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नई दिल्ली, 22 जनवरी | सीबीआई ने 5.62 लाख भारतीय फेसबुक उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा के कथित 'अवैध हार्वेस्टिंग' के एक मामले में ब्रिटेन की कैंब्रिज एनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "एजेंसी ने 19 जनवरी को आईटी एक्ट के तहत अलेक्जेंडर निक्स के प्रतिनिधित्व वाले कैंब्रिज एनालिटिका और एलेक्जेंडर कोगन के प्रतिनिधित्व वाले ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
केंद्र सरकार की सिफारिश पर जुलाई 2018 में सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच शुरू किए जाने के बाद मामला दर्ज किया गया था। केंद्रीय कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा को बताया था कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद सीबीआई ने प्राथमिक जांच दर्ज करवाई है।
ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड (जीएसआर) के माध्यम से कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) द्वारा फेसबुक उपयोगकर्ताओं और उनके दोस्तों के व्यक्तिगत डेटा की कथित अवैध हार्वेस्टिंग के संबंध में कई मीडिया रिपोर्टों के बाद प्राथमिक जांच दर्ज की गई है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कथित उल्लंघन के लिए फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका से विवरण मांगा था।
सीबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भारतीयों के कथित डेटा हार्वेस्टिंग के सिलसिले में सीए और फेसबुक द्वारा साझा किए गए विवरणों की जांच की थी।
फेसबुक ने बताया कि संभावित रूप से 5.62 लाख भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा को अवैध रूप से हार्वेस्ट किया गया होगा। जबकि सीए लिमिटेड ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को जवाब नहीं दिया है।
प्राथमिकी से पता चला है कि कोगन ने एक एप्लिकेशन बनाया है, जिसका नाम 'थिसिसयोरडिजिटललाइफ' है।
सीबीआई ने आरोप लगाया, "फेसबुक के लिए प्लेटफॉर्म नीति के अनुसार, एप्लिकेशन को शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ताओं के कुछ विशिष्ट डेटा एकत्र करने के लिए अधिकृत किया गया था। एप्लिकेशन ने हालांकि उपयोगकर्ता के अतिरिक्त अनधिकृत डेटा के साथ-साथ फेसबुक पर यूजर के दोस्तों के भी डेटा को एकत्र किया।"
जांच से खुलासा हुआ है कि डेटा को उपयोगकर्ताओं की जानकारी और सहमति के बिना एकत्र किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि फेसबुक ने एजेंसी को सूचित किया कि भारत में 335 उपयोगकर्ताओं ने इस एप्लिकेशन को इंस्टाल किया था। 'उन्होंने अनुमान लगाया है कि लगभग 5.62 लाख अतिरिक्त उपयोगकर्ताओं के डेटा को इन 335 उपयोगकर्ताओं की मदद से एकत्र किया गया, जो इन यूजर के फ्रेंड नेटवर्क में आते थे।
सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा 335 एप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं से संपर्क किया गया, जिनमें से छह ने जवाब दिया।
सीबीआई ने कहा, "उन्होंने सर्वसम्मति से कहा कि एप्लिेकशन से गुमराह किया गया और इस तथ्य से अनजान थे कि उनके दोस्तों के डेटा को हार्वेस्ट किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह ऐसा जानते तो वह एप को इंस्टॉल नहीं करते।" (आईएएनएस)
पटना, 22 जनवरी | बिहार में सोशल मीडिया पर मंत्री, अधिकारी, विधायक, सांसद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर सख्त कार्रवाई करने को लेकर जारी आदेश के बाद अब सियासत शुरू हो गई है। राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि 'करो गिरफ्तार'। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए लिखा, 60 घोटालों के सृजनकर्ता नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह, दुर्दांत अपराधियों के संरक्षणकर्ता, अनैतिक और अवैध सरकार के कमजोर मुखिया है। बिहार पुलिस शराब बेचती है। अपराधियों को बचाती है निर्दोषों को फंसाती है। मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूं - अब करो इस आदेश के तहत मुझे गिरफ्तार।
तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि नीतीश कुमार हिटलर के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। इधर, राजग के घटक दल के नेता इस आदेश के बचाव में उतर आए हैं।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आदेश का बचाव करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जरीए कई दंगाई तत्व, संगठन समाज में आपसी भाईचारा खत्म करने पर तुले हैं, जिसका परिणाम सबको भुगताना पड़ रहा है। ऐसे तत्वों पर सरकार कारवाई कर रही है तो विपक्ष को इतना खौफ क्यों सता रहा है? ऐसा तो नहीं कि वही लोग सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करके दंगा फैला रहें हैं?
इधर, जदयू के प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि ये उन अनपढ़-जाहिल लोगों के लिए है जो दूसरों की मां-बहन की इज्जत नही करना जानते। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस आदेश से वैसे लोग ही परेशान हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने कहा है कि अगर सोशल मीडिया पर सरकार, मंत्री, सांसद, विधायक और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक, अभद्र एवं भ्रंतिपूर्ण टिप्प्णियां करते हैं, तो आप पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 जनवरी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने लखनऊ आते ही मंत्रियों को अनुसाशन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने मंत्रियों से साफ कहा कि मैं नहीं, हम भाव से टीम वर्क मजबूत करें। जेपी नड्डा दो दिवसीय प्रवास के लिए गुरुवार शाम को लखनऊ पहुंचे। लखनऊ पहुंचे कुछ घंटे ही हुए थे, जनता और कार्यकर्ताओं से फीडबैक न होने के बावजूद जिस तरह से नड्डा ने मंत्रियों को सीख दी है। उससे इशारा मिलता है कि रिपोर्ट कार्ड तो पहले ही दिल्ली पहुंच चुका था। सरकार और संगठन के कामकाज के साथ ही समन्वय की भी तारीफ की, लेकिन मंत्रियों को अपने काम के तौर-तरीके बदलने की स्पष्ट सलाह दी। उन्होंने समझाया कि मैं नहीं, हम भाव से टीम वर्क मजबूत करें।
नड्डा ने प्रदेश मुख्यालय में योगी सरकार के मंत्रियों और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार के काम की सराहना की। खासकर कोरोना संकट के दौरान किए सेवा कार्यों के लिए सरकार के साथ संगठन की पीठ भी थपथपाई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सेवा कार्यों को राजनीति का माध्यम बनाने की अनूठी पहल हुई है।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाएं। संपर्क-संवाद बढ़ाकर सेवा कार्यों के जरिए चुनावी तैयारियों में जुटें। उन्होंने सरकार व संगठन के समन्वय की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश में विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | दिल्ली के आईटीओ में स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की बिल्डिंग में शुक्रवार को आग लग गई। हालांकि इसमें किसी के भी आहत होने की सूचना नहीं मिली है और आग पर काबू पा लिया गया है। अग्निशमन विभाग ने इसकी जानकारी दी है। इमारत में यह आग एक मीटर बोर्ड से लगी।
दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा, "हमें सुबह साढ़े आठ बजे के करीब आईटीओ के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की बिल्डिंग के मीटर बोर्ड में आग लगने की सूचना मिली। कुल 12 दमकल कर्मी मौके पर भेजे गए। आग इमारत के दूसरे माले पर लगी थी।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को असम के तेजपुर विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से आत्मनिर्भर भारत के लिए कार्य करने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने नार्थ ईस्ट के विकास के लिए हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए युवाओं को संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी किया। इस दीक्षांत समारोह में वर्ष 2020 में पास होने वाले 1,218 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करने के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के 48 टॉपरों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधन में कहा, आज 1200 से ज्यादा छात्रों के लिए जीवन भर याद रहने वाला क्षण हैं। आपके शिक्षक, आपके माता पिता के लिए भी आज का दिन बहुत अहम है। सबसे बड़ी बात आज से आपके करियर के साथ तेजपुर विश्वविद्यालय का नाम हमेशा के लिए जुड़ गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्र, इस वर्ष स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। असम के असंख्य लोगों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है। अब, यह आप पर है कि आप अपने जीवन का उपयोग आत्मनिर्भर भारत के लिए करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से कहा, हमारी सरकार आज जिस तरह नार्थ ईस्ट के विकास में जुटी है, जिस तरह कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य हर सेक्टर में काम हो रहा है, उससे आपके लिए अनेकों नई संभावनाएं बन रही हैं। इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाइये। उन्होंने जमीनी स्तर के इनोवेशन से स्थानीय लोगों को जोड़ने की भी अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नवाचारों के जरिए स्थानीय समस्याओं को सुलझाने में मदद होती है और विकास के नए द्वार खुलते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | किसानों और केंद्र के बीच ग्यारहवें दौर की बैठक से पहले, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को दिल्ली में शुरू हुई। इस बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा किसानों के आंदोलन पर चर्चा होगी। पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है। कांग्रेस महासचिव और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, सीडब्ल्यूसी की बैठक शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सीडब्ल्यूसी को संबोधित कर रही हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक में अर्णब गोस्वामी की कथित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चैट लीक, कोविड-19 स्थिति के अलावा किसानों के आंदोलन पर भी चर्चा होगी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि बैठक के दौरान नए पार्टी प्रमुख के चुनाव के कार्यक्रम पर भी चर्चा होगी।
हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
मंगलवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने तीन कृषि कानूनों पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय कृषि क्षेत्र को नष्ट करने के लिए लाया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कर्नाटक की एक खदान में हुए विस्फोट के पीड़ितों के परिवारों के साथ शोक जताया और घटना की जांच की मांग की। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, कर्नाटक में पत्थर खनन खदान में विस्फोट की खबर दुखद है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। इस तरह की घटनाओं की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।
उनकी ये टिप्पणी खनन ब्लास्ट में 10 लोगों के मारे जाने के बाद आई।
गुरुवार की देर रात, शिवमोगा में पत्थर खदान में हुए विस्फोट में कम से कम 10 लोग मारे गए।
यह घटना शिवमोगा-हंगल राज्य राजमार्ग के साथ स्थित अब्बालगेरे गांव में हुई, जो कि सवलुंगा और शिकारीपुरा से होकर गुजरता है।
शिकारीपुरा बेंगलुरु से 290 किलोमीटर दूर स्थित है, और ये कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। (आईएएनएस)
किसानों ने विवादित कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. कानूनों को निरस्त किए जाने की अपनी मांग पर किसानों के बने रहने के बीच, सरकार और उनकी 11वें दौर की बातचीत होनी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय लिखा-
तीनों कानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगा देने के सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों द्वारा तुरंत ना ठुकराए जाने से गतिरोध के शांत होने की संभावना नजर आई थी. लेकिन गुरुवार 21 जनवरी को संगठनों ने आपस में चर्चा कर प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया. लगभग 40 किसान संगठनों वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त ही किया जाए.
इसके अलावा किसानों ने यह भी मांग की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू रखने के लिए भी अलग से एक कानून लाया जाए. मीडिया में आई कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कई संगठन सरकार के प्रस्ताव को मान लेने के पक्ष में थे, लेकिन अंत में बहुमत के फैसले से प्रस्ताव को ठुकराना ही तय हुआ. किसानों के आंदोलन की जानकारी देने वाले ट्विटर हैंडल किसान एकता मोर्चा ने इस घोषणा को ट्वीट भी किया.
किसानों ने बताया कि 26 जनवरी को उनकी अपनी परेड निकालने की योजना पर भी वो आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने उनसे परेड को रोक देने का अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. संगठनों का कहना है कि इस आंदोलन में अभी तक 143 किसानों की जान जा चुकी है और उनकी मौत व्यर्थ ना हो जाए इसीलिए वो अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.
शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है. देखना होगा कि सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद बैठक का माहौल कैसा होगा. किसान भी सरकार पर दबाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब कर्नाटक, केरल और छत्तीसगढ़ में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और इनमें से कई राज्यों से और भी किसान दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं.
-रवि एस नारायण
पटना. बिहार सरकार के मंत्रियों, विधायकों या फिर किसी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलतबयानी अब महंगा पड़ सकता है. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने सरकार के सभी विभागों के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर आपत्तिजनक टिपण्णी करने वाले लोगों की शिकायत करने की बात कही है. आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने सभी विभागों से कहा है कि संस्थान या विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोई भी भ्रामक पोस्ट लिखा जाता है तो इसकी तत्काल सूचना दी जाए, ताकि सख्ती से एक्शन लिया जा सके.
जाहिर है इस आदेश के बाद अब सोशल मीडिया पर अगर किसी मंत्री, विधायक के खिलाफ गलत प्रचार किया गया तो कठोर कार्रवाई तय है. गौरतलब है कि बिहार में साइबर अपराध को रोकने के लिए आर्थिक अपराध इकाई को ही नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसलिये EOU ने सभी विभागों के पास चिट्ठी भेजी है.
सरकारी नीतियों के खिलाफ भ्रामक प्रचार भी होगा बंद
आर्थिक अपराध इकाई ने अपने इस आदेश में वैसे किसी भी पोस्ट पर सख्ती बरतने की घोषणा की है, जिससे सरकार की छवि धूमिल होती है. सरकार के नीतियों को लेकर भी अगर कोई दुष्प्रचार करेगा तो उसके खिलाफ आईटी एक्ट के धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, अक्सर देखा जाता है कि सरकार के नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैम्पेन तक चलाई जाती है. अब ऐसे सारे दुष्प्रचारों पर लगाम लगेगी.
नीतीश कुमार भी दुष्प्रचार रोकने की करते रहे हैं बात
सोशल मीडिया पर होने वाले दुष्प्रचार और गलत बयानबाजी को लेकर सीएम नीतीश कुमार भी मंचों से कई बार बात उठाते रहे हैं. पिछले दिनों लॉकडाउन के बाद पहली बार जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के दौरान भी नीतीश कुमार ने सख्ती के साथ कहा था कि सरकार के अच्छे कामों के बजाए गलत बातों को सोशल मीडिया में ज्यादा प्रचारित किया जाता है. ऐसी बातों पर रोक लगनी चाहिए और लोगों के लिए सरकार के किये गए कामों को पहुंचाना चाहिए.
