राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) ने 103 नए संकाय सदस्यों की नियुक्ति की है, जिनमें 42 अकादमिक ट्यूटर और टीआरआईपी फेलो हैं, जिसे मिलाकर साल 2020-2021 के शैक्षणिक सत्र में कुल संकाय सदस्यों की संख्या 425 हो गई है। इनके अलावा, देश के सर्वोच्च न्यायालय के 12 वरिष्ठ अधिवक्ताओं और 11 कॉर्पोरेट लॉ फर्म के सहभागी भी शामिल किए गए हैं, जो लॉयरिंग एक्सीलेंस फॉर एडवोकेसी डेवलपमेंट (एलईएडी या लीड) प्रोग्राम और कॉर्पोरेट लॉयरिंग एडवांसमेंट थ्रू इमरशन एंड मेनटॉरिंग (सीएलएआईएम या क्लैम) प्रोग्राम के तहत यहां के विद्यार्थियों को कानून की उत्कृष्टता का पाठ पढ़ाएंगे।
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति सी. राज कुमार ने कहा, "यह किसी नए बने विश्वविद्यालय के लिए एक मील का पत्थर है, जो इस महीने के अंत तक ग्यारह साल का हो जाएगा। विद्वानों और शोधकर्ताओं के एक विशिष्ट समुदाय का हिस्सा बनने के लिए हमने भारत सहित दुनिया भर से कुछ खास व्यक्तित्वों का चुनाव किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "वर्तमान समय में वैश्विक महामारी के बावजूद भी हम अपनी संस्थागत जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे, अपने विद्यार्थियों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे और शिक्षा, अनुसंधान और समाज में परिवर्तन लाने की दिशा में काम करते रहेंगे। जेजीयू, फैकल्टी और स्टूडेंट का अनुपात 1:9 बनाए रखेगी, जो किसी भी वक्त विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी, खासकर एक ऐसी चुनौतीपूर्ण घड़ी में।"
अपनी बात को जारी रखते उन्होंने आगे यह भी बताया, "यह उल्लेखनीय है कि जेजीएलएस में जितने भी पूर्णकालिक संकाय सदस्य हैं, वह यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया की विनियामक आवश्यकताओं की तुलना में चार गुना अधिक है और ऐसा यहां कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की अधिक संख्या को ध्यान में रखकर किया गया है।"
जेजीयू द्वारा शामिल किए गए इन नए 165 संकाय सदस्यों में 68 अकादमिक ट्यूटर्स और टीआरआईपी फेलो हैं। संस्थान में इनकी मदद से विद्यार्थियों को सीखने के और भी व्यापक अवसर मिलेंगे।
ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) में रजिस्ट्रार देबीरू श्रीधर पटनायक ने कहा, "विश्वविद्यालय ने संकाय सदस्यों को शामिल करने की प्रक्रिया को निरंतरता बरकरार रखा है, जिनके पास उत्कृष्ट शैक्षणिक योग्यता, बेहतरीन अनुभव व संस्था के विकास के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता है। यह जेजीयू के लिए भी एक विशेष उपलब्धि है कि यहां के 63 प्रतिशत संकाय सदस्यों के पास दुनिया के किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से कम से कम एक इंटरनेशनल क्वालिफिकेशन है।"
मार्च 2020 में, क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी की इस साल की रैंकिंग में जेजीएलएस को भारत के सर्वश्रेष्ठ लॉ स्कूल की मान्यता दी गई और साथ ही यह दुनिया के सबसे बेहतरीन 101-150 लॉ स्कूलों में भी शामिल रहा।
भोपाल, 25 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को विरोध दर्ज कराया और जगह-जगह ज्ञापन सौंपे। किसानों ने कई स्थानों पर कोरोना को लेकर ज्यादा संख्या में सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराने में एहतियात बरती। केंद्र सरकार द्वारा सदन में लाए गए तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसानों में देशव्यापी गुस्सा है। इन विधेयकों को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन जारी है। मध्य प्रदेश में भी किसानों में केंद्र सरकार को लेकर नाराजगी है। मंदसौर, नीमच, रतलाम, हरदा, सहित अनेक स्थानों पर किसान सड़कों पर उतरे, मगर कोरोना को लेकर किसानों ने एहतियात बरतते हुए सीमित संख्या में ही विरोध दर्ज कराया।
किसान नेता केदार सिरोही ने आईएएनएस को बताया कि किसानों में केंद्र सरकार के रवैए से खासी नाराजगी है, सब्जी मंडिया बंद चल रही हैं, तो दूसरी ओर किसान गांव-गांव और कम संख्या में समूह बनाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। वर्तमान में कोरोना का संकट आया हुआ है और संक्रमण फैलने का खतरा है, इसलिए किसान कम संख्या में ही सड़क पर उतरे। विरोध में किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
किसानों को हर संभव मदद देने का वादा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को पिछले दिनों चार हजार रूपये सालाना सम्मान निधि देने का ऐलान किया था। यह सम्मान निधि केंद्र सरकार की सालाना छह हजार रूपये की सम्मान निधि की तरह है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्य सरकार के रवैए पर तंज कसते हुए कहा कि ये कैसा किसानों का सम्मान है, ये कैसी कल्याण योजना? कोरोना महामारी के इस संकट काल में किसानों को मात्र 10 रुपये प्रतिदिन के करीब देकर ये उसे किसानों का कल्याण बता रहे हैं, किसानों का सम्मान बता रहे हैं? एक तरफ किसान खेत खलिहान के विरोध में तीन-तीन बिल लाते हैं, वहीं दूसरी तरफ खुद को किस मुंह से किसान हितैशी बताते हैं? यदि शिवराज सरकार को किसानो के सम्मान की, कल्याण की चिंता है तो कांग्रेस सरकार की कर्ज माफी योजना को चालू रखे, किसानो को कर्ज मुक्त बनाये, जिससे किसान सम्मान पूर्वक अपना जीवन जी सके। यही किसानों का सबसे बड़ा सम्मान है, यही कल्याण है।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की ओर से दंगा मामलों में दाखिल आरोपपत्र में एक आरोपी ने अपने प्रकटीकरण बयान में खालिस्तान मूवमेंट के तीन समर्थकों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी-आईएसआई का नाम लिया है। आरोपी अतहर खान द्वारा दिए गए पूरक प्रकटीकरण बयान में पाकिस्तानी आईएसआई और खालिस्तान मूवमेंट के समर्थकों की कथित संलिप्तता उजागर हुई है। खान पर गैरकानूनी गतिविधि(रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम के मुताबिक, इन बयानों का प्रयोग केवल विरोधाभाषों को साबित करने के लिए किया जा सकता है और आपराधिक मामलों में आरोपियों के खिलाफ प्रयोग नहीं किया जा सकता।
25 वर्षीय आरोपी ने कहा कि उसके एक सहयोगी रिजवान सिद्दकी ने 10 और 11 फरवरी को उसे व अन्य को कहा था कि उसने खालिस्तान मूवमेंट समर्थक बगीचा सिंह और लवप्रीत सिंह से शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल पर मुलाकात की थी, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है।
