अंतरराष्ट्रीय
वाशिंगटन, 26 दिसंबर अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन ने उत्तरी इराक में ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों के घायल होने के बाद ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों के खिलाफ जवाबी हमले का आदेश दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि सोमवार को हुए हमले में एक अमेरिकी सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया।
ईरान समर्थित मिलिशिया 'कतैब हिजबुल्ला' और इससे संबद्ध समूहों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
अमेरिकी राष्ट्रपति को सोमवार को हमले की सूचना दी गई, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन को जवाबी कार्रवाई का विकल्प अपनाने का आदेश दिया।
रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा दल ने तुरंत योजना बनाई। इसके बाद बाइडन ने कतैब हिजबुल्ला और इससे संबद्ध समूहों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तीन ठिकानों पर हमले का निर्देश दिया।
अमेरिका ने मंगलवार सुबह करीब पौने पांच बजे इराक स्थित ईरानी मिलिशिया समूहों के ठिकानों पर हमले किए।
वॉटसन ने कहा, "राष्ट्रपति जो. बाइडन के लिए अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा से बढ़कर कोई प्राथमिकता नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, 'यदि ये हमले जारी रहते हैं तो अमेरिका अपने तरीके से कार्रवाई करेगा।"
अमेरिकी सैनिकों पर हाल में हुआ हमला, सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से क्षेत्र में अमेरिकी बलों के खिलाफ बढ़ती धमकियों के बाद हुआ है।
अमेरिका ने इस सबके लिए ईरान को दोषी ठहराया है।
अमेरिका के हजारों सैनिक अभी भी इराक में मौजूद हैं, जो इराकी बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं और आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से लड़ रहे हैं। अमेरिका के सैकड़ों सैनिक सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ रहे हैं। (एपी)
अमेरिका के अलबामा में एक महिला ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है. अलग-अलग दिनों पर पैदा हुई इन बच्चियों का जन्म एक ‘चमत्कार’ है.
अलबामा में रहने वाली 32 साल की केल्सी हैचर ने दो बच्चियों को जन्म दिया है. बीते शुक्रवार हैचर ने बताया कि उन्होंनेजुड़वां बच्चियों को जन्म दिया है जो अलग-अलग दिनों पर जन्मी हैं. ये बच्चियां अलग-अलग गर्भाश्य से पैदा हुई हैं.
हैचर की डिलीवरी को चमत्कार कहा जा रहा है क्योंकि ऐसा पांच करोड़ में एक बार ही होता है. हैचर उन चुनिंदा महिलाओं में से हैं जिनके दो गर्भाश्य थे और दोनों बच्चियों का जन्म अलग-अलग गर्भाश्य से हुआ.
गर्भवती होने के बाद की पूरी यात्रा को इंस्टाग्राम पर शेयर करने वाली हैचर ने एक पोस्ट में बताया, "हमारे चमत्कारिक बच्चे पैदा हो गए हैं.” उन्होंने कहा कि आंकड़ों के नजरिए से दोनों बच्चे अपने आप में दुर्लभ हैं और हमने फैसला किया कि उनके जन्मदिन अलग-अलग होने चाहिए."
पहली बच्ची को रॉक्सी लाएला नाम दिया गया है. उसका जन्म मंगलवार शाम को हुआ जबकि उसकी बहन रेबल लाकेन अगले दिन सुबह जन्मी. दोनों बच्चियां स्वस्थ हैं और जन्म के समय उनका वजन तीन किलो से ज्यादा था.
पता चला तो सांस अटक गई
डॉक्टरों ने अनुमान लगाया था कि हैचर की डिलीवरी क्रिसमस पर होगी. लेकिन 20 घंटे तक चले लेबर के बाद दोनों बहनें क्रिसमस से पहले ही घर पहुंच गईं. हैचर ने वादा किया है कि वह इन बच्चों के बारे में जानकारियां सोशल मीडिया पर साझा करती रहेंगी.
हैचर को 17 साल की उम्र में ही पता था कि उनके दो गर्भाश्य हैं. यह एक दुर्लभ स्थिति है जो 0.3 फीसदी महिलाओं में ही पाई गई है. ऐसे मामलों में हर गर्भाश्य में एक ही ओवरी और एक ही फैलोपियन ट्यूब होती है.
हैचर एक मसाज थेरेपिस्ट हैं. उनके पहले से तीन बच्चे हैं. मई में जब वह आठ हफ्ते के बाद होने वाले अल्ट्रासाउंड के लिए गईं तो उन्हें पता चला कि उनके गर्भ में दो बच्चे हैं और दोनों अलग-अलग गर्भाश्य में हैं.
अलबामा यूनिवर्सिटी के बर्मिंगम अस्पताल की ओर से जारी बयान के मुताबिक केल्सी ने बताया कि जब अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करते हुए टेक्निशियन ने उपकरण को दूसरे गर्भाश्य की ओर घुमाया तो उसकी सांस ही अटक गई. वह बताती हैं, "वहां एक और बच्चा था. हम इस बात का यकीन ही नहीं कर पा रहे थे.”
मेडिकल सरप्राइज
हैचर की डॉक्टर श्वेता पटेल के मुताबिक दोनों गर्भाश्यों में एक साथ बच्चों का होना बेहद दुर्लभ होता है. पटेल ने ही पहले भी हैचर की डिलीवरी कराई थी. वह बताती हैं, "तब एक ही बच्चा था. दोनों गर्भाश्यों में बच्चों का होना एक मेडिकलसरप्राइज था.”
अस्पताल के जच्चा-बच्चा विभाग में डॉक्टर रिचर्ड डेविस कहते हैं कि केल्सी हैचर की प्रेग्नेंसी का अर्थ है कि दोनों बच्चों को एक ही गर्भाश्य में नहीं रहना पड़ा और अगर ऐसा होता तो डिलीवरी समय से पहले होने की संभावना ज्यादा होती. हैचर की डिलवरी 39वें हफ्ते में हुई.
डेविस ने कहा, "केल्सी के बच्चों के मामले में दोनों के पास अपने-अपने गर्भाश्य थे. दोनों के पास अपना प्लेसेंटा और गर्भनाल थी जिससे उन्हें विकास के लिए अतिरिक्त जगह मिली.”
ऐसा मामला 2019 में बांग्लादेश में भी सामने आया था, जब 20 साल की आरिफा सुल्ताना ने दो बच्चों को जन्म दिया था. सुल्ताना के बच्चों में 26 दिनों का अंतर था.
वीके/एए (एएफपी)
इस्लामाबाद, 26 दिसंबर पाकिस्तानी-हिंदू डॉ. सवीरा प्रकाश आगामी आम चुनाव में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर जिले से खड़े होने वाली अल्पसंख्यक समुदाय की पहली महिला उम्मीदवार बनने जा रही हैं।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रकाश ने 23 दिसंबर को पीके-25 की सामान्य सीट के लिए अपना नामांकन पत्र जमा किया।
वह वर्तमान में जिले में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की महिला विंग की महासचिव के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है।
पाकिस्तान में 16वीं नेशनल असेंबली के सदस्यों के चुनाव के लिए अगले साल 8 फरवरी को आम चुनाव होने हैं।
प्रकाश ने 2022 में एबटाबाद इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने डॉन को बताया कि उनकी मेडिकल पृष्ठभूमि के कारण "मानवता की सेवा करना मेरे खून में है।"
उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित विधायक बनने का उनका सपना एक डॉक्टर के रूप में सरकारी अस्पतालों में खराब प्रबंधन और असहायता का अनुभव करने के कारण उत्पन्न हुआ है।
प्रकाश ने दैनिक को बताया कि वह क्षेत्र के गरीबों के लिए काम करने में अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहती हैं।
उनके पिता ओम प्रकाश, हाल ही में सेवानिवृत्त डॉक्टर, 35 वर्षों से पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं।
प्रकाश की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर इमरान नोशाद खान ने एक्स पर लिखा, "डॉ. सवेरा प्रकाश बुनेर से पहली महिला उम्मीदवार हैं, जो एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि महिलाएं पहले इस क्षेत्र में चुनावी राजनीति में शामिल नहीं हुई हैं।"
उन्होंने कहा, "रूढ़िवादिता को तोड़ने में मैं पूरे दिल से उनका समर्थन करता हूं।"
पाकिस्तान का चुनाव आयोग सामान्य सीटों पर महिला उम्मीदवारों का कम से कम 5 प्रतिशत प्रतिनिधित्व अनिवार्य करता है।
--आईएएनएस
बीजिंग, 26 दिसंबर । क्रीमिया के फियोदोसिया क्षेत्र पर हमला किया गया है। इसके परिणामस्वरूप बंदरगाह क्षेत्र की नाकाबंदी कर दी गई है।
विस्फोट रुक गए हैं, आग नियंत्रण में है और सभी विशेषज्ञ टीमें मौके पर मौजूद हैं। शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कई इमारतों के निवासियों को निकाला जा रहा है। (आईएएनएस)।
ग़ज़ा में इसराइल की बमबारी में कोई कमी नहीं आ रही है. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने ग़ज़ा के अस्पतालों का दौरा करने के बाद ये बात बीबीसी से कही.
