राष्ट्रीय
गुरुग्राम, 29 अक्टूबर | हरियाणा की साइबर सिटी गुरुग्राम के सेक्टर-44 स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती 21 साल की एक युवती के साथ एक व्यक्ति ने कथित तौर पर उस समय दुष्कर्म किया, जब वह बेहोशी की हालत में थी। सांस लेने में परेशानी होने पर भर्ती युवती के साथ दुष्कर्म 21 से 27 अक्टूबर के होने की बात कही जा रही है।
पीड़िता ने होश आने पर तीन पेज का एक पत्र अपने पिता को दिया, जिसमें उसने आपबीती लिखी है और विकास नामक एक व्यक्ति को आरोपी ठहराया है। पीड़िता के पिता ने बुधवार को सुशांत लोक थाने में विकास के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।(आईएएनएस)
गौतमबुद्धनगर (नोएडा), 29 अक्टूबर | पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर की साइबर क्राइम टीम ने एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर करोड़ों की ठगी करने वाले दो विदेशी नागरिकों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। एक आरोपी नाइजीरिया और दूसरा केन्या निवासी है। पुलिस ने इन दोनों के कब्जे से 96 रीराइटेबल एटीएम कार्ड, 2 कार्ड क्लोनिंग मोडयूल, 2 लैपटॉप आदि चीजें बरामद की हैं।
पुलिस विभाग ने बनाया कि बुधवार को साइबर क्राइम सेल द्वारा एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय अफ्रीकन गैंग के 2 अभियुक्तों को कासा ग्रांड सोसाइटी, ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से 96 रीराइटेबल एटीएम कार्ड, दो कार्ड क्लोनिंग मोडयूल, दो लैपटॉप, सात मोबाइल फोन, दो पिनहोल कैमरा, तीन पिनहोल कैमरा बैटर, एक डेटाकार्ड, दो पेनड्राइव, एक मेमोरी कार्ड, 17 सीट डेबिट कार्डो का डाटा, अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा 10000 रुपये नकद बरामद किए गए हैं।
दोनों आरोपी वर्तमान में स्टडी वीजा पर ग्रेटर नोएडा की कासा ग्रांड सोसाइटी में रह रहे थे। जिले में दोनों के खिलाफ सैंकड़ों मामले दर्ज हैं। साइबर सेल की जांच में पता चला कि एटीएम कार्ड क्लोनिंग कर एटीएम से अवैध रूप से पैसे निकालने के अपराध में पिछले 1 वर्ष से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम तथा दिल्ली में भी दोनो सक्रिय थे।
एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम अंकुर अग्रवाल ने बताया, "दोनों आरोपी कार्ड की क्लोनिंग करके और उस इन्फॉर्मेशन को ये एक दूसरे कार्ड के अंदर स्टोर करके अलग-अलग जगहों से पैसा निकाला करते थे। पुलिस ने इनके पास से इस तरह के लगभग 90 क्लोन कार्डस बरामद किए हैं।"
पुलिस अभी सबूत जुटा रही है कि जो पैसा इनके खातों में गया है और जो इन्होंने पैसा खातों से निकाला है, उस पैसे को इन्होंने किस तरह से ट्रांसफर किया है। इस पूरी जांच में पुलिस ने करीब 94 विभिन्न जगहों पर घटित घटनाओं का खुलासा किया है। जिन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उनकी उम्र करीब 40 से 45 वर्ष के बीच में है।
पुलिस को लंबे समय से लंबे समय से लोगों की शिकायत मिल रही थी कि डेबिट कार्ड उनकी जेब में रहता है और उनके खाते से निकासी हो जाती है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच की गई तो पता चला ग्रेटर नोएडा के निवासियों के साथ यह घटनाएं अधिक हुई हैं। वहीं पुलिस ने फिर इस पूरे प्रकरण की जांच करना शुरू की, जिसके बाद इन दोनों आरोपियों को पकड़ा जा सका।(आईएएनएस)
नैनीताल, 28 अक्टूबर। उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थलों पर अवैध धार्मिक संरचनाओं (ढांचों) को हटाये जाने के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा की अदालत की ओर से यह नोटिस अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद जारी किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने 29 सितम्बर, 2009 को आदेश जारी कर सभी राज्य सरकारों को सार्वजनिक स्थलों में निर्मित्त अवैध धार्मिक ढांचों (मंदिर-मस्जिद-गुरूद्वारों) को हटाये जाने के आदेश जारी किये थे। इन ढांचों (संरचनाओं) को हटाये जाने की जिम्मेदारी प्रदेश के मुख्य सचिवों को सौंपी गयी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि न्यायालय की ओर से भी इसी साल आदेश जारी कर सार्वजनिक स्थलों से ऐसे सभी ढांचों व निर्माणों को 23 मार्च तक हटाये जाने के निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिये गये थे लेकिन प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं कर पायी है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि सरकार की ओर से ऐसे धार्मिक स्थलों के मामले में कोई नीति नहीं बनायी गयी है। सरकार आगामी चुनावों को देखते हुए ऐसे निर्माणों को नहीं हटा रही है। अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने बताया कि मामले को सुनने के बाद अदालत ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले में सुनवाई चार सप्ताह बाद हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका लंबित है। सरकार की ओर से हाल ही में शपथ पत्र पेश करके कहा गया कि सभी जिलों से सार्वजनिक स्थलों पर 2009 के बाद निर्मित सभी अवैध धार्मिक ढांचों को हटा लिया गया है। हरिद्वार जनपद में सिंचाई विभाग की भूमि पर निर्मित चार संरचनाओं को नहीं हटाया जा सका है।
सरकार की ओर से महाकुंभ का हवाला देते हुए इन्हें हटाने के लियेे मई तक का समय मांगा गया है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि ऊधमसिंह नगर में भी एक धार्मिक ढांचे को अदालत में वाद लंबित होने के चलते नहीं हटाया जा सका है। (वार्ता)
पणजी, 28 अक्टूबर| मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को कहा कि गोवा में कसीनो 1 नवंबर से 50 प्रतिशत की क्षमता के साथ खुलेंगे। कोरोना महामारी के कारण इस साल मार्च से कसीनो के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। सावंत ने बुधवार को पोस्ट-कैबिनेट प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "कसीनो 1 नवंबर से शुरू होगा। हमने इसकी अनुमति दे दी है।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "कसीनो को गृह विभाग द्वारा जारी सभी एसओपी का पालन करना होगा। उन्हें 50 प्रतिशत क्षमता के साथ इसका ंसचालन करना होगा। हमें पर्यटन गतिविधि को बढ़ावा देने की जरूरत है।"
सावंत ने यह भी कहा कि वार्षिक शुल्क का भुगतान करने के बजाय, कसीनो ऑपरेटर अब मासिक आधार पर अपनी लाइसेंस फीस का भुगतान कर सकते हैं। (आईएएनएस)
बेतिया (बिहार), 28 अक्टूबर| बिहार में पहले चरण के मतदान के बीच बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस दशहरे में रावण का पुतला नहीं देश के प्रधानमंत्री का पुतला पंजाब में जलाया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का पुतला जलाया जाना दुख की बात है, लेकिन युवाओं के मन में प्रधानमंत्री के प्रति गुस्सा है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस सरकार चलाना जानती है, युवाओं को रोजगार देना जानती है लेकिन हम झूठ बोलना नहीं जानते, यही कमी है।
वाल्मीकिनगर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने जहां राजद के नेता तेजस्वी यादव की तारीफ की, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा।
राहुल ने कहा कि लॉकडाउन और नोटबंदी का लक्ष्य एक ही था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी में आपके पॉकेट से पैसा निकालकर देश के पांच बड़े उद्योगपतियों को दे दिया और लॉकडाउन में भी छोटे और मध्यम दर्जे के व्यापारी का व्यापार बंद हो गया और इसकी आड़ में उद्योगपतियों के कर्जे माफ कर दिए गए।
राहुल ने कृषि कानूनों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आम तौर पर दशहरे पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन पंजाब में इस बार प्रधानमंत्री और उद्योगपतियों के पुतले जलाए गए। उन्होंने कहा, ''ये दुख की बात है, लेकिन ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि किसान परेशान है, युवाओं के मन में गुस्सा है।''
उन्होंने देश में और बिहार में बेरोजगारी के लिए नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री को दोषी बताते हुए कहा कि बिहार के लोगों को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बेंगलुरु में रोजगार मिलता है, लेकिन बिहार में नहीं मिलता, क्योंकि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की कमी है।
उन्होंने कहा कि बिहार के किसान और युवा मेहनती हैं, यही कारण है कि अंग्रेजों को भगाने के लिए महात्मा गांधी ने सबसे पहले बिहार के चंपारण आए थे। कांग्रेस नेता ने राजग के नेताओं पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए सभा में आए लोगों से कहा, ''कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आए थे और कहा था कि ये गन्ने का इलाका है, चीनी मिल चालू करूंगा और अगली बार आऊंगा तो यहां की चीनी चाय में मिलाकर पिऊंगा। चाय पी क्या आपके साथ?''
