राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने 2021 के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा है। देश में अब तक कोविड-19 टीकों की 99 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, "भारत में सस्ती, सुलभ, सुरक्षित और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की बड़ी जिम्मेदारी हम पर है। भारत सरकार ने संचारी और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए विभिन्न राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किए हैं।"
मंत्री ने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में काम करते हुए, सरकार ने दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित स्वास्थ्य कार्यक्रम 'आयुष्मान भारत' मिशन शुरू किया है।
पवार ने कहा, "डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को शामिल करने के लिए योजना का विस्तार किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए सरकारी निजी भागीदारी के तहत वित्त उपलब्ध कराना है।"
पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य देखभाल परिणाम संकेतकों के बारे में बात करते हुए, (जिसमें लगातार सुधार का अनुमान है) मंत्री ने कहा, "संचारी और गैर संचारी रोगों के नियंत्रण, बचाव और उन्मूलन के लिए सरकार अथक प्रयास कर रही है, जिसके कारण कई योजनायें और कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किये जा सके हैं। सरकार के प्रयासों से महिलाओं, बच्चों, शिशुओं और नवजातों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।"
भारती पवार बुधवार को निर्माण भवन से फिक्की हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवार्ड समारोह में बोल रही थीं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विभिन्न परिवर्तन और विकास लाने के लिए फिक्की द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के सस्ती, सुलभ और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के सपने को प्राप्त करने की हमारी बड़ी जिम्मेदारी है।"
पवार ने कहा, "सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विकास के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के साथ-साथ देश भर में अस्पतालों, सार्वजनिक वित्त पोषित प्रयोगशालाओं के सार्वजनिक-निजी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कई वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और पैरामेडिक्स चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में परिषद की प्रमुख उपलब्धियां रही हैं।"(आईएएनएस)
मुंबई , 20 अक्टूबर: मुंबई क्रूज शिप ड्रग मामले में बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. कोर्ट ने उनकी जमानत नामंजूर कर दी है. जिसके बाद आर्यन खान की ओर से पैरवी कर रही वकीलों की टीम ने हाईकोर्ट का रुख किया है. आर्यन खान के वकीलों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की है.
बता दें कि आज विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने आर्यन और दो अन्य आरोपियों अरबाज मर्चेंट तथा फैशन मॉडल मुनमुन धमेचा की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा को मादक पदार्थ रखने, इससे संबंधित साजिश, इसके सेवन, खरीद और तस्करी करने के आरोप में तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. तीनों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. आर्यन और मर्चेंट मुंबई में ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं तथा धमेचा यहां बायकुला महिला कारागार में बंद है. मामले में आरोपी आर्यन खान और अन्य के खिलाफ एनडीपीएस कानून की धाराओं-8(सी), 20(बी), 27, 28, 29 और 35 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
जमानत नामंजूर होने के बाद आर्यन को अभी आर्थर रोड जेल में ही रहना होगा. गौरतलब है कि आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका पर सेशन कोर्ट में पिछले हफ्ते सुनवाई हुई थी जिसके बाद अदालत ने फैसला 20 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि आर्यन खान को 3 अक्टूबर को इस ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया था और वे पिछले 17 दिनों से हिरासत में हैं.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का आरोप है कि गोवा जा रहे क्रूज शिप में जो ड्रग्स पार्टी आयोजित की गई थी, उसमें आर्यन भी थे. दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि आर्यन के पास से कोई भी ड्रग्स बरामद नहीं हुआ है. न ही उसने इसका सेवन किया है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. NCB लगातार इस केस में बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग गिरोह होने का दावा कर रही है.NCB का आरोप है कि आर्यन विदेशों ड्रग पैडलर के संपर्क में थे. यह ड्रग्स की गैरकानूनी खरीद के ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है.
जांच एजेंसी ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि आरोपी बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीद के लिए विदेशियों के संपर्क में था. जबकि आर्यन के वकीलों ने इसे गलत बताते हुए कहा कि वह क्रूज़ पर भी नहीं था, जिस पर एनसीबी अधिकारियों ने छापा मारा था.आर्यन के पास ड्रग्स खरीदने के लिए रकम नहीं थी. अभिनेता पुत्र के पास कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुई है. जब एनसीबी ने छापा मारा था, तब आर्यन ने क्रूज में एंट्री तक नहीं की थी. न ही ड्रग्स का इस्तेमाल किया था. उनसे पुलिस को कुछ भी नहीं मिला.जमानत न मिलने के बाद आर्यन खान को ऑर्थर रोड जेल में में शिफ्ट कर दिया गया था. अभिनेता के बेटे को विचाराधीन कैदी के तौर पर N956 नंबर मिला है. (भाषा से भी इनपुट)
पहले चीनी और तेल महंगा हुआ, अब प्याज आसमान पर है. भारत में महंगाई से लोगों के जेब पर बन आई है और राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
मुंबई के एक बाहरी इलाके में अपने घर के पास वाले छोटे से बाजार से सब्जी खरीद रहीं शुभांगी पाटिल चीजों के दाम सुनकर हैरान हैं. तेल और चीनी से लेकर अब प्याज तक रोजमर्रा की जरूरत की तमाम चीजों की कीमतें आसमान पर हैं.
भारत में प्याज राजनीतिक रूप से संवेदनशील चीज रहा है. इसकी कीमतें पहले भी कई सरकारें गिरा चुकी हैं. पाटिल कहती हैं, "हर जरूरी चीज महंगी हो गई है. पहले तेल और चीनी महंगे हुए. अब प्याज और टमाटर की कीमत दो हफ्ते में दोगुनी हो गई है. कमाई बढ़ नहीं रही है तो महीने का बजट कोई कैसे संभालेगा?”
प्याज का बोझ
ईंधन और खाने के तेल की कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पाटिल जैसे आम भारतीयों के लिए प्याज का बोझ जेब की जान ले रहा है. हाल ही में भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुई भारी बारिश ने न सिर्फ गर्मी की फसल को नुकसान पहुंचाया है बल्कि सर्दी की फसल की बुआई में भी देर करवा दी है.
मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर धुले जिले के किसान समधन बागुल कहते हैं, "सितंबर में बहुत बारिश हुई तो बीमारी का हमला हुआ और फसल कम हो गई.” एक एकड़ से पांच टन तक फसल लेने वाले बागुल इस साल एक टन फसल की ही उम्मीद कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य हैं. यहां सितंबर में सामान्य से 268 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है. फसल को नुकसान पहुंचा तो सप्लाई प्रभावित हुई. इसलिए प्याज के सबसे बड़े होलसेल बाजार महाराष्ट्र के लजलगांव में प्याज की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर एक महीने में 33,400 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई. नतीजा यह हुआ कि मुंबई के बाजारों में प्यार 50 रुपये किलो से भी ज्यादा में मिल रहा है.
निर्यात का संकट
विशेषज्ञों का अनुमान है कि त्योहार के मौजूदा दिनों में तो प्याज की कीमतें कम नहीं होने वाली. मुंबई के एक व्यापारी के मुताबिक कम से कम जनवरी तक, जब तक कि नई फसल नहीं आ जाती, प्याज की कीमत उतनी ही बनी रहेगी.
भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है लेकिन महंगाई बढ़ने बावजूद सरकार ने निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई है. व्यापारियों का कहना है कि भारत में बढ़ती कीमतों का असर बांग्लादेश, नेपाल, मलयेशिया और श्रीलंका आदि में भी पड़ेगा.
भारत में बढ़ती कीमतों का नुकसान निर्यातकों को भी हो रहा है. मुंबई स्थित अनियन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह कहते हैं कि आयातक अब तुर्की और मिस्र जैसे दूसरे सप्लायरों के पास जा रहे हैं.
2019 और 2020 में भी प्याज के दाम बहुत बढ़ गए थे. तब सरकार ने कुछ महीनो के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी. इससे श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे उसके पड़ोसियों को किल्लत भी झेलनी पड़ी थी. इस साल भी ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है. मुंबई स्थित एक प्याज निर्यातक के मुताबिक, "अगर सरकार को लगा कि दाम बहुत तेजी से और बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं तो निर्यात पर रोक लगाई जा सकती है.”
सरकार खाद्य पदार्थो की कीमतों को नीचे लाने की कोशिश कर रही है. खाद्य तेलों पर टैक्स घटाने जैसे कदम उठाए गए हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स)
नई दिल्ली : कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी को यूपी सरकार ने आगरा जाने से रोक दिया. वह पुलिस हिरासत में हुई मरे शख्स के परिवार से मुलाकात करने जा रही थीं. इसे लेकर प्रियंका ने ट्वीट भी किया था. उन्होंने लिखा था कि किसी को पुलिस कस्टडी में पीट-पीटकर मार देना कहां का न्याय है? आगरा पुलिस कस्टडी में अरुण वाल्मीकि की मौत की घटना निंदनीय है. भगवान वाल्मीकि जयंती के दिन उप्र सरकार ने उनके संदेशों के खिलाफ काम किया है. इसकी उच्चस्तरीय जांच व पुलिस वालों पर कार्रवाई हो व पीड़ित परिवार को मुआवजा मिले.
प्रशासन द्वारा रोके जाने पर प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ''अरुण वाल्मीकि की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई. उनका परिवार न्याय मांग रहा है. मैं परिवार से मिलने जाना चाहती हूं. उत्तर प्रदेश सरकार को डर किस बात का है? क्यों मुझे रोका जा रहा है. आज भगवान वाल्मीकि जयंती है, पीएम ने महात्मा बुद्ध पर बड़ी बातें की, लेकिन उनके संदेशों पर हमला कर रहे हैं.''
