अंतरराष्ट्रीय
दक्षिण अफ्रीका में जिस वैज्ञानिक ने सबसे पहले ओमिक्रॉन को देखा, उसके लिए यह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था. ओमिक्रॉन की पहचान की पूरी कहानी तीन दिन की है.
दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी निजी टेस्टिंग लैब लांसेट की विज्ञान प्रमुख रकेल वियाना के लिए वह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था. उनके सामने कोरोनावायरस के आठ नमूनों के विश्लेषण थे. और इन सभी में अत्याधिक म्यूटेशन नजर आ रहा था, खासकर उस प्रोटीन की मात्रा तो बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी जिसका इस्तेमाल वायरस इंसान के शरीर में घुसने के लिए करता है.
रकेल वियाना बताती हैं, "वो देखकर तो मुझे बड़ा झटका लगा था. मैंने पूछा भी कि कहीं प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई है. लेकिन जल्दी ही वो झटका एक गहरी निराशा में बदल गया क्योंकि उन नमूनों के बहुत गंभीर नतीजे होने वाले थे."
वियाना ने फौरन फोन उठाया और जोहानिसबर्ग स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीज (NICD) स्थित अपने एक सहयोगी वैज्ञानिक डेनियल एमोआको को फोन किया. एमोआको जीन सीक्वेंसर हैं. वियाना कहती हैं, "मुझे समझ नहीं आ रहा ये बात उन्हें कैसे बताई जाए. मुझे तो ये एक अलग ही शाखा लग रही थी."
यह ओमिक्रॉन था!
यह शाखा दरअसल कोरोनावायरस का वो वेरिएंट ओमिक्रॉन था, जिसने इस वक्त पूरी दुनिया को चिंता में डाला हुआ है. दो साल बाद जब हालात सामान्य होने लगे थे तब एक बार फिर दुनिया बड़े लॉकडाउन के मुहाने पर पहुंच गई है. कई देश अपनी सीमाएं बंद कर चुके हैं और विशेषज्ञों में डर है कि अब तक किया गया टीकाकरण भी इस वेरिएंट के सामने नाकाम हो सकता है.
20-21 नवंबर को एमोआको और उनकी टीम ने वियाना के भेजे आठ नमूनों का अध्ययन किया. एमोआको बताते हैं कि उन सभी में समान म्यूटेशन पाई गई. एक बार तो उन लोगों को भी लगा कि कहीं कोई गलती हुई है. फिर उन्हें ख्याल आया कि पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में असामान्य वृद्धि हुई थी, जिसकी वजह यह नया वेरिएंट हो सकता है.
इससे पहले वियाना को उनके एक सहयोगी ने भी एक अलग तरह के म्यूटेशन के बारे में चेताया था जो अब तक के सबसे खतरनाक वेरिएंट डेल्टा से टूटकर बना था. एमोआको बताते हैं, "23 नवंबर, मंगलवार तक हमने जोहानिसबर्ग और प्रेटोरिया के इर्द-गिर्द 32 और नमूनों की जांच की. इसके बाद तस्वीर साफ हो गई. यह डराने वाली थी."
दुनियाभर में प्रसार
मंगलवार को ही NICD की टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय और देश की अन्य प्रयोगशालाओं को सूचित किया. बाकी प्रयोगशालाओं को भी वैसे ही नतीजे मिले. आंकड़ों को वैश्विक डेटाबेस GISAID को भेजा गया और तब पता चला कि बोत्सवाना और हांग कांग में भी ऐसे ही जीन सीक्वेंस वाले मामले मिल चुके हैं.
24 नवंबर को NICD व दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया. वियाना कहती हैं कि तब तक दक्षिण अफ्रीकी राज्य गाउटेंग में मिले कोरोनावायरस के मामलों में दो तिहाई से ज्यादा ओमिक्रॉन के थे, जो एक संकेत था कि यह वेरिएंट तेजी से फैल रहा था.
सोमवार को देश के प्रमुख विशेषज्ञ सलीम अब्दुल करीम ने बताया कि ओमिक्रॉन की वजह से इस हफ्ते के आखिर तक दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मामले चार गुना बढ़कर 10 हजार को पार कर जाएंगे.
अब वैज्ञानिको के सामने बड़ा सवाल यह है कि ओमिक्रॉन वैक्सीन या पहले हुए संक्रमण से तैयार हुई इम्यूनिटी को धोखा दे सकता है या नहीं. साथ ही यह भी कि किस आयुवर्ग पर इस वेरिएंट का असर सबसे ज्यादा होगा. इन सवालों के जवाब खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि इनके जवाब मिलने में तीन-चार हफ्ते का वक्त लग सकता है.
वीके/एए (रॉयटर्स)
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कराची में तमाम ग़ैर-क़ानूनी इमारतें ध्वस्त की जा रही हैं तो ऐसा नहीं हो सकता है कि फ़ौज के ग़ैर-क़ानूनी ढांचों को छोड़ दिया जाए.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद और जस्टिस क़ाज़ी अमीन ने कैंटोनमेंट की अपील पर व्यावसायिक गतिविधियों के ख़िलाफ़ सुनवाई पूरी की तो मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि सेना के ग़ैर-क़ानूनी ढांचों को छोड़ दिया तो बाक़ी को कैसे गिराएंगे.
जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि देश की ज़मीन का शोषण नहीं किया जा सकता है, सेना जिन क़ानूनों का सहारा लेकर कैंटोनमेंट की ज़मीन पर व्यवयासिक गतिविधियां करती है वो ग़ैर-संवैधानिक हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रक्षा सचिव की रिपोर्ट को असंतोषजनक क़रार देते हुए कहा कि कैंटोनमेंट की तमाम ज़मीनें असली सूरत में बहाल करनी होंगी.
क्या है मामला
कैंट
ग़ौरतलब है कि बीते हफ़्ते बुधवार के दिन कराची में अतिक्रमण और कल्याणकारी उद्देश्य से आवंटित की गई ज़मीन के मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद ने अपने आदेश में कहा था कि कैंटोनमेंट की ज़मीनों पर हाउसिंग और व्यापारिक गतिविधियां कैंटोनमेंट एक्ट 1924 और लैंड एक्विज़िशन एक्ट 1937 का उल्लंघन है.
कराची में सेना के हाथों आईजी सिंध के कथित अपहरण की घटना के बाद, लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को हुमायूं अज़ीज़ की जगह कराची का कोर कमांडर नियुक्त किया गया था.
फ़ैज़ हमीद का दौर ख़त्म, ISI के नए प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम कौन हैं?
समाप्त
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ पाकिस्तान ने कहा था कि कैंटोनमेंट बोर्ड को केंद्र और राज्य सरकारों ने जो ज़मीनें आवंटित की हैं वो सिर्फ़ कैंट उद्देश्यों के लिए हैं और वहां व्यावसायिक और हाउसिंग उद्देश्य ग़ैर-क़ानूनी हैं.
दूसरी ओर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट कराची रजिस्ट्री में रक्षा सचिव पेश हुए थे और उन्होंने कहा था कि भविष्य में कैंटोनमेंट की ज़मीनें रक्षा उद्देश्यों के अलावा किसी काम के लिए इस्तेमाल नहीं की जाएंगी और इसको लेकर उन्हें सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने सूचित कर दिया है.
'अफ़सरों को घर देना रक्षा उद्देश्यों में नहीं आता'
मंगलवार को इस्लामाबाद में इस केस की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीस जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि 'फ़ौज के साथ कोई क़ानूनी सहायता नहीं होती है, वो जो चाहते हैं करते रहते हैं, समझ नहीं आता कि रक्षा मंत्रालय कैसे इन गतिविधियों को बरक़रार रखेगा.'
मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि 'अटॉर्नी जनरल साहब फ़ौज को क़ानून कौन समझाएगा?'
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 'सिनेमा, शादी हॉल और घर बनाना अगर रक्षा गतिविधियां हैं तो फिर रक्षा क्या होगी?'
उन्होंने कहा कि 'सिर्फ़ कराची का मामला नहीं है पूरे देश का यही हाल है, क्वेटा, लाहौर में भी रक्षात्मक ज़मीनों पर शॉपिंग मॉल बने हुए हैं.'
सुनवाई समाप्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने पूछा कि 'क्या सिनेमा, शादी हॉल, स्कूल और घर बनाना रक्षात्मक उद्देश्यों में है?'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'वरिष्ठ फ़ौजी अफ़सरों को घर देना रक्षात्मक उद्देश्यों में नहीं आता, फ़ौज को मामूली कारोबार के लिए अपने बड़े उद्देश्यों पर समझौता नहीं करना चाहिए और अपने संस्थानों के सम्मान का ध्यान रखना चाहिए.'
मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 'कैंटोनमेंट को ज़मीन रक्षा उद्देश्यों को पूरा होने के बाद सरकार को वापस करनी होती है.'
जस्टिस क़ाज़ी अमीन ने कहा कि 'सैन्य गतिविधियों के लिए गेरिसन और रिहाइश के लिए कैंटोनमेंट होते हैं.'
इस मौक़े पर रक्षा सचिव ने अदालत को बताया कि क़ानून के उल्लंघन की जांच के लिए तीनों सेनाओं की एक संयुक्त समिति बना दी गई है.
अदालत ने कहा कि 'कैंटोनमेंट की तमाम ज़मीन असल हालत में बहाल करनी होगी और संविधान के अनुसार सेना के सभी नियमों और विनियमों की समीक्षा की जाए.'
सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा सचिव से चार हफ़्तों के अंदर इसकी कार्यान्वयन रिपोर्ट मांगी है. (bbc.com)
इस्तांबुल, 1 दिसम्बर | स्थानीय मीडिया के अनुसार, तुर्की के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में तेज आंधी तूफान ने कम से कम छह लोगों की जान ले ली और 50 से अधिक घायल हो गए। तुर्की के एक टीवी समाचार चैनल एनटीवी ने मंगलवार को कहा कि 16 मिलियन से अधिक की आबादी वाले तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल में चार लोगों की मौत हो गई और 46 अन्य घायल हो गए।
रिपोर्ट के अनुसार, खराब मौसम ने दो और लोगों की जान ले ली और उत्तरी प्रांतों कोकेली और जोंगुलडक में कई अन्य घायल हो गए।
जहाज फंस गए हैं और तेज हवाओं के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तेज हवा के झोंकों के कारण मोटरसाइकिल चालकों को बोस्फोरस पुलों को पार करना मुश्किल हो गया है।
स्थानीय समय (1500 जीएमटी), सोमवार को इस्तांबुल के गवर्नर कार्यालय ने एक लिखित बयान में कहा कि शाम छह बजे तक सड़क पर मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रिक स्कूटर पर रोक लगा दी गई।
तुर्की की राष्ट्रीय ध्वज एयरलाइन टर्किश एयरलाइंस के अनुसार, तूफान ने इस्तांबुल के लिए जाने वाले विमानों को बाधित कर दिया है। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 1 दिसम्बर | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि एक वैश्विक महामारी से और इस अन्यायपूर्ण और अनैतिक स्थिति से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका वैश्विक टीकाकरण अभियान है। महासचिव 77 (जी77) और चीन के समूह के विदेश मंत्रियों के साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक बैठक में बोल रहे थे, जहां उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील देशों पर समान रूप से कोविड -19 महामारी का कहर जारी है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित टीकाकरण रणनीति के पीछे खड़ा है, जिसका लक्ष्य 2021 के अंत तक सभी देशों के 40 प्रतिशत लोगों और 2022 मध्य तक 70 प्रतिशत लोगों को टीके लगाना है।
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने एसीटी-त्वरक और कोवैक्स सुविधा के लिए समर्थन मांगते हुए कहा कि हर जगह, हर किसी के पास तक कोविड -19 टीके, परीक्षण और उपचार की पहुंच होनी चाहिए।
गुटेरेस ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के 2021 में 5.9 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन रिकवरी की गति बेहद असमान है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जब विकसित अर्थव्यवस्थाएं अपने सकल घरेलू उत्पाद का 28 प्रतिशत रिकवरी में निवेश करती हैं, मध्यम आय वाले देश 6 प्रतिशत निवेश करते हैं और सबसे कम विकसित देश केवल 1.8 प्रतिशत निवेश करते हैं, तो यह उनके लिए आश्चर्यजनक नहीं लगता है।
उदाहरण के लिए, उप-सहारा अफ्रीका में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति संचयी आर्थिक विकास बाकी दुनिया की तुलना में 75 प्रतिशत कम होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि यह खतरनाक विचलन व्यापक होने का खतरा है क्योंकि 2022 में विकास दर घटने की उम्मीद है। बढ़ती मुद्रास्फीति उधार लेने और कर्ज चुकाने की लागत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जलवायु परिवर्तन, असमानता और नई प्रौद्योगिकियों के विकास को भी संबोधित किया, जिन्होंने इन वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए एकता और एकजुटता का आह्वान किया।
महामारी के दौरान, महासचिव ने बहुपक्षवाद के महत्व और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर प्रकाश डाला।
संयुक्त राष्ट्र देशों की टीमों ने 139 देशों और क्षेत्रों के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रतिक्रिया योजनाएँ जारी कीं। तत्काल समर्थन को प्राथमिकता देने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर का पुनर्खरीद किया गया था और अन्य 2 बिलियन डॉलर जुटाए गए थे।
महासचिव के लिए, यह हाल के सुधार थे जिन्होंने विश्व निकाय को समायोजित करने और त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाया।(आईएएनएस)
संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 30 नवंबर| अफगानिस्तान में 15 अगस्त को सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान लड़ाकों ने 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन 'गायब' कर दिया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों, जिनमें सैन्यकर्मी, पुलिस, खुफिया सेवा के सदस्य और मिलिशिया शामिल थे, की हत्याओं या 'गायब होने' का दस्तावेजीकरण किया है। उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अकेले गजनी, हेलमंद, कंधार और कुंदुज प्रांतों से 100 से अधिक हत्याओं पर विश्वसनीय जानकारी एकत्र की है।
ह्यूमन राइट्स वॉच की एसोसिएट एशिया डायरेक्टर पेट्रीसिया गॉसमैन ने कहा, "तालिबान नेतृत्व ने अपने वादे के मुताबिक स्थानीय कमांडरों को अफगान सुरक्षा बल के पूर्व सदस्यों को मौत के घाट उतारने या गायब करने से नहीं रोका है। तालिबान पर अब आगे की हत्याओं को रोकने, जिम्मेदार लोगों को पकड़ने और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का भार है।"
समूह ने आम माफी घोषित किए जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने की ओर इशारा किया।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्याओं या गायब होने के संबंध में एकत्र की गई जानकारी का दस्तावेजीकरण किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने चार प्रांतों में 40 लोगों का व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार किया और अन्य 27 लोगों से टेलीफोन द्वारा साक्षात्कार लिया। तालिबान के एक कमांडर ने कहा कि अत्याचार के लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं किया जा सकता है।
तालिबान नेतृत्व ने आत्मसमर्पण करने वाली सुरक्षा बलों की इकाइयों के सदस्यों को उनकी सुरक्षा की गारंटी के लिए एक पत्र प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करने का निर्देश दिया है। हालांकि, तालिबान बलों ने इन स्क्रीनिंग का उपयोग लोगों को उनके रिश्तेदारों या समुदायों को खोजने के लिए पंजीकरण के कुछ दिनों के भीतर उन्हें हिरासत में लेने और सरसरी तौर पर निष्पादित या जबरन गायब करने के लिए किया है।
तालिबान उन रोजगार रिकॉर्डो तक भी पहुंच बनाने में सफल रहे हैं, जिन्हें पूर्व सरकार ने पीछे छोड़ दिया था, उनका उपयोग गिरफ्तारी और फांसी के लिए लोगों की पहचान करने के लिए किया गया था।
केवल एक उदाहरण को लें तो सितंबर के अंत में कंधार शहर में, तालिबान सेना बाज मुहम्मद के घर गई, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस), राज्य की पूर्व खुफिया एजेंसी द्वारा नियोजित (काम पर रखने) किया गया था और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में परिजनों को उसका शव मिला।
तालिबान ने संदिग्ध पूर्व अधिकारियों को पकड़ने और कभी-कभी जबरन गायब करने के लिए रात में छापेमारी सहित अपमानजनक तलाशी अभियान भी चलाया है।
हेलमंद प्रांत के एक नागरिक समाज कार्यकर्ता ने इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा, "तालिबान की रात की छापेमारी भयानक है।"
तलाशी के दौरान, तालिबान अक्सर परिवार के सदस्यों को धमकाते और गाली देते हैं कि वे छिपे हुए लोगों के ठिकाने का खुलासा करें। अंतत: पकड़े गए लोगों में से कुछ को इस बात की स्वीकृति के बिना या उनके स्थान के बारे में जानकारी के बिना मार डाला गया या हिरासत में ले लिया गया।
अगस्त के अंत में आत्मसमर्पण करने के बाद, हेलमंद में तालिबान के खुफिया विभाग ने एक पूर्व प्रांतीय सैन्य अधिकारी अब्दुल रजीक को हिरासत में लिया था। उसके बाद से, उसके परिवार को यह पता नहीं चल पाया है कि उसे कहां रखा गया है, या वह अभी भी जीवित है या नहीं।
फांसी और गुमशुदगी जैसी आशंकाओं ने पूर्व सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों के बीच भय पैदा कर दिया है, जो शायद यह मानते थे कि तालिबान के अधिग्रहण से बदला लेने वाले हमलों का अंत हो जाएगा जो अफगानिस्तान के लंबे सशस्त्र संघर्ष की एक विशेषता बन चुकी थी।
विशेष रूप से नंगरहार प्रांत में, तालिबान ने उन लोगों को भी निशाना बनाया है जिन पर उन्होंने इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत (आईएसकेपी, इस्लामिक स्टेट का एक सहयोगी, जिसे आईएसआईएस भी कहा जाता है) का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट की है, आईएसकेपी के खिलाफ तालिबान की कार्रवाई 'न्यायिक हिरासत और हत्याओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है।' मारे गए लोगों में से कई को उनके विचारों या उनके विशेष आदिवासी संबद्धता के कारण निशाना बनाया गया है।
21 सितंबर को तालिबान ने मानवाधिकारों के हनन, भ्रष्टाचार, चोरी और अन्य अपराधों की रिपोटरें की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की घोषणा की थी। आयोग ने किसी भी कथित हत्याओं की किसी भी जांच की घोषणा नहीं की है, हालांकि इसने कई तालिबान सदस्यों की चोरी के लिए गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के लिए दूसरों की बर्खास्तगी पर रिपोर्ट की है। ह्यूमन राइट्स वॉच के निष्कर्षों पर 21 नवंबर की प्रतिक्रिया में, तालिबान ने कहा कि उन्होंने दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को बर्खास्त कर दिया है लेकिन इसने किए जा रहे दावे की पुष्टि करने के लिए कोई जानकारी नहीं दी है। (आईएएनएस)
अमेरिकी महानगर सान फ्रांसिस्को में ये आइकोनिक आर्ट डेको बिल्डिंग ट्विटर का मुख्यालय है. इसके कई फ्लोर पर उसके आफिस फैले हुए हैं. ये दुनियाभर में ट्विटर की गतिविधियों को संचालित भी करते हैं, नए इनोवेशन भी करते हैं और ट्विटर की तमाम चीजों पर नजर रखते हैं. ट्विटर का ये आफिस ऐसे आधुनिक आफिसों की तरह है, जहां सुंदरता भी है, सुकून भी और कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रेंडली स्पेस भी.