राजद के नेता तेजस्वी यादव की तारीफ करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस, राजद और कई अन्य पार्टियों के साथ महागठबंधन में चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन के युवा नेता खड़े हैं। नया विजन देना चाहते हैं। युवाओं को रोजगार देना चाहते हैं।
उन्होंने महागठबंधन को वोट देने की अपील करते हुए कहा कि राजग के लोग झूठ बोलते हैं। पहले 2 करोड़ रोजगार की बात कही थी। राहुल ने कहा कि अब अगर पीएम मोदी यहां आकर 2 करोड़ रोजगार की बात बोल दें तो शायद भीड़ उन्हें भगा देगी। (आईएएनएस)
एटा (उप्र), 28 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक 16 वर्षीय लड़की ने कथित रूप से एक निमार्णाधीन बिल्डिंग से कूदकर खुदकुशी कर ली। उसने कोई भी सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है। शुरू में, पुलिस को उसके पिता पर संदेह हुआ कि सोमवार को उन्होंने अपनी बेटी को बिल्िंडग से धक्का देकर मार डाला, लेकिन बाद में जांच से पता चला कि उसे एक व्यापारी द्वारा परेशान किया जा रहा था, जो पहले उसके घर में किराएदार के रूप में रहता था।
घटना के कुछ दिन पहले, लड़की आरोपी की दुकान पर गई थी जो कि बाजार में है और लौट के आने के बाद उसकी मां ने उसे पीटा था।
सोमवार को, उसके माता-पिता और छोटा भाई चेक-अप के लिए अस्पताल गए थे और लड़की घर पर अकेली थी।
जब वे वापस आए, तो उन्होंने घर को अंदर से बंद पाया और दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगे, तभी कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें उसकी मौत की सूचना दी। शव की पहचान के लिए माता-पिता मौके पर गए।
बाद में, पुलिस ने आरोपी की दुकान पर जाकर उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया, जिसमें लड़की की तस्वीरें सेव की गई थीं और वह शायद उसे ब्लैकमेल कर रहा था।
एटा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि आरोपी को मंगलवार को एटा की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उस पर यौन उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था।
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं को भी शिकायत में जोड़ा गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो गया है। पहले चरण के लिए मतदान किए जा रहे हैं। यहां हर राजनीतिक पार्टी चुनाव में जीत पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। वहीं एक भारतीय मूल के पुजारी को सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया है। खास बात यह है कि चुने गए सेशेल्स के राष्ट्रपति जड़ें भारत के बिहार से हैं।
भारतीय मूल के वेवल रामकलवान को सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया है। बताया जा रहा है कि वेवल रामकलवान के दादा बिहार के गोपालगंज से आकर सेशेल्स में बसे थे। वहीं अब वेवल रामकलवान ने डैनी फौरे को हरा कर सेशंल्स में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। यह पहली बार हो रहा है जब विपक्ष के उम्मीदवार ने 1977 के बाद सेशेल्स में चुनाव जीता है।
साल 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी की सेशेल्स यात्रा के दौरान कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं अब रामकलवान के राष्ट्रपति बनने के बाद संशोधन की उम्मीद जताई जा रही है। यह विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि अगले संसदीय चुनाव होने पर नए राष्ट्रपति को व्यापक रूप से राजनीतिक रूप से मजबूत होने की उम्मीद है।
वेवल रामकलवान का जन्म सेशेल्स के माहे में हुआ था। उनके दादा भारत में बिहार के गोपालगंज से थे। रामकलवान ने अपनी स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई सेशेल्स में ही पूरी की थी। जिसके बाद वह मॉरीशस में धार्मिक अध्ययन के बाद एक पुजारी बने थे। उन्होंने साल 1998, 2001, 2006 के चुनावों में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। इन सभी चुनावों में वह विपक्ष का हिस्सा बने रहे। 2020 के चुनाव में उन्होंने 54.9 फीसदी वोट हासिल किए हैं।
दरभंगा (बिहार), 28 अक्टूबर| चुनाव प्रचार के लिए दरभंगा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि जिनका प्रशिक्षण कमीशन खोरी की हो, उनसे बिहार के विकास के लिए सोचा नहीं जा सकता। उनसे बिहार का भला नहीं हो सकता। उन्होंने इशारों ही इशारों में बिना किसी का नाम लिए कहा कि कल तक जो सियासी लोग राममंदिर निर्माण की हम से तारीख पूछते थे, वे अब मजबूरी में तालियां बजा रहे हैं। बिहार के दरभंगा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विकास कार्यों का उल्लेख किया वहीं विरोधियों पर भी करारा सियासी हमला बोला।
प्रधानमंत्री ने माता सीता को याद करते हुए कहा, सदियों की तपस्या के बाद राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। जो सियासी लोग हमसे तारीख पूछा करते थे वो भी आज मजबूरी में तालियां बजा रहे हैं। आप लोग इसके प्रमुख हकदार हैं।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि राजग जो कहती है वह कर के भी दिखाती है। उन्होंने कहा कि पहली बार हो रहा है कि घोषणा पत्र के हिसाब से आंकलन किया जा रहा है कि सरकार आगे कौन सा कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने किसानों के खाते में सीधे पैसा भेजने का वादा किया था, आज वह पैसा पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने इस क्रम में बैंक खाता खुालवाना, उज्जवला योजना का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने लोगों को 'जंगलराज' लाने वाली ताकतों से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा कि बिहार के लेाग ठान चुके हैं कि जंगलराज लाने वाले को फिर से हराएंगें। उन्होंने कहा कि जिनका प्रशिक्षण कमीशनखोरी का है, उससे बिहार का भला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जो लेाग नौकरी को भी करोड़ों रुपये कमाने का जरिया बना लें, उससे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।
भाजपा नेता ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले सरकार में रहने वालों का मंत्र रहा है कि पैसा हजम, परियोजना खत्म।
प्रधानमंत्री ने कहा, उन्हें कमीशन शब्द से इतना प्रेम था कि कनेक्टिविटी पर ध्यान ही नहीं दिया। मिथिलांचल को जोड़ने वाले कोसी पुल को लेकर क्या क्या हुआ, मेरे से ज्यादा आप जानते हैं।
प्रधानमंत्री के साथ मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी साथ थे। नीतीश ने भी लोगों को संबोधित किया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राज्य आगे बढ़ेगा।
आज ही बिहार में 71 सीटों पर प्रथम चरण का मतदान हो रहा है। (आईएएनएस)
उत्तराखंड, 28 अक्टूबर। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो को एक पत्रकार द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की पीठ ने उस मामले में यह फैसला दिया जिसमें एक उमेश शर्मा (स्थानीय समाचार चैनल समचार प्लस के मालिक) ने रावत से संबंधित एक वीडियो (जुलाई 2020 में) बनाया था जो वर्ष 2016 में गौ सेवा आयोग का नेतृत्व करने के लिए झारखंड में एक व्यक्ति (एएस चौहान) की नियुक्ति के लिए उनके रिश्तेदारों के खातों में रुपये ट्रांसफर करने में रावत (भाजपा के झारखंड प्रभारी के रूप में) की कथित भूमिका के लिए था।