ग़ज़ा के अस्पतालों की हालत बहुत बुरी है और वे ज़रूरी दवाओं, सामान की आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की ह्यूमेनिटेरियन एजेंसी ओसीएचए की जेम्मा कॉनेल ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने सोमवार को सेंट्रल ग़ज़ा के अल-अक्सा अस्पताल में जो देखा वह "पूरी तरह एक नरसंहार" है.
उन्होंने कहा कि कई लोग जो गंभीर रूप से घायल हैं उनका इलाज नहीं किया जा रहा है क्योंकि अस्पताल अपनी क्षमता से कई अधिक मरीज़ों को देख रहे है.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने हाल ही में कहा था कि हम ये लड़ाई और तेज करेंगे और हमास के खात्मे तक ये जारी रहेगा.
उनका ये बयान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के उस बयान के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि इसराइल को हमले की तीव्रता को कम करनी चाहिए.
एक अलग घटनाक्रम में पेंटागन का कहना है कि इरबिल हवाई अड्डे पर हमले के जवाब में अमेरिकी सेना ने इराक में "ईरान समर्थित मिलिशिया" के ख़िलाफ़ हवाई हमले किए. जिसमें तीन अमेरिकी सैनिक घायल हो गए, एक की हालत गंभीर है.
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिकी सेना ने हिज़बुल्लाह के तीन ठिकानों को निशाना बनाया था. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 26 दिसंबर। अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन ने उत्तरी इराक में ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों के घायल होने के बाद ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों के खिलाफ जवाबी हमले का आदेश दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि सोमवार को हुए हमले में एक अमेरिकी सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया।
ईरान समर्थित मिलिशिया 'कतैब हिजबुल्ला' और इससे संबद्ध समूहों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
अमेरिकी राष्ट्रपति को सोमवार को हमले की सूचना दी गई, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन को जवाबी कार्रवाई का विकल्प अपनाने का आदेश दिया।
रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा दल ने तुरंत योजना बनाई। बाद में, बाइडन ने कतैब हिजबुल्ला और इससे संबद्ध समूहों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तीन स्थानों पर हमले का निर्देश दिया।
अमेरिकी सैनिकों पर हाल में हुआ हमला, सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से क्षेत्र में अमेरिकी बलों के खिलाफ बढ़ती धमकियों के बाद हुआ है।
अमेरिका ने इस सबके लिए ईरान को दोषी ठहराया है।
एपी साजन नेत्रपाल नेत्रपाल 2612 0948 वाशिंगटन (एपी)
नयी दिल्ली, 25 दिसंबर। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने भारतीय वायुसेना के एक पूर्व स्क्वाड्रन लीडर को एक जमीन के सौदे के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद की तरफ से कथित तौर पर धन हस्तांतरित करने और 40.36 लाख रुपये की आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति जुटाने का दोषी करार दिया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों के मुताबिक, कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे पूर्व स्क्वाड्रन लीडर पोलु श्रीधर को अदालत ने कोई रियायत नहीं दी। अदालत ने उन्हें आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति जुटाने का दोषी ठहराया।
अधिकारियों ने बताया कि विशेष अदालत अगले साल दो जनवरी से सजा पर बहस की सुनवाई शुरू करेगी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि एक जनवरी 2007 से 31 दिसंबर, 2010 तक पूर्व अधिकारी के एक्सिस बैंक के तीन खातों में 11.9 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे।
यह पैसा कथित तौर पर पूर्व कांग्रेस सांसद बालाशोवरी वल्लभनेनी का था और इसका 12.5 करोड़ रुपये के जमीन सौदे में भुगतान किया जाना था। सीबीआई ने 27 सितंबर, 2016 को श्रीधर, बालाशोवरी और बैंक प्रबंधक मनीष सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
एजेंसी ने छह साल बाद, 24 नवंबर, 2022 को केवल श्रीधर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, क्योंकि उसे वल्लभभनेनी और सक्सेना के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। (भाषा)
(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 25 दिसंबर। मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के एक नए राजनीतिक संगठन ने पाकिस्तान में आठ फरवरी को होने वाले आम चुनाव के लिए अधिकतर राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का संस्थापक सईद आतंकी वित्तपोषण मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (जेयूडी) से जुड़े कुछ अन्य नेताओं के साथ 2019 से ही जेल में है।
सईद ने पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) नाम से एक अलग राजनीतिक दल बनाया है। पीएमएमएल का चुनाव चिन्ह 'कुर्सी' है।
पीएमएमएल के अध्यक्ष खालिद मसूद सिंधु ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उनकी पार्टी अधिकांश राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
खालिद मसूद सिंधु ने कहा, ‘‘हम भ्रष्टाचार के लिए नहीं बल्कि लोगों की सेवा करने और पाकिस्तान को एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए सत्ता में आना चाहते हैं। ’’
सिंधु एनए-130 लाहौर से उम्मीदवार हैं, जहां से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी चुनाव लड़ रहे हैं। सईद का बेटा तल्हा सईद लाहौर की एनए-127 सीट से चुनाव लड़ रहा है।
सिंधु से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने सईद के संगठन के साथ अपनी पार्टी का संबंध होने से इनकार किया है।
सिंधु ने सोमवार को दावा करते हुए कहा, ‘‘ पीएमएमएल का हाफिज सईद से कोई संबंध नहीं है। ’’
वर्ष 2018 में मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) जमात-उद-दावा का राजनीतिक चेहरा थी। इसने अधिकांश सीट पर विशेषकर पंजाब प्रांत में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई थी।
एमएमएल पर प्रतिबंध के कारण 2024 के चुनावों के लिए पीएमएमएल का गठन किया गया है।
हाफिज सईद संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी है, जिस पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है।
सईद के नेतृत्व वाला जमात-उद-दावा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन है, जो मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है। इस हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी। (भाषा)
रोम, 25 दिसंबर। पोप फ्रांसिस ने सोमवार को क्रिसमस पर विश्व खासकर इजराइल-फलस्तीन के बीच शांति की अपील करते हुए हथियार उद्योग और इसके उन ‘मौत के औजारों’ की कड़ी आलोचना की जिसने युद्ध को बढ़ावा दिया है।
सेंट पीटर्स बेसिलिका के लॉजिया से नीचे मौजूद लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए फ्रांसिस ने कहा कि उन्होंने सात अक्टूबर को दक्षिणी इज़राइल के खिलाफ हमास के ‘घृणित हमले’ पर दुख व्यक्त किया और बंधकों की रिहाई का आह्वान किया।
उन्होंने गाजा में इजराइल के सैन्य अभियान और ‘निर्दोष नागरिकों’ की मौत के सिलसिले को समाप्त करने का अनुरोध किया और जरूरतमंद लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया।
फ्रांसिस ने क्रिसमस दिवस के अपने आशीर्वाद को विश्व में शांति की अपील के प्रति समर्पित किया। उन्होंने कहा कि बेथलहम में ईसा मसीह के जन्म की कहानी शांति का संदेश देती है, लेकिन वही बेथलहम इस साल ‘पीड़ा और मौन’ का स्थान रहा।
उन्होंने खास तौर पर हथियार उद्योग की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हथियार उद्योग ने दुनियाभर में संघर्ष को बढ़ाया है, लेकिन शायद ही कोई इस पर ध्यान दे रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बारे में बात की जानी चाहिए और लिखा जाना चाहिए ताकि युद्ध को आगे बढ़ाने वालों के हितों और मुनाफे को प्रकाश में लाया जा सके। हम शांति की बात कैसे कर सकते हैं, जब हथियारों का उत्पादन, बिक्री और व्यापार बढ़ रहा है?’’