अतहर खान ने कहा, "बगीचा सिंह और लवप्रीत सिंह ने दावा किया कि उसे पाकिस्तानी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है और एजेंसी ने यह संदेश भेजा है कि खालिस्तान समर्थकों को सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए।"
उसने कहा, "रिजवान ने हमसे कहा कि इन लोगों (खालिस्तान मूवमेंट समर्थकों) ने दंगों में हमारा समर्थन करने और अपने एक आदमी को प्रदर्शन स्थल पर भेजने का वादा किया है।"
खान ने अपने बयान में कहा, "आठ-दस दिनों के बाद, एक व्यक्ति जबरजंग सिंह चांदबाग प्रदर्शन स्थल आया और कहा कि उसे बगीचा सिंह ने भेजा है। उसने मंच से सरकार के खिलाफ भाषण भी दिया।"
नई दिल्ली/चंडीगढ़, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| संसद में कृषि विधेयकों को पारित किए जाने के बाद किसानों द्वारा देश के कुछ हिस्से में तीन दिवसीय 'रेल रोको' आंदोलन का आह्वान किया है, जिसके चलते उत्तर रेलवे ने तीन ट्रेनों को पूरी तरह से रद्द कर दिया है और 20 विशेष ट्रेनें आशिंक रूप से रद्द की गई हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा, "पंजाब में किसानों के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए उत्तर रेलवे ने 25 से 26 सितंबर तक तीन ट्रेनों की सेवाओं को रद्द करने का फैसला लिया है।"
उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक फिरोजपुर रेलवे डिवीजन में ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है।
रद्द की गई ट्रेनों में हरिद्वार-अमृतसर जन शताब्दी एक्सप्रेस, नई दिल्ली-जम्मू तवी राजधानी एक्सप्रेस, अमृतसर-हरिद्वार जन शताब्दी एक्सप्रेस शामिल हैं।
तीन ट्रेनों को रद्द करने के अलावा नॉर्दर्न रेलवे ने 20 स्पेशल ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया है, जिनमें मुंबई सेंट्रल-अमृतसर स्वर्ण मंदिर एक्सप्रेस अंबाला कैंट तक, न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर करम भूमि एक्सप्रेस अंबाला कैंट तक, बांद्रा टर्मिनस-अमृतसर एक्सप्रेस अंबाला कैंट तक, शामिल हैं। जबकि नांदेड़-अमृतसर को नई दिल्ली तक आंशिक रूप से रद्द किया गया है, जय नगर-अमृतसर सरयू यमुना एक्सप्रेस को अंबाला कैंट तक रद्द किया गया है और इसके अलावा भी सूची में कई ट्रेनें शामिल हैं।
उत्तर रेलवे ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दो ट्रेनों के मार्ग भी बदले हैं और पांच विशेष पार्सल ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द की है। पंजाब के कुछ हिस्सों में किसान रेल की पटरियों पर बैठकर बिल का विरोध जता रहे हैं।
हाल ही में समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों ने किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को पारित कर दिया और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते को भी मंजूरी दे दी। संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम को भी पारित कर दिया है। इन विधेयकों को पारित किए जाने के बाद कई किसान संगठन देश के कुछ हिस्सों में जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस ने भी किसानों के विरोध प्रदर्शनों को अपना समर्थन दिया है।
भोपाल 25 सितंबर (आईएएनएस)| चुनाव आयोग मध्य प्रदेश के प्रस्तावित उप-चुनाव की तारीखों का चार दिन बाद ऐलान करेगा, इससे यहां के राजनीतिक दलों ने राहत सांस ली है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन बुलाया था, तो संभावना जताई जा रही थी कि बिहार के विधानसभा के चुनाव के साथ मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के उप-चुनावों की तारीखों का भी ऐलान किया जाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। बिहार विधानसभा के चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए आयोग ने कहा है कि कोरोना को लेकर कई राज्यों की ओर से पत्र मिले हैं, इस पर विचार मंथन जारी है और उप-चुनावों की तारीखों का ऐलान 29 सितंबर को किया जाएगा।
चुनाव आयोग द्वारा तारीखों का ऐलान न किए जाने से राज्य के राजनीतिक दलों को आचार संहिता की जद में आने से चार दिन की और मोहलत मिल गई है।
शिवराज सरकार के राज्यमंत्री ओ पी एस भदौरिया का कहना है कि, "भाजपा चुनाव के लिए तैयार है, वहीं राज्य के विकास को और गति मिले यही जनता चाहती है, जनता यह भी जानती है कि उसकी इच्छा और सपनों को सिर्फ भाजपा ही पूरा कर सकती है। आगामी उप-चुनाव में कांग्रेस को जनता सबक सिखाएगी, क्योंकि उसने सत्ता में आने के बाद अपने वादों को पूरा नहीं किया था।"
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि, "कांग्रेस चाह रही है कि जल्दी से जल्दी उप-चुनाव हों, क्योंकि राज्य में वर्तमान में अल्पमत की सरकार है। भाजपा लगातार सरकारी कार्यक्रम आयोजित कर घोषणाएं करने में लगी है, उसे घोषणाएं करने का चार दिन का समय और मिल गया है।"
जानकारों की मानें तो दोनों ही दल चुनाव की तारीखों का जल्दी ऐलान न हो ऐसा चाह रहे हैं। इसकी वजह दोनों दलों में बढ़ता असंतोष और खींचतान है।
चंडीगढ़, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों द्वारा दिनभर के लिए किए जा रहे राज्यव्यापी चक्का जाम का असर पंजाब और हरियाणा में आम जनजीवन पर देखने को मिला है। इन विरोध प्रदर्शनों को दोनों राज्यों में अच्छी प्रतिक्रिया मिली है लेकिन चंडीगढ़ में यह लगभग सामान्य रहा। पंजाब में रेल यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ क्योंकि किसानों, कृषि श्रमिकों, कमीशन एजेंटों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने रेलवे लाइनों पर चक्का जाम कर दिया।
राज्यों में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है।
कई किसान संघों के कार्यकर्ता कांग्रेस शासित पंजाब में अखिल भारतीय विरोध को चिह्न्ति करने के लिए कई जगहों पर व्यापारियों से दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने के लिए कहते नजर आए।
पंजाब के पटियाला, लुधियाना, भठिंडा, मोगा, होशियारपुर, जालंधर और अन्य स्थानों से दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों को बंद करने की खबरें मिलीं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दोनों राज्यों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
एकजुटता के इस तरह के पहले प्रदर्शन में, पंजाब के 31 किसान संगठनों ने संयुक्त विरोध की घोषणा की।