पुलिस आयुक्त डी. के. ठाकुर ने को बताया, ‘‘आगरा के जिलाधिकारी ने लखनऊ पुलिस से लिखित अनुरोध किया था कि राजधानी से आगरा आने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं को कानून-व्यवस्था के मद्देनजर वहां न आने दिया जाए.'' उन्होंने कहा, इसी कारण कांग्रेस महासचिव और उनके साथ जा रहे अन्य लोगों को लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर लखनऊ सीमा के अंदर ही रोक दिया गया. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस महासचिव आगरा अरुण नामक व्यक्ति से मिलने जा रही थीं, जिसकी कथित रूप से पुलिस हिरासत में मौत हो गई है.
गौरतलब है कि आगरा के जगदीशपुरा थाने से के मालखाने से 25 लाख रुपये की चोरी के आरोप में वहां सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने वाले अरुण को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही थी. आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज जी ने बताया कि मंगलवार की रात अरुण की निशानदेही पर चोरी के पैसे बरामद करने के लिए उसके घर की तलाशी ली जा रही थी, उसी दौरान आरोपी की तबियत बिगड़ने लगी. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत लाया हुआ घोषित कर दिया.
इस घटना के संबंध में आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ने थाना प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. पुलिस ने बताया कि तलाशी के दौरान अरुण के घर से 15 लाख रुपये बरामद हुए हैं.
हाल ही में प्रियंका लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पीड़ितों के परिवार से मिलने जा रही थीं तो भी उन्हें रोककर हिरासत में ले लिया गया था. उस समय प्रियंका ने कहा था कि उन्हें बिना किसी आधार के हिरासत में रखा गया है. प्रियंका ने कहा था कि जस समय मुझे अरेस्ट किया गया मैं सीतापुर जिले में यात्रा कर रही थी जो कि लखीमपुर खीरी जिले की सीमा से करीब 20 किलोमीटर दूर है. मेरी जानकारी में सीतापुर में धारा 144 लागू नहीं थी. खैर, हिरासत में रखे जाने के बाद राहुल और प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाकर पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दे दी गई थी. (भाषा)
मुंबई : मुंबई क्रूज शिप ड्रग मामले में बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. कोर्ट ने उनकी जमानत नामंजूर कर दी है.विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने आर्यन और दो अन्य आरोपियों अरबाज मर्चेंट तथा फैशन मॉडल मुनमुन धमेचा की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा को मादक पदार्थ रखने, इससे संबंधित साजिश, इसके सेवन, खरीद और तस्करी करने के आरोप में तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. तीनों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. आर्यन और मर्चेंट मुंबई में ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं तथा धमेचा यहां बायकुला महिला कारागार में बंद है. मामले में आरोपी आर्यन खान और अन्य के खिलाफ एनडीपीएस कानून की धाराओं-8(सी), 20(बी), 27, 28, 29 और 35 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों को अब जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करना होगा. जमानत नामंजूर होने के बाद आर्यन को अभी आर्थर रोड जेल में ही रहना होगा. गौरतलब है कि आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका पर सेशन कोर्ट में पिछले हफ्ते सुनवाई हुई थी जिसके बाद अदालत ने फैसला 20 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि आर्यन खान को 3 अक्टूबर को इस ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया था और वे पिछले 17 दिनों से हिरासत में हैं.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का आरोप है कि गोवा जा रहे क्रूज शिप में जो ड्रग्स पार्टी आयोजित की गई थी, उसमें आर्यन भी थे. दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि आर्यन के पास से कोई भी ड्रग्स बरामद नहीं हुआ है. न ही उसने इसका सेवन किया है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. NCB लगातार इस केस में बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग गिरोह होने का दावा कर रही है.NCB का आरोप है कि आर्यन विदेशों ड्रग पैडलर के संपर्क में थे. यह ड्रग्स की गैरकानूनी खरीद के ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है.
जांच एजेंसी ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि आरोपी बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीद के लिए विदेशियों के संपर्क में था. जबकि आर्यन के वकीलों ने इसे गलत बताते हुए कहा कि वह क्रूज़ पर भी नहीं था, जिस पर एनसीबी अधिकारियों ने छापा मारा था.आर्यन के पास ड्रग्स खरीदने के लिए रकम नहीं थी. अभिनेता पुत्र के पास कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुई है. जब एनसीबी ने छापा मारा था, तब आर्यन ने क्रूज में एंट्री तक नहीं की थी. न ही ड्रग्स का इस्तेमाल किया था. उनसे पुलिस को कुछ भी नहीं मिला.जमानत न मिलने के बाद आर्यन खान को ऑर्थर रोड जेल में में शिफ्ट कर दिया गया था. अभिनेता के बेटे को विचाराधीन कैदी के तौर पर N956 नंबर मिला है. (भाषा)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर | उत्तराखंड में लगातार आ रही तेज बारिश के बीच केदारनाथ में चारधाम यात्रा के लिए 06 हजार श्रद्धालु मौजूद थे। इनमें से चार हजार श्रद्धालु वापस आ गये हैं। शेष 2 हजार श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। उतराखंड के नैनीताल, हल्द्वानी, काठगोदाम, रानीखेत, पौड़ी, लैंसडाउन, चमोली आदि क्षेत्रों में भी बीते तीन दिन से लगातार तेज बारिश हो रही। काठगोदाम में तो तेज बारिश के कारण रेलवे ट्रैक की पटरी भी उखड़ गई। जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग ने जानकारी दी कि श्री केदारनाथ में कुल 06 हजार श्रद्धालु थे। इनमें से चार हजार वापस आ गये हैं। शेष दो हजार सुरक्षित स्थानों पर हैं। अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में सेना से तीन हेलीकॉप्टर लगाये जा रहे हैं। जिलाधिकारी चमोली एवं रुद्रप्रयाग को निर्देश दिए गए हैं कि यात्रा मार्गों पर फंसे यात्रियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से जिले की स्थिति व यात्रा की जानकारी ली है। अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया है। आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ धनसिंह रावत व डीजीपी अशोक कुमार भी उनके साथ थे।
जिलाधिकारी पौड़ी के मुताबिक तहसील लैंसडाउन के क्षेत्रान्तर्गत छप्पर गिरने से 03 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 02 लोग घायल हो गये थे। घायलों को हायर सेंटर रेफर किया गया है। रूद्रप्रयाग में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। उत्तराखंड के कई अन्य स्थानों पर पर्यटकों के भी फंसे होने की सूचना है। पर्यटकों को सुरक्षित निकालने के लिए जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। मंगलवार शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नैनीताल ने जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया है।
वहीं तेज बारिश और तूफान के कारण नैनीताल जिले के कई हिस्से सड़क यातायात से पूरी तरह कट गए हैं। अत्यधिक बारिश के कारण उत्तराखंड स्थित काठगोदाम के गोलापार इलाके में सड़क मार्ग टूटकर नदी में बह गया। काठगोदाम में ट्रेनों का आवागमन भी प्रभावित हुआ है। कई ट्रेनों को स्थगित करना पड़ा है। जबकि कई ट्रेनों को शार्ट टर्मिनेट कर दिया गया है। वहीं रानीखेत को सड़क परिवहन से जोड़ने वाले एक मुख्य पुल के ऊपर तक नदी का पानी पहुंच गया, जिससे यहां यातायात व्यवस्था ठप हो गई।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाय कि बारिश के कारण यदि कोई राजमार्ग बाधित होता है, तो उनमें आवगमन जल्द सुचारू करने के लिए पूरी व्यवस्था हो। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा हो रही हैं, वहां विशेष सतर्कता बरती जाय।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अतिवृष्टि से जानमाल का जो नुकसान हुआ है। प्रभावितों को मानकों के अनुसार जल्द अनुमन्य सहायता राशि उपलब्ध कराई जाय।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि धैर्य बनाकर रखें। अतिवृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। सभी जरूरी इंतजाम सरकार द्वारा किये जा रहे हैं।(आईएएनएस)
चेन्नई, 19 अक्टूबर | द्रमुक सांसद कनिमोझी और अन्य ने मंगलवार को फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के भाषाई विवाद में फंसने के बाद कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सर्विस देना अनिवार्य करने की वकालत की है। द्रमुक सांसद का यह बयान तब सामने आया है, जब जोमैटो के एक कस्टमर केयर एजेंट ने एक ग्राहक शिकायतकर्ता से कहा कि हिंदी 'राष्ट्रीय भाषा' है और हर किसी को इसके बारे में थोड़ा-बहुत पता होना चाहिए।
कनिमोझी ने लिस्टेड कंपनी जोमैटो का नाम लिए बिना ट्वीट करते हुए कहा, "कुछ कंपनियों का कस्टमर केयर केवल चुनिंदा भाषाओं में ही काम करता है। कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सेवा देना अनिवार्य किया जाना चाहिए। एक ग्राहक को हिंदी या अंग्रेजी जानने की जरूरत नहीं है।"
दरअसल चेन्नई के एक ग्राहक ने आरोप लगाया है कि उसे हिंदी न जानने के लिए 'झूठा' करार दिया गया। ग्राहक का कहना है कि कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने उससे कहा कि उसे हिंदी तो थोड़ी बहुत आनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी 'राष्ट्र भाषा' है।