न्यायालय के समक्ष मामला [एफआईआर संख्या 265/ 2020] इसके लिए, डॉ हरेंद्र सिंह रावत ने उमेश शर्मा (याचिकाकर्ता) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। एफआईआर [265/ 2020] उस मामले से संबंधित थी जिसमें याचिकाकर्ता ने उपरोक्त समाचार आइटम / वीडियो ( त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों) को साझा किया था। उक्त समाचार आइटम / वीडियो में, याचिकाकर्ता (उमेश शर्मा) ने कथित रूप से प्रतिवादी नंबर 2 / शिकायतकर्ता (डॉ हरेंद्र सिंह रावत) और उनकी पत्नी सविता रावत से संबंधित कुछ बैंक खातों के साथ एक कंप्यूटर स्क्रीन पर दस्तावेज दिखाए।
याचिकाकर्ता (उमेश शर्मा) ने दावा किया कि वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद, शिकायतकर्ता (डॉ हरेंद्र सिंह रावत) और उनकी पत्नी के खातों में पैसा जमा किया गया था, जो त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए रिश्वत के रूप में था। वीडियो में, याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि सविता रावत त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी की असली बहन है और त्रिवेंद्र सिंह रावत को शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी के बैंक खातों में जमा राशि के माध्यम से रिश्वत के पैसे का एहसास हुआ।
इसके बाद, याचिकाकर्ता (उमेश शर्मा) द्वारा इस बहुत ही एफआईआर को रद्द करने के लिए एक याचिका दायर की गई, जो कि उसके खिलाफ जुलाई 2020 में [एफआईआर नंबर 265/ 2020] प्रतिवादी नंबर 2 / शिकायतकर्ता (डॉ। हरेंद्र सिंह रावत) द्वारा दर्ज की गई थी। एफआईआर नंबर 100/ 2018 की पृष्ठभूमि यह ध्यान दिया जा सकता है कि एफआईआर नंबर 265/ 2020 याचिकाकर्ता के खिलाफ इकलौता मामला नहीं था, वास्तव में, याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्व में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। लेकिन हम केवल एफआईआर नंबर 100/ 2018 पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिस पर न्यायालय ने भी गहराई से चर्चा की थी। [एफआईआर नंबर 100/ 2018 ] - 10.08.2018 को, पहले शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता (उमेश शर्मा) और चार अन्य लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की, जो पुलिस स्टेशन राजपुर, जिला देहरादून में एफआईआर नंबर 100/ 2018 में आईपीसी की धारा 386, 388, 120क्च के तहत दर्ज की गई थी।
इस एफआईआर में न्यूज चैनल समचार प्लस के एक पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि उमेश शर्मा अन्य लोगों के साथ मिलकर स्टिंग ऑपरेशन करते थे और उसके बाद ये लोग खुफिया कैमरे के जरिए मंत्रियों और अधिकारियों को फंसाते थे। यह आरोप लगाया गया कि उमेश शर्मा अपने चैनल पर समाचार प्रसारित नहीं करते हैं और एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत वह उन्हें ब्लैकमेल करके पैसा कमाते हैं। कोर्ट का विश्लेषण न्यायालय के समक्ष यह तर्क दिया गया था कि सुलझे हुए कानूनी पद के मद्देनजर, यदि एफआईआर नंबर 100/ 2018 और तत्काल एफआईआर [एफआईआर नंबर 265/ 2020] एक ही अपराध के संज्ञान के संबंध में या अपराध के संबंध में थी, जिसमें समान लेनदेन किए गए थे, निश्चित रूप से को एफआईआर नंबर 265/ 2020 को पंजीकृत नहीं किया जाना चाहिए था।
गौरतलब है कि एफआईआर नंबर 100/ 2018 को बड़े पैमाने पर दर्ज किया गया था कि उसे (समाचार प्लस के एक पूर्व कर्मचारी) ब्लैकमेलिंग, राजनीतिक अस्थिरता राज्य में अशांति और अस्थिरता, सरकार को अस्थिर करने के लिए रिश्वत, राज्य में अशांति और हिंसा आदि के कारणों के लिए स्टिंग ऑपरेशन करने की धमकी दी गई थी। गौरतलब है कि एफआईआर नंबर 100/ 2018 का सार यह था कि याचिकाकर्ता (उमेश शर्मा) राज्य सरकार को अस्थिर करने और राज्य में अशांति और हिंसा फैलाने की साजिश में शामिल था।
एफआईआर नंबर 100/ 2018 में भी पूर्व-नियोजित साजिश शब्द का इस्तेमाल किया गया था। अब, अगर हम दोनों एफआईआर [एफआईआर नंबर 100/ 2018 और एफआईआर नंबर 265/ 2020 ], की तुलना करते हैं तो हम इस तथ्य की सराहना करेंगे कि कृत्य अलग-अलग हैं, उदाहरण के लिए, पहले शिकायतकर्ता (समाचार प्लस के पूर्व कर्मचारी) के माध्यम से स्टिंग करना ), जिन्होंने एफआईआर नंबर 100/ 2018 दर्ज की और सोशल मीडिया प्रकाशन (यानी, एफआईआर नंबर 265/ 2020) का उपयोग करके शिकायतकर्ता (डॉ हरेंद्र सिंह रावत) पर झूठे आरोप लगाए। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि राज्य के अनुसार, बड़े संदर्भ में, राज्य सरकार के खिलाफ एक साजिश थी। इससे पूरा लेन-देन एक हो गया। इस संदर्भ में, न्यायालय ने कहा कि यदि लेन-देन एक था, तो पुलिस पिछली प्राथमिकी के तहत एफआईआर नंबर 265/ 2020 मामले की जांच की जा सकती थी [यानी, एफआईआर नंबर 100/ 2018] और दूसरी एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता नहीं थी [एफआईआर नंबर 265/ 2020]। दूसरे शब्दों में, न्यायालय ने कहा कि 2020 की एफआईआर में लगाए गए आरोपों की जांच एफआईआर नंबर 100/ 2018 में जांच की जा सकती है, क्योंकि वे कथित रूप से उत्तराखंड राज्य (राज्य के बयानों के अनुसार) में गड़बड़ी पैदा करने की बड़ी साजिश का हिस्सा थे।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एक ही लेन-देन के तहत किए गए अपराधों के संबंध में लगातार एफआईआर स्वीकार्य नहीं है। विशेष रूप से, 2020 की इस प्राथमिकी में, बाद में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। राज्य ने तर्क दिया कि शर्मा का इरादा राज्य में अशांति पैदा करना है। इसके लिए, अदालत ने कहा कि धारा 124-ए (राजद्रोह) को जोडऩा यह दर्शाता है कि आलोचना की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और यह समझ से परे है कि ये धारा क्यों जोड़ी गई थी।
याचिकाकर्ता के खिलाफ जो भी आरोप हैं, वे भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के साथ दूर से भी नहीं जुड़ते हैं। प्रथम दृष्ट्या धारा 124-ए आईपीसी के तहत अपराध नहीं है। यह खंड क्यों जोड़ा गया है, यह समझ से परे है।इसके अलावा, इस पहलू पर राज्य की ओर से जो कुछ भी कहा गया है, उसमें कोई मेरिट नहीं है।
