो अफ़ग़ानिस्तान में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हिंसा को उकसाती हैं."
तालिबान ने ब्रिटेन के इस क़दम का स्वागत किया था.
हालांकि अहमद मसूद कहते हैं कि इस बयान पर नैतिक रूप से सवाल उठाए जा सकते हैं. वो सवाल करते हैं कि अब वैश्विक शक्तिशाली देश ये कैसे कह सकते हैं कि तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ना स्वीकार्य नहीं है जबकि उन्होंने स्वयं दशकों तक तालिबान के ख़िलाफ़ सैन्य अभियानों का समर्थन किया था.
वो कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के पास स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ने का अधिकार है. वो कहते हैं, "नैतिक रूप से देखा जाए तो ये ऐसा मक़सद है जिसका समर्थन किया जाना चाहिए."
पैसे और हथियारों की कमी
नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद ये स्वीकार करते हैं कि उनके बलों के पास तालिबान के मुक़ाबले बहुत कम संसाधन हैं. वो कहते हैं कि लड़ाकों के उच्च मनोबल और प्रेरणा ने इस प्रतिरोध को जारी रखा है.
मसूद कहते हैं, "हम साल 2022 में हैं. एक नई युवा पीढ़ि नया अफ़ग़ानिस्तान चाहती है जहां वो अपने भविष्य का फ़ैसला कर सकें." अहमद मसूद ने ब्रिटेन समेत दुनिया के शक्तिशाली देशों से तालिबान पर अफ़ग़ानिस्तान में राजनीतिक समाधान के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया है.
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की सत्ता स्थापित हुए क़रीब एक साल हो गया है लेकिन अभी तक किसी भी देश ने तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है. हालांकि रूस समेत कई क्षेत्रीय देशों ने ये संकेत दिए हैं कि वो तालिबान के साथ सामान्य रिश्ते रखने के इच्छुक हैं.
अहमद मसूद तालिबान को मान्यता देने के ख़िलाफ़ चेतावनी देते हैं. वो कहते हैं कि जो देश भी तालिबान को मान्यता देगा उसे तालिबान के ज़ुल्म और शोषण के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.
अहमद मसूद ने तालिबान पर पंजशीर और अंदराब में लोगों को अग़वा करने और उन्हें प्रताड़ित करने के आरोप भी लगाए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी इन इलाक़ों में हुए हत्याओं को रेखांकित किया है.
अहमद मसूद कहते हैं कि तालिबान ने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया उनमें से 97 फ़ीसदी का नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट से कोई संबंध नहीं है. वो कहते हैं कि तालिबान उन पर मानसिक दबाव डालने के लिए ऐसा कर रहे हैं. अहमद मसूद पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगते हुए कहते हैं कि वो इन परिवारों की मदद नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास संसाधन सीमित हैं
बातचीत का न्यौता
वो कहते हैं कि इस संकट का एकमात्र समाधान राजनीतिक वार्ता है. मसूद का तालिबान नेताओं से कई बार आमना सामना हो चुका है. इनमतें छह महीने पहले तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी से तेहरान में हुई मुलाक़ात भी शामिल है.
वो कहती हैं कि बातचीत बहुत अच्छी नहीं रही. इसके लिए वो तालिबान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि अभी तालिबान ऐसी स्थिति में नहीं आया है जहां वो राजनीतिक समाधान में यक़ीन रखता हो.
हालांकि मसूद ये भी कहते हैं कि ऐसे संकेत हैं कि तालिबान में निचले स्तर के लोग चाहते हैं कि प्रक्रिया अधिक खुली और समावेशी हो. उन्हें उम्मीद है कि ये समझ शीर्ष नेताओं तक भी पहुंचेगी.
लेकिन वो जानते हैं कि उनकी लड़ाई लंबी है और वो अकेले हैं. "दुनिया ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को अकेला छोड़ दिया है. दुनिया ने वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें अकेला छोड़ दिया है"
वाशिंगटन, 18 जुलाई | अमेरिकी राज्य नवाडा में उत्तरी लास वेगस हवाई अड्डे पर छोटे विमानों के बीच टक्कर हो जाने के चलते चार लोगों की मौत हो गई। सिटी ऑफ नॉर्थ लास वेगस फायर डिपार्टमेंट ने ट्वीट किया, इस समय, चार लोगों के मारे जाने की सूचना है। दुर्घटना की अभी भी जांच चल रही है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, प्रत्येक विमान में दो लोग सवार थे।
यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने एक ट्वीट में कहा कि वह लास वेगस में हुई दुर्घटना की जांच कर रहे है, जिसमें एक पाइपर पीए-46 और एक सेसना 172एन शामिल हैं। दोनों सिंगल इंजन और फिक्स्ड विंग वाले छोटे विमान हैं।
प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि पाइपर पीए -46 और सेसना 172एन दोनों लैंड करने की कोशिश कर रहे थे। टकराने के बाद पाइपर रनवे 30-राइट के पूर्व में एक क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सेसना एक तालाब में जा गिरा। (आईएएनएस)
ग्रीनवुड (अमेरिका), 18 जुलाई। इंडियाना मॉल में रविवार शाम को ‘फूड कोर्ट’ में एक व्यक्ति ने राइफल से गोलीबारी की जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
ग्रीनवुड पुलिस विभाग के प्रमुख जिम इसन ने कहा कि एक व्यक्ति राइफल के साथ ग्रीनवुड पार्क मॉल में घुसा और उसने फूड कोर्ट में गोलीबारी शुरू कर दी।
इसन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक हथियारबंद नागरिक ने संदिग्ध को मार डाला। उन्होंने बताया कि कुल चार लोग मारे गए और दो घायल हो गए।
गोलीबारी की सूचना मिलने पर अधिकारी शाम करीब छह बजे मॉल पहुंचे। अधिकारी मॉल में अन्य पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं, हालांकि उनका मानना है कि गोलीबारी ‘फूड कोर्ट’ तक ही सीमित रही।
