राष्ट्रीय
भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन को लेकर कुछ शर्तें जारी की हैं. भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है. कंपनी ने अपनी वेबासाइट पर एक बयान अपलोड कर बताया है कि किन लोगों को कोवैक्सीन नहीं लगानी है.
बयान के अनुसार एलर्जी पीड़ित, बुख़ार और ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले, वो लोग जो ख़ून पतला करने की दवाई लेते हैं और वो लोग जो इम्युनिटी को लेकर दवाई लेते हैं, उन्हें भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन न लगाने की सलाह दी.
इसके साथ ही गर्भवती महिलाएं और जो स्तनपान कराती हैं उन्हें भी इस वैक्सीन लगाने से मना किया गया है. अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' ने इस ख़बर को पहले पन्ने की लीड बनाई है.
कंपनी ने अपने बयान में कहा है, "कोवैक्सीन गंभीर एलर्जिक रिएक्शन की वजह बन सकती है. इसके कारण सांस लेने में दिक़्क़त, चेहरे या गर्दन पर सूजन, तेज़ धड़कन, शरीर पर रैश, चक्कर और कमज़ोरी जैसी समस्या हो सकती है."
भारत बायोटेक ने अब फैक्टशीट जारी की है, जिसमें वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार कोवैक्सीन की क्लिनिकल एफिकेसी दर अभी नहीं बताई गई है. अब भी वैक्सीन के फ़ेज थ्री के क्लिनिकल ट्रायल की स्टडी चल ही रही है. कंपनी ने ये भी कहा है कि वैक्सीन लगाने का मतलब ये नहीं है कि कोविड-19 को रोकने के लिए परहेजों का पालन नहीं करना है.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार लोग ये तय नहीं कर सकते कि उन्हें कौन-सी वैक्सीन मिलेगी, हालांकि वैक्सीन लगवाना या न लगवाना स्वैच्छिक है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) की ओर से इसके लिए ज़ोर-शोर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
अख़बार कहता है कि वैक्सीन लगाने के बाद 447 लोगों में इसके साइड इफेक्ट दिखे हैं. इनमें से तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. ऐसे में वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
द हिन्दू से स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि टीकाकरण की प्रक्रिया में व्यक्ति की सेहत के बारे में पूरी जानकारी लेना और वैक्सीन लगाने के बाद उसकी निगरानी करना शामिल है. (बीबीसी)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | राजस्थान के भवेश शेखावत और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की आकांक्षा बंसल ने सोमवार को यहां डॉ. कर्णी सिंह रेंज में आयोजित टी2 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल ट्रायल्स के आखिरी दिन जीत अपने नाम कर ली। भवेश ने फाइनल्स में 32 अंक किए और उन्होंने दिल्ली के अर्पित गोयल (27 अंक) को पीछे छोड़ा। हरियाणा के आदर्श सिंह 23 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
सेना के निशानेबाज और ट्रायल एक के विजेता गुरप्रीत सिंह ने क्वालीफाईंग राउंड में 580 का स्कोर बनाकर पहला स्थान हासिल किया। भवेश ने 576 अंकों के साथ छठे स्थान पर रहते हुए क्वालीफाई किया।
महिलाओं वर्ग में आकांक्षा ने 548 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया। उत्तर प्रदेश की अरुणिमा गौड़ (544) दूसरे और हरियाणा की तेजस्वी (542) तीसरे स्थान पर रहीं।(आईएएनएस)
गुरुग्राम, 18 जनवरी | गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे पर ट्रेलर ट्रक और कार में जोरदार भिड़त हो गई, जिससे कार में सवार 40 वर्षीय प्राइवेट एयरप्लेन पायलट की मौत हो गई। इसकी जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी। पुलिस के मुताबिक, अनमोल वर्मा रविवार को करीब 1.30 बजे दिल्ली से गुरुग्राम स्थित अपने घर जा रहे थे। जब वह सेक्टर-114 के पास द्वारका एक्सप्रेसवे पर पहुंचे, तो गलत दिशा से आ रही एक ट्रेलर ट्रक ने सामने से जोरदार टक्कर मार दी है।
टक्कर में, पायलट को गंभीर चोटें लगीं और इलाज के लिए एक निजी अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों ने उनके दोस्त पंकज कौशल को भी सूचित किया है, जो एक अन्य निजी एयरलाइन के पायलट हैं।
पुलिस ने बताया कि घायल पायलट की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई।
ट्रक चालक अपने वाहन को मौके पर छोड़कर मौके से फरार हो गया।
बजघेरा थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) संदीप कुमार ने कहा, "हमने उस ट्रक को जब्त कर लिया है, जिसमें हरियाणा का रजिस्ट्रेशन नंबर है। हम फरार ट्रक ड्राइवर के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। मृतक का शव सोमवार को परीक्षण के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया है।" (आईएएनएस)
मुंबई, 18 जनवरी | बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि 'मीडिया ट्रायल' जांच को प्रभावित करता है, कानूनों का उल्लंघन करता है और अदालत की अवमानना के साथ ही न्यायिक प्रशासन में बाधा उत्पन्न करता है। जून 2020 में बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आईपीएस अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश जी. एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
पीठ ने कहा, "मीडिया ट्रायल केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत कार्यक्रम कोड का उल्लंघन करता है।"
अदालत ने कहा कि चूंकि वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास अपने दिशानिर्देश नहीं हैं, इसलिए प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशानिर्देश इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी लागू होंगे। (आईएएनएस)
रजनीश सिंह
नई दिल्ली, 18 जनवरी | स्वदेशी रूप से विकसीत एक बाइक एम्बुलेंस 'रक्षिता' सोमवार से नक्सल प्रभावित राज्यों या उग्रवाद प्रभावित पूर्वोत्तर क्षेत्रों के दूरदराज और दुर्गम इलाकों में तैनात सीआरपीएफ कर्मियों के जीवन को बचाएगी।
आपातकालीन निकासी की जरूरतों के लिए सावधानी से कस्टम बनाया गया है। 'रक्षिता' एक रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350सीसी बाइक पर बनाया गया है।
यह एक त्वरित फिट और कैजुअल्टी निकासी सीट (सीएसई) के साथ आता है, जिसमें ड्राइवर के लिए निगरानी क्षमता और ऑटो चेतावनी प्रणाली के साथ कस्टमाइजिंग डिजाइन रीक्लाइनिंग, हैंड इमोबिलाइजर और हार्नेस जैकेट, फिजियोलॉजिकल पैरामीटर माप उपकरण होते हैं।
सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मापदंडों, एयर स्प्लिंट मेडिकल और ऑक्सीजन किट, सैलाइन और ऑक्सीजन एडमिनिस्ट्रेशन जैसे महत्वपूर्ण पैरामीटर के लिए डैशबोर्ड माउंटेड एलसीडी आदि विशेषताओं से यह लैस है।
सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक एम. दिनाकरन ने आईएएनएस को बताया कि ये उपकरण रक्षिता को ऑन स्पॉट मेडिकल केयर और इंजर्ड ट्रांसपोर्च सिस्टम बनाते हैं। जो न केवल स्वदेशी और लागत प्रभावी है, बल्कि संकरी गलियों, भीड़भाड़ और अनचाही सड़कों का पता लगाकर दुर्गम या दूरस्थ स्थानों तक भी पहुंच सकती है, जहां पारंपरिक चार पहिया वाले एंबुलेंस का पहुंचना मुश्किल होता है। बाइक एम्बुलेंस को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (इनमास) द्वारा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सहयोग से विकसित किया गया है।
इसी तरह की 21 'रक्षिता' बाइक एंबुलेंस को सोमवार को 3.5 लाख बल के सीआरपीएफ में शामिल किया गया। ये बाइक एम्बुलेंस सीआरपीएफ मुख्यालय में सीआरपीएफ के महानिदेशक ए.पी. माहेश्वरी और ए.के. सिंह, डीएस और डीजी (एलएस), डीआरडीओ की मौजूदगी में लॉन्च किए गए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने दसवीं-बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय लिया है। कई स्कूलों में इस मौके पर छात्रों और शिक्षकों को हैंड सैनिटाइजर और एन 95 मास्क उपलब्ध कराए गए। मार्च 2020 के बाद पहली बार स्कूल खुलने पर 10वीं-12वीं के छात्र पहली बार स्कूल पहुंचे हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि, "लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलने पर सभी सुरक्षा उपाय किए गए हैं। छात्रों-शिक्षकों को एन 95 मास्क और हैंड सैनिटाइजर दिए गए हैं। पढ़ाई दोबारा से बंद न हो यह सुनिश्चित करने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना है।"
राघव चड्ढा ने सोमवार को दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान छात्र व शिक्षकों दोनों को ही कोरोना से बचाव के उपयुक्त संसाधन भी मुहैया कराए गए।
युवा छात्रों से बातचीत के दौरान राजेंद्र नगर विधायक राघव चड्ढा ने सभी को मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और नियमित रूप से हाथों को साफ करने संबंधी कोविड 19 सुरक्षा उपायों को लेकर प्रेरित किया।
कक्षा दसवीं-बारहवीं के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। छात्रों को इस स्तर पर परीक्षा में बैठने से पहले सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी। छात्र मार्च 2020 के बाद पहली बार स्कूल आ रहे हैं। पिछला साल सभी के लिए बेहद कठिन रहा है।