बाद में, अदालत ने यह देखते हुए प्राथमिकी को रद्द कर दिया कि धारा 420, 467, 468, 469, 471, 120क्च आईपीसी के तहत कोई भी अपराध याचिकाकर्ता के खिलाफ नहीं किया गया था। विशेष रूप से न्यायालय ने कहा, इस अदालत ने विचार किया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ इस मामले में कोई भी प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है और राज्य की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण है। तत्काल मामले में प्राथमिकी को खारिज किया जाता है। भ्रष्टाचार के आरोपों के मुद्दे पर न्यायालय का विचार था कि, तत्काल मामले में, याचिकाकर्ता ने टीएसआरसीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने व्हाट्सएप संदेश, रिकॉर्ड की गई बातचीत, बैंक जमा रसीदें दी हैं और यह भी आरोप लगाया है कि ए एस चौहान को कुछ जमीन दी गई थी, लेकिन इन मुद्दों की कभी जांच नहीं की गई। कोर्ट ने आगे कहा, भ्रष्टाचार एक ऐसा खतरा है, जो जीवन के हर क्षेत्र में घुस गया है। ऐसा प्रतीत होता है मानो समाज ने इसे सामान्य कर दिया है। इसके अलावा न्यायालय ने कहा, क्या इस अदालत को याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए बिना जांच के आरोपों को लोगों की स्मृति में डूबने देना चाहिए या अदालत को इस मामले की जांच के लिए कुछ कार्यवाही करनी चाहिए ताकि हवा को साफ किया जा सके? अदालत ने इस सवाल पर आगे विचार किया कि क्या पत्रकार द्वारा टीएसआरसीएम के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए अदालत मुकदमे का आदेश दे सकती है। विशेष रूप से, याचिकाकर्ता द्वारा एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा वर्तमान याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने भ्रष्टाचार के संबंध में उन आरोपों की कोई जांच नहीं की, जो उन्होंने सोशल मीडिया प्रकाशन में लगाए थे। इस संदर्भ में, न्यायालय ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण बनाम विजया लीजिंग लिमिटेड और अन्य (2013) 14 एससीसी 737, के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया जिसमें किसी चुनौती के अभाव में पारित एक आदेश वैध था।
न्यायालय ने उल्लेख किया कि यह आवश्यक नहीं है कि प्राथमिकी दर्ज करने या जांच के आदेश देने से पहले, जिस व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का प्रस्ताव है या जांच का आदेश दिया गया है उसे एक पक्ष बनाया जाए। कोर्ट का विचार था कि राज्य के मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, सच को उजागर करना उचित होगा।
यह राज्य के हित में होगा कि संदेह साफ हो जाए। इसलिए, याचिका की अनुमति देते समय, न्यायालय ने आरोपों की प्रकृति के मद्देनजर जांच के लिए भी प्रस्ताव दिया। अदालत का विचार था कि सीबीआई को तत्काल याचिका में लगाए गए आरोपों के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाना चाहिए और कानून के अनुसार मामले की जांच करनी चाहिए। निष्कर्ष उक्त चर्चा के मद्देनजऱ न्यायालय ने आदेश दिया, तात्कालिक एफआईआर [265/2020] में लगाए गए आरोप याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनाते हैं। तत्काल एफआईआर [265/2020] में लगाए गए आरोपों की जांच एफआईआर नंबर 100/ 2018 में की जा सकती है।
वास्तव में, इसी लेनदेन पर दूसरी एफआईआर दर्ज करना (यानी उत्तराखंड सरकार के खिलाफ साजिश , जो एफआईआर नंबर 100/ 2018 की विषय-वस्तु है), कानून में तत्काल एफआईआर [265/2020] का पंजीकरण स्वीकार्य नहीं है। धारा 420, 467, 468, 469, 471 और 120 बी आईपीसी के तहत, पुलिस स्टेशन नेहरू कॉलोनी, जिला देहरादून में दर्ज एफआईआर 265 को को रद्द किया जाता है। • पुलिस अधीक्षक, सीबीआई देहरादून को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिका में लगाए गए आरोपों के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज करें और कानून के अनुसार मामले की जांच तत्परता से करें। (hindi.livelaw.in)
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर| गोएयर की आंतरिक जांच समिति ने अपने एक वरिष्ठ कार्यकारी को यौन उत्पीड़न का दोषी पाया है। यह जानकारी सूत्रों से मिली। सूत्रों के अनुसार, यह शिकायत कॉरपोरेट कम्यूनिकेशंस और पब्लिक रिलेशंस विभाग की महिला कर्मचारियों ने की थी।
यह देखते हुए एयरलाइन ने जांच शुरू की।
एयरलाइन के प्रवक्ता ने कहा, "गोएयर सभी को समान अवसर देता है और हम एक ऐसे काम के माहौल को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं जो हमारी महिला कर्मचारियों के पेशेवर विकास के लिए अनुकूल है और संगठन के भीतर सभी स्तरों पर अवसर की समानता को प्रोत्साहित करता है।"
उन्होंने आगे कहा, "कंपनी के पास ऐसे मामलों की जांच करने और उचित उपाय करने के लिए एक समिति सहित 'यौन उत्पीड़न नीति' भी है। महिला कर्मचारियों के लिए माहौल अनुकूल हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है।" (आईएएनएस)
वेंकटचारी जगन्नाथन
चेन्नई, 28 अक्टूबर| हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज सी.एस. कर्णन चेन्नई पुलिस की साइबर अपराध शाखा में अपने खिलाफ मामला दर्ज होने से खुश हैं क्योंकि वह पिछले कई वर्षों से इसी के लिए लड़ रहे थे।
कर्णन ने आईएएनएस को बताया, "मुझे खुशी है कि मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जब यह मामला मुकदमे में जाएगा, तो मैं जनता को उन मुद्दों से अवगत करा पाऊंगा जिनके लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 2017 में अदालत की अवमानना के लिए 6 महीने के लिए जेल जाना पड़ा था।"
उन्होंने यह भी कहा कि जांच के लिए बुलाए जाने पर वे चेन्नई पुलिस के साथ सहयोग करेंगे।
कर्णन के वकील पीटर रमेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "10 महिला वकीलों द्वारा उनके खिलाफ भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के बाद साइबर क्राइम विंग ने रिटायर्ड जस्टिस कर्णन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा था।"
कर्णन ने कहा, "मुझ पर आईपीसी की धारा 295 और 351 के तहत और महिला उत्पीड़न कानूनों के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।"
मद्रास हाई कोर्ट की एक अधिवक्ता एस. देविका ने कर्णन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कर्णन ने कहा, "शिकायतकर्ता एक पीड़ित पार्टी नहीं है। सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट की जज आर. बनुमथी जो कि सीधे तौर पर पीड़ित हैं वही शिकायत दर्ज करा सकती हैं।"
कर्णन ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्हें आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए और न्यायपालिका के अधिकारियों के खिलाफ यौन हिंसा की धमकी देते हुए सुना गया था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों ने महिला कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न किया और उन्होंने कथित पीड़ितों के नाम भी लिए थे।
कर्णन ने कहा, "वे अदालत की अवमानना के लिए मेरे खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? वास्तव में उन्हें इसी के लिए कार्रवाई करनी चाहिए न कि पुलिस की शिकायत पर।"
बनुमथी के घर जाने के मुद्दे पर कर्णन ने कहा, "मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैंने विजिटर बुक में अपना नाम लिखा और सुरक्षा अधिकारी की अनुमति से उस ब्लॉक में गया जहां वह रहतीं हैं। उनके घर का दरवाजा खटखटाया।"
कर्णन ने आरोप लगाया कि बनुमथी के दामाद और बेटी ने उनके साथ मारपीट करने की कोशिश की और उनके खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की थी।