इसन ने कहा कि पुलिस ने ‘फूड कोर्ट’ के पास शौचालय में एक संदिग्ध बैग बरामद किया है। इंडियानापोलिस, मेट्रोपॉलिटन पुलिस और कई अन्य एजेंसियां जांच में सहायता कर रही हैं।
इंडियानापोलिस के सहायक पुलिस प्रमुख क्रिस बेली ने कहा, ‘‘हम देश में इस तरह की एक और घटना से आहत हैं।’’ ग्रीनवुड की आबादी लगभग 60,000 है और यह इंडियानापोलिस का एक दक्षिणी उपनगर है। (एपी)
लंदन, 17 जुलाई। ब्रिटेन में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक मतदाताओं में से लगभग आधे का मानना है कि ऋषि सुनक एक अच्छे प्रधानमंत्री होंगे। रविवार को एक नये ओपिनियन पोल में यह दावा किया गया।
'द संडे टेलीग्राफ' की एक खबर के अनुसार जेएल पार्टनर्स द्वारा किये गये ओपनियन पोल में 4,400 से अधिक लोगों को शामिल किया गया। इसमें यह बात सामने आयी कि 2019 के आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन करने वालों में से 48 प्रतिशत का मानना है कि भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक सुनक एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे।
यह पहला सर्वेक्षण है जिसमें प्रधानमंत्री पद की दौड़ में विदेश मंत्री लिज़ ट्रस को दूसरे स्थान पर रखा गया है। सर्वेक्षण में शामिल व्यक्तियों में से 39 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री पद के लिए ट्रस का और 33 प्रतिशत ने व्यापार मंत्री पेनी मोर्डौंट का समर्थन किया है। (भाषा)
ढाका, 17 जुलाई। फेसबुक पर किये गये एक पोस्ट में इस्लाम के कथित अपमान को लेकर बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में हिंदू समुदाय के एक मंदिर, दुकानों और कई घरों में तोड़फोड़ की गई। रविवार को मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई है।
ऑनलाइन समाचार पत्र 'बीडीन्यूज24.कॉम' ने स्थानीय थाने के निरीक्षक हरन चंद्र पॉल के हवाले से खबर दी कि शुक्रवार शाम को नारेल जिले के सहपारा गांव में अज्ञात लोगों ने कई घरों में तोड़फोड़ की और एक मकान को आग लगा दी। हमलावरों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हव में गोलियां चलाई।
उन्होंने कहा कि हमलावरों ने शाम करीब साढ़े सात बजे हमले के दौरान गांव के एक मंदिर पर ईंट भी फेंकीं। उन्होंने मंदिर के अंदर के फर्नीचर को भी तोड़ दिया।
'द डेली स्टार' समाचार पत्र ने अपनी खबर में बताया कि कई दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई।
हरन ने कहा कि एक युवक ने फेसबुक पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग आक्रोशित हो गये। पुलिस ने युवक की तलाश की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो उसके पिता को थाने ले गई।
उन्होंने कहा कि फेसबुक पोस्ट को लेकर शुक्रवार की नमाज के बाद तनाव बढ़ गया और मुस्लिम समुदाय लोगों के एक समूह ने दोपहर में विरोध प्रदर्शन किया। बाद में उन्होंने घरों पर हमला कर दिया। अभी किसी हमलावर को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
पुलिस निरीक्षक ने कहा कि रात में स्थिति सामान्य रही।
नारेल के पुलिस अधीक्षक प्रबीर कुमार रॉय ने कहा कि कानून प्रवर्तक एजेंसियां स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए काम कर रही हैं।
रॉय ने कहा, 'हम घटना की जांच कर रहे हैं। हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल स्थिति सामान्य है।'
'द डेली स्टार' समाचार पत्र की खबर में बताया गया है कि बाद में हिंसा न हो, इसके लिए इलाके में पुलिस बलों को तैनात किया गया है।
अखबार ने दीपाली रानी साहा नामक स्थानीय निवासी के हवाले से कहा, 'एक समूह ने हमारा सारा कीमती सामान लूट लिया। इसके बाद दूसरा समूह आया और उसने हमारा दरवाजा खुला पाया। चूंकि लूटने के लिए कुछ नहीं बचा था, इसलिए उन्होंने हमारे घर में आग लगा दी।'
दीपाली का घर उन घरों और दर्जनों दुकानों में शामिल है, जिनमें सहपारा गांव में तोड़फोड़ की गई या जला दिया गया।
दिघलिया संघ परिषद की एक पूर्व महिला सदस्य ने कहा कि हमले के बाद ज्यादातर लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने कहा, "लगभग सभी घरों में ताला लगा हुआ है।"
अखबार ने गांव के राधा-गोविंद मंदिर के अध्यक्ष शिबनाथ साहा (65) के हवाले से कहा, "पुलिस गांव में पहरा दे रही है, लेकिन हम उन पर भरोसा नहीं कर सकते।"
'बीडीन्यूज24' ने अपनी खबर में कहा कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं और उनमें से कई हमले अफवाहों या सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने के बाद हुए हैं।
पिछले साल, बांग्लादेश में कुछ हिंदू मंदिरों में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान अज्ञात मुस्लिम कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी, जिसके बाद सरकार को 22 जिलों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था। इस दौरान हुए दंगों में चार लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। (भाषा)
कोलंबो, 17 जुलाई | श्रीलंका के लोक उपयोगिता आयोग (पीयूसीएसएल) ने घोषणा की है कि अगले दो दिनों में यानी 18 और 19 जुलाई को श्रीलंका में तीन घंटे बिजली कटौती होगी। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, 'ए' से 'डब्ल्यू' तक के 20 जोन के लिए दिन में एक घंटा 40 मिनट और रात में 1 घंटा 20 मिनट बिजली कटौती की जाएगी।
ग्रुप सीसी के लिए सुबह 6.00 बजे से 8.30 बजे तक दो घंटे 30 मिनट की बिजली कटौती की जाएगी, जबकि जोन एमएनओएक्सवाईजेड के लिए सुबह 5.30 बजे से सुबह 8.30 बजे तक 3 घंटे बिजली कटौती की जाएगी।