इस विवाद के बारे में ग्राहक ने ट्वीट किया और कर्मचारी के साथ हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट साझा किया। विकास ने अपनी शिकायत में कहा कि उसने जो ऑर्डर दिया, उसमें से एक आइटम नहीं पहुंचा है।
जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट के साथ अपनी बातचीत के स्क्रीन शॉट्स पोस्ट करते हुए विकास ने कनिमोझी और अन्य को भी टैग किया था।
जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट, जिन्होंने विकास के साथ विनम्र तरीके से बात की थी, ने कहा कि भाषा को लेकर एक बाधा है। कर्मचारी ने कहा, "आपकी जानकारी के लिए हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। इसलिए यह बहुत आम है कि हर किसी को थोड़ी सी हिंदी जाननी चाहिए।"
कंपनी के कर्मचारी की ओर से ऐसा जवाब मिलने पर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जोमैटो की जमकर आलोचना की। यही नहीं, कुछ लोगों ने तो ऐप को अनइंस्टॉल करने का दावा भी किया। कुछ लोगों ने द्रमुक पर भी निशाना साधा है और कहा है कि इसके कई नेता हिंदी पढ़ाने वाले स्कूल चलाते हैं।
जोमैटो ने विकास को जवाब देते हुए ट्वीट किया, "हम समझते हैं कि भोजन और भाषा किसी भी स्थानीय संस्कृति के मूल हैं और हम दोनों को गंभीरता से लेते हैं।"
हालांकि, जोमैटो ने विकास से माफी मांगते हुए कहा कि उसने उस एजेंट को निकाल दिया है और कहा कि वह एक तमिल ऐप बना रहे हैं और तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक तमिल कॉल/सपोर्ट सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया में है। हालांकि बाद में कंपनी ने कहा कि वह उक्त कर्मचारी को नहीं निकाल रहे हैं।
बता दें कि ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी ने विवाद बढ़ने के बाद एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है।
सीईओ दीपिंदर गोयल ने लिखा, "एक खाद्य वितरण कंपनी के एक सहायता केंद्र में किसी की अनजाने में हुई गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई। हमारे देश में सहिष्णुता और ठंडक बरतने का स्तर आजकल की तुलना में कहीं अधिक होना चाहिए। यहां किसे दोषी ठहराया जाए?।"
सीईओ ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की खामियों को सहन करना चाहिए और हम एक दूसरे की भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं की कद्र करते हैं।
गोयल ने यह भी कहा कि कंपनी के कॉल सेंटर एजेंट युवा हैं, जो अपने सीखने की अवस्था और करियर की शुरुआत में हैं। वे भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जोमैटो तमिलनाडु से उतना ही प्यार करता है, जितना वह देश के बाकी हिस्सों से करता है।
उन्होंने कहा, "तमिलनाडु - हम आपसे प्यार करते हैं। जितना हम देश के बाकी हिस्सों से प्यार करते हैं। अधिक नहीं, कम नहीं। जितना हम अलग हैं, उतना ही हम सभी एक जैसे हैं।"
गोयल ने कहा कि कंपनी ने ग्राहक सेवा एजेंट को बर्खास्त नहीं किया है।
गोयल ने लिखा, "हम एजेंट को बहाल कर रहे हैं - यह अकेले ऐसी चीज नहीं है, जिसके लिए उसे निकाल दिया जाना चाहिए था। वह आसानी से सीख सकती हैं और आगे बढ़ने के बारे में बेहतर कर सकती हैं।"
बता दें कि तमिलनाडु में रहने वाले एक शख्स ने आरोप लगाया कि जोमैटो एक्जीक्यूटिव ने पैसे रिफंड करने के लिए हुई बातचीत में उससे हिंदी सीखने को कहा। स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए विकास नाम के शख्स ने लिखा "कस्टमर केयर का कहना है कि मेरा रिफंड इसलिए नहीं किया क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती। उसने मुझे झूठा भी करार दे दिया।"(आईएएनएस)
रांची, 19 अक्टूबर | गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड की गुरदरी थाना क्षेत्र में दो नाबालिग बहनों से सामूहिक बलात्कार के नौ आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी ने थाना में नामजद मामला दर्ज होने के अगले ही दिन फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। दोनों लड़कियां बीते शुक्रवार की शाम अपने भाई के साथ दशहरा मेला देखकर गांव लौट रही थीं तो रास्ते में दस युवकों ने उन्हें घेर लिया था। आरोपियों ने भाई को मारपीट कर भगा दिया और दोनों लड़कियों को पास के जंगल में ले जाकर उनसे सामूहिक दुष्कर्म किया।
शनिवार को थाने में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने दबिश बढ़ायी तो इनमें से एक आरोपी ने अपने घर में फांसी लगा ली। आज सात आरोपियों को पुलिस ने तब गिरफ्तार किया, जब वे गुमला में एक वकील के घर उनसे मिलने पहुंचे थे। गुमला पुलिस ने बताया कि सातों अभियुक्त अदालत में आत्मसमर्पण करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन वकील के घर से निकलते ही पुलिस ने उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। दो आरोपियों को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
इधर, गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड कार्यालय में तैनात दो होमगार्डस पर एक मूक बधिर महिला ने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए रविवार को प्राथमिकी दर्ज करायी थी। उसने पुलिस को इशारों में बताया कि वह प्रखंड कार्यालय के पास बकरी चराने गयी थी, तभी दो होमगार्ड जवानों ने उसकी इज्जत लूटी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।(आईएएनएस)
एमनेस्टी ने कहा है कि कई सरकारों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने के अवसर के रूप में महामारी का इस्तेमाल किया है. संस्था ने गलत सूचना के प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका पर भी जोर दिया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर की दमनकारी सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोरोना वायरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं. इस संबंध में उसने कुछ सरकारों के कदम का भी जिक्र किया.
एमनेस्टी की रिपोर्ट का नाम "साइलेंट एंड मिसइनफॉर्मेड: फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन इन डेंजर ड्यूरिंग कोविड-19" है. अधिकार संस्था ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर की सरकारों द्वारा घोषित उपायों का हवाला दिया, जिन्होंने 2020 के बाद से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर "अभूतपूर्व" अंकुश लगाया.
एमनेस्टी में अनुसंधान वकालत और नीति के वरिष्ठ निदेशक रजत खोसला ने कहा, "मीडिया चैनलों को लक्षित करने का प्रयास किया गया है, सोशल मीडिया को सेंसर किया गया और कई मीडिया आउटलेट बंद कर दिए गए हैं." साथ ही उन्होंने कहा उचित जानकारी के अभाव में कई लोगों की जान भी गई होगी.
एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "जिन सरकारों ने लंबे समय तक सार्वजनिक क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिबंधात्मक कानून के साथ साझा किए जाने पर कड़ा नियंत्रण रखा है, उन्होंने महामारी का इस्तेमाल आलोचना, बहस और सूचनाओं को साझा करने के लिए कानूनों को लागू करने के लिए किया है."
रिपोर्ट में कहा गया है, "कुछ अन्य सरकारों ने महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति और चिंताओं का उपयोग आपातकालीन उपायों को अपनाने और नए कानून बनाने के लिए किया है जो न केवल अनुपातहीन हैं बल्कि गलत सूचना जैसे मुद्दे भी हैं. इससे निपटने में भी अप्रभावी साबित हुए हैं."
चीन और रूस में स्वतंत्रता और भी सीमित
रिपोर्ट में कहा गया है चीन, जहां पहली बार 2019 में कोरोना वायरस का पता चला था, उसने फरवरी 2020 तक 5,115 लोगों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की थी. चीनी अधिकारियों के मुताबिक इन लोगों पर महामारी की प्रकृति की "झूठी और हानिकारक जानकारी गढ़ने और फिर जानबूझकर इसे फैलाने" का आरोप लगाया गया था.
एमनेस्टी ने कहा कि रूस ने अपने "फर्जी समाचार" कानून का विस्तार किया और आपातकाल के संदर्भ में "जानबूझकर झूठी जानकारी का सार्वजनिक प्रसार" कहे जाने वाले आपराधिक दंड को लागू करने वाले संशोधन पेश किए हैं.
संस्था के अनुसार रूस ने फर्जी समाचार प्रकाशित करने के नाम पर मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कानून भी बनाए हैं. एमनेस्टी ने कहा कि महामारी के मद्देनजर प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन इस बात की अधिक संभावना है कि महामारी खत्म होने के बाद भी कार्रवाई जारी रहेगी.
अपनी रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोशल मीडिया पर भी प्रकाश डाला कि कैसे वे गलत सूचना के प्रसार को सुविधाजनक बनाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को इस तरह से बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है कि यह यूजर्स का ध्यान खींच सके और उन्हें जोड़े रखें. इस संबंध में वे झूठी और भ्रामक जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए लगन से काम नहीं करते हैं.
मानवाधिकार संस्था ने अपनी 38 पन्नों की रिपोर्ट में कहा,"गलत सूचनाओं का हमला... अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वास्थ्य के अधिकारों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है." (dw.com)
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)
भारत और इस्राएल मुक्त व्यापार समझौते पर लंबे समय से लंबित वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमत हो गए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने को यरूशलम में अपने इस्राएली समकक्ष याइर लैपिड से मुलाकात की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
इस्राएल ने भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत को दोबारा शुरू करने का फैसला किया है. सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और इस्राएल के विदेश मंत्री याइर लैपिड की बैठक में यह फैसला लिया गया.
