अंतरराष्ट्रीय
पेरिस, 21 जनवरी | फ्रांस में कोरानावायरस मामलों की संख्या इस वक्त 26,784 बताई जा रही है, जो पिछले दो महीने के दैनिक मामलों में सर्वाधिक है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया, 18 नवंबर, 2020 को एक दिन में सर्वाधिक 28,393 मामले दर्ज किए गए थे।
इस बीच, देश में कोरोना से हुई मौतों की दैनिक संख्या में भी इजाफा हुआ है। यहां एक ही दिन में 310 लोगों की जानें गई हैं।
इस वक्त, कुल 25,686 लोग अस्पतालों में एडमिट हैं, जिनमें से 2,852 आईसीयू में हैं। दोनों ही आंकड़ों में क्रमश: 119 और 13 की संख्या में इजाफा हुआ है।
फ्रांस में अब तक कोरोना के 2,965,117 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 71,652 मरीजों की मौत हो चुकी है।
शनिवार से यहां रात के आठ बजे के स्थान पर शाम के छह बजे से ही कर्फ्यू लागू कर दिया गया है ताकि इस कदम से वायरस को रोकने में कुछ हद तक मदद मिल सके।
--आईएएनएस
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपनी पहली व्हाइट हाउस ब्रीफिंग में बताया कि नए राष्ट्रपति ने इस हफ़्ते के अंत तक विदेशी नेताओं से बात करेंगे और पहला कॉल वो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को करेंगे.
साकी ने बताया, "वो शुक्रवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को पहली कॉल करेंगे. मुझे उम्मीद है कि कनाडा के साथ निश्चित रूप से वो महत्वपूर्ण रिश्ते के साथ साथ कीस्टोन एक्सएल पाइपलाइन जैसे जिन अहम मुद्दों पर आज हम फ़ैसला ले रहे हैं उस पर भी चर्चा करेंगे. हालाँकि राष्ट्रपति पुतिन के साथ बातचीत की अभी कोई योजना नहीं है. उम्मीद है कि उनकी शुरुआती बातचीत साझेदारों और सहयोगियों के साथ होगी. उनका मानना है कि उन रिश्तों को नए सिरे से शुरू करना और दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों और ख़तरों को दूर करना महत्वपूर्ण है."
साकी ने कहा, जो बाइडन की शीर्ष प्राथमिकता अमेरिका के लोगों के लिए एक अतिरिक्त कोविड-19 राहत पैकेज पर समझौते के लिए सीनेट के साथ काम करने की है.
उन्होंने कहा, "यह वो मुद्दा है जिस पर वह रोज़ सो कर उठने के बाद फ़ोकस करते हैं कि इस महामारी को नियंत्रण में रखा जाए. और रात में सोने जाने से पहले भी इसी मुद्दे पर उनका ध्यान केंद्रित रहता है. यह पैकेज उसी ओर एक अहम कदम है और यह अमेरिकी लोगों के लिए आर्थिक पुल बनाने का काम करेगा. वैक्सीन वितरण के लिए इसमें आवश्यक फंड की व्यवस्था भी होगी. वो पूरी तरह इसमें व्यस्त रहेंगे." (बीबीसी)
बर्लिन , 21 जनवरी | कुल 32 प्रतिशत यूरोपीय यह नहीं मानते कि 2016 में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अमेरिकियों पर भरोसा किया जा सकता है। पैन-यूरोपियन की ओर से 11 देशों में 15 हजार से अधिक लोगों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। तेह सिन्हाऊ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, थिंक टैंक यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के सर्वे में शामिल जर्मनी के 53 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे इस बात पर ²ढ़ता से सहमत है कि 2016 के चुनाव के बाद अमेरिकियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
वहीं सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 36 प्रतिशत स्वीडिश नागरिकों को भी विश्वास नहीं है कि 2016 के बाद अमेरिकी लोगों पर भरोसा किया जा सकता है।
इसके अलावा, कुल 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी राजनीतिक प्रणाली पूरी तरह से या फिर कुछ हद तक टूटी हुई है। विशेष रूप से 81 प्रतिशत ब्रिटिश, 71 प्रतिशत जर्मन और 66 प्रतिशत फ्रांसीसी उत्तरदाताओं ने ऐसे विचार प्रकट किए।
वहीं जिन देशों में सर्वे किया गया, उनमें पोलैंड और हंगरी ऐसे देश रहे, जहां के लोग अपेक्षाकृत अमेरिका के लिए सकारात्मक ²ष्टिकोण रखे हुए हैं। सर्वे में शामिल हंगरी के 56 प्रतिशत और पोलैंड के 58 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अमेरिकी राजनीतिक प्रणाली अच्छा है या कुछ हद तक अच्छा काम करती है। इसके साथ ही पोलैंड के केवल 23 प्रतिशत और हंगरी के 19 प्रतिशत लोग 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकियों पर भरोसा नहीं करते हैं।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 21 जनवरी | अमेरिकी सरकार के उप सहयोगी प्रशासक फादर अलेक्जेंडर कुरियन ने कहा कि नए राष्ट्रपति जो बइडेन चीन के मामले में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति को जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन को कोरोना के कारण वैश्विक स्वास्थ्य संकट और अमेरिका में बिगड़ती आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ेगा। उनके सामने कई चुनौतियां हैं।
--आईएएनएस
पाकिस्तान भी कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है. सरकार ने हालात से निपटने के लिए चीनी टीके के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. लेकिन उससे पहले वहां पर्याप्त वोलंटियर नहीं मिल रहे हैं ताकि टीके का ट्रायल पूरा हो सके.
डॉयचेवेले पर वजाहत मलिक की रिपोर्ट-
बीते साल मार्च से पाकिस्तान में अब तक कोरोना के पांच लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि इससे मरने वालों का आंकड़ा दस हजार को पार कर गया है. दूसरी लहर में संक्रमण कहीं तेजी से फैल रहा है और सरकार के सामने हालात से निपटने की चुनौती है. महामारी की रोकथाम के लिए सरकार की उम्मीदें चीनी कंपनी कैनसिनोबायोन के बनाए टीके पर टिकी है. कंपनी ने पाकिस्तान में अपने टीके का पहला डबल ब्लाइंड क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है.
टीके का ट्रायल तीसरे चरण में दाखिल हो गया है. पाकिस्तान के तीन बड़े शहरों में यह ट्रायल हो रहा है. लेकिन बहुत से पाकिस्तानियों को चीनी टीके पर संदेह है, इसलिए लोग टीके के ट्रायल में हिस्सा लेने से कतरा रहे हैं. एक नागरिक मोहम्मद निसार कहते हैं, "हमें यह जानना है कि ये टीके कहां से आ रहे हैं. अल्लाह ने कुरान में साफ कहा है कि यहूदी और ईसाई हमारे दुश्मन हैं. मुझे नहीं लगता है कि हमारे दुश्मन हमारा कोई भला करेंगे."
कुछ सामान्य साइड इफेक्ट
कोई भी टीका लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है. कुछ लोगों को पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है. इसका मतलब होता है कि टीका अपना काम कर रहा है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है.
टीके के ट्रायल से जुड़े लोग इस बात को मानते हैं कि दकियानूसी ख्यालात और अज्ञानता उनके काम में रोड़ा बन रहे हैं. ट्रायल प्रोजेक्ट के चीफ काउंसलर और रिसर्चर कॉर्डिनेटर मोहसिन अली कहते हैं, "एक समस्या यह है कि कट्टरपंथी लोग कई अंधविश्वासों और मिथकों में यकीन रखते हैं. वह जानना चाहते हैं कि वैक्सीन हराम है या हलाल. और शायद यही वजह है कि पोलियो टीकाकरण में भी हमें इतनी मुश्किलें आ रही हैं. अब भी ऐसे लोग हैं जो अपने बच्चों को पोलियो की दवा नहीं पिलाना चाहते हैं. कई दशकों से हम पोलियो को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं."
अब सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही दुनिया के ऐसे दो देश हैं जहां अब तक पोलियो को खत्म नहीं किया जा सका है. कई कट्टरपंथियों को संदेह है कि पोलियो की दवा पश्चिमी देशों की साजिश है जिसे पीने वाले बच्चों की प्रजनना क्षमता भविष्य में कमजोर हो सकती है. पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण से जुड़े लोगों पर कई बार चरमपंथियों ने हमले किए हैं. ऐसे में, कोरोना वायरस के टीकों को लेकर बहुत से लोगों में हिचकिचाहट साफ दिखती है क्योंकि यह वायरस सिर्फ एक साल पहले ही सामने आया है.
वैक्सीन के ट्रायल में लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रचार की मुहिम भी छेड़ी गई है. ट्रायल प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय संयोजक हसन अब्बास कहते हैं, "इस तरह के काम को लेकर अकसर लोगों में गलतफहमियां रहती हैं. असल में अगर आप किसी काम को पहली बार करते हैं, तो आपका सामना ऐसे लोगों से होना स्वाभाविक है जिनमें डर होगा या फिर उन्हें नहीं पता कि उनके साथ क्या होने जा रहा है. इसलिए काउंसलिंग बहुत जरूरी है."