दिल्ली में स्कूल मार्च 2020 में बंद कर दिए गए थे, ताकि कोविड 19 के प्रसार को नियंत्रित किया जा सके। ऐसे में शिक्षा को जारी रखने के लिए पढ़ाई ऑनलाइन कक्षाओं में तब्दील हो गई। अब कक्षा दसवीं और बारहवीं के छात्रों के लिए स्कूल फिर से खोल दिए गए हैं। हालांकि शारीरिक उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। छात्र अपने माता-पिता की सहमति से ही स्कूल आ सकते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | कोरोनावायरस टीकाकरण को लेकर लोगों में कई तरह की आशंकाएं बनी हुई हैं। इस बीच एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को भरोसा दिया कि वैक्सीन से किसी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होगी। राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था और पहले दो दिनों के दौरान टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रतिक्रिया (एईएफआई) के 447 मामले सामने आए हैं, जिसमें से अधिकांश तो मामूली साइड इफेक्ट थे, जबकि तीन रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
वैक्सीन लगाने के बाद साइड इफेक्ट और एलर्जी पर चर्चा करते हुए डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मामूली साइड इफेक्ट से हमें डरने की जरूरत नहीं है, अगर आप कोई भी दवाई लेते हैं, तो कुछ एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है और ऐसा रिएक्शन क्रोसिन, पैरासिटामोल जैसी साधारण दवाई से भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका कोई ऐसा साइड-इफेक्ट नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप मौत हो जाए।
एम्स निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इसके साधारण साइड इफेक्ट में शरीर में दर्द, जहां टीका लगा है, वहां पर हल्का दर्द और हल्का बुखार हो सकता है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अगर गंभीर साइड इफेक्ट की बात करें तो शरीर पर चकत्ते निकल सकते हैं, मगर साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये साइड इफेक्ट 10 प्रतिशत से भी कम लोगों को होते हैं।
डॉ. गुलेरिया ने लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर अगर हमें को कोविड संक्रमण से बाहर निकलना है, मौत की दर को कम करना है, अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लानी है, तो हमें बिना झिझक वैक्सीन लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में हमें स्कूल शुरू करने हैं, जिंदगी को साधारण करना है तो सभी को आगे आकर कोविड वैक्सीन लगवानी चाहिए। तभी हम आगे बढ़ पाएंगे और तभी देश पहले की तरह पटरी पर लौट पाएगा।
16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश भर में टीकाकरण अभियान शुरू करने के कुछ ही क्षणों के बाद डॉ. गुलेरिया को भी वैक्सीन दी गई थी।
एम्स के निदेशक ने वैक्सीन लगवाने के बाद सोमवार को अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, "वैक्सीन का मुझ पर कोई साइड इफेक्ट नहीं है और मैं पूरी तरह से ठीक महसूस कर रहा हूं।" (आईएएनएस)
'लाहौर, 18 जनवरी | पुलिस ने लाहौर में साल 2020 में 279 अप्राकृतिक मौतों की जांच शुरू की है। यह जानकारी सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट से मिली। डॉन न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, "पुलिस ने 279 अप्राकृतिक मौतों में लंबित पूछताछ को ऑपरेशन विंग से जांच में शिफ्ट कर दिया है।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "राजधानी शहर के पुलिस अधिकारी (सीसीपीओ) द्वारा पुलिस की दोनों शाखाओं के डीआईजी की सिफारिशों पर आत्महत्या, आकस्मिक, अप्राकृतिक और संदिग्ध मौतों की जांच के लिए एक निर्देश जारी किया गया है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल लाहौर जिले में ऐसी परिस्थितियों में 279 लोग मारे गए थे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने डॉन को बताया कि, यह पहल यह पता लगाने के लिए शुरू की गई है कि 279 लोग की मौत कैसे हुई थी, आत्महत्या, दुर्घटना या हत्या के कारण ये मारे गए थे।
उन्होंने कहा, "अप्राकृतिक मौत के मामले में परिस्थितियों को समझने और जांचने की जरूरत है, जिससे उन्हें न्याय मिल सके।"
डॉन के साथ उपलब्ध आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 279 पीड़ितों में से 251 पुरुष, 23 महिलाएं और 5 बच्चे थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने का साहस दिखाया और उन्होंने नए कृषि कानून बनाए। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए ये कानून लाभकारी साबित होंगे। केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहसपूर्वक नए कृषि सुधार कानून बनाए हैं। भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार किसानों के लिए काफी मददगार साबित होंगे और इनसे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा।"
भारत सरकार द्वारा किए गए ऐतिहासिक कृषि सुधारों पर वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान द्वारा ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के परिसंघ के सहयोग से आयोजित नेशनल कॉन्फ्रें स को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है और संकट की घड़ी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था से देश को मजबूती मिलती रही है।
उन्होंने कहा, "कोविड संकट में भारत सरकार ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अनेक कदम उठाए गए हैं।"
तोमर ने कहा, "खाद्यान्न में हमारा देश सरप्लस देश है, लेकिन कृषि क्षेत्र में असंतुलन भी है। बड़े व छोटे किसानों की परिस्थितियां भिन्न-भिन्न हैं, इसीलिए छोटे किसानों को सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, एमएसपी, टेक्नोलॉजी, मार्केट लिंक आदि का लाभ देने के लिए सरकार ने अनेक उपाय किए हैं। कृषि सुधारों को लेकर लंबे समय तक कृषि विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, किसान संगठनों व अन्य विद्वानों ने काफी मंथन किया है।"
उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में कमेटी भी बनी और काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि क्षेत्र में कानूनी बदलाव लाने की जरूरत महसूस करते हुए ये नए कानून लाए गए हैं।
तोमर ने कहा, "ये कानून पहले भी अपेक्षित थे, लेकिन पहले की सरकार दबाव-प्रभाव में आगे नहीं बढ़ पाई। मोदी जी ने साहसपूर्वक कदम उठाया और दो नए कानून बनाए एवं एक कानून में संशोधन किया, जिन्हें संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दी।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये कानून किसानों की दशा-दिशा बदलने वाले, उन्हें बंधनों से मुक्ति देने वाले, फसल का वाजिब दाम दिलाने वाले, महंगी फसल की ओर आकर्षित करने वाले, एफपीओ व फूड प्रोसिंसिग से जोड़ने वाले हैं।
उन्होंने कहा, "ये कानून किसानों के लिए काफी मददगार सिद्ध होंगे। जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो उसमें बाधाएं आती हैं। देशभर में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि एमएसपी खत्म होने जा रही है, लेकिन सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि एमएसपी जारी रहेगी, बल्कि एमएसपी पर खरीद भी बढ़ाई गई है।"
उन्होंने कहा, "देश के कृषि बजट को 5 गुना से ज्यादा बढ़ाया गया है। वर्ष 2013-14 में कृषि बजट लगभग 27 हजार करोड़ रुपये था, जिसे चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 1.34 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। आत्मनिर्भर भारत अभियान में घोषित एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र फंड से गांव-गांव पूंजी निवेश होगा, जिससे किसानों को काफी सहूलियत होगी, वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।"
कार्यक्रम को वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. के.के. त्रिपाठी, फिक्की के पदाधिकारी आर.जी. अग्रवाल, कृषि विशेषज्ञ डॉ. अमिताभ कुंडू, डॉ. प्रवीण त्रिपाठी व रवींद्र धारिया, कॉन्फेडरेशन ऑफ हार्टिकल्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमेन डॉ. एच.पी. सिंह, ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के परिसंघ के महासचिव बिनोद आनंद और प्रोफेसर डॉ. स्नेहा कुमारी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सैकड़ों संस्थाओं के पदाधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे। (आईएएनएस)
-अनुराग द्वारी
मुरैना: कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन के बीच केंद्र सरकार अपने इन कानूनों की वकालत के लिए कई तरीके अपना रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इन कानूनों पर बातचीत के लिए कई सम्मेलन कर रहे हैं. इसी क्रम में वो मध्य प्रदेश के मुरैना में एक सम्मेलन हिस्सा लेने आए थे, हालांकि, मुरैना पहुंचने से पहले का उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो सिख समुदाय के कुछ लोगों के साथ भोजन करते देखे गए.