जबलपुर, 22 जनवरी | मध्य प्रदेश में माफियाओं और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान का क्रम जारी है। इसी क्रम में जबलपुर में 15 एकड़ सरकारी जमीन कब्जाधारियों के कब्जे से मुक्त कराई गई। इस जमीन की कीमत 25 करोड़ से अधिक आंकी गई है। बताया गया है कि जिलाधिकारी कर्मवीर शर्मा की अगुवाई में माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई जारी है। एक साथ छह स्थानों पर बड़ी कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में 25 करोड़ 46 लाख रुपये अनुमानित बाजार मूल्य की 15 एकड़ से अधिक शासकीय भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया।
जबलपुर की पनागर तहसील के ग्राम पिपरिया बनियाखेड़ा में रसूखदार वीरेन्द्र पटेल के कब्जे से करीब 18 करोड़ 66 लाख रुपये बाजार मूल्य की 12 एकड़ शासकीय भूमि को मुक्त कराया गया। स्कूल एवं मुख्य सड़क से लगी बेशकीमती जमीन पर पूर्व सरपंच वीरेन्द्र पटेल द्वारा 15 वर्षों से कब्जा कर खेती की जा रही थी।
जिला प्रशासन की अगुवाई में पुलिस और नगर निगम के सहयोग से की गई कार्यवाही के दौरान हिस्ट्रीशीटर और निगरानीशुदा बदमाश मोहम्मद शमीम उर्फ शमीम कबाड़ी द्वारा खजरी में पत्नी संजीदा बी के नाम पर बनाये जा रहे आलीशान घर के अवैध हिस्से को जमींदोज करने के साथ-साथ उसके द्वारा नजदीकी ग्राम चांटी में बनाये गये गोदाम को भी जेसीबी मशीनों की सहायता से ध्वस्त कर दिया गया।
इसी तरह एक अन्य कार्रवाई में ग्राम पिपरिया, बनियाखेड़ी निवासी मोहनलाल पटेल द्वारा शासन की करीब दो करोड़ पांच लाख रुपये बाजार मूल्य की तीन एकड़ जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से गोदाम व दुकानों के निर्माण को जमींदोज किया गया।
(आईएएनएस)
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 22 जनवरी | अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए खुद को एक स्थानीय फर्जी संगठन से बताकर लोगों से कथित तौर पर चंदा इकट्ठा करने के आरोप में पांच लोगों पर केस दर्ज किया गया है। इन पांच आरोपियों में से एक का आपराधिक रिकॉर्ड भी है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के जिला अध्यक्ष द्वारा इस पर एक लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी।
भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए परिषद द्वारा एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत लोगों से स्वैच्छिक तौर पर चंदा इकट्ठा करने का काम किया जा रहा है। इस अभियान के एक हिस्से के तौर पर पीलीभीत में विहिप और आरएसएस कार्यकर्ताओं की टीमें गठित की गई हैं।
सुनगढ़ी थानान्तर्गत काला मंदिर इलाके में जब यह फर्जी टीम लोगों से चंदा जुटाने पहुंची, तो भक्तों ने असली टीम के सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने तो चंदा पहले ही दे दिया है, तो फिर से क्यों पैसे जुटाए जा रहे हैं।
विहिप के एक अधिकारी ने पुलिस को बताया कि उस संगठन के सदस्यों ने स्वैच्छिक दाताओं को फर्जी रसीदें भी जारी की थी, जबकि राम मंदिर के निर्माण के लिए पैसे जुटाने का अधिकार उन्हें है ही नहीं।
पुलिस ने अब उन्हें आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत हिरासत में लिया है।
(आईएएनएस)
नेताजी, 22 जनवरी | पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा और टीएमसी के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का दावा करने के लिए अब कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस ने वादा किया है कि वो राज्य में नेताजी की 'सबसे ऊंची प्रतिमा' बनाएगी। कांग्रेस के पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा, भाजपा अब नेताजी के बारे में सोच रही है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति की तरह पिछले छह वर्षों में नेताजी की प्रतिमा का निर्माण क्यों नहीं हुआ? कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो नेताजी की सबसे ऊंची मूर्ति का निर्माण करेगी।
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी पर कांग्रेस का ये बयान भाजपा और टीएमसी के नेताजी को 'अपना' कहने के बाद आया है। नेताजी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आईएनए का गठन किया था।
इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को 'देश नायक दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इससे कुछ ही घंटे पहले केंद्र सरकार ने नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि नेताजी के सम्मान में 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव अप्रैल-मई 2021 में होने वाले हैं।
नेताजी बोस 1938 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुन गए थे, लेकिन 1939 में फिर से चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्हें अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ कथित मतभेदों के बाद पद से हटा दिया गया था।
कांग्रेस से बाहर होने के बाद, वे नवंबर 1941 में जर्मनी चले गए और बर्लिन में 'फ्री इंडिया सेंटर' और दैनिक प्रसारण के लिए 'फ्री इंडिया रेडियो' की स्थापना की।
नेताजी पर भाजपा के भारी पड़ते दिखने के बाद अब कांग्रेस को उनकी विरासत पर दावा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए नेताजी की विरासत का उपयोग करने की कोशिश कर रही है। हालांकि उन्होंने उनकी नीतियों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, आजाद हिंद फौज में विभिन्न भारतीय समुदायों के लोग शामिल थे और उन्होंने उनके साथ समान व्यवहार किया। दूसरी ओर, भाजपा विभाजनकारी राजनीति करती है।
यह याद रखना उचित है कि कांग्रेस ने पिछले साल नेताजी की जयंती पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।
तृणमूल कांग्रेस और अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक, जिसे नेताजी ने स्थापित किया था, ने पहले मांग की थी कि इस दिन को 'देशप्रेम दिवस' के रूप में मनाया जाए। फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक बयान में कहा था, भाजपा नेतृत्व को अभी भी नेताजी के योगदान का एहसास नहीं है। इसीलिए वे 'प्रकाश दिवस' और 'देशप्रेम दिवस' के बीच के अंतर को नहीं समझ सकते हैं।
(आईएएनएस)
21 जनवरी का दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा. अपने 145 साल के इतिहास में पहली बार इसके सूचकांक ने 50,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया और दिन के अंत में ये थोड़ा नीचे जा कर 49,624.76 अंकों पर बंद हुआ.
ये एक बड़ी उपलब्धि की तरह से देखा जा रहा है. ये कामयाबी कितनी अहम है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च के अंत में देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के बाद सेंसेक्स 25,638 अंक तक गिर चुका था. अब उछाल आसमान को छू रहा है.
यानी 10 महीने में सूचकांक में दोगुनी वृद्धि हुई है. एक आकलन के मुताबिक़, साल 2020 में शेयर बाज़ार में निवेश करने वालों को 15 प्रतिशत का फ़ायदा हुआ. इतने कम समय में, इतना उम्दा मुनाफ़ा कमाना किसी भी दूसरे क्षेत्र में निवेश करके असंभव था.
पिछले 10 महीनों में शेयर बाज़ार में इस ज़बरदस्त उछाल के क्या कारण हैं? और ये 'फ़ीलगुड' समय कब तक जारी रहेगा?
इन दोनों सवालों पर प्रकाश डालने से पहले इस प्रश्न पर ग़ौर करना ज़रूरी है कि अगर भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के नतीजे में चौपट हुई है, तो पिछले 10 महीने में शेयर बाज़ार में इतना उछाल क्यों आया है?