पोप फ्रांसिस ने अक्सर हथियार उद्योग को ‘मौत के सौदागर’ के रूप में दोषी ठहराया है और कहा है कि आज युद्ध, विशेष रूप से यूक्रेन में युद्ध, का उपयोग नए हथियारों को आजमाने या पुराने भंडार का इस्तेमाल करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने इजराइल और फलस्तीन में शांति की अपील भी की। (एपी)
मुंबई/पेरिस, 25 दिसंबर। मानव तस्करी के संदेह में फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के तीन दिन बाद 300 से अधिक यात्रियों को लेकर एक विमान के सोमवार देर रात को मुंबई हवाई अड्डे पर उतरने की उम्मीद है। यात्रियों में अधिकतर भारतीय हैं। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
इससे पहले विमान अपराह्न दो बजकर 20 मिनट पर मुंबई में उतरने वाला था।
एक सूत्र ने सोमवार को बताया कि रोमानिया की ‘लीजेंड एयरलाइंस’ द्वारा संचालित ए340 विमान के देर रात करीब एक बजे मुंबई हवाई अड्डे पर उतरने की उम्मीद है। विमान को फ्रांस के वैट्री हवाई अड्डे पर रोक कर रखा गया था।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दुबई से 303 यात्रियों को लेकर निकारागुआ जाने वाली उड़ान को ‘‘मानव तस्करी’’ के संदेह में बृहस्पतिवार को पेरिस से 150 किलोमीटर पूर्व में वैट्री हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था।
रविवार को फ्रांस के चार न्यायाधीशों ने हिरासत में लिए गए यात्रियों से पूछताछ की।
ये सुनवाई मानव तस्करी के संदेह पर पेरिस अभियोजक कार्यालय द्वारा शुरू की गई जांच के तहत आयोजित की गई थी।
फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक, कुछ यात्री हिंदी और कुछ तमिल भाषी थे।
विमान को रवाना होने की अनुमति देने के बाद रविवार को फ्रांसीसी न्यायाधीशों ने प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण यात्रियों की सुनवाई रद्द करने का फैसला किया।
विमान में 11 नाबालिग हैं, जिनके साथ कोई नहीं था। फ्रांसीसी अभियोजकों के अनुसार, शुक्रवार से हिरासत में लिए गए दो यात्रियों की हिरासत शनिवार शाम को 48 घंटे तक के लिए बढ़ा दी गई। (भाषा)
पेरिस, 25 दिसंबर मानव तस्करी के संदेह में पेरिस के पास एक हवाई अड्डे पर फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा रोके गए विमान के सोमवार सुबह भारत के लिए उड़ान भरने की उम्मीद है। यह बात स्थानीय मीडिया की एक खबर में कही गई।
इस विमान को रोके जाने के समय इसमें 303 यात्री सवार थे जिनमें ज्यादातर भारतीय हैं जिन्हें हिरासत में ले लिया गया।
संयुक्त अरब अमीरात के दुबई से 303 यात्रियों को लेकर निकारागुआ जा रही उड़ान को मानव तस्करी के संदेह में बृहस्पतिवार को पेरिस से 150 किमी पूर्व में स्थित वैट्री हवाई अड्डे पर रोक लिया गया था।
रविवार को, फ्रांसीसी अधिकारियों ने रोमानियाई कंपनी ‘लीजेंड एअरलाइंस’ द्वारा संचालित ए340 विमान को अपनी यात्रा फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी।
फ्रांसीसी समाचार प्रसारण टेलीविजन और रेडियो नेटवर्क बीएफएम टीवी ने एअरलाइन के वकील लिलियाना बाकायोको के हवाले से कहा कि विमान के सोमवार सुबह लगभग 10 बजे (स्थानीय समय) उड़ान भरने की उम्मीद है।
इसने कहा कि विमान के भारत में मुंबई की ओर उड़ान भरने की संभावना है, जहां से संभावित रूप से मानव तस्करी के शिकार यात्री आए हैं।
वकील ने कहा, "हमें बहुत राहत है, हम इसका इंतजार कर रहे थे।"
वकील के अनुमान के अनुसार, इस उड़ान में 200 से 250 यात्रियों के रवाना होने की उम्मीद है।
चैनल ने कहा कि वे सभी यात्री जो पुलिस हिरासत में नहीं हैं और जिन्होंने शरण के लिए आवेदन नहीं किया है, उनके भारत रवाना होने की उम्मीद है।
कुछ खबरों के अनुसार, लगभग चार दर्जन यात्रियों ने शरण के लिए आवेदन दायर किया है।
वकील ने कहा कि कंपनी "जांचकर्ताओं के लिए उपलब्ध" रहेगी, और "अपने ग्राहक से हर्जाना मांगेगी क्योंकि उसे काफी नुकसान हुआ है"।
चार फ्रांसीसी न्यायाधीशों ने रविवार को वैट्री हवाई अड्डे पर हिरासत में लिए गए यात्रियों से पूछताछ की।
यह सुनवाई मानव तस्करी के संदेह में पेरिस अभियोजक के कार्यालय द्वारा शुरू की गई जांच के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी।
फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, कुछ यात्रियों ने हिंदी और कुछ ने तमिल भाषा में अपनी बात रखी।
विमान के रवाना होने के लिए अधिकृत होने के बाद, रविवार को फ्रांसीसी न्यायाधीशों ने प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण सुनवाई रद्द करने का फैसला किया।
फ्रांसीसी अभियोजकों के अनुसार, विमान में सवार 11 अकेले नाबालिग और दो यात्री शुक्रवार से हिरासत में हैं तथा उनकी हिरासत शनिवार शाम को 48 घंटे तक बढ़ा दी गई थी।
एअरलाइन के वकील ने तस्करी में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया।
बकायोको ने कहा कि विमान को किराए पर लेने वाली एक "साझेदार" कंपनी प्रत्येक यात्री के पहचान दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए जिम्मेदार थी, और उड़ान से 48 घंटे पहले यात्रियों की पासपोर्ट जानकारी एअरलाइन को भेजी थी।
फ्रांस में मानव तस्करी के लिए 20 साल तक की सजा का प्रावधान है।
खबरों के मुताबिक, भारतीय यात्रियों ने मध्य अमेरिका पहुंचने के लिए यात्रा की योजना बनाई होगी, जहां से वे अवैध रूप से अमेरिका या कनाडा में प्रवेश करने का प्रयास कर सकते थे।
लेकिन एक गुमनाम सूचना में संकेत मिला कि यात्रियों को एक संगठित गिरोह द्वारा "मानव तस्करी का शिकार बनाए जाने की आशंका" है, जिससे अधिकारी सतर्क हो गए। (भाषा)
कीव, 24 दिसंबर दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन प्रांत में रूस की गोलाबारी में रविवार को चार लोगों की मौत हो गयी जिसमें 87 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 81 वर्षीय पत्नी शामिल है।
क्षेत्रीय सैन्य प्रशासन के प्रमुख ओलेक्सांद्र प्रोकुदिन ने कहा कि हमले में नौ अन्य लोग घायल भी हुए हैं।
यह हमला ऐसे वक्त में किया गया है जब यूक्रेन पहली बार क्रिसमस का जश्न 25 दिसंबर को आधिकारिक रूप से मनाने की तैयारी कर रहा है जबकि पहले वह सात जनवरी को क्रिसमस मनाता था।
इस बीच, उत्तरी यूक्रेन के खारकीव प्रांत के गवर्नर ओलेह सिनीहुबोव ने कहा कि 20 शहरों और गांवों में रूस की गोलाबारी में दो लोग घायल हुए हैं। (एपी)
ह्यूस्टन, 25 दिसंबर । ह्यूस्टन क्लब के बाहर विवाद के बाद हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ह्यूस्टन पुलिस के सहायक प्रमुख मेगन हॉवर्ड के हवाले से कहा, रविवार को स्थानीय समयानुसार लगभग 3 बजे "गोलीबारी" के बाद, एक व्यक्ति ने सर्विस रोड पर भागने की कोशिश की, जहां वह घायल होकर गिर गया और बाद में उसकी मौत हो गई।
हॉवर्ड ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, इस व्यक्ति की पहचान यशायाह पाकर के रूप में हुई। उसको कई गोलियां लगी थीं।
स्थानीय मीडिया आउटलेट एबीसी 13 ने मृतक के परिवार का हवाला देते हुए बताया कि पार्कर एक नौकर के रूप में काम करता था, जो गोलीबारी से कुछ घंटे पहले अपने 14 भाई-बहनों के साथ क्रिसमस की पूर्व संध्या की पार्टी में शामिल हुआ था।
हॉवर्ड ने कहा, गोलीबारी के बाद पांच युवक एक ट्रक में भाग गए। चालक व ट्रक का पता नहीं चला है। (आईएएनएस)
गाजा, 25 दिसंबर । मध्य गाजा पट्टी में अल-मगाजी शरणार्थी शिविर पर इजरायली हवाई हमले में कम से कम 70 फिलिस्तीनी मारे गए। सरकारी फिलिस्तीन टीवी ने यह जानकारी दी।
गाजा स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-केदरा ने एक बयान में कहा कि मरने वालों की संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि रविवार को भीड़भाड़ वाले आवासीय इलाके में हवाई हमला हुआ। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि इजरायली सेना मध्य क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर शिविरों के बीच बमबारी कर रही है, इससे एम्बुलेंस और नागरिक वाहनों को मौके पर पहुंचने में बाधा आ रही है।
स्थानीय सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि मारे गए लोगों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे और फिलहाल स्थानीय अस्पतालों के लिए और अधिक घायल लोगों को भर्ती करना मुश्किल है।
सूत्रों ने बताया कि अल-मगाजी शरणार्थी शिविर के अलावा, इजरायली सेना ने मध्य गाजा के अल-बुरीज शरणार्थी शिविर और दक्षिणी शहर खान यूनिस पर भी हमला किया।
गाजा स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय की नवीनतम गणना से रविवार को पता चला कि 7 अक्टूबर को संघर्ष शुरू होने के बाद से इजरायली हमलों में मौत का आंकड़ा 20,424 तक पहुंच गया है, और 54,036 अन्य घायल हो गए हैं।
इस बीच, पिछले सप्ताहांत में गाजा में 15 इजरायली सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। इजरायली सेना ने कहा, गाजा में अपने जमीनी हमले के दौरान मारे गए इजरायली सैनिकों की कुल संख्या 154 हो गई। (आईएएनएस)
युनाइटेड किंग्डम अपना एक लड़ाकू जहाज गयाना भेजने की तैयारी कर रहा है. वेनेजुएला के साथ गयाना का तनाव बढ़ने के बाद यह फैसला किया गया है. क्यों बढ़ गया है इतना तनाव?