वैसे तो ट्विटर की शुरुआत 21 मार्च 2006 में ही हो गई थी लेकिन समय के साथ जब ये बड़ा होने लगा तो वर्ष 2012 में इस सोशल साइट के मुख्यालय को सान फ्रांसिस्को में लाया गया. इस बिल्डिंग के कई फ्लोर किराए पर लेकर उन्हें फिर से डिजाइन कराया गया.
जब ट्विटर का वर्ल्ड हेडक्वार्टर यहां आया तो ये जगह सान फ्रांसिस्को की साधारण जगह हुआ करती थी. ट्विटर के आने के बाद ये जगह बदल गई है. ये अब सान फ्रांसिस्को की मुख्य जगहों में पहचान पा चुकी है.
ये ट्विटर मुख्यालय की वो जगह है, जहां उसके आफिस के तीन कैफेटेरिया में एक बना हुआ है, जहां सुकून से बैठकर कर्मचारी खाना, काफी या स्नैक्स आदि लेते हैं. बिल्डिंग में ये नीली चिड़िया बनी मिल जाएगी, जो ट्विटर का लोगो है. इसके दूसरी ओर कांफ्रेंस रूम औऱ केबिन या बैठने की जगह है.
ट्विटर के पूरे आफिस के इंटीरियर में लोकल और वर्ल्ड क्लास टच है. ये ऐसा बनाया है कि कर्मचारी जहां भी बैठकर काम कर रहे हैं, वहां उन्हें सुकून और कंफर्ट का अहसास होगा. इंटीरियर के रंग आमतौर पर स्मूद हैं. उसमें नीले रंग की ज्यादा प्रधानता है.
ट्विटर का मुख्यालय दरअसल दो बिल्डिंग्स को मिलाकर बना है. इसमें एक बिल्डिंग 1937 की आर्ट डेको बिल्डिंग है और दूसरी 1970 के दशक में बनी बिल्डिंग. आफिस दोनों बिल्डिंग्स का इस्तेमाल करता है. आफिस के अंदर जगह जगह इस तरह के प्लांट लगे हैं. जो रोशनी और पानी से फलते फूलते हैं.
ट्विटर ने ही चूंकि हैशटैग का प्रभावशाली इस्तेमाल शुरू किया, लिहाजा पूरे आफिस में हैशटैग देकर बहुत ढेर स्लोगंस और आफिस प्लेस के नाम लिखे मिल जाएंगे. आफिस में जगह जगह कॉफी की व्यवस्था तो है ही लेकिन बाहर से आने वालों के बैठने के लिए एक ट्विटर कैफेटेरिया ही बना है, जिसमें वो आराम से बैठकर काफी समय भी गुजार सकते हैं. हर फ्लोर पर कर्मचारियों को ऐसी जगह दी गई है, जिसमें वो आराम से बैठ सकते हैं. बातचीत कर सकते हैं. दरअसल ट्विटर ने इस बिल्डिंग के कई फ्लोर लेने के बाद इसकी समूची डिजाइन अपने हिसाब से बदल दी गई.
ये ट्विटर का एक और बड़ा कैफेटेरिया है. जो काफी बड़े हाल में है यहां काफी बड़ी संख्या में लोग एक साथ बैठ सकते हैं. वैसे आपको बता दें कि ट्विटर मुख्यालय अपने कर्मचारियों को फ्री लंच की सुविधा देता है, जिसमें पिज्जा, सलाद, फ्रेश फ्रूट्स और चिकन आदि मुहैया कराई जाती हैं. खाने में लोकल टच से लेकर कांटिनेंटल वैरायटी होती है. खानपान का डिपार्टमेंट संभालने वालों की टीम भी अच्छी खासी है.
कर्मचारी अगर काम के दौरान ऊब जाते हैं या उन्हें सूरज की रोशनी में जाकर लेटने या बैठने का मन है, जो छत पर लान पर सनबाथ की भी व्यवस्था है. उसका वो भऱपूर लुत्फ ले सकते हैं. छत पर लगे सोफों या आराम कुर्सियों पर बैठकर कर्मचारी काम भी कर सकते हैं.
वैसे तो ट्विटर के दुनियाभर में 5500 से ज्यादा कर्मचारी हैं और तमाम आफिस दुनियाभर में फैले हैं लेकिन इस मुख्यालय भवन में 2500 कर्मचारी काम करते हैं. इसमें आधे इंजीनियर हैं तो बाकी कंपनी के दूसरे कामों को देखते हैं. जिसमें सेल्स से लेकर एचआर तक है. वैसे इन दिनों बहुत से कर्मचारी रिमोटवर्क ही कर रहे हैं.
काम के बीच कर्मचारियों के लिए खेलने या एंटरटेन करने की भी भरपूर व्यवस्था है, जिससे वो खुद को तरोताजा रखें और ऊबन से बच सकें. हालांकि इस आफिस में कर्मचारियों को अपने बच्चों को लाने की इजाजत है लेकिन बच्चों के लिए इसमें एक अलग जगह जहां उन्हें छोड़ना पड़ता है. वहां किड्स के लिए योगा से लेकर तमाम प्रोग्राम चलते रहते हैं.
पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान सहायता सामग्री पहुंचाने के भारत के प्रस्ताव को मान लेने के बाद अब पाकिस्तान ने कुछ ऐसी शर्तें रख दी हैं जो भारत को मंज़ूर नहीं हैं.
'अमर उजाला' अख़बार लिखता है कि इस मामले के जानकार ने बताया है कि भारत अफ़गानिस्तान को पाकिस्तान के रास्ते भारतीय गेहूं और दवाओं को पहुंचाना चाहता है लेकिन पाकिस्तान ने परिवहन के तौर-तरीकों को अभी तक पूरा नहीं किया है.
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान चाहता है कि 50,000 टन गेहूं और दवाओं की खेप वाघा सीमा से पाकिस्तानी ट्रकों से पहुंचाई जाए जबकि भारत ने कहा कि वह ख़ुद के परिवहन से सहायता सामग्री पहुंचाएगा.
भारत चाहता है कि सहायता अफ़ग़ान लोगों तक बिना किसी शर्त के पहुंचे. राहत सामग्री का परिवहन उन कई मुद्दों में से एक है जिसे दोनों पक्ष समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं.
वहीं अब इस बात के संकेत मिले हैं कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में सामग्री पहुंचाने के लिए वाघा सीमा पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी से बात कर सकता है और पाकिस्तान पर दबाव डाल सकता है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार भारत से अफ़ग़ानिस्तान में 50,000 टन गेहूं के परिवहन की अनुमति देगी.
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए सात अक्टूबर को दिए गए हमारे प्रस्ताव पर पाकिस्तान सरकार से प्रतिक्रिया मिली है. इनमें जीवन रक्षक दवाएं भी शामिल हैं जिन्हें हम भेजना चाहते थे. (bbc.com)
एक सौ से अधिक यूरोपीय सांसदों ने सऊदी अधिकारियों द्वारा "सऊदी महिला कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न" की निंदा की है. उनका कहना है कि जेल से रिहा होने के बाद भी अधिकारों के उल्लंघन और कठोर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
डॉयचे वैले पर जेनीफर केमिनो गोंजालेज की रिपोर्ट-
यूरोपीय सांसदों ने सोमवार 29 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला मानवाधिकार रक्षक दिवस पर सऊदी अरब में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता व्यक्त की. इस संबंध में 120 से अधिक यूरोपीय सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जर्मनी के आठ सदस्य हैं जो विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हैं.
पत्र में यूरोपीय सांसदों ने सऊदी अधिकारियों से "उन सभी महिलाओं को तुरंत और बिना शर्त रिहा करने का आह्वान किया, जिन्हें उनके मानवाधिकार गतिविधियों के लिए निशाना बनाया गया है."
पत्र में खुशी व्यक्त की गई है कि 2018 की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार की गईं महिला कार्यकर्ताओं को "लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव में" रिहा कर दिया गया और अब वे जेल से बाहर हैं. इस सूची में प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता समर बदावी, नसीमा अल-सदा और लुजैन अल हथलौल शामिल हैं. लेकिन यूरोपीय सांसदों ने महिला कार्यकर्ताओं पर उनकी रिहाई के बाद से लगाए गए कठोर प्रतिबंधों और उनको मूल अधिकारों से वंचित करने की कड़ी निंदा की है.
पत्र में कहा गया है, "इन उपायों से उनके मौलिक अधिकारों का और उल्लंघन होता है. जिनमें बिना रोकटोक आवाजाही और अभिव्यक्ति की आजादी शामिल हैं. और इस वजह से कार्यकर्ता जेल से रिहा होने के बाद भी एक नया जीवन शुरू करने की महत्वपूर्ण दहलीज पर अलग-थलग हैं."
प्रमुख महिला कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को उनकी रिहाई के बाद तीन साल के प्रतिबंध के साथ-साथ पांच साल के यात्रा प्रतिबंध का सामना करना पड़ा. उन्हें महिलाओं के लिए ड्राइविंग अधिकार मांगने और पुरुष संरक्षण प्रणाली का विरोध करने के लिए जाना जाता है.
सऊदी सुधार पर्याप्त नहीं
यूरोपीय सांसदों ने भी स्वीकार किया है कि सऊदी अधिकारियों ने महिलाओं के दैनिक जीवन पर लगे कई प्रतिबंधों में से कुछ को हटाने में सफलता हासिल की है.