दरअसल, नरेंद्र सिंह तोमर रविवार को दिल्ली से रेल मार्ग से मुरैना आ रहे थे. इसी दौरान उन्होंने ट्रेन में सिख समुदाय के कुछ लोगों के साथ लंगर का खाना खाया. यह वीडियो उनके फेसबुक अकाउंट पर शेयर किया गया है.
कृषि मंत्री ने वीडियो पर सवाल किए जाने पर तो कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन मोदी सरकार की कृषि क्षेत्र में किए गए योगदानों का जरूर उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के लिये अभूतपूर्व कार्य किए हैं और सरकार इन किसान कानूनों को वापस नहीं लेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलनरत किसानों के सुझावों पर बदलाव के लिए नौ चरणों की चर्चा कर चुकी है और उन्होंने संभवत: 19 जनवरी को दसवें चरण की चर्चा में किसानों से विकल्प और प्रावधानों पर चर्चा के साथ समाधान की ओर आगे बढ़ने का भरोसा जताया. उन्होंने किसान बिल को किसानों के जीवन में बदलाव लाने वाला बताते हुए कहा कि भारत सरकार किसानों के उत्थान के प्रति प्रतिबद्ध है.
बता दें कि बड़ी संख्या में किसान संगठन और पंजाब, हरियाणा समेत कई दूसरे राज्यों के किसान हजारों की संख्या में नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग मोदी सरकार द्वारा सितंबर में सदन से पारित तीन नए कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने की है. सरकार किसानों से नौ चरणों में बात कर चुकी है, जिसका कोई हल नहीं निकला है. इस बीच किसान संगठनों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की चेतावनी दी है. कृषि मंत्रालय इन कानूनों पर किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए इनपर सम्मेलन भी कर रहा है.
शिवसेना को गढ़ कोकण में बीजेपी बड़ी जीत की ओर
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनावों के नतीजों से शिवसेना गदगद
चंद्रकांत पाटिल ने शिवसेना को दी चेतावनी, अलग-अलग होकर लड़ो चुनाव
कांटे की टक्कर, BJP 388 सीटों पर तो शिवसेना 371 सीटों पर आगे
पराली में 7 में 6 सीटों पर एनसीपी का कब्जा, 1 बीजेपी के पास
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके पृथ्वीराज चव्हाण को लगा तगड़ा झटका
BJP अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील के गांव में शिवसेना का दबदबा
औरंगाबाद के ढाकेफल गांव में महिलाओं ने बनाया रिकॉर्ड
राधाकृष्ण विखे पाटिल को महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में लगा बड़ा झटका
331 ग्राम पंचायतों पर शिवसेना तो 266 पर BJP आगे
14 गांवों ने अपनी मांगों लेकर ग्राम पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया
जनलीक्षा पार्टी ने पडली ग्राम पंचायत पर पर हासिल की जीत
शिवसेना 323 सीटों पर आगे, बीजेपी ने 261 सीटों पर बना रखी है बढ़त
पहले 1,566 ग्राम पंचायतों में 31 मार्च 2020 को चुनाव होने वाले थे
महाराष्ट्र सरकार के सामने आज सबसे बड़ी चुनावी चुनौती का दिन
महाराष्ट्र सरकार के सामने आज सबसे बड़ी चुनावी चुनौती का दिन
महाराष्ट्र पंचायत की 1,25,709 सीटों के लिए मतदान हुआ
14 गांवों ने महाराष्ट्र में हुए ग्राम पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव में 79 फीसदी वोटिंग हुई थी
बीजेपी और शिवसेना के बीच कांटे की टक्कड़ जारी है. कभी बीजेपी आगे निकल रही है तो कभी शिवसेना आगे निकल रही है. अभी तक के चुनाव परिणा पर नजर दौड़ाएं तो बीजेपी के खाते में 502 सीट गई है तो शिवसेना के खाते में 532 सीटें जाती दिखाई दे रही हैं. एनसीपी के खाते में 372, कांग्रेस के खाते में 360 जबकि अन्य के खाते में 645 सीट जा चुकी हैं.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव में इस बार कई बड़े उलटफेर देखने को मिल रहे हैं. कोकण क्षेत्र से बीजेपी को बड़ी जीत मिलती दिखाई दे रही है. बता दें कि कोकण को शिवसेना का गढ़ माना जाता है.कोकण के मालवण में 5 ग्राम पंचायतों में BJP को बड़ी जीत हासिल हुई है.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है. बीजेपी को अब तक 456 सीटें हासिल हुई हैं तो शिवसेना के खाते में 435 सीटें आई हैं. एनसीपी को इस चुनाव में 323 जबकि कांग्रेस को 331 सीटें मिलती दिख रही हैं. अन्य के खाते में अभी तक 620 सीट जाती दिखाई दे रही है.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव के अब तक के नतीजों ने शिवसेना को गदगद कर दिया है. इस चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया है कि शिवसेना को अब केवल अर्बन पार्टी नहीं समझा जा सकता है. पहले शिवसेना की पहुंच केवल मुंबई और कोकण क्षेत्र तक ही मानी जाती थी लेकिन ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों ने बता दिया है कि शिवसेना की पैठ अब गांव तक भी है.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों ने चंद्रकांत पाटिल और बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. चंद्रकांत पाटिल के क्षेत्र से शिवसेना ने 9 में से 6 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी की हार पर चंद्रकांत पाटिल ने शिवसेना को चेतावनी देते हए कहा कि अलग-अलग होकर लड़ो फिर अपनी ताकत दिखाओ. तीनों एक हो गए BJP अकेली पड़ गई.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों में बीजेपी और शिवसेना के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. अभी तक के चुनाव नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी 388 सीटों पर आगे है जबकि शिवसेना 371 सीटों पर आगे चल रही है. एनसीपी को अभी 279 जबकि कांग्रेस के पास 258 सीट मिली हैं. इस चुनाव में अन्य के खाते में अब तक 556 सीटें गई हैं.
पराली में एनसीपी ने 7 में से 6 सीटों पर दर्ज की जीत, एक पर बीजेपी का कब्जा. इस ग्राम पंचायत पर इस लिए हर किसी की नजर थी क्योंकि यहां पर एक ही परिवार के पकंजा मुंडे और धनंजय मुंडे के बीच वर्चस्व की लड़ाई थी. एनसीपी की जीत ने धनंजय मुंडे की साख को बढ़ा दिया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके पृथ्वीराज चव्हाण के गढ़ कराड में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव परिणों पर नजर डालें तो शेनोली शेरे और कार्वे गांव में BJP ने बाजी मार ली है जबकि उत्तरी कराड में NCP से कैबिनेट मंत्री बालासाहेब पाटील का पैनल विजयी हुआ है. यहां से NCP ने 10 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की है.
