रायगढ़
तात्कालीन उदयपुर राजा ने कहा था मेरे महामंत्री, मंत्री होते हैं मैं कैसे मंत्री बन सकता हूं
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायगढ़, 19 सितंबर। ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस की खींचतान किसी से नहीं छुपा है और कुर्सी की लड़ाई रायपुर से लेकर दिल्ली तक चल रही है। इस बीच प्रदेश भाजपा वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने चुटकी लेते हुए कहा है कि राजा को कभी मंत्री बनना ही नहीं चाहिए।
टीएस सिंह देव के पूर्वजों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उदयपुर स्टेट के नाम से जाना जाने वाला आज के धरमजयगढ़ में तत्कालीन राजा चंद्रशेखर सिंह देव के कोई संतान नहीं थे। अपने राजवंश को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने सरगुजा महाराज से राजकुमार चंन्द्रचूण प्रसाद सिंह देव को गोद लेकर राज्याभिषेक किया। बचपन से ही होनहार राजकुमार चंन्द्रचूण प्रसाद सिंह देव ने स्वतंत्रता पूर्व आईसीएस की परीक्षा देहरादून से उत्तीर्ण की। इनका विवाह त्रिपुरा महाराज की राजकुमारी के साथ हुआ। इन्हें बेस्ट हंटर के लिए हवाई जहाज ईनाम में मिला था। बेस्ट पायलट का अवार्ड त्रिपुरा एअर फोर्स में मिला था। इसके अलावा बेस्ट फोटोग्राफर का खिताब भी इन्हें मिला था। भारत-चीन युद्ध १९६२ में इन्होंने अपनी सेवेन एवं टू सीटर विमान के साथ ४.८३ लाख कीमत का डायमंड कफ्लिंग को रायपुर के राजकुमार कॉलेज में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दान किए थे। इससे पहले भारत सरकार में चंन्द्रचूण प्रसाद सिंह देव को मंत्रीमंडल में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया था। तब उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया था कि राजा के पास स्वयं के महामंत्री और मंत्री होते हैं तो मैं कैसे किसी का मंत्री बन सकता हूं। यही बात सरगुजा महाराज को भी कहना था जब वे मुख्यमंत्री नहीं बन सके। उदयपुर के तत्कालीन राजा और कोई नहीं बल्कि महाराज टीएस सिंह देव के दादा के छोटे लड़के यानी चाचा जी थे।