वार्ता के दौरान भारत और इस्राएल एक-दूसरे की टीकाकरण प्रक्रिया को "सैद्धांतिक रूप से" मान्यता देने के लिए भी सहमत हुए. हालांकि फिलहाल इस्राएल केवल भारतीयों को कोविशील्ड के साथ यात्रा करने की अनुमति देगा, लेकिन उन लोगों को नहीं जिन्हें कोवैक्सिन का टीका लगाया गया है. कोवैक्सिन को अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिली है.
जयशंकर ने लैपिड से मुलाकात के बाद ट्वीट कर कहा, "विदेश मंत्री याइर लैपिड के साथ वार्ता बहुत सकारात्मक रही, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक रूप से बातचीत हुई. अगले महीने एफटीए पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं. दोनों देश कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को सैद्धांतिक तौर पर मान्यता देने पर सहमत हुए."
अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ में इस्राएल के शामिल होने को लेकर जयशंकर ने प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने बैठक के बाद कहा कि हम जैसे ही COP26 सम्मेलन के करीब पहुंच रहे हैं हरित प्रगति, हरित अर्थव्यवस्था के हमारे एजेंडा में प्रगति बहुत अहम है.
इस्राएल के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मौजूदगी में इस्राएली ऊर्जा मंत्री ने आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ में शामिल होने से जुड़े करार पर हस्ताक्षर किए.
भारत में निवेश का न्योता
इस्राएली दौरे पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कोविड के बाद अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधार का लाभ उठाते हुए इस्राएली कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया है.
इस्राएली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और इनोवेशन इकोसिस्टम के साथ चर्चा करने के बाद जयशंकर ने कहा, "डिजिटल, स्वास्थ्य, कृषि और हरित विकास समेत कई पोस्ट-कोविड प्राथमिकताएं हमारे सहयोग के लिए प्राकृतिक क्षेत्र हैं."
जयशंकर की यात्रा 2017 से अब तक नई दिल्ली और यरूशलम द्वारा किए गए संयुक्त प्रयासों को आगे बढ़ाती है, ताकि दोनों देशों की प्रतिभाओं को पथ-प्रदर्शक तकनीकी समाधानों की खोज में शामिल किया जा सके, जिनका व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल मुमकिन है.
जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्राएल की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान ही भारत और इस्राएल ने द्विपक्षीय संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ा दिया था. तब से दोनों देशों के बीच संबंधों ने ज्ञान-आधारित साझेदारी के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने समेत नवाचार और अनुसंधान में सहयोग शामिल है.
जनवरी 2018 में बेन्यामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा के दौरान भारत-इस्राएल व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दोनों देश एक उज्जवल नए अध्याय के शिखर पर खड़े हैं, क्योंकि नई ऊर्जा और उद्देश्य है जिसने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है.
पांच दिवसीय इस्राएल यात्रा पर गए जयशंकर ने सोमवार को अमेरिका, इस्राएल और संयुक्त अरब अमीरात के अपने समकक्षों के साथ एक वर्चुअल बैठक की. जिसमें सभी नेता समान हितों वाले क्षेत्रों में पूरक क्षमताओं के इस्तेमाल और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर सहमत हुए.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्वाड के तर्ज पर ये चारों देश एक और समूह बनाने की तैयारी कर रहे हैं.(dw.com)
भारत ने कहा है कि दुबई के साथ उसका एक समझौता हुआ है जिसके तहत कश्मीर में इंडस्ट्रियल पार्क, इमारतें, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आदि बनाए जाएंगे. धारा 370 खत्म किए जाने के बाद कश्मीर में यह पहला बड़ा निवेश होगा.
जब कश्मीर में एक के बाद एक आम लोगों की हत्याएं हो रही हैं और प्रवासी मजदूर इलाका छोड़कर भाग रहे हैं, ऐसे में भारत सरकार ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में ढांचागत निर्माण के लिए दुबई की एक कंपनी के साथ समझौता हुआ है.
सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा कि दुबई के साथ एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिग पर दस्तखत हुए हैं जिसके तहत जम्मू कश्मीर में निवेश पर सहमति बनी है. हालांकि सरकार ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया है कि समझौते की शर्तें क्या हैं और कितना निवेश किया जाएगा.
अगर यह निवेश होता है तो जम्मू कश्मीर में यह पहला विदेशी निवेश होगा. सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि इस समझौते के तहत इंडस्ट्रियल पार्क, आईटी टावर, बहुमंजिला इमारतें, एक मेडिकल कॉलेज और स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने पर सहमति बनी है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान में कहा, "जम्मू कश्मीर विकास की जिस लहर पर सवार है, उसे दुनिया ने पहचान लिया है.” इस बयान में कहा गया है कि दुबई की अलग-अलग संस्थाओं ने कश्मीर में निवेश में दिलचस्पी दिखाई है.
कश्मीर में मौजूदा हालात
श्रीनगर और आसपास के इलाकों में हालात काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं. सोमवार को बड़ी संख्या में प्रवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. बड़े पैमाने पर लोग कश्मीर छोड़कर भी जा रहे हैं.
इसी महीने राज्य में 11 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं. मरने वालों में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग शामिल हैं. 11 में से पांच लोग प्रवासी कामगार हैं जबकि बाकी स्थानीय लोग थे. इसके बाद लोगों में दहशत का माहौल है. सोमवार को प्रशासन ने हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जबकि सैकड़ों लोग रातोरात कश्मीर छोड़कर चले गए.
एक स्थानीय अधिकारी ने बताया, "हमने हजारों मजदूरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है और उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की जा रही है.” इसके अलावा सुरक्षाबलों ने गश्त बढ़ा दी है ताकि उग्रवादी घटनाओं को रोका जा सके.
क्यों है तनाव?
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को खत्म कर दिया था और क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांट दिया था. उसके बाद महीनों तक इलाका सेना के कठोर कर्फ्यू में रखा गया. तब से इलाके में आमतौर पर शांति बनी हुई थी लेकिन इस महीने ही हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया, जिसने तनाव और दहशत बढ़ा दी है.
मुस्लिम बहुत कश्मीर घाटी में हजारों की संख्या में भारत के दूसरे राज्यों से आए प्रवासी काम करते हैं. कई क्षेत्र तो इन प्रवासी मजदूरों के दम पर ही टिके हैं. लेकिन मौजूदा हमलों ने इन प्रवासियों को डरा दिया है.
इससे पहले कश्मीर में हालात काफी खराब रहे हैं लेकिन प्रवासियों और आम नागरिकों को चुनकर मारने की घटनाएं पहली बार हो रही हैं. 32 साल के मोहम्मद सालेम पिछले छह साल से कश्मीर में काम कर रहे हैं. बिहार के रहने वाले सालेम कहते हैं, "हमने इससे बुरा समय देखा है लेकिन हमें कभी निशाना नहीं बनाया गया. इस बार डर लग रहा है.”
सालेम ने बताया कि पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को रविवार रात के वक्त उनके किराये के घर से उठाया और एक सुरक्षित जगह ले गई. वह कहते हैं, "हम यहां खाली तो नहीं बैठे रह सकते. हम वापस चले जाएंगे.”
वीके/सीके (रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेस इंडेक्स के अनुसार, राज्यों में सबसे कम गुस्सा असम, पुडुचेरी और मध्य प्रदेश में है। सीवोटर ट्रैकर भारत का एकमात्र दैनिक राय ट्रैकिंग अभ्यास है जो एक कैलेंडर वर्ष में यादृच्छिक रूप से चुने गए एक लाख से अधिक उत्तरदाताओं का मानचित्रण करता है। 11 भारतीय भाषाओं में चलने वाले ट्रैकर ने पिछले 10 वर्षो में व्यक्तिगत रूप से और सीएटीआई में 10 लाख से अधिक उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया है।
सीएम के त्रैमासिक रिपोर्ट कार्ड में सभी 543 लोकसभा सीटों में 30,000 से अधिक शामिल हैं और राष्ट्रीय स्तर पर प्लस/माइनस 3 प्रतिशत और राज्य स्तर पर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत की त्रुटि का मार्जिन है।
तमिलनाडु, दिल्ली, गोवा भी उन राज्यों में शामिल हैं, जहां राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा अखिल भारतीय औसत से बेहतर है।
कर्नाटक, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल में भी इस औसत से अधिक अंक हैं, जबकि ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर राज्यों और हरियाणा ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्कोर किया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्री हैं, जो शासन सूचकांक के अनुसार, मतदाताओं के कम से कम गुस्से का सामना कर रहे हैं।
केवल 6 प्रतिशत उत्तरदाता बघेल से नाराज हैं और बदलाव चाहते हैं। इसके विपरीत, ट्रैकर के अनुसार, बघेल को सभी मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता रेटिंग प्राप्त है।
छत्तीसगढ़ के मामले में गुस्सा केंद्र सरकार और यहां तक कि राज्य के विधायकों के खिलाफ है, लेकिन बघेल के प्रति शायद ही कोई गुस्सा है। छत्तीसगढ़ में 44.7 फीसदी उत्तरदाता केंद्र सरकार से नाराज हैं, जबकि 36.6 फीसदी राज्य सरकार से नाराज हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 10.1 प्रतिशत के साथ मतदाताओं के न्यूनतम गुस्से में दूसरे स्थान पर हैं, लेकिन चूंकि वे एक नए सीएम हैं, उन्हें संदेह का लाभ मिल रहा है, जबकि 61 प्रतिशत बड़े पैमाने पर राज्य सरकार से नाराज हैं। पहले के मुख्यमंत्री नकारात्मक रेटिंग प्राप्त कर रहे थे, लेकिन अब यह कम हो गया है, हालांकि राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा अधिक है।
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक अपने खिलाफ 10.4 फीसदी और राज्य सरकार के खिलाफ 37.6 फीसदी गुस्से के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
सबसे ज्यादा गुस्सा तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने उठाया है। कम से कम 30.3 फीसदी उत्तरदाता उनसे नाराज हैं और बदलाव चाहते हैं। सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने कहा कि राज्य में सत्ताधारी और केंद्र सरकार की अच्छी रेटिंग के खिलाफ उच्च स्तर के गुस्से के साथ, भाजपा वहां पैठ बनाने के लिए तैयार है।
साथ ही, सबसे निचले हिस्से में पूर्वोत्तर राज्य सामूहिक रूप से 29.2 प्रतिशत के गुस्से के भाव के साथ हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 28.1 फीसदी गुस्सा है, लेकिन इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश एक ध्रुवीकृत राज्य है। देशमुख ने कहा, "योगी एक ध्रुवीकरण करने वाले व्यक्ति हैं, इसलिए संख्या आश्चर्यजनक नहीं है।" उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशत जनाधार का गणित यह सुनिश्चित करता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा मजबूत स्थिति में है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | 2016 में उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार गिराने में जिन कांग्रेस के बागी नेताओं की भूमिका थी। इनके खिलाफ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सोमवार को सख्त टिप्पणी सामने आई है। उत्तराखंड में अपनी मजबूत पकड़ की बानगी बताते हुए हरीश रावत ने कहा, 2016 में कितने लोग सरकार गिराने में सम्मिलित थे! यदि उनका विश्लेषण करिए तो कुछ लोग भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी संभावना लेकर के गये, क्योंकि कांग्रेस में उनको हरीश रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था। उन्हें मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा।
वहीं अपने खिलाफ हो रही बयानबाजी पर प्रहार करते हुए रावत ने कहा, कुछ लोग धन के लोभ में गये, कुछ लोग धन और दबाव में गये, उनसे मेरा कोई गिला नहीं है। मगर एक बात मैं अवश्य कहना चाहता हूं कि ये लोग जो बार-बार मुझको कोसते हैं।
वहीं कैबिनेट मंत्री और आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज पर सीधा निशाना साधते हुए हरीश रावत ने कहा, आज उनका मतदाता उनसे कह रहा है कि महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब आपने दल नहीं बदला था और दल बदलने के बाद हमने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया? जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया। उन्होंने खांटी के भाजपाई को छांटकर के ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना डीएनए तलाश करते हुए वो कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं?