अर्थव्यवस्था और बाज़ार में अंतर क्यों?
मुंबई के दलाल स्ट्रीट में अगर जश्न का माहौल है, तो देश में कई लोग ये सवाल कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के बीच इतना डिस्कनेक्ट क्यों है? इसका जवाब सीधा नहीं है. लेकिन भारत के अलावा अमेरिका, दक्षिण कोरिया और कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं में भी ऐसे ही रुझान देखने को मिले हैं.
इसे एक वैश्विक रुझान कहा जा सकता है. मुंबई स्थित अर्थशास्त्री विवेक कौल कहते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था सिकुड़ने वाली है, लेकिन शेयर बाज़ारों में उछाल है.
इसका मुख्य कारण बाज़ार में ज़रूरत से ज़्यादा उपलब्ध लिक्विडिटी (नगदी) है.
अमेरिका में व्हार्टन बिज़नेस स्कूल दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसके एक डेली रेडियो शो में स्कूल के वित्त मामलों के प्रोफ़ेसर इते गोल्डस्टीन (Itay Goldstein) ने शेयर बाज़ार और अर्थव्यवस्था के बीच डिस्कनेक्ट के वैश्विक रुझान के तीन कारण बताये.
वे कहते हैं कि पहला, जो हर समय के लिए सच है, वो ये कि शेयर बाज़ार के निवेशक आने वाले समय पर निगाह रखने वाले होते हैं. सामान्य तौर पर अर्थव्यवस्था में अभी जो आप देख रहे हैं, वो अभी चल रहा है. यानी मौजूदा समय में क्या हो रहा है अर्थव्यवस्था ये देखती है, जैसे कि उत्पादन, रोज़गार के क्षेत्र में क्या हो रहा है.
प्रोफ़ेसर गोल्डस्टीन के अनुसार, दूसरा कारण केंद्रीय बैंक द्वारा वित्तीय सिस्टम में बहुत अधिक नक़दी डालना है. उनका कहना है कि सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने महामारी से जूझने के लिए वित्तीय पैकेज दिये हैं जिसके कारण मार्केट में नक़दी आई है.
प्रोफ़ेसर गोल्डस्टीन कहते हैं कि इस रुझान का तीसरा कारण ये तथ्य है कि शेयर बाज़ार से जो कंपनियाँ जुड़ी हैं, ये ज़रूरी नहीं कि वो पूरी अर्थव्यवस्था की प्रतिनिधि हैं. अपने तर्क के पक्ष में वो फ़ेसबुक, गूगल, अमेज़न और नेटफ़्लिक्स जैसी कंपनियों का उदाहरण देते हैं जिन पर महामारी का कोई नकारात्मक असर नहीं हुआ, लेकिन इनके स्टॉक शेयर के भाव तेज़ी से बढे हैं और ये कंपनियाँ पूरी अर्थव्यवस्था का नेतृत्व नहीं करतीं.
बाज़ार में उछाल के क्या कारण हैं?
पिछले कुछ महीनों से वैश्विक और घरेलू दोनों कारणों से शेयर बाज़ार में 'बुल रन' यानी उछाल देखने को मिल रहा है.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिक्योरिटीज़ के प्रतीक कपूर के अनुसार, अमेरिका में महामारी से जूझने के कई पैकेज आ चुके हैं जिसके कारण मार्केट में काफ़ी लिक्विडिटी है.
वे बताते हैं, "भारत इमर्जिंग मार्किट में सबसे सुरक्षित और मुनाफ़े वाला बाज़ार है, इसलिए विदेशी संस्थागत निवेशक (एफ़आईआई) भारत में निवेश कर रहे हैं और तेज़ी से कर रहे हैं. जनवरी के पहले हफ़्ते में कुछ दिनों के लिए वो हमारे मार्केट से पैसे निकालने लगे थे जिसकी वजह से मार्केट में गिरावट आई थी लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से वो फिर से काफ़ी निवेश कर रहे हैं."
प्रतीक कपूर के अनुसार, दूसरा कारण है ब्याज दर में कमी. उनके विचार में अमेरिका में चुनाव के ख़त्म होने के बाद से सियासी स्थिरता और बुधवार को जो बाइडन के शपथ ग्रहण और उनके द्वारा उठाए गए कुछ अहम क़दमों का अमेरिकी मार्केट पर सकारात्मक असर देखने को मिला जिसका सीधा असर भारत के शेयर बाज़ार पर भी पड़ा.
साल 2020 में विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाज़ारों में 32 अरब डॉलर का सौदा किया जो किसी एक साल के लिए अब तक का रिकॉर्ड है.
साल 2019 भी विदेशी निवेशकों के निवेश का साल था और साल 2021 में भी विदेशी निवेशकों की रुचि भारतीय स्टॉक मार्केट में बनी रहेगी.
एक अनुमान है कि 25 से 30 अरब डॉलर तक का विदेशी निवेश भारत में आ सकता है.
विवेक कौल कहते हैं कि इन दिनों शेयर बाज़ार आसानी से उपलब्ध कैश के कारण उछाल पर है.
वे कहते हैं, "विदेशी निवेशकों ने पिछले साल (2020) भारतीय शेयरों को ख़रीदने में 32 अरब डॉलर ख़र्च किया है. कई स्थानीय निवेशकों ने भी ब्याज दरों में भारी गिरावट के बाद शेयरों पर दांव लगाया है. आरबीआई ने वित्तीय प्रणाली में बड़े पैमाने पर पैसा लगाया है. इन सबके चलते शेयर बाज़ार ऊपर जा रहा है, जबकि इस वित्तीय साल में अर्थव्यवस्था में गिरावट की उम्मीद है."
मार्केट में निवेश करने का देश के अंदर रुझान बढ़ रहा है. ये भी एक कारण है. एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में खुदरा निवेशकों की श्रेणी में युवा निवेशकों की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई. लॉग टर्म की दृष्टिकोण रखने वाले निवेशक अब बैंकों में पैसे रखने या रियल स्टेट में पैसे निवेश करने की बजाय स्टॉक्स एंड शेयर्स में निवेश करना पसंद करते हैं.
क्या ये उछाल जारी रहेगा?
फ़िलहाल कुछ अनिश्चितता है. विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है. प्रतीक कपूर कहते हैं कि मार्केट अभी और भी ऊपर जाएगा.