2018 में सऊदी महिलाओं को अकेले गाड़ी चलाने और ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने का अधिकार दिया गया था. अगले साल देश ने वयस्क महिलाओं को पुरुष "अभिभावक" की अनुमति के बिना पासपोर्ट प्राप्त करने और यात्रा करने की अनुमति दी. लेकिन इनमें से कुछ सुधारों के बावजूद यूरोपीय सांसदों ने देश की दमनकारी व्यवस्था की निंदा करते हुए कहा कि यह महिलाओं को चोट पहुंचाती है.
पत्र में लिखा गया, "ये प्रयास सही हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं. पुरुष संरक्षण प्रणाली के साथ-साथ अवज्ञा कानून महिलाओं के जीवन के सभी पहलुओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं." (dw.com)
एक ट्रांसजेंडर को बांग्लादेश के एक सुदूर शहर का मेयर चुना गया है. बांग्लादेश के इतिहास में यह पहली बार है कि तीसरे लिंग की नेता को शहर की कमान संभालने के लिए चुना गया है.
45 वर्षीय निर्दलीय उम्मीदवार नजरुल इस्लाम रितु ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी जीत हासिल की. नजरुल इस्लाम की जीत की औपचारिक घोषणा सोमवार 29 नवंबर को की गई है. लेकिन नजरूल इस्लाम ने कहा कि उनकी जीत ने "हिजड़ा" समुदाय की बढ़ती स्वीकृति को दिखाया, जो जन्म लेने वाले पुरुषों के लिए एक अपशब्द है.
इस दक्षिण एशियाई देश में लगभग 15 लाख ट्रांसजेंडर लोग रहते हैं, जो बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा का सामना करते हैं. अक्सर वे भीख मांगकर या देह व्यापार करके जीने के लिए मजबूर होते हैं.
हालांकि, नजरुल इस्लाम की चुनावी जीत को बांग्लादेश में समुदाय के लिए बढ़ती सामाजिक स्वीकृति के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. नजरुल इस्लाम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कांच की छत टूट रही है. यह एक अच्छा संकेत है." उन्होंने कहा, "इस जीत का मतलब है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं और उन्हें अपना मानते हैं. मैं अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित करूंगी."
नजरुल इस्लाम एक बड़े मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थीं, लेकिन एक बच्चे के रूप में अपने ग्रामीण गृहनगर त्रिलोचनपुर से भाग गईं और उसके बाद राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडर लोगों के एक केंद्र में शरण ली.
वह 20 साल के बाद अपने क्षेत्र में लौट आईं और दो मस्जिदों के निर्माण और कई स्थानीय हिंदू मंदिरों को दान करने में मदद करने के बाद समुदाय में एक लोकप्रिय व्यक्ति बन गईं.
रविवार को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 9,557 मतों से हराया. अब वह क्षेत्र की मेयर के रूप में काम करेंगी. नजरुल इस्लाम बांग्लादेश में पहली महापौर हैं जो तीसरे लिंग की हैं, रूढ़िवादी मुस्लिम-बहुल देश में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए स्वीकृति बढ़ती जा रही है.
2013 में बांग्लादेश में ट्रांसजेंडर लोगों को औपचारिक रूप से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई थी, जबकि 2018 में उन्हें तीसरे लिंग के मतदाताओं के रूप में पंजीकरण करने की भी अनुमति दी गई थी. नजरुल इस्लाम कहती हैं कि वह अपने 40,000 लोगों के शहर में "भ्रष्टाचार को खत्म करने और नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने" की कोशिश करेंगी.
एए/वीके (एएफपी)
कन्नौज, 30 नवंबर। फेसबुक पेज पर बुआ-बबुआ नाम से ग्रुप बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई। इस मामले में एक सपा कार्यकर्ता ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग व ग्रुप एडमिन समेत 49 लोगों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है।पुलिस के मुताबिक यदि आवश्यक हुआ तो विवेचना में इंटरपोल की मदद ली जा सकती है।
ठठिया थाना क्षेत्र के ग्राम सरहटी निवासी अंकित यादव ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है। अंकित के मुताबिक वह समाजवादी पार्टी के सिद्धांतों पर विश्वास करता है। फेसबुक के विशेष पेज पर बुआ-बबुआ के नाम से ग्रुप संचालित किया जा रहा है, जिसमें विशेष कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर अभद्र टिप्पणी की जाती है तथा अपशब्दों का भी प्रयोग किया जाता है व कार्टूनों के माध्यम से उपहास किया जाता है। अराजकतत्वों द्वारा फेसबुक के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे आहत होकर उन्होंने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने न्यायालय की शरण ली। सोमवार को कोर्ट के आदेश पर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, ग्रुप एडमिन तथा 49 अन्य लोगाें के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक प्रयागनारायण बाजपेयी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जा रही है। यदि आरोपित विदेश में रहते हैं तो गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी। (jagran.com)
लागोस, 30 नवंबर| मध्य नाइजीरिया के पठार राज्य में एक जेल में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 252 कैदी फरार हो गए। अधिकारी के मुताबिक जेल पर अज्ञात बंदूकधारियों के एक समूह ने हमला किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरियाई सुधार सेवा (एनसीओएस) के एक प्रवक्ता फ्रांसिस एनोबोर ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जोस शहर में बंदूकधारियों द्वारा जेल पर हमले के दौरान एक गार्ड और नौ कैदियों की जान चली गई।
एनोबोर ने कहा कि स्टाफ के एक अन्य सदस्य के हाथ में गोली लगी और हमले में छह कैदी भी घायल हो गए।
उन्होंने कहा कि बंदूकधारियों में से एक की भी मौत हो गई है।
प्रवक्ता के अनुसार, कुछ हमलावर और 262 कैदी हाथापाई में भाग निकले, जिसमें से अब तक 10 कैदियों को वापस ले पकड़ लिया गया है।
एनोबोर ने कहा कि सभी 'अपराधियों' को पकड़ने के प्रयास जारी हैं और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया है और सुविधा में सुरक्षा को और बढ़ा दिया गया है। उन्होंने भाग रहे कैदियों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों से सहयोग का आह्वान किया और विश्वसनीय खुफिया जानकारी के लिए स्वेच्छा से काम करने को कहा, जो इस तरह की घटनाओं को शुरुआत में ही रोक सकता है।
उन्होंने कहा कि हमले के समय जोस कस्टोडियल सेंटर में 1,060 कैदी थे, जिनमें 560 प्री-ट्रायल बंदी और 500 अपराधी शामिल थे।
अक्टूबर में नाइजीरियाई सरकार ने कहा था कि उसने हाल के महीनों में देश के कुछ हिस्सों में जेलब्रेक के बाद, जेल सुविधाओं का ऑडिट शुरू किया है। (आईएएनएस)
मॉस्को, 30 नवंबर | रूस के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने कहा है कि उसने कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लक्षित करने के लिए अनुकूलित स्पुतनिक वैक्सीन का एक नया वर्जन विकसित करना शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, गामालेया ने सोमवार को एक बयान में कहा कि केंद्र इस बात का अध्ययन कर रहा है कि क्या उसके स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट टीके आमिक्रॉन संस्करण को बेअसर कर सकते हैं।
यदि संशोधन की आवश्यकता है, तो नया स्पुतनिक ओमिक्रॉन वेरिएंट 45 दिनों में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार हो सकता है। केंद्र ने कहा, उम्मीद है कि स्पुतनिक ओमिक्रॉन बूस्टर शॉट्स की एक बड़ी मात्रा 2022 की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश कर सकती है।(आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 30 नवंबर| कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपीस)की एक साइट पर छापे में कम से कम 20 लोग मारे गए और कई घायल हो गए, संयुक्त राष्ट्र ने इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने सोमवार को कहा कि इटुरी के जुगु क्षेत्र में ड्रोड्रो के पास हमला, 19 नवंबर के बाद से प्रांत में बड़े पैमाने पर आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को निशाना बनाने वाला चौथा हमला है।
ओसीएचए ने कहा कि रविवार को ताजा हमला नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय पहुंच की कमी के संदर्भ में एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
असुरक्षा और विस्थापितों की मेजबानी करने वाली साइटों पर हमलों के कारण हजारों लोग मानवीय सहायता तक नहीं पहुंच सकते हैं। कुछ संयुक्त राष्ट्र मानवीय साझेदारों ने संचालन निलंबित कर दिया है।
डीआरसी में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक डेविड मैकलाचलन-कर ने कहा, "ये हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और आईडीपी पर 2009 के कंपाला कन्वेंशन का उल्लंघन हैं। उन्हें तुरंत रुकना चाहिए।"
उन्होंने किंशासा में जारी एक बयान में कहा, "मैं केंद्रीय और प्रांतीय दोनों स्तरों पर कांगो के अधिकारियों से विस्थापितों सहित नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान करता हूं।" (आईएएनएस)
मरियम-वेबस्टर शब्दकोश के मुताबिक इस साल का शब्द है वैक्सीन. कंपनी कहती है कि 2020 के मुकाबले इस शब्द को 601 प्रतिशत अधिक खोजा गया. इस शब्द का संस्कृत से भी नाता है.
वैक्सीन को मरियम-वेबस्टर ने ‘2021 का शब्द' चुना है. हमारे समय को जाहिर करने के मकसद से इस शब्द को यह मान दिया गया है. मरियम-वेबस्टर के एडिटर-एट-लार्ज पीटर स्कोलोवस्की ने कहा कि 2021 में प्रति दिन यह शब्द डाटा में बहुत अधिक बार आया.