कृषि विधेयकों के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू करने के बाद से गुरुवार से कई ट्रेनों के परिचालन को रद्द कर दिया गया है।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों के परिचालन को रद्द करने का फैसला किया।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि पंजाब में 125 जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। किसानों द्वारा सभी मुख्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे कृषि विधेयकों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए एक मंच पर आएं।
अमरिंदर सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इन विधेयकों को लाकर नए निम्नस्तर पर पहुंच गई है और वह भी बहुत ही अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से पारित किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य इकाई द्वारा समर्थित उनकी सरकार न सिर्फ किसानों और राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के हित में पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने किसानों से कानून और व्यवस्था को कड़ाई से बनाए रखने और सभी कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विरोध के मद्देनजर राज्यव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की है।
एसएडी सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। हालांकि एसएडी की लोकसभा सांसद और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को अपनी पार्टी द्वारा तीनों विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि कई पंजाबी गायकों ने किसानों द्वारा बुलाए गए 'बंद' का समर्थन किया है।
लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने एक ट्वीट में कहा कि वह कई अन्य कलाकारों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने बर्खास्त शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के साथ सोनीपत जिले के मुदलाना गांव में गुरुवार को कृषि मंत्री जे.पी. दलाल को काले झंडे दिखाए।
वहीं, कृषि विधेयकों को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताते हुए हरियाणा भाजपा के राज्य प्रमुख ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई विकल्प खुलेंगे।
पटना, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| यूनियन डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) के घटक दल भारतीय सबलोग पार्टी और जनता दल राष्ट्रवादी के नेताओं ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के कृषि बिल के खिलाफ पटना के जे.पी.गोलंबर पर जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान और पूर्व सांसद और भारतीय सबलोग पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कुमार ने किया। इस मौके पर पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा भी मौजूद थीं। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने जमकर राजग सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया।
प्रदर्शन कर रहे जद राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने कहा कि मोदी सरकार के किसान बिल ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार तक छीन लिया है।
उन्होंने कहा, "इन विधेयकों के जरिए किसानों को कांट्रैक्ट फामिर्ंग के नाम पर पूंजीपतियों का गुलाम बनने पर मजबूर किया जाएगा। न दाम मिलेगा, न सम्मान। किसान अपने ही खेत पर मजदूर बन जाएगा। भाजपा का कृषि बिल ईस्ट इंडिया कम्पनी राज की याद दिलाता है। "
उन्होंने कहा कि, "बिहार सरकार ने पहले ही किसानों से खरीददारी बंद कर उनकी कमर तोड़ दी है। अब मोदी सरकार ने ये बिल लाकर किसानों से उनका हक ही छीन लिया है। अब किसान अपनी मर्जी से खेती भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी किसानों की यह लड़ाई अंतिम दम तक लड़ेगी। "
मुंबई, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| संसद द्वारा हाल ही में पारित किए गए 'किसान विरोधी कानून' के मद्देनजर पूरे महाराष्ट्र में शुक्रवार को हजारों की तादात में किसान सड़कों पर उतरकर जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन को कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस), स्वाभिमानी शेतकारी संगठन और राज्य के अन्य प्रमुख किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया है।
पालघर से एआईकेएस के अध्यक्ष अशोक धावले इसका नेतृत्व कर रहे हैं। मुंबई में महेंद्र उगड़े, ठाणे में सुनील खरपत, बीड में सुभाष डाके, जालना में गोविंद अरदाद, नंदुरबार में सुदाम ठाकरे, नांदेड़ में अर्जुन अडे के नेतृत्व में आंदोलन किए जा रहे हैं।
कोल्हापुर में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने राज्य और पूरे देश के किसानों से आग्रह किया कि वे पूरे जोश के साथ इस कानून का विरोध करें। उनके नेतृत्व में किए गए प्रदर्शन में कानून की प्रतियां आग के हवाले की गईं।
शेट्टी ने कहा, "ये कानून कृषक समुदायों की आजीविका के लिए हानिकारक हैं। सरकार ने इसे जबरदस्ती थोपा है और संसद में इसे जिस दिन पारित किया गया, वह एक काला दिन था। हम किसानों के साथ हुए इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
मुंबई, ठाणे, पालघर, पुणे, कोल्हापुर, नाशिक, नंदुरबार, जालना, बीड, औरंगाबाद, नांदेड़, यवतमाल, बुलढाना में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों में हजारों की संख्या में किसान भाग ले रहे हैं और स्थानीय कलेक्टरों के कार्यालयों या तहसीलदार जाकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मंडियां तोड़ने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त करने की कोशिश है। भाकियू समेत कई किसान संगठनों की ओर से भारत बंद के आह्वान पर जगह-जगह किसान सड़कों पर उतरे हैं। इन विधेयकों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसान कर रहे हैं। हरियाणा में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने पंचकुला जिला स्थित पिंजोर में किसानों को संबोधित किया। इस मौके पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, इन विधेयकों के जरिए इन्होंने (केंद्र सरकार) मंडियां तोड़ने और एमएसपी समाप्त करने का ढांचा खड़ा कर रखा है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल पाता है और आगे चलकर पंजाब और हरियाणा का भी वैसा ही हाल होगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर अनाज नहीं बिकने से किसान तबाह हो जाएंगे।
भाकियू नेता ने यह बात बिहार सरकार द्वारा 2006 में समाप्त किए गए कृषि उपज विपणन समिति कानून का जिक्र करते हुए कही। गुराम सिंह ने कहा कि शुक्रवार के भारत बंद को किसान का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा, इससे मंडी के आढ़ती, छोटे कारोबारी, किसान और मजदूर सभी प्रभावित होंगे और चंद लोगों को इसका फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का काम किया है।
पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता। किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
कृषि विधेयक के विरोध में उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों में भी भाकियू समेत दूसरे किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। खासतौर से विपक्षी दलों से जुड़े किसान संगठन इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)| भारत में शुक्रवार को बीते 24 घंटों में 86,052 नए कोविड-19 मामले सामने आए हैं और इसी अवधि में और 1,141 लोगों की मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दी। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि मिजोरम एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां से कोविड-19 से किसी भी मौत की सूचना नहीं मिली है। वहीं खुलासे के अनुसार, कोविड-19 से हुई 92,290 मौतों में से 70 प्रतिशत से अधिक मृतकों को अन्य बीमारियां भी थी।
महाराष्ट्र कोरोनावायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। यहां पिछले 24 घंटों में 459 मौतें दर्ज की गई हैं। राज्य में अब तक कुल मृत्यु संख्या 34,345 है। राज्य में 2,75,404 सक्रिय कोविड-19 मामले हैं और अब तक कुल 9,73,214 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 17,184 लोगों को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद क्वारंटाइन सेंटर और अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई।
कर्नाटक में पिछले 24 घंटों में 65 मौतों की सूचना मिली है, जिसके बाद मृत्यु की कुल संख्या 8,331 हो गई है। राज्य में 95,568 सक्रिय कोविड मामले हैं। पिछले एक दिन में राज्य में 6,748 लोग इस संक्रमण से उबर चुके हैं, जिसके बाद राज्यभर में ठीक हो चुके लोगों की कुल संख्या 4,44,658 हो गई है।
लद्दाख में पिछले 24 घंटों में कोविड संक्रमण से तीन मौतों की सूचना मिली है। केंद्र शासित प्रदेश में कुल 54 लोग जानलेवा वायरस के शिकार हुए हैं। वहीं वर्तमान में 1,022 सक्रिय मामले हैं। लद्दाख में अब तक 2,893 लोग वायरस से उबर चुके हैं और पिछले 24 घंटों में कुल 49 लोगों को अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर से छुट्टी दे दी गई।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देशभर में पिछले 24 घंटों में विभिन्न अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर्स से कुल 81,177 लोगों को छुट्टी दी गई है। अब तक कुल 47,56,164 लोग घातक वायरस के संक्रमण से उबर चुके हैं।
भारत में कोरोनावायरस की रिकवरी दर 81.74 प्रतिशत के साथ दुनिया में सबसे अधिक है। देश में वर्तमान में 9,70,116 सक्रिय मामले हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, देश में गुरुवार को कोविड के लिए कुल 14,92,409 लोगों का टेस्ट किया गया। संस्थान ने कहा कि अब तक परीक्षण किए गए कुल नमूनों की संख्या 6,89,28,440 हैं।
भोपाल, 25 सितंबर। पिछले दिनों ग्वालियर दौरे पर आए ने पुलिस की गाड़ी प्रयोग किया था। इसे लेकर महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। आयोग ने शिकायत के बाद गृह विभाग से जवाब मांगा था। गृह विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब दे दिया है, जिसमें माना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकारी गाड़ी का प्रयोग किया था।
सूत्रों ने बताया कि गृह विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब देते हुए कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार के प्रतिनिधि हैं और सरकारी कार्य के लिए उन्होंने सरकारी वाहन का उपयोग किया है। गाड़ी पर किसी पार्टी का झंडा और चुनाव चिह्न नहीं था। साथ ही यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था।
दरअसल, 16 सितंबर को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने शिकायत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले में गृह विभाग से जवाब मांगा था। व्यक्ति ने शिकायत की थी कि 14 सितंबर को डबरा में चुनाव प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुलिस की गाड़ी का इस्तेमाल किया था।
यह शिकायत महाराष्ट्र निवासी साकेत गोखले ने की थी। इसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने गृह विभाग से जवाब मांगा था। वहीं, राज्य सरकार ने गरीब कल्याण योजना को लेकर भी सफाई दी है। साथ ही कहा है कि यह नई योजना नहीं है। (exposescoop)
मुम्बई, 25 सितंबर। बॉलीवुड दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच से जुड़े ड्रग्स एंगल में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। आज एनसीबी अभिनेत्री रकुलप्रीत सिंह से पूछताछ कर रही हैं, तो वहीं कल यानी शुक्रवार को बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में दीपिका के पति और बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह ने एनसीबी से एक खास अनुरोध किया है।
ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रणवीर सिंह ने एनसीबी से पूछा है कि क्या वह बॉलीवुड ड्रग्स मामले में पूछताछ के दौरान अपनी पत्नी दीपिका के साथ उपस्थित हो सकते हैं। रणवीर का कहना है कि दीपिका कभी-कभी घबरा जाती हैं, इसलिए वह पूछताछ के दौरान उनके साथ रहना चाहते हैं।
रणवीर ने एनसीबी से अनुरोध करते हुए कहा है कि दीपिका पादुकोण कभी-कभी घबरा जाती हैं और चिंता से ग्रस्त हो जाती हैं, इसलिए उन्हें उनके साथ रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह कानून का पालन करने वाले एक नागरिक हैं और जानते हैं कि वह दीपिका से पूछताछ के समय उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन उनका अनुरोध है कि एनसीबी दफ्तार के अंदर उन्हें जाने की अनुमति दी जाए।
अभी यह देखना होगा कि क्या एनसीबी रणवीर को दीपिका के साथ एनसीबी दफ्तर आने की इजाजत देता है या नहीं। फिलहाल, एनसीबी ने रणवीर के इस अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
2017 की एक ड्रग्स चैट में फंसी दीपिका
दीपिका अपनी कथित ड्रग्स चैट की वजह से फंसी हैं। एनसीबी को दीपिका और उनकी मैनेजर करिश्मा प्रकाश की एक ड्रग्स चैट मिली थी। यह ड्रग्स चैट 28 अक्टूबर, 2017 की है। इस चैट के अनुसार, दीपिका अपनी मैनेजर करिश्मा से हैश नाम की ड्रग्स मांग रही है। इसी मामले को लेकर एनसीबी ने दीपिका को बुलाया है।
