सरगुजा

शोध की प्रक्रिया को आत्मसात करें और छात्र-छात्राओं के साथ जानकारी को साझा करें
29-Jul-2022 8:33 PM
शोध की प्रक्रिया को आत्मसात करें और छात्र-छात्राओं के साथ जानकारी को साझा करें

के आर कॉलेज में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,29 जुलाई।
शुक्रवार को के आर महाविद्यालय में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का तीसरा दिन संपन्न हुआ। इस प्रोग्राम का उद्देश्य रिसर्च को बढ़ावा देकर उसके सामाजिक सरोकार को समझना और उसके उद्देश्यों को आत्मसात करना है। इस पांच दिवसीय प्रोग्राम के तीसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. नवीन जैन, प्राध्यापक एवं विभागप्रमुख, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, शंकराचार्य इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी रायपुर थे। कार्यक्रम में महाविद्यालय की डायरेक्टर रीनू जैन, प्राचार्य डॉ.रितेश वर्मा और महाविद्यालय के आईक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर बिनय अम्बस्ट महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों के साथ उपस्थित थे।

कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.रितेश वर्मा ने अपने स्वागत उद्बोधन में मुख्य वक्ता डॉ. नवीन जैन का महाविद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने महाविद्यालय के प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध की प्रक्रिया को अच्छे से आत्मसात करें और अपने छात्र-छात्राओं के साथ इस जानकारी को साझा करें।

आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नवीन जैन, ऑनलाइन माध्यम से अपने टॉपिक ‘रिव्यु ऑफ लिटरेचर एंड साइटिंग एंड रिफरेंस राइटिंग’को पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बने। साथ ही उन्होंने बताया कि शोध में नया क्या जोड़ें।

डॉ.नवीन जैन अपने उद्बोधन के प्रारंभ में रिसर्च क्या है ? इस विषय पर विस्तार पूर्वक बताया, साथ ही रिसर्च पेपर के ढांचे के बारे में सामाजिक कार्यक्रम (विवाह )के माध्यम से विस्तार पूर्वक समझाया, जिसमें उन्होंने शोध पत्र अथवा थीसिस कैसे लिखें, इसका क्रमवार विश्लेषण किया। साहित्यिक समीक्षा के अंतर्गत साहित्यिक समीक्षा के विभिन्न चरणों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि साहित्यिक समीक्षा बहुत गहन एवं अच्छे से करें और यह भी देखें कि इस विषय पर और कोई शोध हुए हैं अथवा नहीं, उक्त विषय पर शोधकर्ता और क्या कर सकता है, साथ ही उन्होंने साहित्यिक समीक्षा को द्वितीय श्रेणी की डाटा संग्रहण का माध्यम भी बताया है।

आगे उन्होंने कहा अपने शोध पत्र या थीसिस में ‘मैं- मेरा का बखान करना साहित्यिक समीक्षा नहीं है अपितु अपने काम को दूसरों के कार्य के साथ सामंजस्य कर नए शोध को भी साहित्यिक समीक्षा में स्थान दे सकते हैं’। विभिन्न शोधपत्र का अवलोकन कर अपने शोध कार्य में स्थान दें। साहित्य समीक्षा के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा शोधकर्ता जो भी शोध कार्य कर रहा है वह पूर्व में किए गए शोध कार्य को आगे बढ़ा रहा है।

मुख्य वक्ता के संबोधन के बाद प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने मुख्य वक्ता डॉ.नवीन जैन से आज के सत्र से संबंधित अपने समस्याओं का समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के डायरेक्टर रीनू जैन ने आभार ज्ञापित एवं कार्यक्रम का सारांश प्रस्तुत करते हुए कहा कि उक्त कार्यक्रम में डॉ. नवीन जैन ने प्राध्यापकों के शंकाओं का समाधान करते हुए चरणबद्ध तरीके से साहित्य समीक्षा के अंतर्गत साइटिंग व रिफरेंस लेखन के संबंध में विस्तार से बताया है एवं इस जानकारी से हम सभी लाभान्वित होंगे व शोध के क्षेत्र में आगे की ओर अग्रसर होंगे।

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