वैक्सीन को मंजूरी
3 जनवरी को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. इसी के साथ ही भारत एक साथ दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर देश में तैयार किया है. वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसको भारत बायोटेक ने तैयार किया है.
ट्रायल में हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर सलीम आरिफ कहते हैं कि इस समय महामारी से निपटना बहुत जरूरी है और इसे लेकर धार्मिक बहस में उलझना ठीक नहीं है. उनका कहना है, "क्या हुआ अगर वैक्सीन चीन से आ रही है? यहां बात हराम और हलाल की नहीं है. पोलियो के संकट को देखिए. पोलियो का टीका भी पाकिस्तान में नहीं बना था. वह भी दूसरे देशों से ही पाकिस्तान में आया. हमें इस बात का शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमारे इलाज के लिए यह सब हो रहा है. इलाज के लिए तो मुसलमानों को सूअर का गोश्त खाने की भी अनुमति है."
ट्रायल में वे सभी स्वस्थ वयस्क हिस्सा ले सकते हैं, जो कोविड-19 से संक्रमित ना हुए हों. अधिकारियों को उम्मीद है कि वैक्सीन को लेकर गलतफहमियां दूर होंगी और ज्यादा वॉलंटियर ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए आगे आएंगे. अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही ट्रायल पूरा होगा और इस साल की पहली तिमाही के आखिर तक लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हो जाएगा.
इस्लामाबाद, 20 जनवरी | पाकिस्तान में पांच साल से कम उम्र के 4 करोड़ से अधिक बच्चों का नवीनतम राष्ट्रव्यापी पोलियो विरोधी अभियान के तहत टीकाकरण किया गया। द डॉन ने बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सख्त मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए, डोर-टू-डोर टीकाकरण के लिए देश भर में 2,87,000 फ्रंटलाइन पोलियो कर्मचारियों को तैनात किया गया था।
अभियान के दौरान लगभग 3.2 करोड़ बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी गई।
पोलियो उन्मूलन पहल और प्रतिरक्षण के विस्तारित कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. राणा मोहम्मद सफदर ने एक बयान में कहा, "पोलियो वायरस के खिलाफ लड़ाई को पिछले साल सफल पोलियो अभियान के वितरण के माध्यम से फिर से जीवंत किया गया था। खराब मौसम के बावजूद, सभी घरों तक पहुंचने की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए फ्रंटलाइन वर्कस को धन्यवाद।" (आईएएनएस)
जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल), 20 जनवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी जिले के धुपगुड़ी में सड़क दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे में घायल सभी लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
पुलिस ने कहा कि वाहन का ड्राइवर नियंत्रण खो बैठा और बोल्डर से भरे ट्रक से टकरा गया और डिवाइडर से टकराकर दाहिनी ओर फिसल गया। तभी रॉन्ग साइड से आ रहे दो अन्य वाहन ट्रक से टकरा गए, जिसकी वजह से बोल्डर से लदा ट्रक वाहन पर गिर गया। दुर्घटना में चारों वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
घटना पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधान मंत्री ने ट्विटर पर कहा, "जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) में धुपगुड़ी में सड़क दुर्घटना बेहद दुखद है। दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवार के लिए प्रार्थना। घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ्य होने की कामना।"
पुलिस ने कहा कि दुर्घटना कम दृश्यता के कारण हुई और ट्रक का चालक बच गया और लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप में उसे हिरासत में ले लिया गया है। (आईएएनएस)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 20 जनवरी | कमला हैरिस के राजनीतिक जीवन के अब तक के हर एक बड़े क्षण में एक अश्वेत महिला की बाइबल दिखाई गई है। कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल के रूप में उन्होंने इस बाइबल पर अपना बायां हाथ रख कर शपथ ली थी, और यह तब हुआ था जब उन्होंने कैलिफोर्निया से सीनेटर के रूप में अमेरिका के संविधान की रक्षा करने की शपथ ली थी।
बसल नामक मैगजिन में 2019 के लेख में हैरिस ने लिखा था, मैं अपने साथ श्रीमती शेल्टन को हमेशा साथ ले जाती हूं।
शेल्टन की बाइबल उन दो बाइबल में से एक है जिस पर कमला हैरिस बुधवार को उपराष्ट्रपति के रूप में हाथ रख कर शपथ लेगी।
हैरिस ने शपथ ग्रहण से 24 घंटे पहले ट्वीट किया, जब मैं अपना दाहिना हाथ उठाउंगी और पद की शपथ लूंगी तो मैं अपने साथ दो हीरो को साथ में रखूंगी, जो जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं -- न्यायमूर्ति थर्गूड मार्शल और श्रीमती शेल्टन।
दूसरी बाइबल दिवंगत नागरिक अधिकार के लिए लड़ने वाले और सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति थर्गूड मार्शल ने दी थी। मार्शल ने भी होवार्ड विश्वविद्यालय से स्नातक किया था, जो व्हाइट हाउस के पास है और जिन्होंने कमला हैरिस की सोच को बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
मिसेज शेल्टन का नाम रेजिना शेल्टन है, जो ओकलैंड, कैलिफोर्निया में एक ही ब्लॉक में तीन घरों की मालकिन थी। वो उनमें से एक में नर्सरी स्कूल चलाती थी। एक समय था जब तलाक के बाद कमला हैरिस की मां गोपालन अपनी बच्चियों - कमला और माया की देखभाल के लिए मदद की तलाश में थीं और उन्हें रहने के लिए एक जगह की जरूरत थी। गोपालन और उनकी बेटियां श्ेल्टन की नर्सरी से ऊपर एक अपार्टमेंट में रहने लगे। शेल्टन और गोपालन में दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि हैरिस ने शेल्टन को अपनी 'दूसरी मां' कहना शुरू कर दिया।
याहू को दिए एक साक्षात्कार में शेल्टन के भतीजे ऑब्रे ला ब्री ने कहा कि शेल्टन हर रविवार को कमला और माया को वेस्ट ओकलैंड के बैपटिस्ट चर्च ले जाती थी। जिस बाइबल पर हैरिस ने अपने सभी पदों की शपथ ली, वो वही बाइबल है जिसे शेल्टन अपने साथ चर्च ले जाती थी।
कमला हैरिस को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सोनिया सोतोमयोर द्वारा उप राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी, जो एक 'ऐतिहासिक' क्षण होगा, क्योंकि हैरिस न केवल पहली महिला है बल्कि पहली अश्वेत भी है जो इस पद पर आएंगी। वो पहली भारतीय-अमेरिकी भी है जो अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनेंगी।(आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 20 जनवरी | अमेरिका में कोरोनावायरस महामारी से मरने वालों की संख्या मंगलवार को 400,000 तक पहुंच गई है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने इसका खुलासा किया है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां संक्रमित मरीजों की संख्या जहां दो करोड़ के पार पहुंच गई हैं, वहीं मरने वालों का आंकड़ा भी 400,022 तक पहुंच गया है।
सीएसएसई के आंकड़ों से पता चला है कि न्यूयॉर्क में अब तक 41,350 मौतों की पुष्टि हुई है, जो कि पूरे अमेरिका भर में सर्वाधिक है। कैलिफोर्निया इस मामले में 33,763 मौतों के साथ दूसरे पायदान पर है। इसके बाद टेक्सस और फ्लोरिडा 32,729 और 24,274 मौतों के साथ क्रमश: तीसरे और चौथे नंबर पर है।
जिन राज्यों में 12,000 से अधिक मौतें हुई हैं, उनमें जर्सी, इलिनॉयस, पेन्सिलवेनिया, मिशिगन, मैसाचुसेट्स और जॉर्जिया शामिल हैं।
--आईएएनएस
डॉनल्ड ट्रंप जब पहली बार ब्रिटेन गए थे तो प्रदर्शनकारियों ने एक विशाल गुब्बारा उनके स्वागत के लिए लगाया था जिसमें ट्रंप किसी बिलखते हुए बच्चे जैसे दिख रहे थे. इसे अब म्यूजियम में रखा जा रहा है.
नारंगी रंग का गुब्बारा ट्रंप को गुस्सा दिलाने के लिए बनाया गया था. उनके राष्ट्रपति पद छोड़ते ही इसे ब्रिटेन के म्यूजियम में पहुंचाया जा रहा है. म्यूजियम ऑफ लंदन की निदेशक शैरन एमेंट ने इस बारे में कहा, "बच्चे के इस गुब्बारे को म्यूजियम में जगह देकर हम उस दिन को दर्ज करना चाहते हैं, वह जज्बा जो उस दिन इस शहर पर छाया हुआ था, प्रतिरोध का वह क्षण."
इस गुब्बारे को पहली बार 2018 में लंदन में देखा गया था जब डॉनल्ड ट्रंप बतौर राष्ट्रपति पहली बार ब्रिटेन के औपचारिक दौरे पर आए थे. डायपर पहने हुए ट्रंप की शक्ल वाले जिद्दी बच्चे का यह गुब्बारे तब से फ्रांस, अर्जेंटीना, आयरलैंड और डेनमार्क तक घूम आया है.