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
बीबीसी ने खबर दी है कि यूके का लड़ाकू जहाज एचएमएस ट्रेंट गयाना भेजा जाएगा जहां वह क्रिसमस के बाद एक सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेगा. गयाना राष्ट्रमंडल का सदस्य है और ब्रिटेन की कॉलोनी रहा है. गयाना के प्रति कूटनीतिक और सैन्य समर्थन जताने के लिए ब्रिटेन अपना जहाज गयाना भेज रहा है.
यह फैसला तब हुआ है जबकि कुछ ही समय पहले वेनेजुएला ने गयाना के एक खनिज और तेल जैसे संसाधनों से भरपूर इलाके पर अपना दावा फिर से जताया है. वेनेजुएला की सरकार ने इसी महीने की शुरुआत में गयाना के एस्कीबो इलाके को छीनने की धमकी दी थी.
वेनेजुएला की इस धमकी के बाद दक्षिण अमेरिका में दशकों बाद युद्ध का डर पैदा हो गया है. पिछले बार इस महाद्वीप में 1982 में फॉल्कलैंड्स विवाद हुआ था.
वेनेजुएला का दावा
वेनेजुएला बहुत पहले से एस्कीबो पर दावा करता रहा है. 61 हजार वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में गयाना का दो तिहाई हिस्सा आ जाता है. इसकी पहाड़ियां सोने, हीरे और बॉक्साइट से भरपूर हैं जबकि इसके तट के पास तेल का बड़ा जखीरा मिला है.
गयाना की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है जबकि वेनेजुएला मुश्किलों से जूझ रहा है. 3 दिसंबर को वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने एक जनमत संग्रह कराया था जिसमें जनता से पूछा गया कि एस्किबो पर देश को दावा करना चाहिए या नहीं.
हालांकि इस जनमत संग्रह के नतीजों पर संदेह और विवाद हुए लेकिन मादुरो ने फिर भी देश का नया नक्शा प्रकाशित कर दिया जिसमें एस्किबो को वेनेजुएला का हिस्सा दिखाया गया. मादुरो ने एस्किबो के लिए नए गवर्नर की नियुक्ति कर दी और वहां रह रहे लोगों को वेनेजुएला के पहचान पत्र बनवाने की पेशकश की. उन्होंने राष्ट्रीय तेल कंपनी से एस्किबो में तेल खनन के लाइसेंस जारी करने का भी ऐलान किया है.
इसके बाद मादुरो गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली से मिले और किसी तरह के बल का प्रयोग ना करने का वादा किया. लेकिन उन्होंने एस्किबो पर दावा नहीं छोड़ा है.
इस पूरे घटनाक्रम का अंतरराष्ट्रीय असर भी हो रहा है. लंदन की लॉयड्स इंश्योरेंस ने गयाना को सबसे खतरनाक जहाज मार्गों वाले इलाके में शामिल कर लिया है.
एस्किबो विवाद की जड़ें
एस्किबो विवाद की जड़ें करीब दो सौ साल पुरानी हैं जब ग्रेट ब्रिटेन ने गयाना पर कब्जा किया था. यह कब्जा नीदरलैंड्स के साथ हुई एक संधि के तहत ब्रिटेन को मिला था. इस इलाके में एस्किबो भी शामिल था जिसे ब्रिटिश गयाना नाम दिया गया. लेकिन वेनेजुएला तब भी इस इलाके को अपना बताता था और इस पर ब्रिटिश शासकों व वेनेजुएला के बीच करीब एक सदी तक विवाद जारी रहा. जब एस्किबो में सोने की मौजूदगी का पता चला तो ये दावे और तेज हो गए और दोनों पक्ष इस विवाद को एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल में ले जाने को सहमत हो गए.
1899 में अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने इलाके का 90 फीसदी हिस्सा और सोने की सारी खदानें ब्रिटिश गयाना के हक में दे दीं. वेनेजुएला ने इस फैसले की आलोचना की. उनका आरोप था कि ब्रिटिश और रूसी अधिकारियों की मिलीभगत से उसके खिलाफ फैसला दिया गया.
तब से यह विवाद हमेशा बना रहा है. 1958 में वेनेजुएला के शासक मार्कोस जिमेनेज ने एस्किबो पर हमला करने की योजना तक बना ली थी लेकिन उनका तख्त पलट दिया गया. वेनेजुएला आज भी 1899 के ट्राइब्न्यूनल के फैसले को गलत बताता है.
मौजूदा स्थिति
1966 में गयाना को ग्रेट ब्रिटेन से आजादी मिली थी. इससे ठीक पहले ब्रिटेन और वेनेजुएला के बीच जेनेवा समझौता हुआ था जो एस्किबो विवाद को स्थायी रूप से सुलझाने की दिशा में एक अस्थायी कदम था. इस समझौते के मुताबिक अगर दोनों पक्ष विवाद का एक स्थायी और शांतिपूर्ण हल खोजने में विफल रहते हैं तो "वे सहमति से एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के पास जाएंगे" और वहां भी सफलता नहीं मिलती है तो वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पास जाएंगे.
जेनेवा समझौते में ब्रिटेन ने वेनेजुएला की यह बात मान ली थी कि 1899 का फैसला मान्यता नहीं रखता लेकिन इससे आगे कुछ नहीं कहा था, लिहाजा यथास्थिति बनी रही. लेकिन 2010 के दशक में गयाना के तट के पास तेल के बड़े जखीरे का पता लगने के बाद वेनेजुएला अपने दावे पर आक्रामक हो गया है. हाल ही में वेनेजुएला की विपक्ष के नेता मरिया कोरिना माचाडो ने सोशल मीडिया पर लिखा, "हम वेनेजुएला के लोग जानते हैं कि एस्किबो पर वेनेजुएला का हक है और हम इसकी रक्षा करने को प्रतिबद्ध हैं."
वेनेजुएला की आक्रामकता के चलते गयाना ने ब्राजील और अमेरिका के साथ सुरक्षा संबंध मजबूत किए हैं. जॉन क्विन्सी एडम्स सोसायटी नामक थिंक टैंक में प्रोग्राम असिस्टेंट एजे मानुजी लिखते हैं कि अभी तो किसी तरह के हिंसक विवाद के आसार नहीं हैं.
रिसपॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट नामक ऑनलाइन पत्रिका में अपने लेख में मानुजी ने लिखा, "जनमत संग्रह का ऐलान तब किया गया जबकि विपक्ष के नेता का चुनाव होना था. भले ही जनमत संग्रह को लेकर विपक्ष बंटा हुआ था लेकिन वे एस्किबो पर दावे का समर्थन करते हैं. 2024 में चुनाव होने हैं और आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे देश में मादुरो लोकप्रियता घटने की सूरत में इस संकट को का इस्तेमाल कर राष्ट्रवादियों को अपने पक्ष में जुटा सकते हैं."