वे बताते हैं, "अभी विदेशी निवेशक आते रहेंगे. जो बाइडन का नया आर्थिक पैकेज भी मार्केट में रंग लाएगा. लेकिन शॉर्ट टर्म में करेक्शन आ सकता है यानी आगे कुछ दिनों या हफ़्तों में मार्केट में उतार-चढाव होगा और कुछ कंपनियों के स्टॉक्स के भाव नीचे जाएँगे. करेक्शन होना या मार्केट का थोड़ा बहुत गिरना नकारात्मक नहीं है. थोड़ा करेक्शन चाहिए क्योंकि मार्केट ज़रूरत से अधिक गर्म है.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास, वित्तीय स्थिरता पर ज़ोर देते हुए कहते हैं कि वो इस बात से चिंतित हैं कि हाल के समय में अर्थव्यवस्था और मार्केट में डिसकनेक्ट बढ़ा है. इस रुझान पर नज़र रखना ज़रूरी है. (बीबीसी)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | आम आदमी पार्टी ने नगर निगम पर एक और आरोप लगाया है। आप के मुताबिक दक्षिण एमसीडी ने सड़क किनारे रेस्टोरेंट-फूड कोर्ट खोलने के लिए स्थायी लाइसेंस देने की योजना पास की है। यह योजना पुराने वेंडरों और दिल्लीवासियों के खिलाफ है। दिल्ली में इस योजना से बड़े पैमाने पर अराजकता पैदा हो जाएगी। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, "सड़कों पर बैठे पुराने लोगों को अभी तक वेंडिंग जोन में जगह नहीं मिली है, जबकि इस पॉलिसी से नए दुकानदार और तैयार हो जाएंगे। योजना में नियम है कि रेस्टोरेंट खोलने के लिए लाइसेंस स्थानीय पार्षद से लेना होगा। पार्षदों को करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार की नई स्कीम लेकर आए हैं। आरडब्ल्यूए के लोगों को पॉलिसी के संबंध में पता ही नहीं है। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि भाजपा तुरंत इस योजना को वापस ले।"
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने गुरूवार को पार्टी मुख्यालय में कहा, "दिल्ली के अंदर आप सभी लोग जानते हैं कि जगह-जगह ट्रैफिक जाम की परेशानी है। दिल्ली में जगह जगह पर नई गैर-आधिकारिक दुकानें खुलती जा रही हैं। उनको पार्षदों और नगर निगम का संरक्षण है। अब यह एक नई स्कीम लेकर आए हैं। दक्षिणी नगर निगम ने बुधवार को अपने हाउस की बैठक में पॉलिसी पास की है। नई पॉलिसी कहती है कि सड़क के किनारे रेस्टोरेंट, फूड ट्रक सहित अन्य तरीके से खाद्य पदार्थो की बिक्री के लिए स्थाई लाइसेंस दिए जाएंगे। दिल्ली नगर निगम से जाते-जाते भाजपा सड़कों और निगम की जो जमीन बची हुई है, वहां पर स्थाई रूप से रेस्टोरेंट्स बनाने की तैयारी कर रही है।"
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, "केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन एक्ट एक कानून बनाया था। जिसके अंदर बीसों सालों से जो वेंडर सड़कों के किनारों पर बैठे हैं, उनका सर्वे कर पहचान करनी थी। स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जो लोग आते हैं और योग्य हैं, उनको वेंडिंग जोन के अंदर दुकानें देनी थी। भाजपा अगर नई हजारों दुकानें-रेस्टोरेंट्स दिल्ली की सड़कों पर खोल देगी, तो यह लोग भी उन्हीं वेंडिंग जोन के अंदर दुकानें मांगेंगे।"
आप के मुताबिक, "सड़कों पर जो पुराने लोग बैठे हैं, उनको अभी तक वेंडिंग जोन के अंदर जगह नहीं मिली है। ऐसे में इस पॉलिसी से नए दुकानदार और तैयार हो जाएंगे। यह आम जनता, यातायात और गाड़ी चलाने वाले लोगों के लिए ना सिर्फ एक नया सर दर्द होगा, बल्कि जो पुराने बैठे हुए हैं उनके लिए भी परेशानी खड़ा करेगा। दिल्ली के अंदर अराजकता फैलाने की कोशिश है। यह एक नई लूट की स्कीम है।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 जनवरी | भारतीय जनता पार्टी ने केजरीवाल सरकार पर दिल्ली जल बोर्ड में 26 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर सीएजी और वित्त निगम की रिपोर्ट के हवाले से इतने बड़े घोटाले का दावा किया। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रदेश कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि दिल्ली जल बोर्ड पिछले 6 सालों में केजरीवाल सरकार की करतूतों के कारण 'दलाली जल बोर्ड' बन गया है। सिर्फ पांच वर्षों में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड को 41,000 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिसमें से 26,000 करोड़ रुपये का कहीं हिसाब-किताब ही नहीं है।
आदेश गुप्ता ने दिल्ली वित्त निगम और सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि दिल्ली सरकार के खातों से पिछले पांच सालों में 26,000 करोड़ रुपये दिल्ली जल बोर्ड के खातों में स्थनांतरित किए गए, लेकिन उसका हिसाब केजरीवाल, सत्येन्द्र जैन या राघव चड्ढा देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने हर घर में नल से जल देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक दिल्ली के एक-चौथाई भाग को पीने के पानी की पाइप लाइन के दर्शन तक नहीं हुए हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि, "दिल्ली की अनुमानित 18,00 अनाधिकृत कॉलोनियों में से सिर्फ 561 कॉलोनियों में सीवरेज प्लांट डाले गए हैं और उसकी भी स्थिति दयनीय है। ऐसा दिल्ली सरकार की खुद की रिपोर्ट में ही लिखा गया है। साल 2015 में जितना पानी पीने योग्य बनता था, आज 6 साल बाद भी स्थिति वैसी ही है, उसमें 5 प्रतिशत की भी वृद्धि नहीं हुई है। मतलब पिछले 6 सालों में दिल्ली की जनसंख्या तो बढ़ी है, लेकिन जल बोर्ड के काम करने का तरीका जस का तस रहा है। केजरीवाल ये दावा करते हैं कि दिल्लीवालों को यमुना में नहलाकर आचमन कराएंगे, लेकिन यमुना पहले से ज्यादा जहरीली हो गई है।"
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि, "जल के घोटालों की जांच करने के लिए मुख्यमंत्री अराविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय सत्र बुलाएं और दिल्ली जल बोर्ड के घोटालों पर चर्चा कराएं, क्योंकि उनके ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं वो तथ्यों के साथ हैं, इसलिए दिल्ली की जनता को वो साफ करें कि आखिर 26,000 करोड़ का जो घोटाला किया गया है, उन पैसों को किन-किन मदों में लगाया गया है।"
उन्होंने कहा कि केजरीवाल की नियत यदि साफ है तो उन्हें इन पैसों का हिसाब देने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।
प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार, मीडिया रिलेशन विभाग के प्रभारी हरीश खुराना और मीडिया रिलेशन विभाग के प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर मौजूद रहे।
--आईएएनएस
रांची, 22 जनवरी | झारखंड में स्वास्थ्यकर्मियों के बीच कोरोनावायरस टीकाकरण को लेकर डर बना हुआ है। देशभर में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से अभी तक इनमें से केवल 56 प्रतिशत ने ही वैक्सीन लगवाई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य के 48 केंद्रों पर टीकाकरण की शुरुआत हुई है और पिछले एक सप्ताह में 4,970 स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक राज्य में इनमें से केवल 2,790 लोगों को ही वैक्सीन दी गई है।