दीपिका ड्रग्स मामले में उन ए लिस्टर अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनका नाम रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद सामने आया है। ए लिस्टर में दीपिका के अलावा सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और रकुलप्रीत शामिल हैं। सारा अली खान से एनसीबी कल पूछताछ करेगी। (tv9bharatvarsh)
चंडीगढ़, 25 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के दोनों सदनों में पारित फार्म विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार सुबह से पंजाब और हरियाणा में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
यहां तक कि दोनों राज्यों के अधिकांश प्रमुख शहरों के दुकानदारों ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपनी दुकानें बंद रखी हैं।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर एकजुटता का उदाहरण देते हुए पंजाब के 31 किसान संगठनों ने संयुक्त विरोध की घोषणा की।
किसानों द्वारा बिल के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू करने के बाद से ही गुरुवार से कई ट्रेनों के परिचालन को निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों के परिचालन को निलंबित करने का फैसला किया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे 'छोटे विचारों' से ऊपर उठकर राज्य के किसानों को नष्ट करने वाले 'विश्वासघाती' बिल के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए एक मंच पर आएं।
अमरिंदर सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इन विधेयकों को लाकर नए निम्नस्तर पर पहुंच गई है और वह भी बहुत ही अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से पारित किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य इकाई द्वारा समर्थित उनकी सरकार न सिर्फ किसानों और राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के हित में पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने किसानों से कानून और व्यवस्था को कड़ाई से बनाए रखने और सभी कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विरोध के मद्देनजर राज्यव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की है।
एसएडी सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। हालांकि एसएडी की लोकसभा सांसद और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को अपनी पार्टी द्वारा तीनों विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि कई पंजाबी गायकों ने किसानों द्वारा बुलाए गए 'बंद' का समर्थन किया है।
लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने एक ट्वीट में कहा कि वह कई अन्य कलाकारों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकतार्ओं ने बर्खास्त शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के साथ सोनीपत जिले के मुदलाना गांव में गुरुवार को कृषि मंत्री जे.पी. दलाल को काले झंडे दिखाए।
वहीं फार्म बिल को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताते हुए हरियाणा भाजपा के राज्य प्रमुख ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई विकल्प खुलेंगे।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का एलान किया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत देशभर के किसान कृषि से जुड़े इन विधेयकों के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने अंबाला से फोन पर बताया कि पूरा हरियाणा बंद रहेगा। किसान अपने घरों से निकल चुके हैं और जगह-जगह सड़कों पर इकट्ठा होने लगे हैं। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने भी बताया कि किसान अपने-अपने घरों से कूच कर चुके हैं और पूरे प्रदेश में करीब 400 जगहों पर लामबंद हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी किसानों का सड़कों पर उतरना शुरू हो गया है। भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि उनके संगठन से जुड़े किसान नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत समेत कई जगहों पर सड़क जाम करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि 11 बजे से पूरे देश में चक्का जाम है। हालांकि उन्होंने बताया कि यह बंद सिर्फ सड़कों पर रहेगा रेल रोको का कोई आयोजन नहीं है। टिकैत ने कहा, शहरों में प्रवेश करना या शहरों की दुकानों को बंद करने का प्रयास करना हमारे बंद के आयोजन में शामिल नहीं है। हम सिर्फ मुख्य मार्गों और गावों की सड़कों को जाम करके विधेयक पर अपना सांकेतिक विरोध जताएंगे।
उन्होंने कहा कि विचारधारा व दलों की राजनीति के दायरे से बाहर आकर किसानों के हितों के लिए काम करने वाले तमाम संगठनों से इस बंद का समर्थन करने की अपील की गई है और ज्यादातर संगठन इस बंद में शामिल हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता कि किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
किसान संगठन विधेयक वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| देश में पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन जैसी चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोशिशें चल रहीं हैं। मोदी सरकार ने 'फेम इंडिया' के दूसरे चरण में महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ के लिए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। वहीं मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार पर्यावरण अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, खुद पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर उनका अनुभव काफी अच्छा रहा है। उन्होंने दूसरों को भी ऐसी गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया है।
जावडेकर ने शुक्रवार को फेम इंडिया के दूसरे चरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है। मैं पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं। इलेक्ट्रिक गाड़ी का बहुत अच्छा अनुभव है। एक रुपये किलोमीटर फ्यूल चार्ज है। एक यूनिट में ये गाड़ी दस किलोमीटर चलती हैं। अब बहुत सारी गाड़ियां आने लगीं हैं, जो सस्ती भी हैं और अच्छी भी हैं।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने मोदी सरकार की ओर से फेम इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों को पहले ही चार सौ से अधिक बसें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी हो रही है कि महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ में 670 ई बसें मंजूर हुईं हैं। वहीं 241 चार्जिंग स्टेशन एमपी, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर के लिए मंजूर किए गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि कुल 670 में महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें देने का निर्णय लिया गया है। केरल सहित बाकी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन शुरू कर रहे हैं। इसी तरह से देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियां बहुत बड़े पैमाने पर चलने लगेंगी। उन्होंने सभी से इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करने की अपील की।