स्कोलोवस्की ने कहा, "यह दो अलग-अलग कहानियां पेश करता है. एक विज्ञान की कहानी है जो बताती है कि किस शानदार तेजी से वैक्सीन विकसित हुई. लेकिन साथ ही, नीति, राजनीति और राजनीतिक झुकाव पर भी बहस है. एक ही शब्द है जो ये दोनों विशाल कहानियां पेश करता है.”
इससे पहले ऑक्सफर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने वैक्स (vax) को इस वर्ष का शब्द चुना था. पिछले साल मरियम-वेबस्टर ने ‘पैंडेमिक' यानी महामारी को वर्ष का शब्द करार दिया था. स्कोलोवस्की ने कहा, "पैंडेमिक बंदूक का चलना था. और अब हम उसके परिणाम देख रहे हैं.”
खूब खोजा गया वैक्सीन
2020 की तुलना में मरियम-वेबस्टर पर वैक्सीन को सर्च करने का आंकड़ा 601 प्रतिशत बढ़ा है. दिसंबर में ब्रिटेन में दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन लगाई थी. उसके बाद उसी महीने में न्यू यॉर्क में अमेरिका में टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. ऐसा महीनों तक चलीं अटकलों और बहुत तेजी से विकसित हुईं वैक्सीन के बीच हो पाया था.
अगर 2019 से तुलना की जाए तो मरियम-वेबस्टर पर वैक्सीन शब्द को खोजने में 1048 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. स्कोलोवस्की कहते हैं कि वैक्सीन के असमान बंटवारे, वैक्सीन को लेकर आदेश-प्रत्यादेश, और बूस्टर पर उलझनों ने इस शब्द के बारे में उत्सुकता बढ़ाई है. इसके अलावा टीका लगवाने में झिझक और वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर उठे विवाद ने भी शब्द की मांग बढ़ाई.
वैक्सीन शब्द का जन्म एक दिन में या किसी एक महामारी के कारण नहीं हुआ था. स्कोलोवस्की कहते हैं कि इस शब्द का शुरुआती इस्तेमाल 1882 में मिलता है लेकिन उससे पहले के भी कुछ संदर्भ मौजूद हैं जब इसे काओपॉक्स से निकलने वाले द्रव्य के मामले में इस्तेमाल किया गया.
वैक्सीन शब्द को लैटिन भाषा के वैक्सीना (vaccina) से लिया गया माना जाता है. वैक्सीना की उत्पत्ति वैसीनस से होती है, जिसका अर्थ है ‘गाय से'. लैटिन में गाय के लिए वसा (vacca) शब्द है, जो संस्कृत के वसा शब्द से मिलता जुलता है.
और क्या रहा चर्चा में
अन्य शब्दकोश वर्ष का शब्द चुनने के लिए एक समिति के जरिए फैसला करती हैं जबकि मरियम वेबस्टर का आधार खोज के आंकड़ों पर आधारित है. बीते सालों के मुकाबले किसी शब्द के सर्च करने में होने वाली वृद्धि को इसका आधार बनाया जाता है. कंपनी 2008 हर साल ‘वर्ष का शब्द' घोषित करती है.
2021 में चर्चित अन्य अंग्रेजी शब्दों में इनसरेक्शन (INSURRECTION) भी है जो 6 जनवरी को अमेरिका के कैपिटोल हिल पर लोगों की चढ़ाई के बाद चर्चित हो गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा लाए गए खरबों डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर बिल के चलते शब्द इंफ्रस्ट्रक्चर भी इस साल खूब खोजा गया.
परसीवरेंस (PERSEVERANCE), नोमैड (NOMAD), सिकाडा (Cicada) गार्डियन (GUARDIAN), मेटा (META), सिसजेंडर (CISGENDER), वोक (WOKE) और मुराया (MURRAYA) साल के अन्य सबसे चर्चित शब्द रहे.
वीके/सीके (एएफपी)
पाकिस्तानी सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने की नीति पर चल रही है और 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को कुल वाहनों के एक तिहाई तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रही है.
पाकिस्तानी कारोबारी नवाबजादा कलामुल्लाह खान लंबे समय से अपनी पेट्रोल से चलनी वाली कारों को बेचकर इलेक्ट्रिक कारें खरीदना चाहते थे. लेकिन इलेक्ट्रिक कारों की ऊंची कीमत की वजह से वे यह फैसला नहीं कर पाए. इसी साल जुलाई में पाकिस्तान सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर लगने वाले टैक्स में कमी की थी.
इस ऐलान के बाद 29 वर्षीय कारोबारी ने दो इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ऑर्डर दिया. खान के मुताबिक, ''बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण के अनुकूल वाहन खरीदने के बारे में सोचना होगा और हमने यही किया है.' खान कहते हैं कि उनके इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत पेट्रोल से चलने वाले वाहन से पांच गुना कम होगी.
गंभीर प्रदूषण में घिरा है पाकिस्तान
पाकिस्तान के प्रमुख शहर गंभीर पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हैं. हाल ही में लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक पंजाब में 40 फीसदी वायु प्रदूषण वाहनों से होता है. दो साल पहले पाकिस्तान ने हरित नीति की घोषणा की थी. इस नीति के तहत पाकिस्तान चाहता है कि 2030 तक 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर चलें और 2040 तक 90 फीसदी गाड़ियां इलेक्ट्रिक हों. यह तभी संभव है जब इलेक्ट्रिक वाहन आम नागरिकों की पहुंच के भीतर हों. सरकार ने इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके स्पेयर पार्ट्स पर शुल्क में काफी कमी की है.
कर में कटौती
सरकार के इंजीनियर डेवलपमेंट बोर्ड के महाप्रबंधक असीम अयाज के मुताबिक, "पाकिस्तान में बनने वाले वाहनों पर लगने वाले 17 फीसदी टैक्स को लगभग शून्य कर दिया गया है. वहीं आयातित वाहनों पर शुल्क एक साल के लिए 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है.
पाकिस्तान इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ऐंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स ऐंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव शौकत कुरैशी कहते हैं कि नए कर कटौती से आयातित छोटे इलेक्ट्रिक वाहनों पर उपभोक्ताओं को पांच लाख रुपये तक की बचत हो सकती है. शौकत कुरैशी का कहना है एसोसिएशन के कई सदस्यों ने इलेक्ट्रिक वाहनों का ऑर्डर दिया है.
कार कंपनी जिया इलेक्ट्रोमोटिव के सीईओ शौकत कुरैशी ने चीन से 100 छोटे इलेक्ट्रिक वाहनों का ऑर्डर दिया है और भविष्य में वह हर महीने 100 वाहन आयात करना चाहते हैं.
दुनिया के अन्य देशों की तरह पाकिस्तानी अभी भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं. इन वाहनों की उच्च लागत, चार्जिंग सुविधाओं की कमी और उनके भविष्य के बारे में अनिश्चितता कुछ ऐसे कारण हैं जो लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए अनिच्छुक बनाते हैं, हालांकि वाहन चार्जिंग ईकाइयां अभी भी एक समस्या हैं. बड़े शहरों में कुछ ही जगहों पर चार्जिंग स्टेशन हैं.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
भविष्य में दुनिया को कोरोना वायरस जैसी महामारियों से बचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का मसौदा तैयार हो गया है. अमेरिका और यूरोप के नेतृत्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह मसौदा तैयार किया है.
महामारी को फैलने से रोकने के लिए सही समय पर एकजुट अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. रविवार को अधिकारियों ने बताया कि प्रस्ताव का मसौदा तैयार है और इसे सोमवार से शुरू हो रही डब्ल्यूएचओ की तीन दिवसीय बैठक में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के सामने पेश किया जाएगा.
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से पैदा हुए नए खतरों के चलते यह प्रस्ताव तैयार हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि मई 2024 तक यह समझौता तैयार हो जाएगा. इस समझौते में डाटा और जीनोम सीक्वेंस साझा करने से लेकर वैक्सीन और दवाओं के समान बंटवारे जैसे प्रावधान हैं.
अमेरिका, भारत असहमत थे
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत साइमन मैनली ने एक बयान में कहा, "महामारी पर अंतरराष्ट्रीय समझौता तैयार करने के लिए एक दल के गठन पर सहमति एक शुरुआत मात्र है. जिस तरह का सहयोगी और लचीला रवैया दिखाया गया है, उससे अच्छे नतीजों की उम्मीद बढ़ गई है.”
ब्रिटेन के अलावा यूरोपीय संघ और बाकी दुनिया के 70 देशों ने एक ऐसे समझौते की जरूरत पर सहमति जताई थी, जिसमें विभिन्न देशों को कानूनन बाध्य बनाया किया सके. हालांकि पिछले हफ्ते अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिका, ब्राजील और भारत ऐसे बाध्यकारी समझौते को लेकर सहमत नहीं थे.
एक यूरोपीय कूटनीतिज्ञ ने कहा, "एक मसौदे पर सहमति बन गई है जो हमारे लिए संतोषजनक है. इससे अमेरिका को भी एक रास्ता मिल गया है, जो अब साथ आ गया है.” एक अन्य कूटनीतिज्ञ ने कहा कि यह एक अच्छा नतीजा है और साझा भाषा पर सहमति को लेकर सब खुश हैं.
ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ा
कोरोना वायरस अब तक दुनिया में 26 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है जिनमें से 54.5 लाख लोगों की जानें गई हैं. दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से शुरू हुए इस वायरस के और ज्यादा खतरनाक स्वरूप सामने आ रहे हैं.
पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका ने ओमिक्रॉन वेरिएंट की सूचना डब्ल्यूएचओ को दी थी जो अब कई देशों में फैल चुका है. हालांकि दक्षिण अफ्रीकी डॉक्टरों का कहना है कि इस वायरस के लक्षण फिलहाल ज्यादा उग्र नहीं हैं लेकिन सावधानी बरतते हुए कई देशों ने अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं.
ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स और डेनमार्क में ओमिक्रॉन के मरीज पाए गए हैं. कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका के लोगों के अपने यहां आने पर पाबंदी लगा दी है. इस्राएल ने तो अपनी सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी हैं. ऑस्ट्रेलिया ने अफ्रीका महाद्वीप के कई दक्षिणी देशों से सिर्फ अपने नागरिकों के आने की ही इजाजत दी है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
टीके का दूसरा डोज लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडीज कम होने लगती हैं. कई चिकित्सकों का मानना है कि बूस्टर टीका इसका समाधान हो सकता है लेकिन कुछ शोधकर्ता ये भी देख रहे हैं कि क्या टी-कोशिकाएं मददगार हो सकती हैं.
डॉयचे वैले पर फाबियान श्मिट की रिपोर्ट-
अभी के लिए कोविड-19 बूस्टर टीका अनिवार्य बताया जा रहा है क्योंकि समय के साथ खून में एंटीबॉडी की संख्या कम होने लगती है. एमआरनए वैक्सीनों की दूसरी डोज लगने के बाद उनका असर छह महीने बाद घटने लगता है.
जॉनसन ऐंड जॉनसन की बनाई एकल वैक्सीन आने के बाद, टीकाकरण पर जर्मनी की स्थायी समिति (स्टाइको) ने सिफारिश भी की है कि छह महीने पूरा होने से पहले लोग बूस्टर डोज लगा सकते हैं.
नये वायरसों के खिलाफ जिस तरह फ्लू के नये टीके बनाए जाते हैं, उसी तरह भविष्य के कोविड-19 निरोधी टीकों को शायद इस तरह समायोजित करना पड़ेगा कि वे कोरोना वायरस के नये वेरिएंटों के खिलाफ प्रभावी बचाव कर सकें. डेल्टा वेरिएंट के म्युटेशन के खिलाफ बचाव के लिए पहले ही टीके तैयार किए जा रहे हैं.
वैश्विक से स्थानिक की ओर कोविड-19
यूरोप में संक्रमण की मौजूदा दर को देखते हुए, एक मौका अभी भी है कि संक्रामक रोग और टीकाकरण के मिलेजुले प्रभाव से हर्ड इम्युनिटी यानी सामहूकि रोग प्रतिरोधक शक्ति विकसित की जा सकती है.
जहां तक प्रतिरोध की बात है तो सवाल सिर्फ एंटीबॉडी का नहीं है. जैसा कि हाल में वैज्ञानिक जर्नल नेचर में प्रकाशित ब्रिटेन और सिंगापुर के शोधकर्ताओं की एक विशाल टीम के अध्ययन से हासिल, शुरुआती और विशेषज्ञों की समीक्षा का इंतजार कर रहे निष्कर्षों में पाया गया है.
महीनों की अवधि में शोधकर्ताओं ने ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों का मुआयना किया जो कोरोनावायरस के संभावित संक्रमित तो थे लेकिन कोविड-19 के लक्षणों के हिसाब से बीमार नहीं पड़े थे और उनके टेस्ट कभी पॉजिटिव नहीं आए थे. उनके खून में एंटीबॉडी से जुड़े परीक्षणों से भी कोई उल्लेखनीय नतीजे नहीं मिले थे.
स्मृति टी-कोशिकाओं की मजबूती
शोधकर्ताओं ने पाया कि 58 सीरोनेगेटिव स्वास्थ्यकर्मियों (एसएन-एचसीडब्लू) में बहुवैशिष्ट्य वाली मेमरी टी-सेल्स अपेक्षाकृत रूप से ज्यादा थी जिनके कोरोनावायरस की जद में आने की संभावना काफी कम थी. इन टी-कोशिकाओं को खासतौर पर, असरदार तरीके से वायरस फैलाने वाले प्रतिकृति लिप्यंकन संकुल (रेप्लिकेशन ट्रांसक्रिप्शन कॉम्प्लेक्स- आरटीसी) के खिलाफ निर्देशित किया गया था.
अध्ययन में पाया गया कि सीरोनेगेटिव स्वास्थ्यकर्मियों की टी-कोशिकाओं में आईएफआई127 नामक प्रोटीन ज्यादा ऊंची मात्रा में पाया गया था. ये प्रोटीन सार्स-कोवि-2 का एक मजबूत शुरुआती और स्वाभाविक प्रतिरूप होता है. अध्ययन का निष्कर्ष था कि इस प्रोटीन की उपस्थिति का मतलब है कि संक्रमण अधूरा या नाकाम रह जाता है.
इसीलिए टी-कोशिकाएं संक्रमण को संभवतः शुरुआती अवस्था में ही दबोच लेती हैं. ये बात स्पष्ट नहीं है कि शोध में शामिल उन 58 स्वास्थ्यकर्मियों में इतनी असाधारणा अधिकता वाला टी-कोशिका प्रतिरोध आया कहां से. क्या वो किसी अलग कोरोनावायरस से हुए पूर्व संक्रमण से आया हो सकता है, जैसे कि सर्दी का वायरस?
संभावित निष्कर्ष ये हो सकता है कि सार्स-कोवि-2 जैसे कोरोनावायरसों की चपेट में बार बार आने से बीमारी स्थानिक या लोकल होती जाती है और अगर लोग थोड़ी थोड़ी संख्या में विषाणुओं के संपर्क में अक्सर आते रहें तो इससे उनमें रोग प्रतिरोधक प्रणालियां और मजबूत होंगी और वे एंटीबॉडीज या टी-कोशिकाओं के जरिए बेहतर ढंग से मुकाबला कर पाएंगी. यही चीज हमें हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक रोग प्रतिरोधक शक्ति के और करीब ले जाएगी.
अभी तक शोधकर्ताओं ने सावधानी बरतने की सिफारिश की है और इस बात पर जोर दिया है कि कोई भी व्यक्ति खुद को पूरी तरह से सुरक्षित न माने और ये न समझ बैठें कि वे कोरोनावायरस से निरापद हैं, क्योंकि इस बात का जोखिम पूरा है कि अभी कोई प्रतिरक्षित हुआ ही न हो. (dw.com)
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के सामने आने के बाद अपने देश और पड़ोसी मुल्कों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध की निंदा की है.
सिरिल रामाफोसा ने कहा कि वह इस कार्रवाई से "बेहद निराश" हैं. उन्होंने इसे अनुचित ठहराते हुए प्रतिबंधों को तत्काल हटाने की मांग की है.
ब्रिटेन,यूरोपियन यूनियन और अमेरिका उन देशों में शामिल हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका सहित कुछ अन्य अफ्रीकी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं.
दक्षिण अफ्रीका से सामने आए कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को "चिंता का कारण" माना जा रहा है, प्रारंभिक सबूत बताते हैं कि इसमें म्यूटेशन काफ़ी तेज़ है और रि-इंफेक्शन का ख़तरा की काफ़ी ज़्यादा है.
इस महीने की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में इस वेरिएंट का पता चला था और फिर बीते बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को इसकी सूचना दी गई.
पिछले दो हफ्तों में दक्षिण अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत गौटेंग में इसके ज़्यादातर मामले सामने आए लेकिन अब ये पूरे देश में फैल चुका है.
डब्ल्यूएचओ ने जल्दबाज़ी में यात्रा पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि उन्हें "जोखिम-आधारित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण" वाले अप्रोच के बारे में सोचना चाहिए. जबकि,हाल के दिनों में नए वेरिएंट पर चिंताओं के बीच कई देशों से दक्षिण अफ्रीका पर यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं.
रामाफोसा ने रविवार को अपने भाषण मेंकहा कि यात्रा प्रतिबंधों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और दक्षिणी अफ्रीका अनुचित भेदभाव का शिकार है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रतिबंध वेरिएंट के प्रसार को रोकने में प्रभावी नहीं होंगे.
उन्होंने कहा, "यात्रा पर प्रतिबंध प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्थाओं को और नुकसान पहुंचाएगा और महामारी का जवाब देने और उससे उबरने की हमारी क्षमता को कम करेगा."
-मोहम्मद ज़ुबैर ख़ान
पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख़्वा प्रांत में स्थित चारसद्दा ज़िले के तांगी इलाके में क़ुरान के कथित अपमान के मामले के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय पुलिस थाने पर धावा बोल दिया और थाने में आग लगा दी.
जहांगीर ख़ान थाने के एसएचओ बहराममंद शाह ने बताया कि इलाके में ऐसी अफ़वाहें चल रही थीं कि किसी ने क़ुरान का अपमान किया है. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करते हुए युवक को गिरफ़्तार कर जांच शुरू कर दी है.
उन्होंने बताया कि जब प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तारी की ख़बर मिली तो भीड़ थाने पहुंच गई और मांग की कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उन्हें सौंप दिया जाए.
एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक़,रविवार सुबह से इलाके में क़ुरान के कथित अपमान की अफवाहें फैल रही थीं और फिर शाम को इलाके में यह ख़बर फैल गई कि क़ुरान का अपमान करने वाले को पुलिस थाने ले जाया गया है. इसके बाद बड़ी संख्या में लोग थाने के बाहर जमा हो गए और आरोपियों को सौंपने की मांग की.
चश्मदीद ने बताया कि ‘’इस मांग को लेकर पहले तो नारेबाज़ी जारी रही और फिर अचानक से भीड़ भड़क उठी और पुलिस थाने को भी लोगों ने क्षतिग्रस्त कर दिया.’’
एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि थाने पर मौजूद पुलिसकर्मी काफ़ी देर तक हालात को काबू करने का प्रयास करते रहे लेकिन आक्रोशित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही थी.