टीकाकरण के लिए राज्य के नोडल अधिकारी डॉ. अजीत प्रसाद ने कहा, "शुरुआत में वैक्सीन के बारे में कुछ गलत धारणाएं थीं। अब धीरे-धीरे डर और गलतफहमी दूर हो रही है। अगले सप्ताह से टीकाकरण की गति बढ़ जाएगी।"
सोमवार, मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को टीकाकरण के दिन निर्धारित किए गए हैं।
रांची सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने कहा, "टीकाकरण के संबंध में कुछ नियमों को बदल दिया गया है। इससे पहले स्वास्थ्य कर्मचारियों के टीकाकरण की सूची प्रतिदिन जारी की जाती थी। सूची में शामिल नाम वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता ही टीकाकरण के लिए पात्र होते थे। वहीं अब अस्पताल के पोर्टल पर पंजीकृत लोग भी टीकाकरण करा सकते हैं। पोर्टल पर नाम पंजीकृत कराने के साथ ही अब टीकाकरण को भी गति मिलेगी।"
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, जिन लोगों को वैक्सीन दी गई है, उनमें से बहुत कम लोगों में साइड इफेक्ट देखे गए हैं। अभी तक कुल 40 लोगों ने साइड इफेक्ट्स की शिकायत की है। रामगढ़ जिले से सबसे अधिक 17 शिकायतें आई हैं। लेकिन इनमें से कोई भी शिकायत गंभीर नहीं है।
--आईएएनएस
गांधीनगर, 22 जनवरी | गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महिला के परिवार की शिकायत पर बनासकांठा जिले के पालनपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक अंतर-धर्म में विवाहित जोड़े की तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। पालनपुर के 30 वर्षीय एक मुस्लिम व्यक्ति ने पिछले साल दिसंबर में कस्बे की 29 वर्षीय एक हिंदू युवती से शादी की थी।
9 जनवरी को, युवती के पिता की शिकायत के बाद कि उसकी बेटी ने 82,000 रुपये चुराए और पहले से शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति के साथ भाग गई, पालनपुर पुलिस ने सूरत में रहने वाले दंपति को हिरासत में ले लिया। एक स्थानीय अदालत ने बाद में उन्हें चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जैसा कि पुलिस ने मांग की थी।
गिरफ्तारी के बाद, इस शख्स के भाई ने 18 जनवरी को हैबियस कॉर्पस पेटीशन के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसने हाल ही में विवाहित अपने भाई की गिरफ्तारी को अवैध बताया।
याचिका पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय ने स्थानीय मजिस्ट्रेट द्वारा जारी रिमांड आदेश को रद्द कर दिया और पालनपुर पुलिस को युगल को तुरंत रिहा करने के लिए कहा।
जस्टिस सोनिया गोकानी और संगीता विसेन की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश के साथ घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं।
यह भी देखा गया कि पालनपुर पुलिस ने 'अंतर-धर्म विवाह' के इस मामले से निपटने के दौरान 'अनुचित व्यवहार' दिखाया था।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में, पुलिस महानिरीक्षक, बनासकांठा को निर्देश दिया कि वह पालनपुर पूर्व और पालनपुर पश्चिम पुलिस स्टेशनों के पुलिस निरीक्षकों के आचरण की जांच करें, जिनकी हिरासत में इन्हें कई दिनों तक रखा गया।
यह दंपति सूरत में रहता है। युवती का पति वहीं काम करता है। सरकारी वकील ने अदालत को आश्वासन दिया है कि सूरत के पुलिस आयुक्त को इस दंपति की सुरक्षा शुरुआती चार सप्ताह की अवधि के लिए सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 जनवरी | नेताजी सुभाष चंद्र की 125वीं जयंती 23 जनवरी को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस विशेष दिन से पहले आईएएनएस ने अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज, एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा के निदेशक शक्ति सिन्हा से बात की, जो इंडिया फाउंडेशन के एक प्रतिष्ठित फेलो हैं।
सिन्हा नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) के पूर्व निदेशक हैं और 1979 बैच से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का हिस्सा भी रहे हैं। उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी कार्य किया है।
पेश है साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश :
प्रश्न : भाजपा की योजनाओं में नेताजी इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर : अगर आप 60 और 70 के दशक में जाएं, तो आपको एक वर्णन मिलेगा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता हासिल की गई थी, जबकि इस दिशा में जवाहरलाल नेहरू अगले बड़े नेता के तौर पर माने गए हैं। परिणामस्वरूप, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले कई अन्य लोगों का जिक्र तक नहीं हुआ।
मैं कहूंगा कि इस सूची में सरदार वल्लभभाई पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी शामिल हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, नेताजी को कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्हें बाहर कर दिया गया। हमें यह समझना होगा कि गांधी के अलावा भी कई बड़े नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। नेताजी की वजह से ही अंग्रेज भारतीय सेना से बहुत घबरा गए थे। इसलिए भारत को न केवल सविनय अवज्ञा के कारण स्वतंत्रता मिली, बल्कि उनके साथ ब्रिटिश राज के अंदर पनपे खतरे के कारण भी स्वतंत्रता मिली है। यही कारण है कि नेताजी भाजपा के लिए इतने प्रासंगिक हैं।
प्रश्न : आप नेताजी की जयंती समारोह की तैयारियों को कैसे देखते हैं?
उत्तर : यह एक व्यापक समिति है (बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए केंद्र द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति) और इसमें हर राजनीतिक विचारधारा के लोगों को लिया गया है। नेताजी एक व्यापक आधार वाले व्यक्तित्व थे और वे अपने समय में भी प्रभावशाली रहें हैं। यह विचार (आइडिया) लोगों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानने और उनका आकलन करने के लिए है।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि नेताजी को चुनाव के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है? क्योंकि हमें याद है कि 2016 में पश्चिम बंगाल में राज्य चुनाव से छह महीने पहले टेलीविजन पर नेताजी की कहानियां भरी पड़ी थीं..।
उत्तर : राजनीतिक दल ये काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में नई दिल्ली के लाल किले में नेताजी संग्रहालय का उद्घाटन किया था। नेताजी को समझने और उन्हें जनता की नजर में लाने का प्रयास लंबे समय से है। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि यह केवल चुनावों के लिए ही नहीं है।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि आने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नेताजी फिर से एक मुद्दा बन सकते हैं?