म्यूजियम ऑफ लंदन ने अपने बयान में कहा है, "पूरी दुनिया घूम कर आने के बाद बेबी ट्रंप का गुब्बारा अपनी मंजिल तक पहुंच रहा है, म्यूजियम ऑफ लंदन में. यहां इसे संभाल कर रखा जाएगा और यह अब इसका नया घर होगा."
यह गुब्बारा इस म्यूजियम की "प्रोटेस्ट कलेक्शन" का हिस्सा बनने जा रहा है. इसमें जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रदर्शन, इराक युद्ध के खिलाफ हुए प्रदर्शन और महिलाओं को वोट करने के अधिकार हासिल करने के प्रदर्शन शामिल हैं.
इस गुब्बारे को क्राउड फंडिंग के जरिए तैयार किया गया था और इसे बनाने वाले इसे "नफरत की राजनीति" के खिलाफ जंग का प्रतीक बताते हैं, "हमें उम्मीद है कि यह गुब्बारा लोगों को याद दिलाता रहेगा कि कैसे लंदन के लोग ट्रंप के खिलाफ खड़े हुए थे." डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर आखिरी दिन यह घोषणा की गई है.
आईबी/एके (रॉयटर्स, एपी)
अमेरिका में बाइबल के बारे में एक कैथोलिक पादरी का पॉडकास्ट पिछले दिनों डाउनलोड के मामले में सबसे ऊपर रहा. महामारी के कारण चर्च में जाकर प्रार्थना करना संभव नहीं है, तो ऐसे में कई लोग पॉडकास्ट का सहारा ले रहे हैं.
"द बाइबिल इन ए ईयर" नाम के पॉडकास्ट को चंद दिनों के भीतर चालीस लाख बार डाउनलोड किया गया है. इस पॉडकास्ट के पीछे एक करिश्माई पादरी माइक श्मिट्स की आवाज है. हर दिन आने वाले इस पॉडकास्ट में कुल 365 एपिसोड शामिल होंगे. श्मिट्स अपने इस पॉडकास्ट में हर दिन बाइबिल पढ़ते हैं और उस पर चर्चा करते हैं.
कैथोलिक सामग्री को प्रकाशित और प्रसारित करने वाली कंपनी एसेंशन की प्रवक्ता का कहना है कि एक जनवरी को लाइव होने के 48 घंटों के भीतर "द बाइबिल इन ए ईयर" अमेरिका के डाउनलोड्स में सबसे ऊपर पहुंच गया. इसी कंपनी ने यह पॉडकास्ट तैयार किया है.
प्रवक्ता लॉरैन जॉयस ने पॉडकास्ट के बारे में कहा, "हम समझते हैं कि यह एक भूख को पूरा कर रहा है." यही वजह है कि इसने द न्यूयॉर्क टाइम्स के न्यूज शो "द डेली" को पीछे छोड़ दिया है. फादर श्मिट्स को पिछले साल वसंत में उस वक्त इस पॉडकास्ट का आइडिया आया, जब अमेरिका कोविड-19 की पहली लहर से जूझ रहा था.
चिंता और डर
अमेरिका दुनिया भर में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है. अब तक वहां संक्रमण के 2.4 करोड़ मामलों के साथ लगभग चार लाख मौतें हो चुकी हैं. अब भी वहां हर दिन एक से दो लाख कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना के टीकाकरण अभियान के बावजूद लोगों में चिंता और डर है.
जॉयस पॉडकास्ट की कामयाबी का कारण महामारी से पैदा स्थिति को मानती हैं. साथ ही पूजास्थलों की क्षमता सीमित होना भी इसकी एक वजह हो सकती है. वह कहती हैं कि खासकर इन दिनों बहुत से बुजुर्ग लोग संक्रमण के डर से चर्च नहीं जा पा रहे हैं.
जॉयस कहती हैं कि यह पॉडकास्ट उन लोगों को ध्यान में भी रखकर तैयार किया गया है जिनकी बाइबिल में दिलचस्पी है लेकिन अब तक वे ओल्ड और न्यू टेस्टामेंट "से डरे हुए रहते थे." धार्मिक पॉडकास्ट कोई नई चीज नहीं है. लेकिन अब तक उनकी मांग सिर्फ एक सीमित वर्ग तक ही रही है. लेकिन महामारी ने बहुत सी चीजें बदली हैं. "द बाइबिल इन ए ईयर" को मिली कामयाबी को भी इसी बदलाव का हिस्सा कहा जा सकता है.
एके/आईबी (एएफपी)
न्यूयॉर्क, 19 जनवरी| आज से ठीक एक साल पहले अमेरिका में पहला कोविड-19 का मामला सामने आया था, अब ये समस्या डोनाल्ड ट्रंप की नहीं रही, बल्कि नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की हो गई। अमेरिका में इस महामारी से अबतक 398,000 लोगों की मौत हो चुकी है और इसका आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। देश के 50 राज्यों की दो-तिहाई आबादी जितनी मौतें अब तक हो चुकी हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और प्रिवेंशन के अनुसार, कोविड-19 का नया प्रकार 50 फीसदी से ज्यादा खतरनाक है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया से इसकी शुरुआत हुई थी, सोमवार को इस राज्य में 30 लाख से भी ज्यादा कोरोनावायरस संक्रमण के मामले हो गए। राज्य में 11 नवंबर तक 10 लाख संक्रमण के मामले सामने आए और सिर्फ 44 दिन में ये 20 लाख तक पहुंच गया। कैलिफोर्निया में अबतक 33,600 लोगों की संक्रमण से मौत हो गई है। अमेरिका में कुल दो करोड़ 40 लाख से भी ज्यादा कोरोना वायरस संक्रमण के मामले हैं।
बाइडेन ने पिछले हफ्ते कहा था, "लगभग एक साल बाद, हम सामान्य जीवन की ओर लौटने में अभी भी दूर हैं। ईमानदारी से कहूं तो यही सच्चाई है। चीजें अच्छी होने से पहले ही बहुत ज्यादा बिगड़ गई है।"
बाइडेन ने कहा कि पहले 100 दिनों में एक अरब लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन इससे बहुत दूर हैं। अमेरिका ने दिसंबर 2020 के आखिरी तक दो करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसकी शुरुआत से अभी तक एक करोड़ 10 लाख लोगों को ही टीका लगाया गया, जबकि अमेरिकी सरकार ने तीन करोड़ से भी अधिक टीकों का वितरण किया।
बाइडेन अमेरिका में डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट का प्रयोग करना चाहते हैं, ताकि देश में वैक्सीन सप्लाई में तेजी आए और 100 टीकाकरण केंद्र स्थापित किया जा सकें।
अमेरिका में संक्रमण के मामले दो करोड़ 40 लाख तक पहुंच गए हैं और अब तक तकरीबन 98,000 मौतें हुई हैं। बाइडेन ने अमेरिकी नागरिक से अपील की है, "ईश्वर के लिए, अपने आप के लिए, अपने प्रियजनों के लिए और अपने देश के लिए मास्क पहनें।" (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 19 जनवरी | अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन द्वारा पदभार ग्रहण किए जाने में अब सिर्फ एक दिन बचा है, ऐसे में निवर्तमान प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने राष्ट्र को अलविदा कहा और हर अमेरिकी से 'हमेशा नफरत पर प्यार, हिंसा पर शांति और दूसरों को अपने आप से पहले' चुनने के लिए कहा। उन्होंने सोमवार रात व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए साढ़े छह मिनट के वीडियो संदेश में अपनी बात कही।
ट्रंप ने यह कहकर अपना संदेश शुरू किया कि यह "संयुक्त राज्य की प्रथम महिला के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान था।"
उन्होंने कहा, "पिछले चार साल अविस्मरणीय रहे हैं। जैसा कि (निवर्तमान राष्ट्रपति) डोनाल्ड और मैं व्हाइट हाउस में अपना समय पूरा कर चुके हैं, मैं उन सभी लोगों के बारे में सोच रही हूं, जिन्हें मैंने अपने दिल में जगह दी है और उनकी प्रेम, देशभक्ति, और ²ढ़ संकल्प की अविश्वसनीय कहानियां मेरे जेहन में हैं।"
उन्होंने कहा, "सेवा में शामिल हर सदस्य और हमारे अविश्वसनीय सैन्य परिवारों के लिए: आप नायक हैं, और आप हमेशा मेरे विचारों और प्रार्थनाओं में रहेंगे।"
ट्रंप ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि कानून प्रवर्तन निकाय के सभी सदस्य, जो कहीं भी जाते हैं, हमारा अभिवादन करते हैं। हर दिन हर घंटे वे हमारे समुदायों को सुरक्षित रखने के लिए खड़े रहते हैं, और हम हमेशा उनके कर्ज में डूबे रहते हैं।"
वहीं कोरोनावायरस महामारी के बारे में ट्रंप ने सभी अमेरिकियों को संवेदनशील बनने और सामान्य ज्ञान का उपयोग करने का आग्रह किया है, ताकि कमजोर लोगों को बचाया जा सके।