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में इस बार कई तरह के बड़े फेरबदल देखने को मिल रहे हैं. बीजेपी से अलग होने के बाद शिवसेना ग्राम पंचायत चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील के गांव कोल्हापुर के खानापुर से शिवसेना आगे चल रही है. शिवसेना का इस तरह से आगे बढ़ना BJP के साथ-साथ चंद्रकांत पाटील के लिए भी एक करारा झटका है.
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव के इस बार के चुनाव में कई बड़े दिग्गजों को बड़ा झटका लगा है. इन दिग्गजों में BJP से चंद्रकांत पाटील, नारायण राणे, राधाकृष्ण विखे पाटील के नाम हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के पृथ्वीराज चव्हाण को भी पंचायत चुनाव में निराशा हाथ लगी है.
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव के परिणाम आने शुरू हो गए हैं. परिणाम आने के साथ ही औरंगाबाद जिले के ढाकेफल गांव में महिलाओं ने रिकॉर्ड बना दिया है. यहां 9 में से 9 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को जीत दर्ज की है. बता दें कि महाराष्ट्र के 34 जिलों के 12,711 ग्राम पंचायतों में 15 जनवरी को वोटिंग हुई थी.
अहमदनगर जिले के सीनियर लीडर राधाकृष्ण विखे पाटिल को बड़ा झटका लगा है. लोणी खुर्द गांव में 20 साल के बाद उनकी सत्ता चली गई है. 17 में से 13 सीटों पर परिवर्तन पैनल को जीत हासिल हुई है. राधाकृष्ण विखे पाटिल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे.
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव के परिणाम आने शुरू हो गए हैं. अभी तक के रुझान को देखें तो शिवसेना 331, बीजेपी 266, एनसीपी 221 और कांग्रेस 147 सीटों पर आगे चल रही है.
पिछले साल अप्रैल से जून के बीच राज्य की 1,566 ग्राम पंचायतों में 31 मार्च 2020 को चुनाव होने वाले थे, लेकिन कोरोना की वजह से 17 मार्च 2020 को चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया. इसके बाद चुनाव कार्यक्रम पूरी तरह रद्द कर दिया गया.
14 गांवों ने अपनी मांगों लेकर ग्राम पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया है. ये लोग अपने क्षेत्र को नवी मुंबई नगर निगम का हिस्सा बनाने की मांग कर रहे हैं. जिले में 5 ग्राम पंचायतों में शुक्रवार को मतदान नहीं हुआ. अधिकारी ने बताया कि इन गांवों के निवासी पिछले 15 साल से आंदोलन कर रहे हैं और पिछले दो आम चुनावों में भी मतदान का बहिष्कार कर चुके हैं. इनकी मांगों को लेकर एक कमेटी बनाई गई है. इस संबंध में जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया है.
5 सीट पर मनसे के उम्मीदवार आगे हैं. पहला परिणाम हतनकंगल ग्राम पंचायत से आया है. यहां जनलीक्षा पार्टी ने पडली ग्राम पंचायत पर झंडा फहराया है. विनय कोरे ने जीत हासिल की है.
अब तक रुझानों के मुताबिक, शिवसेना और बीजेपी में कड़ी टक्कर हो रही है. शिवसेना 323 सीट पर आगे चल रही है, बीजेपी ने भी 261 सीटों पर बढ़त बना रखी है. एनसीपी के खाते में 218, तो कांग्रेस को 136 सीट मिलती दिख रही है.
पिछले साल अप्रैल से जून के बीच राज्य की 1,566 ग्राम पंचायतों में 31 मार्च 2020 को चुनाव होने वाले थे, लेकिन कोरोना की वजह से 17 मार्च 2020 को चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया. इसके बाद चुनाव कार्यक्रम पूरी तरह रद्द कर दिया गया.
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव: सरपंच पद की हो रही नीलामी, EC ने 2 ग्राम पंचायत के चुनाव किए रद्द
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई में 15 महीने पहले सत्ता संभालने के बाद शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस महागठबंधन सरकार के सामने ये पहली बड़ी चुनावी चुनौती है.
महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन अहम है. राज्य की 14,234 ग्राम पंचायतों में पर 12,711 सीटों पर 15 जनवरी को हुए चुनाव की मतगणना हो रही है. बाकी 1523 सीटों पर प्रत्याशी निर्विरोध विजयी हुए हैं. अब तक रुझानों के मुताबिक, शिवसेना और बीजेपी में कड़ी टक्कर हो रही है. फिलहाल शिवसेना 323 सीट पर आगे चल रही है. बीजेपी के प्रत्याशी 261 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई में 15 महीने पहले सत्ता संभालने के बाद शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस महागठबंधन सरकार के सामने ये पहली बड़ी चुनावी चुनौती है.सभी प्रमुख राष्ट्रीय दलों, राज्य दलों, क्षेत्रीय दलों और स्थानीय दलों के उम्मीदवारों के अलावा निर्दलीय भी इस महत्वपूर्ण चुनाव के लिए मैदान में थे.
लखनऊ, 18 जनवरी | वेब सीरीज तांडव में आपत्तिजनक दृश्यों तथा डायलॉग को लेकर मचे बवाल के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी धार्मिक व जातीय भावना को आहत करने वाले कुछ दृश्यों को हटाने की अपील की है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सोमवार को ट्वीट कर लिखा कि, ताण्डव वेब सीरीज में धार्मिक व जातीय आदि भावना को आहत करने वाले कुछ ²श्यों को लेकर विरोध दर्ज किए जा रहे हैं, जिसके सम्बंध में जो भी आपत्तिजनक है उन्हें हटा दिया जाना उचित होगा ताकि देश में कहीं भी शान्ति, सौहार्द व आपसी भाईचारे का वातावरण खराब न हो।
इससे पहले रविवार रात लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में वेब सीरीज तांडव के निर्देशक अली अब्बास जाफर, प्रोड्यूसर हिमांशु कृष्ण मेहरा, लेखक गौरव सोलंकी और हेड इंडिया ओरिजिनल कंटेंट अमेजन के अपर्णा पुरोहित के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। यहां पर वरिष्ठ उपनिरीक्षक अमरनाथ यादव ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। आरोप है ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम वीडियो पर 16 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव के विरोध में काफी आक्रोश भरे लेख आ रहे हैं। इस वेब सीरीज की फुटेज भी लोग पोस्ट कर आपत्ति जता रहे हैं।
ज्ञात हो कि वेब सीरीज के पहले एपिसोड पर लोगो ने आपत्ति जतायी है। 17 वें मिनट पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया गया है। इसके अलावा निम्न स्तर की भाषा का इस्तेमाल भी किया गया है, जिससे लोगों में आक्रोश है। वेब सीरीज में राजनीतिक वर्चस्व को पाने के लिए अत्यंत निम्न स्तर से फिल्म का चित्रण किया गया है। इस मामले में समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने वेब सीरीज के निमार्ता निर्देशक, लेखक व प्रोड्यूसर समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। (आईएएनएस)
कटनी, 18 जनवरी | मध्य प्रदेश के कटनी जिले में एक शिक्षक ने महिला और बालिका सम्मान की अनूठी मिसाल पेश की है। यह शिक्षक बीते 20 साल से अधिक समय से बालिकाओं की पूजा और चरण पूजन के बाद ही अध्यापन का कार्य शुरु करते हैं। कटनी जिले के लोहरवारा में है प्राथमिक पाठशाला। यहां पढ़ने आने वाली बालिकाओं का प्रभारी भैया लाल सोनी प्रार्थना से पहले उनके पैरों को बगैर किसी भेदभाव के गंगा जल से धोते हैं और पूजन करने के बाद ही अध्यापन का कार्य शुरु करते हैं। यह क्रम बीते 23 सालों से निरंतर जारी है। कोरोना महामारी के दौर में विद्यालय बंद रहे और हमारा घर हमारा विद्यालय के तहत संचालित मोहल्ला क्लास में भी कन्याओं का पूजन करना नही भूलते।
भैया लाल सोनी बताते हैं कि एक पवित्र सोच के साथ नमामि जननी अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद बच्चियों और महिलाओं का सम्मान है। नियमित तौर पर प्रार्थना से पहले बालिकाओं के पैर गंगाजल से धोए जाते हैं और नवरात्र में बालिकाओं का जिस तरह से पूजन होता है, वैसा ही पूजन नियमित तौर पर किया जाता है।
मध्य प्रदेश की शिवराज सिह चौहान सरकार ने 25 जनवरी को सुशासन दिवस के मौके पर यह तय किया है कि सभी सरकारी कार्यक्रम कन्या पूजन के साथ शुरु होंगे। शिक्षक सोनी ने सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा है कि एक तरफ जहां उनके विद्यालय में कन्या और महिला सम्मान के लिए नमामि जननी अभियान चलाया जा रहा है, वहीं स्वच्छता का संदेश देने और छुआछूत को भी दूर करने के प्रयास जारी हैं।
