अंतरराष्ट्रीय
फ्रैंकफर्ट, 25 दिसंबर। ईसाई धर्म के लोग अनिश्चितता और युद्ध से जूझ रही दुनिया में चिंता और भय को भुलाकर यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाने की तैयारियों में जुटे हैं।
न्यूयॉर्क शहर के सेंट पैट्रिक कैथेड्रल में रविवार को प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने से पहले कार्डिनल टिमोथी डोलन ने श्रद्धालुओं से क्रिसमस पर पश्चिम एशिया के युद्धग्रस्त हिस्सों के लिए प्रार्थना करने का अनुरोध किया।
उन्होंने इजराइल और फलस्तीनी क्षेत्रों के हिस्सों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज जब हम क्रिसमस मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा दिल इस पवित्र भूमि के बारे में सोच रहा है। इस पवित्र भूमि पर (संकट के) बादल छाए हुए हैं , पवित्र भूमि पीड़ा में है, पवित्र भूमि हिंसा, घृणा और प्रतिशोध से जूझ रही है और इस कष्ट के कारण क्रिसमस की खुशी का दम घुटने का खतरा है।’’
सीरिया में लोग लंबे गृहयुद्ध और आर्थिक प्रतिबंधों के नुकसान से अब भी जूझ रहे हैं। राजधानी दमिश्क में घरों एवं दुकानों में क्रिसमस पर रोशनी और सजावट के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में जारी संघर्ष और गाजा में युद्ध ने त्यौहारी जश्न को फीका कर दिया है।
दमिश्क के उत्तर में स्थित याब्राउड शहर में सेंट कॉन्स्टेंटाइन और हेलेन कैथेड्रल में प्रार्थना सभा के लिए श्रद्धालु एकत्र हुए।
यूरोप में बढ़ती महंगाई के कारण क्रिसमस का जश्न प्रभावित हुआ और लोगों ने अपेक्षाकृत कम खरीदारी की।
यूरोपीय संघ के गृह मामलों के आयुक्त यल्वा जोहानसन ने पांच दिसंबर को सचेत किया था कि इजराइल और फलस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच युद्ध के मद्देनजर यूरोप में ‘‘आतंकवादी हमलों का खतरा’’ है।
रूस के साथ युद्धरत यूक्रेन ने क्रिसमस अवकाश की तारीख को पश्चिम यूरोप के देशों के अनुरूप पहले खिसकाने के लिए जुलाई में कानून पारित किया था। यूक्रेन अब सात जनवरी के बजाय आधिकारिक तौर पर पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मना रहा है। रूसी ऑर्थोडोक्स चर्च और कुछ पूर्वी रूढ़िवादी गिरजाघर प्राचीन जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं जिसके तहत क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसंबर से 13 दिन बाद जनवरी में आता है।
पाकिस्तान में पूर्वी पंजाब प्रांत के जरनवाला में ईसाइयों के घरों को मुसलमानों की भीड़ ने अगस्त में नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ईसाई समुदाय भय के माहौल में क्रिसमस की तैयारी कर रहा है।
एपी सिम्मी मनीषा मनीषा 2512 1058 फ्रैंकफर्ट (एपी)
दीर अल बलाह (फलस्तीन), 25 दिसंबर (एपी)। मध्य गाजा में हुए इजराइली हमले में कम से कम 68 लोगों की मौत हो गई हैं स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
इसके अलावा गाजा पट्टी में शुक्रवार और शनिवार हुए संघर्ष में कम से कम 15 इजराइली सैनिक मारे गए।
दीर अल बलाह के पूर्व में स्थित मघाजी शरणार्थी शिविर में हुए हमले के बाद ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के पत्रकारों ने घबराए फलस्तीनियों को एक निकटवर्ती अस्पताल में एक शिशु समेत मृतकों एवं घायलों को लाते देखा।
अस्पताल के प्राप्त शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, इस हमले में मारे गए 68 लोगों में कम से कम 12 महिलाएं और सात बच्चे हैं।
युद्ध में अपनी बेटी और अन्य रिश्तेदारों को खो चुके फलस्तीनी अहमद तुर्कमनी ने कहा, ‘‘हम सभी निशाने पर हैं। गाजा में कोई जगह सुरक्षित नहीं है।’’
इससे पहले गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस हमले में 70 लोगों की मौत हुई है। इस मामले में इजराइली सेना ने कोई टिप्पणी नहीं की है।
आम तौर पर गुलजार रहने वाला ईसा मसीह का जन्मस्थान बेथलहम रविवार को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर किसी वीरान शहर सा नजर आया जहां इजराइल-हमास युद्ध के चलते जश्न नहीं मनाया जा रहा।
मैंगर स्क्वायर (चौक) को जगमग करने वाली उत्सव की रोशनी और ‘क्रिसमस ट्री’ नजर नहीं आए साथ ही विदेशी पर्यटकों और उत्साही युवाओं की वो भीड़ भी नदारद दिखी जो हर साल छुट्टी मनाने के लिए वेस्ट बैंक के शहर में एकत्र होती थी। दर्जनों फलस्तीनी सुरक्षा बल खाली चौक पर गश्त करते दिखे।
हमास-इजराइल युद्ध ने गाजा के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है।इस दौरान करीब 20,400 फलस्तीनी मारे गए हैं और क्षेत्र के लगभग सभी 23 लाख लोग विस्थापित हो गए है।
इस बीच सप्ताहांत में युद्ध के दौरान इजराइल के 15 सैनिकों की मौत हो गई। अक्टूबर के अंत में इजराइल के जमीनी हमले की शुरुआत के बाद से सबसे हिंसक संघर्ष वाले दिनों में से एक में इजराइली सैनिकों की मौत का यह सबसे अधिक आंकड़ा है और इस बात संकेत है कि हमास कई हफ्तों के भीषण युद्ध के बावजूद अब भी लड़ाई लड़ रहा है। इस युद्ध में अब तक 154 इजराइली सैनिक मारे गए हैं।
हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादियों ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में आम नागरिकों को निशाना बनाकर हमला किया था, जिसमें 1,200 लोग मारे गए थे और 240 लोगों को बंधक बना लिया था।
इजराइल हमास के शासन और सैन्य क्षमताओं को कुचलने तथा शेष 129 बंदियों को रिहा करने के घोषित लक्ष्यों को पूरा करने में अब भी मजबूती से जुटा है जबकि इजराइल के हमलों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।
एपी सिम्मी प्रशांत प्रशांत 2512 0930 दीरअलबलाह (bbc.com/hindi)
वेटिकन सिटी, 25 दिसंबर। बेथलहम के अस्तबल में यीशू के जन्म को याद करते हुए पोप फ्रांसिस (87) ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि ‘‘हथियारों का टकराव आज भी’’ यीशु को ‘‘दुनिया में जगह पाने से रोकता है।’’
बिशप ने रविवार को शाम की सामूहिक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता की जिसमें लगभग 6,500 श्रद्धालु शामिल हुए।
पोप ने सात अक्टूबर को इजराइल में हमास के घातक हमले और बंधक बनाने के कारण भड़के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारा दिल बेथलहम में है जहां ‘शांति के राजकुमार’ को युद्ध के निरर्थक तर्क ने एक बार फिर खारिज कर दिया।’’
प्रार्थना सभा शुरू होने पर हरे भरे और सफेद फूलों से सजे मंच के सामने ईसा मसीह की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया और दुनिया के सभी कोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चों ने भव्य सिंहासन के चारों ओर फूल रखे।
सफेद वस्त्र पहने फ्रांसिस ने सेंट पीटर के भव्य स्तंभों में से एक के नीचे खड़े होकर प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया।
फ्रांसिस ने कहा कि यीशु का जन्म राजा डेविड की शक्ति को मजबूत करने के लिए हुई जनगणना के दौरान हुआ था। उन्होंने कहा कि यीशु ने मानव शरीर धारण करके विनम्रतापूर्वक दुनिया में प्रवेश किया।
पोप ने कहा, ‘‘यहां हम क्रोध और दंड के देवता को नहीं बल्कि दया के देवता को देखते हैं जिसने मानव देह धारण की और दुनिया में प्रवेश किया।’’
एपी सुरभि सिम्मी सिम्मी 2512 0841 वेटिकनसिटी (एपी)
इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद (सल-लल-लाहो अलैहि वसल्लम) ने 630 ईस्वी में मक्का पर फ़तह हासिल करके अपने सबसे पुराने ख़्वाबों में से एक को पूरा किया था.