बता दें कि जब कर्णन कलकत्ता उच्च न्यायालय में जज थे तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अदालत की अवमानना करने के लिए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन्होंने अपनी 6 महीने की सजा भी पूरी की थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अंबानी बंधुओं- मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी- से जेड प्लस सिक्यॉरिटी कवर वापस लेने की याचिका खारिज कर दी। उसने बॉम्बे हाईकोर्ट की इस टिप्पणी का समर्थन भी किया कि उच्चस्तरीय सुरक्षा उन्हें दी जानी चाहिए जिनकी जान को खतरा हो और जो सुरक्षा का खर्च चुकाने को तैयार हों। याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए अंबानी बंधुओं से सुरक्षा वापस लेने की मांग की थी कि वो खुद के खर्च पर अपनी सुरक्षा की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, कानून का राज सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसमें ऐसे नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है जिनकी जान को खतरा हो। रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के रेवेन्यू का भारत की जीडीपी पर बड़ा प्रभाव है। इन लोगों की जान को खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने किए कई गंभीर सवाल
अंबानी बंधुओं की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि दोनों उद्योगपति भाइयों और उनके परिवार पर खतरा है। उन्होंने कहा, हम सरकार की तरफ से मिली सुरक्षा के बदले पेमेंट कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या हर वो आदमी जिसे जान का खतरा महसूस हो और जो सुरक्षा का खर्च उठाने को तैयार हो, उसे सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए? कोर्ट ने कहा, हमारी राय है कि अगर कोई प्राइवेट इंडिविजुअल पेमेंट करने में सक्षम है तो सरकार को उसे सुरक्षा मुहैया करा ही देनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार को किसी के खतरे और उसकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करती रहनी चाहिए।
मनमोहन सरकार में मिली थी अंबानी को सुरक्षा
ध्यान रहे कि 2013 में मुकेश अंबानी को जेड प्लस सिक्यॉरिटी देने का मुद्दा बहुत जोर पकड़ा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से देश के सबसे अमीर शख्स को जेड प्लस सिक्यॉरिटी देने पर जवाब-तलब किया था। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर अंबानी को जेड प्लस सिक्यॉरिटी क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर सरकार के फैसले कहा कि ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा क्यों प्रदान की जा रही है जबकि आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। कोर्ट ने ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि देश में सुरक्षा की कमी के कारण आम लोग असुरक्षित हैं। अदालत ने कहा कि अमीर लोग प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ले सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था, यदि उनकी सुरक्षा को खतरे का अंदेशा है तो उन्हें निजी सुरक्षा कर्मियों की सेवाएं लेनी चाहिए। पंजाब में निजी कारोबारियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है लेकिन अब यह संस्कृति मुंबई तक पहुंच गई है। कोर्ट ने कहा, हमारा किसी व्यक्ति विशेष को सुरक्षा प्रदान करने से कोई सरोकार नहीं है लेकिन हम तो आम आदमी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। केंद्र सरकार ने अपनी बढ़ती आलोचना के मद्देनजर बाद में सफाई दी थी कि उनकी सुरक्षा में जो खर्च आएगा वह अंबानी खुद वहन करेंगे।
करीब 15 लाख खर्च उठा रहे अंबानी
तब सीआरपीएफ के तत्कालीन महानिदेशक प्रणय सहाय ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स से कहा था, सिक्यॉरिटी पर्सनल की सैलरी और एस्कॉर्ट वाहनों के संचालन पर करीब 15 लाख रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा था कि यह खर्च अंबानी खुद उठाएंगे क्योंकि गृह मंत्रालय के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अंबानी को सुरक्षा पेमेंट के आधार पर दी गई है। (navbharattimes.indiatimes.com)
श्रीनगर, 28 अक्टूबर| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर में कई स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र का कार्यालय भी शामिल है, ये छापेमारी टेरर फंडिंग मामले में चल रही जांच का हिस्सा है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों के स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों की सहायता से, रेजिडेंसी रोड इलाके में 'ग्रेटर कश्मीर के कार्यालय पर छापा मारा गया।
इसी तरह 'अथ्रोट' नाम के एक स्थायीन एनजीओ के कार्यालय, डल झील से चलने वाले 'एच.बी. हिल्टन' नाम के हाउसबोट, मानवाधिकार कार्यकर्ता खुरम परवेज का निवास और पुराने शहर के दो अन्य स्थानों पर छापे मारे गए हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 28 अक्टूबर | अभिनेता महेश ठाकुर वेब सीरीज 'मोदी: सीएम टू पीएम' के दूसरे सीजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका निभाएंगे।
उमेश शुक्ला निर्देशित इस सीरीज में मोदी के किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक और फिर उसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार तीन कार्यकाल पूरे करने और अंतत: भारत के प्रधानमंत्री बनने तक का पूरा सफर दिखाया गया है।
सीरीज के पहले सीजन में अभिनेता आशीष शर्मा ने युवा नरेंद्र मोदी की भूमिका निभाई थी।
महेश ठाकुर ने कहा, "बचपन से हमने अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अद्भुत यात्रा के बारे में सुना है। यह एक ऐसी कहानी है जो हमारे देश के इतिहास में एक बड़ा परिवर्तन दिखता है। ऐसे प्रतिष्ठित चरित्र को निभाना सम्मान की बात है, लेकिन इसके साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी जुड़ी हैं। मैं दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए उत्साहित हूं। मुझे विश्वास है कि वे सीरीज को पसंद करेंगे।"
इस सीरीज का दूसरा सीजन 12 नवंबर से इरोस नाउ पर स्ट्रीम होगा।(आईएएनएस)
चेन्नई, 28 अक्टूबर | चेन्नई पुलिस की साइबर क्राइम विंग ने उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज सी.एस. कर्णन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कर्णन के वकील पीटर रमेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "10 महिला वकीलों द्वारा उनके खिलाफ भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के बाद साइबर क्राइम विंग ने रिटायर्ड जस्टिस कर्णन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा था।"
उन्होंने कहा कि मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 295 और 195 के तहत दर्ज किया गया है।
कर्णन ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्हें आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए और न्यायपालिका के अधिकारियों के खिलाफ यौन हिंसा की धमकी देते हुए सुना गया था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों ने महिला कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न किया और उन्होंने कथित पीड़ितों के नाम भी लिए थे।
बता दें कि जब कर्णन कलकत्ता उच्च न्यायालय में जज थे तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अदालत की अवमानना करने के लिए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन्होंने अपनी 6 महीने की सजा भी पूरी की थी। (आईएएनएस)
बिहार चुनाव: कोरोना काल के पहले चुनाव में वोटिंग जारीइमेज स्रोत,PRAKASH SINGH/AFP VIA GETTY IMAGES
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए आज पहले चरण का मतदान जारी है. बिहार विधानसभा चुनाव भारत में कोराना महामारी के बीच पहला चुनाव है.