हालांकि इससे पहले भी 2016 में हरीश रावत की सरकार गिराने में शामिल हरक सिंह रावत को हरीश रावत ने महापापी करार दिया था।
दरअसल उत्तराखंड में कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज भी यशपाल आर्य की तर्ज पर पार्टी में वापसी कर सकते हैं। ऐसे में हरीश रावत उनसे सार्वजनिक रूप से मांफी मांगने की अपील कर चुके हैं और अब समय-समय पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 2016 में उत्तराखंड में अचानक राजनीतिक हालत बिगड़ गए थे। उस समय विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत की अगुवाई में कांग्रेस के 9 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसी के बाद राज्य में हरीश रावत की सरकार गिर गई थी। हालांकि बाद में रावत हाईकोर्ट पहुंचे और हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी सरकार बहाल हो पाई थी। लेकिन एक साल बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में हरीश रावत की अगुवाई वाली कांग्रेस हार गई थी। उस समय हरीश रावत ने दो सीटों से विधानसभ चुनाव लड़ा था और दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।(आईएएनएस)
नवादा, 18 अक्टूबर | बिहार के नवादा जिले के अकबरपुर थाना क्षेत्र में सोमवार को पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी के प्रचार में लगे वाहन के पलट जाने के कारण चार बच्चों की मौत हो गई। सभी बच्चों की उम्र 10 साल से कम बताई जा रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पंचायत समिति सदस्य पद की उम्मीदवार उर्मिला कुमारी के लिए वाहन प्रचार घूम रहा था। बताया जाता है कि कझिया गांव के समीप तेज बारिश और कीचड़ की वजह से प्रचार गाड़ी (पिकअप वैन) पलट गई और घटनास्थल पर ही चार बच्चों की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि प्रचार गाड़ी पर ही ये बच्चे सवार थे। दुर्घटना के बाद सभी बच्चे वाहन के नीचे दब गए। ग्रामीणों की मदद से बच्चों को जब निकाला गया जब तक सभी की मौत हो चुकी थी।
अकबरपुर के थाना प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों की पहचान लेद गांव निवासी सौरभ कुमार, सचिन कुमार, राजा कुमार और संतोष कुमार के रूप में हुई है। सभी बच्चों की उम्र 10 साल से कम बताई जा रही है।
थाना प्रभारी ने बताया कि इस प्रचार गाड़ी के लिए कोई अनुमति भी नहीं ली गई थी और अवैध रूप से इस वाहन से प्रचार किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने वाहन को जब्त कर लिया तथा पूरे मामले की छानबीन की जा रही है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में मातम पसर गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | सीबीएसई ने फिलहाल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा की डेट शीट जारी नहीं की है। इन परीक्षाओं को लेकर सोशल मीडिया पर एक फर्जी डेट शीट प्रसारित की जा रही हैं। सीबीएसई बोर्ड ने ऐसी फर्जी जानकारियों से सतर्क रहने की अपील की है। साथ ही कहा है कि केवल आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारियों पर ही यकीन करें। सीबीएसई कक्षा 10वीं और 12वीं के लाखों छात्रों के लिए इस साल नवंबर में बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। सीबीएसई बोर्ड ने आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा है इस बार बोर्ड परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों (एमसीक्यू) आधारित होगी। बोर्ड परीक्षा के पहले चरण में कुल पाठ्यक्रम का 50 प्रतिशत शामिल होगा। यह पहली बार हैजब बोर्ड परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित होगी।
सीबीएसई ने सोमवार को एक आधिकारिक जानकारी सांझा करते हुए कहा, सीबीएसई के संज्ञान में आया है कि दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को भ्रमित करने के लिए नवंबर 2021 की आगामी टर्म 1 परीक्षा के लिए सोशल मीडिया पर एक फर्जी डेट शीट प्रसारित की जा रही है। सीबीएसई द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि बोर्ड ने अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है।
दूसरे चरण की बोर्ड परीक्षा अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में होगी। परीक्षा परिणाम मार्च अप्रैल में होने वाली दूसरे चरण की परीक्षा के बाद जारी किया जाएगा। सीबीएसई बोर्ड 10वीं एवं 12वीं कक्षा का सिलेबस भी 50- 50 प्रतिशत के दो हिस्सों में बांट चुका है।
इस बार बोर्ड परीक्षा के छात्रों को 20 मिनट का रीडिंग टाइम दिया जाएगा। पहले यह समय 15 मिनट का था। पहले चरण की बोर्ड परीक्षाओं में बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रश्न (एमसीक्यू) होंगे। पहले सत्र की बोर्ड परीक्षाएं नवंबर-दिसंबर, 2021 में आयोजित की जा रही हैं। इनकी अवधि 90 मिनट होगी।
वहीं सीबीएसई छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन पर भी विशेष ध्यान दे रहा है। सीबीएसई के मुताबिक 10वीं कक्षा के 20 अंकों के आंतरिक मूल्यांकन को अलग अलग विभाजित किया गया। वहीं 12वीं कक्षा के 30 अंकों के आंतरिक मूल्यांकन दो भी हिस्सों में बांटा जा रहा है।
सीबीएसई बोर्ड के मुताबिक 10वीं कक्षा का 20 अंक का इंटरनल असेसमेंट, 10-10 अंकों के दो चरण में विभाजित किया गया है। 12वीं कक्षा के लिए प्रैक्टिकल और इंटरनल असेसमेंट को 15-15 अंकों के दो चरण में विभाजित किया गया है। 12वीं कक्षा के लिए कुल 30 अंक का प्रैक्टिकल 15-15 अंकों के दो चरण में लिया जाएगा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | लखिमपुर खीरी हिंसा मामले के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को 6 घंटे तक रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया जिसका देशभर में मिला जुला असर रहा। वहीं एसकेएम ने दावा किया कि रेल रोको आंदोलन में 290 से अधिक ट्रेनें कथित तौर पर प्रभावित हुईं और 40 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं। उत्तर रेलवे की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, जितनी जगहों पर रेल सेवाएं प्रभावित हुईं, वह अब सामान्य रूप से शुरू हो गई हैं।
फिलहाल किसान रेलवे पटरियों से अपने अपने गंतव्य स्थानों की ओर बढ़ने लगे हैं। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के रेल रोको आंदोलन के आह्वान पर भारत भर में सैकड़ों स्थानों पर, प्रदर्शनकारी किसानों ने आज छह घंटे के लिए रेलवे ट्रैक और प्लेटफार्मों पर आंदोलन किया।
एसकेएम के मुताबिक, 290 से अधिक ट्रेनें कथित तौर पर प्रभावित हुईं और 40 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं। इसके अलावा यूपी पुलिस ने किसान नेताओं को कई जगहों पर हिरासत में ले लिया। वहीं मध्य प्रदेश में पुलिस ने कई जगहों जैसे गुना, ग्वालियर, रीवा, बामनिया (झाबुआ) और अन्य जगहों पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। तेलंगाना के काचीगुडा (हैदराबाद) में भी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।
किसान मोर्चा द्वारा बताया गया कि, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना आदि से रेल रोको आंदोलन के सफल होने की खबरें प्राप्त हुई हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार कर केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने की अपनी मांग पुरजोर तौर पर दोहराई।
एसकेएम ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर लखीमपुर खीरी नरसंहार में न्याय की मांग पूरी नहीं की गई तो विरोध और तेज किया जाएगा।(आईएएनएस)
अर्चना शर्मा
जयपुर, 18 अक्टूबर | सुनने में यह अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां खड़ी ट्रेन का आधा हिस्सा ही राज्य में होता है।
यह स्टेशन भवानी मंडी है, जहां ट्रेन का इंजन एक राज्य में और गार्ड कोच (ट्रेन का सबसे पिछला हिस्सा) दूसरे राज्य में खड़ा होता है।