इसके बाद उन्होंने मक्का शहर से बुतपरस्ती का नाम-ओ-निशां मिटाने का आदेश जारी किया.
मक्का पर मोहम्मद साहब की इस मज़हबी फ़तह में गहरे राजनीतिक संकेत भी छुपे हुए थे. मक्का को नए मज़हब का मरकज़ घोषित कर दिया गया था; इसीलिए, मक्का पर विजय, एक अल्लाह से किए गए एक क़ौल को पूरा करने जैसी थी.
काबा यानी वो चौकोर इमारत, जहां पर शहर के तमाम बुत रखे हुए थे, वहां प्रवेश करने के बाद पैग़म्बर मोहम्मद ने सभी मूर्तियों को वहां से हटाने या नष्ट करने का आदेश दिया.
काबे में रखे तमाम देवी-देवताओं के बुतों में से एक मूर्ति एक कुंवारी युवती और उनके बच्चे की भी थी. इस ईसाई मूर्ति की ओर बढ़ते हुए मोहम्मद साहब ने उसे अपने चोगे से ढंक दिया और उसके अलावा बाक़ी सभी बुतों को वहाँ से निकाल बाहर करने का आदेश दिया.
ये हक़ीक़त है या फ़साना? ये सवाल मायने नहीं रखता. मैंने जिस रिपोर्ट के हवाले से ये क़िस्सा बयान किया है, वो कम से कम 1200 बरस पुराना है और इस्लाम के तारीख़ी लेखों के शुरुआती दौर का है.
मगर, इस क़िस्से से जो बात बयां होती है, वो ये है कि इस्लाम और ईसा मसीह के उस बुत के बीच साहित्य की एक लंबी परंपरा का अस्तित्व रहा है, जो क़रीब डेढ़ हज़ार बरस से लगातार चला आ रहा ऐतिहासिक संबंध है. दुनिया के किसी ग़ैर-ईसाई मज़हब का हज़रत ईसा से ये लगाव अनूठा है.
इस तारीख़ी हक़ीक़त से इंसाफ़ करने के लिए मुझे बहुत बड़े कैनवस की ज़रूरत पड़ेगी. ऐसे में बेहतर यही होगा कि मैं ईसा और इस्लाम के इस ताल्लुक़ का मोटा-मोटा ख़ाका खींचने की कोशिश करूं; इस रिश्ते के चुनिंदा क़िस्सों और निर्णायक क्षणों को ही बयां करूं.
मुसलमानों का पवित्र ग्रंथ क़ुरान, एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसे इस्लामिक सभ्यता की धुरी कहा जाता है. ऐसे में ज़ाहिर है हम इस्लाम के नज़रिए से ईसा की जो तस्वीर बनाने की कोशिश करेंगे, उसे बयां करने की शुरुआत क़ुरान से ही करनी होगी.
क़ुरान के क़रीब एक तिहाई हिस्से में मोहम्मद से पहले के पैग़म्बरों की तारीख़ बयां की गई है, और इसमें से ज़्यादातर में बाइबिल (ईसाइयों का पवित्र ग्रंथ) का हवाला दिया गया है.
क़ुरान में जिन तमाम पैग़म्बरों का ज़िक्र है उनमें से अकेले ईसा मसीह ही ऐसे हैं, जो सबसे बड़ी पहेली नज़र आते हैं. क़ुरान में किसी और पैग़म्बर की तुलना में ईसा के क़िस्से को सबसे मौलिक तरीक़े से बयां किया गया है. ऐसा करते हुए क़ुरान में हज़रत ईसा का बिल्कुल जुदा चरित्र चित्रण किया गया है.
ज़ाहिर है इसके पीछे मक़सद यही है कि उस दौर के ईसाई, ईसा को जिस नज़रिए से देखते थे, क़ुरान में ईसा का उससे एक अलग ख़ाका खींचा जाए.
इसका जो नतीजा निकला, वो किसी ईसाई पाठक या श्रोता के लिए चौंकाने वाला हो सकता है. क़ुरान में ईसा के बारे में किसी अन्य पैग़म्बर की तुलना में क़िस्से के बजाय ज़्यादा धार्मिक रोशनी में लिखा गया है.
यहाँ हज़रत ईसा आपको किसी फ़रिश्ते से बिल्कुल जुदा नज़र आते हैं. न ही वो अवतार लेते हैं और न ही धर्म के प्रचारक हैं और न ही वो उस पीड़ा के प्रतीक हैं, जिसे ईसाइयों के मुताबिक़ ईसा को भोगना पड़ा था.
क़ुरान में न तो ईसा ख़ुद को देवता बताते हैं और न ही ईश्वर की नज़र में वो सीधे तौर पर ख़ुदाई के दर्जे में आते हैं. कोई भी ईसाई ये सवाल उठा सकता है कि अगर ईसा के किरदार से इन सभी ख़ूबियों को अलग कर दिया जाए तो फिर उनकी अहमियत ही क्या रह जाती है?
क़ुरान में हज़रत ईसा का ज़िक्र बार-बार एक ऐसे पैग़म्बर के तौर पर आता है, जिनकी ख़ास अहमियत है. तमाम पैग़म्बरों के बीच उन्हें क़ुरान ने अनूठा बताया है, जो अल्लाह का करिश्मा हैं; वो अल्लाह की ज़ुबान हैं. उनकी आत्मा हैं.
वो अमन के सबसे बड़े संदेशवाहक हैं; और आख़िर में वो ईसा ही हैं जो इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद के आने की भविष्यवाणी करते हैं, और इस तरह आप ईसा को इस्लाम का अग्र-दूत भी कह सकते हैं.
आख़िर इस्लाम में ईसा की ऐसी तस्वीर कैसे बनी और इस्लामिक संस्कृति में इसका विकास कैसे हुआ?
हदीस (मोहम्मद साहब के कहे हुए शब्दों का संकलन) में ईसा का ज़िक्र एक ऐसे पैग़म्बर के तौर पर मिलता है, जो क़यामत के रोज़ आएगा और दुनिया को उसकी मंज़िल तक ले जाएगा.
कहने का मतलब ये है कि ईसा वो पैग़म्बर हैं, जो इस्लाम के युग के ख़ात्मे का एलान करेंगे. वो इस्लाम के आग़ाज़ से लेकर अंज़ाम के वक़्त तक, दोनों ही मोड़ों पर खड़े होंगे. हदीस के इस ज़िक्र के बाद, इस्लामिक साहित्य की बढ़ती परपंराओं में ईसा को उन जगहों पर पैग़म्बर के तौर पर क़ुबूल करना शुरू कर दिया गया था, जहां पर इस्लाम ने अपनी पताका फहराई थी.
इस्लामिक साहित्य में ईसा के उपदेशों और उनसे जुड़े क़िस्सों का एक बड़ा संग्रह है, जिन्हें मिलाकर मुस्लिम इंजील कहा जा सकता है (ईसा से जुड़े ऐसे क़िस्सों का संग्रह मैंने हाल ही में द मुस्लिम जीसस के नाम से प्रकाशित किया है).
ईसा के पैग़ामों और क़िस्सों के उसी संग्रह में से कुछ का मैं यहां ज़िक्र करना चाहूंगा: 'ईसा ने कहा कि वो क़िस्मतवाला है, जो अपने दिल की नज़र से देखता है, लेकिन जो वो देखता है उसमें उसका दिल नहीं लगता है.'