जनमत संग्रह का विरोध करने वाले विपक्षी नेताओं को मादुरो देशद्रोही बता चुके हैं. (dw.com)
फ्रैंकफर्ट, 25 दिसंबर। ईसाई धर्म के लोग अनिश्चितता और युद्ध से जूझ रही दुनिया में चिंता और भय को भुलाकर यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाने की तैयारियों में जुटे हैं।
न्यूयॉर्क शहर के सेंट पैट्रिक कैथेड्रल में रविवार को प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने से पहले कार्डिनल टिमोथी डोलन ने श्रद्धालुओं से क्रिसमस पर पश्चिम एशिया के युद्धग्रस्त हिस्सों के लिए प्रार्थना करने का अनुरोध किया।
उन्होंने इजराइल और फलस्तीनी क्षेत्रों के हिस्सों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज जब हम क्रिसमस मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा दिल इस पवित्र भूमि के बारे में सोच रहा है। इस पवित्र भूमि पर (संकट के) बादल छाए हुए हैं , पवित्र भूमि पीड़ा में है, पवित्र भूमि हिंसा, घृणा और प्रतिशोध से जूझ रही है और इस कष्ट के कारण क्रिसमस की खुशी का दम घुटने का खतरा है।’’
सीरिया में लोग लंबे गृहयुद्ध और आर्थिक प्रतिबंधों के नुकसान से अब भी जूझ रहे हैं। राजधानी दमिश्क में घरों एवं दुकानों में क्रिसमस पर रोशनी और सजावट के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में जारी संघर्ष और गाजा में युद्ध ने त्यौहारी जश्न को फीका कर दिया है।
दमिश्क के उत्तर में स्थित याब्राउड शहर में सेंट कॉन्स्टेंटाइन और हेलेन कैथेड्रल में प्रार्थना सभा के लिए श्रद्धालु एकत्र हुए।
यूरोप में बढ़ती महंगाई के कारण क्रिसमस का जश्न प्रभावित हुआ और लोगों ने अपेक्षाकृत कम खरीदारी की।
यूरोपीय संघ के गृह मामलों के आयुक्त यल्वा जोहानसन ने पांच दिसंबर को सचेत किया था कि इजराइल और फलस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच युद्ध के मद्देनजर यूरोप में ‘‘आतंकवादी हमलों का खतरा’’ है।
रूस के साथ युद्धरत यूक्रेन ने क्रिसमस अवकाश की तारीख को पश्चिम यूरोप के देशों के अनुरूप पहले खिसकाने के लिए जुलाई में कानून पारित किया था। यूक्रेन अब सात जनवरी के बजाय आधिकारिक तौर पर पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मना रहा है। रूसी ऑर्थोडोक्स चर्च और कुछ पूर्वी रूढ़िवादी गिरजाघर प्राचीन जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं जिसके तहत क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसंबर से 13 दिन बाद जनवरी में आता है।
पाकिस्तान में पूर्वी पंजाब प्रांत के जरनवाला में ईसाइयों के घरों को मुसलमानों की भीड़ ने अगस्त में नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ईसाई समुदाय भय के माहौल में क्रिसमस की तैयारी कर रहा है।
एपी सिम्मी मनीषा मनीषा 2512 1058 फ्रैंकफर्ट (एपी)
दीर अल बलाह (फलस्तीन), 25 दिसंबर (एपी)। मध्य गाजा में हुए इजराइली हमले में कम से कम 68 लोगों की मौत हो गई हैं स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
इसके अलावा गाजा पट्टी में शुक्रवार और शनिवार हुए संघर्ष में कम से कम 15 इजराइली सैनिक मारे गए।
दीर अल बलाह के पूर्व में स्थित मघाजी शरणार्थी शिविर में हुए हमले के बाद ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के पत्रकारों ने घबराए फलस्तीनियों को एक निकटवर्ती अस्पताल में एक शिशु समेत मृतकों एवं घायलों को लाते देखा।
अस्पताल के प्राप्त शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, इस हमले में मारे गए 68 लोगों में कम से कम 12 महिलाएं और सात बच्चे हैं।
युद्ध में अपनी बेटी और अन्य रिश्तेदारों को खो चुके फलस्तीनी अहमद तुर्कमनी ने कहा, ‘‘हम सभी निशाने पर हैं। गाजा में कोई जगह सुरक्षित नहीं है।’’
इससे पहले गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस हमले में 70 लोगों की मौत हुई है। इस मामले में इजराइली सेना ने कोई टिप्पणी नहीं की है।
आम तौर पर गुलजार रहने वाला ईसा मसीह का जन्मस्थान बेथलहम रविवार को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर किसी वीरान शहर सा नजर आया जहां इजराइल-हमास युद्ध के चलते जश्न नहीं मनाया जा रहा।
मैंगर स्क्वायर (चौक) को जगमग करने वाली उत्सव की रोशनी और ‘क्रिसमस ट्री’ नजर नहीं आए साथ ही विदेशी पर्यटकों और उत्साही युवाओं की वो भीड़ भी नदारद दिखी जो हर साल छुट्टी मनाने के लिए वेस्ट बैंक के शहर में एकत्र होती थी। दर्जनों फलस्तीनी सुरक्षा बल खाली चौक पर गश्त करते दिखे।
हमास-इजराइल युद्ध ने गाजा के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है।इस दौरान करीब 20,400 फलस्तीनी मारे गए हैं और क्षेत्र के लगभग सभी 23 लाख लोग विस्थापित हो गए है।
इस बीच सप्ताहांत में युद्ध के दौरान इजराइल के 15 सैनिकों की मौत हो गई। अक्टूबर के अंत में इजराइल के जमीनी हमले की शुरुआत के बाद से सबसे हिंसक संघर्ष वाले दिनों में से एक में इजराइली सैनिकों की मौत का यह सबसे अधिक आंकड़ा है और इस बात संकेत है कि हमास कई हफ्तों के भीषण युद्ध के बावजूद अब भी लड़ाई लड़ रहा है। इस युद्ध में अब तक 154 इजराइली सैनिक मारे गए हैं।
हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादियों ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में आम नागरिकों को निशाना बनाकर हमला किया था, जिसमें 1,200 लोग मारे गए थे और 240 लोगों को बंधक बना लिया था।
इजराइल हमास के शासन और सैन्य क्षमताओं को कुचलने तथा शेष 129 बंदियों को रिहा करने के घोषित लक्ष्यों को पूरा करने में अब भी मजबूती से जुटा है जबकि इजराइल के हमलों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।
एपी सिम्मी प्रशांत प्रशांत 2512 0930 दीरअलबलाह (bbc.com/hindi)
वेटिकन सिटी, 25 दिसंबर। बेथलहम के अस्तबल में यीशू के जन्म को याद करते हुए पोप फ्रांसिस (87) ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि ‘‘हथियारों का टकराव आज भी’’ यीशु को ‘‘दुनिया में जगह पाने से रोकता है।’’
बिशप ने रविवार को शाम की सामूहिक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता की जिसमें लगभग 6,500 श्रद्धालु शामिल हुए।
पोप ने सात अक्टूबर को इजराइल में हमास के घातक हमले और बंधक बनाने के कारण भड़के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारा दिल बेथलहम में है जहां ‘शांति के राजकुमार’ को युद्ध के निरर्थक तर्क ने एक बार फिर खारिज कर दिया।’’
प्रार्थना सभा शुरू होने पर हरे भरे और सफेद फूलों से सजे मंच के सामने ईसा मसीह की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया और दुनिया के सभी कोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चों ने भव्य सिंहासन के चारों ओर फूल रखे।
सफेद वस्त्र पहने फ्रांसिस ने सेंट पीटर के भव्य स्तंभों में से एक के नीचे खड़े होकर प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया।
फ्रांसिस ने कहा कि यीशु का जन्म राजा डेविड की शक्ति को मजबूत करने के लिए हुई जनगणना के दौरान हुआ था। उन्होंने कहा कि यीशु ने मानव शरीर धारण करके विनम्रतापूर्वक दुनिया में प्रवेश किया।
पोप ने कहा, ‘‘यहां हम क्रोध और दंड के देवता को नहीं बल्कि दया के देवता को देखते हैं जिसने मानव देह धारण की और दुनिया में प्रवेश किया।’’
एपी सुरभि सिम्मी सिम्मी 2512 0841 वेटिकनसिटी (एपी)
इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद (सल-लल-लाहो अलैहि वसल्लम) ने 630 ईस्वी में मक्का पर फ़तह हासिल करके अपने सबसे पुराने ख़्वाबों में से एक को पूरा किया था.
इसके बाद उन्होंने मक्का शहर से बुतपरस्ती का नाम-ओ-निशां मिटाने का आदेश जारी किया.
मक्का पर मोहम्मद साहब की इस मज़हबी फ़तह में गहरे राजनीतिक संकेत भी छुपे हुए थे. मक्का को नए मज़हब का मरकज़ घोषित कर दिया गया था; इसीलिए, मक्का पर विजय, एक अल्लाह से किए गए एक क़ौल को पूरा करने जैसी थी.
काबा यानी वो चौकोर इमारत, जहां पर शहर के तमाम बुत रखे हुए थे, वहां प्रवेश करने के बाद पैग़म्बर मोहम्मद ने सभी मूर्तियों को वहां से हटाने या नष्ट करने का आदेश दिया.
काबे में रखे तमाम देवी-देवताओं के बुतों में से एक मूर्ति एक कुंवारी युवती और उनके बच्चे की भी थी. इस ईसाई मूर्ति की ओर बढ़ते हुए मोहम्मद साहब ने उसे अपने चोगे से ढंक दिया और उसके अलावा बाक़ी सभी बुतों को वहाँ से निकाल बाहर करने का आदेश दिया.
ये हक़ीक़त है या फ़साना? ये सवाल मायने नहीं रखता. मैंने जिस रिपोर्ट के हवाले से ये क़िस्सा बयान किया है, वो कम से कम 1200 बरस पुराना है और इस्लाम के तारीख़ी लेखों के शुरुआती दौर का है.
मगर, इस क़िस्से से जो बात बयां होती है, वो ये है कि इस्लाम और ईसा मसीह के उस बुत के बीच साहित्य की एक लंबी परंपरा का अस्तित्व रहा है, जो क़रीब डेढ़ हज़ार बरस से लगातार चला आ रहा ऐतिहासिक संबंध है. दुनिया के किसी ग़ैर-ईसाई मज़हब का हज़रत ईसा से ये लगाव अनूठा है.
इस तारीख़ी हक़ीक़त से इंसाफ़ करने के लिए मुझे बहुत बड़े कैनवस की ज़रूरत पड़ेगी. ऐसे में बेहतर यही होगा कि मैं ईसा और इस्लाम के इस ताल्लुक़ का मोटा-मोटा ख़ाका खींचने की कोशिश करूं; इस रिश्ते के चुनिंदा क़िस्सों और निर्णायक क्षणों को ही बयां करूं.
मुसलमानों का पवित्र ग्रंथ क़ुरान, एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसे इस्लामिक सभ्यता की धुरी कहा जाता है. ऐसे में ज़ाहिर है हम इस्लाम के नज़रिए से ईसा की जो तस्वीर बनाने की कोशिश करेंगे, उसे बयां करने की शुरुआत क़ुरान से ही करनी होगी.
क़ुरान के क़रीब एक तिहाई हिस्से में मोहम्मद से पहले के पैग़म्बरों की तारीख़ बयां की गई है, और इसमें से ज़्यादातर में बाइबिल (ईसाइयों का पवित्र ग्रंथ) का हवाला दिया गया है.