पहले चरण के मतदान में बिहार के 16 ज़िलों की कुल 71 सीटों पर वोटिंग हो रही है.
एनडीए की तरफ़ से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 35 सीट, बीजेपी 29, जीतन राम मांझी की हम-एस छह और मुकेश सहनी की वीआईपी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है.
पहले चरण में लोक जनशक्ति पार्टी 41 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने पहले चरण में जेडीयू के सभी 35 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं.
इस बार लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए से बाहर है. चिराग़ पासवान नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ वोट देने की अपील कर रहे हैं.
पहले चरण के मतदान में 2.14 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इनमें से कई ज़िले माओवादी अतिवाद से ग्रसित रहे हैं. दूसरे चरण का मतदान तीन और आख़िरी चरण का मतदान सात नवंबर को है. बिहार के चुनावी नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
पहले चरण के चुनाव में गया टाउन विधानसभा सीट पर सबसे ज़्यादा 27 उम्मीदवार किस्मत आज़मा रहे हैं जबकि बांका ज़िले के कटोरिया विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम पाँच उम्मीदवार मैदान में हैं.
पहले चरण के चुनाव में कई प्रमुख नेता मैदान में हैं. जमुई से राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाज़ी में गोल्ड मेडल जीतने वाली 27 साल की श्रेयसी सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
जमुई लोकसभा क्षेत्र से चिराग़ पासवान सांसद हैं और उन्होंने श्रेयसी सिंह का समर्थन किया है. श्रेयसी को आरजेडी के विजय प्रकाश यादव टक्कर दे रहे हैं.
विजय प्रकाश यादव जमुई से 2015 में विधायक चुने गए थे. विजय प्रकाश यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव के भाई हैं. जयप्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश भी तारापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं.
इसके अलावा गया टाउन से बीजेपी के प्रेम कुमार, विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से, बाँका से रामनारायण मंडल, जहानाबाद से कृष्णानंदन प्रसाद सिन्हा, दिनारा से जयकुमार सिंह और राजपुर से संतोष कुमार निराला चुनावी मैदान में हैं.
इमामगंज से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मैदान में हैं और उन्हें आरजेडी से उदय नारायण चौधरी टक्कर दे रहे हैं. उदय नारायण चौधरी जेडीयू से आरजेडी में आए हैं.
मुक़ाबला
बिहार चुनाव में इस बार मुख्य मुक़ाबला नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच है.
नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए जनादेश मांग रहे हैं.
राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी के नेतृत्व वाले गठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां हैं. इस गठबंधन ने बिहार चुनाव में बेरोज़गारी और कोरोना महामारी की शुरुआत में लगे लॉकडाउन से उपजे हालात को चुनावी मुद्दा बनाया है.
तेजस्वी यादव विपक्ष के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं और उन्होंने 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है.
दूसरी तरफ़ नीतीश कुमार पिछले 15 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं और उनके ख़िलाफ़ सत्ता विरोधी लहर की बात भी कही जा रही है.
नीतीश कुमार चुनावी सभाओं में कह रहे हैं कि उनकी हार से बिहार में कथित 'जंगल राज' की वापसी हो जाएगी.
नीतीश से पहले बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी के शासनकाल को मीडिया के एक धड़े में और विपक्षी पार्टियों के बीच 'जंगल राज' कहा जाता था.
दूसरी ओर 30 साल के तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को रोज़गार और शिक्षा को मुद्दे पर जमकर घेरा है.(bbc)
बिहार चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा में सबको कोविड-19 की मुफ्त वैक्सीन देने का वादा किया है
- Banjot Kaur
कोविड-19 वैक्सीन किसको पहले दी जाएगी या मुफ्त में दी जाएगी या नहीं, अब तक यह नहीं किया गया है। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के लिए गठित विशेषज्ञों के समूह ने दी।
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बिहार चुनाव में यह वादा कर रही है कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी तो बिहार में सबसे पहले मुफ्त में वैक्सीन वितरित की जाएगी।
इस विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष विनोद पॉल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वैक्सीन पहले किसे दी जाएगी, ऐसे सिद्धांतों पर विचार विमर्श किया जा रहा है, क्योंकि अगर वैक्सीन की आपूर्ति असीमित नहीं होती है तो हमें इसकी प्राथमिकता तय करनी ही होगी।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने इस तरह के बयान दिए हैं, जिनका हम सम्मान करते हैं, लेकिन हमने राज्यों से अनुरोध किया है कि जब तक पूरी तस्वीर सामने नहीं आ जाती, तब तक वे इंतजार करें।
पॉल ने कहा कि वैक्सीन वितरण के मानदंड तय करने के लिए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि जहां तक वैक्सीन की पहुंच का सवाल है, संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। प्राथमिकता के हिसाब से वैक्सीन की पहुंच बनाने में कोई समस्या नहीं आएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के लोगों के लिए फ्री-फॉर-ऑल ’वैक्सीन का दावा किया था। हालांकि, उनके सहयोगी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने अपने साप्ताहिक सोशल मीडिया कार्यक्रम के कम से कम दो एपिसोड में कहा था कि इसे सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन पर काम करने वाले अन्य लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
हर्षवर्धन के मुताबिक, केंद्र सरकार ने न सिर्फ बिहार बल्कि देश के सभी राज्यों को प्राथमिकता वाले समूहों की सूची तैयार करने और इसे अक्टूबर-अंत तक केंद्र में जमा करने की बात कही थी।
प्रदूषण और कोविड-19
क्या दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण का कोविड-19 मृत्यु दर पर प्रभाव पड़ेगा? इस बारे में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत में इस तरह का कोई अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन लेकिन यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ चुकी है कि प्रदूषण की वजह से कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई।
उन्होंने बताया कि वहां लॉकडाउन के दौरान और लॉकडाउन के बाद कोविड-19 की मृत्यु दर का अध्ययन किया गया और पाया कि लॉकडाउन खुलने के बाद मृत्यु दर में वृद्धि हुई।
भार्गव ने यह भी कहा कि विदेशों में हुए अध्ययनों में वायरस के कण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में पाए गए हैं। हालांकि, यह ज्ञात नहीं था कि वे कण सक्रिय थे या मृत।
भार्गव ने कहा कि मास्क पहनना ही एकमात्र रास्ता है। यह आपको कोरोनावायरस और प्रदूषण दोनों से बचाएगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या एक ही मास्क वायरस और प्रदूषण कणों दोनों के खिलाफ काम कर सकता है। भार्गव ने दावा किया कि भारत में बच्चों में कोविड-19 के केस बहुत कम है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कुछ राज्यों ने मामलों में काफी गिरावट दिखाई है। लेकिन उन्होंने कहा कि ये राज्य खुद को कोरोना मुक्त घोषित करने के लिए किसी तरह की प्रतियोगिता न करें।
पॉल ने कहा कि यूरोप और अमेरिका के कई देशों ने दिखाया कि महामारी फिर से चरम पर पहुंच गई है और इसे भारत के लिए एक चेतावनी संकेत के रूप में काम करना चाहिए।(downtoearth)
- आसिफ एस खान
केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को जारी अहम नोटिफिकेशन के तहत अब जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए स्थानीय प्रमाणपत्र की कोई जरूरत नहीं होगी। यानी बीजेपी सरकार ने कानून के जरिये यह प्रावधान कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में अब देश का कोई भी नागरिक जमीन खरीद सकता है। इस फैसले से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला भड़क गए हैं।
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए अधिसूचित नए भूमि कानूनों को 'छल' और 'विश्वास का हनन' करार दिया। उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा, "भूमि कानून में संशोधन से अब जम्मू-कश्मीर बिकने के लिए तैयार है।" उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "जम्मू-कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो कबूल करने लायक नहीं हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना है। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है, अब उसे और मुश्किलें झेलनी होंगी।"
उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर अवसरवादी राजनीति करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने संशोधित भूमि नियमों को लेकर अधिसूचना जारी करने को बीजेपी की सस्ती राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा, "दिलचस्प बात यह है कि केंद्र ने तब तक इंतजार किया जब तक कि एलएएचडीसी के चुनाव नहीं हो गए और बीजेपी ने लद्दाख को भी बेचने से पहले बहुमत हासिल कर लिया। बीजेपी के आश्वासनों पर भरोसा करने के लिए लद्दाख के लोगों को यही मिला है।"
बता दें कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके बाद 31 अक्तूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल बाद जमीन के कानून में बदलाव किया गया है।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद कर सकते थे, मगर मोदी सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक, अब बाहर के लोग भी यहां जमीन खरीद सकते हैं।(आईएएनएस के इनपुट के साथ)(navjivan)
पटना, 28 अक्टूबर | बिहार में विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में आज 71 विधानसभा क्षेत्र के करीब 214 करोड़ मतदाता 1,066 प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला कर रहे हैं.
प्रथम चरण के चुनाव में कड़ी टक्कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी दलो के महगठबंधन के बीच माना जा रहा है। वहीं कुछ क्षेत्रों में अन्य राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने के प्रयास में भी हैं।
बिहार में प्रथम चरण में 214 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग आज करेंगे। मतदान के लिए 31,380 केंद्र बनाए गए हैं। सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की गई है।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार, सभी मतदान केंद्रों पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मतदान होगा। सभी मतदान केंद्रों पर एक हजार मतदाता मतदान में शामिल होंगे। मतदाताओं को मास्क, गमछा या तौलिया से मुंह ढककर मतदान के लिए जाना होगा। केंद्रों पर थर्मल थमार्मीटर से मतदाताओं के शरीर के तापमान की जांच होगी, उनके हाथ सेनिटाइज कराए जाएंगे और इसके बाद ग्लब्स पहनकर मतदान देना होगा।
प्रथम चरण में 1066 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इस चरण में कई हाइप्रोफाइल सीटें हैं और कई बड़े नेता मैदान में हैं। इस कारण यह उनके लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल है।
प्रथम चरण के चुनाव में राजग की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 29, जनता दल युनाइटेड के 35, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के छह और विकासशील इंसान पार्टी के एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 42, कांग्रेस के 21 और भाकपा (माले) के आठ प्रत्याशी चुनावी समर में हैं।
बिहार में विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव होना है। इसके तहत प्रथम चरण के लिए 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरे चरण के लिए 7 नवंबर को 78 सीटों के लिए मतदान होगा। वहीं वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर | केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि से संबंधित तीन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन करने फैसला लिया है। इस सिलसिले में दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहब में मंगलवार को हुई एक बैठक में आगामी पांच नवंबर को देशभर में हाईवे जाम करने रखने का फैसला लिया गया है। बैठक में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने आईएएनएस को बताया कि देश के विभिन्न प्रदेशों के सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की यहां एक बैठक हुई, जिसमें पांच नवंबर को दिन के 12 बजे से शाम चार बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम रखने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद किसान 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा।
भाकियू नेता ने कहा, "पूरे देश में काले कानूनों के विरुद्ध साझा आंदोलन लड़ने का फैसला लिया गया है जिसमें पांच नवंबर को 12 बजे से चार बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम किए जाएंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा और इन आंदोलनों को मजबूती से लड़ने के लिए पांच सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई है।"
इस कमेटी में पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल, महाराष्ट्र से राजू शेट्टी, उत्तर प्रदेश से सरदार वीएम सिंह , योगेंद्र यादव और हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी शामिल है।
उन्होंने कहा कि बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि देश के जो अन्य संगठन जो अभी तक आंदोलन में शामिल नहीं हो सके हैं या अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाए, उनसे समन्वय बढ़ाने का काम भी यह कमेटी करेगी।
संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित हुए कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 अब कानून बन चुके हैं।
सरकार का कहना है कि नये कानून से कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आएगा, लेकिन किसान संगठन बताते हैं कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं बल्कि कॉरपोरेट को होगा। गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान संगठनों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए।
पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों को आशंका है कि उनको बिजली बिल में जो अनुदान मिल रहा है वह भी सरकार आने वाले दिनों में समाप्त कर सकती है।(आईएएनएस)
लखनऊ, 28 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश में अब शराब और बीयर की फुटकर दुकानें सुबह 10 से रात 10 बजे तक खुलेंगी। इस संबंध में आबकारी विभाग के अपर आयुक्त हरीशचंद्र ने आदेश जारी किया है। अभी तक इन दुकानों के संचालन का समय सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक का था। हलांकि कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर बनाए गए कंटेनमेंट जोन में पहले की तरह पाबंदी रहेगी। शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रदेश में शराब की दुकानों की समयावधि बढ़ाने का स्वागत किया है।
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने पर शराब की दुकानें भी बंद हो गई थीं। राजस्व का नुकसान रोकने के लिए शासन ने चार मई को शराब की दुकानें खोलने का निर्णय लिया। सुबह 10 से शाम सात बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति मिली। करीब दो माह बाद दुकानें रात नौ बजे तक खोलने की अनुमति दी गई थी।