एक और उपदेश कुछ इस तरह है, 'ईसा ने कहा कि दुनिया एक पुल है. इस पुल को पार तो करो मगर इसके ऊपर कुछ न बनाओ.' एक और छोटी सी बातचीत का ज़िक्र कुछ इस तरह से है, 'ईसा एक आदमी से मिले और उससे पूछा कि तुम क्या कर रहे हो? उस आदमी ने जवाब दिया कि 'मैं ख़ुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रहा हूं.' ईसा ने कहा कि तुम्हारा ख़याल कौन रखता है?
उस शख़्स ने जवाब दिया, 'मेरा भाई'. तब ईसा ने कहा कि तुमसे ज़्यादा तो तुम्हारा भाई ईश्वर के प्रति समर्पित है.'
और ये बातचीत आगे जारी रहती है. ईसा के ऐसे क़रीब तीन सौ उपदेश और क़िस्से हैं, जिनका इस्लामिक साहित्य में ज़िक्र मिलता है. क़रीब एक हज़ार बरस के दौरान दर्ज इन व्याख्यानों में हम हज़रत ईसा के किरदार और उनके तमाम रूपों के प्रति इस्लामिक संस्कृति के लगाव को व्यक्त होते देखते हैं.
इस्लामिक साहित्य में ईसा
इन इस्लामिक आख्यानों में कभी प्रभु यीशु एक प्रखर संन्यासी नज़र आते हैं, और कभी वो इस्लामिक रहस्यवाद के संरक्षक के रूप में दिखाई देते हैं, जो सृष्टि के रहस्यों के संदेशवाहक हैं, क़ुदरत और इंसान का कल्याण करते हैं.
पर, हम ईसा का ख़ाका खींचने की मेरी कोशिश की ओर लौटते हैं और इस्लामिक साहित्य में ईसा के लंबे चौड़े ऐतिहासिक व्याख्यान की कुछ और महत्वपूर्ण बातों का ज़िक्र करते हैं. ईसा की दसवीं शताब्दी में बग़दाद में एक महान रहस्यवादी संत हुए, जिनका नाम था अल-हल्लाज. मशहूर फ्रांसीसी विद्वान लुई मैसिनियों ने अल-हल्लाज की ज़िंदगी और उन्हें सूली पर चढ़ाने के क़िस्से को, 'द पैशन ऑफ़ अल-हल्लाज' के नाम से लिखा है.
अगर आप मेरी बात पर यक़ीन करें, तो अल-हल्लाज, सुकरात, गांधी उनके जैसे एक या दो और संतों की तरह इंसानियत के इतिहास में ईसा से सबसे ज़्यादा मिलते जुलते लोगों में से एक थे. अल-हल्लाज और ईसा में समानता की एक बड़ी वजह ये थी कि उन्होंने आत्मा के स्वरूप को उसकी संपूर्णता में स्वीकार किया. वो मानते थे कि आत्मा, दैहिक जीवन के नियम क़ायदों से परे की चीज़ है.
ये इस हक़ीक़त की तलाश ही थी, जिसके चलते अल-हल्लाज ने ख़ुद के देवत्व के क़रीब होने का दावा किया. लेकिन, इसके साथ ही साथ अल-हल्लाज के अंदर क़ानून के प्रति समर्पण का भी एक भाव है, जिसे वो अपनी जान देकर पूरा करते हैं.
इसलिए, अल-हल्लाज की मौत क़ानून के दायरे में ही होती है, जिससे कि वो नियम-क़ायदों से ऊपर उठ सकें, उस पर विजय प्राप्त कर सकें. इसीलिए, एक बार अल-हल्लाज ने अपने शागिर्दों को सलाह दी कि, 'तुम हज के लिए मक्का क्यों जाओगे?
हज़रत ईसा, इस्लामिक सूफ़ीवाद के संरक्षक
अपने घर के भीतर एक छोटी सी इबादतगाह बनाओ और पूरी ईमानदारी से इसके प्रति अक़ीदत (निष्ठा) महसूस करते हुए उसका एक चक्कर लगाओ. इस तरह तुम हज का फ़र्ज़ पूरा कर सकते हो.' अल-हल्लाज की पूरी ज़िंदगी लिखे हुए नियम-क़ायदों और फ़र्ज़ की भावना के बीच खींच-तान का लेखा-जोखा है.
उनके इर्द गिर्द एक प्रभामंडल दिखाई देता है, जिसका समापन उनके ऊपर मुक़दमा चलने, उनके त्रासद आख़िरी दिनों और दिल को रुला देने वाली सूली पर चढ़ाने की घटना के साथ होता है.
अल-हल्लाज ने शुचिता का जो मानक प्रस्तुत किया, वो मुस्लिम रहस्यवाद के भीतर ईसा के रूप में लंबे समय तक ज़िंदा रहा. हज़रत ईसा, इस्लामिक सूफ़ीवाद के संरक्षक संत बन गए.
पर आइए अब बाद के वक़्तों की ओर बढ़ते हैं. धर्मयुद्धों यानी दो सदी तक चली जंगों के दौरान, यूरोपीय ईसाई सेनाओं और पश्चिमी एशिया के इस्लामिक लश्करों के बीच मुक़ाबला चलता रहा था.
धर्मयुद्धों के दौरान मुस्लिम विद्वानों को अमन के मसीहा ईसा और उनके तथाकथित अनुयायियों की बर्बरता के चलते दोनों के बीच बढ़ते फ़ासले की ओर इशारा करने का मौक़ा मिला. बारहवीं सदी में मुस्लिम साहित्य ने ईसा को फिर से अपनाने की कोशिश की.
इस्लामिक शास्त्रों में उनका नया चरित्र गढ़ा गया. अगर आप पसंद करें, तो धर्मयुद्ध में ईसा मसीह अपने तथाकथित अनुयायियों के ख़िलाफ़ और मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे.
ईसा की विरासत की इस जंग में, मुसलमानों को इस बात पर कोई शक नहीं था कि हज़रत ईसा, इस्लाम के हैं. एक अर्थ में ये क़ुरान में दर्ज ईसा के मंज़र की तरह था और अब ईसा की तलब पहले से ज़्यादा थी. उनका ज़िक्र अधिक ख़तरनाक था.
और जैसे-जैसे हम अपने दौर की ओर बढ़ते हैं, तो हम देखते हैं कि ईसा के जिन रूपों का वर्णन पहले किया गया था, उनमें से कई आज के दौर के इस्लामिक आध्यात्मिक विचारों में विद्यमान हैं.
बढ़ते फ़ासले की ओर इशारा
इनमें से ईसा की दो तस्वीरों का ज़िक्र मैं ख़ास तौर से करना चाहूंगा: एक तो वो ईसा हैं जो क़ुदरत और इंसान के मसीहा हैं. जिसके लिए मैं अपने श्रोताओं को दमिश्क़ के उत्तर में स्थित सिदनाया के मठ या फिर ईरान के शिराज़ शहर में ले जाना चाहूंगा.
सिदनाया के मठ की स्थापना बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन ने ईसा की छठीं सदी में की थी. ये मठ, घाटी के ऊपर स्थित एक उभरी हुई चट्टान पर बना हुआ है. इस मठ की ओर औरतो और मर्दों की लंबी क़तार जाती दिखाई देती है, जो हमारी ख़ातून और उनके नवजात बच्चे का आशीर्वाद लेना चाहते हैं.
इनमें से ज़्यादातर श्रद्धालु मुसलमान होते हैं, जो इस ईसाई मठ में उसी श्रद्धा के साथ आते हैं, जैसे उनके पुरखे पिछले एक हज़ार बरस से आते रहे थे.
इसके बाद आप शायद शिराज़ के दौरे पर जाना चाहें. मशहूर शहर शिराज़ को मुस्लिम कला और स्थापत्य कला का ख़ज़ाना कहा जाता है.
इसके अलावा कवियों और सूफ़ी संतों का एक बाग़ीचे वाला शहर भी यहां आबाद है, जिसमें ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की इस्लामिक मेडिकल परंपरा या मसीहा-दम या ईसा की ज़िंदा कर देने वाली फूंक से आज भी इलाज किया जाता है.