बताया जा रहा है कि पुलिसकर्मियों ने हालात बेकाबू होता देख थाना खाली कर दिया और बचकर भाग निकले.
चारसद्दा के एक स्थानीय पत्रकार अली अकबर मोहमंद के अनुसार,क़ुरान के कथित अपमान के बारे में अलग-अलग अफवाहें फैल रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक घटना शनिवार शाम की है और दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक घटना रविवार सुबह की बताई जा रही है.
अली अकबर मोहमंद के मुताबिक इस घटना ने लोगों को भड़का दिया. जब प्रदर्शनकारियों ने थाने पहुंच कर आरोपियों को सौंपे जाने की मांग की और झड़प बढ़ी, तो पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
हालांकि भारी संख्या में जुटे लोगों के सामने पुलिस टिक नहीं सकी और आखिरकार पुलिस को गिरफ़्तार किए गए आरोपियों को लेकर थाना छोड़ना पड़ा, हालांकि पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की है. (bbc.com)
-अख़्तर हफ़ीज़
पाकिस्तान के हैदराबाद के फलीली इलाक़े की ग़फ़ूर शाह कॉलोनी में सुबह होते ही लड़के-लड़कियां अपने कंधों पर बस्ते टांग कर मंदिर की ओर निकल पड़ते हैं. वैसे तो मंदिर पूजा का स्थान होता है पर सोनारी बागड़ी ने इस मंदिर को स्कूल में तब्दील कर दिया है.
सोनारी बागड़ी अपने परिवार में पहली और क़बीले की उन कुछ महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. और अब उन्होंने ख़ुद को बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया है.
सोनारी सिंध की बागड़ी क़बीले से हैं, जहां शिक्षा को ज़्यादा बढ़ावा नहीं दिया जाता. महिलाओं सहित इस क़बीले के ज़्यादातर लोग खेती या अंशकालिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
ख़ानाबदोश क़बीला है बागड़ी
बागड़ी एक ख़ानाबदोश क़बीला है. ये क़बीला काठियावाड़ और मारवाड़ से सिंध में दाख़िल हुआ था. बागड़ी शब्द का प्रयोग भारतीय राज्य राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र में रहने वाले हर एक हिंदू राजपूत के लिए किया जाता है.
गुरदासपुर के बागड़ी सुलहेरिया हैं, जो अपने क़बीले को बागड़िया या भागड़ कहते हैं. यह क़बीला अलाउद्दीन ग़ौरी के दौर में दिल्ली से पलायन करके आने वाले राजपूतों में से एक है. आज भी, इस क़बीले की मुखिया पुरुष के बजाय महिला होती है, जो घर के सभी मामले देखती हैं. क़बीले में ज़्यादातर पुरुष और महिलाएं एक साथ काम या मज़दूरी करते हैं.
बागड़ी मूल रूप से ख़ानाबदोश हैं, लेकिन कुछ दशकों से ये स्थायी रूप से बस्ती में रहने लगे हैं. भारतीय और पाकिस्तानी समाजों में, बागड़ी को आज भी अनुसूचित जाति या निम्न जाति माना जाता है. इसके चलते वो घृणा और नफ़रत का शिकार भी बनते रहे हैं.
उनके लिए दलित बनकर इस समाज के सभी कष्टों को सहन करना मुश्किल रहा है. यहां तक कि अगर किसी के बुरा या नीचा होने का उपहास भी कराना हो तो उसे बागड़ी कहा जाता हैं.
लेकिन आज तमाम नफ़रत और तिरस्कार के बावजूद यह क़बीला अपनी राह ख़ुद बना रहा है और नए तरीक़े अपनाकर समाज के विकास और निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है.
सोनारी को अपने क़बीले के बच्चों को शिक्षित करने का विचार तब आया जब वह चौथी कक्षा में थीं. उन्होंने हैदराबाद के हुसैनाबाद इलाक़े के हाई स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. साल 2004 में शादी के बाद वह फलीली नहर वाली कॉलोनी में आ गईं.
शादी के बाद, उन्होंने घर के ख़र्च पूरा करने के लिए अपने पति के साथ मज़दूरी की. उन्होंने कपास चुनीं, गेहूं की कटाई की, और मिर्चें भी चुनीं. लेकिन बचपन में देखा हुआ सपना सोनारी के दिल में ज़िंदा था, इसलिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का फ़ैसला किया.
लेकिन उनके पास कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां बच्चों के लिए स्कूल खोला जा सके और न ही संसाधन उपलब्ध थे. सोनारी ने पहले ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि अपने शहर के मंदिर को ही स्कूल में क्यों न बदल दिया जाए.
अपने परिवार के बड़ों से सलाह मशविरा करने के बाद, उन्हें मंदिर में स्कूल बनाने की इजाज़त मिल गई. शुरू में, उनके यहां केवल तीन लड़कियां आती थीं, जिनमें दो उनकी अपनी बेटियां थीं. फिर धीरे-धीरे 'मंदिर वाले स्कूल' में बच्चों की संख्या बढ़ती गई और अब इस स्कूल में 40 से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं.
'हमारे समाज में लोग लड़कों को भी नहीं पढ़ाते'
सोनारी बागड़ी का कहना है कि एक स्थानीय परोपकारी व्यक्ति उन्हें हर महीने 5,500 रुपये वेतन देता है.
अब तक उनके स्कूल की पांच लड़कियां प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद हायर सेकेंडरी स्कूल में जाने लगी हैं, जिनमे दो बेटियां सोनारी की हैं.
वो कहती हैं कि, "मेरे समुदाय के लोग लड़कियों की बात तो दूर, लड़कों को भी नहीं पढ़ाते हैं. मैं अपने परिवार की पहली लड़की थी जिसने स्कूल जाने का फ़ैसला किया था. उन दिनों पढ़ाई के दौरान मेरे मन में विचार आया कि अगर मुझे अपने क़बीले को सुधारना है तो मुझे यहां शिक्षा को सार्वजनिक करना होगा. इस तरह लड़के-लड़कियों को शिक्षित करना मेरा लक्ष्य बन गया."
''लेकिन मुझे इस बात की चिंता थी कि मैं इस सपने को कैसे सच करूंगी. लेकिन बचपन से मेरा ये इरादा था कि मैं अपने क़बीले के उन बच्चों को स्कूल का रास्ता दिखाऊंगी जो इधर-उधर भटक रहे हैं.''
आज भी उस शहर में शिक्षा प्राप्त करना इसलिए मुश्किल है, क्योंकि लोग मज़दूरी और कारोबार करना पसंद करते हैं, और लड़कियों की कम उम्र में ही शादी कर दी जाती है, लेकिन सोनारी ने इसके विपरीत सोचा. उन्होंने वह रास्ता चुना जो मुश्किल तो था लेकिन नामुमकिन नहीं था.
सोनारी कहती हैं, ''हमारे शहर में मंदिर की ये सबसे अच्छी जगह है. अगर कोई मेहमान भी आता है, तो उसके ठहरने की व्यवस्था भी यहीं की जाती है. राम पीर उत्सव के लिए आने वाले कई तीर्थयात्री भी कुछ दिन यहां बिता कर जाते हैं, क्योंकि यह मंदिर हमारे लिए सब कुछ है.''
वो आगे कहती हैं, ''समझें कि यह हमारे लिए एक ऐसा साया है जिसके बिना हम कुछ भी नहीं हैं. स्कूल यहाँ से बहुत दूर हैं और बच्चों को नहर पार करके जाना पड़ता था. कई बार बच्चों को कुत्तों ने भी काट लिया था. इसके अलावा बच्चों के आने-जाने में भी काफ़ी किराया लग जाता था.''
चार दशक पहले बना ये मंदिर
यह शिव मंदिर, आज से चार दशक पहले बनाया गया था. बागड़ी क़बीले के लोग 70 के दशक में मटियारी ज़िले से आकर यहां बस गए थे. उस समय फलीली के आसपास घना जंगल था और तब न तो कोई अतिक्रमण था और न ही इतनी तेज़ी से बनने वाली कोई आवासीय परियोजनाएं थीं.
लेकिन अब सिंचाई विभाग का कहना है कि नहर के दोनों किनारों की 60 फ़ीट ज़मीन सरकारी है, जिसकी वजह से सभी अतिक्रमणों को हटाने का काम चल रहा है. इनमें बागड़ी, कोहली, भील और जानडाड़ों की बस्तियां शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक़ मंदिर भी अतिक्रमण की श्रेणी में आता है.
साल 2016 में, एडवोकेट शिहाब ऊसतू ने सिंध में पीने के पानी पर एक आयोग के गठन की मांग करते हुए पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक संवैधानिक याचिका दायर की. उस समय सिंध हाई कोर्ट के जज इक़बाल कल्होड़ों को एक वर्ष के लिए इस आयोग का कार्यवाहक नियुक्त किया गया था.
बाद में कोर्ट के आदेश में सिंध सिंचाई विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि पशु फ़ार्म, गटर और अन्य आवासीय योजनाएं समस्याएं पैदा कर रही हैं, इसलिए ज़िला प्रशासन को अतिक्रमण हटाना चाहिए.
अतिक्रमण हटाने के आदेश से मंदिर पर ख़तरा
इसलिए इन दिनों सोनारी अपने मंदिर वाले स्कूल को लेकर चिंतित नज़र आ रही हैं. सिंध में स्वच्छ जल मामले के संबंध में आदेश में यह भी कहा गया था कि सिंचाई विभाग की भूमि पर जितने भी क़ब्ज़े हैं उन्हें ख़त्म कराया जाए. इसी आदेश का पालन करते हुए सिंध सिंचाई विभाग साल 2019 से फलीली के दोनों ओर से अतिक्रमण हटा रहा है.