उन्होंने कहा, "मैं सभी नर्सो, डॉक्टरों, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, मैन्युफैक्च रिंग श्रमिकों, ट्रक ड्राइवरों और कई अन्य लोगों का धन्यवाद करना चाहती हूं, जो जीवन बचाने के लिए काम कर रहे हैं।"
प्रथम महिला के रूप में ट्रंप ने 'बी बेस्ट' पहल शुरू की थी और उसके अनुसार "तीन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित किया गया है : भलाई, ऑनलाइन सुरक्षा और ओपियोड दुरुपयोग।"
उन्होंने कहा, "कुछ ही वर्षो में मैंने बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रहने के बारे में जागरूकता बढ़ाई है। हमने अपने राष्ट्र के दवा महामारी पर अविश्वसनीय प्रगति की है और यह नवजात शिशुओं और परिवारों के जीवन को कैसे प्रभावित करता है और हमने पालक देखभाल प्रणाली में हमारे सबसे कमजोर बच्चों की आवाज को बुलंद किया है।"
उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'बी बेस्ट' एक ऐसे मंच के रूप में विकसित हुआ है, जो विश्व नेताओं को बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें समाधान साझा करने की अनुमति देता है। यह विदेशों में अमेरिकी लोगों का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान रहा है।"
अंत में ट्रंप ने लोगों से पूछा कि "हमें उस चीज पर ध्यान केंद्रित करना है जो हमें एकजुट करता है, जो हमें विभाजित करता है, उससे ऊपर उठने की जरूरत है। हमेशा नफरत पर प्यार, हिंसा पर शांति और खुद से पहले दूसरों का चयन करें।"
उन्होंने आगे कहा, "इस देश के सभी लोगों के लिए आप मेरे दिल में हमेशा के लिए रहेंगे। धन्यवाद। ईश्वर आपको आशीर्वाद दें और ईश्वर संयुक्त राज्य अमेरिका को आशीर्वाद दें।" (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 19 जनवरी | पाकिस्तानी सेना ने के2, जो दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है, के पास एक अमेरिकी पर्वतारोही का शव बरामद किया है। इस क्षेत्र में एक सप्ताह से भी कम समय में एक विदेशी पर्वतारोही की दूसरी मौत है। यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
जियो न्यूज ने पाकिस्तान के अल्पाइन क्लब के हवाले से कहा कि एक हेलीकॉप्टर टीम ने रविवार को शुरू हुए एक खोज और बचाव अभियान के दौरान एलेक्स गोल्डफर्ब-रुम्यंतजेव के शव को देखा।
हंगेरियन एक्सपेडिशन कंपनी मग्यार एक्सपेडिक्स ने एक बयान में कहा था, वह पहाड़ से गिर गया था।
मगियारे एक्सपेडियश के अनुसार, गोल्डफार्ब और हंगेरियन जोल्टन ज्लैंको 8,047 मीटर ऊंची ब्रॉड पीक पर चढ़ने की योजना बना रहे थे, जहां अभी तक सर्दियों में ऑक्सीजन या किसी भी मदद के लिए बिना कोई नहीं चढ़ा है।
उस चढ़ाई के लिए अनुकूल होने के लिए, यह जोड़ी 6,209 मीटर ऊंची पास्टर चोटी को फतह करने के लिए निकली, लेकिन कड़ाके की सर्दियों के कारण सज्लैंको ने पीछे मुड़ने का फैसला किया, जबकि गोल्डफर्ब अकेले ही चलते रहे।
वहीं 16 जनवरी को स्पेनिश पर्वतारोही सर्जियो मिंगोट की काराकोरम पहाड़ों से गिर कर मौत हो गई थी।
के2 चीन-पाकिस्तान सीमा पर उत्तरी पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र और चीन के झिंजियांग के टैक्सक्रागन ताजिक स्वायत्त काउंटी में दफदार टाउनशिप के बीच स्थित है।
यह काराकोरम पर्वत श्रृंखला का उच्चतम बिंदु और पाकिस्तान और शिनजियांग दोनों में उच्चतम बिंदु है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 19 जनवरी | एक नए अध्ययन में पैरेंट्स को शिशु के लिए सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है कि पैरेंट्स सुनिश्चि करें कि उनका बच्चा अपने बचपन के भाव को न नकारे। अध्ययन में बताया गया कि जिन मांओं ने अपने बचपन की भावनाओं को नकार दिया था, उनके दिमाग में एनेक्जाइटी और डरने की प्रतिक्रिया दिखाई दी है।
लैंगोन हेल्थ के अध्ययन के मुख्य लेखक कैसेंड्रा हेंड्रिक्स ने कहा, "ये परिणाम दिखाते हैं कि हमारा दिमाग हमारे जीवन में होने वाली घटनाओं से प्रभावित होने के साथ-साथ उस वक्त या घटना से भी प्रभावित होता है, जब बच्चों में उसकी समझ भी नहीं होती।"
ये अध्ययन 'बायोलॉजिकल साइकाइट्री : कोग्निटिव न्यूरोसाइंस एंड न्यूरोइमेजिंग' जर्नल में छपा है, जो कि 48 मां-शिशु के जोड़े पर हुआ है। इस अध्ययन के शोध की शुरुआत गर्भावस्था के पहले तीन महीने से हुई।
मांओं को बचपन की घटनाओं की एक प्रश्नावली दी गई। मांओं ने वर्तमान, प्रसव से पहले के तनाव के स्तर और एंनेग्जाइटी और डिप्रेशन का भी विश्लेषण किया।
जन्म के एक महीने बाद, शिशु के दिमाग को स्कैन किया गया। इसमें एक नॉन-इनवैसिव प्रौद्यगिकी का इस्तेमाल किया गया, जोकि उस वक्त किया जाता है, जब शिशु स्वाभाविक तौर पर सोता है।
शोधकर्ताओं ने दिमाग और अमिगडाला के बीच जुड़ाव और दिमाग के दो अन्य क्षेत्रों प्रीफ्रॉन्टल कोरटेक्स और एंटिरिअर सिंगुलेट कोरटेक्स, पर फोकस किया, जोकि डर वाले भावनाओं की केंद्रीय प्रक्रिया होती है।
ये दोनों क्षेत्र भावनाओं को नियमित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। जिन शिशुओं की मां ने बचपन की भावनाओं को नकार दिया था, उनके अमिगडाला और कोर्टिकल क्षेत्र के बीच मजूबत कार्यात्मक संबंध देखा गया।
मां के वर्तमान स्ट्रेस स्तर को नियंत्रित करने के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि एक मां ने अपने बचपन के दौरान अपनी भावनाओं को नकारा था, उनके शिशु का अमिगडाला फ्रोंटल कोर्टिकल से मजबूती से जुड़ा था। (आईएएनएस)
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रविवार को कुछ अलगाववादी समूहों ने रैलियां निकालीं. ये रैलियां सिंधी राष्ट्रवादी नेता जीएम सईद के 117वें जन्मदिवस समारोह के दौरान निकाली गईं.
इन रैलियों की अगुआई कुछ राष्ट्रवादी संगठन कर रहे थे. रैलियां सन बाईपास से शुरू हुई थीं और जामशुरू ज़िले में मौजूद जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुईं.
इन रैलियों में कुछ भी नया नहीं था. हर साल सिंधी राष्ट्रवादी और अलगाव समूह जीएम सईद की जयंती बड़े धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन इस साल इन रैलियों में कुछ चौंकाने वाले दृश्य दिखे.
इस बार 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' नाम के संगठन के लोग दुनिया के अलग-अलग नेताओं के पोस्टर और बैनर लेकर चल रहे थे उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तस्वीरें थीं. कुछ लोग तख़्तियां लिए हुए थे, जिनमें लिखा था 'सिंध को पाकिस्तान से आज़ादी चाहिए.'
ये रैलियां बहुत बड़ी नहीं थीं. स्थानीय मीडिया में इसे ज़्यादा कवरेज भी नहीं मिली लेकन इनमें शामिल नरेंद्र मोदी की तस्वीरें तुरंत पूरे भारत में छा गईं.
रैलियों में शामिल लोग स्वायत्त 'सिंधुदेश' और अलगाववादी नेता जीएम सईद के समर्थन में नारे लगा रहे थे. रैली जीएम सईद के मक़बरे पर जाकर ख़त्म हुई. उनके अनुयायियों ने वहां गुलाब की पखुंड़ियां बिखेरकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कौन हैं जीएम सईद?
जाने-माने सिंधी नेता जीएम सईद पाकिस्तान की स्थापना करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. उन्होंने बंटवारे से पहले सिंध की असेंबली में पाकिस्तान की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था.
पाकिस्तान की संसद की ओर से 1973 में देश के संविधान को मंज़ूरी मिलने के बाद जीएम सईद ने ख़ुद को संसदीय राजनीति से अलग कर लिया था. उनका मानना था कि इस संविधान के ज़रिये कभी भी सिंध के अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे.