उत्तर : मुझे नहीं पता कि आखिर नेताजी एक मुद्दा क्यों होना चाहिए। अगर लोग उन्हें भूल गए हैं, तो आप किसी पर उनकी विरासत को लागू करने का आरोप नहीं लगा सकते। भाजपा के निहित मूल्य और नेताजी का इको सिस्टम बहुत अलग था, लेकिन अगर वैचारिक मुद्दों के बावजूद भाजपा एक राष्ट्रवादी की सराहना कर सकती है, तो ऐसा आखिर क्यों नहीं होना चाहिए? यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।
--आईएएनएस
कोलकाता, 22 जनवरी | नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती धूमधाम से मनाने के लिए तैयारी की जा रही है। इस बीच अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोलकाता के प्रतिष्ठित विक्टोरिया मेमोरियल का नाम बदलकर 'स्वंतत्रता सेनानी स्मारक' रखने की मांग की है।
एबीएचएम ने भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में स्मारक का नाम बदलने की अपील की है।
बोस की परपौत्री (भांजी, बहन की नातिन) और एबीएचएम की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने आईएएनएस से कहा, देश के लिए अपना बलिदान देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में विक्टोरिया मेमोरियल को 'स्वंत्रता सेनानी स्मारक' घोषित किया जाना चाहिए। हमें ²श्य इतिहास से गुलामी के इस चिह्न् को हटाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में 10 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा गया था।
उन्होंने कहा कि बंगाल प्रांत के सभी शहीदों की याद में कोलकाता में एक भव्य संगमरमर की संरचना को समर्पित किया जाना चाहिए। उनके कहने का मतलब है कि अविभाजित बंगाल, बिहार, ओड़िशा और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सभी शहीदों की याद में इसे समर्पित किया जाना चाहिए, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
चौधरी ने कहा, इसके अलावा, हमने कोलकाता के फोर्ट विलियम का नाम बदलने की भी मांग की है, जो अब भारत के पहले सैन्य प्रमुख और मुक्त भारत सरकार के सुप्रीम कमांडर के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस किले के रूप में पूर्वी कमान का मुख्यालय है।
चौधरी ने कहा कि यही वह समय है, जब भारतीय सेना को भी भारतीय राष्ट्रीय सेना का नाम दिया जाना चाहिए।
पूर्वी कमान, भारतीय सेना की एक परिचालन कमान (ऑपरेशनल कमांड) है, जिसका कोलकाता शहर में फोर्ट विलियम में मुख्यालय है। इस कमान का क्षेत्र बंगाल से लेकर सिक्किम तक और पूरे पूर्वोत्तर में फैला हुआ है।
बोस की वंशज ने कहा, नेताजी पर केवल समितियों के गठन या उनकी प्रतिमाओं पर माला चढ़ाने से मदद नहीं मिलेगी। अगर हम वास्तव में अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहते हैं, तो हमें अपने देश के इतिहास से गुलामी को पूरी तरह से हटाना होगा।
बोस का फोर्ट विलियम के साथ 89 बंगाल रेजिमेंट के हिस्से के रूप में मजबूत संबंध रहा है, जब वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के तहत स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दर्शन (फिलॉस्पी) के तीसरे वर्ष के छात्र थे। वह उस समय विश्वविद्यालय कैडेट कोर के प्रशिक्षु सदस्य थे।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 22 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसानों के संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानून पर सरकार का प्रस्ताव उसे मंजूर नहीं है। आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आमसभा में सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। सयुंक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात दोहराई है।
किसान यूनियनों के साथ बुधवार को 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों के अमल को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने यह भी कहा है कि इस अवधि के दौरान सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर नये कानून और आंदोलन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करके समाधान निकाल लिया जाएगा। किसान ंयूनियनों ने इस प्रस्ताव पर अपना निर्णय सुनाने के लिए वक्त मांगा था, इसलिए अगले दौर की वार्ता शुक्रवार को दोहपर 12 बजे तय की गई है।
मगर, इस वार्ता से पहले प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। इसलिए अब 11वें दौर की वार्ता में सरकार और यूनियन के नेताओं के बीच किसी नतीजे पर पहुंचने को लेकर फिर एक असमंजस की स्थिति बनी रह सकती है।
सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता डॉ. दर्शन पाल द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस आंदोलन के दौरान 140 किसान अपनी जान गवां चुके हैं। मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।"
उधर, पूर्व घोषित किसान परेड को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ हुई बैठक की जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात मजबूती से रखी।
--आईएएनएस
कोलकाता, 22 जनवरी | वर्ष 1941 में 44 वर्षीय सुभाष चंद्र बोस को दक्षिण कोलकाता में उनके एल्गिन रोड स्थित आवास पर नजरबंद (हाउस अरेस्ट) किया गया था और उनके घर के बाहर पूरा क्षेत्र पुलिस की निगरानी में था।
विख्यात नेताजी शोधार्थी जयंत चौधरी के अनुसार, नेताजी 16 जनवरी 1941 को काले रंग की जर्मन वांडरर सेडान कार से अंग्रेजों को चकमा देकर भाग निकले थे। उन्होंने इसी कार से एल्गिन रोड से एजेसी रोड और फिर महात्मा गांधी रोड से होते हुए हावड़ा ब्रिज के माध्यम से हुगली नदी को पार करते हुए हावड़ा जिले में प्रवेश किया था।
इसके बाद राज्य की राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित बर्दवान जिले तक पहुंचने के लिए कार ने जीटी रोड का सफर भी तय किया।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, बोस बीरभूम जिले के बोलपुर के शांति निकेतन गए, जहां उन्होंने दिल्ली पहुंचने से पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर से आशीर्वाद लिया और फिर से बर्दवान जिला लौट आए।
चौधरी, जो न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग के साक्षी लोगों में से एक रहे हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, बर्दवान से उन्होंने 'फ्रंटियर मेल' नामक एक ट्रेन पकड़ी और मोहम्मद जियाउद्दीन के भेष में दिल्ली पहुंचे। मैं उस थ्योरी का समर्थन नहीं करता कि बोस ने गोमो स्टेशन से कालका मेल पकड़ी और दिल्ली पहुंचे, जो कि अब झारखंड में है। क्योंकि यह पूरी तरह से मनगढ़ंत है।
1941 में ब्रिटिश साम्राज्य के चंगुल से बाहर निकलने वाले बोस के सम्मान में 2009 में गोमो रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो रेलवे स्टेशन कर दिया गया था।
केंद्र ने 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। भारतीय रेलवे ने बुधवार को नेताजी की 125वीं जयंती समारोह से पहले हावड़ा-कालका मेल का नाम बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।
इस जानकारी को साझा करते हुए पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा, नेताजी के पराक्रम ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर पहुंचा दिया। मैं 'नेताजी एक्सप्रेस' की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं।
चौधरी ने कहा, हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, नेताजी दिल्ली से सबसे पहले पाकिस्तान के पेशावर पहुंचे और वहां से काबुल पहुंचे, जहां उन्हें लगभग 48 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। काबुल से वे समरकंद पहुंचे और वहां से वह हवाई मार्ग से मास्को गए और आखिरकार वह मार्च 1941 में बर्लिन पहुंच गए।
चौधरी ने यह भी कहा कि नेताजी के एल्गिन रोड स्थित आवास से भाग निकलने को लेकर कई थ्योरी हैं। उन्होंने कहा, लेकिन सबूतों के अनुसार, बोस को उनके एक करीबी सहयोगी सरदार निरंजन सिंह तालिब ने निकाला था न कि शिशिर बोस ने।
बोस की परपौत्री (भांजी, बहन की नातिन) और एबीएचएम की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने भी इस घटनाक्रम को याद करते हुए कहा कि सिख समुदाय ने बोस को भारत से भागने में मदद की थी और शिशिर बोस के बारे में बताई गई बातों की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
--आईएएनएस