क़ुरान में जिन तमाम पैग़म्बरों का ज़िक्र है उनमें से अकेले ईसा मसीह ही ऐसे हैं, जो सबसे बड़ी पहेली नज़र आते हैं. क़ुरान में किसी और पैग़म्बर की तुलना में ईसा के क़िस्से को सबसे मौलिक तरीक़े से बयां किया गया है. ऐसा करते हुए क़ुरान में हज़रत ईसा का बिल्कुल जुदा चरित्र चित्रण किया गया है.
ज़ाहिर है इसके पीछे मक़सद यही है कि उस दौर के ईसाई, ईसा को जिस नज़रिए से देखते थे, क़ुरान में ईसा का उससे एक अलग ख़ाका खींचा जाए.
इसका जो नतीजा निकला, वो किसी ईसाई पाठक या श्रोता के लिए चौंकाने वाला हो सकता है. क़ुरान में ईसा के बारे में किसी अन्य पैग़म्बर की तुलना में क़िस्से के बजाय ज़्यादा धार्मिक रोशनी में लिखा गया है.
यहाँ हज़रत ईसा आपको किसी फ़रिश्ते से बिल्कुल जुदा नज़र आते हैं. न ही वो अवतार लेते हैं और न ही धर्म के प्रचारक हैं और न ही वो उस पीड़ा के प्रतीक हैं, जिसे ईसाइयों के मुताबिक़ ईसा को भोगना पड़ा था.
क़ुरान में न तो ईसा ख़ुद को देवता बताते हैं और न ही ईश्वर की नज़र में वो सीधे तौर पर ख़ुदाई के दर्जे में आते हैं. कोई भी ईसाई ये सवाल उठा सकता है कि अगर ईसा के किरदार से इन सभी ख़ूबियों को अलग कर दिया जाए तो फिर उनकी अहमियत ही क्या रह जाती है?
क़ुरान में हज़रत ईसा का ज़िक्र बार-बार एक ऐसे पैग़म्बर के तौर पर आता है, जिनकी ख़ास अहमियत है. तमाम पैग़म्बरों के बीच उन्हें क़ुरान ने अनूठा बताया है, जो अल्लाह का करिश्मा हैं; वो अल्लाह की ज़ुबान हैं. उनकी आत्मा हैं.
वो अमन के सबसे बड़े संदेशवाहक हैं; और आख़िर में वो ईसा ही हैं जो इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद के आने की भविष्यवाणी करते हैं, और इस तरह आप ईसा को इस्लाम का अग्र-दूत भी कह सकते हैं.
आख़िर इस्लाम में ईसा की ऐसी तस्वीर कैसे बनी और इस्लामिक संस्कृति में इसका विकास कैसे हुआ?
हदीस (मोहम्मद साहब के कहे हुए शब्दों का संकलन) में ईसा का ज़िक्र एक ऐसे पैग़म्बर के तौर पर मिलता है, जो क़यामत के रोज़ आएगा और दुनिया को उसकी मंज़िल तक ले जाएगा.
कहने का मतलब ये है कि ईसा वो पैग़म्बर हैं, जो इस्लाम के युग के ख़ात्मे का एलान करेंगे. वो इस्लाम के आग़ाज़ से लेकर अंज़ाम के वक़्त तक, दोनों ही मोड़ों पर खड़े होंगे. हदीस के इस ज़िक्र के बाद, इस्लामिक साहित्य की बढ़ती परपंराओं में ईसा को उन जगहों पर पैग़म्बर के तौर पर क़ुबूल करना शुरू कर दिया गया था, जहां पर इस्लाम ने अपनी पताका फहराई थी.
इस्लामिक साहित्य में ईसा के उपदेशों और उनसे जुड़े क़िस्सों का एक बड़ा संग्रह है, जिन्हें मिलाकर मुस्लिम इंजील कहा जा सकता है (ईसा से जुड़े ऐसे क़िस्सों का संग्रह मैंने हाल ही में द मुस्लिम जीसस के नाम से प्रकाशित किया है).
ईसा के पैग़ामों और क़िस्सों के उसी संग्रह में से कुछ का मैं यहां ज़िक्र करना चाहूंगा: 'ईसा ने कहा कि वो क़िस्मतवाला है, जो अपने दिल की नज़र से देखता है, लेकिन जो वो देखता है उसमें उसका दिल नहीं लगता है.'
एक और उपदेश कुछ इस तरह है, 'ईसा ने कहा कि दुनिया एक पुल है. इस पुल को पार तो करो मगर इसके ऊपर कुछ न बनाओ.' एक और छोटी सी बातचीत का ज़िक्र कुछ इस तरह से है, 'ईसा एक आदमी से मिले और उससे पूछा कि तुम क्या कर रहे हो? उस आदमी ने जवाब दिया कि 'मैं ख़ुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रहा हूं.' ईसा ने कहा कि तुम्हारा ख़याल कौन रखता है?
उस शख़्स ने जवाब दिया, 'मेरा भाई'. तब ईसा ने कहा कि तुमसे ज़्यादा तो तुम्हारा भाई ईश्वर के प्रति समर्पित है.'
और ये बातचीत आगे जारी रहती है. ईसा के ऐसे क़रीब तीन सौ उपदेश और क़िस्से हैं, जिनका इस्लामिक साहित्य में ज़िक्र मिलता है. क़रीब एक हज़ार बरस के दौरान दर्ज इन व्याख्यानों में हम हज़रत ईसा के किरदार और उनके तमाम रूपों के प्रति इस्लामिक संस्कृति के लगाव को व्यक्त होते देखते हैं.
इस्लामिक साहित्य में ईसा
इन इस्लामिक आख्यानों में कभी प्रभु यीशु एक प्रखर संन्यासी नज़र आते हैं, और कभी वो इस्लामिक रहस्यवाद के संरक्षक के रूप में दिखाई देते हैं, जो सृष्टि के रहस्यों के संदेशवाहक हैं, क़ुदरत और इंसान का कल्याण करते हैं.
पर, हम ईसा का ख़ाका खींचने की मेरी कोशिश की ओर लौटते हैं और इस्लामिक साहित्य में ईसा के लंबे चौड़े ऐतिहासिक व्याख्यान की कुछ और महत्वपूर्ण बातों का ज़िक्र करते हैं. ईसा की दसवीं शताब्दी में बग़दाद में एक महान रहस्यवादी संत हुए, जिनका नाम था अल-हल्लाज. मशहूर फ्रांसीसी विद्वान लुई मैसिनियों ने अल-हल्लाज की ज़िंदगी और उन्हें सूली पर चढ़ाने के क़िस्से को, 'द पैशन ऑफ़ अल-हल्लाज' के नाम से लिखा है.
अगर आप मेरी बात पर यक़ीन करें, तो अल-हल्लाज, सुकरात, गांधी उनके जैसे एक या दो और संतों की तरह इंसानियत के इतिहास में ईसा से सबसे ज़्यादा मिलते जुलते लोगों में से एक थे. अल-हल्लाज और ईसा में समानता की एक बड़ी वजह ये थी कि उन्होंने आत्मा के स्वरूप को उसकी संपूर्णता में स्वीकार किया. वो मानते थे कि आत्मा, दैहिक जीवन के नियम क़ायदों से परे की चीज़ है.
ये इस हक़ीक़त की तलाश ही थी, जिसके चलते अल-हल्लाज ने ख़ुद के देवत्व के क़रीब होने का दावा किया. लेकिन, इसके साथ ही साथ अल-हल्लाज के अंदर क़ानून के प्रति समर्पण का भी एक भाव है, जिसे वो अपनी जान देकर पूरा करते हैं.
इसलिए, अल-हल्लाज की मौत क़ानून के दायरे में ही होती है, जिससे कि वो नियम-क़ायदों से ऊपर उठ सकें, उस पर विजय प्राप्त कर सकें. इसीलिए, एक बार अल-हल्लाज ने अपने शागिर्दों को सलाह दी कि, 'तुम हज के लिए मक्का क्यों जाओगे?
हज़रत ईसा, इस्लामिक सूफ़ीवाद के संरक्षक
अपने घर के भीतर एक छोटी सी इबादतगाह बनाओ और पूरी ईमानदारी से इसके प्रति अक़ीदत (निष्ठा) महसूस करते हुए उसका एक चक्कर लगाओ. इस तरह तुम हज का फ़र्ज़ पूरा कर सकते हो.' अल-हल्लाज की पूरी ज़िंदगी लिखे हुए नियम-क़ायदों और फ़र्ज़ की भावना के बीच खींच-तान का लेखा-जोखा है.
उनके इर्द गिर्द एक प्रभामंडल दिखाई देता है, जिसका समापन उनके ऊपर मुक़दमा चलने, उनके त्रासद आख़िरी दिनों और दिल को रुला देने वाली सूली पर चढ़ाने की घटना के साथ होता है.
अल-हल्लाज ने शुचिता का जो मानक प्रस्तुत किया, वो मुस्लिम रहस्यवाद के भीतर ईसा के रूप में लंबे समय तक ज़िंदा रहा. हज़रत ईसा, इस्लामिक सूफ़ीवाद के संरक्षक संत बन गए.
पर आइए अब बाद के वक़्तों की ओर बढ़ते हैं. धर्मयुद्धों यानी दो सदी तक चली जंगों के दौरान, यूरोपीय ईसाई सेनाओं और पश्चिमी एशिया के इस्लामिक लश्करों के बीच मुक़ाबला चलता रहा था.