दरअसल, मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल 2015 से फेम इंडिया योजना लागू की है। इस योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल 2019 से अगले तीन वर्षों के लिए शुरू हुआ है। इस योजना पर 2021-22 तक कुल 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरूआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने के साथ ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है। सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी।
लखनऊ, 25 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के जेलकर्मी भी जल्द बॉडी वार्न कैमरों से लैस होंगे। जेलकर्मियों के बॉडी वार्न कैमरे सुरक्षा के अलावा खास मकसद के लिए होंगे। इस कैमरे में बन्दियों की मनोस्थिति, अवसाद या जेल में होने वाले रचनात्मक कार्य भी कैद होंगे। इसमें विजुअल के साथ आवाज भी होगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उप्र समेत राजस्थान, तेलंगाना और पंजाब की जेलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत बडी वार्न कैमरा (बीडब्लूसी) प्रयोग किए जाने की मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार यूपी को इसके लिए 80 रुपये लाख देगी।
डीजी जेल आनन्द कुमार ने बताया कि पहले चरण में करीब 20 संवेदनशील जेलों में यह प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना है। उसके बाद दूसरे चरण में बची जेलो में इसे शुरू किया जाएगा। इनकी बैटरी का बैकअप 5 घंटे का होगा। इसके संचालन के लिए बंदी रक्षकों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कैमरे के संचालन, मॉनिटरिंग, रिकडिर्ंग, स्टोरेज आदि के लिए एक कंट्रोल रूम जेल में होगा।
उन्होंने बताया कि जेलों में बंदियों के कार्यव्यवहार की रिकार्डिंग के लिए वीडियो कैमरे, डिस्प्ले यूनिट्स, वीडियो प्रोडक्शन करने के उपकरण, शर्ट वीडियो क्लिप बनाने और उनका विश्लेषण करने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे।
मैनपुरी (उत्तर प्रदेश), 25 सितंबर (आईएएनएस)| मैनपुरी के एक 32 वर्षीय विवाहित व्यक्ति ने अपने कर्ज को चुकाने से बचने के लिए खुद के अपहरण का नाटक किया। व्यक्ति को राजस्थान के भिवाड़ी से गिरफ्तार किया गया है। उसे गुरुवार को गिरफ्तार किया गया। साजिश का हिस्सा होने पर व्यक्ति के भाई, दोस्त और एक ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार, सुलेमान अल्वी भवन निर्माण सामग्री का व्यवसाय करता है।
बीते 21 सितंबर को व्यक्ति के भाई सद्दाम हुसैन ने मैनपुरी के दानहर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि सुलेमान का चार अज्ञात हमलावरों ने अपहरण कर लिया है और अपहरण तब हुआ जब वह अपनी बोलेरो में घर लौट रहा था।
प्राथमिकी आईपीसी की धारा 364 के तहत दर्ज की गई थी।
हालांकि, जांच से पता चला कि सद्दाम की कहानी तथ्यों से मेल नहीं खा रही थी। यह खुलासा हुआ कि सद्दाम अपने भाई की योजनाओं के बारे में जानता था और उसने फर्जी शिकायत दर्ज कराई थी।
पुलिस को यह भी पता चल गया कि सुलेमान भिवाड़ी में है। बताए गए पते पर पुलिस की एक टीम भेजी गई, जहां पाया गया कि सुलेमान अपने दो बच्चों व एक महिला के साथ रह रहा था।
सुलेमान ने पुलिस को बताया कि वह पिछले आठ साल से महिला के साथ रिश्ते में था। उसने महिला के साथ रहने के लिए अपने अपहरण की योजना बनाई। इसके साथ ही उसके पास 12 लाख रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए पैसे नहीं थे।
वहीं सुलेमान को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह नेपाल जाने की व्यवस्था कर रहा था।
फर्जी अपहरण मामले को सुलझाने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आगरा रेंज) ए. सतीश गणेश ने पुलिस टीम को 40,000 रुपये का इनाम दिया है।
अगर आप उत्तर प्रदेश (UP ) में रहते हैं और मास्क (Mask) लगाना पसंद नहीं करते तो आपके लिए ये जरूरी खबर है. क्योंकि अब बिना मास्क के घर से बाहर जाने पर आपके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने निर्देश दिया है कि राज्य में कोई भी नागरिक (Citizen) घर से बाहर बिना मास्क के दिखाई नहीं देना चाहिए. कोरोना वायरस (Corona Virus) के लगातार बढ़ते प्रकोप को देखते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने ये निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि घर से निकलने वाले हर व्यक्ति को ये सुनिश्चित करना होगा कि उसने अपना मुंह और नाक ढंका है या नहीं.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाले पर मौजूदा कानून के तहत ही कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए हर जिले के प्रत्येक थाने में एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें वर्तमान से ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी. जिससे आदेश का ठीक से पालन कराया जा सके. अदालत ने प्रशासन और पुलिस को इस बात के लिए भी आगाह किया है कि वह मास्क पहनना सुनिश्चित करने की नाकामी जनता पर नहीं थोप सकेंगे.
कोर्ट के इस निर्देश से ये निश्चित हो जाता है कि अब मास्क न पहनने पर आपको कानूनी कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है. क्योंकि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, पुलिस अपने सिर पर मास्क न पहनने वालों का बोझ नहीं लेगी और जनता पर सख्ती बरतेगी.
कोरोना संक्रमण की रोक थाम के प्रयासों की मॉनिटरिंग कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि मास्क न सिर्फ उनको संक्रमण से बचाएगा, बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित करेगा. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति मास्क नहीं पहनता है तो वह पूरे समाज के प्रति अपराध करेगा और समाज के प्रति अपराध करने वाले को दंडित किया ही जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना से बचने के एक ही रास्ता है, शारीरिक दूरी और मास्क पहनना. यदि सभी लोग मास्क पहनने लगे तो इससे संक्रमण खुद ब खुद रुक जाएगा.