सिद्दीक़ सांद सिंचाई विभाग में सब इंजीनियर हैं और इस समय फलीली नहर पर अतिक्रमण को हटाने और पुनर्वास कार्य के प्रभारी हैं.
उनका कहना है कि वो कोर्ट के आदेश के पाबंद हैं. वो कहते हैं, ''लोग सालों से यहां अतिक्रमण कर रहे हैं. हमें नहर के दोनों किनारों से 60 फ़ीट ज़मीन ख़ाली करानी है, जिसमें हर तरह के अतिक्रमण शामिल हैं. यह मंदिर भी अतिक्रमण के दायरे में आता है. हमने अभी तक इसे नहीं छेड़ा है, क्योंकि यहां स्कूल चल रहा है.''
उन्होंने आगे कहा कि मंदिर को बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन समस्या यह है कि मंदिर सिंचाई विभाग की ज़मीन में 30 फ़ीट अंदर है.
सिद्दीक़ सांद कहते हैं, "अगर हमें विभाग ने कहा कि मंदिर बचाना है और रास्ता बनाने के लिए किनारे से जितनी ज़मीन मिलती है, वह पर्याप्त है, तो हमें मंदिर को गिराने की ज़रूरत नहीं है. (bbc.com)
बोगोटा, 28 नवंबर| कोलंबिया ने राष्ट्रीय कोरोना स्वास्थ्य आपातकाल को 28 फरवरी, 2022 तक बढ़ा दिया जाएगा। इसकी घोषणा देश के राष्ट्रपति इवान ड्यूक ने की। ड्यूक ने कहा, "यह उपाय एक वैश्विक महामारी के अस्तित्व के आधार पर अपनाया गया था जो देश को सभी एहतियाती उपायों को जारी रखने और कोलंबियाई जीवन की सुरक्षा के लिए देखभाल करने की अनुमति देता है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि रोकथाम और नियंत्रण के उपाय अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर भी लागू होंगे, जो यूरोप, ब्राजील या अमेरिका के माध्यम से आवाजाही करते हैं और कोरोनोवायरस के ओमीक्रॉन वेरिएंट के लक्षण पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाए गए हैं।
उन्होंने कहा, "जो लोग बीते 15 दिनों से अफ्रीका में रहे हैं और अगर उनमें कोई लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें कोलंबिया के अधिकारियों को सूचित कर क्वारंटीन करना चाहिए।"
राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की है कि सार्वजनिक और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में प्रवेश करने के लिए कोरोना के खिलाफ पूरी तरह से टीकाकरण प्रमाणन को निर्धारित समय के अनुसार 1 दिसंबर से 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। (आईएएनएस)
जोहान्सबर्ग, 27 नवंबर| दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने दक्षिण अफ्रीका और कुछ दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) देशों पर यात्रा प्रतिबंधों को घुटने के बल चलने वाली प्रतिक्रिया बताया है, जो वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं है। फाहला ने नए बी.1.1.1.529 वैरिएंट पर एक वर्चुअल प्रश्न और उत्तर मीडिया सत्र की मेजबानी करते हुए कहा, "यह घुटने के बल चलने वाली और घबराहट वाली प्रतिक्रिया है। लोग दूसरे देशों को दोष देना चाहते हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह नए कोविड -19 के नये वैरिएंट का पता लगने के बाद दक्षिण अफ्रीका कई देशों के यात्रा प्रतिबंधों की चपेट में आ गया है।
फाहला ने कहा कि प्रतिबंध 'कठोर' और 'प्रतिकूल' हैं। उन्होंने देशों से दूसरों को दोष देने की कोशिश करने के बजाय महामारी से लड़ने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "यह (यात्रा प्रतिबंध) मददगार और रचनात्मक नहीं है। यह अन्य देशों को जानकारी साझा करने के लिए कम इच्छुक होगा।"
फाहला के साथ सत्र में भाग लेने वाले प्रोफेसर इयान साने ने कहा कि नया वैरिएंट तेजी से पूरे देश में फैल रहा है।
"वैरिएंट पूरे देश में फैल गया है। अतिरिक्त तत्व यह है कि हम मामलों की दरों में वृद्धि देख रहे हैं, इसलिए वायरस के अधिक संचरित होने की संभावना है और यह देश में प्रमुख प्रकार है।"
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) के अनुसार, पिछले 24 घंटों में दक्षिण अफ्रीका में 2,828 नए कोविड -19 मामलों की पहचान की गई, जिनमें 12 संबंधित मौतें हुईं, जिससे कुल पुष्ट मामलों की संख्या 2,955,328 हो गई है। (आईएएनएस)
ढाका, 28 नवंबर| बांग्लादेश ने कोरोनावायरस के एक नए वेरिएंट के फैलने के कारण दक्षिण अफ्रीका के यात्रियों के प्रवेश को निलंबित कर दिया गया है। बांग्लादेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, जाहिद मालेक ने घोषणा करते हुए कहा कि बांग्लादेशी सरकार दक्षिण अफ्रीका में नए वेरिएंट के बारे में सर्तक है।
मंत्री ने कहा, "हमने तत्काल प्रभाव से दक्षिण अफ्रीका से यात्रा स्थगित करने का फैसला किया है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि ओमीक्रोन नाम का यह नया वेरिएंट बेहद आक्रामक है।
मंत्री के अनुसार, बांग्लादेशी सरकार भी सभी बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं को मजबूत कर रही है।
टीकाकरण अभियान के कारण हाल के महीनों में बांग्लादेश में कोरोना संक्रमण और वायरस से होने वाली मौतों में काफी गिरावट आई है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा कि बांग्लादेश में शनिवार को कोरोनावायरस के 155 नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमितों की संख्या बढ़कर 15,75,579 हो गई जबकि बीते 24 घंटे में 2 लोगों की मौत हुई जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 27,975 हो गई। (आईएएनएस)
यरुशलम, 28 नवंबर| इजरायल सरकार ने रविवार को कोरोना के नए वेरिएंट को फैलने से रोकने के लिए विदेशी नागरिकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। यह घोषणा देर रात कैबिनेट बैठक के बाद हुई जिसमें महामारी के खिलाफ प्रतिबंध बहाल करने पर चर्चा की गई।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, विदेशियों के लिए देश में प्रवेश बंद करने का फैसला 14 दिनों तक जारी रहेगा। इसके अलावा, फोन-ट्रैकिंग तकनीक का फिर से उपयोग किया जाएगा ताकि उन लोगों का पता लगाया जा सके जिन्हें क्वारंटीन में जाना हैं।
इजरायल ने अब तक ओमीक्रॉन वेरिएंट के एक मामले की पुष्टि की है जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था।
इसके अलावा 50 अफ्रीकी देशों को लाल सूची के रूप में नामित किया है, जो इजरायलियों को उनकी यात्रा करने से मना करता है। महाद्वीप से आने वाले इजरायलियों को क्वारंटीन में रहने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
हाल के दिनों में अफ्रीका से आए सभी इजरायली नागरिकों का एहतियात के तौर पर आने वाले दिनों में टेस्ट किए जाने की संभावना है।
कैबिनेट बैठक की शुरूआत में इजरायल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट ने कहा, "हम वर्तमान में अनिश्चितता के दौर में हैं।"
बेनेट ने कहा कि उनका लक्ष्य एक कामकाजी अर्थव्यवस्था और खुली शिक्षा प्रणाली को इजरायल में बनाए रखना है।
यह माना जा रहा है कि नया स्ट्रेन पिछले वाले की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ओमीक्रोन के खिलाफ टीके कितने प्रभावी होंगे।
इस हफ्ते इजरायल ने 5 साल की उम्र से बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है।
कोरोनावायरस से मार्च 2020 से अब तक 8,100 से ज्यादा इजरायलियों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 7,000 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं, जिनमें 120 लोग गंभीर रूप से अस्पताल में भर्ती हैं। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 28 नवंबर| संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नागोर्नो-कराबाख संघर्ष के समाधान पर आर्मेनिया, अजरबैजान और रूस के बीच त्रिपक्षीय बैठक का स्वागत किया है। महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने एक बयान में कहा, गुटेरेस ने संयुक्त बयान पर ध्यान दिया और आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच निरंतर संपर्क और वार्ता को सुविधाजनक बनाने में रूस की भूमिका की सराहना की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने 2021 के अंत तक अर्मेनियाई-अजरबैजानी सीमा के सीमांकन और परिसीमन के लिए तंत्र बनाने पर सहमति व्यक्त की।
बयान में नवंबर 2020 के युद्धविराम समझौते और जनवरी 2021 के नागोर्नो-कराबाख में परिवहन को बहाल करने के समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया है कि सेक्रेटरी जनरल को आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच उच्चतम स्तर पर सीधे जुड़ाव की बहाली और 9 नवंबर, 2020 और 11 जनवरी, 2021 के त्रिपक्षीय बयानों को पूरी तरह से लागू करने और स्थिरता बढ़ाने के उद्देश्य से ठोस कदम उठाने की उनकी प्रतिबद्धता से प्रोत्साहित किया जाता है।
बयान में कहा गया है कि गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र की सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया कि स्थायी शांति केवल बातचीत के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है और पार्टियों से ओएससीई (सुरक्षा और सहयोग के लिए संगठन) के सह-अध्यक्षों के तत्वावधान में सभी उपलब्ध प्रारूपों के माध्यम से बकाया मुद्दों को हल करने का आग्रह किया।
बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र इस तरह के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है, जिसमें मानवीय, वसूली और जमीन पर शांति निर्माण सहायता शामिल है। (आईएएनएस)