बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुसमी, 9 अगस्त। सोमवार को विश्व आदिवासी दिवस पर जनपद पंचायत कुसमी कार्यालय के परिसर में समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सामरी विधानसभा के विधायक व संसदीय सचिव चिंतामणि महराज उपस्थित रहे। इस दौरान चिंतामणि महराज ने उपस्थित समाज के लोगों से संवाद किया।
चिंतामणी महाराज ने कहा कि आज के बच्चे बहुत से संस्कृति को नहीं समझ पाते हैं। सभ्यता संस्कृति भासा व पहचान को भूलना नहीं है। पुरातन काल के गीतों का भी आधुनिकीरण हो रहा है, इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। सरहुल पर्व में अपने संस्कृति को यथावत रखना होगा। आदिवासी समाज खून पसीना एक कर अनाज का उत्पादन करके समाज को दे रही है, जिसका आहार हम सभी को मिल रहा है। आदिवासी समाज सभी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। समाज को दिशा देने में समाज पीछे नहीं है।
जनपद पंचायत कुसमी अध्यक्ष हुमन्त सिंह ने कहा, हम सभी को मिलकर आदिवासियों को हक दिलाने व भासा संस्कृति को बनाए रखने 9 अगस्त 1994 को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, यहाँ के जनजाति आदिवासी दो शब्दों से बना हैं जो अनन्त काल से चले आ रहा हैं उसे आदि कहते हैं और वासी वे हैं जो पहले से जंगल में रहते थे, जिन्हें अब मुख्यधारा में जोडक़र समाज का उत्थान किया जा रहा है। जंगल की लडक़ी कटाई पर जोर देते हुए कहा जंगल को नष्ट होने से सभी बचाये।
देवान रामचंद्र निकुंज ने कहा कि रीति रिवाज को निभाते हुए संगठन को मजबूत करना होगा। नगर पंचायत अध्यक्ष गोवर्धन राम ने कहा कि आज आदिवासी समाज धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। जिला पंचायत सदस्य हीरामुनी निकुंज ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस हर वर्ष इसी दिन मनाया गया हैं. हम सब संगठित होकर कार्य करेंगे तो आगे बढ़ेंगे।
जनपद पंचायत सीईओ रणवीर साय ने कहा कि 1994 से जल जंगल जमीन से जुड़े लोगों के लिए विकास व अधिकारों की रक्षा के लिए नियम बने हैं. आदिवासियों के नृत्य, गीत पहचान हैं. सभी को इस संस्कृति को बनाए रखने के लिए कार्य करना हैं। वहीं कार्यक्रम के अंत में 18 लोगों को विधायक के हाथों वैन अधिकार पट्टा वितरित किया गया तथा समाज द्वारा अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा गया।
इस दौरान बहादुर राम,अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ की संभागीय संरक्षक हेमंती प्रजापति, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष हरीश मिश्रा, एस डी एम आर एस लाल, एसडीओपी मनोज तिर्की, बीईओ डीके यादव,अधिवक्ता श्रवण दुबे, सौरभ खलको, बालेश्वर राम, सुनीता भगत, बसंती भगत, मुनेश्वर राम, सुशीला, शशि टोप्पो, सिस्टर संध्या , यशोदा भगत तथा बड़ी संख्या में ग्रामवासी व सरपंच सचिव मितानिन आंगनवाड़ी के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
समाज के राजेन्द्र भगत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने 1994 में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था। यह दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के अधिकारों, उनकी संस्कृति और भाषा को सम्मान देने का अवसर था। पिछले एक दशक में यह छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के पारंपरिक पर्व की तरह हो गया है।