उसी साल छात्रों की एक रैली में जीएम सईद ने एक आज़ाद 'सिंधुदेश' की अवधारणा पेश की. इसी दौरान उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़-ए-अवाल' की स्थापना की. बाद में कुछ और अलगवादी संगठन इस बैनर के तले इकट्ठा हो गए और नए संगठन का नाम रखा गया- 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़'.
जीएम सईद एक सिंधी लेखक, राजनीतिज्ञ और आंदोलनकारी थे. उनका विश्वास अहिंसक संघर्ष में था. उन्होंने सिंधुदेश आंदोलन की नींव रखी और फिर जीवन भर वह सिंध के लोगों की पहचान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे. उन्हें सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक माना जाता है.
सईद की नज़र में पाकिस्तान की हुकूमतों का रवैया 'सिंध विरोधी' था. लिहाज़ा उन्होंने इसका विरोध शुरू किया और इस वजह से उन्हें अपनी ज़िंदगी के लगभग 35 साल नज़रबंदी में बिताने पड़े. 1995 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हे 'प्रिज़नर ऑफ कॉन्शस' का दर्जा दिया. उसी साल नज़रबंदी के दौरान कराची में उनकी मौत हो गई.
अहिंसक आंदोलन से चरमपंथ तक
साल 2000 में 'जिए सिंध मुत्ताहिदा महाज़' का शफ़ी मोहम्मद बारफ़त के नेतृत्व में पुनर्गठन हुआ. संगठन का वैचारिक आधार वही था, जिसे जीएम सईद ने स्थापित किया था. लेकिन बारफ़त के आने से संगठन में चरमपंथी तत्व जुड़ गए. उन्होंने 'जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज़' के चरमपंथी धड़े को खड़ा किया. इस संगठन का नाम था- 'सिंध लिबरेशन आर्मी'.
इसके बाद रेल पटरियों पर बम धमाके होने शुरू हुए. सिंध के अंदरूनी इलाक़ों में हाई पावर ट्रांसमिशन लाइनों पर हमले किए गए. ठीक इसी समय बलोच अलगाववादी आंदोलन भी ज़ोर पकड़ रहे थे. लेकिन 2003 से पाकिस्तानी सुरक्षा एंजेंसियों ने सिंध में हो रहे विद्रोह को दबाना शुरू किया. कई अलगाववादी नेता लापता हो गए.
बारफ़त समेत कुछ दूसरे नेताओं को पश्चिमी देशों में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी. बाद में जिये सिंध आंदोलन से जुड़े कई अलगाववादी गुटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जिन संगठनों पर बैन लगाया वो राजनीतिक मुहिम नहीं चला सकते थे और न ही पैसा इकट्ठा कर सकते थे. उन पर पाकिस्तान में कहीं भी एक जगह इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
पाकिस्तान को बारफ़त की चरमपंथ हमलों से जुड़े कई मामलों में तलाश है. फ़िलहाल वह फ़रार हैं. ज़्यादातर सिंधी अलगावादी समूह खुलकर सक्रिय नहीं हैं. लेकिन हर साल जी.एम. सईद की जयंती पर वे अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं.
इस साल जिस तरह की रैलियां हुईं वैसी ही रैलियां हर साल होती हैं. हालांकि इस साल रैलियों में जो बैनर दिख रहे थे उसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें दिख रही थीं. एक बैनर पर लिखा था, "श्रीमान मोदी जी, सिंध पाकिस्तान से आज़ादी चाहता है." यह बैनर सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया गया.
जीएम सईद की जयंती पर जो रैलियां निकाली गईं, उनमें एक की अगुआई नवगठित 'जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट' कर रहा था.
ह्यूस्टन में रहने वाले सिंधी ज़फ़र सहितो इस संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि वह पाकिस्तान से सिंध की आज़ादी के लिए हर संभव तरीक़ा अपनाएंगे.
उन्होंने कह, "चाहे वह राजनीतिक आंदोलन हो या सोशल मीडिया के ज़रिये आंदोलन का रास्ता हो. चाहे हमें इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की ज़रूरत पड़े. हम हर उस चीज़ की मदद लेंगे जो सिंध फ्रीडम मूवमेंट को उसका मक़सद हासिल करने में मददगार साबित होगी."
सहितो 2004 से ही विदेश में रह रहे हैं. वह आख़िरी बार 2015 में पाकिस्तान आए थे. जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान में जिये सिंध फ्रीडम मूवमेंट के लोग आंदोलन करते क्यों नहीं दिखते तो उन्होंने कहा कि संगठन ने अभी यहां किसी को अपना प्रतिनिधि नहीं बनाया है. कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की चिंता की वजह से संगठन ने ऐसा नहीं किया है.
हालांकि सहितो ने रैलियों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के सवालों पर दूरी बनाए रखी. उन्होंने कहा कि वह दूसरे समूहों की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वैसे उनका मानना है कि इस तरह के विवाद इस मुक़ाम पर आंदोलन के मक़सद को नुक़सान पहुंचाएंगे.
विश्लेषकों का मानना है कि अलगावादी संगठन अभी तक सिंध में अपनी पहचान बनाने में नाकाम रहे हैं. ये संगठन साल के ज़्यादातर समय निष्क्रिय रहते हैं और सिर्फ़ मीडिया के ज़रिये एक बार जीएम सईद की जयंती पर दिखते हैं.
ऐसा नहीं है कि ये संगठन सिर्फ़ दमन के डर से बाहर नहीं निकलते बल्कि हक़ीक़त यह कि इनके पास सिंध में ज़्यादा लोगों का समर्थन नहीं है. (bbc.com)
सना, 19 जनवरी (आईएएनएस)| यमन के होदिदाह शहर में यमनी सेना और हाउती मिलिशिया के बीच झड़प में कम से कम 23 लड़ाकों की मौत हो गई। स्थानीय सरकारी सैन्य सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्र ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, बंदरगाह शहर के दक्षिणी हिस्से के अल-दुरहिमी जिले के मुक्त क्षेत्रों में सेना के ठिकानों पर घुसपैठ के प्रयास के बाद झड़प हुई, लेकिन सेना ने करीब 21 विद्रोहियों को मार गिराया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
उन्होंने कहा कि लड़ाई में दो सैनिक मारे गए।
बंदरगाह शहर का एक हिस्सा हाउतियों के नियंत्रण में है, जबकि सरकारी बल ने दक्षिणी और पूर्वी बाहरी इलाके में बढ़त बनाई है।
जिनेवा, 19 जनवरी | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि दुनिया असमान कोविड-19 वैक्सीन नीतियों के कारण 'भयावह नैतिक पतन' का सामना कर रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ट्रेडोस अदानोम घेब्रियेसस ने कहा कि यह उचित नहीं है कि अमीर देशों में युवा, स्वस्थ लोग गरीब राज्यों में कमजोर लोगों से पहले वैक्सीन लगवाएं।
उन्होंने कहा कि 49 अमीर राज्यों में 3.9 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराक दी गई, लेकिन एक गरीब राष्ट्र को सिर्फ 25 खुराक मिली।
इस बीच, डब्ल्यूएचओ और चीन दोनों की कोविड प्रतिक्रिया के लिए आलोचना की गई।
डब्ल्यूएचओ द्वारा गठित एक स्वतंत्र पैनल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय को पहले अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करनी चाहिए थी, साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को जल्द लागू नहीं करने के लिए चीन को भी फटकार लगाई थी।
अब तक चीन, भारत, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका सभी ने कोविड के टीके विकसित किए हैं, जबकि अन्य को बहुराष्ट्रीय टीमों द्वारा बनाया जा रहा है, जैसे अमेरिकी-जर्मन फाइजर वैक्सीन।
इनमें से लगभग सभी देशों ने अपनी-अपनी आबादी के लिए वितरण को प्राथमिकता दी है।
डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड सत्र में सोमवार को ट्रेडोस ने कहा, "मुझे कुंठित होने की जरूरत है, दुनिया एक भयावह नैतिक पतन के कगार पर है और इस पतन की कीमत दुनिया के सबसे गरीब देशों में जीवन और आजीविका के साथ चुकानी होगी।"
ट्रेडोस ने कहा कि पहले हम ²ष्टिकोण आत्म-पतन की तरह है, क्योंकि यह कीमतों को बढ़ाएगा और जमाखोरी को प्रोत्साहित करेगा।
उन्होंने आगे कहा, "अंतत: ये कार्य सिर्फ महामारी को लम्बा बनाएंगे।"
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने वैश्विक वैक्सीन-साझाकरण योजना कोवैक्स के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता का आह्वान किया, जो अगले महीने शुरू होने वाली है।
ट्रेडोस ने कहा, "मेरी चुनौती सभी सदस्य राज्यों के लिए यह है कि 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस आने तक, हर देश में कोविड-19 टीके प्रशासित किए जा रहे हो, जो महामारी और असमानता दोनों को खत्म करने के लिए आशा के प्रतीक के रूप में हैं।"