पर्याप्त ईंधन और पानी की कमी के कारण द्वीप राष्ट्र को लगातार बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से देश सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। (आईएएनएस)
पलेखोरी (यूनान), 17 जुलाई। उत्तरी यूनान में कवाला शहर के समीप शनिवार को यूक्रेन की एक विमानन कंपनी का मालवाहक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्राधिकारियों ने यह जानकारी दी।
स्थानीय निवासियों ने हादसे के बाद दो घंटों तक धमाकों की आवाज सुनी और आग की लपटें उठती देखी।
यूनान के नागरिक उड्डयन प्राधिकारियों ने बताया कि यह विमान सर्बिया से जॉर्डन जा रहा था। सोवियत द्वारा निर्मित इस टर्बोप्रोप विमान का संचालन मेरिडियन कंपनी कर रही थी।
यूनान के मीडिया ने बताया कि विमान में आठ लोग सवार थे और इसमें 12 टन ‘‘खतरनाक सामग्री’ ले जाई जा रही थी जिसमें से ज्यादातर विस्फोटक थीं।
बहरहाल, स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है कि विमान में क्या ले जाया जा रहा था।
दुर्घटनास्थल से तीव्र गंध आने के कारण एहतियात के तौर पर इसके पास स्थित दो इलाकों में रहने वाले लोगों से पूरी रात अपने घर की खिड़कियां बंद रखने, घर से बाहर न निकलने और मास्क पहनने के लिए कहा गया है। प्राधिकारियों ने बताया कि उन्हें यह मालूम नहीं है कि क्या विमान में खतरनाक रसायन था।
यूनान के नागरिक उड्डयन प्राधिकारियों ने बताया कि पायलट ने विमान के एक इंजन में दिक्कत की जानकारी दी थी और उसे थेसालोनिकी या कवाला हवाईअड्डों पर उतरने का विकल्प दिया गया था और उसने यह कहते हुए कवाला पर उतरने का फैसला किया था कि उसे आपात स्थिति में विमान को उतारना पड़ेगाा।
इसके तुरंत बाद विमान के साथ संपर्क टूट गया। विमान हवाईअड्डे से करीब 40 किलोमीटर पश्चिम में दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
स्थानीय लोगों ने दुर्घटना से पहले आग का गोला और धुएं का गुबार देखने की सूचना दी।
दमकल सेवा ने घटनास्थल के आसपास के 400 मीटर के क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है। (एपी)
नयी दिल्ली, 17 जुलाई। विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय संसद में विभिन्न दलों के नेताओं को श्रीलंका की स्थिति की मंगलवार को जानकारी देंगे।
अधिकारियों ने एक आधिकारिक ज्ञापन के हवाले से कहा कि दोनों मंत्रालय संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन 19 जुलाई की शाम को श्रीलंका की स्थिति से अवगत कराएंगे।
अधिकारियों ने बताया कि श्रीलंका में मौजूदा हालात पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को जानकारी दी जाएगी।
मानसून सत्र 28 जुलाई को आरंभ होगा और 12 अगस्त तक चलेगा।
इससे पहले, भारत ने श्रीलंका में अभूतपूर्व राजनीतिक संकट और आर्थिक बदहाली के बीच शनिवार को उसे आश्वस्त किया था कि वह देश के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक बहाली में सहयोग करता रहेगा।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को एक मुलाकात के दौरान यह आश्वासन दिया। यह मुलाकात ऐसे समय हुई, जब एक दिन पहले अभयवर्धने ने गोटबाया राजपक्षे का राष्ट्रपति पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया था।
गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में राजनीतिक संकट भी पैदा हो गया है। सरकार के खिलाफ विद्रोह के कारण राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा और पद से इस्तीफा देना पड़ा।
श्रीलंका में नये राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शनिवार को संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। श्रीलंका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा सहित कुल चार नेता शामिल हैं।
श्रीलंका को अपनी 2.2 करोड़ आबादी की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले छह महीनों में लगभग पांच अरब डॉलर की आवश्यकता है। भारत इस वर्ष श्रीलंका को मिलने वाली विदेशी सहायता का प्रमुख स्रोत रहा है। (भाषा)
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शनिवार को कहा कि सऊदी अरब अपने तेल उत्पादन को बढ़ाकर प्रतिदिन एक करोड़ 30 लाख बैरल करने की कोशिश करेगा. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने तेल उत्पादन बढ़ाने की अपनी सीमा भी बता दी.
सऊदी के शहर जेद्दाह में आयोजित अरब-अमेरिकी सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश अभी प्रति दिन एक करोड़ 10 लाख बैरल तेल उत्पादन कर रहा है.
क्राउन प्रिंस ने कहा, ''फ़िलहाल हमारी क्षमता प्रति दिन एक करोड़ 20 लाख बैरल तक तेल उत्पादन करने की है और निवेश के साथ ये उत्पादन एक करोड़ 30 लाख बैरल तक जा सकता है. सऊदी अरब की इससे ज़्यादा तेल उत्पादन बढ़ाने की क्षमता नहीं है.''
क्राउन प्रिंस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को सहयोग करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने की बात कही.
उन्होंने आगाह किया, ''ऊर्जा के मुख्य स्रोतों को छोड़कर उत्सर्जन घटाने के लिए अवास्तविक नीतियां अपनाना आने वाले दिनों में असाधारण महंगाई, ऊर्जा के दामों में बढ़ोतरी, बेरोज़गारी और सामाजिक और सुरक्षा संबंधी समस्याओं की जटिलता की ओर ले जाएगा.''
यूक्रेन-रूस के युद्ध के चलते पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है.
शनिवार को हुए सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देश, मिस्र, इराक़ और जॉर्डन भी मौजूद थे. (bbc.com)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए अपनी सरकार में मीडिया पर लगी पाबंदियों और लोगों के लापता होने से ख़ुद को अलग कर लिया. उन्होंने कहा कि ये कार्रवाई उनके निर्देशों पर नहीं हुई थी.