राजस्थान के झालावाड़ जिले का यह अनोखा रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित है। यहां के प्लेटफॉर्म पर जब भी कोई ट्रेन आकर खड़ी होती है तो उसका इंजन यानी ट्रेन का अगला हिस्सा राजस्थान में होता है, जबकि गार्ड का कोच पड़ोसी मध्य प्रदेश में होता है।
राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित भवानी मंडी स्टेशन की अन्य कई खासियतें हैं।(आईएएनएस)
जहां एक ओर राजस्थान का नाम प्रदर्शित करने वाला एक बोर्ड है, वहीं दूसरे छोर पर लगा बोर्ड मध्य प्रदेश को प्रदर्शित करता है।
रेलवे स्टेशन इसलिए भी अद्वितीय है, क्योंकि यहां आने वाले अधिकांश लोग अपने टिकट बुक कराने के लिए मध्य प्रदेश के निवासी के रूप में अपना परिचय देते हैं, लेकिन टिकट कार्यालय राजस्थान में है।
रेलवे स्टेशन ही नहीं, इस क्षेत्र में ऐसे कई घर हैं, जिनके सामने के दरवाजे मध्य प्रदेश के भैसोदामंडी शहर में खुलते हैं, जबकि पिछला दरवाजा भवानी मंडी में खुलता है।
अधिकारियों के अनुसार, नशीली दवाओं के तस्कर इस शहर की भौगोलिक स्थिति को भुना रहे हैं, क्योंकि जब पुलिस उनका पीछा कर रही होती है तो वे एक राज्य से दूसरे राज्य में गायब हो जाते हैं।
2018 में बनी बॉलीवुड कॉमेडी फिल्म 'भवानी मंडी टेसन' ने इस शहर की अलग कहानी बयां की है।
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | शासन के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के खिलाफ मतदाताओं का गुस्सा बढ़ता दिखाई दे रहा है, जबकि स्थानीय शासन कारक (लोकल गवर्नेस फैक्टर) कोविड युग में समाप्त हो गया है। आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स में सामने आए आंकड़ों से इसका पता चला है।
सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने कहा कि केंद्र और राज्यों के काम पर ध्यान दिया जा रहा है और जहां तक पिछले डेढ़ साल के कोविड महामारी के दौरान गुस्से का सवाल है तो स्थानीय प्रशासन की इसमें कोई गिनती नहीं है।
सीवोटर ट्रैकर भारत का एकमात्र दैनिक ओपिनियन ट्रैकिंग एक्ससाइज है, जो एक कैलेंडर वर्ष में या²च्छिक (रेंडमली) रूप से चुने गए 100,000 से अधिक उत्तरदाताओं का मानचित्रण (मैपिंग) करता है। ट्रैकर 11 भारतीय भाषाओं में चलाया जाता है, जिसने पिछले दस वर्षों में व्यक्तिगत रूप से और सीएटीआई में 10 लाख से अधिक उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया है। सीएम पर त्रैमासिक रिपोर्ट कार्ड सभी 543 लोकसभा सीटों में 30,000 से अधिक उत्तरदाताओं को कवर करता है और इसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्लस/माइनस 3 प्रतिशत और राज्य स्तर पर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत का एमओई है।
आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स में सामने आया है कि केंद्र और राज्यों के खिलाफ गुस्सा स्थानीय स्तर से कहीं ज्यादा है।
ट्रैकर के अनुसार, केंद्र सरकार के खिलाफ सबसे कम गुस्सा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में है।
वहीं केंद्र के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, केरल और पंजाब राज्यों में है।
इसके अलावा अगर राज्य सरकार के खिलाफ गुस्से की लहर पर गौर किया जाए तो केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्यों में राज्य सरकार के खिलाफ सबसे कम गुस्सा देखा जा रहा है। इन सभी राज्यों के नागरिकों ने हाल ही में नई सरकारें चुनी हैं।
राज्य सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में है।
अखिल भारतीय स्तर पर स्थानीय शासन के खिलाफ गुस्सा सिर्फ 14.3 फीसदी है, जबकि राज्यों के खिलाफ 44.3 फीसदी और केंद्र के खिलाफ 41.3 फीसदी है।
आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्री हैं और मतदाताओं के कम से कम गुस्से का सामना कर रहे हैं।
बघेल से केवल 6 प्रतिशत उत्तरदाता नाराज हैं, जो बदलाव चाहते हैं। इसके विपरीत, उन्हें ट्रैकर के अनुसार सभी मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता रेटिंग प्राप्त हुई है।
छत्तीसगढ़ के मामले में अधिक गुस्सा केंद्र सरकार और यहां तक कि राज्य के विधायकों के खिलाफ है, लेकिन बघेल के खिलाफ लोगों का गुस्सा काफी कम देखा गया है।
छत्तीसगढ़ में 44.7 फीसदी उत्तरदाता केंद्र सरकार से नाराज हैं, जबकि 36.6 फीसदी राज्य सरकार से नाराज हैं।(आईएएनएस)
भविष्य का इंटरनेट तैयार करने के लिए फेसबुक ने यूरोपीय संघ में 10,000 लोगों को भर्ती करने का ऐलान किया है. फेसबुक ने कहा है कि वह यूरोपीय संघ में मेटावर्स नाम का वर्चुअल रियलिटी वर्जन तैयार करने के लिए भर्ती करेगी.
फेसबुक का कहना है कि मेटावर्स भविष्य का इंटरनेट होगा. कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कई बार मेटावर्स की बात की है जो असल और डिजिटल जगत के बीच की दूरियों को मिटाने की बात करता है.
यह इस तरह की तकनीक है जिसके तहत मनुष्य डिजिटल जगत में वर्चुअली प्रवेश कर सकेगा. जानकार बताते हैं कि यह कुछ ऐसा महसूस होगा जैसे आप किसी से बात कर रहे हैं तो वह आपके सामने ही बैठा है जबकि असल में दोनों लोग इंटरनेट के जरिए मीलों दूर से जुड़े हुए हैं.
फेसबुक ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "मेटावर्स में रचनात्मक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर नए आयाम खोलने की संभावना है. यूरोपीय संघ के लोग इसके लिए बिल्कुल शुरुआत से तैयारी करेंगे. आज हम यूरोपीय संघ में 10,000 लोगों को भर्ती करने की योजना का ऐलान कर रहे हैं जिसे अगले 5 साल के दौरान अंजाम दिया जाएगा.”
कंपनी ने यह तो नहीं बताया कि मेटावर्स टीम में किस किस तरह के लोग होंगे, लेकिन यह जरूर कहा कि बहुत कुशल इंजीनियर्स को इस टीम में भर्ती किया जाएगा. ब्लॉग पोस्ट में कहा गया कि यूरोपीय संघ में बहुत सी ऐसी अंकित खूबियां हैं जो टेक कंपनियों को वहां निवेश करने का प्रोत्साहन देती है, जैसे कि वहां एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है, बेहतरीन विश्वविद्यालय हैं और सबसे जरूरी, बहुत उम्दा प्रतिभाएं उपलब्ध हैं.”
रणनीतिक ऐलान
फेसबुक का यह ऐलान ऐसे समय में आया है जबकि कंपनी कई समस्याओं से जूझ रही है. हाल ही में फेसबुक को कई बार बड़ी गंभीर आउटेज से गुजरना पड़ा है. उसकी सेवाएं घंटों तक बंद रही हैं. विभिन्न देशों में उसके बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण करने के लिए मांगें तेज हो रही हैं. उसके पूर्व कर्मचारियों द्वारा ऐसे आरोप लगाए गए हैं जिनसे फेसबुक की छवि को नुकसान पहुंचा है.
हाल ही में कंपनी की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने कुछ दस्तावेज लीक करते हुए बताया था कि फेसबुक जानती थी कि उसकी वेबसाइट युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है.
पिछले महीने अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में ऐसे संकेत दिए थे कि मेटावर्स की घोषणा के जरिए फेसबुक अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर सकती है. वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा था कि मेटावर्स में कंपनी की दिलचस्पी "नीति-निर्मातओं के बीच कंपनी की छवि को फिर स्थापित करने और फेसबुक को इंटरनेट तकनीकों की अगली लहर के लिए तैयार करने की कोशिशों का हिस्सा हो सकती है.”
हालांकि मार्क जकरबर्ग पहले से ही मेटावर्स को लेकर काफी उत्साहित रहे हैं और पिछले काफी समय से इस योजना पर बोलते रहे हैं. जुलाई में फेसबुक ने कहा था कि अब कंपनी सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी के बजाय अगले 5 साल में मेटावर्स कंपनी होने की ओर बढ़ रही है. 2014 में फेसबुक ने ऑक्युलस नाम की एक कंपनी को दो अरब डॉलर में खरीदा था और तब से होराइजन नाम का एक डिजिटल जगत तैयार कर रही है जहां लोग वी आर तकनीक के जरिए एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं.