अब तक, 180 से अधिक देशों ने कोवैक्स लेने पर हस्ताक्षर किए हैं, जो डब्ल्यूएचओ और अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन एडवोकेसी के समूह द्वारा समर्थित है। इसका उद्देश्य देशों को एक ब्लॉक में एकजुट करना है, ताकि उनके पास दवा कंपनियों के साथ बातचीत करने की अधिक शक्ति हो। (आईएएनएस)
कैनबरा, 19 जनवरी (आईएएनएस)| ऑस्ट्रेलियाई सरकार के एक शीर्ष सलाहकार ने कहा है कि नॉर्वे में फाइजर वैक्सीन लगाने के बाद 29 बुजुगों की मौत के बावजूद देश में संभवत: कोरोना की रोकथाम के लिए फाइजर वैक्सीन ही लगाई जाएगी। टीकाकरण पर ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह (एटीएजीआई) के सह-अध्यक्ष एलन चेंग ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि अधिकारियों को उम्मीद है कि हर 100,000 ऑस्ट्रेलियाई लोगों में से लगभग एक को टीके से एलर्जी की प्रतिक्रिया होगी, लेकिन इससे सबसे कमजोर लोगों की रक्षा भी होगी।
उन्होंने सोमवार को नाइन एंटरटेनमेंट अखबार को बताया, "इसका मतलब है कि हमें उसके लिए तैयारी करने की आवश्यकता होगी।"
उन्होंने कहा, "ऐसे कई लोग होंगे जो टीकाकरण के बावजूद संक्रमित होंगे, लेकिन विचार यह है कि यह कोरोना के जोखिम को कम करता है। यह पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकता है, लेकिन यह इसे कम कर देगा।"
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा है कि कोविड-19 के टीकों को लेकर राष्ट्रवाद की भावना के कारण दुनिया "त्रासदी के कगार" पर है और यह हमारी नैतिक असफलता है. उन्होंने टीकों के समान रूप से वितरण पर जोर दिया है.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने वैक्सीन निर्माताओं और देशों को विश्वभर में वैक्सीन को निष्पक्ष रूप से वितरण करने का आग्रह किया है. गेब्रयेसुस ने कहा है कि टीके के न्यायसंगत वितरण की संभावनाओं पर गंभीर जोखिम है. डब्ल्यूएचओ वैक्सीन वितरण के लिए बनाए गए कार्यक्रम कोवैक्स अगले महीने से शुरू करने वाला है. उन्होंने कहा कि 44 द्विपक्षीय सौदे पिछले साल हो गए थे और इस साल अभी तक 12 करार हो चुके हैं. गेब्रयेसुस ने कहा, "इससे कोवैक्स कार्यक्रम के तहत टीके पहुंचाने में देरी हो सकती है और वही तस्वीर सामने आ सकती है जिससे बचने के लिए कौवैक्स कार्यक्रम को बनाया गया. कोवैक्स कार्यक्रम को जमाखोरी और आर्थिक और सामाजिक बाधाएं दूर कर करने के लिए बनाया गया है." जिनेवा में डब्ल्यूएचओ की कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने कहा कि "पहले मैं" की सोच दुनिया के सबसे गरीब और कमजोर लोगों को जोखिम में डाल देगी. उन्होंने कहा, "इस तरह की कार्रवाई महामारी को और लंबा ले जाएगी." गेब्रयेसुस ने असमानता का उदाहरण देते हुए बताया कि 49 अमीर देशों में लोगों को कोरोना वैक्सीन की 3.9 करोड़ खुराकें दी गईं वहीं एक गरीब देश में लोगों को महज टीके की 25 खुराक ही मिली.
टीका वितरण में भी असमानता
गेब्रयेसुस ने टीकों को लेकर भेदभाव पर किसी देश का नाम नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे विश्व के लोगों को टीके की जरूरत है लेकिन पूरी दुनिया में इस मामले में असमानता की दीवार खड़ी हो गई है. इस बैठक में अफ्रीकी देश बुरकिना फासो के प्रतिनिधि ने कुछ देशों के कोविड-19 की वैक्सीन की ज्यादा खुराकें जमा करने पर चिंता जाहिर किया. डब्ल्यूएचओ कोरोना की वैक्सीन को पूरी दुनिया में समान रूप से पहुंचाने की कोशिश में है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गरीब और अमीर देशों के बीच असमानता की दीवार है और यह टीकों के वितरण में बड़ी रुकावट साबित हो सकती है. साथ ही डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अमीर देश अपने बुजुर्गों और स्वास्थ्यकर्मियों को पहले टीका दे रहे हैं लेकिन यह बिल्कुल ठीक नहीं है कि अमीर देशों के युवाओं और स्वस्थ वयस्कों को टीका पहले मिले और गरीब देशों के स्वास्थ्य कर्मचारियों और जोखिम वाले बुजुर्गों को टीका नहीं मिले.
एए/सीके (एएफपी)
सैन फ्रांसिस्को, 19 जनवरी | अमेरिका में तनावपूर्ण राजनीतिक स्थिति के बीच, एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम ने हिंसा के लिए सैकड़ों पबिल्क कॉल्स को ब्लॉक कर दिया है, जो ऐसा न करने पर देश में हजारों यूजर्स तक पहुंच सकते थे। टेलीग्राम के संस्थापक पावेल ड्यूरोव ने कहा कि कंपनी शांतिपूर्ण बहस और विरोध का स्वागत करती है, लेकिन "हमारी सेवा की शर्तें स्पष्ट रूप से हिंसा के लिए पबिल्क कॉल्स डिस्ट्रिब्यूट करने से रोकती हैं।"
सोमवार की देर रात एक बयान में उन्होंने कहा, "दुनिया भर में सिविल मूवमेंट ने मानव अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए टेलीग्राम पर भरोसा किया है, ताकि कोई नुकसान न पहुंचे।"
पिछले दो हफ्तों से, दुनिया चिंता के साथ अमेरिका की घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 19 जनवरी | पाकिस्तान के ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (डीआरएपी) ने चीन के साइनोफर्म द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, डीआरएपी ने सोमवार की देर शाम कहा कि प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित दो टीकों में से एक, साइनोफर्म को आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी गई है।
बयान में कहा गया कि सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता के संबंध में आगे के आंकड़ों को देख कर हर तिमाही में इसकी समीक्षा की जाएगी।
इस बीच, ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित एक और टीके को पाकिस्तान में मंजूरी दी गई है।
पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने सिन्हुआ न्यूज एजेंसी को बताया कि साइनोफर्म वैक्सीन को इसकी सुरक्षा और सामथ्र्य के लिए एक कैबिनेट समिति द्वारा खरीद के लिए मंजूरी दे दी गई है।
पाकिस्तान में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 1,920 नए संक्रमण और 46 मौतें हुई है, जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 10,997 और कुल मामलों की संख्या 521,211 हो गई। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सात देशों ने बकाया राशि का भुगतान नहीं करके मतदान करने का अधिकार खो दिया है. इन देशों में ईरान का नाम भी शामिल है. इस बात की जानकारी सोमवार को महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दी है. गुटेरेस ने महासभा के अध्यक्ष और तुर्की के वोलकन बोजकिर को लिखे खत में कहा है, इन देशों में ईरान के अलावा नाइजर, लीबया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो ब्राजाविले, दक्षिण सूडान और जिम्बाब्वे का नाम शामिल है.
खत में ये भी कहा गया है कि जिस बकाया राशि का भुगतान करना है, उसमें कमी करने के लिए ये देश अभी कितना भुगतान कर सकते हैं, इस बारे में बताया गया है. ताकि इन्हें मतदान करने का अधिकार वापस मिल सके. अकेले ईरान को ही 16.2 मिलियन डॉलर (1.62 करोड़ डॉलर) का भुगतान करना है.
संयुक्त राष्ट्र का सालाना बजट 3.2 बिलियन डॉलर का है. इसके अलावा शांति कायम रखने संबंधिक ऑपरेशंस के लिए बजट अलग है और कुल बजट 6.5 बिलियन डॉलर बनता है. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, उन देशों के मतदान के अधिकार को निलंबित कर दिया जाता है, जिनका बकाया, योगदान वाली राशि का आधा या उससे अधिक हो जाता है. (tv9hindi.com)
-विनीत खरे
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की राजधानी इन दिनों युद्ध क्षेत्र जैसी लगती है. नए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटों पहले अमेरिका में एक अभूतपूर्व स्थिति बनी हुई है.
ना सिर्फ़ वॉशिंगटन, बल्कि सभी 50 राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
कई लोगों को डोनाल्ड ट्रंप समर्थक समर्थकों की ओर से की गई कैपिटल हिल हिंसा को दोहराए जाने का डर सता रहा है.