इमरान ख़ान मीडिया की स्वतंत्रता पर आयोजित एक सेमिनार में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ''मैं जब प्रधानमंत्री बना तो मुझे कभी मीडिया से कोई ख़तरा नहीं था. मैंने तो कभी कोशिश नहीं की मीडिया को पैसे ख़िलाने की. मैंने नजम सेठी के अलावा किसी मीडियाकर्मी पर कार्रवाई नहीं की. नजम ने मेरी जाति पर अटैक किया था. उसके ऊपर अदालत में गया. तीन चार ऐसा हुआ कि हमें कैबिनेट बैठक में पता चला कि किसी पत्रकार को उठा लिया है. मेरे निर्देशों पर कभी किसी को नहीं उठाया. समस्या कुछ और थी.''
उन्होंने कहा कि लोगों को उठाने और उनके ग़ायब होने का मसला आंतकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के जुड़ा था जिनके ख़िलाफ़ उन्होंने आवाज़ उठाई थी.
इमरान ख़ान ने बताया, ''आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध में उन्होंने लोगों को उठाना शुरू कर दिया. लोग लापता होने शुरू हो गए. जब तक मैं सरकार में नहीं आया तो मुझे फौज का नज़रिया नहीं पता था तो मैं तब तक इसके ख़िलाफ़ हमेशा बोलता रहा. मेरे पास लापता लोगों के परिजन आते थे. मैंने इससे ज़्यादा तकलीफ़देह चीज़ें नहीं देखी हैं कि औरत आ रही है कि पति ग़ायब हैं, माँ आ रही हैं कि बेटे ग़ायब हैं.''
''सरकार में आने पर पता चला कि जो लोगों को उठाया जाता था वो राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत आता था. मेरी जब जनरल बाजवा से इस पर बात हुई, एक तो उन्होंने काफ़ी लोग छोड़े लेकिन वो कहते थे समस्या ये है कि अगर एक आतंकवादी का मामला हम अदालत ले जाते हैं तो उसे साबित करना बड़ा मुश्किल है.चश्मदीद कहाँ से आएंगे.
उन्होंने कहा, ''अमेरिका की मिसाल दी जाती थी कि आंतक के ख़िलाफ़ युद्ध में उन्होंने कैसे लोगों को पकड़ा. ये और बात है कि वो ज़्यादातर मुसलमानों को ही पकड़ते थे. फौज उधर से डरती थी कि अगर हम इन्हें छोड़ देंगे तो वो फिर हमारे ख़िलाफ़ एक्टिविटी करेंगे. इसके ऊपर भी एक विधेयक आना वाला था कि किसी लापता व्यक्ति के रिश्तेदारों को तो पता हो कि वो कहाँ है.
इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान जिस जगह खड़ा है वो निर्णायक दौर है. इस समय सही फ़ैसले करने ज़रूरी हैं.(bbc.com)
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के घरों, दुकानों और मंदिरों में तोड़फोड़ और आग लगाने का मामला सामने आया है.
ये घटना बांग्लादेश के नरेल ज़िले में लोहागढ़ उपज़िले की है, जहाँ एक फ़ेसबुक पोस्ट को लेकर ईशनिंदा के आरोप में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया है.
लोहागढ़ उपज़िले में दिघलिया गाँव में शुक्रवार को ये हमला हुआ है, जिससे इलाक़े में पूरे दिन तनाव का माहौल बना रहा. बाज़ार में सभी दुकाने बंद रहीं. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है.
लोहागढ़ थाना प्रभारी शेख़ अबु ने बताया कि इलाक़े में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और हालात अभी नियंत्रण में हैं.
उन्होंने बताया कि इस घटना को लेकर फ़िलहाल कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. गिरफ़्तार किए गए शख़्स अभियुक्त लड़के के पिता हैं.
बीजेपी की पूर्व नेता नुपूर शर्मा के समर्थन में एक कॉलेज स्टूडेंट ने हाल ही में फ़ेसबुक पोस्ट किया था. इसके बाद वहां कॉलेज प्रिंसिपल स्वपन कुमार बिस्वास को जूते की माला भी पहनाई गई थी जिसका काफ़ी विरोध हुआ था.
नुपूर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसका बड़े स्तर पर विरोध किया गया था.
पुलिस ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी थी कि एक कॉलेज स्टूडेंट की फ़ेसबुक आईडी से एक पोस्ट किया गया था, जिसमें पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर विवादित कॉमेंट किए गए थे. हालांकि, पुलिस जांच कर रही है कि ये पोस्ट असली है या नहीं. इस व्यक्ति की फ़ेसबुक आईडी से पोस्ट किया गया था वो भाग गया है.
इस पोस्ट के कारण शुक्रवार की नमाज़ के दौरान इलाक़े में तनाव की स्थिति बन घई. इसके बाद शाम को हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए जो रात 9:30 बजे तक चले.
हमलावरों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े. पुलिस ने बताया कि इलाक़े के लोगों का कहना है कि वो हमलावरों को नहीं जानते. अब पुलिस उनकी पहचान करने की कोशिश कर रही है.
बांग्लादेश में ही एक अन्य मामले में मानिकगंज के सिंगैर उपज़िला में एक शख़्स ने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ कर उन्हें खंडित कर दिया. ये घटना शनिवार रात की है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है जिसे मानसिक रूप से अस्थिर और नशे का आदी बताया जा रहा है. (bbc.com)
कोलंबो, 16 जुलाई। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में खुद का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।
सिंगापुर से संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने को भेजे गए राजपक्षे के इस त्यागपत्र को शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया। संसद के सचिव धम्मिका दसनायके ने उनका त्याग पत्र पढ़ा।
राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद के लिए हुई रिक्ति की घोषणा करने के सिलसिले में श्रीलंकाई संसद की बैठक हुई। अर्थव्यस्था को संभालने में सरकार की नाकामी के चलते श्रीलंका में तेज हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते बुधवार को राजपक्षे देश से भाग गए थे।
राजपक्षे (73) ने अपने त्यागपत्र में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट में पड़ने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया।
राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की कोशिश करने जैसे बेहतरीन कदम उठाए।
राजपक्षे ने त्यागपत्र में लिखा है, 'मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।'
उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आ गई।
राजपक्षे ने कहा, 'मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कार्रवाई की।'
उन्होंने कहा, "2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा और विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगा। मेरे विचार से, मैंने स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय या राष्ट्रीय सरकार बनाने का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया।"
राजपक्षे ने पत्र में कहा, "नौ जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा के बारे में पता चलने के बाद मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया।"
वह बुधवार को मालदीव भाग गए थे और इसके बाद बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि न तो राजपक्षे ने शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है तथा उन्हें 'निजी यात्रा' के लिए प्रवेश की अनुमति दी गई। (भाषा)
-अली हमेदानी
"वो मुझे अपनी मासूम और सुंदर आँखों से देखता है. वो मुझे टहलाने के लिए बाहर ले जाने को कह रहा है, लेकिन मुझमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं है. हम गिरफ़्तार कर लिए जाएंगे."