सोनी से जब पूछा गया कि यह विचार उनके मन में कैसे आया तो उनका कहना था कि यह प्रेरणा तो परिवार से मिली। वहीं यह भी दिखा कि महिलाओं को समाज में वह स्थान नहीं मिलता जिसकी वे हकदार हैं, उनसे हमेशा भेदभाव किया जाता है। लोगों की सोच बदले इसे ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम शुरु किया। तय किया है कि जीवन भर बेटियों का सम्मान करुंगा, ताकि लोगों में नैतिकता का वातावरण निर्मित हो और जो अनैतिक कार्य होते है उन पर रोक भी लगेगी।
गांव के पूर्व सरपंच सुखराज सिंह बताते है कि विद्यालय में बालिकाओं के सम्मान का क्रम वर्षों से जारी है। यह काम बालिका और महिलाओं के सम्मान में एक अच्छी पहल है। प्रार्थना के पहले यहां का नजारा अलग हेाता है, बालिकाओं का पूजन किया जाता है। इसकी हर कोई सराहना भी करता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को शिक्षक राजा भैया ने सही अथोर्ं में सार्थक किया है। शिक्षक द्वारा कन्या पूजन से न केवल स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों में उत्साह का संचार है, बल्कि लोंगों में भी जागरूकता देखी जा सकती है। यही कारण है कि लोग शिक्षक राजा भैया के अनुकरणीय कार्य की सराहना करते हैं। राजा भैया स्थानीय, जिला स्तर से लेकर प्रदेश देश स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें इंडिया व एशिया बुक रिकॉर्डस में भी शामिल किया जा चुका है । (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का निर्यात फिलहाल मार्च या अप्रैल तक अवरुद्ध है, क्योंकि आगामी महीनों में भारत (चीन के साथ) इस क्षेत्र में वितरण के प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। मूडीज एनालिटिक्स ने यह जानकारी दी। इसने कहा कि टीकाकरण के प्रति भारत की प्रगति इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने पिछले सप्ताह आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत दो टीकों को मंजूरी दे दी है - एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है जबकि दूसरा भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया गया है।
मूडीज एनालिटिक्स ने कहा कि 16 जनवरी से भारत सरकार की योजना लगभग 30 करोड़ उच्च-प्राथमिकता वाले लोगों को टीका लगाना है, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग और अगस्त तक उच्च कोमॉरबिडिटिज वाले लोग शामिल हैं।
इसने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसा कि अमेरिका के बाद भारत दुनिया में दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है, स्थानीय टीकाकरण की आवश्यकता महत्वपूर्ण सामाजिक आर्थिक लागतों को शामिल करने के लिए सर्वोपरि है, और इस मोर्चे पर आगे बढ़ने में देश की सफलता से अंतत: महामारी की गंभीरता कम हो जाएगी।"
इसने आगे कहा कि इसके अलावा, दुनिया में टीकों के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, वैश्विक हिस्सेदारी के 60 प्रतिशत के साथ, भारत अपने घरेलू निर्माण को पूरा करने के अलावा अन्य देशों के लिए बड़े पैमाने पर टीके के उत्पादन और वितरण जरूरतों में योगदान देने के लिए अपनी मौजूदा विनिर्माण क्षमताओं का उपयोग करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
ग्वालियर, 18 जनवरी | मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी कराने में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है, मगर ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया की बढ़ती सक्रियता से सियासी घमासान के आसार बनने लगे हैं। इतना ही नहीं संकेत तो यह भी मिलने लगे हैं कि सिंधिया की केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दूरी खाई में बदलने लगी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का अभी हाल में ही हुआ ग्वालियर-चंबल इलाके का दौरा नई सियासी कहानी की शुरूआत तो कर ही गया है। मुरैना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है और यहां के दो गांव में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हुई है, सिंधिया ने इन गांव में पहुंचकर पीड़ितों का न केवल दर्द बांटा बल्कि प्रभावितों के परिवारों को अपनी तरफ से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी।
सिंधिया ने प्रभावितों के बीच पहुंचकर भरोसा दिलाया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई राज्य सरकार करेगी। साथ ही कहा कि वे लोगों के सुख में भले खड़े न हो मगर संकट के समय उनके साथ हैं।
सिंधिया के मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता तो उनके साथ नजर नहीं आया मगर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तमाम बड़े नेता जिनमें राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, सुरेश राठखेड़ा, ओ पी एस भदौरिया आदि मौजूद रहे। संगठन से जुड़े लोग और मंत्री भारत सिंह कुशवाहा जो तोमर के करीबी माने जाते हैं उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी।
सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री तोमर शराब कांड प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा को सुना। तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया का समर्थक कोई भी मंत्री नजर नहीं आया। तोमर ने कहा कि घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार दूरभाष पर संपर्क में रहा। जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है। इस दुख की घड़ी में हम सबको दुख बांटने की जरूरत है। इस घटना से लोग सबक लेंगे और इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो।
भाजपा सूत्रों की मानें तो सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरूआत तो उपचुनाव के दौरान ही हो चली थी और नतीजे आने के बाद यह दूरी साफ नजर आने लगी। मुरैना शराब कांड ने तो साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले हुआ करते थे।
एक तरफ जहां सिंधिया और तोमर के बीच दूरी बढ़ रही है तो दूसरी ओर भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की, साथ ही नहीं राज्य में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी सिंधिया को दिया।
राजनीतिक विश्लेशक देव श्रीमाली का मानना है कि सिंधिया की अपनी कार्यशैली है तो वहीं भाजपा में एक व्यवस्था के तहत काम चलता है, उनका एक अपना संगठन का ढांचा है और उसके लिए नियम प्रक्रिया निर्धारित है। सिंधिया के लिए भाजपा मैं पूरी तरह घुल मिल पाना आसान नहीं लगता। यही कारण है कि उनके प्रवास के दौरान भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता नजर नहीं आते, सिर्फ वही लोग नजर आते हैं जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 जनवरी | उप्र के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने ममता बनर्जी को 'इस्लामिक आतंकवादी' बताया और दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को अपने राज्य में विधानसभा चुनाव होने पर पड़ोसी बांग्लादेश में शरण लेनी होगी। संसदीय मामलों के राज्य मंत्री शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया है कि बनर्जी भारतीय होने में विश्वास नहीं करती हैं और उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया है।
मंत्री ने रविवार को पत्रकारों के एक समूह से कहा, "वह एक इस्लामिक आतंकवादी हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में मंदिरों और देवी-देवताओं को तोड़ने का काम किया है। वह बांग्लादेश के इशारे पर काम कर रही है।"
शुक्ला ने पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए कहा, "ममता बनर्जी विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से हार जाएंगी, जिसके बाद उन्हें बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ेगी।"