महान फ़ारसी कवि हाफ़िज़ ने क़रीब सात सदी पहले ही अपनी नज़्मों में इस परंपरा का अक्स उकेरा था. इस तरह साहित्यिक तौर पर हो या ईरान में पारंपरिक तरीक़े से इलाज के इस चलन में, हम ईसा के मसीहाई अवतार का सजीव रूप देखते हैं.
शिया इस्लाम में ईसा की ज़िंदगी
ईरान में दबदबा रखने वाले शिया इस्लाम में पैग़म्बर मोहम्मद के नवासे हुसैन की 682वीं ईस्वी में हुई शहादत को याद करना, एक मुख्य आध्यात्मिक कार्यक्रम होता है.
ख़ास तौर से शिया इस्लाम में ईसा की ज़िंदगी और मौत एक समानांतर धार्मिक घटना है. शिया इस्लाम की धार्मिक अनुभूति में ईसा/हुसैन के बीच ये समानता हमेशा मौजूद नज़र आती है.
मुझे अब एक और कवि का ज़िक्र करना चाहिए. इराक़ के बद्र शाकिर अल-सय्याब को बीसवीं सदी का सबसे महान अरब शायर कहा जाता है.
उनकी ज़िंदगी देश निकाला, क़ैद, ख़राब सेहत और ज़ुल्म-ओ-सितम के शिकार लोगों के अधिकारों के लिए समर्पित थी; बद्र शाकिर की शायरी का रूप बेहद आधुनिक था, लेकिन उनकी शैली बिल्कुल शास्त्रीय थी.उनकी कविताओं में आपको आधुनिक अरबी/इस्लामिक साहित्य पर शायद ईसा का सबसे गहरा और यादगार प्रभाव देखने को मिलेगा.
बद्र शाकिर की एक नज़्म, जिसका उन्वान है, 'सलीब पर चढ़ने के बाद के ईसा' तो ख़ास तौर से उनकी पीड़ा को बयान करती है. इस कविता में ईसा की कल्पना क़ुदरत के ख़ुदा और दर्दमंदों के मसीहा के तौर पर की गई है. इस कविता के साथ घोर अन्याय का जोखिम उठाते हुए, मैं इसके पहले और आख़िरी छंदों को बयां कर रहा हूं:
जब उन्होंने मुझे सलीब से नीचे उतारा, तो मैंने हवाओं का शोर सुना
जो ज़ार-ओ-क़तार रो रही थीं, जिनके शोर से पत्तों में सरसराहट हो रही थी और इसी के साथ क़दमों की चाप दूर जा रही थी. और तभी, मेरे घाव और वो सूली जिस पर उन्होंने मुझे पूरी दोपहर और सांझ को टांगा था उससे भी मेरी मौत नहीं हुई थी.
मैं सुनता रहा वो रुदन जो शहर और मेरे बीच के मैदान से गुज़र रहा था, ठीक उसी तरह जैसे समुद्र की तलहटी में डूबते किसी जहाज़ को रस्सी से खींचा जाए. वो मर्सिया, उस ग़मज़दा सर्द आसमान की आधी रात और सवेरे के बीच रोशनी की एक डोर जैसा था.
और अपने जज़्बात को सहलाता शहर सो गया.मैं आग़ाज़ के वक़्त मौजूद था. तब वहां ग़ुरबत भी थी. मैं मर गया ताकि मेरे नाम पर रोटी खाई जा सके; जिससे कि वो मुझे रुत आने पर रोप सकें. मैं कितनी ज़िंदगियां जी पाता! क्योंकि मैं तो ज़मीन पर खिंची हर लकीर जैसी तक़दीर बन गया हूं और एक बीज बन गया हूं.
मैं इंसानों की नई नस्ल बन गया हूं. हर इंसान के दिल में मेरे ख़ून का एक क़तरा है, एक छोटी सी बूंद है.
जब उन्होंने मुझे सलीब पर टांगा और मैंने शहर की ओर अपनी नज़रें घुमाईं, तो मैं बमुश्किल ही उस मैदान, उस दीवार और क़ब्रिस्तान को पहचान सका;
जहां तक मेरी नज़र देख सकती थी, वहां तक जंगल में आई बहार जैसा मंज़र था. जहां तक निगाह पहुँच सकती थी, वहां तक एक सूली थी, एक सोग मनाती हुई मां थी. ख़ुदा इसे पवित्र करे.
ईसा की सबसे समृद्ध, विविधतापूर्ण और व्यापक तस्वीरें
ये नज़्म मुक्ति की है. राजनीतिक भी और धार्मिक भी. ये एक कविता है जो क़यामत का असर रखने वाली आवाज़ में क़िस्से कहानियों के ईसा के किरदार को एक मसीहा, एक विजेता के तौर पर बुनती है. वो ईसा जो इस धरती के सताए हुए लोगों के ख़ुदा हैं, वो ईसा जो क़ुदरत के ख़ुदा और मसीहा हैं.
ये नज़्म के रूप में एक इंजील है, जिसमें ईसा की ऐसी कल्पना की गई है, जो दर्द से गुज़र रहे हैं, पर अंत में जीत जाते हैं.
इसीलिए: मैं ये मानता हूं कि इस्लामिक संस्कृति में ईसा की सबसे समृद्ध, विविधतापूर्ण और व्यापक तस्वीरें पेश की गई हैं, जो किसी भी ग़ैर ईसाई संस्कृति में सबसे अधिक हैं.
कम से कम मेरी जानकारी में तो ऐसा कोई और मज़हब नहीं है, जिसने ईसा के दोनों ही रूपों, उनके ऐतिहासिक किरदार और सनातन ईसा के प्रति इतना लगाव और समर्पण दिखाया है. आज के ख़तरनाक और बेहद संकुचित सोच वाले दौर में हमें इस इस्लामिक परंपरा का ज़ोर शोर से प्रचार करना चाहिए.
इस कहानी का निचोड़ बहुत साफ़ है: एक धर्म असल में अपने बाद आए धर्म का पूर्ववर्ती है. एक धर्म अपनी शहादत या गवाही के लिए पिछले धर्म की मदद लेता है. दो धर्मों के बीच आपसी निर्भरता की ईसा और इस्लाम से अच्छी कोई और मिसाल नहीं हो सकती है.
और ईसाई धर्म के लिए तो ख़ास तौर से, ईसा के प्रति लगाव का एक मतलब मेरी नज़र में ये जानना भी हो सकता है कि कैसे किसी और धर्म में उन्हें चाहा और सराहा गया है. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के कई रूढ़िवादी (ऑर्थोडॉक्स) ईसाई इस साल पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मना रहे हैं.
असल में यूक्रेन और रूस दोनों ही जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं, जिसके अनुसार क्रिसमस ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी को पड़ता है. दुनिया के ज़्यादातर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर का ही इस्तेमाल करते हैं.
पिछले 22 महीनों से रूसी आक्रमण से जूझ रहे यूक्रेन ने क्रिसमस के मामले में भी रूस से अलग राह चुनते हुए यह फ़ैसला लिया है.
इसके तहत, यूक्रेन अब से ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही क्रिसमस का पर्व मनाएगा. पश्चिमी देश 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाते हैं.
यूक्रेन 1917 में हुई रूस की क्रांति से पहले तक 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाता था.
क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाना सिर्फ़ एक त्योहार के दिन में बदलाव नहीं है, बल्कि ये सांस्कृतिक बदलाव के लिए यूक्रेन की ओर से उठाए गए उन क़दमों का हिस्सा है, जिनके तहत वह अपने यहां रूस के प्रभाव को ख़त्म करना चाहता है. (bbc.com/hindi)
इसराइल की सेना ने कहा है कि वह ग़ज़ा में अपना सैन्य अभियान जारी रखेगी.