अगस्त में ही कंपनी ने ‘होराइजन वर्क रूम्स' नाम का एक फीचर जारी किया था जिसमें वी आर हेडसेट पहन कर लोग वर्चुअल रूम में एक दूसरे के साथ मीटिंग कर सकते हैं. इन रूम्स में लोग अपने ही थ्री डी वर्जन के रूप में नजर आते हैं.
भविष्य का इंटरनेट
मेटावर्स के बारे में लोग कहते हैं कि यह इंटरनेट का अगला कदम होगा, असल और वर्चुअल के बीच दूरियों को मिटा देगा. ऐसे कई प्रयोग हो भी चुके हैं. मसलन, पॉप स्टार आर्यना ग्रान्दे और रैपर ट्रैविस स्कॉट ने हाल ही में मशहूर वीडियो गेम फोर्टनाइट के जरिये परफॉर्मेंस दी जिसे लोगों ने अपने घरों में बैठकर देखा.
कई अन्य कंपनियां मेटावर्स की दुनिया में कदम आगे बढ़ा रही हैं. मेटावर्स के नाम पर डीसेंट्रालैंड नाम की एक ऑनलाइन कंपनी को इस मामले में अगुआ माना जा रहा है जहां आप वर्चुअल कसीनो में नौकरी भी पा सकते हैं.
फेसबुक ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि मेटावर्स पर किसी एक कंपनी का अधिकार नहीं होगा और यह इंटरनेट की तरह सबके लिए उपलब्ध होगा. इस तकनीक में निवेश करने वाली कंपनियों में और भी कई खिलाड़ी शामिल हैं. फोर्टनाइट वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी एपिक गेम्स ने इसी साल ऐलान किया था कि मेटावर्स में निवेश के लिए उसने एक अरब डॉलर जुटा लिए हैं. (dw.com)
वीके/एए (एएफपी)
भारत सरकार ने फैसला किया है कि कश्मीर में काम कर रहे आप्रवासी मजदूरों व अन्य कामगारों को पुलिस और सेना के कैंपों में रखा जाएगा. एक के बाद एक हो रही आप्रवासियों की हत्याओं के बाद भारत सरकार ने यह फैसला किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
रविवार को कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने बताया कि सरकार ने आप्रवासी लोगों को सुरक्षा के लिए पुलिस और सेना के कैंपों में रखने का फैसला किया है. विजय कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने अफसरों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द इन लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाए.
रविवार को और तीन लोग हमले का शिकार हुए जिनमें से दो की मृत्यु हो गई. इसके बाद आईजी विजय कुमार ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैंने अफसरों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों को खतरा है उन्हें तुरंत सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाए.”
कश्मीर में दसियों हजार आप्रवासी काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों से आए हैं. इनमें से कितने लोगों को सुरक्षित कैंपों में रखा जाएगा, इस बारे में अभी कोई स्थिति साफ नहीं हो सकी है. यह भी साफ नहीं हो पाया है कि ये लोग कैंपों में ही रहेंगे या वहां से काम कर सकेंगे.
जारी हैं हत्याएं
पिछले करीब दो हफ्ते से कश्मीर में एक के बाद एक मासूम लोगों की हत्याओं का सिलसिला जारी है. रविवार को तीन लोगों को गोली मार दी गई जिनमें से दो की मौत हो गई, और तीसरा घायल है.
मारे गए दोनों लोग बिहार के रहने वाले थे और कश्मीर में मजदूरी कर रहे थे. खबर है कि वानपो और कुलगाम में आतंकवादियों ने रविवार को मजदूरों पर गोलीबारी की जिसमें इन दोनों की मौत हो गई. इसके साथ ही कश्मीर में इस महीने मारे जानेवाले लोगों की संख्या 11 हो गई है.
शनिवार को दो लोगों को गोली मार दी गई थी जिनमें बिहार के एक रहने वाले अरविंद कुमार साह थे जो वहां गोलगप्पे बेचने का काम करते थे. एक अन्य व्यक्ति उत्तर प्रदेश का रहने वाला था जिसे गोली मार दी गई थी. साह को श्रीनगर में बहुत करीब से गोली मारी गई. पुलवामा में मारे गए सगीर अहमद उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और वहां बढ़ई का काम कर रहे थे.
इस महीने जिन 11 लोगों की मौत हुई है उनमें से पांच अन्य राज्यों के हैं जबकि छह कश्मीर के ही रहने वाले हैं. इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग शामिल हैं. एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि आतंकवादी लोगों को कश्मीर से भगाने के लिए इस तरह की हत्याएं कर रहे हैं.
घाटी में दहशत
मरने वालों में माखन लाल बिंद्रू भी शामिल हैं जो कश्मीरी पंडित समुदाय के एक जाने माने नेता थे और श्रीनगर में फार्मेसी चलाते थे. इसके अलावा एक टैक्सी ड्राइवर मोहम्मद शफी और दो अध्यापकों दीपक चंद और सुपूंदर कौर की भी गोली मारकर हत्या की गई. वीरेंद्र पासवान नाम के एक मजदूर को भी गोली मारी गई थी.
इन हत्याओं के चलते कश्मीर में डर का माहौल है और बहुत सारे लोग अपने घर छोड़कर जाने लगे हैं. ऐसे दर्जनों लोग जो कश्मीरी आप्रवासियों के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री की विशेष योजना के तहत घाटी में लौटे थे अब वापस चले गए हैं. इनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
हमलो के चलते सुरक्षा बलों ने कड़ी सख्ती बरती हुई है और 900 से ज्यादा लोगों को अलगाववादियों से संपर्कों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. सुरक्षाबलों ने आतंकवाद रोधी अभियान भी तेज कर दिए हैं और पुलिस के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में 13 आतंकवादी मार गिराए गए हैं.
इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने बताया, "नौ मुठभेड़ों में 13 आतंकवादियों को मार गिराया गया है. हमने पिछले 24 घंटे में श्रीनगर में तीन आतंकवादियों को मारा है.”
साजिश की आशंका
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हाल में हो रही नागरिकों की हत्याओं में कश्मीरी लोग शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ये घटनाएं कश्मीरियों को बदनाम करने के लिए की जा रही हैं.
अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया, "ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हत्याएं हैं और इन्हें एक साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है. कश्मीरी इन हत्याओं में शामिल नहीं हैं. ये कश्मीरियों को बदनाम करने की कोशिश है.”
भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली बातचीत के संबंध में जब फारूक अब्दुल्ला से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे हर कदम का स्वागत किया जाना चाहिए जो दोस्ती की ओर बढ़ता हो. उन्होंने कहा, "हमें प्रार्थना और उम्मीद करनी चाहिए कि दोनों देशों के बीच दोस्ती कायम होगी और हम शांति से जी सकेंगे.” (dw.com)
हैदराबाद, 17 अक्टूबर | तेलुगू सिनेमा के जाने-माने संगीत निर्देशक एस.एस. थमन ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में गायक मोगुलैया को सम्मानित किया, वहीं मोगुलैया ने शो में अपने शानदार गायन से अभिनेताओं का मनोरंजन किया। थमन अच्छे हिट के साथ उच्च स्तर पर हैं। पवन कल्याण और राणा दग्गुबाती की आगामी फिल्म 'भीमला नायक' के लिए उनकी हालिया रचना एक संगीत सनसनी है, जिसमें सुपर-डुपर हिट गाने हैं।
स्टार मां के 'परिवार अवार्डस' के लिए उपस्थित हुए थमन ने लोक गायक- मोगुलैया को सम्मानित किया, जिन्होंने सुपरहिट 'भीमला नायक' शीर्षक गीत के लिए गाना गाया था। गाला कार्यक्रम में उन्हें एक शॉल और एक गुलदस्ता भेंट करते हुए, थमन ने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें इस तरह के एक प्रतिष्ठित गीत के लिए मोगुलैया को बोर्ड पर रखी है।
थमन ने इस अवसर पर कहा कि भीमला नायक गीत अभी भी रिकॉर्ड बना रहा है, हर गुजरते दिन 10 लाख व्यूज को पार कर रहा है।
लोक गायक मोगुलैया को 'भीमला नायक' के शीर्षक गीत से काफी प्रसिद्धि मिली है। उन्हें पहले पवन कल्याण द्वारा 2 लाख रुपये का चेक भी सौंपा गया था। यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक लोक गायक को इतनी लाइमलाइट मिलती है और उसकी पहचान प्रसिद्ध संगीतकारों द्वारा की जाती है। मोगुलैया की विशेषता यह है कि वह तेलंगाना के विशेष वाद्य यंत्र किनेरा बजाते हैं।(आईएएनएस)
मुंबई, 17 अक्टूबर | भारतीय जनता पार्टी को झटका देते हुए उसकी महाराष्ट्र इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष भास्करराव पाटिल-खतगांवकर और पूर्व विधायक ओमप्रकाश ए. पोकर्ण रविवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। 30 अक्टूबर को होने वाले महत्वपूर्ण देगलुर विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर इस घटनाक्रम से जिले में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पाटिल-खतगांवकर और पोकर्ण ने आज दोपहर यहां कांग्रेस के नांदेड़ नेता और लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण की मौजूदगी में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।
पाटिल-खतगांवकर, तीन बार के सांसद और विधायक और दो बार के राज्यमंत्री (जिन्होंने 2014 में कांग्रेस छोड़ दी) पार्टी के पूर्व दिग्गज और केंद्रीय मंत्री, दिवंगत एस.बी. चव्हाण के दामाद और अशोक चव्हाण के बहनोई हैं।
नांदेड़ के पूर्व मेयर और विधायक पोकर्ण 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने अपने गुरु पाटिल-खतगांवकर के साथ कांग्रेस में लौटने का फैसला किया है।