तेहरान में अपने घर में एक कुत्ता पालने वाली महसा, शहर में पालतू जानवरों को ज़ब्त करने और उनके मालिकों को गिरफ़्तार करने के नए आदेश का ज़िक्र करते हुए ये बता रही थीं.
ईरान की राजधानी तेहरान में हाल में पुलिस ने एलान किया है कि वहाँ के पार्कों में कुत्ते घुमाना अब एक 'अपराध' है. इस प्रतिबंध को 'जनता की सुरक्षा' के लिहाज से ज़रूरी क़रार दिया गया है.
इसी समय, महीनों की बहसबाज़ी के बाद ईरान की संसद जल्द ही 'जानवरों के ख़िलाफ़ लोगों के अधिकारों के संरक्षण' के नाम से एक विधेयक को मंज़ूरी देने जा रही है. ऐसा हो जाने के बाद पूरे देश में घरों में कुत्ते, बिल्ली जैसे पालतू जानवरों को रखना एक अपराध हो जाएगा.
भारी जुर्माने का प्रावधान
प्रस्तावित क़ानून के प्रावधानों के अनुसार, घरों में पालतू जानवर तभी रखे जा सकते हैं यदि इसके लिए बनी एक विशेष समिति से परमिट हासिल कर लिया जाए.
इस क़ानून के अनुसार, बिल्ली, कछुए, खरगोश जैसे कई जानवरों के 'आयात, ख़रीद-बिक्री, लाने-ले जाने और रखने' पर क़रीब 800 डॉलर का न्यूनतम जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
इस विधेयक का विरोध करने वाले ईरानी वेटरनरी असोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पायम मोहेबी ने इस बारे में बीबीसी से बातचीत की.
उन्होंने बताया, "इस विधेयक पर बहस की शुरुआत क़रीब एक दशक पहले शुरू हुई थी. उस समय ईरान के सांसदों के एक समूह ने सभी कुत्तों को ज़ब्त करके उन्हें चिड़ियाघरों में दे देने या उन्हें रेगिस्तान में छोड़ देने के लिए एक क़ानून बनाने की कोशिश की थी."
डॉ. मोहेबी कहते हैं, "इतने सालों में, उन्होंने इस विधेयक में दो बार बदलाव किए. यहाँ तक कि कुत्ते के मालिकों को शारीरिक दंड देने पर भी चर्चा की. हालांकि उनकी योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी."
ईरान के गाँवों में हमेशा से कुत्ते पालना आम बात रही है, लेकिन पिछली सदी में शहरों में भी पालतू जानवर रखना शहरी लाइफ़स्टाइल का प्रतीक बन गया.
1948 में ईरान ने जब पशु कल्याण क़ानून बनाया तो ऐसा करने वाला वो पश्चिम एशिया के चुनिंदा देशों में से एक था.
इसके बाद सरकार ने पशुओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए देश की पहली संस्था बनाने में सहायता की. यहाँ तक कि देश के शाही ख़ानदान के पास भी पालतू कुत्ते थे.
हालांकि 1979 में देश में हुई इस्लामी क्रांति ने ईरान के लोगों और कुत्तों की ज़िंदगी से जुड़ी कई बातों को बदलकर रख दिया.
इस्लाम में जानवरों को 'अशुद्ध' माना जाता है. इसलिए इस्लामी क्रांति के बाद बनी नई सरकार की नज़र में कुत्ते भी 'पश्चिमीकरण' के प्रतीक बन गए. ऐसे में वहाँ के अधिकारियों ने इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की कोशिश की.
तेहरान के जानवरों के डॉक्टर अशकन शेमीरानी ने बीबीसी से कहते हैं कि कुत्ते पालने को लेकर कभी कोई ठोस नियम नहीं रहा है.
उनके अनुसार, "लोगों को अपने कुत्तों के साथ टहलने या अपनी कारों में उन्हें ले जाने पर पुलिस लोगों को गिरफ़्तार कर लेती है. पुलिस के अनुसार, लोगों का ऐसा करना पश्चिमीकरण का प्रतीक है."
ईरान में कुत्तों के लिए भी है जेल
अशकन शेमीरानी कहते हैं, "सरकार ने कुत्तों के लिए भी एक जेल बनाया है. हमने उस जेल के बारे में बहुत सी डरावनी कहानियां सुनी हैं. कुत्तों को वहां कई दिनों तक खुले में बिना पर्याप्त भोजन या पानी के रखा जाता था. वहीं कुत्तों के मालिकों को हर तरह की क़ानूनी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा था."
ईरान पर सालों तक लगे पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों से पैदा हुए आर्थिक संकट की भी इस नए विधेयक के पेश होने में अहम भूमिका रही है.
ईरान के विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए पालतू पशुओं के भोजन के आयात पर तीन सालों से अधिक वक़्त के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है.
विदेशी ब्रांडों के प्रभुत्व वाले इस मार्केट में सरकार के इस फ़ैसले का मतलब ये हुआ कि इसकी कालाबाज़ारी का बाज़ार तो तैयार हुआ ही और ये काफ़ी महंगे भी हो गए.