इसके अलावा कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को भी निर्देश दिया कि वह कोरोना से संबंधित प्रगति की सूचना हर दिन हाईकोर्ट लीगल सेल को ई-मेल के माध्यम से दें. इसी प्रकार से वार्डों में नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर जोनल अफसरों को स्थिति से अवगत कराते रहें. कोर्ट ने होम आइसोलेशन वाले मरीजों के एक्स-रे और सीटी स्कैन के लिए हर जिले में एक अलग अस्पताल की व्यवस्था का निर्देश दिया है, क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीजों का सीटी स्कैन और एक्सरे कोई अस्पताल नहीं कर रहा है.(catch)
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (वार्ता) वैश्विक महामारी कोविड-19 के देश में लगातार हो रहे बड़े स्तर पर प्रसार की रोकथाम के लिए दिन प्रतिदिन इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 24 सितंबर को एक दिन में रिकाॅर्ड 14 लाख 92 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गयी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में बताया गया कि देश में 24 सितंबर को कोरोना वायरस के रिकार्ड 14 लाख 92 हजार 409 नमूनों की जांच की गई और कुल आंकड़ा छह करोड़ 89 लाख 28 हजार 440 पर पहुंच गया।
चौबीस सितंबर को एक दिन में रिकार्ड सर्वाधिक जांच की गई हैं। इससे पहले 20 सितंबर को एक दिन में 12 लाख छह हजार 806 नमूनों की रिकार्ड जांच की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ही देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में 30 सितंबर को अनलॉक-4 के खत्म होने के बाद वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा की।
श्री मोदी ने कहा कोरोना से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को तो और मजबूत करना है। इसके अलावा ट्रैकिंग-ट्रेसिंग से जुड़ा नेटवर्क है, उनका बेहतर प्रशिक्षण भी करना है।
देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था।
छह अप्रैल तक कुल जांच की संख्या मात्र दस हजार थी। इसके बाद वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही नमूनों की जांच में भी तेजी आई। सात जुलाई को नमूनों की जांच संख्या एक करोड़ को छू गई और इसके बाद तेजी से बढ़ती गई और 17 सितंबर को छह करोड़ का आंकड़ा पर कर लिया।
इससे पहले देश में तीन सितंबर को आये आंकड़ों में रिकाॅर्ड 11 लाख 72 हजार 179 नमूनों की जांच की गई थी। यह देश में ही नहीं, विश्व में भी एक दिन में सर्वाधिक जांच का रिकार्ड था।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य राज्यों में कृषि से जुड़े विधयकों का विरोध सड़कों पर उतर आया है। भारतीय किसान यूनियन समेत अन्य किसान संगठन बिल के खिलाफ चक्का जाम कर रहे हैं। इधर, भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) का कहना है कि वो 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री की समाधि की ओर कूच करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। भारत बंद ऐलान के बाद जगह जगह सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर भी दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल ने आईएएनएस को बताया, हमारे क्षेत्रों में लगभग सब कुछ बंद है। मथुरा और आगरा की ओर भी किसान भी सड़कों पर आ गए हैं। जब तक कानून वापस नहीं होगा तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे। 2 अक्टूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शाश्त्री जी की समाधि पर पूरे देश का किसान पहुंच रहा है।
यूपी-बिहार से लेकर पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों में शुक्रवार को सड़क पर किसान उतर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि, चक्का जाम में पंजाब, हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत पूरे देश के किसान संगठन एकजुट होंगे। पंजाब में कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन भी जारी है।
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय निर्वाचन आयोग शुक्रवार को दोपहर साढ़े 12 बजे बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ने बताया कि आयोग की प्रेस कांफ्रेंस बिहार विधानसभा चुनाव के संबंध में शुक्रवार को आयोजित हो रही है। माना जा रहा है कि चुनाव कई चरणों में कराए जाएंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की भी घोषणा हो सकती है।
कोरोना के कारण सोशल डिस्टैंसिंग मेंटेन करने के लिए चुनाव आयोग विज्ञान भवन के हॉल नंबर पांच में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करेगा। सोशल डिस्टैंसिंग के मद्देनजर सिर्फ पीआईबी एक्रिडेटेड पत्रकारों को ही एंट्री मिलेगी। कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर आयोग पहले ही गाइडलाइंस जारी कर चुका है। हर मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार मतदाता ही वोट देंगे। मतदान केंद्रों पर सैनिटाइजर से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाएं रहेंगी।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। 2015 में राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके कारण भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। तब राजद, जदयू, कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी। राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं थीं। जबकि एनडीए को 58 सीटें हीं मिली। हालांकि लालू यादव की पार्टी राजद के साथ खटपट होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार चलाना शुरू किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं।
बिहार में पिक्षी पार्टियां कोरोना के चलते चुनाव टालने की मांग कर रही थी, लेकिन आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया।
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आज किसान संगठन देशभर में चक्का जाम करेंगे.
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट के हाथों में सौंपने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ सबसे व्यापक प्रदर्शन पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.
पंजाब में तो गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
किसान संगठनों का कहना है कि शुक्रवार को पूरे देश में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश में आज चक्का जाम करने की तैयारियां की हैं.
बीकेयू से जुड़े किसान नेता धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में आज सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक चक्का जाम किया जाएगा.
वहीं किसान संगठनों के संगठन अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति ने आज देशभर में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
इस समिति में देश के 12 किसान संगठन शामिल हैं और ये किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी है. यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में इन संगठनों की व्यापक उपस्थिति है.
समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाले बंद में भारतीय किसान यूनियन, कर्नाटक राज्य किसान एसोसिएशन, तमिलागा विवासियगल संगम जैसे बड़े किसान संगठन शामिल होंगे.
राजनीतिक दल भी होंगे शामिल
सिर्फ़ किसान संगठन ही नहीं राजनीतिक दल भी अब इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं. कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह किसानों के प्रदर्शन में शामिल होगी.
पार्टी प्रवक्ता रणदीव सुरजेवाला ने एक बयान में कहा है कि पार्टी के लाखों कार्यकता किसान संगठनों के साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधेयकों का विरोध कर रही है. पार्टी चक्का जाम में शामिल होगी.
समाजवादी पार्टी भी हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी और ज़िलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपेंगी. पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर भी विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'पार्टी सभी जनपदों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से किसान विरोधी बिलों के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपेंगी.'
सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा पंजाब
शुक्रवार को बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा में ही दिख सकता है जहां हाल के दिनों में किसानों ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं.