इसराइल की सेना ने ये स्वीकार भी किया है कि ये अभियान मुश्किल और लंबा होगा.
इसराइली सेना के एक प्रवक्ता ने कहा है कि सप्ताहांत में इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा और दक्षिणी ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान को और व्यापक किया है.
इसी बीच अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से बात की है और आम नागरिकों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है.
वहीं, इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा है कि जब तक इसराइल अपने सभी लक्ष्य हासिल नहीं कर लेता है, ये युद्ध जारी रहेगा.
राष्ट्रपति बाइडन ने पत्रकारों से कहा है कि उन्होंने इसराइल के प्रधानमंत्री से युद्ध विराम के लिए नहीं कहा है.
हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इसराइल के हमलों में अब तक बीस हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 53 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. मारे गए अधिकतर लोगों में महिलाएं और बच्चे हैं.
इसराइल ने बताया है कि शुक्रवार के बाद से अब तक लड़ाई में उसके 13 सैनिक मारे गए हैं और अभी तक सैन्य अभियान में मारे गए सैनिकों की संख्या अब 154 हो गई है.
इसराइल ने दावा किया है कि हमास को ख़त्म करने के लिए शुरू हुए इस सैन्य अभियान के तहत अब तक हमास के 700 चरमपंथियों को गिरफ़्तार किया गया है.
हमास ने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमला किया था जिसमें 1200 इसराइली मारे गए थे. हमास ने क़रीब 240 लोगों को बंधक भी बनाया था. इसके अगले ही दिन से इसराइल ने हमास के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू कर दिया था.
इसराइली सेना का कहना है कि उत्तरी ग़ज़ा पर उसका लगभग पूर्ण नियंत्रण है और दक्षिणी ग़ज़ा में वो अपने अभियान को और विस्तार दे रहा है. (bbc.com/hindi)
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश ग़ज़ा युद्ध की भारी कीमत चुका रहा है.
वहीं इसराइल की सेना ने कहा है कि शुक्रवार के बाद से फ़लस्तीनी इलाके में उसके 14 और सैनिकों की मौत हुई है. इसके साथ ही जमीनी कार्रवाई में मरने वाले सैनिकों की संख्या अब 153 हो गई है.
ग़ज़ा में कबतक चलेगा इसराइल का अभियान
सेना का कहना है कि वह ग़ज़ा में अपना सैन्य अभियान जारी रखेगी. शनिवार का दिन खतरनाक दिनों में से एक था, लेकिन नेतन्याहू ने कहा कि उनकी सेना के पास लड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
इस बीच ग़ज़ा में हमास की ओर से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बीते दिनों 166 और लोगों की मौत हो गई. इस लड़ाई में अब तक 20 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं.
मंत्रालय का कहना है कि इस युद्ध में अब तक 54 हजार लोग घायल हुए हैं.
बाइडन ने क्या कहा
इसराइल की सेना ने ये स्वीकार भी किया है कि ये अभियान मुश्किल और लंबा होगा. सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि सप्ताहांत में इसराइली सेना ने उत्तरी ग़ज़ा और दक्षिणी ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान को और व्यापक किया है.
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से बात की है और आम नागरिकों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है.
हमास का हमला
हमास ने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमला किया था. इसमें 1200 इसराइली मारे गए थे. हमास ने क़रीब 240 लोगों को बंधक भी बनाया था.
इसके अगले ही दिन से इसराइल ने हमास के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू कर दिया था. इसराइली सेना का कहना है कि उत्तरी ग़ज़ा पर उसका लगभग पूर्ण नियंत्रण है और दक्षिणी ग़ज़ा में वो अपने अभियान को और विस्तार दे रहा है. (bbc.com/hindi)
तेल अवीव, 24 दिसंबर । गाजा में लड़ाई तेज होने के कारण हमास के खिलाफ हमले में इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) के 8 और सैनिक मारे गए हैं।
शनिवार को आईडीएफ ने पांच और सैनिकों की मौत की घोषणा की।
आईडीएफ ने एक बयान में कहा कि 27 अक्टूबर से अब तक मारे गए कुल सैनिकों की संख्या 152 तक पहुंच गई है।
आईडीएफ द्वारा मृतक सैनिकों की पहचान हाइफा से डेविड बोगदानोव्स्की (19) और ओरेल बाशान (20), यिफ़्ताह से गैल हर्शको (20) और लैपिड से इतामार शेमेन (22) के रूप में हुई।
हर्जलिया से मास्टर सार्जेंट नदाव इस्साकार फरही (30), हाइफा से मास्टर सार्जेंट एलियाहू मीर ओहाना (28) दोनों यिफ़्ताच ब्रिगेड एक पैदल सेना इकाई से थे।
जेरूसलम से पैराट्रूपर्स सार्जेंट फर्स्ट क्लास इलियासफ शोशन (28),और कफर योना से सार्जेंट प्रथम श्रेणी ओहद अशूर (23) मध्य गाजा में मारे गए।
हमास और इजरायल के बीच 24 नवंबर से एक दिसंबर तक एक सप्ताह के अस्थायी संघर्ष विराम के दौरान, हमास ने 105 बंधकों को रिहा कर दिया था, जबकि 129 बंधक अभी भी हमास की कैद में हैं।
इजराइलियों का मानना है कि बाकी 129 बंधकों में से कम से कम 20 बंधकों की मौत हो चुकी है।
इजरायली जेलों में हजारों फिलिस्तीनी हैं जिन्हें बिना किसी मुकदमे और कानूनी सलाह के बिना रखा गया है।
फिलिस्तीनी प्रिजनर्स क्लब ने कहा है कि इजरायली बलों ने 7 अक्टूबर से कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 4,655 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। (आईएएनएस)।
दमिश्क, 24 दिसंबर । तुर्की के युद्धक विमानों ने शनिवार रात पूर्वोत्तर सीरियाई प्रांत अल-हसाका में ऊर्जा सुविधाओं को निशाना बनाकर हवाई हमले किए। सीरियाई राज्य टेलीविजन ने ये जानकारी दी।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अल-क़मिश्ली के पास अल-क़हतनियाह शहर में अल-औदा तेल क्षेत्र हवाई हमले में प्रभावित हुआ है।
तुर्की ने अन्य तेल सुविधाओं को भी निशाना बनाया, जिसमें सईदा और ज़रबाह तेल स्टेशन, साथ ही अल-क़हतनियाह में एक कृषि बैंक साइट भी शामिल थी।
अल-मलिकियाह शहर के विभिन्न स्थानों पर भी हमले हुए। हमलों के कारण कथित तौर पर कम से कम दो स्थानों पर आग लग गई। इसकी पुष्टि सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स युद्ध मॉनिटर ने की है।
हालांकि इंसानों के मरने के संबंध में जानकारी नहीं मिल पाई है। ब्रिटेन स्थित निगरानी समूह ने कहा कि तुर्की के युद्धक विमान इस क्षेत्र के आसमान में गश्त जारी रखे हुए हैं।
तुर्की आमतौर पर उत्तरी सीरिया में कुर्द सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्रों पर हमला करता है। अल-हसाकाह पर बड़े पैमाने पर कुर्द नेतृत्व वाली सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस का नियंत्रण है, जिसे तुर्की एक आतंकवादी समूह मानता है। (आईएएनएस)।
बीजिंग, 24 दिसंबर । अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने कहा कि रविवार को 0323 जीएमटी पर 5.9 तीव्रता का भूकंप चिली के कैनेट के 52 किमी दक्षिण पश्चिम में आया।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र 11.8 किमी की गहराई पर 38.08 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 73.88 डिग्री पश्चिम देशांतर पर था।
अभी तक जानमाल के नुकसान की रिपोर्ट नहीं आई है। (आईएएनएस)