धर्मयुद्धों के दौरान मुस्लिम विद्वानों को अमन के मसीहा ईसा और उनके तथाकथित अनुयायियों की बर्बरता के चलते दोनों के बीच बढ़ते फ़ासले की ओर इशारा करने का मौक़ा मिला. बारहवीं सदी में मुस्लिम साहित्य ने ईसा को फिर से अपनाने की कोशिश की.
इस्लामिक शास्त्रों में उनका नया चरित्र गढ़ा गया. अगर आप पसंद करें, तो धर्मयुद्ध में ईसा मसीह अपने तथाकथित अनुयायियों के ख़िलाफ़ और मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे.
ईसा की विरासत की इस जंग में, मुसलमानों को इस बात पर कोई शक नहीं था कि हज़रत ईसा, इस्लाम के हैं. एक अर्थ में ये क़ुरान में दर्ज ईसा के मंज़र की तरह था और अब ईसा की तलब पहले से ज़्यादा थी. उनका ज़िक्र अधिक ख़तरनाक था.
और जैसे-जैसे हम अपने दौर की ओर बढ़ते हैं, तो हम देखते हैं कि ईसा के जिन रूपों का वर्णन पहले किया गया था, उनमें से कई आज के दौर के इस्लामिक आध्यात्मिक विचारों में विद्यमान हैं.
बढ़ते फ़ासले की ओर इशारा
इनमें से ईसा की दो तस्वीरों का ज़िक्र मैं ख़ास तौर से करना चाहूंगा: एक तो वो ईसा हैं जो क़ुदरत और इंसान के मसीहा हैं. जिसके लिए मैं अपने श्रोताओं को दमिश्क़ के उत्तर में स्थित सिदनाया के मठ या फिर ईरान के शिराज़ शहर में ले जाना चाहूंगा.
सिदनाया के मठ की स्थापना बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन ने ईसा की छठीं सदी में की थी. ये मठ, घाटी के ऊपर स्थित एक उभरी हुई चट्टान पर बना हुआ है. इस मठ की ओर औरतो और मर्दों की लंबी क़तार जाती दिखाई देती है, जो हमारी ख़ातून और उनके नवजात बच्चे का आशीर्वाद लेना चाहते हैं.
इनमें से ज़्यादातर श्रद्धालु मुसलमान होते हैं, जो इस ईसाई मठ में उसी श्रद्धा के साथ आते हैं, जैसे उनके पुरखे पिछले एक हज़ार बरस से आते रहे थे.
इसके बाद आप शायद शिराज़ के दौरे पर जाना चाहें. मशहूर शहर शिराज़ को मुस्लिम कला और स्थापत्य कला का ख़ज़ाना कहा जाता है.
इसके अलावा कवियों और सूफ़ी संतों का एक बाग़ीचे वाला शहर भी यहां आबाद है, जिसमें ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की इस्लामिक मेडिकल परंपरा या मसीहा-दम या ईसा की ज़िंदा कर देने वाली फूंक से आज भी इलाज किया जाता है.
महान फ़ारसी कवि हाफ़िज़ ने क़रीब सात सदी पहले ही अपनी नज़्मों में इस परंपरा का अक्स उकेरा था. इस तरह साहित्यिक तौर पर हो या ईरान में पारंपरिक तरीक़े से इलाज के इस चलन में, हम ईसा के मसीहाई अवतार का सजीव रूप देखते हैं.
शिया इस्लाम में ईसा की ज़िंदगी
ईरान में दबदबा रखने वाले शिया इस्लाम में पैग़म्बर मोहम्मद के नवासे हुसैन की 682वीं ईस्वी में हुई शहादत को याद करना, एक मुख्य आध्यात्मिक कार्यक्रम होता है.
ख़ास तौर से शिया इस्लाम में ईसा की ज़िंदगी और मौत एक समानांतर धार्मिक घटना है. शिया इस्लाम की धार्मिक अनुभूति में ईसा/हुसैन के बीच ये समानता हमेशा मौजूद नज़र आती है.
मुझे अब एक और कवि का ज़िक्र करना चाहिए. इराक़ के बद्र शाकिर अल-सय्याब को बीसवीं सदी का सबसे महान अरब शायर कहा जाता है.
उनकी ज़िंदगी देश निकाला, क़ैद, ख़राब सेहत और ज़ुल्म-ओ-सितम के शिकार लोगों के अधिकारों के लिए समर्पित थी; बद्र शाकिर की शायरी का रूप बेहद आधुनिक था, लेकिन उनकी शैली बिल्कुल शास्त्रीय थी.उनकी कविताओं में आपको आधुनिक अरबी/इस्लामिक साहित्य पर शायद ईसा का सबसे गहरा और यादगार प्रभाव देखने को मिलेगा.
बद्र शाकिर की एक नज़्म, जिसका उन्वान है, 'सलीब पर चढ़ने के बाद के ईसा' तो ख़ास तौर से उनकी पीड़ा को बयान करती है. इस कविता में ईसा की कल्पना क़ुदरत के ख़ुदा और दर्दमंदों के मसीहा के तौर पर की गई है. इस कविता के साथ घोर अन्याय का जोखिम उठाते हुए, मैं इसके पहले और आख़िरी छंदों को बयां कर रहा हूं:
जब उन्होंने मुझे सलीब से नीचे उतारा, तो मैंने हवाओं का शोर सुना
जो ज़ार-ओ-क़तार रो रही थीं, जिनके शोर से पत्तों में सरसराहट हो रही थी और इसी के साथ क़दमों की चाप दूर जा रही थी. और तभी, मेरे घाव और वो सूली जिस पर उन्होंने मुझे पूरी दोपहर और सांझ को टांगा था उससे भी मेरी मौत नहीं हुई थी.
मैं सुनता रहा वो रुदन जो शहर और मेरे बीच के मैदान से गुज़र रहा था, ठीक उसी तरह जैसे समुद्र की तलहटी में डूबते किसी जहाज़ को रस्सी से खींचा जाए. वो मर्सिया, उस ग़मज़दा सर्द आसमान की आधी रात और सवेरे के बीच रोशनी की एक डोर जैसा था.
और अपने जज़्बात को सहलाता शहर सो गया.मैं आग़ाज़ के वक़्त मौजूद था. तब वहां ग़ुरबत भी थी. मैं मर गया ताकि मेरे नाम पर रोटी खाई जा सके; जिससे कि वो मुझे रुत आने पर रोप सकें. मैं कितनी ज़िंदगियां जी पाता! क्योंकि मैं तो ज़मीन पर खिंची हर लकीर जैसी तक़दीर बन गया हूं और एक बीज बन गया हूं.
मैं इंसानों की नई नस्ल बन गया हूं. हर इंसान के दिल में मेरे ख़ून का एक क़तरा है, एक छोटी सी बूंद है.
जब उन्होंने मुझे सलीब पर टांगा और मैंने शहर की ओर अपनी नज़रें घुमाईं, तो मैं बमुश्किल ही उस मैदान, उस दीवार और क़ब्रिस्तान को पहचान सका;
जहां तक मेरी नज़र देख सकती थी, वहां तक जंगल में आई बहार जैसा मंज़र था. जहां तक निगाह पहुँच सकती थी, वहां तक एक सूली थी, एक सोग मनाती हुई मां थी. ख़ुदा इसे पवित्र करे.
ईसा की सबसे समृद्ध, विविधतापूर्ण और व्यापक तस्वीरें
ये नज़्म मुक्ति की है. राजनीतिक भी और धार्मिक भी. ये एक कविता है जो क़यामत का असर रखने वाली आवाज़ में क़िस्से कहानियों के ईसा के किरदार को एक मसीहा, एक विजेता के तौर पर बुनती है. वो ईसा जो इस धरती के सताए हुए लोगों के ख़ुदा हैं, वो ईसा जो क़ुदरत के ख़ुदा और मसीहा हैं.
ये नज़्म के रूप में एक इंजील है, जिसमें ईसा की ऐसी कल्पना की गई है, जो दर्द से गुज़र रहे हैं, पर अंत में जीत जाते हैं.
इसीलिए: मैं ये मानता हूं कि इस्लामिक संस्कृति में ईसा की सबसे समृद्ध, विविधतापूर्ण और व्यापक तस्वीरें पेश की गई हैं, जो किसी भी ग़ैर ईसाई संस्कृति में सबसे अधिक हैं.
कम से कम मेरी जानकारी में तो ऐसा कोई और मज़हब नहीं है, जिसने ईसा के दोनों ही रूपों, उनके ऐतिहासिक किरदार और सनातन ईसा के प्रति इतना लगाव और समर्पण दिखाया है. आज के ख़तरनाक और बेहद संकुचित सोच वाले दौर में हमें इस इस्लामिक परंपरा का ज़ोर शोर से प्रचार करना चाहिए.
इस कहानी का निचोड़ बहुत साफ़ है: एक धर्म असल में अपने बाद आए धर्म का पूर्ववर्ती है. एक धर्म अपनी शहादत या गवाही के लिए पिछले धर्म की मदद लेता है. दो धर्मों के बीच आपसी निर्भरता की ईसा और इस्लाम से अच्छी कोई और मिसाल नहीं हो सकती है.