भारतीय किसान यूनियन की पंजाब ईकाई से जुड़े हरिंदर सिंह लखोवाल ने बीबीसी से कहा, "पंजाब में न रेल चलने दी जाएगी और ना ही बसे. सभी हाईवे पर चक्का जाम होगा. पूरे पंजाब में 200-250 जगह प्रदर्शन होंगे. जगह-जगह ट्रेन भी रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा, "जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून नहीं बनाया जाएगा, किसानों के प्रदर्शन जारी रहेंगे. आगे ये प्रदर्शन और तेज़ होंगे."
लखोवाल का कहना है कि पंजाब के गांवों में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न घुसने देने के तैयारी भी चल रही है और जल्द ही बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू होगा.
भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा में भी चक्का जाम करने की तैयारियां की है. बीकेयू का कहना है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का तर्क है संसद में पारित विधेयक मंडी व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे और किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
किसान संगठनों का ये भी कहना है कि सरकार इन विधेयकों के ज़रिए कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट जगत को सौंपना चाहती है.
सरकारों ने भी की तैयारियां
हरियाणा सरकार ने बंद के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने गृह विभाग और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है.
सरकार ने पुलिस को संयम बरतने के निर्देश भी दिए हैं. पंजाब सरकार ने भी बंद के मद्देनज़र क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं.
दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है. हालांकि किसान संगठनों ने दिल्ली कूच न करने का ऐलान किया है.(bbc)
नागपुर, 25 सितंबर (आईएएनएस)| एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाया है कि मार्च में दिल्ली स्थित तबलीगी जमात मरकज में शामिल होने वाले म्यांमार के नागरिकों का एक समूह कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं है। अदालत ने इसके साथ ही माना कि म्यांमार का यह समूह धर्म के प्रचार को प्रेरित करता हुआ भी प्रतीत नहीं हो रहा है।
यह जमातियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है। जमातियों पर खिलाफ कोरोनावायरस फैलाने का आरोप है।
अदालत ने नागपुर पुलिस की ओर से तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अपनी टिप्पणी करते हुए माना कि जमात के सदस्यों के खिलाफ ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है कि जिससे यह कहा जा सके कि वे धार्मिक विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। न्यायमूर्ति वी.एम. देशपांडे और न्यायमूर्ति ए. बी. बोरकर ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि चूंकि उनकी कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव थी, जिससे संक्रमण फैलने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि आरोपपत्र (चार्जशीट) में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह बात प्रमाणित हो सके, जैसा कि पुलिस ने माना है।
अदालत ने कहा, "यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक ऐसे किसी कार्य में लिप्त थे, जिससे कोविड-19 का संक्रमण फैलने की संभावना है।"
पीठ ने कहा, "जांच अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज करने में क्षेत्राधिकार के बिना काम किया है।"
पिछले महीने, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुल 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, जिनके खिलाफ आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उन पर कथित तौर पर दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होकर अपने टूरिस्ट वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप था। एफआईआर को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि तबलीगी जमात के सदस्यों को 'बलि का बकरा' बनाया गया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ किए गए 'मीडिया प्रचार' की आलोचना की थी।
जून में मद्रास हाईकोर्ट ने भी तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया था। जून में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांग्लादेश के छह नागरिकों को अंतरिम जमानत दे दी थी।
कोलकाता, 25 सितंबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 22 से 26 अक्टूबर तक मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा त्योहार के लिए गुरुवार को दिशा-निर्देशों की घोषणा की। ममता ने यहां नेताजी इंडोर स्टेडियम में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस और पूजा समिति के आयोजकों से मुलाकात की।
कोविड-19 महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ममता ने पूजा आयोजकों को बताया कि राज्य सरकार इस साल अन्य मुफ्त सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देगी। 2,500 से अधिक दुर्गा पूजन तो केवल कोलकाता पुलिस क्षेत्र में ही आयोजित किए जाते हैं। यह संख्या लोगों के घरों या परिसरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से अलग है।
ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल कोरोनावायरस महामारी के कारण दुर्गा पूजा समितियों के लिए चंदा इकट्ठा करना मुश्किल होगा। दुर्गा पूजा के आयोजन में राज्य की पूजा समितियों को आर्थिक परेशानी नहीं हो, इसके लिए सरकार ने प्रदेश की सभी पूजा समितियों को 50-50 हजार रुपये देने का फैसला किया है।
ममता ने कहा, "हमने हर पंडाल में मुफ्त अग्नि-सुरक्षा व्यवस्था जैसी अन्य सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देने का फैसला किया है। इस साल पूजा समितियों को नगर निगम और स्थानीय निकायों को कोई कर नहीं देना होगा।"
इसके अलावा ममता बनर्जी ने पंडालों को बिजली बिल में भी राहत दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल पूजा समितियों को बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
त्योहार के दौरान कोविड-19 सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य के सभी निवासियों से अनुरोध करते हुए ममता ने कहा कि इस वर्ष समारोह अलग तरह से होंगे और लोगों को शारीरिक दूरी को लेकर वास्तव में सतर्क रहना होगा। उन्होंने हालांकि कहा कि उन्हें पंडाल जाने की अनुमति होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, "त्योहार मनाते समय हमें वास्तव में सावधान रहने की जरूरत है। मैं सभी आयोजकों से अनुरोध करती हूं कि वे अपने पंडालों को अलग-अलग प्रवेश और निकास बिंदुओं के साथ जितना संभव हो उतना खुला रखें।"
उन्होंने कहा कि पंडालों में प्रवेशद्वार पर सैनिटाइजर होना चाहिए और मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। नए नियमों के मुताबिक, इस साल दुर्गा पूजा पंडाल में किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने का समय बचा है। ऐसे में कोविड-19 महमारी के मद्देनजर सादगी से उत्सव मनाने की तैयारियां पूरे शहर में शुरू हो गई हैं।
बेंगलुरु, 25 सितंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की बेटी अरुणा उदयकुमार गुरुवार को अखिल भारत वीराशैवा महासभा की महिला शाखा की अध्यक्ष नियुक्त की गईं। अखिल भारत वीराशैवा महासभा लिंगायत समुदाय का प्रतिष्ठित संगठन है। इस समुदाय का राज्य की 150 विधानसभा सीटों पर दबदबा है।