लंदन, 24 दिसंबर । निकारागुआ में एक सड़क दुर्घटना में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए। उप राष्ट्रपति रोसारियो मुरिलो ने कहा कि शनिवार को माटागाल्पा में ये दुर्घटना हुई।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने स्थानीय टेलीविजन चैनल 4 को बताया कि मरने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं।
दुर्घटना शनिवार सुबह हुई जब लगभग 70 यात्रियों को ले जा रही एक बस रैंचो ग्रांड नगर पालिका में मानसेरा नदी पुल की बाड़ से टकरा गई।
माटागाल्पा के राजनीतिक सचिव पेड्रो हसलाम ने कहा, "हम माटागाल्पा शहर में हुई इस त्रासदी पर अफसोस जताते हैं।"
हसलाम ने कहा कि माटागल्पा सरकारी अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय पुलिस और अग्निशमन विभाग की इकाइयां पीड़ितों की देखभाल के लिए घटनास्थल पर है। (आईएएनएस)
टोरंटो, 24 दिसंबर। इस महीने कनाडा के ओंटारियो प्रांत में अधिकारियों द्वारा 100 पाउंड से अधिक संदिग्ध कोकीन जब्त करने के मामले में 27 वर्षीय भारतीय मूल के ट्रक चालक पर आरोप लगाया गया है।
समाचार चैनल सीपी24 की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रैम्पटन के निवासी मनप्रीत सिंह को रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने कोकीन रखने और तस्करी के आरोप में हिरासत में ले लिया।
कनाडा सीमा सेवा एजेंसी (सीबीएसए) के अनुसार, सिंह का ट्रक ओंटारियो के प्वाइंट एडवर्ड से देश में प्रवेश किया, और उसे जांच के लिए भेजा गया था।
वाहन का निरीक्षण करते समय, सीमा सेवा अधिकारियों ने कथित तौर पर 52 किलोग्राम संदिग्ध कोकीन जब्त किया।
समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीएसए ने सिंह को 4 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया और आरसीएमपी को सौंप दिया। उनका मामला अब अदालत के समक्ष है।
“आरसीएमपी कनाडाई लोगों को हमारी सीमाओं पर पहचाने गए खतरों से बचाने के लिए सीबीएसए के साथ मिलकर काम करता है। आरसीएमपी के बॉर्डर इंटीग्रिटी प्रोग्राम के अधीक्षक राय बोलस्टरली ने एक विज्ञप्ति में कहा, यह ड्रग्स को लोगों तक पहुंचनेे से रोकने के लिए हमारी एजेंसियों द्वारा किए जा रहे काम का एक और उदाहरण है।
जनवरी से 31 अक्टूबर, 2023 तक, दक्षिणी ओंटारियो क्षेत्र में सीबीएसए ने 1,300 किलोग्राम से अधिक नशीले पदार्थ जब्त किए। (आईएएनएस)
रियो डी जनेरियो, 24 दिसंबर । ब्राजील के साओ पाउलो राज्य के एक आवासीय क्षेत्र में शनिवार को एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें एक नाबालिग सहित पांच लोगों की मौत हो गई। स्थानीय मीडिया से ये जानकारी सामने आई है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अग्निशामकों ने यह नहीं बताया कि सभी मृतक विमान में यात्रा कर रहे थे या नहीं। विमान छोटा था।
विमान एक इंजन वाला आरवी-10 था जिसमें एक पायलट और तीन यात्रियों के बैठने की जगह थी। (आईएएनएस)
तेल अवीव, 24 दिसंबर । इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने शनिवार को घोषणा की कि गाजा पट्टी में लड़ाई के दौरान पांच और इजरायली सैनिक मारे गए।
इस प्रकार 27 अक्टूबर से गाजा में हमास के खिलाफ जमीनी अभियान में आईडीएफ के सैनिकों की मौत का आंकड़ा 144 हो गया है।
मृतकों की पहचान स्टाफ सार्जेंट बीट केशेत के रहने वाले नीर राफेल कनानियन (20), स्टाफ सार्जेंट बीट शेमेश से बिरहानु कासी (20), मास्टर सार्जेंट (रेस.) रोश पिना से शे टर्मिन (26), कार्मिकेल से वारंट ऑफिसर (रेस.) अलेक्जेंडर शपिट्स (41) और कैप्टन ओश्री मोशे बुतज़क (22), हाइफ़ा निवासी के रूप में की गई।
कनानियन, कासी, टर्मिन और शपिट्स शुक्रवार को दक्षिणी गाजा में मारे गए थे, जबकि बुटज़क की मौत शनिवार को उत्तरी गाजा पट्टी में हुई। (आईएएनएस)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फ़ैसला लिया है कि देश में अंडे और चिकन को सभी आयात करों से मुक्त किया जाना चाहिए.
पुतिन ने ये निर्णय एक कॉलर की शिकायत के बाद लिया है.
असल में हर साल के अंत में रूस के राष्ट्रपति देश के लोगों से फ़ोन कॉल के ज़रिए बात करते हैं. देश के नागरिक उन्हें सीधे फ़ोन कर अपनी परेशानी बता सकते हैं.
हाल में पुतिन से एक कॉलर ने अपनी नाराज़गी जाहिर की. उन्होंने कहा कि चिकन और अंडे पर लगाए जा रहे उच्च आयात शुल्क के कारण उन्हें ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ पुतिन ने कॉलर की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयात शुल्क को कम करने का फ़ैसला किया और अब इसे लागू किया जा रहा है.
रूस में अगले तीन महीने में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. (bbc.com/hindi)
गाजा, 23 दिसंबर । गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 48 घंटों में गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों में 390 फिलिस्तीनी मारे गए और 734 घायल हो गए।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को मंत्रालय के हवाले से बताया गया कि 7 अक्टूबर को इजरायल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से गाजा पट्टी में अब तक कम से कम 20,057 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 53,320 घायल हुए हैं।
नाम न छापने का अनुरोध करने वाले एक फिलिस्तीनी सुरक्षा स्रोत के अनुसार, लगभग दो दिनों की रुकावट के बाद गुरुवार रात गाजा में संचार और इंटरनेट सेवाएं धीरे-धीरे फिर से शुरू हो गईं।
सूत्र ने कहा, इजराइल पिछले दो दिनों से गाजा पट्टी के अधिकांश हिस्सों पर हवा, जमीन और समुद्र से हमला कर रहा है, जबकि राफा को छोड़कर गाजा के अधिकांश इलाकों में इजराइली बलों और सशस्त्र फिलिस्तीनी गुटों के बीच लड़ाई जारी है। (आईएएनएस)।
तेल अवीव, 23 दिसंबर । इजराइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने घोषणा की है कि उसने हमास आतंकवादी समूह के सैन्य प्रमुख मोहम्मद डेफ़ के घर को नष्ट कर दिया है।
आईडीएफ के अनुसार, डेफ़ हमास के एक अन्य शीर्ष नेता याह्या सिनवार के साथ दक्षिण इज़राइल में 7 अक्टूबर के नरसंहार का मास्टरमाइंड है। हमास के आतंकवादियों ने 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और विदेशी नागरिकों सहित 240 से अधिक लोगों का अपहरण कर लिया था।
इज़राइल सेना की 7वीं ब्रिगेड की 82वीं बटालियन ने छापेमारी की और बाद में डेफ़ के घर को नष्ट करने के लिए एक नियंत्रित विस्फोट किया।
बलों ने डेफ़ के फ़िलिस्तीनी पहचान पत्र के साथ-साथ भगोड़े नेता की निजी डायरी सहित कई दस्तावेज़ भी बरामद किए।
गौरतलब है कि आईडीएफ ने गाजा पट्टी में पर्चे गिराए थे, जिसमें मोहम्मद डेफ़ के बारे में जानकारी देने वाले को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की घोषणा की गई थी।
मोहम्मद डेफ़ की हत्या के सात प्रयास हुए और इनमें से चार इज़राइल और हमास के बीच 2014 के युद्ध के दौरान हुए। ऐसी खबरें थीं कि पहले की हत्या की कोशिशों के दौरान उनके कई करीबी रिश्तेदार मारे गए थे। (आईएएनएस)।
न्यूयॉर्क, 23 दिसंबर । अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में एक प्रमुख हिंदू मंदिर में खालिस्तान समर्थक तत्वों ने मोदी विरोधी भित्तिचित्रों के साथ तोड़फोड़ की है।
बे एरिया के नेवार्क में श्री स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए और खालिस्तान नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा करते हुए भित्तिचित्रों के साथ स्प्रे पेंट किया गया था।