देगलुर में, कांग्रेस ने दिवंगत विधायक रावसाहेब अंतापुरकर के बेटे जितेश अंतापुर को नामित किया है, जिनका अप्रैल में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था और भाजपा ने शिवसेना के पूर्व विधायक सुभाष सबने को मैदान में उतारा है, जो हाल ही में इसमें शामिल हुए थे।
अशोक चव्हाण और अन्य नेताओं ने पाटिल-खतगांवकर और पोकर्ण के अलावा, कई अन्य पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भी स्वागत किया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के सीकर से 60,000 रुपये में बेची गई एक नाबालिग लड़की को छुड़ाया है। पुलिस ने रविवार को कहा कि दिल्ली के हैदरपुर की रहने वाली 15 वर्षीय लड़की 16 सितंबर से लापता थी और इस संबंध में एक शिकायत दर्ज की गई थी।
जैसे ही पुलिस ने जांच शुरू की, यह पाया गया कि नाबालिग लड़की नीरज सोनकर नाम के एक स्थानीय लड़के के नियमित संपर्क में थी।
आगे की जांच से पता चला कि रोहिणी निवासी नीरज और मुस्कान पीड़िता को उत्तर प्रदेश के आगरा में अपने तीसरे सहयोगी शीतल के घर ले गए थे।
पुलिस ने कहा, "शीतल की मदद से, उन्होंने लड़की को राजस्थान के सीकर निवासी गोपाल लाल को 60,000 रुपये में बेच दिया था।"
गोपाल लाल ने कथित तौर पर सीकर में अपने साले से शादी करने के लिए लड़की को खरीदा था।
दिल्ली पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाई (एएचटीयू) ने पहले आगरा और फिर सीकर का दौरा किया, जहां से नाबालिग लड़की को छुड़ाया गया।
आरोपी गोपाल लाल और नीरज सोनकर और पीड़िता को दिल्ली लाकर शालीमार बाग थाने को सौंप दिया गया।
पुलिस ने कहा, "मामले में आगे की जांच जारी है।"(आईएएनएस)
मुंबई, 17 अक्टूबर | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने रविवार को मुख्य कोच, बल्लेबाजी कोच और गेंदबाजी कोच के पद के लिए नौकरी के लिए आवेदन आमंत्रित किए, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम को आईसीसी टी20 विश्व कप के बाद एक नया सहयोगी स्टाफ मिल सकता है।
बीसीआई ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा , बीसीसीआई टीम इंडिया (सीनियर पुरुष) और एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) के लिए नौकरी के लिए आवेदन आमंत्रित करता है।
तीन शीर्ष पदों के अलावा - मुख्य कोच, बल्लेबाजी कोच और गेंदबाजी कोच - बोर्ड ने टीम इंडिया के फील्डिंग कोच और हेड स्पोर्ट्स साइंस / मेडिसिन, एनसीए के पद के लिए भी आवेदन आमंत्रित किए हैं।
बीसीसीआई के मुताबिक टीम इंडिया के मुख्य कोच पद के लिए आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 26 अक्टूबर है।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह द्वारा जारी बयान में कहा गया, बल्लेबाजी कोच (टीम इंडिया - सीनियर पुरुष) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। बॉलिंग कोच (टीम इंडिया - सीनियर पुरुष) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। फील्डिंग कोच (टीम इंडिया - सीनियर मेन) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। एनसीए के साथ हेड स्पोर्ट्स साइंस एंड मेडिसिन के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने हाल ही में आईएएनएस को बताया था कि यह अनुमान लगाया गया है कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ टी 20 विश्व कप के बाद राष्ट्रीय टीम के कोच बनने के लिए सहमत हो गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें वह शामिल होने से पहले सुलझाना चाहते है।
महान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर रिकी पोंटिंग को भी भारतीय बोर्ड ने शीर्ष पद के लिए संपर्क किया था, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स के कोच ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
बीसीसीआई अधिकारी ने आईएएनएस को बताया था कि बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली और सचिव जय शाह ने आईपीएल फाइनल के बाद द्रविड़ के साथ बैठक की थी और वह उन्हें समझाने में सफल रहे। उन्होंने कहा, कुछ मुद्दे हैं जिन्हें द्रविड़ बीसीसीआई के साथ सुलझाना चाहते हैं और उम्मीद है कि यह हो जाएगा।(आईएएनएस)
भारत ने भारी बहुमत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सीट जीत ली है. इसके अलावा अमेरिका की भी वापसी हुई है जो पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान काउंसिल छोड़ गया था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार परिषद के 18 सदस्यों को चुन लिया है. वे सभी सदस्य चुने गए जिनकी पांच क्षेत्रीय समूहों ने सिफारिश की थी. इसके साथ ही अमेरिका की परिषद में वापसी हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने परिषद की सदस्यता यह कते हुए छोड़ दी थी कि जिन देशों का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब है उन्हें भी सदस्यता दी जा रही है.
जिन 18 देशों को चुना गया है, उनमें कुल 193 में से सबसे ज्यादा 189 वोट बेनिन को मिले. गांबिया को 186, अमेरिका को 168 और इरीट्रिया को 144 सबसे कम वोट मिले.
भारत का चुनाव
संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 184 ने भारत की सदस्यता के लिए वोट किया. बहुमत के लिए 97 वोटों की जरूरत होती है. चुनाव के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन ने ट्वीट कर सूचना जारी की.
उसने लिखा, "भारत को परिषद में छठे कार्यकाल के लिए विशाल बहुमत से चुन लिया गया है. भारत में भरोसा जताने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को दिल से धन्यवाद.”
यूएन में भारत के दूत टीएस त्रिमूर्ति ने मीडिया को बताया, "भारत को परिषद में चुनाव के लिए मिले भारी समर्थन से मैं बेहद खुश हूं. यह हमारे यहां लोकतंत्र की गहरी जड़ों, बहुलतावाद और हमारे संविधान में सुनिश्चित मानवाधिकारों को भारी समर्थन है."
आलोचना
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने सदस्यों के चुनाव और प्रक्रिया की आलोचना की है. संस्था के यूएन निदेश लुइस शारबोनो ने कहा, "इस साल मानवाधिकार परिषद में कोई प्रतिद्वन्द्वी ही नहीं था, जो चुनाव शब्द का मजाक है. कैमरून, इरीट्रिया और यूएई जैसे मानवाधिकारों के हनन करने वालों का चुनाव एक बहुत बुरा संकेत देता है कि यूएन के सदस्य मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं.”
शारबोनो ने कहा कि कैमरून की सरकार ने विपक्ष और असहमित की आवाज को कुचला और एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय को यातनाएं दीं, इरीट्रिया के सैनिकों ने इथियोपिया के टिग्रे इलाके में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया और यूएई में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है. उन्होंने कहा, "जानेमाने मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर अब भी जेल में हैं और उन्हें एक बिस्तर तक उपलब्ध नहीं कराया गया है.”
47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के नियमों के तहत सदस्य क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के आधार पर चुने जाते हैं. जेनेवा स्थित मावाधिकार काउंसिल की स्थापना 2006 में हुई थी.
अमेरिका की वापसी
इस संस्था की स्थापना इसलिए की गई थी क्यों कि पहले से जारी मानवाधिकार आयोग की विश्वसनीयता ऐसे सदस्यों की वजह से खत्म हो गई थी, जिनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अच्छा नहीं था. ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने परिषद में ऐसे सदस्यों के चुनाव की आलोचना की थी और जून 2018 में परिषद को विदा कह दिया था.
फरवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने घोषणा की थी कि उनका देश फिर से परिषद के साथ आएगा. उन्होंने कहा था कि ट्रंप के परिषद छोड़ने के फैसले से "मानीखेज बदलाव के लिए कुछ नहीं किया गया, बस अमेरिका के नेतृत्व में एक खालीपन पैदा हो गया, जिसका फायदा अधिकारवादी देशों ने अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उठाया.”
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका अन्य देशों के साथ मिलकर "मानवाधिकार परिषद की स्थापना के उद्देश्यों से भटकाने की कोशिशों का विरोध करेगा.”
उन्होंने कहा, "इसके अंदर कई गंभीर कमियां हैं जैसे कि इस्राएल की ओर जरूरत से ज्यादा ध्यान दिया जाता है और संदिग्ध मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों को सदस्यता मिल जाती है.”
बाद में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडेन सरकार पूरी कोशिश करेगी कि इस्राएल की ओर जरूरत से ज्यादा ध्यान न दिया जाए.
जो 18 सदस्य तीन साल के लिए चुने गए हैं उनका कार्यकाल आगामी 1 जनवरी से शुरू होगा. इनमें अफ्रीका से बेनिन, गांबिया, कैमरून, सोमालिया और इरीट्रिया, एशिया से भारत, कजाखस्तान, मलेशिया, कतर और यूएई, पूर्वी यूरोप से लिथुआनिया और मोंटेनीग्रो, दक्षिण अमेरिका व कैरेबिया से पराग्वे, अर्जेंटीना और होंडुरास और पश्चिमी देशों से फिनलैंड, लग्जमबर्ग और अमेरिका शामिल हैं. (dw.com)
वीके/एए (एएफपी, एपी)