मंत्री ने कहा कि देश में 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' कहने वाले मुसलमान सम्मान के हकदार हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अप्रैल में होने वाले हैं और भाजपा राज्य में सत्ता हासिल करने की कोशिश में है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 18 जनवरी | नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 55वे दिन भी जारी है। किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। वहीं सोमवार को दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए या नहीं। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है ना कि सुप्रीम कोर्ट का। इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है, अच्छी बात है कानून व्यवस्था पुलिस को देखनी चाहिए। वहीं हम कह चुके हैं कि आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे, पुलिस आए बात करे और रास्ता दे।
टिकैत ने आगे कहा कि, गणतंत्र दिवस मनाने से देश के नागरिक को संविधानिक संस्थान या पुलिस रोक नहीं सकती। हम झगड़ा करने थोड़े ही जा रहे हैं। हम दिल्ली में गण का उत्सव मनाएंगे, पहले हम इसे खेत और गांव में मनाते थे। क्योंकि हम दिल्ली में हैं तो दिल्ली में ही मनाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, हम देखना चाहेंगे कि हम देश प्रेमी हैं या हमें रोकने वाले देश के गद्दार।
ट्रैक्टर मार्च पर रोक लगाने को लेकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने इसके लिए कानून-व्यवस्था का हवाला दिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रवेश का सवाल कानून-व्यवस्था का विषय है और दिल्ली में कौन आएगा या नहीं, इसे दिल्ली पुलिस को तय करना है। प्रशासन को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह कोर्ट नहीं तय करेगा।
हालांकि किसान संगठनों की तरफ से साफ कर दिया गया है कि, 26 जनवरी की परेड आउटर रिंग रोड पर होगी। परेड में वाहनों में झांकियां शामिल होंगी जो ऐतिहासिक क्षेत्रीय और अन्य आंदोलनों के प्रदर्शन के अलावा विभिन्न राज्यों की कृषि वास्तविकता को दशार्एंगी।
किसान वाहनों पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराएंगे और इसमें किसान संगठन के झंडे भी होंगे। वहीं किसी भी राजनीतिक पार्टी के झंडे को अनुमति नहीं दी जाएगी।
परेड में आंदोलन के शहीद किसानों के परिवारों, रक्षा सेवा कर्मियों, सम्मानित खिलाड़ियों, महिला किसानों आदि की भागीदारी होगी। परेड में कई राज्यों का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद जताई जा रही है।
गणतंत्र दिवस पर जो किसान परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली नहीं आ सकते, वे अनुशासन और शांति के साथ समान मानदंडों के साथ राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर परेड का आयोजन करेंगे। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 जनवरी | उत्तर प्रदेश की 12 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा के सभी 10 उम्मीदवारों ने सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी के कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे। भाजपा प्रत्याशियों में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, अरविंद कुमार शर्मा, लक्ष्मण आचार्य, गोविंद नारायण शुक्ला, कुंवर मानवेंद्र सिंह, सलिल विश्नोई, अश्वनी त्यागी, धर्मवीर प्रजापति और सुरेंद्र चौधरी शामिल हैं।
इस दौरान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मौजूद थे। इससे पहले भाजपा के प्रदेश कार्यालय से बड़ी संख्या में विधायकों तथा कार्यकर्ता के साथ भाजपा के विधान परिषद प्रत्याशी विधान भवन में पहुंचे थे।
भारतीय जनता पार्टी के दस प्रत्याशियों में सबसे पहले उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके बाद स्वतंत्रदेव सिंह ने पर्चा दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने से पहले भाजपा के सभी प्रत्याशी पार्टी के राज्य मुख्यालय में एकत्रित हुए।
गौरलतब है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधान मंडल के उच्च सदन में यानी विधान परिषद में भी अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी है। इसी क्रम में विधान परिषद की 12 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा ने अपने दस प्रत्याशी उतारे हैं। इन सभी की जीत तय है। विधायकों के संख्याबल के हिसाब से भाजपा की दसों सीट पर जीत पक्की है। विधान परिषद चुनाव के लिए मतदान 28 जनवरी को होना है। आज नामांकन का अंतिम दिन है। बसपा तथा कांग्रेस के साथ ही किसी निर्दलीय के नामांकन न दाखिल करने की स्थिति में नाम वापसी के दिन यानी 21 जनवरी को ही भाजपा के दस तथा सपा के दो प्रत्याशियों अहमद हसन तथा राजेंद्र चौधरी को निर्वाचन का प्रमाण पत्र भी मिल जाएगा।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम/दिल्ली, 18 जनवरी | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके ए.के. एंटनी आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व करेंगे। यह निर्णय सोमवार सुबह नई दिल्ली में राज्य कांग्रेस नेताओं और पार्टी आलाकमान के बीच हुई बैठक में लिया गया। राज्य कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं, केरल इकाई के प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन, पूर्व मुख्यमंत्री और सीडब्ल्यूसी सदस्य ओमन चांडी और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, राज्य के महासचिव प्रभारी तारिक अनवर, सचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और सीडब्ल्यूसी सदस्य ए.के. एंटनी से मुलाकात की।
बैठक में फैसला लिया गया कि ओमान चांडी और रमेश चेन्निथला दोनों चुनाव लड़ेंगे, और कांग्रेस की कार्यशैली के अनुसार चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री उम्मीदवार को पार्टी और यूडीएफ द्वारा तय किया जाएगा।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनाकाडू सुरेश ने आईएएनएस को बताया, "अभियान में मुख्य भूमिका निभाने वाले एंटनी राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत गुडविल लाएंगे। आलाकमान के साथ एक सामूहिक नेतृत्व और निर्णय पर अपने हाथों में चुनावी बागडोर संभालने वाली हाई कमान पार्टी को बड़ी ऊंचाइयों पर ले जाएगी।"
कांग्रेस में उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि एंटनी 15 फरवरी के बाद राज्य में आने वाले हैं और चुनाव खत्म होने तक राज्य में रहेंगे।
ए.के. एंटनी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मैं हमेशा की तरह चुनाव के दौरान केरल में रहूंगा लेकिन चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लिए एक अभियान समिति के अध्यक्ष होंगे। मैं संसद के बजट सत्र के बाद राज्य में रहूंगा।" (आईएएनएस)
इटावा (उत्तर प्रदेश), 18 जनवरी | इटावा जिले के जसवंतनगर क्षेत्र में तमेरा की मडैया गांव के पास दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर तेज रफ्तार के साथ आ रही राजधानी एक्सप्रेस से टकराने के बाद आठ गायों की मौत हो गई है, जबकि छह अन्य घायल हो गए हैं। यह घटना रविवार को जसवंतनगर और बलराई रेलवे स्टेशनों के बीच हुई।
गांववालों का कहना है कि जिस वक्त राजधानी एक्सप्रेस मवेशियों से टकराई, उस वक्त ये पटरी के पास चर रहे थे।
आठ गायों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि छह को गंभीर चोटें आई हैं।
गेटमैन और ग्रामीणों ने जसवंतनगर की ज्योत्सना बंधु सहित जिले के अधिकारियों को सूचना दी, जो मौके पर तुरंत पहुंचे।
पुलिस ने कहा कि एसडीएम ने गायों को बचाए जाने के काम पर गौर फरमाया और इसी के मद्देनजर छह घायल मवेशियों को इलाज के लिए पास की गौशाला में स्थानांतरित कर दिया।
एसडीएम ने कहा, "हमने घायल गायों को इलाज के लिए नजदीकी गौशाला में भेज दिया है। ऐसा लग रहा है कि यह हादसा घने कोहरे की वजह से हुई होगी। इस संबंध में आगे की जांच जारी है।" (आईएएनएस)
दीपिका भान
श्रीनगर, 18 जनवरी | न्याय मिलना क्यों मुश्किल है? यह एक ऐसा सवाल है जो कश्मीरी पंडितों के छोटे समुदाय को बार-बार कचोटता है। प्रत्येक वर्ष 19 जनवरी उस त्रासदी की याद दिलाता है जिसका सामना तीन दशक पहले इस समुदाय को करना पड़ा था, जब आतंकवाद ने पहली बार कश्मीर पर हमला किया था। यह इस कड़वे सच्चाई की भी याद दिलाता है कि राजनीतिक ताने-बाने ने एक समुदाय को विफल कर दिया है।