मंदिर के एक सदस्य चिंतन पंड्या ने सीबीएस न्यूज़ को बताया, "पिछली रात जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय समुदाय के खिलाफ बर्बरता और हिंसा है।"
उन्होंने कहा कि यह घटना चिंताजनक है, क्योंकि लगभग दो साल पहले खुलने के बाद से यह पहली बार है कि मंदिर में ऐसा कुछ हुआ है।
पंड्या ने कहा, "यह समुदाय के लिए सुरक्षित नहीं है।" उन्होंने कहा कि घटना पर चर्चा के लिए मंदिर के नेता एक विशेष बैठक करेंगे।
अमेरिका स्थित वकालत संगठन, गठबंधन ऑफ हिंदूज़ ऑफ नॉर्थ अमेरिका (सीओएचएनए) ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ते हिंदूफोबिया को संबोधित करने के लिए एक संपूर्ण और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
सीओएचएनए ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा,"धर्म की स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं है, जब पवित्र स्थान जो शांति और शांति का नखलिस्तान माना जाता है, बिना किसी परिणाम के बर्बरतापूर्ण है। हम दुखी हैं, लेकिन हैरान नहीं हैं - अधिकारियों, मीडिया और अन्य समूहों ने क्षेत्र मेंनियमित रूप से बढ़ती हिंदूफोबिया को कम या नजरअंदाज किया है।"
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के सह-संस्थापक मिहिर मेघानी ने सीबीएस न्यूज़ से कहा,"मुझे लगता है कि अधिकांश अमेरिकी, अधिकांश भारतीय, अधिकांश हिंदू इस कृत्य का नापसंद करते हैं।''
मेघानी ने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में भारतीय-अमेरिकी समुदाय बढ़ रहा है और ये राजनीतिक मुद्दे अब यहां विभाजन का हिस्सा बन रहे हैं।
यह घटना अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा न्यूयॉर्क स्थित खालिस्तान नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून को मारने की नाकाम साजिश में कथित संलिप्तता के लिए एक भारतीय नागरिक के खिलाफ अभियोग को खारिज करने के ठीक बाद हुई है। (आईएएनएस)।
वाशिंगटन, 23 दिसंबर । वयस्क मनोरंजन मंच पोर्नहब की मूल कंपनी आयलो होल्डिंग्स (पूर्व में माइंडगीक) यौन तस्करी से मुनाफा कमाने के आरोप को सुलझाने के लिए अमेरिकी सरकार को 1.8 मिलियन डॉलर का भुगतान करेगी।
आरोप को हल करने के लिए अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के साथ एक विलंबित अभियोजन समझौते (डीपीए) में प्रवेश करने के बाद, कंपनी पर यौन तस्करी की आय से जुड़े गैरकानूनी मौद्रिक लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
डीपीए तीन साल के लिए एक मॉनिटर की नियुक्ति और अमेरिका तथा अंतर्निहित यौन तस्करी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित व्यक्तियों को भुगतान करने का प्रावधान करता है।
न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के एक संयुक्त राज्य अटॉर्नी कार्यालय ने अपने एक बयान में कहा, आयलो की स्वीकारोक्ति और अदालती दस्तावेजों के अनुसार, 2017 और 2019 के बीच, कंपनी को "पैसा प्राप्त हुआ, जो आयलो को पता था या पता होना चाहिए था कि यह गर्ल्सडूपोर्न (जीडीपी) ऑपरेटरों के यौन तस्करी के संचालन से प्राप्त हुआ था।"
संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी ब्रियोन ने कहा, "यह स्थगित अभियोजन समझौता पोर्नहब.कॉम की मूल कंपनी को वीडियो होस्ट करने और आपराधिक अभिनेताओं से भुगतान स्वीकार करने में अपनी भूमिका के लिए जवाबदेह बनाता है, जिन्होंने युवा महिलाओं को उनकी सहमति के बिना पोस्ट किए गए वीडियो पर यौन कृत्यों में शामिल होने के लिए मजबूर किया था।"
"हमारी आशा है कि यह संकल्प, जिसमें उन महिलाओं को कुछ सहमत भुगतान शामिल हैं जिनकी तस्वीरें कंपनी के प्लेटफार्मों पर पोस्ट की गई थीं और एक स्वतंत्र निगरानी नकारात्मक रूप से प्रभावित लोगों के लिए कुछ हद तक समाधान लाएगी।"
आयलो ने जीडीपी ऑपरेटरों के पीड़ितों को मौद्रिक भुगतान प्रदान करने पर भी सहमति व्यक्त की है, जिन्हें अन्यथा पहले से ही मुआवजा नहीं मिला है, और जिनकी छवियां आयलो के प्लेटफार्मों पर पोस्ट की गई थीं।
इस सप्ताह की शुरुआत में, पोर्नहब, स्ट्रिपचैट और एक्सवीडियो को यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम (डीएसए) के तहत सख्त विनियमन के अधीन प्लेटफार्मों की सूची में जोड़ा गया था। (आईएएनएस)।
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 23 दिसंबर। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्री (एमओएच) ओंग ये कुंग ने कहा है कि कोविड-19 की नई लहर में सिंगापुर में संक्रमण के मामले संभवत: चरम पर पहुंच चुके हैं, इसलिए मास्क पहनने को अनिवार्य करने जैसे अतिरिक्त उपायों को लागू करने की आवश्यकता नहीं है।
चैनल ‘न्यूज एशिया’ ने अपनी एक खबर में शुक्रवार को उत्तरी सिंगापुर के वुडलैंड्स में एक स्वास्थ्य परिसर के उद्घाटन के अवसर पर ओंग के हवाले से कहा, ‘‘मामलों में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि इस लहर का यह चरम है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास अस्पताल में 10,000 बिस्तरों वाली मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली हैं। 600 या 700 बिस्तर पर मरीजों के होने का मतलब है कि छह-सात प्रतिशत बिस्तर पर संक्रमित मरीज हैं, जो कम नहीं है। यह हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और हमारे तंत्र पर काम के अच्छे खासे दबाव जैसा है।’’
ओंग ने कहा, ‘‘हम आकलन कर रहे हैं... कि क्या हम अतिरिक्त एसएमएम (सुरक्षित प्रबंधन उपायों) के बिना इसका सामना कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में संक्रमितों की अनुमानित संख्या में कमी आई है। मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे संकेत हैं कि मामले थम गए हैं।’’
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती होने और गहन देखभाल की आवश्यकता संक्रमण के मामलों से कम रहती है। मामले लगातार चार सप्ताह से बढ़ रहे हैं। 12-18 नवंबर में संक्रमितों की संख्या 10,726 थी जबकि 10-16 दिसंबर में यह बढ़कर 58,300 हो गई।
‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर’ के ‘सॉ स्वी हॉक स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के एसोसिएट प्रोफेसर एलेक्स कुक ने चेतावनी दी, ‘‘हमें यह याद रखना होगा कि गंभीर मामले आम तौर पर हल्के मामलों के चरम पर पहुंचने के बाद तेज गति से बढ़ेंगे।’’
मंत्री ओंग ने स्वीकार किया कि क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के दौरान संक्रमण फैलने की आशंका है। उन्होंने सिंगापुरवासियों को बीमार होने पर मास्क पहनने और घर पर रहने तथा टीकाकरण कराने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों या गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए साल में एक बार टीकाकरण कराना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें संक्रमण जल्दी चपेट में ले सकता है। (भाषा)
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भारत के 75वें गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत की ओर से फ्रांस के राष्ट्रपति को इसके लिए औपचारिक तौर पर आमंत्रण पत्र भेजा गया है.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन 2024 के गणतंत्र के मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले थे.