ईरान के मशहद शहर के एक वेटरनरी क्लिनिक के मालिक ने बीबीसी को बताया, "अब हम उन लोगों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो गुप्त रूप से ऐसे खाद्य पदार्थों की सप्लाई करते हैं. इसका नतीज़ा यह हुआ है कि कुछ महीने पहले की तुलना में इनकी क़ीमतें अब क़रीब पांच गुनी हो गई हैं."
उनका दावा है कि स्थानीय स्तर पर तैयार ये खाद्य पदार्थ स्तरीय नहीं होते. उनके अनुसार, "इसकी गुणवत्ता बेहद ख़राब होती है. इसे तैयार करने के लिए सस्ते मांस या मछली का उपयोग किया जाता है, यहां तक कि एक्सपायर्ड माल का भी इस्तेमाल होता है."
कुत्ते ही नहीं बिल्लियां भी हैं निशाने पर
प्रस्तावित क़ानून केवल कुत्तों के लिए ही परेशानी का सबब साबित नहीं होने वाले. इसके निशाने पर बिल्लियां भी हैं. इस क़ानून में मगरमच्छों का भी ज़िक्र किया गया है.
ईरान 'पर्सियन कैट' के जन्मस्थान के रूप में मशहूर रहा है. यह बिल्लियों की दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नस्लों में से एक है.
तेहरान के एक वेटरनरी डॉक्टर ने बीबीसी को बताया, "क्या आप यकीन कर सकते हैं कि अब पर्सियन कैट्स भी अपनी मातृभूमि में सुरक्षित नहीं हैं? इस क़ानून का कोई लॉजिक नहीं है. कट्टरपंथी लोग बस जनता को अपनी ताक़त का एहसास कराना चाहते हैं."
वहीं ईरानियन वेटरनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मोहेबी प्रस्तावित क़ानून को 'शर्मनाक' क़रार देते हैं.
वे कहते हैं, "यदि संसद यह विधेयक पारित कर देती है, तो आने वाली पीढ़ियां हमें ऐसे लोगों के रूप में याद रखेंगी, जिन्होंने कुत्तों और बिल्लियों पर प्रतिबंध लगा दिया."
ईरान में महसा जैसे पालतू पशुओं के कई मालिक वास्तव में अपने पालतू पशुओं के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं.
वे कहती हैं, "मैं अपने 'बेटे' के लिए अनुमति मांगने को आवेदन देने की हिम्मत नहीं करूंगी. तब क्या होगा जब वे मेरे आवेदन को ख़ारिज़ कर देंगे? मैं उसे सड़क पर नहीं छोड़ सकती."(bbc.com)
कंज़र्वेटिव सांसदों ने पार्टी के नेता और ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री को चुनना शुरू कर दिया है.
टोरी सांसदों के दूसरे मतदान के बाद पाँच उम्मीदवार प्रधानमंत्री की रेस में बने हुए हैं. अगला मतदान सोमवार को होना है.
बोरिस जॉनसन कैबिनेट वित्त मंत्री रहे ऋषि सुनक दूसरे दौर की वोटिंग में भी 101 वोट के साथ सबसे आगे चल रहे हैं. पहले दौर की वोटिंग में उन्हें 88 वोट मिले थे.
वहीं पेनी मोर्डेंट, लिज़ ट्रस और केमी बडेनोच को भी बुधवार की वोटिंग में ज़्यादा वोट मिले हैं जबकि टॉम टुगेंडहट को पाँच वोट का नुकसान हुआ है. वे 37 वोट से 32 पर आ गए हैं.
ऋषि सुनक पहले नंबर पर बने हुए हैं. वे भारत के विख्यात उद्योगपति और इंफ़ोसिस कंपनी के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद हैं. उन्होंने अक्षता मूर्ति से साल 2009 शादी की थी.
ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन कैबिनेट में वित्त मंत्री थे. उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने का वादा किया है.
2015 से सुनक यॉर्कशर के रिचमंड से कंज़र्वेटिव सांसद चुने गए थे. वो नॉर्दलर्टन शहर के बाहर कर्बी सिग्स्टन में रहते हैं. उनके पिता एक डॉक्टर थे और माँ फ़ार्मासिस्ट थीं. भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ़्रीका से ब्रिटेन आए थे.
1980 में सुनक का जन्म हैंपशर के साउथहैम्टन में हुआ था और उनकी पढ़ाई ख़ास प्राइवेट स्कूल विंचेस्टर कॉलेज में हुई. इसके बाद वो ऑक्सफ़ोर्ड पढ़ाई के लिए गए, जहाँ उन्होंने दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. ब्रिटेन के महत्वाकांक्षी राजनेताओं के लिए ये सबसे आज़माया हुआ और विश्वसनीय रास्ता है.
उन्होंने स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में एमबीए की पढ़ाई भी की. राजनीति में दाख़िल होने से पहले उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम किया और एक निवेश फ़र्म को भी स्थापित किया. ऋषि और अक्षता की दो बेटियां हैं.
सुनक ने यूरोपियन यूनियन को लेकर हुए जनमत संग्रह में इसे छोड़ने के पक्ष में प्रचार किया और उनके संसदीय क्षेत्र में यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में 55 फ़ीसदी लोगों ने मतदान किया था.
जुलाई 2019 में जॉनसन को सुनक ने वित्त मंत्रालय सौंपा था. इससे पहले वो जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक आवास, समुदाय और स्थानीय सरकार मंत्रालय में संसदीय अवर सचिव थे.
ऋषि सुनक कह चुके हैं कि उनकी एशियाई पहचान उनके लिए मायने रखती है. उन्होंने कहा था, "मैं पहली पीढ़ी का आप्रवासी हूँ. मेरे परिजन यहाँ आए थे, तो आपको उस पीढ़ी के लोग मिले हैं जो यहाँ पैदा हुए, उनके परिजन यहाँ पैदा नहीं हुए थे और वे इस देश में अपनी ज़िंदगी बनाने आए थे."