जम्मू, 22 जनवरी | जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ के कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन कर गोलीबारी की, जिसमें भारतीय सेना का एक एनसीओ शहीद हो गया। सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सेना ने कहा, पाकिस्तान की सेना ने आज जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अकारण संघर्ष विराम का उल्लंघन किया।
उन्होंने कहा, "हमारी सेना ने दुश्मन को कड़ा जवाब दिया। संघर्ष विराम उल्लंघन में हवलदार निर्मल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में उसने दम तोड़ दिया। हम हमेशा निर्मल और उनके परिवार के ऋणी रहेंगे और उनके सर्वोच्च बलिदान को सलाम करेंगे।
पुंछ में कई सेक्टरों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन में तेजी आई है और पाकिस्तान ने लंबी दूरी के मोर्टार और छोटे हथियारों के साथ रिहायशी इलाकों और रक्षा ठिकानों को निशाना बनाया है।
सेना का कहना है कि वह नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा आक्रामकता के सभी कृत्यों का लाभ दे रही है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सैनिक की मौत पर दुख जताया है।
शहीद सैनिक को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि हम देश की अखंडता और संप्रभुता सुनिश्चित करने की दिशा में उनके सर्वोच्च बलिदानों के लिए वर्दी में अपने आदमियों के सदा ऋणी हैं।
उन्होंने शोक संतप्त परिवार को दुख की घड़ी में दिवंगत आत्मा और शक्ति की शांति के लिए प्रार्थना की।
--आईएएनएस
मुंबई, 21 जनवरी | मुंबई में ड्रग कार्टेल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई में, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को भगोड़े अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर के लिंक मिले हैं। इस सिलसिले में एजेंसी ने मुंबई के डोंगरी में एक ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसे करीम लाला का पोता परवेज खान ऊर्फ चिंकू पठान चला रहा था। एनसीबी के अधिकारियों ने उसके सहयोगी एक अन्य किंगपिन आरिफ भुजवाला के परिसर से 2.18 करोड़ रुपये की नकदी भी बरामद की।
जांच से जुड़े एनसीबी के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया, "एनसीबी ने बुधवार को लाला के पोते चिंकू पठान को गिरफ्तार किया। लाला दाऊद इब्राहिम का मेंटर था।"
अधिकारी ने कहा कि लाला मुंबई का मूल अंडरवल्र्ड डॉन था।
उन्होंने कहा, "यह कार्टेल मूल रूप से पठानी गिरोह द्वारा चलाया जा रहा था और उनका दाऊद गिरोह के साथ भी संबंध है।"
अधिकारी ने कहा कि चिंकू पठान का साझेदार भुजवाला महाराष्ट्र में ड्रग्स का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।
यह कार्रवाई बुधवार सुबह तब शुरू हुई, जब एजेंसी के सदस्यों ने चिंकू पठान को उसके सहयोगी जाकिर हुसैन फजल हक शेख के साथ गिरफ्तार किया। साथ ही एजेंसी ने उसके निवास स्थान से 2.9 ग्राम हेरोइन और 52.2 ग्राम मेफ्रेडोन या 'एमडी' जब्त किया।
एनसीबी की टीम ने चिंकू पठान के आवास से एक 9 एमएम पिस्तौल भी बरामद किया।
अधिकारी ने बताया कि इसी तरह के एक समानांतर छापे में, पेशे से डीजे और रैपर राहुल कुमार वर्मा को मुंबई के भिवंडी इलाके में पकड़ा गया।
अधिकारी ने कहा कि संदेह है कि डीजे को चिंकू पठान मेफ्रेडॉन की आपूर्ति करता था।
अधिकारी ने कहा कि लाला के पोते की गिरफ्तारी के बाद, एनसीबी को एक बड़ी सफलता हासिल हुई, क्योंकि ड्रग कानून प्रवर्तन टीम ने बुधवार शाम को डोंगरी इलाके में भुजवाला के निवास पर छापे मारे, जो गुरुवार की सुबह तक जारी रहा।
छापे के दौरान, एनसीबी टीम ने 2.18 करोड़ रुपये, एक रिवॉल्वर बरामद की। माना जा रहा है कि यह राशि मादक पदार्थों की तस्करी से जमा की गई थी।
अधिकारी ने कहा कि उसी इमारत में भुजवाला द्वारा संचालित एक गुप्त ड्रग प्रयोगशाला का भी भंडाफोड़ किया गया। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 जनवरी | गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महिला के परिवार की शिकायत पर बनासकांठा जिले के पालनपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक अंतर-धर्म में विवाहित जोड़े की तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। पालनपुर के 30 वर्षीय एक मुस्लिम व्यक्ति ने पिछले साल दिसंबर में कस्बे की 29 वर्षीय एक हिंदू युवती से शादी की थी।
9 जनवरी को, युवती के पिता की शिकायत के बाद कि उसकी बेटी ने 82,000 रुपये चुराए और पहले से शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति के साथ भाग गई, पालनपुर पुलिस ने सूरत में रहने वाले दंपति को हिरासत में ले लिया। एक स्थानीय अदालत ने बाद में उन्हें चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जैसा कि पुलिस ने मांग की थी।
गिरफ्तारी के बाद, इस शख्स के भाई ने 18 जनवरी को हैबियस कॉर्पस पेटीशन के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसने हाल ही में विवाहित अपने भाई की गिरफ्तारी को अवैध बताया।
याचिका पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय ने स्थानीय मजिस्ट्रेट द्वारा जारी रिमांड आदेश को रद्द कर दिया और पालनपुर पुलिस को युगल को तुरंत रिहा करने के लिए कहा।
जस्टिस सोनिया गोकानी और संगीता विसेन की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश के साथ घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं।
यह भी देखा गया कि पालनपुर पुलिस ने 'अंतर-धर्म विवाह' के इस मामले से निपटने के दौरान 'अनुचित व्यवहार' दिखाया था।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में, पुलिस महानिरीक्षक, बनासकांठा को निर्देश दिया कि वह पालनपुर पूर्व और पालनपुर पश्चिम पुलिस स्टेशनों के पुलिस निरीक्षकों के आचरण की जांच करें, जिनकी हिरासत में इन्हें कई दिनों तक रखा गया।
यह दंपति सूरत में रहता है। युवती का पति वहीं काम करता है। सरकारी वकील ने अदालत को आश्वासन दिया है कि सूरत के पुलिस आयुक्त को इस दंपति की सुरक्षा शुरुआती चार सप्ताह की अवधि के लिए सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 जनवरी | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार 15 अगस्त, 2022 तक देश के हर नागरिक को घर मुहैया कराएगी। शाह ने अहमदाबाद के शिलज में एक किलोमीटर लंबे ओवरब्रिज के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान यह बात कही।
शाह ने कहा, "जिस तरह से हमारी भाजपा सरकार देश में ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी आवास परियोजनाएं चला रही है, मुझे पूरा भरोसा है कि 15 अगस्त 2022 तक देश में सभी को रहने के लिए एक घर की सुविधा होगी। नरेंद्र मोदी सरकार ने 10 करोड़ से अधिक किफायती आवास प्रदान किए हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उज्जवला योजना के तहत 13 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर प्रदान किए गए। हमारी सरकार ने देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई है और अब हम 2022 तक देश के हर घर में पानी की कनेक्टिविटी प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे हैं।"
शाह ने गुरुवार को अहमदाबाद के थलतेज- शिलज क्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर ओवरब्रिज का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। इस दौरान गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ओवरब्रिज स्थल पर मौजूद रहे।
शाह ने अपने संबोधन में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लगभग एक लाख रेलवे क्रॉसिंग को मुक्त करने का निर्णय लिया है और इसके तहत हमने राज्य सरकारों के साथ 50-50 लागत साझा करते हुए इन स्थानों पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने का काम किया है।"
शाह ने कहा कि देश में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को हटाने का फैसला किया गया है और 2022 तक देश में एक भी मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग नहीं होगी।
गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शाह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जरूरी कार्यों के लिए गुजरात के उपमुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया। (आईएएनएस)