यह 19-20 जनवरी, 1990 की मध्यरात्रि थी, जब कश्मीरी पंडितों का पहला सामूहिक पलायन कश्मीर से शुरू हुआ था।
यह दिन लगभग 7,00,000 समुदाय सदस्यों में से प्रत्येक के दर्द को बयां करता है, जिन्होंने घाटी में आतंकवाद के अत्याचार का सामना किया।
यह उस समुदाय की पीड़ा भी दिखाता है, जो न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है, या उसके सैकड़ों सदस्यों की हत्याओं के अलावा, अपहरण, बेहिसाब संख्या में महिलाओं के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की यातनाओं, सैकड़ों मंदिरों को ध्वस्त करने, समुदाय की संपत्तियों को लूटने और जलाने और अतिक्रमण के लिए, समुदाय के उत्पीड़न के लिए प्रेरित और लक्षित उत्पीड़न और संवैधानिक अधिकारों के हनन के लिए इंसाफ पाने की राह तक रहा है।
समुदाय के लिए, यह दिन उस अपराध की याद दिलाने वाला भी है जिसमें न्याय नहीं किया गया है।
यह इस तथ्य की भी याद दिलाता है कि जिन संस्थानों को न्याय दिलाना चाहिए था, वे विफल रहे हैं। लगातार आई सरकारें, न्यायपालिका और यहां तक कि मानवाधिकार चैंपियन भी समुदाय को न्याय दिलाने में मदद नहीं कर पाए।
लेकिन इन सबसे ऊपर, यह घाटी बहुसंख्यक लोग थे जो समुदाय के लिए खड़ा होने में विफल रहे।
संस्थानों की विफलता
1995 में, भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपने पूर्ण आयोग के फैसले में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एम. एम. वेंकटचलैया की अगुवाई में 'आतंकवादियों द्वारा नरसंहार के एक कृत्य के रूप में कश्मीरी पंडितों की व्यवस्थित जातीय सफाई' आयोजित की।
इससे सरकार को नरसंहार या जातीय सफाई की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन करने के लिए प्रेरित होना चाहिए था। लेकिन आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
30 साल से कश्मीरी पंडित उच्चस्तरीय जांच आयोग की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र या राज्य की किसी भी सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई, 2017 को जम्मू-कश्मीर में 1990 और 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में सैकड़ों पंडितों की हत्या की जांच की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "27 साल से अधिक समय बीत चुका है। कोई भी सार्थक उद्देश्य सामने नहीं आएगा क्योंकि देरी की वजह से सबूत उपलब्ध होने की संभावना नहीं है।"
यह आदेश उस समुदाय के लिए एक झटके की तरह रहा जो अब यह विश्वास करने लगा है कि न्याय कभी नहीं मिलेगा। एक पूरे समुदाय को उसके धर्म और जातीयता के एकमात्र आधार पर निशाना बनाया गया था। किसी भी मानव और नागरिक अधिकार संस्था ने कभी इस मामले को नहीं उठाया।
भाजपा चुनावों के दौरान समुदाय की दुर्दशा दिखाती रही है और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी भी समुदाय से संबंधित होने का दावा करते हैं। लेकिन इस राजनीतिक नौटंकी से परे, इस समुदाय की दुर्दशा को उठाने और इन्हें इनका अधिकार दिलाने को लेकर कुछ नहीं किया जाता है।
कश्मीर में बहुसंख्यक चुप रहा
यदि संस्थाएं विफल हो गईं, तो कश्मीर घाटी में मेजोरिटी कभी भी खुले तौर पर लक्षित आतंक के खिलाफ खड़ा नहीं हुआ। समुदाय के खिलाफ जघन्य अपराध किए जा रहे थे और मेजोरिटी या तो चुप रहा या इसे नजरअंदाज करता रहा। यह दिखाने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं कि पलायन कभी नहीं हुआ, लोगों ने अपने घरों और जमीन को अपनी इच्छा से छोड़ दिया।
1989 के बाद से कश्मीर में समुदाय के खिलाफ सैकड़ों हत्याओं, दुष्कर्म, अपहरण, आगजनी और लूट की घटनाओं के लिए शायद ही कोई एफआईआर दर्ज की गई हो। यहां तक अगर कुछ एफआईआर दर्ज हुए भी तो कोई कार्रवाई नहीं की गई।
राज्य में कोई भी नेता चाहे वह अब्दुल्ला हों, मुफ्ती या अन्य, किसी ने कभी भी कश्मीर के अल्पसंख्यक, कश्मीरी पंडितों का मामला नहीं उठाया।
पलायन के साथ जीने, गुजर-बसर का खतरा
19 जनवरी के भयावह दिन से 31 साल बाद, समुदाय आज खुद को विलुप्त होने की दहलीज पर पा रहा है। अपनी जड़ों से कट जाना, समुदाय अपनी जातीयता और जनसंख्या के क्रमिक लुप्त होने का गवाह बन रहा है। पलायन के बाद, यह समुदाय पूरी दुनिया में बिखर गया, और जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया इसकी संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज, मंदिर धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। समुदाय स्वदेशी का दर्जा देने की मांग कर रहा है ताकि कश्मीर की 5,000 साल पुरानी ऐतिहासिक कड़ी की रक्षा की जा सके, जैसा कि राजतरंगिणी में लिखा गया है।
दुष्प्राय न्याय की राजनीति
इनके खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए न्याय पाने का संघर्ष समुदाय के लिए कभी खत्म नहीं होता मालूम पड़ रहा है, जो महसूस करता है कि चुनावी ताकत की कमी उनकी उपेक्षा का मुख्य कारण है। वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में, यह एक समुदाय की ताकत का प्रदर्शन करने की क्षमता है जो आवश्यक ध्यान और महत्व प्राप्त करने में मदद करता है। न्याय के लिए सामूहिक रूप से उठने और पैरवी करने में सक्षम नहीं होने के कारण जो समुदाय न्याय पाने में असफल हो रहा है।
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद भी, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने घाटी में उन्हें फिर से बसाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई है।
तीन दशक से अधिक समय से कश्मीरी पंडितों को न्याय से वंचित रखा गया है। और 19 जनवरी समुदाय के लिए सिर्फ सर्वनाश का दिन नहीं है यह देश के लोकतांत्रिक संस्थानों की अपने लोगों को सुरक्षित रखने में विफलता की याद दिलाता है। स्वतंत्र भारत में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्याय पाने के लिए उत्पीड़न और असफलता का सामना करना पड़ता है, जहां संज्ञान लेने के लिए समर्पित संस्थान हैं, जो समुदाय को चकित करता है और त्रासदी में शामिल हो गया है। (आईएएनएस)
शुरैह नियाज़ी
मध्य प्रदेश के उमरिया में एक नाबालिग़ लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है.
इस मामले में नौ लोगों पर गैंगरेप का आरोप है. इस दौरान लड़की को बंधक बना कर रखा गया था. पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है और दो लोगों की तलाश की जा रही है.
पुलिस के मुताबिक़ इस नाबालिग़ लड़की की उम्र 13 साल है. लड़की की माँ ने पहली बार लड़की के साथ बलात्कार की रिपोर्ट 14 जनवरी को दर्ज कराई थी. पहले अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ अपहरण का मामला दर्ज कराया गया था.
जब लड़की लौट कर आई, तो पता चला कि उसके साथ दो बार गैंगरेप किया गया. पुलिस ने बताया कि पहली बार चार जनवरी को लड़की को बहला फुसलाकर उसके जानने वाले ले गए थे. इन पर रेप का आरोप है. पाँच जनवरी को लड़की को छोड़ देने की बात कही जा रही है.
पुलिस के मुताबिक़, उस वक़्त लड़की बहुत डरी हुई थी, तो उसने किसी के भी ख़िलाफ कोई रिपोर्ट नहीं की, क्योंकि उसे जान से मार देने की भी धमकी दी गई थी.
आरोप है कि 11 जनवरी को लड़की का उन्हीं लोगों ने फिर अपहरण कर लिया. ये भी आरोप है कि लड़की को फिर से एक अज्ञात स्थान पर ले जाकर गैंररेप किया गया. जिन नौ लोगों पर रेप का आरोप है, उन्हीं में तीन लोगों पर दोबारा रेप करने के आरोप हैं. रेप में दो ट्रक ड्राइवरों के भी शामिल होने की बात कही जा रही है.
गिरफ़्तारी
S NIAZI
इस लड़की ने पूछताछ में बताया कि वह 11 जनवरी को घरेलू काम से शहर की सब्ज़ी मंडी गई हुई थी. बयान के अनुसार इसी दौरान उसे दो लड़के बहला फुसलाकर ले गए.
पुलिस महानिरीक्षक शहडोल, जी जनार्दन ने बताया, "पुलिस ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. पहली घटना में कुल सात अभियुक्त थे और दूसरी घटना में पाँच. इस तरह से कुल नौ अभियुक्त हैं."