अपनी पत्नी के कर मामलों पर विवाद और लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगने से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन कैबिनेट छोड़ने वाले सबसे पहले कैबिनेट मंत्रियों में से एक थे.
द गार्डियन न्यूज़ वेबसाइट पर छपे एक लेख के मुताबिक़ पिछले महीने के विश्वास मत में बोरिस जॉनसन का समर्थन करने वाले टोरी सांसदों की संख्या की सटीक भविष्यवाणी करने वाले प्रोफेसर ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के नाम को लेकर बयान दिया है.
लिवरपूल विश्वविद्यालय में ब्रिटिश राजनीति पढ़ाने वाले जोनाथन टोंगे ने कहा कि मुझे लगता है कि ऋषि सुनक अगले प्रधानमंत्री होंगे. उन्होंने कहा कि ये चुनाव 51/49 का रहेगा, क्योंकि लिज़ ट्रस को भी पार्टी से सदस्यों का अच्छा ख़ासा समर्थन हासिल है.
पेनी मोर्डेंट दूसरे नंबर पर हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री बनने पर ईंधन पर वैट कटौती और बढ़ती महंगाई के हिसाब से मध्यम आय वाले लोगों की आयकर सीमा बढ़ाने का वादा किया है.
उन्होंने साल 2019 में ब्रिटेन की पहली महिला रक्षा मंत्री का इतिहास रचा था. डेविड कैमरन सरकार में उनके पास आर्म्ड फोर्सेस मंत्री का ज़िम्मा था. पेनी मोर्डेंट का समर्थन करने वालों में एंड्रिया लेडसम और डेविड डेविस शामिल हैं.
कंजर्वेटिव पार्टी की यूथ विंग की प्रमुख बनने वाली पेनी मोर्डेंट 2010 में पोर्ट्समाउथ नॉर्थ के लिए सांसद बनी थीं.
लिज़ ट्रस तीसरे नंबर पर बनी हुई हैं. कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में सबसे अधिक समय लिज़ ट्रस ने बिताया है. प्रधानमंत्री की रेस में उन्होंने तत्काल कर कटौती, राष्ट्रीय बीमा में वृद्धि को वापस लेने की घोषणा की थी.
लिज़ ट्रस को बोरिस जॉनसन के वफ़ादार संस्कृति सचिव नादिन डोरिस और जैकब रिस-मोग, सुएला ब्रेवरमैन सहित अन्य लोगों का समर्थन हासिल हैं. वर्तमान में लिज ट्रस ब्रिटेन की विदेश मंत्री हैं.
लिज़ ट्रस विदेश मंत्री बनने वाली दूसरी महिला हैं, जिन्हें ईरान से नाजनीन जगारी-रैटक्लिफ की रिहाई करवाने का श्रेय दिया जाता है. वे पहली बार साल 2010 में दक्षिण पश्चिम नॉरफ़ॉक के सांसद के रूप में चुनी गई थी.
साल 2014 में कंजर्वेटिव कॉन्फ्रेंस में पनीर के आयात करने पर भाषण देने के लिए उनका मज़ाक उड़ाया गया था.
केमी बडेनोच चौथे नंबर पर हैं, जो पूर्व में लेवलिंग अप मंत्री रही हैं. केमी सॉफ्टवेयर इंजीनियर रही हैं. उन्होंने अपना बचपन अमेरिका और नाइजीरिया में बिताया है. शुरू में केमी ने बैंकिंग में काम किया और बाद में स्पेक्टेटर पत्रिका के निदेशक का पद भी संभाला.
2017 में सेफ्रॉन वाल्डेन के लिए सांसद बनने से पहले केमी लंदन असेंबली के लिए चुनी गई थीं.
केमी लेवलिंग अप मंत्री से पहले इक्वेलिटी मंत्री भी रही हैं. बोरिस जॉनसन का साथ छोड़ने वालों में केमी का नाम भी शामिल था.
टॉम टुगेंडहट पांचवे नंबर पर हैं. टॉम टुगेंडहट सांसद हैं. उनके पास मंत्री के तौर पर सबसे अधिक अनुभव है. वे कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. ऋषि सुनक की तुलना में टॉम टुगेंडहट ने सरकार में अधिक समय बताया है लेकिन वे लंबे समय तक कैबिनेट में नहीं रहे.
टॉम टुगेंडहट ने प्रधानमंत्री बनने पर राष्ट्रीय बीमा और ईंधन शुल्क में कटौती करने और दक्षिण पूर्व के बाहर निवेश बढ़ाने का वादा किया है. उन्होंने ईरान और अफगानिस्तान में टेरिटोरियल आर्मी के अफसर के रूप में अपनी सेवा दी है. सालों से इनके प्रधानमंत्री बनने को लेकर चर्चा होती रही है.
इन्हें पूर्व कैबिनेट मंत्री डेमियन ग्रीन, जेक बेरी और रहमान चिश्ती का समर्थन हासिल है. टॉम टुगेंडहट साल 2015 में कैंट में टोनब्रिज से सांसद चुने गए थे और जनवरी 2020 से कॉमन्स फॉरेन अफेयर्स सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष हैं.
कैसे चुना जाता है ब्रिटेन का प्रधानमंत्री
उम्मीदवार को प्रधानमंत्री की रेस में क़दम रखने के लिए कम से कम 20 सांसदों के समर्थन की ज़रूरत थी जो पिछले मुक़ाबले की तुलना में अधिक है. नामांकन के बाद पहले मतदान की वोटिंग होती है, जिसमें 30 से कम वोट मिलने वाला उम्मीदवार रेस से बाहर हो जाता है.
पहले वोटिंग में जीतने वाले उम्मीदवार दूसरी वोटिंग में हिस्सा लेते हैं. इसमें जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिलते हैं वो बाहर हो जाता है. इसके बाद कई दौर का मतदान होता है.
टोरी सांसदों के वोटों का सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक सिर्फ़ दो उम्मीदवार प्रधानमंत्री की रेस में नहीं रह जाते हैं.