एसोसिएशन के महामंत्री कन्हैया लाल मौर्या ने बताया प्रदेश के हजारों लाइसेंसी कारोबारियों ने आबकारी विभाग के अधिकारियों को मांगपत्र देकर दुकानों के समय अवधि बढ़ाने की मांग थी। समय अवधि कम होने से निर्धारित कोटा उठाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था त्योहारों को देखते हुए या निर्णय उचित हैं। प्रदेश के लाइसेंसी कारोबारियों द्वारा इस निर्णय का स्वागत किया है और विभाग का आभार जताया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर | दिल्ली विधानसभा की कमेटी ने दिल्ली में गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटियों के चुनाव की तैयारियों को लेकर मंगलवार को गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के साथ एक अहम बैठक की। इस दौरान गुरुद्वारा प्रबंधन निदेशालय से गुरुद्वारा सिख प्रबंधन कमेटियों के चुनाव की तैयारियों के बारे में जानकारी ली गईं। दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटियों के चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सरकार प्रबंधन कमेटियों का चुनाव सही समय पर निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराना सुनिश्चित करेगी। कमेटी को गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने बताया कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू कर दिया गया है और हर वार्ड में अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं।
अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन शुरू कर दिए हैं। साथ ही ऑनलाइन मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
आम आदमी पार्टी के विधायक एवं विधानसभा की कमेटी के सदस्य जरनैल सिंह ने कहा, "दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी में 46 वार्ड हैं, जिनमें चुनाव होने हैं। इस संबंध में विधानसभा में कमेटियों की बैठक हुई। इस बैठक में गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के अधिकारी को भी बुलाया गया था।"
कमेटी ने निदेशालय को निर्देशित किया कि प्रबंधन कमेटियों का चुनाव समय से और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने कमेटी को बताया कि 22 अक्टूबर से लेकर 20 नवंबर तक मतदाता सूची का पुनरीक्षण का कार्य किया जाएगा।
जरनैल सिंह ने बताया कि 2017 का चुनाव को देखा जाए, तो उस चुनाव में पूरी दिल्ली में सिर्फ 1.75 लाख वोट पड़े थे, जबकि दिल्ली में सिखों की आबादी इससे कई गुना अधिक रहती है। अधिक से अधिक मतदाता सूची का पुनरीक्षण (रिवीजन) हो सके और अब तक मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने से वंचित रहने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसमें शामिल किया जा सके, यही हमारा उद्देश्य है। इस दौरान कमेटी ने यह भी देखा कि जितने वोट बने हैं, उसमें से करीब 45 फीसदी के आसपास वोट ही पड़े।
उन्होंने कहा, "अगर मौजूदा कमेटी की बात की जाए, तो वो सिर्फ 76000 वोट से चुनाव जीती है। हमारी कोशिश यही है कि ज्यादा से ज्यादा वोट बने। कमेटी ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय को मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डालने के लिए आगे आएं और सही समय पर निष्पक्ष तरीके से ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी से चुनाव में हो सके।"(आईएएनएस)
भोपाल, 28 अक्टूबर | कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट मध्यप्रदेश में विधानसभा के उप-चुनाव में प्रचार करने आए हैं। पायलट की उनके पूर्व सहयोगी रहे पूर्व क्रेद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से ग्वालियर में मुलाकात हुई। इस मुलाकात को लेकर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया की पायलट से ग्वालियर में मुलाकात हुई है। इस दौरान दोनों के बीच क्या चर्चा हुई इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि सिंधिया ने मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामना था। सिंधिया के साथ 22 कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी। उसके बाद ही कांग्रेस की कमल नाथ सरकार गिर गई थी। वर्तमान में राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने जा रहा है। पायलट दो दिवसीय दौरे पर आए हैं।(आईएएनएस)
नोएडा, 28 अक्टूबर | नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एनएमआरसी) ने ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर एक सराहनीय कदम उठाया है। नोएडा सेक्टर-50 मेट्रो स्टेशन को अब ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग ही संचालित करेंगे। यानी कि अब ये मेट्रो स्टेशन 'रेनबो स्टेशन' के नाम से जाना जाएगा। मेट्रो स्टेशन पर टिकट काउंटर से लेकर हाउस कीपिंग सर्विस की सारी जिम्मेदारी ट्रांसजेंडर्स (किन्नरों) को दी गई है। वहीं टिकट काउंटर और रिसेप्शन का कामकाज अब दिल्ली निवासी माही गुप्ता ने संभाला है।
दरअसल, ये कदम ट्रांसजेंडर को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उठाया गया है। वहीं मंगलवार को सेक्टर-50 मेट्रो स्टेशन का उद्घाटन किया गया। जिले के सांसद महेश शर्मा ने इसका उद्घाटन किया। साथ ही नोएडा के विधायक पंकज सिंह और एमडी रितु माहेश्वरी इस मौके पर उपस्थित रहे।
हालांकि एनएमआरसी की इस पहल की खूब चर्चा भी हो रही है। एएमआरसी का कहना है कि ट्रांसजेंडर को भी मुख्यधारा में जोड़ने के लिए इस तरह की पहल की जरूरत है।
बसेरा समाजिक संस्थान की तरफ से दो ट्रांसजेंडर की भर्ती की गई है। इस संस्थान की प्रोग्राम मैनेजर रिजवान अंसारी उर्फ रामकली ने आईएएनएस को बताया, "हमारी तरफ से माही गुप्ता और सूरज (काजल) की भर्ती हुई है। इस पहल को लेकर हम बहुत खुश हैं। हम ऋतु माहेश्वरी जी का धन्यवाद करते हैं। वहीं उनके द्वारा भी हम लोगों को धन्यवाद दिया गया है और उन्होंने कहा है कि हम आगे भी इसी तरह से भर्ती करते रहेंगे।"
उन्होंने कहा, "यूपी में इस तरह का कदम उठाना बहुत बड़ी बात है, क्योंकि यहां उठाया गया इस पहल की गूंज दूर तक जाएगी। बहुत सारे लोगों ने आज मुझे फोन किया और बोला है कि हमारी भी इस तरह की नौकरी लगवाएं।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| पत्रकार तरुण तेजपाल के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के मामले में समय-सीमा 31 मार्च 2021 तक बढ़ाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर वह वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मुकदमे के लिए तैयार हो जाएंगे, तो यह दो महीने के अंदर समाप्त हो जाएगा। कोविड-19 महामारी के बीच शिकायतकर्ता महिला ने अपनी क्रास एग्जामिनेशन वीडियोकांफ्रेंस के जरिए कराने की मांग की थी, तेजपाल ने हालांकि इसका कड़ाई से विरोध किया था।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति ने वैध आधार पर मामले में सुनवाई को बढ़ाया है। पीठ ने कहा कि 31 प्रत्यक्षदर्शियोंकी जांच होनी बाकी है।
गोवा सरकार की ओर से पेश सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट की बात पर सहमति जताई। वहीं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि सुनवाई को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।
पीठ ने सिब्बल से कहा, "आप वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ट्रायल के लिए तैयार नहीं हैं, नहीं तो यह दो महीने के अंदर समाप्त हो जाता।"
संक्षिप्त सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई की अंतिम तिथि 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दी। पहले सुनवाई इसी साल 31 दिसंबर को समाप्त होनी थी।