लेकिन कुछ दिन पहले उनके इस दौरे के रद्द होने की ख़बर आई थी.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई में फ्रांस के दौरे पर गए थे, जहां वे बैस्टिल डे परेड के मुख्य मेहमान बने थे.
26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ पर होने वाले मुख्य समारोह में हर साल दुनिया के किसी राष्ट्राध्यक्ष को बुलाया जाता है.
इससे पहले साल 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने निमंत्रण स्वीकार करते हुए ट्विटर पर लिखा, "गणतंत्र दिवस पर आपके निमंत्रण के लिए शुक्रिया, मेरे अज़ीज़ मित्र नरेंद्र मोदी. मैं इस उत्सव में आपके साथ मौजूद रहूंगा."
इस बीच राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस की तैयारियां शुरू हो गई हैं.
सेना के जवानों ने कर्तव्य पथ पर रिहर्सल करना शुरू कर दिया है. (bbc.com/hindi)
-मारिको ओई
जापान ने कहा है कि अपनी शांतिवादी नीतियों से हटकर अपने हथियार निर्यात नियम बदलने के बाद वो अमेरिका को पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल भेजेगा.
व्हाइट हाउस ने जापान के इस क़दम का स्वागत किया है.
बताया जा रहा है कि जापान से ये मिसाइलें मिलने के बाद अमेरिका अब अपने भंडार से और हथियार यूक्रेन भेज सकता है.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में पश्चिमी देशों के पास गोला-बारूद की कमी हो रही है.
पैट्रियट मिसाइल, अमेरिका द्वारा यूक्रेन को भेजे गए सबसे उन्नत हथियारों में से एक है.
जापान अब तक केवल लाइसेंस प्राप्त उपकरणों के कंपोनेन्ट ही उन देशों को देता था, जहां मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस जारी हुए होते हैं. लेकिन नए नियमों के तहत जापान अब तैयार माल भी वहां भेज सकता है.
जापान में, पैट्रियट मिसाइलों का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनियों लॉकहीड मार्टिन और आरटीएक्स के लाइसेंस के तहत, मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज करती है.
जापान सरकार द्वारा शुक्रवार को इस बदलाव की घोषणा करने के तुरंत बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो 'जापान-अमेरिका गठबंधन को और मज़बूत करने' के लिए पैट्रियट मिसाइलों को अमेरिका भेजेगा.
बयान में कहा गया है कि इन मिसाइलों को केवल अमेरिका को ही दिया जा सकता है.
किसी तीसरे देश में इसे भेजने के पहले जापान की मंजूरी की ज़रूरत होगी. जापान में अभी भी युद्धग्रस्त देशों को हथियारों के निर्यात पर प्रतिबंध है.
इसका मतलब यह होगा कि जापान में बने पैट्रियट मिसाइल, यूक्रेन को हथियार भेजने के कारण अमेरिका के हथियार भंडार में हुई कमी की भरपाई कर सकती है. (bbc.com/hindi)
-ब्रैंड डेबुसमैन
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने अभी ये तय करने से इनकार कर दिया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2020 का चुनाव पलटने की कथित कोशिश करने वाले मुकदमे में उन पर आरोप तय करने से उन्हें छूट मिलेगी या नहीं.
ट्रंप का दावा है कि उन पर आरोप तय करने से उन्हें छूट हासिल है, क्योंकि दंगे से पहले और उस दौरान वे राष्ट्रपति के रूप में अपना काम कर रहे थे.
अदालत के ताज़ा फ़ैसले से ऐसा लग रहा है कि अपना ट्रायल धीमा रखने के ट्रंप के प्रयास सफल हो रहे हैं, क्योंकि अब यह मुकदमा अपील प्रक्रिया के ज़रिए ही गुजरेगा.
ट्रायल में होने वाली देरी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के लिए 'प्रक्रियात्मक जीत का एक प्रतीक' माना जा रहा है, क्योंकि उनकी क़ानूनी टीम इस ट्रायल को जहां तक हो सके लंबे समय तक टालने की कोशिश कर रही है.
हालांकि विशेष वकील जैक स्मिथ ने अदालत से मामले की तुरंत सुनवाई करने को कहा था. लेकिन अदालत ने विस्तार से बताए बिना केवल इतना कहा कि स्मिथ की याचिका 'अस्वीकार' की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला स्मिथ के लिए एक झटका है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने की अपील की थी.
उनका कहना था कि अपील प्रक्रिया ट्रंप के ट्रायल को शुरू करने में देरी कर सकती है.
स्मिथ के कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फ़ैसले पर कोई बयान जारी करने से इनकार कर दिया है.
6 जनवरी 2021 के कैपिटल हिल दंगे के कारण चुनाव को पलटने के उनके कथित प्रयासों के लिए डोनाल्ड ट्रंप की जांच की जा रही है.
ट्रंप को इस साल की शुरुआत में चुनाव परिणाम को पलटने के आरोप में दोषी ठहराया गया था. (bbc.com/hindi)
सिंगापुर, 22 दिसंबर। सिंगापुर में पिछले सप्ताह कोरोना वायरस संक्रमण के 965 नए मामले सामने आए वहीं उससे पहले के सप्ताह में संक्रमण के मामले 763 थे।
इस अवधि में गहन देखभाल इकाईयों (आईसीयू) में भर्ती मरीजों की संख्या 23 से बढ़कर 32 हो गई है।
समाचारपत्र 'टुडे' ने अपनी एक खबर में बृहस्पतिवार को बताया कि यह इस साल अस्पताल में भर्ती होने तथा आईसीयू में भर्ती होने वाले कोविड-19 मरीजों की सबसे अधिक संख्या है।
अखबार ने विशेषज्ञों के हवाले से बताया कि कोविड-19 के अधिकतर मरीज नए उपस्वरूप जेएन.1 से संक्रमित हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तरी गोलार्ध में सर्दी बढ़ने और लोगों के मास्क नहीं पहनने के कारण कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हुई है।
सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओएच) ने कहा कि उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आंकड़ों से अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि बीए.2.86 या जेएन.1 से संक्रमण तेजी से फैलता है या इससे लोग अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं। (भाषा)
ओटावा (ओंटारियो), 22 दिसंबर। कनाडा ने गाजा पट्टी के उन लोगों को अस्थाई वीजा देने की घोषणा की है जिनके रिश्तेदार कनाडा में रहते हैं।
कनाडा के आव्रजन मंत्री मार्क मिलर ने बृहस्पतिवार रात इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि यह अभियान नौ जनवरी तक शुरू हो सकता है। हालांकि संघीय सरकार ने युद्धग्रस्त क्षेत्र से नागरिकों की सुरक्षित निकासी का कोई आश्वासन नहीं दिया है।
आव्रजन मंत्री मिलर ने कहा कि सरकार का ध्यान 660 कनाडाई नागरिकों, स्थाई निवासियों और उनके जीवनसाथियों तथा बच्चों को गाजा से बाहर निकालने पर है।
मिलर ने कहा कि सरकार माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहन और पोते-पोतियों सहित कनाडा से जुड़े विस्तारित पारिवारिक संबंध वाले लोगों के लिए आवेदन स्वीकार करना शुरू करेगी।
उन्होंने कहा कि मानकों पर खरे उतरने वालों को सरकार तीन वर्ष के लिए वीजा देगी। मिलर ने कहा कि वह निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकते कि इस अभियान के तहत कितने लोग कनाडा आ सकते हैं लेकिन उन्होंने कहा कि यह संख्या सैंकडों में हो सकती है।
आव्रजन मंत्री ने साथ ही कहा कि कनाडाई नागरिकों को गाजा से निकालना मुश्किल रहा है ‘‘ हमारी क्षमताएं सीमित हैं।’’
एपी शोभना शोभना शोभना 2212 0839 ओटावा (एपी)