कैपिटल की ओर जाने वाले सड़कों पर हज़ारों की तादाद में सुरक्षाकर्मी गश्त लगा रहे हैं. शहरों में जगह-जगह रोड ब्लॉक लगाए गए हैं. चेहरों को ढँके हथियारबंद सुरक्षाकर्मी गाड़ियों की जाँच कर रहे हैं और ट्रैफ़िक को रास्ता भी दिखा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो नेशनल गार्ड्स के 25 हज़ार जवानों की शहर में तैनाती की गई है.
इस बीच कई सुरक्षाकर्मियों की जाँच भी हो रही है, जिन पर शक है कि उन्होंने 6 जनवरी को हुए कैपिटल हिल हिंसा में उपद्रवियों का साथ दिया था.
मीडिया रिपोर्ट्स में हथियारबंद हमले की आशंका भी जताई जा रही है.
पुलिस की गाड़ी सड़कों पर गश्त लगा रही है और हेलिकॉप्टर से गतिविधियों पर पर नज़र रखी जा रही है.
कई मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं और बड़े क्षेत्र में गाड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कैपिटल कॉम्प्लेक्स को जनता के लिए बंद कर दिया गया है और 20 जनवरी को जनता कैपिटल ग्राउंड नहीं जा सकेगी.
कैपिटल पुलिस ने अपने बयान में कहा है, "कोई भी अगर ग़ैरक़ानूनी रूप से कैपिटल ग्राउंड पर लगे फ़ेंस (एक तरह का बैरिकेड) को पार करके या किसी अन्य ग़ैरकानूनी तरीक़े से घुसने की कोशिश करता है, तो उस पर बल प्रयोग होगा और गिरफ्तारी भी होगी."
वॉशिंगटन को दूसरे शहरों से जोड़ने वाले ब्रिजों को और पास में स्थित वर्जिनिया को भी बंद रखा जाएगा.
क्रिस अकोस्टा नाम के एक स्थानीय निवासी कहते हैं, "ऐसा लग रहा है जैसे एक फ़िल्म चल रही है. सभी लोग नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तैयारियों में लगे हैं और सड़कें पूरी तरह वीरान हैं."
जरमैन ब्रायंट कहते हैं, "मुझे लगता है ये पहला वर्चुअल शपथ ग्रहण समारोह होगा. आमतौर पर जब भी शपथ ग्रहण होता रहा है, तो वॉशिंगटन का माहौल ख़ुशनुमा रहा है लेकिन अभी तो लगता है जैसे ये एक भूतिया शहर हो."
ब्रायंट की बात कई मायनों में सही है. आमतौर पर शपथ ग्रहण समारोह पर समर्थक और विरोधी एकता का प्रदर्शन करते हुए एक साथ आते हैं और माहौल उत्सव जैसा होता है.
इससे पहले कभी भी ऐसे वक्त में राजधानी का दिल माना जाने वाला कैपिटल हिल का क्षेत्र इतना वीरान नहीं रहा. इसका मतलब साफ़ है कि हर बार की तरह इस आयोजन में समर्थकों की वो भीड़ नहीं नज़र आएगी, जो हर बार दिखती रही है.
जानकारों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि वॉशिंगटन में भारी सुरक्षा बल की तैनाती तो कर दी गई है, लेकिन बाक़ी 50 राज्यों की सुरक्षा का क्या होगा?
एक भी हमला देशभर में बैठे ट्रंप समर्थकों के लिए उकसावे की तरह होगा.
बीते दो सप्ताह में क्या-क्या हुआ
बीते दो सप्ताह में अमेरिका की राजनीति तेज़ी के साथ बदली है. मैं 6 जनवरी को वॉशिंगटन के उसी इलाक़े में था, जब ट्रंप समर्थक आक्रामक हो गए थे.
इसके बाद, उनमें से सैकड़ों ने कैपिटल हिल की सुरक्षा को तोड़ते हुए अंदर दाखिल होकर हिंसा की, जिसकी तस्वीरें अमेरिकी मीडिया ने ख़ूब दिखाईं और जिसे देखकर रिपब्लिकन भी इसके विरोध में खड़े हुए.
दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रंप का चुनाव नतीजों को मानने से इनकार करना और इसमें बिना सबूत धोखाधड़ी का आरोप लगाना 6 जनवरी को हुई हिंसा का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है.
इस घटना के एक दिन बाद भी मैंने देखा कि कैसे एक व्यक्ति बैरिकेड को लांघने की कोशिश कर रहा था. अब हालात ये हैं कि वॉशिंगटन के कई रास्तों पर बाड़े लगा दिए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट की भी घेराबंदी कर दी गई है.
वॉशिंगटन की मेयर मुरिल बौज़र, मैरीलैंड के गवर्नर लैरी होगन और वर्जीनिया के गवर्नर राल्फ नॉर्थम ने मिलकर एक साझा बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है- बीते दिनों हुई हिंसा और कोविड-19 महामारी को देखते हुए. हम अमेरिकावासियों से अपील करते हैं कि वे शपथ ग्रहण समारोह के लिए वॉशिंगटन ना आएँ, बल्कि इस समरोह में वर्चुअली ही शामिल हों.''
वर्जीनिया और मैरीलैंड राज्यों की सीमा वॉशिंगटन से जुड़ी हुई है.
कोरोना वायरस का ख़तरा भी बड़ा होता जा रहा है, अमेरिका में लगभग 400,000 लोगों की वायरस के कारण मौत हो गई है.
रोग नियंत्रण निदेशक के मुताबिक़ फरवरी के मध्य तक यह संख्या 5 लाख के आँकड़े को पार कर जाएगी.
घरेलू आतंकवादी?
कैपिटल हिल की हिंसा ने घरेलू आंतकवादियों को लेकर जारी बहस को और बढ़ा दिया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दक्षिणपंथी उग्रवाद और श्वेत वर्चस्ववादियों के ख़तरों पर कार्रवाई करने में पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों की रफ़्तार धीमी है.
डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट कहती है- श्वेत वर्चस्ववादी चरमपंथी देश के सामने लगातार सबसे बड़ा ख़तरा बने रहेंगे.
नव निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने कैपिटल हिल हमले के बाद कहा था, ''उन्हें प्रदर्शनकारी ना कहें, वो एक दंगाई भीड़ थी, देशद्रोही और घरेलू आतंकवादी, "हालाँकि दोनों पार्टियों वाली कांग्रेस रिसर्च के मुताबिक़ ''एफ़बीआई औपचारिक तौर पर किसी भी संस्था को 'घरेलू आतंकवादी' नहीं मानती.''
कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद कांग्रेस इससे जुड़े क़ानून और नीतियों में बदलाव के बारे में विचार कर सकती है और इस तरह के घरेलू आतंकवाद को एक संघीय अपराध की श्रेणी में ला सकती है. (bbc.com)
जो बाइडन जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे. इसे अमेरिका में इनॉगरेशन डे भी कहते हैं. इसके बाद ही वो आधिकारिक रूप से व्हाइट हाउस में अपना कामकाज संभालेंगे.
एक राजनीतिक समारोह में 20 जनवरी को जो बाइडन और उप राष्ट्रपति के तौर पर चुनी गईं कमला हैरिस अपने पद की शपथ लेंगी.
कोविड-19 की वजह से समारोह में कुछ बदलाव किए हैं. मेहमानों की सूची छोटी की गई है और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए काफ़ी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. शपथ ग्रहण समारोह के बारे में आइए जानते हैं सब कुछ.
इनॉगरेशन क्या है?
इनॉगरेशन एक औपचारिक समारोह है. इसके पूरा होते ही राष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत हो जाती है. यह समारोह वॉशिंगटन डीसी में होता है. समारोह के एकमात्र ज़रूरी हिस्से के तौर पर राष्ट्रपति अपने पद की शपथ लेते हैं.
इस पद की शपथ लेते हुए वह कहते हैं, "मैं पूरी निष्ठा से यह शपथ लेता हूँ कि अपनी पूरी ईमानदारी से अमेरिका के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभाऊंगा. मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ अमेरिका के संविधान का संरक्षण, सुरक्षा और बचाव करूँगा."
इन शब्दों को पूरा करते ही जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन जाएँगे. साथ ही इनॉगरेशन भी पूरा हो जाएगा.
कमला हैरिस भी शपथ लेते ही उप राष्ट्रपति बन जाएँगीं. अमूमन नव निर्वाचित उप राष्ट्रपति को नव निर्वाचित राष्ट्रपति से पहले शपथ दिलाई जाती है.
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बाइडन का इनॉगरेशन कब होगा?
अमेरिकी संविधान के हिसाब से इनॉगरेशन का दिन 20 जनवरी को तय है.
शुरुआती भाषण का समय अमूमन सुबह 11.30 (अमेरिकी समय के हिसाब से) होता है. इसलिए जो बाइडन और कमला हैरिस का शपथ ग्रहण दोपहर बारह बजे के आसपास होगा.
उसी दिन बाद में जो बाइडन व्हाइट हाउस में जाएँगे. अगले चार साल के लिए यही उनका आवास होगा.
शपथ ग्रहण समारोह में सुरक्षा बंदोबस्त कैसा होगा?