आख़िर में कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य पोस्टल वोट डालते हैं और पार्टी के नेता का चुनाव करते हैं. विजयी उम्मीदवार पार्टी नेता के साथ साथ प्रधानमंत्री का पद भी संभालता है. यानी जो उम्मीदवार कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के तौर पर चुना जाएगा वही ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री होगा.
समर्थन ना मिलने पर रेस से बाहर
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और विदेश कार्यालय मंत्री रहमान चिश्ती और परिवहन मंत्री ग्रांट शाप्स शुरू में ही बाहर हो गए. उन्हें 20 सांसदों का समर्थन नहीं मिला जिसके चलते वे पहली वोटिंग में हिस्सा नहीं ले पाए.
इसके बाद बुधवार को हुई पहली वोटिंग में पूर्व विदेश मंत्री जेरेमी हंट और चांसलर नादिम ज़हावी को कम से कम टोरी सांसदों से 30 वोट नहीं मिले जिसके चलते वे दोनों बाहर हो गए.
वहीं गुरुवार को हुई दूसरी वोटिंग में अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन को सबसे कम वोट मिले जिसके चलते वे भी बाहर हो गईं.
अहम तारीखें-
12 जुलाई - उम्मीदवारों के लिए नामांकन बंद - प्रत्येक को 20 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी.
13 जुलाई - पहले दौर का मतदान - 30 से कम मतों वाले उम्मीदवार रेस से बाहर हो गए हैं.
14 जुलाई - दूसरे दौर का मतदान - सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार रेस से बाहर हो गए हैं
18-21 जुलाई - दो उम्मीदवारों के रहने तक लगातार मतदान होगा
जुलाई/अगस्त - देश भर में अंतिम दो उम्मीदवारों के लिए पार्टी के सदस्य वोट करेंगे
5 सितंबर - नए पीएम की घोषणा
मॉस्को, 16 जुलाई | रूस के क्रास्नोडार शहर में एएन-2 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक पायलट और एक यात्री की मौत हो गई। समाचार एजेंसी तास ने स्थानीय आपातकालीन एजेंसी के हवाले से बताया कि शुक्रवार की रात लैंड करते समय विमान बिजली लाइन के खंभे से टकरा गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने तास के हवाले से बताया कि सूचना मिलते ही आग बुझाने वाले दस्ते और बचाव दल को दुर्घटनास्थल पर भेजा गया है।
(आईएएनएस)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के सऊदी अरब दौर पर शुक्रवार को दोनों देशों के बीच ऊर्जा, निवेश, संचार और स्वास्थ्य क्षेत्र में 18 समझौते हुए हैं.
सऊदी अरब और अमेरिका 5जी नेटवर्क, उन्नत साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष अन्वेषण सहित कई भावी उद्योगों में सहयोग करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति सऊदी अरब के दौरे पर हैं. यहाँ उनकी शुक्रवार को सऊदी किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाक़ात हुई. इसके बाद दोनों देशों के बीच इन समझौतों की घोषणा की गई.
व्हाइट हाउस के एक बयान के मुताबिक़ दोनों देशों में हुआ एक समझौता स्थानीय स्तर पर खुले, वर्चुअल और क्लाउड-आधारित रेडियो एक्सेस नेटवर्क का इस्तेमाल करके सऊदी और अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों को 5जी तकनीक के लिए जोड़ेगा.
सऊदी अरब ने कथित तौर पर जून में जी7 शिखर सम्मेलन में घोषित ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट के लिए साझेदारी के तहत इस परियोजना में निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी.
इसके अलावा साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देश गंभीर ख़तरों और दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को साझा करने को लेकर पहले से मौजूद द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देंगे. बयान के मुताबिक़ ये क़दम दोनों देशों की साझा सुरक्षा को बढ़ाएगा.
अंतरिक्ष और स्वास्थ्य क्षेत्र में समझौता
वहीं, अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में मानव अंतरिक्ष उड़ान और स्पेस सेक्टर में वाणिज्यिक विकास को लेकर दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर भी समझौता हुआ है.
सऊदी और अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच भी एक समझौता हुआ जो दोनों देशों की सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर प्रतिबद्धता को मज़बूत करेगा.
इस समझौते से क्षमता निर्माण, बीमारियों पर निगरानी, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियां और स्वास्थ्य सूचना प्रणाली में बेहतर सहयोग बनाएगा.
जो बाइडन ने बैठक को लेकर कहा कि उन्होंने किंग सलमान और क्राउन प्रिंस के साथ सऊदी अरब की सुरक्षा ज़रूरतों को लेकर भी बात की है.
वहीं, अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन का सऊदी दौरा विवाद का विषय बना हुआ है.
सऊदी अरब के पत्रकार और क्राउन प्रिंस के आलोचक जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या को लेकर एक वर्ग बाइडन की क्राउन प्रिंस से मुलाक़ात का विरोध कर रहा है. (bbc.com)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली पत्नी इवाना ट्रंप की मौत के कारणों को लेकर जानकारी दी गई है.
न्यूयॉर्क सिटी मेडिकल एग्ज़ामिनर ऑफिस ने बताया कि इवाना ट्रंप की मौत शरीर के ऊपरी हिस्से में आईं गंभीर चोटों के कारण हुई थी. उनकी मौत एक दुर्घटना थी.
अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक इवाना ट्रंप की मौत सीढ़ियों से गिरने से हुई थी. घटना वाले दिन 14 जुलाई को वो न्यूयॉर्क में अपने अपार्टमेंट में थीं.
इवाना ट्रंप का जन्म चेकोस्लोवाकिया में हुआ था. उन्होंने 1977 में डोनाल्ड ट्रंप से शादी की और 15 साल बाद 1992 में उनका तलाक हो गया.
अपनी पहली पत्नी की मौत पर डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ''वो अद्भुत, सुंदर और गज़ब की महिला थीं जिन्होंने एक बेहतरीन और प्रेरणादायक जीवन बिताया.''
डोनाल्ड ट्रंप और इवाना ट्रंप के तीन बच्चे हैं- डोनाल्ड जूनियर, इवांका और एरिक ट्रंप. (bbc.com)