उन्होंने आगे बताया, "पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है और दो का पता लगाया जा रहा है.''
वही ज़िला प्रशासन ने इस मामलें में लिप्त दो लोगों के ढाबों को रविवार को गिरा दिया है. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में महिलाओं के साथ लगातार कई ऐसे मामलें सामने आए हैं. इससे पहले सीधी ज़िले में 48 साल की एक महिला के साथ बलात्कार करने का मामला सामने आया था. (bbc.com)
श्रीनगर, 18 जनवरी | जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में सोमवार को हाड़ कंपा देने वाली ठंड रही। मौसम विभाग का अनुमान है कि यहां 24 जनवरी को एक बार फिर हल्की से मध्यम बर्फबारी और बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अधिकारी ने कहा, "जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में 22 जनवरी तक शीतलहर की स्थिति रहेगी। इसके बाद 24 जनवरी को हल्की से मध्यम बर्फबारी और बारिश होगी।"
40 दिनों की भीषण ठंड की अवधि 'चिल्लई कलां' 31 जनवरी तक रहेगी। इस सख्त ठंड के चलते घाटी में झीलों और नालों समेत अधिकांश जलाशय जमे हुए हैं। अधिकारियों ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे झीलों और अन्य जमे हुए जलाशयों की जमी सतहों पर न जाएं क्योंकि यह उनकी जिंदगी के लिए खतरनाक है।
वहीं इस दौरान श्रीनगर में न्यूनतम तापमान माइनस 6.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि पहलगाम में माइनस 6.8 डिग्री और गुलमर्ग में माइनस 6 डिग्री रहा।
लद्दाख के लेह शहर में रात का न्यूनतम तापमान माइनस 11.3, कारगिल में माइनस 18.8 और द्रास में माइनस 22.1 दर्ज किया गया।
जम्मू शहर में न्यूनतम तापमान 8.4, कटरा 6.7, बटोटे में 2.3, बेनिहाल में माइनस 0.6 और भद्रवाह में 0.5 रहा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 55वें दिन भी जारी है। कृषि सुधार पर तकरार के बीच आंदोलन की राह पकड़े किसानों की अगुवाई करने वाले यूनियन और सरकार में नौ दौर की वार्ता हो चुकी है, फिर भी मन नहीं मिला है। ऐसे में अन्नदाता 18 जनवरी (सोमवार) को महिला किसान दिवस के रूप में मना रहे हैं। आज के दिन कृषि में महिलाओं की अतुलनीय भूमिका और विरोध प्रदर्शन और हर क्षेत्र में महिला एजेंसी का सम्मान करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
सोमवार को महिलाओं द्वारा ही मंच का प्रबंधन किया जाएगा और इस दिन सभी वक्ता महिलाएं होंगी। समाज में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करते हुए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगें।
दरअसल नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं ने सरकार से कई दौर की वार्ता की, लेकिन सभी बातचीत विफल रही। अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया है।
किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाने को तैयार नहीं है और सरकार के साथ वार्ता के जरिए ही समाधान चाहते हैं। ऐसे में वार्ताओं का दौर जारी रहने के इस क्रम में सरकार और किसान यूनियन का मन मिलने का इंतजार है। (आईएएनएस)
कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है. बीमा कंपनियों के आंकड़े बताते हैं तनाव की वजह से वे बीमार हो रहे हैं. काम का बोझ घटाने के कई उपायों पर काम चल रहा है. उनमें एक सॉफ्टवेयर भी है जो तनाव की निगरानी करता है.
भविष्य में शायद कर्मचारियों को उतना ही काम देना संभव होगा, जितना वे करने की स्थिति में हों. एक सॉफ्टवेयर इस बात का हिसाब रखेगा कि किस पर काम का कितना बोझ दिया जा सकता है. इसके लिए कर्मचारियों को पल्स मीटर पहनना होगा जो दिल की धड़कन पर नजर रखता है और एक कैमरा चेहरे के भावों को कैद करता रहेगा. इस सेट अप से कर्मचारियों के मूड का अंदाजा लगाया जाएगा. इसके जरिए सॉफ्टवेयर बताएगा कि कब वे काम के बोझ के कारण परेशान होने लगे हैं और वे कितना काम संभालने की हालत में हैं.
सॉफ्टवेयर की मदद से काम
टावनी कंपनी के मार्को मायर इस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली टीम में हैं. वे चेडली के डाटा के विश्लेषण से जानेंगे कि उनके साथी काम के दौरान कैसा महसूस कर रहे थे और उनकी भावनात्मक स्थिति क्या थी. वे बताते हैं कि सॉफ्टवेयर ये जानकारी उपलब्ध कराता है कि क्या काम कर्मचारियों के लिए मुश्किल था या आसान. इससे यह पता किया जा सकेगा कि क्या वे काम का दबाव सहने की हालत में हैं. लेकिन कंप्यूटर यह तभी पता कर सकता है जब वह चेहरे के भावों को पढ़ पाए.
कर्मचारियों के स्ट्रेस टेस्ट में उन्हें अलग अलग टेक्स्ट टाइप करना होता है. लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि टेक्स्ट धीरे धीरे मुश्किल होता जाएगा. पहले उन्हें बच्चों की कहानी दी जाती है और फिर मुश्किल केमिकल फॉर्मूला वाला टेक्स्ट आता है. डिवाइस अपना काम करता रहता है और बताता रहता है कि दवाब का क्या असर हो रहा है. कैमरा उनके चेहरे की मांसपेशियों को कैप्चर करता है और उनकी भावनाओं के बारे में बताता है. जैसे कि मुंह के छोर की प्रतिक्रिया या फिर आंखों पर उभरने वाली लकीरें.
मार्को मायर बताते हैं कि डिवाइस चेहरों की भंगिमा को रजिस्टर कर एक ओर काम के दबाव के बारे में बताता है तो दूसरी ओर दिल की धड़कन भी मापता है. चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान के आधार पर तनाव, कर्मचारियों को दिए गए काम और उन्हें मिलने वाले आराम के बारे में निष्कर्ष निकाले जाते हैं. हो सकता है कि उनके चेहरे के भाव तटस्थ दिखें, लेकिन अंदर से वे तनाव में हो सकते हैं.
निजता के सख्त कानून
जर्मनी में कर्मचारियों की सहमति के बिना उनकी निगरानी गैरकानूनी है. लेकिन क्या उनके पास इसे मना करने का कोई विकल्प है? मायर कहते हैं कि वह ना तो कर्मचारियों की निगरानी करना चाहते हैं, ना उनका डाटा जमा करना चाहते हैं, बल्कि इस टेस्ट के जरिए वह तो काम का ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जो हर किसी के लिए मुनासिब हो. जैसे कि जब ध्यान लगाकर काम कर रहे हों तो परेशान करने वाली कॉल फॉरवर्ड हो जाएं.
बहुत से लोग मानते हैं कि तेजी से डेवलप हो रही टेक्नोलॉजी उन्हें बहुत डिस्टर्ब भी कर रही है. कम्युनिकेशन के बहुत सारे चैनल आ गए हैं, ईमेल, मेसैंजर, सोशल मीडिया. खास तौर से काम के दौरान किसी चीज पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए काम की लय में आ पाना मुश्किल होता जा रहा है, एकाग्रता से काम करना मुश्किल होता जा रहा है.
मार्को मायर कहते हैं, "उस स्थिति को आप बोरियत और काम के बोझ तथा तनाव के बीच एक बढ़िया संतुलन के तौर पर समझ सकते हैं. इसके बीच में ही कहीं वो जगह है जहां काम आपको चुनौती लगता है. लेकिन आप उसे कर सकते हैं. यही काम की लय है." इसी लय के दौरान हमारा शरीर खुशी वाले हार्मोन छोड़ता है. हमारा दिल अच्छी तरह धड़कता है और त्वचा भी सहज रहती है. मायर हमारी इन्हीं प्रतिक्रियाओं के जरिए कंप्यूटर को सिखाना चाहते हैं.
रिपोर्ट: अलेक्जांड्रा फान डे पोल