राष्ट्रपति पद के लिए इनॉगरेशन कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. 6 जनवरी के उपद्रवियों के कैपिटल हिल में घुस जाने की घटना को देखते हुए तो और ज़्यादा पुख़्ता इंतजाम होंगे. इस दौरान वहाँ नेशनल गार्ड के 10 हजार सैनिक तैनात रहेंगे.
ज़रूरत पड़ी तो अतिरिक्त 5 हज़ार सैनिक उपलब्ध कराए जा सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप के इनॉगरेशन में आठ हज़ार सैनिक तैनात थे.
जब बाइडन शपथ लेंगे, तब वाशिंगटन डीसी में इमरजेंसी लगी होगी. हाल में हुए उपद्रव और अराजकता को देखते हुए मेयर म्यूरियल बोअर ने वहाँ इमरजेंसी लगाने के आदेश दिए हैं.
जो बाइडन ने रिपोर्टरों से कहा है कि वह अपनी हिफ़ाज़त या इनॉगरेशन को लेकर चिंतिंत नहीं हैं. लेकिन बाइडन के इनॉगरेशन कमेटी की सदस्य सीनेटर एमी क्लोबाशर ने कहा कि उन्हें लगता है कि सुरक्षा को लेकर बड़े बदलाव हो सकते हैं. 6 जनवरी को जब उपद्रवी कैपिटल हिल में घुस आए थे, उस वक़्त वे वहीं थीं.
क्या ट्रंप शपथ ग्रहण समारोह में आएँगे?
पद छोड़ने वाले राष्ट्रपति के लिए अगले नेतृत्व को शपथ लेते देखना अब रिवाज बन चुका है. हालाँकि ऐसे पूर्व राष्ट्रपतियों के लिए यह थोड़ा असहज होता होगा, लेकिन इस बार कुछ दूसरे तरह की असहजता होगी, क्योंकि पद छोड़ने वाले राष्ट्रपति ट्रंप इसमें नहीं होंगे.
ट्रंप ने पिछले दिनों ट्वीट करके कहा था, ''जो लोग यह पूछ रहे हैं, उन्हें मैं बता दूँ कि 20 तारीख़ को इनॉगरेशन में मैं नहीं आऊँगा."
ट्रंप ने इसके पहले कहा था कि वह नए प्रशासन को व्यवस्थित तरीक़े से सत्ता का हस्तांतरण कर देंगे. ऐसा करके उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह माना वह बाइडन से रेस हार गए हैं.
ट्रंप के समर्थक उनसे एक क़दम आगे बढ़े हुए दिख रहे हैं. वे ट्रंप के लिए वर्चुअल 'सेकेंड इनॉगरेशन' की योजना बना रहे हैं. जिस दिन और जिस वक़्त बाइडन शपथ लेंगे, ठीक उसी वक़्त ट्रंप के समर्थक ट्रंप के लिए भी वर्चुअल शपथ कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. लगभग 68 हज़ार लोगों ने फ़ेसबुक पर कहा है कि वे ट्रंप के समर्थन में इस ऑनलाइन इवेंट में शिरकत करेंगे.
जब ट्रंप ने शपथ ली थी, तो हिलेरी क्लिंटन अपने पति और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ इनॉगरेशन के साथ मौजूद थीं. राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार और ट्रंप के साथ एक तीखे चुनावी अभियान के महज दो महीने के बाद वह इस समारोह में मौजूद थीं.
अमेरिका के इतिहास में अब तक सिर्फ़ तीन राष्ट्रपतियों जॉन एडम्स, जॉन क्विंसी और एंड्रयू जॉनसन ने अपने उत्तराधिकारी के इनॉगरेशन से ख़ुद को दूर रखा है. पिछले एक सौ साल में तो किसी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया है.
अगर सामान्य हालात होते, तो शायद वॉशिंगटन में लाखों लोग इनॉगरेशन का जश्न मनाने उमड़ आते. शहर भर जाता . होटलों में जगह नहीं होती. जब 2009 में ओबामा पहली बार राष्ट्रपति बने थे, तो राजधानी में 20 लाख लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. लेकिन लगता है कि इस बार उत्सव इतना बड़ा नहीं होगा. ख़ुद बाइडन की टीम ने कहा कि समारोह सीमित होंगे.
टीम ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों से राजधानी न आने के लिए कहा है. कैपिटल हिल पर हमले के बाद प्रशासन ने लोगों से कई बार यह अपील दोहराई है.
बाइडन और हैरिस यूएस कैपिटल के सामने ही शपथ लेंगे. (यह परंपरा राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1981 में शुरू की थी) . सामने नेशनल मॉल है. लेकिन शपथ ग्रहण को देखने के लिए परेड रूट से सटा कर बनाए गए स्टैंड हटाए जा रहे हैं.
पहले आधिकारिक समारोह देखने के लिए दो लाख टिकट जारी होते थे. लेकिन इस बार पूरे अमेरिका में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिर्फ़ एक हजार टिकट ही जारी होंगे.
इस साल भी पास-इन रिव्यू समारोह होगा. यह शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का एक पारंपरिक हिस्सा है, जिसमें नए कमांडर इन चीफ सैनिक टुकड़ियों का जायजा लेते हैं. लेकिन आयोजकों का कहना है कि अब पेन्सिलवेनिया एवेन्यू से व्हाइट हाउस तक सामान्य परेड की जगह पूरे अमेरिका में वे वर्चुअल परेड का आयोजन करेंगे.
इसके बाद सेना के सदस्य बाइडन और हैरिस को व्हाइट हाउस में ले जाएँगे. उनके साथ बैंड और ड्रम बजाने वाली टुकड़ी भी होगी.
इनॉगरेशन का टिकट कैसे मिलेगा?
स्टेज के सामने बैठने और खड़े होने और परेड रूट से लगे इलाक़े में बैठने के लिए टिकट लेने की ज़रूरत होती है. लेकिन बाक़ी का नेशनल मॉल आम लोगों के लिए खुला होता है.
अगर आप इनॉगरेशन समारोह को नज़दीक से देखना चाहते हैं, तो आपको पहले अपने स्थानीय प्रतिनिधि से बात करनी होगी.
इनॉगरल बॉल्स और समारोह से जुड़े अन्य कार्यक्रमों के लिए अलग से टिकट लेने की ज़रूरत पड़ती है. सीनेटरों और कांग्रेस के सदस्य इस समारोह की देखरेख में लगे होते हैं. हरेक को कुछ फ़्री टिकट दिए जाते हैं, जो वे लोगों को बाँट सकते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से एक प्रतिनिधि के साथ एक मेहमान आ सकता है.
बाइडन ने अभी यह नहीं बताया है कि उनके शपथ ग्रहण समारोह के बाद उनके साथ स्टेज पर कौन स्टार होगा. हालाँकि यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी कोई बड़ा स्टार परफॉर्म करेगा.
हाल के वर्षों में हर राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में देश के पसंदीदा कलाकारों ने अपना प्रदर्शन किया है. 2009 में आर्था फ्रैंकलिन ने बराक ओबामा के इनॉगरेशन कार्यक्रम में My Country 'Tis of Thee. गाया था. साथ में बेयॉन्से भी थीं, जिन्होंने इनगॉरल बॉल में अपना मशहूर गाना 'एट लास्ट' गाया था.
2013 में बराक ओबामा ने केली क्लार्कसन और जेनिफर हडसन को आमंत्रित किया था. बेयॉन्से इस बार फिर आ रही हैं, लेकिन इस बार वह राष्ट्रीय गान गाएँगीं.
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को कलाकारों को बुलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. एल्टन जॉन ने परफॉर्म करने से मना कर दिया था. ऐसी खबरें थीं कि सेलिन डियोन, किस और गार्थ ब्रुक्स ने भी परफॉर्म करने से इनकार कर दिया था. आखिर में रॉकेट्स, कंट्री आर्टिस्ट ली ग्रीनवुड और बैंड-3 डोर्स इनॉगरेशन में आने के लिए राज़ी हुए थे.
जनवरी में ही इनॉगरेशन क्यों होता है?
ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ़ जनवरी में ही इनॉगरेशन होना है. संविधान में पहले 4 मार्च को नए नेताओं के शपथ लेने के दिन के तौर पर तय किया गया था. नवंबर के चार महीने के बाद शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का फ़ैसला तय किया गया था.
उस वक़्त के हिसाब से यह ठीक था, क्योंकि राजधानी तक चुनाव नतीजे पहुँचने में इतना समय लग जाता था. लेकिन नए राष्ट्रपति के शपथ लेने और पूर्व राष्ट्रपति के बने रहने का चार महीने का यह समय काफ़ी लंबा था. यहाँ इसे Lame duck Period कहा गया.
लेकिन आधुनिक तकनीकों की वजह से वोटों की गिनती तेज़ हो गई. नतीजे जल्दी आने लगे. इसलिए चार महीने की यह अवधि बदल दी गई. इसके लिए 20वाँ संशोधन किया गया, जिसे 1933 में पारित किया गया. इसके मुताबिक़, 20 जनवरी को ही नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण का दिन तय हुआ. (bbc.com)