और ईसाई धर्म के लिए तो ख़ास तौर से, ईसा के प्रति लगाव का एक मतलब मेरी नज़र में ये जानना भी हो सकता है कि कैसे किसी और धर्म में उन्हें चाहा और सराहा गया है. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के कई रूढ़िवादी (ऑर्थोडॉक्स) ईसाई इस साल पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मना रहे हैं.
असल में यूक्रेन और रूस दोनों ही जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं, जिसके अनुसार क्रिसमस ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी को पड़ता है. दुनिया के ज़्यादातर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर का ही इस्तेमाल करते हैं.
पिछले 22 महीनों से रूसी आक्रमण से जूझ रहे यूक्रेन ने क्रिसमस के मामले में भी रूस से अलग राह चुनते हुए यह फ़ैसला लिया है.
इसके तहत, यूक्रेन अब से ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही क्रिसमस का पर्व मनाएगा. पश्चिमी देश 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाते हैं.
यूक्रेन 1917 में हुई रूस की क्रांति से पहले तक 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाता था.
क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाना सिर्फ़ एक त्योहार के दिन में बदलाव नहीं है, बल्कि ये सांस्कृतिक बदलाव के लिए यूक्रेन की ओर से उठाए गए उन क़दमों का हिस्सा है, जिनके तहत वह अपने यहां रूस के प्रभाव को ख़त्म करना चाहता है. (bbc.com/hindi)
इसराइल की सेना ने कहा है कि वह ग़ज़ा में अपना सैन्य अभियान जारी रखेगी.
इसराइल की सेना ने ये स्वीकार भी किया है कि ये अभियान मुश्किल और लंबा होगा.
इसराइली सेना के एक प्रवक्ता ने कहा है कि सप्ताहांत में इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा और दक्षिणी ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान को और व्यापक किया है.
इसी बीच अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से बात की है और आम नागरिकों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है.
वहीं, इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा है कि जब तक इसराइल अपने सभी लक्ष्य हासिल नहीं कर लेता है, ये युद्ध जारी रहेगा.
राष्ट्रपति बाइडन ने पत्रकारों से कहा है कि उन्होंने इसराइल के प्रधानमंत्री से युद्ध विराम के लिए नहीं कहा है.
हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इसराइल के हमलों में अब तक बीस हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 53 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. मारे गए अधिकतर लोगों में महिलाएं और बच्चे हैं.
इसराइल ने बताया है कि शुक्रवार के बाद से अब तक लड़ाई में उसके 13 सैनिक मारे गए हैं और अभी तक सैन्य अभियान में मारे गए सैनिकों की संख्या अब 154 हो गई है.
इसराइल ने दावा किया है कि हमास को ख़त्म करने के लिए शुरू हुए इस सैन्य अभियान के तहत अब तक हमास के 700 चरमपंथियों को गिरफ़्तार किया गया है.
हमास ने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमला किया था जिसमें 1200 इसराइली मारे गए थे. हमास ने क़रीब 240 लोगों को बंधक भी बनाया था. इसके अगले ही दिन से इसराइल ने हमास के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू कर दिया था.
इसराइली सेना का कहना है कि उत्तरी ग़ज़ा पर उसका लगभग पूर्ण नियंत्रण है और दक्षिणी ग़ज़ा में वो अपने अभियान को और विस्तार दे रहा है. (bbc.com/hindi)
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश ग़ज़ा युद्ध की भारी कीमत चुका रहा है.
वहीं इसराइल की सेना ने कहा है कि शुक्रवार के बाद से फ़लस्तीनी इलाके में उसके 14 और सैनिकों की मौत हुई है. इसके साथ ही जमीनी कार्रवाई में मरने वाले सैनिकों की संख्या अब 153 हो गई है.
ग़ज़ा में कबतक चलेगा इसराइल का अभियान
सेना का कहना है कि वह ग़ज़ा में अपना सैन्य अभियान जारी रखेगी. शनिवार का दिन खतरनाक दिनों में से एक था, लेकिन नेतन्याहू ने कहा कि उनकी सेना के पास लड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
इस बीच ग़ज़ा में हमास की ओर से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बीते दिनों 166 और लोगों की मौत हो गई. इस लड़ाई में अब तक 20 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं.
मंत्रालय का कहना है कि इस युद्ध में अब तक 54 हजार लोग घायल हुए हैं.
बाइडन ने क्या कहा
इसराइल की सेना ने ये स्वीकार भी किया है कि ये अभियान मुश्किल और लंबा होगा. सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि सप्ताहांत में इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा और दक्षिणी ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान को और व्यापक किया है.
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से बात की है और आम नागरिकों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है.
हमास का हमला
हमास ने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमला किया था. इसमें 1200 इसराइली मारे गए थे. हमास ने क़रीब 240 लोगों को बंधक भी बनाया था.
इसके अगले ही दिन से इसराइल ने हमास के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू कर दिया था. इसराइली सेना का कहना है कि उत्तरी ग़ज़ा पर उसका लगभग पूर्ण नियंत्रण है और दक्षिणी ग़ज़ा में वो अपने अभियान को और विस्तार दे रहा है. (bbc.com/hindi)
तेल अवीव, 24 दिसंबर । गाजा में लड़ाई तेज होने के कारण हमास के खिलाफ हमले में इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) के 8 और सैनिक मारे गए हैं।
शनिवार को आईडीएफ ने पांच और सैनिकों की मौत की घोषणा की।
आईडीएफ ने एक बयान में कहा कि 27 अक्टूबर से अब तक मारे गए कुल सैनिकों की संख्या 152 तक पहुंच गई है।
आईडीएफ द्वारा मृतक सैनिकों की पहचान हाइफा से डेविड बोगदानोव्स्की (19) और ओरेल बाशान (20), यिफ़्ताह से गैल हर्शको (20) और लैपिड से इतामार शेमेन (22) के रूप में हुई।
हर्जलिया से मास्टर सार्जेंट नदाव इस्साकार फरही (30), हाइफा से मास्टर सार्जेंट एलियाहू मीर ओहाना (28) दोनों यिफ़्ताच ब्रिगेड एक पैदल सेना इकाई से थे।
जेरूसलम से पैराट्रूपर्स सार्जेंट फर्स्ट क्लास इलियासफ शोशन (28),और कफर योना से सार्जेंट प्रथम श्रेणी ओहद अशूर (23) मध्य गाजा में मारे गए।
हमास और इजरायल के बीच 24 नवंबर से एक दिसंबर तक एक सप्ताह के अस्थायी संघर्ष विराम के दौरान, हमास ने 105 बंधकों को रिहा कर दिया था, जबकि 129 बंधक अभी भी हमास की कैद में हैं।
इजराइलियों का मानना है कि बाकी 129 बंधकों में से कम से कम 20 बंधकों की मौत हो चुकी है।
इजरायली जेलों में हजारों फिलिस्तीनी हैं जिन्हें बिना किसी मुकदमे और कानूनी सलाह के बिना रखा गया है।
फिलिस्तीनी प्रिजनर्स क्लब ने कहा है कि इजरायली बलों ने 7 अक्टूबर से कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 4,655 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। (आईएएनएस)।
दमिश्क, 24 दिसंबर । तुर्की के युद्धक विमानों ने शनिवार रात पूर्वोत्तर सीरियाई प्रांत अल-हसाका में ऊर्जा सुविधाओं को निशाना बनाकर हवाई हमले किए। सीरियाई राज्य टेलीविजन ने ये जानकारी दी।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अल-क़मिश्ली के पास अल-क़हतनियाह शहर में अल-औदा तेल क्षेत्र हवाई हमले में प्रभावित हुआ है।
तुर्की ने अन्य तेल सुविधाओं को भी निशाना बनाया, जिसमें सईदा और ज़रबाह तेल स्टेशन, साथ ही अल-क़हतनियाह में एक कृषि बैंक साइट भी शामिल थी।
अल-मलिकियाह शहर के विभिन्न स्थानों पर भी हमले हुए। हमलों के कारण कथित तौर पर कम से कम दो स्थानों पर आग लग गई। इसकी पुष्टि सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स युद्ध मॉनिटर ने की है।
हालांकि इंसानों के मरने के संबंध में जानकारी नहीं मिल पाई है। ब्रिटेन स्थित निगरानी समूह ने कहा कि तुर्की के युद्धक विमान इस क्षेत्र के आसमान में गश्त जारी रखे हुए हैं।
तुर्की आमतौर पर उत्तरी सीरिया में कुर्द सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्रों पर हमला करता है। अल-हसाकाह पर बड़े पैमाने पर कुर्द नेतृत्व वाली सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस का नियंत्रण है, जिसे तुर्की एक आतंकवादी समूह मानता है। (आईएएनएस)।
बीजिंग, 24 दिसंबर । अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने कहा कि रविवार को 0323 जीएमटी पर 5.9 तीव्रता का भूकंप चिली के कैनेट के 52 किमी दक्षिण पश्चिम में आया।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र 11.8 किमी की गहराई पर 38.08 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 73.88 डिग्री पश्चिम देशांतर पर था।
अभी तक जानमाल के नुकसान की रिपोर्ट नहीं आई है। (आईएएनएस)